Thursday, March 17, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ दो सहेलियाँ--1

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

दो सहेलियाँ--1

सुनीता और अनिता पक्की सहेलियाँ थी. दोनो एक दूसरे की हर
बात की राज़दार तो थी जो काम करती थी इकट्ठे करती थी. कॅंटीन
में मिलेंगी तो दोनो लाइब्ररी में होंगी तो दोनो. अकेली कोई भी आप
को नहीं मिलेगी.
सुनीता की सगाई हो गयी तो अनिता को गुस्सा आ गया कहने
लगी ' जब आज तक हम ने कोई काम अलग नही किया तो तूने सगाई
अकेले कैसे करवा ली.'
सुनीता ने कहा ' मेरी प्यारी सखी बता इसमे मैं क्या कर
सकती थी मैने खुद तो सगाई की नहीं घर वालों ने कर दी वो भी
मेरे मना करने के बावज़ूद.'
' क्या तेरे लड़का नहीं देखा बिना देखे ही सगाई हो गयी'.
' लड़का मैने नहीं देखा हाँ लड़का मुझे देखने ज़रूर
आया था और मैं उस्दिन ना नहाई थी ना ही कोई अच्छे कपड़े पहने
थे ताकि वो ना कर जाए लेकिन उसने हाँ कर दी और मुझे आज ही पता
लगा है. अब बता मैं क्या करती.'
' जब वो तुझे देखने आ रहे थे तो तू मुझे बता सकती थी.'
' मुझे भी नहीं पता था के वो मुझे देखने आ रहे हैं'.
' ठीक है तूने अपना वादा तोडा है. हम ने आपस से एक
दूसरी से वादा कर रखा था के हम एक ही दिन शादी करेंगी और एक
ही रात सुहागरात मनायें गी, अब तू अकेली शादी करेगी और अकेले ही
सुहागरात मनाएगी.'
' अब इसमें मैं क्या कर सकती हूँ, तू ही कोई रास्ता
निकाल मैने तुझे बताया है के यह सब मेरी मरज़ी के बिना हुया है
और मेरी जानकारी के बिना'.
' चलो अब शादी तो तेरी हो जाए गी लेकिन सुहागरात तो हम
इकट्ठी मना सकती है.'
' वो कैसे'.
' देख सुहागरात यानी हनिमून मनाने तो कहीं बाहर जाएगी
और किसी होटेल में मनाएगी.'
' वो भी मैं नहीं कह सकती, लड़के वालों की मरज़ी है.'
' क्या अब तू लड़के से शादी के पहले नहीं मिलेगी.'
' क्यो नहीं लेकिन वो भी लड़का ही पहल करे तो अच्छा
है मैं तो नहीं कह सकती.'
' ठीक है मुझे उसका टेलिफोन नंबर दे मैं प्रोग्राम
बनाउन्गि , और मैं ही पूच्छ लूँगी के हनिमून मनाने कहा जा रहे
हो.'
' उस से क्या होगा अगर पता लग भी जाए के कहाँ जा रहे हैं.'
' यह मेरे पर छ्चोड़ दे तू देखती रह मैं क्या करती हूँ,
लेकिन तुझे अपना वायदा याद है के हम दोनो सुहागरात इकट्ठे मनाएँ
गी.'
' अरे बाबा याद है और जैसे तू करना चाहे कर लेना मुझे
कोई एतराज़ नहीं.'
सुनीता की शादी हो गयी और जब वो हनिमून मनाने के
लिए मनाली गये तो अनिता भी मनाली पहुँच गयी और जिस होटेल में
उन्होने कमरा बुक करवाया था उसी होटेल में उसके साथ वाला कमरा
उसने बुक करवा लिया. दोनो कमरों के बीच में टाय्लेट था. सुनीता
से अनिता ने कह दिया के अब अपने वायदे के मुताबिक तू रात को एक बार
लंड लेने के बाद उठ कर टाय्लेट आए गी और मैं तेरी जगह तेरे
बिस्तेर पर चली जाउन्गि और तू मेरे कमरे में. अनिता ने एक बैरे
से मिल कर टाय्लेट के दरवाज़े में एक सुराख करवा दिया था जिसमें
से कमरे का पूरा नज़ारा दिखाई देता था. जब सुनीता सुहागरात मना
रही थी तो सारा नज़ारा अनिता टाय्लेट के दरवाज़े से देखने लगी.
सुनीते के होंठो को और मम्मों को चूसने से लेकर उसकी चूत में
लंड जाते हुए सभी कुच्छ अनिता ऐसे देख रही थी जैसे ब्लू
फिल्म देख रही हो और साथ साथ अपनी चूत पर हाथ भी फेर
रही थी क्यो के सुनीता की चुदाई हो रही हो और अनिता की चूत
में खुजली ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता था. वो तो ना जाने
कैसे यह बर्दास्त कर रही थी कि सुनीता अकेले ही चुदाई करवा रही
है नही तो उसकी मरज़ी तो यह थी के दोनो इकट्ठे ही चुदाई
करवाएँ गी चाहे एक ही से चाहे दोनो अपने अपने पति से लेकिन एक
ही कमरे में एक ही समय. लेकिन ना तो ऐसा होना मुमकिन था ना हुया
लेकिन फिर भी अनिता देख देख कर मज़े ले रही थी. सुनीता को
चोदने के बाद जब उस का पति सो गया तो सुनीता टाय्लेट में आ गयी
और अनिता उस की जगह पलंग पर जा कर लेट गयी. पलंग पर लेटने
से पहले उस ने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे क्योंकि जब सुनीता
पलंग से उठ कर आई तो वो नंगी थी. उसके पति ने उसे बिल्कुल
नंगी कर के चोदा था.
अनिता ने अपना मुँह सुनीता के पति राजीव की ओर कर लिया
और अपने हाथ उस की छाती पर फेरने लगी. राजीव को पहली
चुदाई के बाद जब खुमारी टूटी तो उसने देखा के सुनीता उसकी छाती
पर हाथ फेर रही है, इसका मतलब है वो अभी और चाहती है.
राजीव अपना हाथ उस के मम्मों पर रख कर उन्हे दबाने लगा. अनिता
पहले से ही गरम हो रही थी सुनीता की चुदाई देख कर इसलिए वो
बर्दाश्त ना कर सकी और राजीव से लिपट गयी. राजीव ने अपने होंठ
उसके होंठो पर रख दिए और उन्हे चूसने लगा. अनिता भी बड़े जोश
से उसके होंठ चूसने लगी. फिर राजीव ने उस के मम्मों को चूसना
शुरू किया तो अनिता के लिए रुकना मुश्किल हो गया लेकिन वो कर भी
क्या सकती थी आज तो जो करना था राजीव को ही करना था. वो तो
बोल भी नहीं सकती थी के कहीं भेद ना खुल जाए. जलदी ही राजीव
उस के उपर आ गया और अपना लंड उस की चूत पर रगड़ने लगा. अनिता
की चूत उछलने लगी तो राजीव ने अपना लंड उस की चूत में डाल
दिया. अनिता दरद से तड़फ़ उठी लेकिन अपने को रोके रखा के कहीं
राजीव को पता ना चल जाए के यह सुनीता नहीं अनिता है. धीरे
धीरे दरद कम होने लगा और मज़ा आने लगा. अब वो भी उच्छल
उच्छल कर लंड लेने लगी. उपर से राजीव धक्के मार रहा था नीचे
से अनिता उच्छल कर लंड को पूरा अपने अंदर लेने की कोशिश कर रही
थी. आधे घंटे की मज़ेदार चुदाई के बाद राजीव बगल में लेट
गया और थोड़ी देर बाद जब अनिता को लगा के वो सो गया है वो उठ
कर टाय्लेट के रास्ते अपने कमरे में आ गयी जहाँ सुनीता उसका
इंतज़ार कर रही थी.
' ले आई मज़े सुहागरात के अब तो नाराज़ नहीं मैने अपना
वादा निभाया है अब तुझे अपना वादा निभाना है. अच्छा यह तो बता
कैसा लगा अपने जीजा का लंड और उस की चुदाई.'
' यह भी कोई लंड है छ्होटा सा और चुदाई तो उसे करनी
आती ही नहीं.'
' तू तो ऐसे कह रही है जैसे तूने बड़े लंड लिए हैं और
चुदाई के मज़े लिए है.'
' अरे मैं तो मज़ाक कर रही थी, बहुत मज़ेदार चुदाई
करता है तेरा राजीव और लंड तो इतना मोटा और लंबा है के मेरी तो
दरद के मारे चीख निकलने वाली थी. बड़ी मुश्किल से अपने आप को
रोका है. अब तू जलदी से जा कही तेरा वो जाग ना जाए और अभी तेरा
दिल तो भरा नहीं होगा एक बार तो और लेगी.'
' अब तू ले आई है और उसे क्या भैसा समझा है के
जितनी भैंस आगे करते रहो वो बेचारा उपर चढ़ता रहेगा, चाहे
उसका लंड आदमी को पकड़ कर भैंस की चूत में डालना पड़ता
है.'
' अरी बड़ा दरद आ रहा है एक बार ही तो मैने लिया है
और वो भी कोई ज़बरदस्ती नहीं की मैं तो जा कर साथ में लेट
गयी थी उसने ही मेरे होटो का रस पिया मेरे मम्मों को चूसा और
मेरी चूत में अपना मोटा गधे जैसा लंड डाला.'
' वो तुझे बुलाने आया था खुद ही तो गयी थी यह सब
करवाने के लिए.'
' अच्छा अब जा बाकी बातें सुबह रात का काम कर ले पहले.'
अनिता जा कर बिस्तेर पर लेट गयी और राजीव अभी सोया हुया
था. वो उस से लिपट कर लेट गयी लेकिन अभी उसका दिल कर रहा था
के एक बार और चुदाई का मज़ा लूँ. सुबह होने से पहले राजीव की
नींद खुली तो अनिता जाग रही थी. राजीव ने कहा ' क्या बात है जाग
रही हो नींद नहीं आई.'
'मुझे घर की याद आ रही थी और आज तक घर से बाहर
कहीं सोई नहीं इसलिए अंजान जगह नींद नहीं आ रही.'
राजीव ने मेरे गाल को चूमा और कहने लगा 'अब तो हमेशा
मेरे साथ ही सोना है इसलिए घर की याद तो भूलनी ही पड़ेगी. और
तुझे आज मेरे साथ सोते हुए भी घर की याद आ रही है इसका
मतलब है तुझे मैं पसंद नहीं.'
मैं राजीव से लिपट गयी और कहा ' नहीं ऐसी बात नहीं तुम
तो बड़े अच्छे हो लेकिन मा बाप की याद तो आएगी ही .' राजीव मेरे
लिपटने से फिर गरम हो गया उस का लंड तन कर खड़ा हो गया. मैने
उसे हाथ में पकड़ लिया और कहा ' यह भी आज सो नहीं रहा इसे किस
की याद आ रही है'.
' इसे तो अपनी चूत की याद ही आए गी और किस को याद करेगा'
' तो इस की कोई और चूत है जिस की याद कर रहा है.'
' नहीं इसकी चूत तो यहाँ ही है यह तेरे हुकुम का इंतज़ार कर रहा है'.
' पहली बार तो मेरे से पूछा नहीं अब मेरे हुकुम का इंतज़ार है.'
' तुम ने मुँह से ना इशारे से जब तक हुकुम नहीं किया यह चूत
के नज़दीक भी नही गया.'
' तो अब क्या यह मेरे मुँह से सुनना चाहता है.'
' उस समय तो तू बोल नहीं रही थी और शरमा रही थी अब तो
बोल रही है'
' में कुच्छ नहीं कहूँ गी यह तो तुम्हारे लंड और चूत की
मरज़ी है हाँ मैं रोकूंगी नहीं.'
और फिर राजीव का लंड मेरी चूत में चला गया. मेरी चूत
में यह दूसरी बार गया था जब के चूत में यह तीसरी बार गया
था.'
' राजीव एक बात बतायो के क्या तुमने इस से पहले किसी और
लड़की से प्यार किया है.'
' हाँ जितने लड़को से तूने किया है उतनी लड़कियों से मैने
किया है. हिसाब किताब बराबर, कुच्छ और पूछना है आज ही पूच्छ
लेना दिल में कुच्छ मत रखना.'
मैं सोचने लगी के राजीव को आज ही बता दूँ के अनिता ने
तेरा लंड ले लिया है और यह मेरी मरज़ी से हुया है क्योंकि हम
दोनो ने वादा किया था के हम ज़िंदगी में जो भी खाएँगी या लेंगी
इकट्ठे करेंगी. लेकिन मैने सोचा के कहीं यह बुरा ना मान जाए
इसलिए चुप कर गयी. अगले दिन जब हम घूमने के लिए बाज़ार गये
तो अनिता हमे बाज़ार में मिल गयी. राजीव ने उसे देख कर बुलाया
और कहने लगा ' अनिता तू यहाँ कैसे'.
' क्यो क्या मैं मनाली नहीं आ सकती'
' नहीं ऐसी बात नहीं है लेकिन तू भी क्या हनिमून मनाने आई है'.
' हाँ मैं भी हनिमून मनाने आई हूँ, तुम्हे कोई एतराज़ है.'
' नहीं हमे कोई एतराज़ नहीं, लेकिन तू ठहरी कहाँ है.'
उसने कहा अपसरा होटेल में.
' हम भी वहीं ठहरे है, रूम नंबर 231 में.'
' मैं रूम नो 232 में हूँ.'
' यह तो और भी अच्छा है एक ही होटेल में और वो भी साथ वाले
कमरे में.'
हम तीनो ने एक रेस्टोरेंट पर चाय पी और होटेल में वापस आ
गये. अनिता भी हमारे साथ हमारे कमरे में आ गयी और गॅप शॅप
चलाने लगी. राजीव ने कहा ' अरे तू कह रही थी के तू भी हनिमून
मनाने आई है तेरा दूल्हा कहाँ है.'
' मैने यह कहा था के मैं भी हनिमून मनाने आई हूँ लेकिन
यह नहीं कहा के अपना हनिमून.'
' किसी और का हनिमून तू कैसे मनाए गी.'
' जैसे बेगानी शादी में अब्दुल्लाह दीवाना बन कर नाचते हैं
खुशिया मनाते हैं'.
' तो यह किस की शादी में अब्दुल्लाह बनाने आई है'
क्रमशः....


Do Saheliyaan--1

sunita aur anita pakki saheliyan thi. dono eik doosarey ki har
baat ki raazdar to thie jo kam karati thi ikathe karati thi. canteen
mein milengi to dono library mein hongi to dono. akeli koyee bhi aap
ko nahin milegi.
sunita ki sagayee ho gayee to anita ko gussa aa gaya kahane
lagi ' jab aaj tak hum ne koyee kaam alag nahi kiya to tune sagayee
akele kaise karwa li.'
sunita ne kaha ' meri payari sakhi bata isme main kaya kar
sakati thi maine khud to sagayee ki nahin ghar walon ne kar di voh bhi
mere mana karane ke bawazood.'
' kaya tune ladaka nahin dekha bina dekhe hi sagayee ho gayee'.
' lakaka maine nahin dekha han ladaka mujhe dekhane jaroor
aaya tha aur main usdin na nahayee thi na hi koyee achhe kapade pehane
thei taki voh na kar jaye lekin usne han kar di aur mujhe aaj hi pata
laga hei. ab bata main kaya karti.'
' jab voh tujhe dekhane aa rahe thei to tu mujhe bata sakati thie.'
' mujhe bhi nahin pata tha ke voh mujhe dekhane aa rahe hein'.
' theek hai tune apana vada toda hei. hum ne aapas se eik
doosari se vada kar rakha tha ke hum eik hi din shadi kareingi aur eik
hi raat suhagraat manayein gi, ab tu akeli shadi karegi aur akele hi
suhagraat manayegi.'
' ab ismein main kaya kar sakati hun, tu hi koyee raasta
nikal maine tujhe bataya hai ke yeh sab meri marazi ke bina huya hei
aur meri jankari ke bina'.
' chalo ab shadi to teri ho jaye gi lekin suhagrat to hum
ikathi mana sakati hein.'
' voh kaise'.
' dekh suhagraat yani honeymoon manane to kahin bahar jayegi
aur kisi hotel mein manayegi.'
' voh bhi main nahin keh sakati, ladake walon ki marazi hei.'
' kaya ab tu ladake se shadi ke pehale nahin milegi.'
' kayon nahin lekin voh bhi ladaka hi pehal kare to achha
hei main to nahin keh sakati.'
' theek hai mujhe uska telephone number de main programme
banayu gi, aur main hi poochh loongi ke honeymoon manane kaha ja rahe
ho.'
' us se kaya hoga agar pata lag bhi jaye ke kahan ja rahe hain.'
' yeh mere par chhod de tu dekhati reh main kaya karati hun,
lekin tujhe apana vayada yaad hei ke hum dono suhagraat ikathe manayen
gi.'
' are baba yad hei aur jaise tu karana chahe kar lena mujhe
koyee eitraz nahin.'
suneeta ki shadi ho gayee aur jab voh honeymoon mananey ke
liye manali gaye to anita bhi manali pahunch gayee aur jis hotel mein
unhohne kamara book karwaya tha usi hotel mein uske saath wala kamara
usne book karawa liya. dono kamaron ke beech mein toilet tha. sunita
se anita ne kah diya ke ab apane vayde ke mutabik tu raat ko eik baar
lund lene ke baad uth kar toilet aye gi aur main teri jagah tere
bister par chali jayungi aur tu mere kamare mein. anita ne eik bairey
se mil kar toilet ke darwaze mein eik suraakh karwa diya tha jismein
se kamare ka poora nazara dikhayee deta tha. jab sunita suhagraat mana
rahi thi to sara nazara anita toilet ke darwaze se dekhane lagi.
sunite ke hoton ko aur mammon ko choosane se lekar uski choot mein
lund jate huye sabhi kuchh anita aise dekh rahi thie jaise blue
picture dekh rahi ho aur saath saath apani choot par haath bhi pher
rahi thi kayon ke sunita ki chudayee ho rahi ho aur anita ki choot
mein khujali na ho aisa to ho hi nahin sakata tha. voh to na jane
kaise yeh bardast kar rahi thi ki sunita akele hi chudayee karawa rahi
hei nahi to uski marazi to yeh thi ke dono eikathe hi chudayee
karwayen gi chahe eik hi se chahe dono apane apane pati se lekin eik
hi kamare mein eik hi samay. lekin na to aisa hona mumkin tha na huya
lekin phir bhi anita dekh dekh kar maze le rahi thi. sunita ko
chodaney ke baad jab us ka pati so gaya to sunita toilet mein aa gayee
aur anita us ki jagah palang par ja kar leit gayee. palang par letane
se pehale us ne apane saare kapade utar diye the kayaon ki jab sunita
palang se uth kar aayee to voh nangi thi. uske pati ne use bilkul
nangi kar ke choda tha.
Anita ne apana munh sunita ke pati Rajeev ki aur kar liya
aur apane haath us ki chhati par ferane lagi. Rajeev ko pehali
chudaye ke baad jab khumari tooti to usne dekha ke sunita uski chhati
par haath pher rahi hei, iska matlab hei voh abhi aur chahati hei.
rajeev apana haath us ke mammon par rakh kar unhe dabane laga. anita
pehale se hi garam ho rahi thi sunita ki chudayee dekh kar isliye voh
bardasht na kar saki aur Rajeev se lipat gayee. rajeev ne apane hount
uske hounon par rakh diye aur unhe choosane laga. anita bhi bade josh
se uske hount choosane lagi. phir rajeev ne us ke mammon ko choosna
shuru kiya to anita ke liye rukana mushkil ho gaya lekin voh kar bhi
kaya sakati thie aaj to jo karana tha rajeev ko hi karana tha. voh to
bol bhi nahin sakati thi ke kahin bhed na khul jaye. jaladi hi rajeev
us ke upar aa gaya aur apana lund us ki choot par ragadane laga. anita
ki choot uchhalane lagi to rajeev ne apana lund us ki choot mein daal
diya. anita darad se tadaf uthi lekin apane ko roke rakha ke kahin
rajeev ko pata na chal jaye ke yeh sunita nahin anita hei. dheere
dheere darad kam hone laga aur maza aane laga. ab voh bhi uchhal
uchhal kar lund lene lagi. upar se rajeev dhakke maar raha tha neeche
se anita uchhal kar lund ko poora apane ander lene ki koshish kar rahi
thi. aadhe ghante ki mazedar chudayee ke baad rajeev bagal mein leit
gaya aur thodi der baad jab anita ko laga ke voh so gaya hei voh uth
kar toilet ke rasate apane kamare mein aa gayee jahan sunita uska
intazar kar rahi thi.
' le aayee maze suhagraat ke ab to naraaz nahin maine apana
vada nibhaya hei ab tujhe apana vada nibhana hei. achha yeh to bata
kaisa laga apane jija ka lund aur us ki chudayee.'
' yeh bhi koyee lund hei chhota sa aur chudayee to use karani
aati hi nahin.'
' tu to aise kah rahi hei jaise tune bade lund liye hain aur
chudayee ke maze liye hein.'
' are main to mazak kar rahi thi, bahut mazedar chudayee
karata hei tera rajeev aur lund to itana mota aur lamba hei ke meri to
darad ke mare cheekh nikalane wali thi. badi mushkil se apane aap ko
roka hei. ab tu jaladi se ja kahi tera voh jaag na jaye aur abhi tera
dil to bhara nahin hoga eik baar to aur legi.'
' ab tu le aaye hei aur use kaya bhaisa samajha hei ke
jitani bhains aage karate raho voh bechara upar chadata rahega, chahe
uska lund aadami ko pakad kar bhains ki choot mein daalana padata
hei.'
' ari bada darad aa raha hei eik baar hi to maine liya hei
aur voh bhi koyee jabardasati nahin ki main to ja kar saath mein leit
gayee thie usne hi mere hoton ka ras piya mere mammon ko choosa aur
meri choot mein apana mota gadhe jaisa lund dala.'
' voh tujhe bulane aaya tha khud hi to gayee thei yeh sab
karwane ke liye.'
' achha ab ja baaki baaten subhah raat ka kaam kar le pehale.'
Anita ja kar bister par leit gayee aur rajeev abhi soya huya
tha. voh us se lipat kar leit gayee lekin abhi uska dil kar raha tha
ke eik baar aur chudayee ka maza loon. subah hone se pehale rajeev ki
neend khuli to anita jag rahi thi. rajeev ne kaha ' kaya baat hei jag
rahi ho neend nahin aayee.'
'mujhe ghar ki yaad aa rahi thi aur aaj tak ghar se bahar
kahin soyee nahin isliye anjan jagah neend nahin aa rahi.'
Rajeev ne mere gaal ko chooma aur kehane laga 'ab to hamesha
mere saath hi sona hei isliye ghar ki yaad to bhulani hi padegi. aur
tujhe aaj mere saath sote huye bhi ghar ki yaad aa rahi hei iska
matlab hei tuje main pasand nahin.'
main rajeev se lipat gayee aur kaha ' nahin aisi baat nahin tum
to bade achhe ho lekin maa baap ki yaad to aye hi gi.' rajeev mere
lipatane se phir garam ho gaya us ka lund tan kar khada ho gaya. maine
use haath mein pakad liya aur kaha ' yeh bhi aaj so nahin raha ise kis
ki yaad aa rahi hei'.
' ise to apani choot ki yaad hi aaye gi aur kis ko yaad karega'
' to is ki koyee aur choot hei jis ki yaad kar raha hai.'
' nahin iski choot to yahan hi hei yeh tere hukum ka intazar kar raha hei'.
' pehali baar to mere se poochha nahin ab mere hukum ka intazaar hei.'
' tum ne munh se na ishare se jab tak hukum nahin kiya yeh choot
ke nazdeek bhi nahi gaya.'
' to ab kaya yeh mere munh se sunana chahata hei.'
' us samay to tu bol nahin rahi thie aur sharama rahi thi ab to
bol rahi hei'
' mein kuchh nahin kahun gi yeh to tumahre lund aur choot ki
marazi hei han main rokungi nahin.'
Aur phir rajeev ka lund meri choot mein chala gaya. meri choot
mein yeh doosari baar gaya tha jab ke choot mein yeh teesari baar gaya
tha.'
' rajeev eik baat batayo ke kaya tumne is se pehale kisi aur
ladaki se payar kiya hei.'
' han jitane ladako se tune kiya hei utani ladakiyon se maine
kiya hei. hisab kitab barabar, kuchh aur poochhana hei aaj hi poochh
lena dil mein kuchh mat rakhana.'
main soachane lagi ke rajeev ko aaj hi bata doon ke anita ne
tera lund le liya hei aur yeh meri marazi se huya hei kayon ke hum
dono ne vada kiya tha ke hum zindagi mein jo bhi khayengi ya lengi
eikathe karengi. lekin maine socha ke kahin yeh bura na maan jaye
isliye chup kar gayee. agale din jab hum ghoomne ke liye bazar gaye
to anita humein bazar mein mil gayee. rajeev ne use dekh kar bulaya
aur kehane laga ' anita tu yehan kaise'.
' kayon kaya main manali nahin aa sakati'
' nahin aisi baat nahin hei lekin tu bhi kaya honeymoon manane aayee hei'.
' han main bhi honeymoon mananey aayee hun, tumeh koyee eitraaz hei.'
' nahin humein koyee eitraaz nahin, lekin tu thehari kahan hei.'
uksne kaha Apasara hotel mein.
' hum bhi vahin thehare hei, room no 231 mein.'
' main room no 232 mein hun.'
' yeh to aur bhi achha hei eik hi hote mein aur voh bhi sath vale
kamare mein.'
hum teeno ne eik resturant par chaye pee aur hotel mein vapas aa
gaye. anita bhi hamare saath hamare kamare mein aa gayee aur gap shap
chalane lagi. rajeev ne kaha ' are tu keh rahi thi ke tu bhi honeymoon
manane aayee hei tera dulah kahan hei.'
' maine yeh kaha tha ke main bhi honeymoon manane aayee hun lekin
yeh nahin kaha ke apan honeymoon.'
' kisi aur ka honeymoon tu kaise manaye gi.'
' jaise begani shadi mein abdullah diwana ban kar nachate hei
khuhiyan manate hein'.
' to yeh kis ki shadi mein abdullah banane ayee hei'
kramashah....

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