Monday, March 28, 2011

देखने-पढ़ने से मन नहीं भरता अब-3

देखने-पढ़ने से मन नहीं भरता अब-3

प्रेषक : मुन्ना भाई एम बी ए
लखनऊ 2-7-2010, समय: 9-30 शाम
आज सुबह मैं जल्दी ही तैयार हो गया, बाइक बाहर निकाली और किरण को बुलाने
के लिए उसके घर की घंटी बजा दी। वो तैयार ही थी, तुरन्त बाहर आ गई और साथ
में राधा भाभी भी ऑफिस के लिए तैयार हो कर आ गई।
भाभी मुझसे बोली- मुझे देर हो रही है, मैं ऑफिस जा रही हूँ, मैंने कोचिंग
की फीस किरण को दे दी है।
यह कहते हुए अपनी स्कूटी स्टार्ट की और चली गई। मैंने भी अपनी बाइक
स्टार्ट की और किरण को बैठाकर चल दिया। किरण बाइक पर क्रास-लेग बैठी,
रास्ते में उसकी बड़ी-2 चूचियाँ मेरी पीठ को कभी-2 छू जाती थी, खैर मैंने
कोई खास ध्यान न देते हुए कोचिंग पहुँच कर उसका एड्मीशन करा दिया और वापस
घर छोड़ दिया। और उसके बाद अपने ऑफिस चला आया।
ऑफिस में आज कोई खास काम नहीं था, मैं अपने पाठक दोस्तों से जो ऑन लाइन
थे उनसे चैट करने लगा, खास तैर से रीमा से, उसके साथ मैं तकरीबन पिछले एक
महीने से रोज चैटिंग कर रहा था। हालांकि मेरी और उसकी उम्र में काफी
अन्तर था, वो 20-21 की और मैं 35 का, लेकिन मेरी उम्र से उसको कोई एतराज
नहीं था बल्कि वो और ज्यादा अपने को मेरे साथ सुरक्षित महसूस करती है,
उसका मानना है कि आदमी की परिपक्वता उसको अधिक रोमैन्टिक और सेक्स में
अनुभवी बनाती है और खास तौर से लड़की की निजता और सुरक्षा दोनों ही बनी
रहती हैं, इससे ज्यादा किसी लड़की को अपने यौन जीवन में और क्या चाहिए।
यह बात उसने तब कही थी जब मैंने अपनी पहली फोटो उसको भेजी थी। उसके बाद
तो उससे मेरी बहुत अच्छी दोस्ती और अन्डरस्टैन्डिंग हो गई थी, उससे सभी
तरह की चुदाई की बातें होती रहती थी। हम लोगों ने कई बार ऑन लाइन चुदाई
का मजा भी लिया था, तब भी हम लोग इसी तरह की बात कर रहे थे।
वो कह रही थी कि देखने-पढ़ने से मन नहीं भरता, अब कुछ करने का मन करता है।
तो मैंने उससे कहा- आज मौसम बहुत बेईमान है, बादल घिरे हैं, हल्की हल्की
बरिश की फुहार पड़ रही है, मेरा मन बहुत रोमान्टिक हो रहा है, तुम थोड़ा
मेरे पास आओ ना प्लीज़ !
वो बोली- अच्छा लो, मैं तुम्हारे पास आ गई।
मैंने कहा- इस हसीन मौसम में तुम बहुत रुमानी लग रही हो।
उसने कहा- जनाब आप का इरादा क्या है, मैं भी तो जानूँ?
मैंने कहा- मेरा दिल यह कह रहा है कि मैं तुम्हारी इन काली घटाओं जैसी
ज़ुल्फों में खो जाऊं और तुम मेरी बाहों में समा जाओ और फ़िर हम दोनों दूर,
इन बादलों के पार, प्यार के सागर में डूब जाएँ।
रीमा बोली- लो, मैं आपके ऑफिस आ गई और अब मैं तुम्हारी बाहों में हूँ !
फ़िर मैंने अपने होंठ उसके दहकते होठों पर रख दिये। वो मेरे से लिपट गई,
मैंने उसे अपने आगोश में ले लिया और उसकी जुल्फों पर हाथ फेरने लगा।
वो अपनी नाजुक उंगलियों से मेरे बालों को सहलाने लगी, फिर वो अपनी रसीली
जुबान मेरे मुँह के अन्दर डाल दी, मैंने भी उसका जवाब अपनी जुबान को उसके
मुँह में डाल कर दिया। रसीले चुम्बन का दृश्य लगभग 8 मिनट तक खड़े खड़े
चलता रहा। फिर हम लोग उसी दशा में थोड़ा सा चल कर सोफे पर एक साथ बैठ गए।
अब हम लोगों के हाथ प्यार से एक दूसरे की पीठ सहला रहे थे।
करीब 5 मिनट के बाद वो मेरे से अलग हुई। मैंने देखा कि उसके होठों की
लिपस्टिक अपने होठों और जुबान से मैं साफ कर चुका था। फिर उसने अपने
हाथों से अपने होठों को पौंछा और फिर मेरी आँखों में बड़े प्यार से
मुस्करा कर देखने लगी और बोली- मुझे नहीं पता था कि आप इतने रोमैन्टिक है
! नहीं तो मैं बहुत पहले आपके पास आ जाती।
इस पर मैंने प्यार से कहा- अरे मेरी अनारकली, यह तो सिर्फ खूबसूरत
मुहब्बत की शुरुआत है, अभी तो जन्नत की सैर बाकी है।
इस पर उसने अपनी निगाहें झुका कर अपनी चूचियों की तरफ कर ली, और अपना
बायां हाथ मेरी दाहिनी जांघ पर रख कर बोली- यह क़नीज़ आपकी तब से दीवानी है
जब से आपने मुझे वीर्य निकलते हुए अपने लण्ड की फोटो मेल की थी। तब से
मेरी यही ख़्वाहिश थी कि मैं आपके लण्ड को चूस-चूस कर उसके रस को पीकर मैं
निहाल हो जाऊं, ताकि ज़िन्दगी भर उसी के नशे में डूबी रहूँ।
मैंने कहा- बस इतनी सी बात? लो, मैं अभी पूरी किए देता हूँ !
और मैं उसके सामने खड़ा हो गया और कहा- तुम खुद मेरी पैन्ट खोल कर अपनी
ख़्वाहिश पूरी कर लो।
वो बोली- धत्त ! आप भी ना !
तो मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर अपनी जीन्स के बटन पर रख दिया और
कहा- इसे खोलो ! और मेरे लण्ड को बाहर निकालो।
फिर उसने शरमाते हुऐ मेरी जीन्स को खोला और उसे नीचे कर दिया। स्प्रिंग
की तरह मेरा खड़ा लण्ड ठीक उसके मुँह के सामने आ गया क्योंकि मैं
अन्डरवियर पहनता ही नहीं हूँ,।अपने सामने मेरा खड़ा लण्ड देखते ही बोली-
माई गॉड ! यह तो फोटो से भी बड़ा है।
फिर उसने अपने दाहिने हाथ से मेरे लण्ड को झिझकते हुए पकड़ लिया और धीरे
से लण्ड की अग्र-त्वचा को थोड़ा नीचे किया, इससे गुलाबी सुपारा बाहर आ गया
और उसको देखते ही उसके मुँह से अनायास ही निकल गया- आई लव दिस पिंक
लॉलीपॉप।
मैंने तुरन्त कहा- लॉलीपॉप तो चूसने के लिए होता है !
इस पर उसने बड़े प्यार से मुस्कराते हुए मेरी आँखों में आँखें डाल कर
देखते हुए हौले से गुलाबी सुपारा अपने मुँह में ले लिया और हल्के-2 अपनी
जबान फिराने लगी।
और मैं थोड़ा झुक कर कुर्ते के बाहर से ही उसकी चूचियों को सहलाने लगा।
धीरे धीरे वो उत्तेजित होने लगी और वह मेरे लण्ड को अपने मुँह के और
अन्दर ले कर कस कर चूसने लगी। फिर मैंने उसके कुर्ते के गले से अपने
दोनों हाथ अन्दर डाल दिये और उसकी चूचियों को दबाने लगा और दबाते दबाते
चूचियों की घुन्डी को अपनी उंगलियों से मीसने लगा।
उसके मुँह से अचानक उह्ह्ह आह्ह्ह्ह की आवाज निकलने लगी और फिर उसने अपना
बाएँ हाथ से सलवार के ऊपर से ही बुर को सहलाने लगी। इधर मेरा लण्ड और तन
गया तो मैं उसके मुँह को ही धीरे धीरे चोदने लगा, और साथ ही अपनी शर्ट और
बनियान उतार दी।
अब मैं पूरा नंगा था, उधर रीमा काफी उत्तेजित हो चुकी थी, उसकी बुर के
सामने की सलवार पूरी गीली हो चुकी थी और मैं लगातार उसके मुँह को चोदे जा
रहा था। उसके मुँह से उह्ह्ह आह्ह्ह्ह की घुटी-घुटी सी आवाजें और तेज
निकलने लगी।
मैंने रीमा की दोनों चूचियाँ कस कर पकड़ते हुए कहा- मैं झड़ने वाला हूँ !
यह सुन कर वो मेरे लण्ड को और कस कर चूसने लगी। इतने में मेरा माल निकलने
लगा और वो पूरा का पूरा पीती चली गई। जब पूरा वीर्य चट कर चुकी, फिर उसने
अपने मुँह से मेरे लण्ड को अलग किया।
मैंने उससे पूछा- कैसा लगा मेरा रस?
वो बोली- इट वाज़ वेरी डिलीशियश ! मजा आ गया।
फिर मैंने उससे कहा- खड़ी हो जाओ।
वो खड़ी हो गई, मैंने उसका कुर्ता उतारा, फिर ब्रा, फिर सलवार उतारी। उसने
पैन्टी नहीं पहनी हुई थी, वो गजब की माल लग रही थी। उसकी बड़ी-बड़ी
चूचियाँ, पतली कमर और बगैर बाल की बुर तो कमाल की लग रही थी। खुद को नंगा
देखकर वो कुछ शरमाने लगी और अपनी बुर पर हाथ रख लिया और मुझसे बोली- मुझे
शर्म आ रही है !
मैंने कहा- ओह्ह, अभी मैं तुम्हारी पूरी शर्म दूर किए देता हूँ ! पहले
तुम बैठ जाओ !
तो वो सोफे पर अपनी बुर को हाथों से ढक कर बैठ गई।
मैंने उससे कहा- तुम कॉफी लोगी या कोल्ड ड्रिंक?
वो बोली- कुछ नहीं ! अभी तो मैंने लण्डजूस पिया है ! कोई और ड्रिंक से
अपने मुँह का स्वाद खराब नहीं करना चाहती हूँ।
मैंने कहा- ओ के, रीमा जी ! लेकिन इस नाचीज़ को आप अपने बुर-रस से कब
नवाज़ेंगी? मुझे भी तो स्वाद लेने का मौका दीजिए।
इस पर वो बोली- आपको किसने मना किया है? मैं और मेरा सब कुछ आपका है, जो
कुछ करना है करिए। लेकिन थोड़ा जल्दी।
यह सुनते ही मैंने उसके पैर फैलाए और उसके हाथ बुर से अलग करते हुए मैं
दोनों टांगों के बीच फर्श पर बिछी दरी पर बैठ गया, फिर मैंने उसे थोड़ा
आगे अपनी ओर खींचा। जिससे वो करीब आधी लेटी हुई अवस्था में हो गई।
फिर मैंने अपनी एक उंगली उसकी बुर में घुसेड़ी, उसकी बुर अभी भी गीली थी
तथा थोड़ा थोड़ा रस बह रहा था जोकि उसकी गाण्ड से होता हुआ सोफे पर जा रहा
था। मैं तुरन्त अपनी जुबान बुर की दोनों फांकों के बीच लगा कर चाटने लगा,
उसका स्वाद बड़ा सेक्सी था। बीच बीच में मैं अपनी दो उंगलियों को बुर में
घुसेड़ कर जी प्वाइंट को रगड़ देता था, इस पर वो उचक जाती थी, अपनी आँख
बन्द किए हुए बुर चुसाई का मजा ले रही थी, कभी कभी उसके मुँह से उह्ह्ह
आह्ह्ह्ह की आवाज निकल जाती, साथ ही अपने एक हाथ से चूची सहला रही थी और
दूसरे हाथ से मेरे सर को अपनी बुर पर दबाए जा रही थी।
अचानक वो बोली- कोई आया है ! मैं बाद में बात करुगीं और फिर रीमा ऑफलाइन हो गई।
इस तरह हम लोगों ने 11 बजे से 12:30 बजे तक ऑन लाइन वर्चुअल चुदाई का मजा
लिया। मैंने भी मुट्ठ लगाने के बाद अपनी जीन्स पहन ली और ऑफिस के दूसरे
काम करने लगा। बाहर ऑफिस में सभी लोग आ चुके थे।
लखनऊ 2-7-2010 समय: 6-30 शाम
ऑफिस के काम से अभी फुरसत मिली, मैंने सोचा चलो कुछ चैटिंग हो जाए, तो
मैंने अपना याहू मैसेन्जर लॉग-इन किया। मेरे दो दोस्त ऑनलाइन थे, उनसे
बात करने लगा।
अचानक रीमा भी ऑनलाइन हो गई। मैंने तुरन्त उसको मैसेज भेजा- सुबह कौन आया था?
तो उसने बताया- धोबी आया था !
मैंने कहा- यार, सुबह उस धोबी की वजह से मेरा के एल पी डी हो गया।
तो उसने लिखा- यह क्या होता है?
तो मैंने जवाब लिखा- खड़े लण्ड पर धोखा !
इस पर उसने लिखा- हह्ह्ह्ह्ह्हा हह्ह्ह्ह्ह्हा।
फिर हम लोग आम बात करने लगे और उसी में उसने मुझे बताया कि अब वो लखनऊ
अपने भाई के साथ रहने आ गई है और टाइम्स कोचिंग में एड्मीशन आज ही ले
लिया है।
मैंने पूछा- तुम लखनऊ में कहाँ रह रही हो?
तो उसने बताया- गोमती नगर में !
यह सुन कर मेरा माथा ठनका क्योंकि सिर्फ आज ही मैंने किरण का एड्मीशन
टाइम्स में कराया था, मैंने उससे उसका असली नाम फिर पूछा तो उसने रीमा ही
बताया, पहले भी यही बताया था, तो मुझे कुछ शक तो हुआ लेकिन मैंने उस पर
विश्वास कर लिया।
मैंने फिर उससे कहा- अब तो हम लोग एक ही शहर क्यों, एक ही कॉलोनी में
रहते हैं तो तुम हमसे कभी मिलो।
तो उसने कहा- समय आने पर मैं आप से जरूर मिलूँगी, आप का सेल नम्बर तो
मेरे पास है ही, मैं आपको काल कर लूंगी, यह मेरा वादा है।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर वो बोली- अब मैं ऑफलाइन हो रही हूँ क्योंकि भाभी आने वाली हैं। बाय !
यह पढ़ कर मैं खुश हो गया। मैंने सोचा कि चलो जल्दी ही मुलाकात होगी।
फिर मैंने सभी ऑनलाइन दोस्तों से विदा लेकर कम्प्यूटर बन्द किया और घर को
रवाना हो गया।
कहानी जारी रहेगी।

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