Saturday, March 26, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ कमसिन जवानी-1

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
कमसिन जवानी-1
आज उमैर अपने दोस्तों के साथ फ्रेशर्ज़ पार्टी में जा रहा था...जहाँ कई
हसीन नवयोवानयों के दर्शन उसे होने थे.....कॉलेज में कई हसीन लड़कियों ने
अड्मिशन लिया था जिसकी आज फ्रेशर्ज़ पार्टी थी...
बड़ी बड़ी आँखें,विराट ललाट चौरा चकरा चेहरा..और उछलती मर्दानगी उसे अन्य
सभी से अलग ही प्रदर्शित करती थी......मुस्कुलर बॉडी जिसे देख कर हर किसी
का मन डोल जाए ऐसा दिखता था.......
उसके दोस्त उससे जलते थे......लेकिन लड़कियाँ तो जैसे सिर्फ़ उमैर को ही
निहारा करती थी......आज उमैर अपनी उन कमसिन हसीनायो के द्वारा खुद को
प्रशंसा प्राप्त करवाने के लिए व्याकूल होता जा रहा था......उपर ली कूपेर
की टी-शर्ट और नीचे कॉरगो पहने हुए वह जैसे ही अंदर हॉल में दाखिल हुआ ही
था के सब उसे ही निहारने लगे...उसकी माँ जिनका नाम कलसूम था वह उन्हे
कलसूम माँ कह कर पुकारा करता था....देखते ही उमैर को लपक ली...
कलसूम माँ:- अरे बेटे क्या बात है आज किस किस पर क़यामत गिरओगे......
उमैर:- अरे नहीं माँ ऐसा कुछ नहीं बस ऐसे ही...वैसे आप का भी जवाब नहीं
हैं...कमाल की लग रही हैं आप भी आज तो...
कलसूम माँ :- शर्मा कर बोली...! कैसी बात कर रहे हो आज की इन छोकरियो के
सामने हमे तो कोई देखेगा ही नहीं बेटे...हहहे...और चली गयी.........
सभी नव यौवनाओ के चेहरे पेर अलग ही रौनक झलक रही थी....अचानक कलसूम माँ
तो जैसे उसके पीछे पागल ही हुई जा रहीं थी...हर लड़की की ज़ुबान पर बस एक
ही बोलबाला था के ये सीनियर आख़िर हैं कॉन.......बाकी सब लड़के उससे जल
रहे थे.....

उमैर एक अच्छा शरीफ घर का लड़का था जिसे जो गुडलूकिंग इंटेलिजेंट और हर
तरीक़े से उम्दा लड़का था.......गॅल्स के प्रपोज़ल तो उसे हमेशा ही आते
थे लेकिन इन सब में उसे ज़्यादा इंटरेस्ट नहीं था केवल गॅल्स को अपनी और
अट्रॅक्ट क्रना मात्र ही उसका उद्देश्य होता था....
कलसूम माँ भी उस पर डोरे डाला करती थी...देखने में वह कम सेक्सी नहीं थी
...40 पार कर चुकी औरत होने के बावजूद एक दम सेक्सी लगती थी.....उमैर का
किसी से बात करना उसे ज़्यादा पसंद नहीं था...उसने उमैर को अपने पास
बुलाया और पूछने लगी के और बताओ बेटे कोई पसंद आई क्या तुझे आज के इस
फक्न्षन में........
उमैर हिचकिचा कर बोला के एमेम एमेम....क्या..!!!
कि अचानक एक मीठी सी आवाज़ उसे अपने कानो में सुनाई दी....
मम्मी देखो ....आप मुझे छ्चोड़ के आ गई ....में भटक गई थी...ओह माइ
गॉड....कितनी परेशान हो गई थी में..क्या मोम..और अचानक आकर अपनी मा कलसूम
से चिपक गई.....
उमैर तो जैसे उसकी आवाज़ सुनकर पागलों की तरह उसे देखे जा रहा था पहली
बार जो उसे गुदगुदी सी हुई अपने शरीर में.... कलसूम मा..:- ये उमैर हैं
...माइ फेव स्टूडेंट जिसके बारे में तुम्हे बताया करती थी....
और उमैर ये मेरी बेटी है गोशी...!!
उमैर और गोशी एक तक 1 दूसरे को बस देखे ही जा रहे थे....वहाँ उमैर के
छ्होटे उस्ताद का बुरा हाल होरहा था...सामने खड़ी मदमस्त जवानी को देखकर
कोई भी पागल हो जाए ....स्लीवलेशस टॉप और नीचे घुटनों तक स्कर्ट देखकर
कोई भी बोखला जाए .....छलकते हुए उभार और गोरा चिटा बदन.....से आने वाली
महेक उसका मन आंदोलित करे जा रही थी....
कि अचानक ..!!!
गोशी बोली..:- क्या हुआ कभी लड़की नही देखी क्या और ज़ोर ज़ोर से हस्ने
लगी.....!!!!!
उमैर हड़बरकार अर्र्ररे नहीं...हाइ...होस यू..कुछ बोल नहीं पा रहा था..
उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था ..की वह प्यार का एहसास हुआ है या सिर्फ़
इठलाते यौवन को देखकर उसका मन काबू में नहीं रहा....
कलसूम माँ..:- अरे मेरे बेटे ऐसे क्या देखे जा रहा है..ये मेरी बेटी
हैं....इंजीनियरिंग की स्टूडेंट है....आज ही आई है बॉमबे से अब यहीं
रहेगी...कलसूम माँ को उसका उसी की बेटी को ऐसे देखना अच्छा नहीं लग रहा
था........
गोशी बेटी जाओ औरो से मिल लो...
गोशी का दिल भी उस हॅंडसम को देखकर पागल हुआ जा रहा था बेमन से वो वहाँ
से चलीगई.....
..........................
फंक्षन में कॅट वॉक स्टार्ट हुआ...जहाँ पर सेलेक्टेड गॅल्स को रम्पिन्ग
करनी थी.....
उमैर भी उस लड़कियो को देखे जा रहा था ..कि अचानक रॅंप पर उची सैंडल होने
की वजेह से एक लड़की की सैंडल मूडी और लड़खड़केर वह वहीं गिर
गयी......उमैर स्टेज के पास खड़ा हुआ था अचानक...भागते हुए गया और अपनी
आगोश में लेकर उसे उठाया ...सब हँसने लगे ....लड़की को चोट जो लग गयी थी
आर वो रोने लगी..मासूम सा चेहरा था...और एक हाथ उसकी पीठ पे और दूसरा
उसकी टाँगो के नीचे था वह उठाने की कोशिश कर रहा था...बेचारी के पैर में
मोच्च आई थी और चल नहीं पा रही थी.....उमैर को अच्चानक उसकी दाई चेस्ट पर
कुछ अजीब सा मुलायम एहसास सा हुआ ....और उसका दिमाग़ खराब हो गया....एक
तो पहली बार एक लड़की ज़ात का इतना करीब से स्पर्श पाया ...
ओ बोला .."हे भगवान आज ये क्या हो रहा है मेरे साथ"
और ले जा के उसने वहाँ लड़की को टेबल पर बैठा दिया ...कोई नहीं नहीं था
वहाँ सिफ्र उमैर और उस लड़की के...वह उसकी जूनियर थी....
उमैर उसे छ्चोड़ कर जाने लगा
................सर्ररर.......अहह...!!!सुनिए तो.........
आवाज़ आई...उसने उमैर का हाथ पकड़ लिया था और बोली .......थॅंक्स सर आप
नहीं आते तो शायद सब मेरा मज़ाक ही बना चुके होते.....
उमैर का हाथ उसके हाथों में था उसकी मासूम सी आँखों में देखते हुए बोला
.......अरे तो क्या हुआ...वैसे काफ़ी भारी हो....दोनो हँसने लगे..
उमैर:- नाम क्या है तुम्हारा?
लड़की:-जी फ़िज़ा.......!!
उमैर:- अगली बार ज़्यादा उँची मत पहेनना वरना कोई तुम्हे उठा नहीं पाएगा हहेहहे....
फ़िज़ा:- उसकी बात सुनकर शर्मा सी गयी ..झेप गयी....उसका दिल जो आगया था
उस पर ..........कैसे उसने उसे भागते हुए आके अपनी बाहों में समेत लिया
था था....और कैसे उसके हाथ उसके शरीर से टच हो रहे थे..
उमैर:- क्या हुआ बताओ ज़्यादा तो नहीं लगी ना...?
उमैर ने उसके पैर के घुटने पर हाथ रखा और धीरे से उठाया .....
थोड़ा हिलाया ही था कि अचानक फ़िज़ा ने ज़ोर से चिल्ला
दिया...........आआआआआआवउूऊचह.................मुम्मय्ययययी
और वह रोने लगी....उमैर घबरा गया हे भगवान ये रोने क्यूँ लगी.....उसने
उसका पैर छ्चोड़ दिया उसे चुप कराने लगा......
अरे थोड़ा तो दर्द होगा ही ना ,...चलो चुप हो जाओ वरना कोई आ जाएगा और
कहेगा की अचानक लड़के के साथ रोने लगी ....उसके दर्द को देख ना सका और
अपनी आगोश में उसे समा लिया....फ़िज़ा उसके सीने से लगी और फिर चुप हो
गयी....वह समझ गयी थी उसे प्यार हो गया है अपने ही सीनीयार से जो सबसे
अलग है....सबसे अच्छा और हॅंडसम..बाहर कुछ लोगो के आने की आवाज़ आई और
उमैर ठीक ठाक हो गया....
कलसूम माँ और माँ के साथ आई थी गोशी.वहाँ उमैर और फ़िज़ा को देख कर तो
जैसे उसे साँप सूंघ गया ...उमैर बाहर जाओ तुम यहीं खड़े रहोगे
क्या....आख़िर अपने आशिक को देख कर कोई भी बोखला
जाएगा.........................................
बाहर जाकेर उमैर को बस उसके उभारों का मुलायम स्पर्श ही पागल बनायें जा
रहा था......उसके हाथों में कॉफी थी और दोस्तो क साथ खड़ा खड़ा गौसिप्स
में लगा हुआ था...........वहाँ से किसी ने चिल्ला कर पुकारा उमैर कोई
बुला रहा है तुम्हे ...........वहाँ कोरीदौर में...उमैर फ्र्न्ड्स को
थोड़ी देर बाद आने का बोलकर चला गया...........गया तो कोर्रडौर में कोई
नहीं था.............
हाथ में कॉफी लिए हुए था .....किसी को नहीं देखकेर अचानक मुड़ा और टकरा
गया...और सारी की सारी कॉफी सामने खड़ी गोशी पे जा गिरी ...कॉफी थोड़ी
ठंडी हो चुकी थी वरना गोशी जल ही जाती....कॉफी गिरते ही उसके उभारो से
होती हुई उसके पेट तक को गीला कर डाला.............उमैर उसे देख कर वैसे
ही पागल था और ये सब हो गया.....
उमैर:- ओह आइ एम सॉरी मेने देखा नहीं आपको और में अचानक मूड गया..
गोशी :-खैर कोई बात नहीं ....अब देख लो....गोशी की आँखों वासना थी और
सिफ्फ वासना....आख़िर वो औलाद तो कलसूम माँ की ही थी ना..............
उमैर ने देखा कि उसकी टॉप उसके शरीर से चिपक गयी है....और अब फिगेर और
शानदार दिख रहा था...फॉरन उसने अपनी निगाहों को फेर दिया...क्यूकी उसे वह
उन नज़रों से नहीं देख सकता था...आख़िर उसे प्यार का भूत सवार जो हो गया
था....
उमैर:- गोशी जाओ और चेंज करके आओ देखो तुम पूरी गीली हो चुकी हो
प्लज़्ज़्ज़्ज़......
गोशी:- ह्म्म.....तुमने ही गिराया है इसे सॉफ कर दो ना...
उमैर:- तुम प्लज़्ज़्ज़ जाओ यहाँ से खुद को सॉफ करो प्ल्ज़...कोई देखेगा
तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा....वो भी ऐसे..उमैर उसे दुनिया से छुपा कर रखना
चाहता था...बट उसे क्या पता था कि वह तो है ही ऐसी ...................
गोशी:-अर्रे तो क्या हुआ कर लूँगी बाद में सॉफ....और अगर इतना ही अफ़सोस
है गिरा देने का तो खुद ही अपने इन हाथों से कर दो ना
..प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़
गोशी ने उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया और हँसने लगी..
उमैर का हाथ झुरजुरा गया...और नीचे से उपेर उसकी मर्दानगी ने अंगड़ाई ले डाली...
उसे आज क्या हो गया.....जिसने फ़िज़ा को उठा कर उसने इतने दूर तक ले जाके
रखा आज सिर्फ़ गोशी के च्छू देने से उसे क्या हो रहा है...
उसने अपना हाथ छुड़ा लिया ...और वहाँ से जाकेर फिर से हॉल में आ गया..............
क्रमशः.............................

KAMSIN JAWANI-1
aaj UMAIR apne doston k sath freshers party mein jaa raha tha...jahan
kai hasin nawyovanayon k darshan use hone the.....colg mein kai hasin
ladkiyon ne admission liya tha jiski aaj freshers party thiii...
badi badi ankhein,viraat lalaat choura chakra chehra..aur uchalti
mardaangi use anya sabhi se alag hi pradarshit kerti thi......muskular
body jise dekh kar har kisi ka man dol jaye aisa dikhta tha.......
uske dost usse jalte the......bt ladkiyaan to jaise sifr UMAIR ko hi
nihara krti thi......aaj UMAIR apne un kamsin haseenayo k dwara khud
ko prashansa prapt karwane k liye wyakool hota ja raha tha......uper
lee kooper ki t-shirt aur neeche corgo pehne hue wah jaise hi ander
hall mein daakhil hua hi tha k sab use hi niharne lage...uski mam
jinka naam KALSOOM tha wah unhe KALSOOM mam keh ker pukara kerta
tha....dekhte hi UMAIR ko lapak liya...
KALSOOM mam:- arey bete kya baat hai aaj kis kis per qayamat giraoge......
UMAIR:- arey nahin mam aisa kuch nahin bas aise hi...waise aap ka bhi
jawab nahin hain...kamaal ki lag rahi hain aap bhi aaj to...
KALSOOM mam :- sharmakarer boli...! kaisi baat ker rahe ho aaj ki in
chhokriyon k saamne hume to koi dekhega hi nahin bete...hehehe...aur
chali gayi.........
sabhi nav youvnayo k chehre per alag hi rounak jhalak rahi
thi....achanak KALSOOM mam to jaise uske peeche pagal hi hui jaa rahin
thi...har ladki ki zuban per bas ek hi bolbaala tha k ye senior aakhir
hain kon.......baaki sab ladke usse jal rahe the.....

UMAIR ek achha shareef ghar ka ladka tha jise jo gudlooking
intelligent aur har tareeqe se umda ladka tha.......gals k proposal to
use hamesha hi aate the lekin in sab mein use zada intrest nahin tha
kewal gals ko apni aur attract krna maatr hi uska uddeshya hota
tha....
KALSOOM mam bhi us per dore dala kerti thi...dekhhne mein wah kam sexy
nahin thi ...40 paar ker chuki aurat hone k baawjood ek dam sexy lagti
thi.....UMAIR ka kisi se baat kerna use zada pasand nahin tha...usne
UMAIR ko apne paas bulaya aur puchne lagi k aur batao bete koi pasand
ayi kya tujhe aaj k is fucntion mein........
UMAIR hichkicha ker bola k mm mm....kya..!!!
k achanak ek meethi si awaaj use apne kaano mein sunayee dee....
mummy dekho ....aap mujhe chhod ke aa gyi ....mein bhatak gyi thi...oh
my god....kitni pareshan ho gyi thi mein..kya mom..aur achanak aakar
apni maa KALSOOM se chipak gyi.....
UMAIR to jaise uski awaaj sunker paagalon k tarah use dekha jaa raha
tha pehli baar jo use gudgudi si hui apne sharerr mein.... KALSOOM
ma..:- ye UMAIR hain ...my fav student jiske baare mein tumhe bataya
kerti thi....
aur UMAIR ye meri beti hai Goshi...!!
UMAIR aur Goshi ek tak 1 doosre ko bas dekhe hi jaa rahe the....wahan
UMAIR k chhote ustaad ka bura haal horaha tha...saamne khadi madmast
jawani ko dekhker koi b pagal ho jaye ....sleevless top aur neeche
ghutnon tak skirt dekhler koi bhi bokhla jaye .....chalakte hue ubhaar
aur gora chitta badan.....se aane wali mehek uska man aandolit kare
jaa rahi thi....
k achanak ..!!!
Goshi boli..:- kya hua kabhi ladki nahi dekhi kya aur zor zor se hasne
lagi.....!!!!!
UMAIR hadbarakar arrrrey nahin...hie...hows you..kuch bol nahin paa raha tha..
use khud per yakin nahin ho raha tha ..k wah pyaar ka ehsaas hua hai
ya sirf ithlaate youwan ko dekhkar uska man kabu mein nahin raha....
KALSOOM mam..:- arey mere bete aise kya dekhe jaa raha hai..ye meri
beti hain....engg ki student hai....aaj hi ayi hai bombay se ab yahin
rahegi...KALSOOM mam ko uska usi ki beti ko aise dekhna achha nahin
lag raha tha........
Goshi beti jao auro se mil lo...
Goshi ka dil bhi us handsome ko dekhkar pagal hua jaa raha tha beman
se wo wahan se chaligai.....
..........................
function mein cat walk start hua...jahan per selected gals ko ramping
krni thi.....
UMAIR bhi us ladkiyo ko dekhe jaa raha tha ..k achanak ramp per uchi
sandel hone ki wajeh se ek ladki ki sandel mudi aur ladkhadaker wah
wahin gir gayi......UMAIR stage k paas khada hua tha achanak...bhagte
hue gya aur apni aagosh mein leker usse uthaya ...sab hansne lage
....ladki ki chot jo ho gayi thi ar wo rone lagi..masoom sa chehra
tha...aur ek haath uski peeth pe aur doosra uski taango k neeche tha
wah uthane ki koshish ker raha tha...bechaari k pair mein mochh ayi
thi aur chal nahin paa rahi thi.....UMAIR ko achhanak uski dayi chest
per kuch ajeeb sa mulayam ehsaas sa hua ....aur uska diimag kharab ho
gya....ek to pehli baar ek ladki zaat ka itna kareeb se sparsh paya
...
o bola .."hey bhagwaan aaj ye kya ho raha hai mere saath"
aur le ja ke usne wahan ladki ko table per baitha dia ...koi nahin
nahin tha wahan sifr UMAIR aur us ladki k...wah uski juniour thi....
UMAIR use chhod ker jaane laga
................SIRRRR.......AHHHHHHHHH...!!!SUNIYE TO.........
awaaj ayi...usne UMAIR ka haath pakar liya tha aur boli .......THN X
SIR AAP NAHIN AATE TO SHAYAD SAB MERA MAZAK HI BANA CHUKE HOTE.....
UMAIR k haath uske hathon mein tha ski masoom si aankhon mein dekhte
hue bola .......arey to kya hua...waise kaaafi baari ho....dono hansne
lage..
UMAIR:- naam kya hai tumhara?
larki:-jee FIZA.......!!
UMAIR:- agli baar zada unchi met pehenna warna koi tumhe utha nahin
payega hehehehe....
FIZA:- uski baat sunkar sharmaa si gayi ..jhep gayi....uska dil jo
aagya tha us per ..........kaise usne use bhagte hue aake apni baahon
mein samet liya tha tha....aur kaise uske haath uske shareer se touch
ho rahe the..
UMAIR:- kya hua batao zada to nahin lagi na...?
UMAIR ne uske pair k alwe e haath rakha aur deere se uthaya .....
thoda hilaya hi tha k achanak FIZA ne zor se chilla
dia...........aaaaaaaaaaaauuuuchhhhhh.................mummyyyyyy
aur wah rone lagi....UMAIR ghabra gya hey bhagwaan ye rone kyun
lagi.....usne uska pair chhod diya use chhup karane laga......
arey thoda to dard hoga hi na ,...chalo chup ho jao warna koi aa jyega
aur kahega k achanak ladke k saath rone lagi ....usle dard ko dekh na
saka aur apni aagosh mein use sa,ma liya....FIZA uske seene se lagi
aur fir chup ho gayi....wah samajh gayi thi use pyaar ho gya hai apne
hi seniour se jo sabse alag hai....sabse achha aur handsome..bahar
kuch logo k aane ki awaaz ayi aur UMAIR thik thak ho gya....
KALSOOM mam ur mam k saath ayi thi....wahan UMAIR aur FIZA ko dekh ker
to jaise use saanp soongh gya ...UMAIR bahar jao tum yahin khade
rahoge kya....akhir apne ashik ko dekh ker koi bhi bokhla
jayega.........................................
bahar jaaker UMAIR ko bas uske ubharon ka mulayam sparsh hi pagal
banayein jaa raha tha......uske hathon mein coffy thi aur dosto k
saath khara khara gousips mein laga hua tha...........wahan se kisi ne
chilla ker pukara UMAIR koi bula raha hai tumhe ...........wahan
coridour mein...UMAIR ne frnds ko thodi der baad ane ka bolkar chala
gya...........gya to corridour mein koi nahin tha.............
haath mein coffie liye hue tha .....kisi ko nahin dekhker achanak muda
aur takra gya...aur saari ki saari coffie samne khadi Goshi pe jaa
giri ...coffie thodi thandi ho chuki thi warna Goshi jal hi
jaati....coffie girte hi uske ubharo se hoti hui uske pet tak ko geela
kar daala.............UMAIR use dekh kar waise hi pagal tha uar ye sab
ho gya.....
UMAIR:- ohhhhhhhhh m srry meine dekha nahin apko n mein achanak mud gya..
Goshi :-khair koi baat nahin ....ab dekh lo....Goshi ki aankhon waasna
thi aur siff waasna....akhir wo aulad to KALSOOM mam ki hi thi
na..............
UMAIR ne dekha ki uski top uske shareer se chipak gayi hai....aur ab
figer aur shandaar dikh raha tha...foran usne apni nigaahon ko fer
dia...kyuki use wah un nazaron se nahin dekh sakta tha...akhir use
pyaar ka bhoot sawaar jo ho gya tha....
UMAIR:- Goshi jao aur change karke aao dekho tum poori geeli ho chuki
ho plzzzz......
Goshi:- hmm.....tumne hi giraya hai ise saaf kar do na...
UMAIR:- tum plzzz jao yahan se khud ko saaf karo plz...koi dekhega to
mujhe achha nahin lagega....wo bhi aise..UMAIR use duniya se chupa ker
rakhna chahta tha...but use kya pata tha k wah to hai hi aisi
...................
Goshi:-arrey to kya hua kar lungi baad mein saaf....aur agar itna hi
afsos hai gira dene ka to khud hi apne in haathon se ker do na
..plzzzzzzz
Goshi ne uska hath apne haathon mein le liya aur hansne lagi..
UMAIR ka haath jhurjhura gya...aur neeche se uper use mardangi ne
andaai le daali...
use aaj kya ho gya.....ji FIZA ko utha ker usne itne dooor tak le
jaake rakha aaj sirf Goshi k chhu dene se use kya ho raha hai...
usne apna haath chura liya ...aur wahan se jaaker fir se hall mein aa
gya..............
kramashah.............................

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