Saturday, March 26, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ होली पे चुदाई --1

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
होली पे चुदाई --1


हाई फ्रेंड्स मैं राज शर्मा आपको फिर से एक घरेलू कहानी सुनाने जा रहा
हूँ. यह मेरी फ्रेंड सुनीता की कहानी है. वह आपको बताने जा रही
है की कैसे उसने अपनी सहेली और उसके बड़े भाई के साथ चुदवाया.
इस होली पर मम्मी पापा बाहर जा रहे थे. रीलेशन मैं एक डेत हो
गयी थी. माँ ने पड़ोस की आंटी को मेरा ध्यान रखने को कह दिया
था. आंटी ने कहा था कि आप लोग जाइए सुनीता का हम लोग ध्यान
रखेंगे. माँ ने हमे समझाया और फिर चली गयी. पड़ोस की आंटी की
एक लड़की थी मीना जो मेरी उमर की ही थी. वह मेरी बहुत फास्ट फ्रेंड
थी. वह बोली कि जब तक तुम्हारे मम्मी पापा नही आते तुम खाना
हमारे घर ही खाना.
मैं खाना और समय वही बिताती पर रात मैं सोती मीना के साथ
अपने घर पर ही थी. दो दिन हो गये और होली आ गयी. सुबह होते ही
मीना ने अपने घर चलने को कहा तो मैं रंग से बचने की लिए बहाने
करने लगी. मीना बोली, "मैं जानती हूँ तुम रंग से बचना चाहती हो.
नही आई तो मैं खुद आ जाउन्गी." "कसम से आउन्गि."
मैं जान गयी कि वह रंग लगाए बगैर नही मानेगी. मैने सोचा की
घर पर ही रहूंगी जब आएगी तू चली जाउन्गि. होली के लिए पुराने
कपड़े निकाल लिए थे. पुराने कपड़े छ्होटे थे. स्कर्ट और शर्ट पहन
लिया. शर्ट छ्होटी थी इसलिए बहुत कसी थी जिससे दोनो चूचियों
मुश्किल से सम्हल रही थी. बाहर होली का शोरगुल मच रहा था.
चड्डी भी पुरानी थी और कसी थी. कसे कपड़े पहनने मैं जो मज़ा
आ रहा था वह कभी शलवार समीज़ मैं नही आया. चलने मैं कसे
कपड़े चूचियों और चूत से रगड़ कर मज़ा दे रहे थे इसलिए मैं
इधर उधर चल फिर रही थी.
मैं अभी मीना के घर जाने को सोच ही रही थी कि मीना दरवाज़े को
ज़ोर ज़ोर से खटखटाते हुवे चिल्लाई, "अरी सुनीता की बच्ची जल्दी से
दरवाज़ा खोल." मैने जल्दी से दरवाज़ा खोला तो मीना के पीछे ही
उसका बड़ा भाई रमेश भी अंदर घुस आया. उसकी हथेली मैं रंग
था. अंदर आते ही रमेश ने कहा, "आज होली है बचोगी नही,
लगाउन्गा ज़रूर."
मीना बचने के लिए मेरे पीछे आई और बोली, "देखो भैया यह
ठीक नही है." मेरी समझ मैं नही आया कि क्या करूँ. रमेश
मेरे आगे आया तो ऐसा लगा की मीना के बजाय मेरे ही ना लगा दे. मैं
डरी तो वह हथेली रगड़ता बोला, "बिना लगाए जाउन्गा नही
मीना." "हाए राम भैया तुमको लड़कियों से रंग खेलते शरम नही
आती." "होली है बुरा ना मानो. लड़कियों को लगाने मैं ही तो मज़ा
है. तुम हटो आगे से सुनीता नही तो तुमको भी लगा दूँगा." मैं डर
से किनारे थी. तभी रमेश ने मीना को बाँहों मैं भरा और हथेली
को उसके गाल पर लगा रंग लगाने लगा. मीना पूरी तरह रमेश की
पकड़ मैं थी. वह बोली, "हाए भैया अब छ्चोड़ो ना." "अभी कहाँ
मेरी जान अभी तो असली जगह लगाना बाकी ही है." और वह पीछे से
चिपक मीना की दोनो चूचियों को मसल उसकी गांद को अपने लंड पर
दबाने लगा.
"हाए भैया." चूचियों दबाने पर मीना बोली तो रमेश मेरी ओर
देख अपनी बहन की दोनो चूचियों को दबाता बोला, "बुरा ना मानो होली
है." मीना की मसली जा रही चूचियों को देख मैं अपने आप कसमसा
उठी. चूचियों को अपने भाई के हाथ मैं दे मीना की उछल कूद कम
हो गयी थी. रमेश उसकी दोनो चूचियों को कसकर दबाते हुवे उसकी
गांद को अपनी रानो पर उठता जा रहा था.
"हाए भैया फ्रॉक फट जाएगी." "फटत जाने दो. नयी ला दूँगा." और
अपनी बहन के दोनो अमरूद दबाने लगा. इस तरह की होली देख मुझे
अजीब लगा. मैं समझ गयी कि रमेश रंग लगाने के बहाने मीना की
चूचियों का मज़ा ले रहा है. "हाए अब छ्होरो ना." मीना ने मेरी ओर
देखते कहा तो मुझे मीना मैं एक बदलाव लगा. तभी रमेश उसकी गोल
गोल चूचियों को दबाते हुवे बोला. "हाए इस साल होली का मज़ा आ
रहा है. हाए मीना अब तो पूरा रंग लगाकर ही छोड़ूँगा." और पूरी
चूचियों को मुट्ठी मैं दबा बेताबी से दबाने लगा. मैने देखा की
रमेश का चेहरा लाल हो गया था. अब मीना विरोध नही कर रही थी
और वह मेरे सामने ही अपनी बहन को रंग लगाने के बहाने उसकी
चूचियाँ दबा रहा था. इस सीन को देख मेरे मन मैं अजीब सी
उलझन हुई. मेरी और मीना की चूचियों मैं थोड़ा सा फ़र्क था. मेरी
मीना से ज़रा छ्होटी थी. सहेली की दबाई जा रही चूचियों को देख
मेरी चूचियाँ भी गुदगुदाने लगी और लगा कि रमेश मेरी भी रंग
लगाने के बहाने दबाएगा. मीना को वह अपने बदन से कसकर चिपकाए
था.
"हाए छोड़ो भैया सहेली क्या सोचेगी." मीना चूचियों को फ्रॉक के
उपर से दब्वाती मेरी ओर देख बोली तो रमेश उसी तरह करते हुवे
मेरी ओर देखता बोला, "सहेली क्या कहेगी. उसके पास भी तो हैं.
कहेगी तो उसको भी रंग लगा दूँगा." मेरी हालत यह सब देख खराब
हो गयी थी. मैने सोचा की कही रमेश अपनी बहन को रंग लगाने के
बहाने यही चोदने ना लगे. समझ मैं नही आ रहा था कि क्या
करूँ. मुझे लगा कि वह अपनी बहन को चोदने को तैय्यार है. मीना
के हाव भाव और खामोश रहने से ऐसा लग रहा था कि उसे भी मज़ा
मिल रहा है. मैं जानती थी की चूचियाँ दबवाने और चूत चुदवाने
से लड़कियों को मज़ा आता है. मुझे दोनो भाई बहन का खेल देखने
मैं अच्छा लगा. मेरे अंदर भी वासना जागी.
तभी मीना ने नखरे दिखाते हुवे कहा, "हाए भैया फाड़ दोगे
क्या?" "क़ायदे से लगवाएगी तो नही फाड़ुँगा. मेरी जान बस एक बार
दिखा दो." और रमेश ने दोनो चूचियों को दबाते हुवे उसके चूतड़
को अपनी रान पर उभारा. "अच्छा बाबा ठीक है. छोड़ो,
लगवाउंगी." "इतना तडपा रही हो जैसे केवल मुझे ही आएगा होली का
मज़ा. आज तो बिना देखे नही रहूँगा चाहे तुम मेरी शिकायत कर दो."
फिर मीना मेरी ओर देख बोली, "दरवाज़ा बंद कर दो सुनीता मानेगा नही."
मीना की आवाज़ भारी हो रही थी. चेहरा भी तमतमा रहा था. रमेश
ने देखने की बात कर मेरे बदन मैं सनसनी दौड़ा दी थी. मेरी
चूत भी चुनचुनाने लगी थी. तभी रमेश उसकी चूचियों को
सहलाकर बोला, "बंद कर दो आज अपनी सहेली के साथ मेरी होली मन
जाने दो." रमेश की बात ने मेरे बदन के रोए गंगना दिए. मैने
धीरे से दरवाज़ा बंद कर दिया. जैसे ही दरवाज़ा बंद किया, रमेश
उसको छोड़ आँगन मे चला गया. उसके जाते ही अपनी सिकुड़ी हुई
फ्रॉक ठीक करती मीना मेरे पास आ बोली, "सुनीता किसी से बताना
नही. भैया मानेगे नही. देखा मेरी चूचियों को कैसे ज़ोर ज़ोर से
दबा रहे थे." उसका बदन गरम था. मैं गुदगुदाते मंन से
बोली, "हाए मीना तू चुदवायेगि क्या?" मीना मेरी चूचियों को दबाती
मेरे बदन मैं करेंट दौड़ा बोली, "बिना चोदे मानेगा नही. कहना
नही किसी से." "पर वह तो तुम्हारा बड़ा भाई है.?" "तो क्या हुवा. हम
दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं." "ठीक है नही
कहूँगी." "हाए सुनीता तुम कितनी अच्छी सहेली हो." और मीना मेरी दोनो
चूचियों को छ्चोड़ मुस्कराती हुई अंगड़ाई लेने लगी.
हर साँस के साथ मेरी चूचियों और चूत का वोल्टेज इनक्रीस हो
रहा था. रमेश अभी तक आँगन मैं ही था. मीना की दबाई गयी
चूचियाँ मेरी चूचियों से ज़्यादा तेज़ी से हाँफ रही थी. उसकी
फ्रॉक बहुत टाइट थी इसलिए दोनो निपल उभरे थे. अब मेरी कसी
चड्डी और मज़ा दे रही थी. मैं होली की इस रंगीन बहार के बारे
मैं सोच ही रही थी कि मीना मुस्करती हुई बोली, "सुनीता तुम्हारी
वजह से आज हमको बहुत मज़ा आएगा." "बुला लो ना अपने भैया
को." "पेशाब करने गया होगा. देखा था मेरी चूचियों को मीस्थे ही
भैया का फंफना गया था. हाए भैया का बहुत तगड़ा है. पूरे 8
इंच लंबा लंड है भैया का." मस्ती से भरी मीना ने हाथ से अपने
भाई के लंड का साइज़ बनाया तू मुझे और भी मज़ा आया. अब खुला था
की सहेली अपने भाई से चुदवाने को बेचैन है.
"हाए मीना मुझे तो नाम से डर लगता है. कैसे चोद्ते हैं." अब
मेरे बदन मैं भी चीटियाँ चल रही थी. "बड़ा मज़ा आता है.
डरने की कोई बात नही फिर अब तो हम लोग जवान हो गये हैं. तू कहे
तो भैया से तेरे लिए बात करूँ. मौका अच्छा है. घर खाली ही
है. तुम्हारे घर मैं ही भैया से मज़ा लिया जाएगा. जानती है लड़को
से ज़्यादा मज़ा लड़कियों को आता है. हाए मैं तो डब्वाते ही मस्त हो
गयी थी." मीना ऐसी बाते करने मैं ज़रा भी नही शर्मा रही थी.
उसके मुँह से चुदाई की बात सुन मेरी चूत दुप्दुपने लगी. मेरा मंन
भी मीना के साथ उसके भाई से मज़ा लेने को करने लगा. मीना की बात
सही थी कि घर खाली है किसी को पता नही चलेगा. मैं मीना को
दिल की बात बताने मैं शर्मा रही थी. तभी मीना ने अपनी दोनो
चूचियों को अपने हाथ से दबाते हुवे कहा, "अपने हाथ से दबाने
मैं ज़रा भी मज़ा नही आता. तुम दबाओ तो देखें."
मैने फ़ौरन उसकी दोनो चूचियों को फ्रॉक के ऊपर से पकड़ कर
दबाया तो मुझे बहुत मज़ा आया पर सहेली बुरा सा मुँह बनाती
बोली, "छोड़ो सुनीता मज़ा लड़के से दबवाने मैं ही आता है. तुमने
डबवाया है किसी से?" "नही मीना." मैं उसकी चूचियों को छ्चोड़ बोली
तो मीना मेरे गाल मसल बोली, "तो आज मेरे साथ मेरे भैया से मज़ा
लेकर देख ना. मेरी उमर की ही हो. तुम्हारी भी चुदवाने लायक होगी.
हाए सुनीता तुम्हारी तो खूब गोरी गोरी मक्खन सी होगी. मेरी तो
सावली है." मीना की इस बात से पूरे बदन मैं करेंट दौड़ा. मीना
ने मेरे दिल की बात कही थी. मैं मीना से हर तरह से खूबसूरत
थी. वह साधारण सी थी पर मैं गोरी और खूबसूरत.

मैने सोचा
जब रमेश अपनी इस बहन को चोदने को तैय्यार है तो मेरी जैसी
गदराई कुँवारी खूबसूरत लौंडिया को तो वह बहुत प्यार से चोदेगा.
"हाए मीना मुझे डर लग रहा है." "पगली मौका अच्छा हैं मेरा
भैया एक नंबर का लौंडियबाज़ है. भैया के साथ हम लोगो को
खूब मज़ा आएगा. भैया का लंड खूब तगड़ा है और सबसे बड़ी बात
यह है कि आराम से तुम्हारे घर मैं मज़ा लेंगे." मीना की बात सुन
फुदक्ति चूत को चिकनी रानो के बीच दबा रज़ामंद हुई तो मीना
मेरी एक चूची पकड़ दबाती बोली, "पहले तो हमको ही चोदेगा. कहो
तो तुमको भी…." मैं शरमाती सी होली की मस्ती मैं राज़ी हुई तो वह
बाहर रमेश के पास गयी. कुच्छ देर बाद वह रमेश के साथ वापस
आई तो उसका भाई रमेश मेरे उठानो को देखता अपनी छ्होटी बहन मीना
की बगल मैं हाथ डाल उसकी चूचियों को मीस्था बोला, "ठीक है
मीना हम तुम्हारी सहेली को भी मज़ा देंगे पर इसकी चूचियाँ तो अभी
छ्होटी लग रही हैं."
"कभी दबवाती नही है ना भैया इसीलिए." मीना प्यार से अपने भाई
से चूचियों को मीसवाते बोली. "ठीक है हम सुनीता को भी खुश कर
देंगे पर पहले तुम प्यार से मेरे साथ होली मनाओ. अब ज़रा दिखाओ
तो." रमेश मस्ती के मीना की चूत पर आगे से हाथ लगा मस्त नज़रो
से मेरी ओर देखते बोला तो मैने कुंवारेपन की गर्मी से बैचैन हो
मीना को कहते सुना, "यार कितनी बार देखोगे. जैसी सबकी होती है
वैसे मेरी है. अब सहेली राज़ी है तो आराम से खेलो होली."
"हाए मीना क्या मस्त चूचियाँ हैं तुम्हारी. ऐसी चूची पा जाए तो
बस दिन भर दबाते रहे." और कसकर अपनी बहन की चूचियों को
दबाने लगा. मीना और उसके भाई की इन हरकतों से मेरे बहके मंन पर
अजीब सा असर हो रहा था. अब तो मंन कर रहा था कि रमेश से कहें
आओ मेरी भी दबाओ. मेरी मीना से ज़्यादा मज़ा देंगी इतना ताव कुंवारे
बदन मैं आज से पहले कभी नही आया था. चूत फ़न फ़ना कर
चड्डी मैं उभर आई थी. जैसे जैसे वह मीना की
जवानियों को सहलाता जा रहा था वैसे वैसे मेरी तड़प बढ़ती जा
रही थी. दोस्तो आगे की कहानी अगले पार्ट मे आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........


Holi pe Chudai --1


Hi friends Main raj sharma  aapko fir se ek gharelu kahani sunane ja raha
hoon. Yeh meri friend Sunita ki kahani hai. Wah aapko batane jaa rahi
hai ki kaise usne apni saheli aur uske bade bhai ke saath chudwaya.
Is holi par mummy papa bahar ja rahe the. Relation main ek death ho
gayi thi. Maan ne pados ki aunty ko mera dhyaan rakhne ko kah diya
tha. Aunty ne kaha tha ki aap log jaiye Sunita ka ham log dhyan
rakhenge. Maan ne hame samjhaya aur fir chali gayi. Pados ki aunty ki
ek ladki thi Mina jo meri umar ki hi thi. Wah meri bahut fast friend
thi. Wah boli ki jab tak tumhare mummy papa nahi aate tum khana
hamare ghar hi khana.
Main khana aur samay wahi bitati par raat main soti Mina ke saath
apne ghar par hi thi. Do din ho gaye aur holi aa gayi. Subah hote hi
Mina ne apne ghar chalne ko kaha tu main rang se bachne ki liye bahan
karne lagi. Mina boli, "main janti hoon tum rang se bachna chahti ho.
Nahi aayi tu main khud aa jaongi." "kasam se aaongi."
Main jaan gayi ki wah rang lagaye bagair nahi manegi. Maine socha ki
ghar par hi rahongi jab ayegi tu chali jaongi. Holi ke liye purane
kapde nikal liye the. Purane kapde chhote the. Skirt aur shirt pahan
liya. Shirt chhoti thi isliye bahut kasi thi jisse dono choochiyon
mushkil se samhal rahi thi. Bahar holi ka shorgul mach raha tha.
Chaddi bhi purani thi aur kasi thi. Kase kapde pahanne main jo maza
aa raha tha wah kabhi shalwar sameez main nahi aaya. Chalne main kase
kapde choochiyon aur choot se ragad kar maza de rahe the isliye main
idhar udhar chal fir rahi thi.
Main abhi Mina ke ghar jane ko soch hi rahi thi ki Mina darwaze ko
zor zor se khatkhatate huwe chillayi, "ari Sunita ki bachchi jaldi se
darwaza khol." Maine jaldi se darwaza khola tu Mina ke peechhe hi
uska bada bhai Ramesh bhi andar ghus aaya. Uski hatheli main rang
tha. Andar aate hi Ramesh ne kaha, "aaj holi hai bachogi nahi,
lagaunga zaroor."
Mina bachne ke liye mere peechhe aayi aur boli, "dekho bhayya yah
thhek nahi hai." Meri samajh main nahi aaya ki kya karoon. Ramesh
mere aage aaya tu aisa laga ki Mina ke bajay mere hi na laga de. Main
dari tu wah hatheli ragadta bola, "bina lagaye jaunga nahi
Mina." "haye ram bhayya tumko ladkiyon se rang khelte sharam nahi
aati." "holi hai bura na mano. Ladkiyon ko lagane main hi tu maza
hai. Tum hato aage se Sunita nahi tu tumko bhi laga dunga." Main darr
se kinare thi. Tabhi Ramesh ne Mina ko baanhon main bhara aur hatheli
ko uske gaal par laga rang lagane laga. Mina poori tarah Ramesh ki
pakad main thi. Wah boli, "haye bhayya ab chhodo na." "abhi kahan
meri jaan abhi tu asli jagah lagana baki hi hai." Aur wah peechhe se
chipak Mina ki dono choochiyon ko masal uski gaan ko apne lund par
dabane laga.
"haye bhayya." Choochiyon dabane par Mina boli tu Ramesh meri oor
dekh apni bahan ki dono choochiyon ko dabata bola, "bura na mano holi
hai." Mina ki masli ja rahi choochiyon ko dekh main apne aap kasmasa
uthi. Choochiyon ko apne bhai ke haath main de Mina ki uchal kood kam
ho gayi thi. Ramesh uski dono choochiyon ko kaskar dabate huwe uski
gaand ko apni raano par uthata ja raha tha.
"haye bhayya frock fatt jayegi." "fatt jane do. Nayi laa dunga." Aur
apni bahen ke dono amrood dabane laga. Is tarah ki holi dekh mujhe
ajib laga. Main samajh gayi ki Ramesh rang lagane ke bahane Mina ki
choochiyon ka maza le raha hai. "haye ab chhoro na." Mina ne meri oor
dekhte kaha tu mujhe Mina main ek badlaw laga. Tabhi Ramesh uski gol
gol choochiyon ko dabate huwe bola. "haye is saal holi ka maza aa
raha hai. Haye Mina ab tu poora rang lagakar hi choorunga." Aur poori
choochiyon ko muthhi main daba betabi se dabane laga. Maine dekha ki
Ramesh ka chehra laal ho gaya tha. Ab Mina virodh nahi kar rahi thi
aur wah mere saamne hi apni bahan ko rang lagane ke bahane uski
choochiyan daba raha tha. Is scene ko dekh mere mann main ajib si
uljhan huyi. Meri aur Mina ki choochiyon main thoda sa fark tha. Meri
Mina se zara chhoti thi. Saheli ki dabayi ja rahi choochiyon ko dekh
meri choochiyan bhi gudgudane lagi aur laga ki Ramesh meri bhi rang
lagane ke bahane dabayega. Mina ko wah apne badan se kaskar chipkaye
tha.
"haye chhoro bhayya saheli kya sochegi." Mina choochiyon ko frock ke
upar se dabwati meri oor dekh boli tu Ramesh usi tarah karte huwe
meri oor dekhta bola, "saheli kya kahegi. Uske paas bhi tu hain.
Kahegi tu usko bhi rang laga dunga." Meri halat yah sab dekh kharab
ho gayi thi. Maine socha ki kahi Ramesh apni bahan ko rang lagane ke
bahane yahi chodne na lage. Samajh main nahi aa raha tha ki kya
karoon. Mujhe laga ki wah apni bahan ko chodne ko taiyyar hai. Mina
ke haaw bhaaw aur khamosh rahne se aisa lag raha tha ki use bhi maza
mil raha hai. Main janti thi ki choochiyan dabwane aur choot chudwane
se ladkiyon ko maza aata hai. Mujhe dono bhai bahan ke khel dekhne
main achha laga. Mere andar bhi wasna jaagi.
Tabhi Mina ne nakhre dikhate huwe kaha, "haye bhayya faad doge
kya?" "kayde se lagwaogi tu nahi faadenge. Meri jaan bas ek baar
dikha do." Aur Ramesh ne dono choochiyon ko dabate huwe uske chutad
ko apni raan par ubhara. "achha baba theek hai. Chhoro,
lagwaungi." "itna tadpa rahi ho jaise kewal mujhe hi ayega holi ka
maza. Aaj tu bina dekhe nahi rahunga chahe tum meri shikayat kar do."
Fir Mina meri oor dekh boli, "darwaza band kar do Sunita manega nahi."
Mina ki aawaz bhari ho rahi thi. Chehra bhi tamtama raha tha. Ramesh
ne dekhne ki baat kar mere badan main sansani dauda di thi. Meri
choot bhi chunchunane lagi thi. Tahi Ramesh uski choochiyon ko
sahlakar bola, "band kar do aaj apni saheli ke saath meri holi man
jane do." Ramesh ki baat ne mere badan ke roye gangana diye. Maine
dheere se darwaza band kar diya. Jaise hi darwaza band kiya, Ramesh
usko chhor aangan main chala gaya. Uske jaate hi apni sikudi huyi
frock theek karti Mina mere paas aa boli, "Sunita kisi se batana
nahi. Bhayya manege nahi. Dekha meri choochiyon ko kaise zor zor se
daba rahe the." Uska badan garam tha. Main gudgudate mann se
boli, "haye Mina tum chudwaogi kya?" Mina meri choochiyon ko dabati
mere badan main current dauda boli, "bina chode manega nahi. Kahna
nahi kisi se." "par wah tu tumhara bada bhai hai.?" "tu kya huwa. Ham
dono ek doosre se bahut pyar karte hain." "theek hai nahi
kahungi." "haye Sunita tum kitni achhi saheli ho." Aur Mina meri dono
choochiyon ko chhod muskarati huyi angdayi lene lagi.
Har saan ke saath meri choochiyon aur choot ka voltage increase ho
raha tha. Ramesh abhi tak aangan main hi tha. Mina ki dabayi gayi
choochiyan meri choochiyon se zyada tezi se haanf rahi thi. Uski
frock bahut tight thi isliye dono nipple ubhre the. Ab meri kasi
chaddi aur maza de rahi thi. Main holi ki is rangeen bahar ke bare
main soch hi rahi thi ki Mina muskarati huyi boli, "Sunita tumhari
wajah se aaj hamko bahut maza ayega." "bula lo na apne bhayya
ko." "peshab karne gaya hoga. Dekha tha meri choochiyon ko meeste hi
bhayya ka fanfana gaya tha. Haye bhayya ka bahut tagda hai. Poore 8
inch lamba lund hai bhayya ka." Masti se bhari Mina ne haath se apne
bhai ke lund ka size banaya tu mujhe aur bhi maza aaya. Ab khula tha
ki saheli apne bhai se chudwane ko bechain hai.
"haye Mina mujhe tu naam se darr lagta hai. Kaise chodte hain." Ab
mere badan main bhi cheetiyan chal rahi thi. "bada maza aata hai.
Darne ki koi baat nahi fir ab tu ham log jawan ho gaye hain. Tu kahe
tu bhayya se tere liye baat karoon. Mauka achha hai. Ghar khali hi
hai. Tumhare ghar main hi bhayya se maza liya jayega. Janti hai ladko
se zyada maza ladkiyon ko aata hai. Haye main tu dabwate hi mast ho
gayi thi." Mina aisi baate karne main zara bhi nahi Sharma rahi thi.
Uske munh se chudai ki baat sun meri choot dupdupane lagi. Mera mann
bhi Mina ke saath uske bhai se maza lene ko karne laga. Mina ki baat
sahi thi ki ghar khali hai kisi ko pata nahi chalega. Main Mina ko
dil ki baat batane main Sharma rahi thi. Tabhi Mina ne apni dono
choochiyon ko apne haath se dabate huwe kaha, "apne haath se dabane
main zara bhi maza nahi aata. Tum dabao tu dekhen."
Maine fauran uski dono choochiyon ko frock ke oopar se pakad kar
dabaya tu mujhe bahut maza aaya par saheli bura sa munh banati
boli, "chhoro Sunita maza ladke se dabwane main hi aata hai. Tumne
dabwaya hai kisi se?" "nahi Mina." Main uski choochiyon ko chhod boli
tu Mina mere gaal masal boli, "tu aaj mere saath mere bhayya se maza
lekar dekho na. Meri umar ki hi ho. Tumhari bhi chudwane layak hogi.
Haye Sunita tumhari tu khoob gori gori makhkhan si hogi. Meri tu
saawli hai." Mina ki is baat se poore badan main current dauda. Mina
ne mere dil ki baat kahi thi. Main Mina se har tarah se khoobsurat
thi. Wah sadharan si thi par main gori aur khoobsurat.

Maine socha
jab Ramesh apni is bahan ko chodne ko taiyyar hai tu meri jaisi
gadrayi kunwari khoobsurat laundiya ko tu wah bahut pyar se chodega.
"haye Mina mujhe darr lag raha hai." "pagli mauka achha hain mere
bhayya ek number ka laundiyabaz hai. Bhayya ke saath ham logo ko
khoob maza aayega. Bhayya ka lund khoob tagda hai aur sabse badi baat
yah hai ki aaram se tumhare ghar main maza lenge." Mina ki baat sun
fudakti choot ko chikni raano ke beech daba razamand huyi tu Mina
meri ek choochi pakad dabati boli, "pahle tu hamko hi chodega. Kaho
tu tumko bhi…." Main sharmati si holi ki masti main razi huyi tu wah
bahar Ramesh ke paas gayi. Kuchh der baad wah Ramesh ke saath wapas
aayi tu uska bhai Ramesh mere uthano ko dekhta apni chhoti bahan Mina
ki bagal main haath dal uski choochiyon ko meesta bola, "theek hai
Mina ham tumhari saheli ko bhi maza denge par iski choochiyan tu abhi
chhoti lag rahi hain."
"kabhi dabwati nahi hai na bhayya isiliye." Mina pyaar se apne bhai
se choochiyon ko miswate boli. "theek hai ham Sunita ko bhi khush kar
denge par pahle tum pyar se mere saath holi manao. Ab zara dikhao
tu." Ramesh masti ke Mina ki choot par age se haath laga mast nazro
se meri oor dekhte bola tu maine kunwarepan ki garmi se baichain ho
Mina ko kahte suna, "yaar kitni baar dekhoge. Jaisi sabki hoti hai
waise meri hai. Ab saheli razi hai tu aaram se khelo holi."
"haye Mina kya mast choochiyan hain tumhari. Aisi choochi pa jaye tu
bas din bhar dabate rahe." Aur kaskar apni bahan ki choochiyon ko
dabane laga. Mina aur uske bhai ki in harkaton se mere bahke mann par
ajeeb sa asar ho raha tha. Ab tu mann kar raha tha ki Ramesh se kahen
aao meri bhi dabao. Meri Mina se zyada maza dengi itna taaw kunware
badan main aaj se pahle kabhi nahi aaya tha. Choot ki phaan
phanphanakar chaddi main ubhar ayi thi. Jaise jaise wah Mina ki
jawaniyon ko sahlata ja raha tha waise waise meri tadap barhti ja
rahi thi.
kramashah.........


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