गतान्क से आगे.......
उसके साथ जाते जाते मेरा दिल कल से भी ज़्यादा ज़ोर ज़ोर से धड़क
रहा था. इस घड़ी का तो मैं शाम से इंतज़ार कर रही थी. वहाँ.उस
के कमरे मे..जब वह मुझे पकड़ खीचाने लगा तो मैं छिटक कर बोल
उठी.दरवाजा..वह चुपचाप जा कर दरवाजा लगा आया..तो मैने
साड़ी का पल्लू उंगली पर लपेटते हुए कहा.हर.र.रिया..ला..ई..ट. उसने
चुपचाप जा कर लाईट बुझा कमरे मे अंधकार कर दिया.और पास आ
कर मुझे पकड़ा तो मैं खुद उसके सीने से लग गयी. वह वही खड़े
खड़े मुझे सहलाने लगा..वा मेरी पीठ पर हाथ फेरा..पीठ से
कमर पर आया.और फिर नीचे चूतरो तक पहुँच गया. आपसे सच
कहती हू उसके द्वारा अपने चूतरो सहलाए जाने से मेरी साँस
धोकनि की तरह चलने लगी थी. वह खड़े खड़े बहुत देर तक मेरे
पिछवाड़े पर अपना हाथ फेरता रहा. उसके इस तरह हाथ फेरने
से ही मैं तो गीली हो उठी. और बुरी तरह उस के सीने मे घुसने
लगी..मेरा गला सुख गया था.खड़े रहना मुश्किल हो रहा था. ऐसा
लग रहा था मैं बेहोश हो कर ही गिर पड़ूँगी. उसी हालत मे वह मेरे
कपड़े उतारने लगा तो मेरी हालत और खराब होगयि. उस ने खड़े
खड़े ही अंधेरे बंद कमरे मे मेरे सारे कपड़े खोल
डाले..साड़ी.1.पेटीकोट...2.ब्लाउस..3.और अंत मे ब्रा.4.आपकी
जानकारी के लिए बता दू कि वैसे स्कूल जाते समय तो मैं पेंटी
पहनती हू पर घर मे रहती हू तो उतार देती हू.
और रात मे भी मैं तो साड़ी ब्लाओज मे ही सोती हू.मेक्सी नही पहनती
हू..तो.मैं एक दम नंगी हो कर बहुत शरमाई.वो तो अच्छा था कि
अंधेरा था. फिर पल भर वो अलग हुआ और अपने कपड़े खोल दिए. अब
जो मुझे खड़े खड़े अपनी बाहों मे लिया तो वो पल मेरे लिए बहुत
आनंद दायक था. बहुत अनोखा. एक दम अलग..नंगा वो नंगी मैं.दोनो
एक दूसरे से खड़े खड़े चिपक गये. वही मुझे बाहों मे भीचा मैं
तो बस चुपचाप उसके सीने से लग गयी.मेरे तो शरम के मारे
हाथ ही ना उठे कि उसे अपनी बाहों मे भर लूँ. बहुत अच्छा लग
रहा था. उसने इसी हालत मे जब मेरे पिछवाड़े पर हाथ फिराया तो
बस मुझे लगा मैं खड़े खड़े ही मूत दूँगी. चूत मे अजीब तरह की
सुरसुरी हो रही थी. तभी उसने मुझे अंधेरे मे खटिया पर लिटा
दिया..और मेरे उपर चढ़ कर मेरी टाँगों को उठा दिया. अगले ही पल
उसका मोटा लंड मेरी चूत से आ कर अड़ा..और दबाव के साथ अंदर होने
लगा. मुझे जाँघो के बीच तेज दर्द हुआ. मेरी चूत मोटे लंड के
द्वारा चौड़ी की जा रही थी. मैं बिस्तर मे पड़े पड़े तड़प उठी. पूरी
प्रवेश क्रिया के दौरान मेने एक बार कराह के
कहा.हा..री..य्ाआआः...धीरे..पर यह नही कहा कि हरिया मत करो.
आज मेरी मनहस्थिति दूसरी थी. आज तो मैं खुद चुदवाना चाहती
थी. मैने खुद अपनी टाँगों को फेला कर उसका लंड अंदर करवाया.
वह अंदर घुसा चुका तो बोला..बस बीबी जी...हो गया..लेकिन घुसा कर
रुका नही.बस धक्के लगाने शुरू कर दिए. अब लंड अंदर जाएबाहर
निकले.मैं पड़ी पड़ी ठुसक़ती जाउ. उँहुक..उँहुक..उँहुक.अंदर-
बाहर.अंडर्बाहर.उँहुक..उँहुक..उँहुक.हरिया ने थोड़ी ही देर मे वो
मज़ा ला दिया जो मेरे नसीब मे था ही नही.जिसके लिए मैं हमेशा
तरसती रहती थी. वो मज़ा मुझे तकिया लगा कर कभी नही आता
था. उँहुक..उहुंक.उँहुक. खटिया को हिलता हुआ मैं साफ साफ महसूस
कर रही थी. उँहुक..उहुंक.उँहुक. जब उसका मोटा सा लंड अंदर जाता
था तो मेरे मुँह से अपने आप ठुसकने की आवाज़ निकलती थी. इस
तरह कमरे मे रात के अंधेरे मे दो आवाज़ें बड़ी देर तक गूँजती
रही.खटिया की चर्र्र्ररर चर्र्ररर और मेरी उँहुक उम. और.फिर...अच्छे काम का
अंत तो होता ही है. मेरी चुदाई का भी अंत हुआ. वह झाड़ा..एक
दम..अचानक से.फॉरसाफूल..वीर्य का फव्वारा मेरी चूत मे छूट
पड़ा. उस समय के लगने वाले झटके बड़े ही अदभुद थे.पहले मेरा
इस ओर ध्यान ही नही गया था. लंड जो कि लोहे की राड की तरह सख़्त
था-मेरे अंदर ऐसी ज़ोर ज़ोर से तुनका कि बस पूछो मत. उसका
फूलनझटका लेना और फ़िरवीर्या छोड़ना महसूस कर मैं खुशी से
पागल हो उठी. और उसी पागलपन मे जानते है क्या हुआ ?.मेरा खुद
का स्खलन हो गया. गौरतलब है कि पिछली चुदायियो मे मेरा
अपना डिस्चार्ज नही हुआ था.यह मेरी आज की मानसिक अवस्था का
परिणाम था कि मैं आज डिस्चार्ज हुई. एक दम बदन हिला..कंपकपि
आई..और.मेरी चूत पानी छोड़ बैठी. मैं तो बहाल...उसी अवस्था मे
मुझे ना जाने क्या सूझा कि मैने हरिया को पकड़ कर अपने उपर गिरा
लिया.उसके गले मे बाहे डाल दी.बुरी तरह लिपट गयी. बेखुदी मे मेरे
होठ कह उठे..हा..रि..या.मेरे..रा..जा. वह झाड़ चुका था. उसी
अवस्था मे अपना लंड मेरे अंदर डाले हैरत से बोल पड़ा.राजा ??
आपने मुझे राजा कहा बीबीजी... मैं उस से और ज़ोर से लिपट गयी और
ज़ोर ज़ोर से साँसे लेते हुए बोली..अब तो तुम ही मेरे सब कुछ हो
हरियाआआआअ..इस भावना के आते ही मेरा और स्खलन हो उठा. चूत
मे से पानी छूटा तो मैं अपने उपर सवार नौकर से और कस कर लिपट
गयी. बस यही जवानी का सुख था. उसने भी मुझे अंधेरे मे ज़ोर से
बाहों मे जाकड़ लिया. दोनो के मन मे बस यही भावना थी कि हमे कोई
एक दूसरे से जुदा ना करे. जल्दी तो कोई थी नही. दोनो घर के
घर मे थे. दोनो इसी अवस्था मे बहुत देर तक पड़े रहे. लंड राम
मेरी चूत मे ही डाले रहे तब तक जब तक कि ढीले हो कर खुद ही बाहर
ना निकल आए. तब जब बहुत देर हो गयी और उसके मुझ पर से
उतरने के कोई आसार ना दिखे तब मैं नीचे से कुनमूनाई.उसे उठने
का इशारा दिया. तब जा के वह मुझ पर से उठा.
मैं भी उठ बैठी.
खटिया से उतर कर जाने लगी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया..जाने दो
ना...अब क्या है.मैं धीरे से बोली.अभी मत जाओ ना बीबीजी..अभी मन
नही भरा. वा सरलता से बोला..सच कहे तो मन तो हमारा भी नही
भरा था. पर मुझे बाथरूम आ रही थी. उसका हाथ छुड़ा धीरे
से बोली.छोड़ो ना..मुझे पिशाब आ रही है.तो यही मोरी पर कर लो
ना..वही पानी भी रखा है..मैं समझ गयी कि अभी ये मुझे छोडने
को तैयार नही है. मैं अंधेरे मे टटोल टटोल कर कमरे मे ही एक
कोने पर बनी मोरी पे गयी. बैठते ही मेरा तो ऐसी ज़ोर से पेशाब
छूटा कि मैं खुद हैरान रह गयी. एक दम तेज सुर्राटी की आवाज़
निकली तो मैं खुद पर ही झेंप गयी.हरिया भी कमरे मे था.सुन रहा
होगा.वो क्या सोचेगा.पर क्या करतीमजबूरी थी.मेरे तो पेशाब ऐसे
ही जोरदार आवाज़ के साथ निकलता है. पेशाब करने के बाद मेने
बाल्टी से पानी ले कर अपनी चूत को धोया. और अंधेरे मे ही
लड़खड़ाती हुई वापस खटिया के पास आई तो हरिया ने पकड़ कर
फॉरन अपनी बगल मे लेटा लिया.. मुझे नंगे बदन उससे लिपट कर मज़ा
ही आ गया. उस के चौड़े सीने मे घुस कर मैं सारे जहा का सुख पा
गयी.उपर से वो पीठ और कमर पर हाथ फेरने लगा तो सोने मे
सुहागा हो गया. मेने खूब चिपक चिपक कर उसके स्पर्श का आनंद
लिया. जब मैं हरिया के साथ थोड़ी कंफर्टेबल हो गयी तो मेने ही
बात छेड़ी..हरिया..मुझे डर लगता है..-कैसा डर बीबीजी.- मैं
कुछ नही बोली,बस उस के चौड़े सीने मे नाक रगड़ दी..वह मेरे कूल्हे
पर हाथ ले गया.तपथपाया..डरने की क्या बात है बीबी जी,
औरत मरद का तो जोड़ा होता है.या मैं नौकर हू,इस लिए.. मैं एक दम
ज़ोर से उस से लिपट गयी..ऐसा ना कहो,हरियाआ..उसने मेरे कूल्हों पर
हाथ चलाया..फिर.क्या आपकी जिंदगी मे और कोई मर्द है ?.मैं
अंधेरे मे और ज़ोर से उस से लिपट गयी.. नही.धात...तुम भी तो हो
मेरे साथ दो साल से...होता तो क्या तुमको नही दिखता ? मैने उल्टा
सवाल किया.मुझे तो नही दिखा..मैं उस की बाहों मे कसमसाई..नही
है...मुझ विधवा को कौन पसंद करेगा रे..- आपको क्या पता
बीबीजी आप कितनी खूबसूरत हो.-मुझे तो बहुत डर लगता
है..हरियाआअ.मैं उस से चिपक गयी.क्यों डरती हो..बीबीजी.सब कोई
तो करते है यह काम.
उसने मेरा दांया कुल्हा पकड़ के दबाया..मेरा नरम मांसल कुल्हा..उस
का खुरदुरा कड़ा हाथ..काम्बीनेशन अच्छा था. पहले तो सिर्फ़
सहला रहा था,जब उस ने देखा कि मैं कोई विरोध नही कर रही हू तो
दबाने भी लगा. मेरे कुल्हों के माँस को दबा कर लाल कर दिया
कम्बख़्त ने.पर मुझे लग बहुत अच्छा रहा था. मैं अपनी बाँह उसके
गले मे डाल कर लिपट गयी. और अपने मम्मों को उस के सीने मे दब
जाने दिया..कही कुछ हो गया तो बड़ी बदनामी हो जाएगी रे...-कुछ
नही होगा बीबीजी.कहा तो था..आपरेशन करवा लिया हू.सुनते है
आपरेशन फेल भी तो हो जाता है...मेने अपने मन की शंका
बताई.तो...उसने मेरे जवान कूल्हे का मज़ा लिया.तो क्या..अरे बाबा
आपरेशन फेल हो गया तो मुझ विधवा का क्या होगा भला ?.उसने ज़ोर से
मुझे जाकड़ के मेरे कूल्हे का हलवा बना
डाला..बीबीजीईईईई...मेरे होते हुए आप काहे की विधवा.कहो तो
सुबह मंदिर मे शादी कर लेते है.. अब चौकने की बारी मेरी थी.
ये तो मेरे लिए सीरीयस है. इतना सीरीयस..शादी करना चाहता
है मुझ से.ऐसा अनोखा प्रापोज़ल मुझे अपनी सारी जिंदगी मे नही
मिला था. मेरे तो सुनकर ही रोए खड़े हो गये.पूरे बदन मे
अजीब सी खुशी का अहसास हो रहा था..तुम.तुम..तो शादी शुदा हो
ना.-तो क्या हुआ बीबीजी.एक मरद की दो औरते नही होती है क्या ?.ओ
मा..ये तो बड़े बुलुंद ख्याल का दिखाई पड़ता है. मैं मन मे
सोची.शायद देवी माता मेरी सहायता कर रही थी. मैं उस की बाहों
मे इठला कर बोल पड़ी..मुझ से शादी करोगे ? इतनी पसंद हू मैं
?बहुत...बहुत..आप बहुत ज़्यादा खूबसूरत हो बीबीजी. पता है यहा
पूरे मोहल्ले मे आप से ज़्यादा सुंदर कोई नही है..और उसने मेरे कूल्हे
को मसल डाला..हमारे गाँव मे तो आपके जैसी गोरी एक भी औरत
नही है.और वो तुम्हारी औरत ?..देवकी...? मुझे उस की गाँव वाली
औरत का नाम पता था.अरे..वो क्या खा कर आपका मुकाबला करेगी.वो
तो आपके पाँव की धूल भी नही है बीबीजी..अपनी तारीफ़ सुन कर
मुझे बहुत अच्छा लगा. उसी चक्कर मे मैं फिर से गरम हो गयी. और
उस से लिपटने लगी ज़ोर ज़ोर से साँस छोड़ने लगी. मेरी उत्तेजना की
ये हालत देख हरिया फॉरन मेरे उपर चढ़ आया. उस का लंड तो पता
नही कब का खड़ा हो चुका था. बस मेरे उपर सवार हो मेरी टांगे
उठा दी. अबकी बार तो मेने खुद भी सहयोग करते हुए अपनी टाँगों
को मोड़ा. तब उसने अंधेरे मे ही अपना खड़ा लंड मेरी बालों भरी
चूत से लगाते हुए कहा...बोलो फिर.क्या कहती हो.करनी है कल
शादी ?.एक तो चूत पर खड़े लंड की रगदन और उपर से शादी का
प्रापोज़ल..मेरे तो छक्के छूट गये. बस कह कुछ नही पाई.उसके दोनो
हाथों को अपने दोनो हाथों से पकड़ कर दबा लिया. वह कुछ ना बोला.
शायद मेरी हालत समझ रहा था. बस...धक्का लगा कर लंड मेरे
अंदर घुसा दिया.
भाई लोगो कहानी अभी बाकी है आगे की कहानी अगले भाग मे आपका
दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........
Noukar se chudaai paart---3
gataank se aage.......
usake saath jaate jaate mera dil kal se bhi jyada jor jor se dhadak
raha tha. is ghadi ka to mai shaam se intazaar kar rahi thi. wahaam.us
ke kamare me..jab wah mujhe pakad kheechane laga to mai chitak kar bol
uthi.darawaaja..wah chupachaap ja kar darawaaja laga aaya..to mai
saadi ka pallu umgali par lapetate hue kahi.har.r.riya..la..i..t. wah
chupachaap ja kar laaeet bujha kamare me andhakaar kar diya.aur paas a
kar mujhe pakada to mai khud usake seene se lag gayi. wah wahi khade
khade mujhe sahalane laga..wah meri peeth par haath phera..peeth se
kamar par aaya.aur phir neeche pomd tak pahumch gaya. aapase sach
kahati hu usake dwaara apane pomd sahalaaye jaane se meri saams
dhokani ki tarah chalane lagi thi. wah khade bahut der tak mere
pichawaade par apana haath pherata raha. usake is tarah haath pherane
se hi mai to geeli ho uthi. aur buri tarah us ke seene me ghusane
lagi..mera gala sukh gaya tha.khade rahana mushkil ho raha tha. aisa
lag raha tha mai behosh ho kar hi gir padumgi. usi haalat me wah mere
kapade utaarane laga to meri haalat aur kharaab hogayi. us ne khade
khade hi andhere band kamare me mere saare kapade khol
daale..saadi.1.peteekot...2.blouse..3.aur ant me bra.4.aapaki
jaanakaari ke liye bata du ki waise skool jaate samay to mai penti
pahanati hu par ghar me rahati hu to utaar deti hu.
aur raat me bhi mai to saadi blaauj me hi soti hu.meksi nahi pahanati
hu..to.mai ek dam namgi ho kar bahut sharamaayi.wo to achcha tha ki
andhera tha. phir pal bhar wo alag hua aur apane kapade khol diya. ab
jo mujhe khade khade apani baahom me liya to wo pal mere liye bahut
aanamd daayak tha. bahut anokha. ek dam alag..namga wonamgi mai.dono
ek dusare se khade khade chipak gaye. wahi mujhe baahom me bheechamai
to bas chupachaap usake seene se lag gayi.mere to sharam ke maare
haath hi na uthe ki use apani baahom me bhar lum. bahut achcha lag
raha tha. wah isi haalat me jab mere pichawaade par haath phiraaya to
bas mujhe laga mai khade khade hi moot dumgi. chut me ajeeb tarah ki
surasuri ho rahi thi. tabhee wah mujhe andhere me khatiya par lita
diya..aur mere upar chadh kar meri taamgom ko utha diya. agale hi pal
usaka mota lund meri chut se a kar ada..aur dabaav ke saath andar hone
laga. mujhe jaamgho ke beech tej dard hua. meri chut mote lund ke
dwaara chodi ki ja rahi thi. mai bistar me pade pade tadap uthi. puri
prawesh kriya ke dauraan mene ek baar karaah ke
kaha.ha..ri..yaaaaaah...dheere..par yah nahi kaha ki hariya mat karo.
aaj meri manhsthiti dusari thi. aaj to mai khud chudawaana chaahati
thi. maine khud apani taangom ko phela kar usaka lund andar karawaaya.
wah andar ghusa chuka to bola..bas beebi ji...ho gaya..lekin ghusa kar
ruka nahi.bas dhakke lagaane shuru kar diye. ab lund andar jaayebaahar
nikale.mai padi padi thusakati jaaum. umhuk..umhuk..umhuk.andar-
baahar.andarbaahar.umhuk..umhuk..umhuk.hariya ne thodi hi der me wo
maja la diya jo mere naseeb me tha hi nahi.jisake liye mai hamesha
tarasati rahati thi. wo maja mujhe takiya laga kar kabhi nahi aata
tha. umhuk..uhumk.umhuk. khatiya ko hilata hua mai saaph saaph mahasus
kar rahi thi. umhuk..uhumk.umhuk. jab usaka mota sa lund andar jaata
tha to mere mumh se apane aap thusakane ki aawaaj nikalati thi. is
tarah kamare me raat ke andhere me do aawaajem badi der tak gumjati
rahi.khatiya ki char char aur meri umhuk um. aur.phir...achche kaam ka
amt to hota hi hai. meri chudaai ka bhi amt hua. wah jhada..ek
dam..achaanak se.phorsaphul..veerya ka phawwaara meri chut me chut
pada. us samay ke lagane waale jhatake bade hi adbhud the.pahale mera
is aur dhyaan hi nahi gaya tha. lundjo ki lohe ki raad ki tarah sakht
thaa-mere andar aisi jor jor se tunaka ki bas pucho mat. usaka
phoolanajhataka lenaaur phirveerya chodana mahsoos kar mai khushi se
paagal ho uthi. aur usi pagalapan me jaanate hai kya hua ?.mera khud
ka skhalan ho gaya. gauratalaba hai ki pichali chudaayeeyom me mera
apana dischaarj nahi hua tha.yah meri aaj ki maanasik awastha ka
parinaam tha ki mai aaj dischaarj hui. ek dam badan dhooja..kampakapi
aayi..aur.meri chut paani chod baithi. mai to behaal...usi awastha me
mujhe na jaane kya soojha ki mai hariya ko pakad kar apane upar gira
li.usake gale me baahe daal di.buri tarah lipat gayi. bekhudi me mere
hoth kah uthe..ha..ri..ya.mere..ra..ja. wah jhad chuka tha. usi
awastha me apana lund mere andar daale hairat se bol pada.raaja ??
aapane mujhe raaja kaha bibijee... mai us se aur jor se lipat gayi aur
jor jor se saamse lete hue boli..ab to tum hi mere sab kuch ho
hariyaaaaaaaaa..is bhaawana ke aate hi mera aur skhalan ho utha. chut
me se paani chuta to mai apane upar sawaar naukar se aur kas kar lipat
gayi. bas yahi jawaani ka sukh tha. wah bhi mujhe andhere me jor se
baahom me jakad liya. dono ke man me bas yahi bhaawana thi ki hame koi
ek dusare se juda na kare. jaldi to koi thi nahi. dono ghar ghar ke
ghar me the. dono isi awastha me bahut der tak pade rahe. lund raam
meri chut me hi dale rahetab takjab tak kidheele ho kar khud hi baahar
na nikal aaye. tab jab bahut der ho gayee aur usake mujh par se
utarane ke koi aasaar na dikhe tab mai neeche se kunamunaai.use uthane
ka ishaara di. tab ja ke wah mujh par se utha.
mai bhi uth baithi.
khatiya se utar kar jaane lagi to wah mera haath pakad liya..jaane do
na...ab kya hai.mai dheere se boli.abhi mat jaao na bibijee..abhi man
nahi bhara. wah saralata se bola..sach kahe to man to hamaara bhi nahi
bhara tha. par mujhe baatharum a rahi thi.ath usaka haath chuda dheere
se boli.chodo na..mujhe pishaab a rahi hai.to yahi mori par kar lo
na..wahi paani bhi rakha hai..mai samajh gayi ki abhi ye mujhe chodane
ko taiyaar nahi hai. mai andhere me tatol tatol kar kamare me hi ek
kone par bani mori pe gayi. baithate hi mera to aisi jor se peshaab
chuta ki mai khud hairaan rah gayi. ek dam tej surraati ki aawaaj
nikali to mai khud par hi jhemp gayi.hariya bhi kamare me tha.sun raha
hoga.wo kya sochega.par kya karatimajaboori thi.mere to peshaab aise
hi joradaar aawaaj ke saath nikalata hai. peshaab karane ke baad mene
baalti se paani le kar apani chut ko dhoya. aur andhere me hi
ladkhadaati hui waapas khatiya ke paas aayi to hariya ne pakad kar
phoran apani bagal me leta liya.. namga wahnamgi maibas lipat kar maja
hi a gaya. us ke chode seene me ghus kar mai saare jaha ka sukh pa
gayi.upar se wo peeth aur kamar par haath pherane laga to sone me
suhaga ho gaya. mene khub chipak chipak kar usake sparsh ka aanand
liya. jab mai hariya ke saath thodi kamphartebal ho gayi to mene hi
baat chedi..hariya..mujhe dar lagata hai..-kaisa dar bibijee.- mai
kuch nahi boli,bas us ke chode seene me naak ragad di..wah mere koolhe
par haath le gaya.thapathapaaya..darane ki kya baat hai beebi jee,
aurat marad ka to joda hota hai.ya mai naukar hu,is liye.. mai ek dam
jor se us se lipat gayi..aisa na kaho,hariyaaaa..wah mere koolhom par
haath chalaaya..phir.kya aapaki jindagi me aur koi mard hai ?.mai
andhere me aur jor se us se lipat gayi.. nahi.dhat...tum bhi to ho
mere saath do saal se...hota to kya tumako nahi dikhata ? mai ulta
sawaal ki.mujhe to nahi dikha..mai us ki baahom me kasamasaai..nahi
hai...mujh vidhava ko kaun pasand karega reh..- aapako kya pata
bibijee aap kitani khubasurat ho.-mujhe to bahut dar lagata
hai..hariyaaaaa.mai us se chipak gayi.kyom darati ho..bibijee.sab koi
to karate hai yah kaam.
wah mera daamya kulha pakad ke dabaaya..mera naram maamsal kulha..us
ka khuradura kada haath..kaambeeneshan achcha tha. pahale to sirf
sahala raha tha,jab us ne dekha ki mai koi virodh nahi kar rahi hu to
dabaane bhi laga. mere kulhom ke maams ko daba kar laal kar diya
kambakta ne.par mujhe lag bahut achcha raha tha. mai apani baamh usake
gale me daal kar lipat gayi. aur apane mammom ko us ke seene me dab
jaane di..kahi kuch ho gaya to badi badanaami ho jayegi rehhh...-kuch
nahi hoga bibijee.kaha to tha..aapareshan karawa liya hu.sunate hai
aapareshan phel bhi to ho jaata hai...mene apane man ki shamka
bataayi.to...wah mere jawaan kulhe ka maja liya.to kya..are baaba
aapareshan phel ho gaya to mujh vidhava ka kya hoga bhala ?.wah jor se
mujhe jakad ke mere kulhe ka halawa bana
daala..beebeejeeeeeeeei...mere hote hue aap kaahe ki vidhawa.kaho to
subah mandir me shaadi kar lete hai.. ab chaukane ki baari meri thi.
ye to mere liye seereeyas hai. itana seereeyas..shaadi karana chaahta
hai mujh se.aisa anokha praposal mujhe apani saari jindagi me nahi
mila tha. mere to sunakar hi romye romye khade ho gaye.pure badan me
ajeeb si khushi ka ahasaas ho raha tha..tum.tum..to shaadi shuda ho
na.-to kya hua bibijee.ek marad ki do aurate nahi hoti hai kya ?.o
ma..ye to bade bulund khyaal ka dikhaayi padata hai. mai man me
sochi.shaayad devi maata meri sahaayata kar rahi thi. mai us ki baahom
me ithala kar bol padi..mujh se shaadi karoge ? itani pasamd hu mai
?bahut...bahut..aap bahut jyaada khubasurat ho bibijee. pata hai yaha
pure mohalle me aap se jyaada sumdar koi nahi hai..aur wo mere kulhe
ko masal daala..hamaare gaamv me to aapake jaisi gori ek bhi aurat
nahi hai.aur wo tumhaari aurat ?..devaki...? mujhe us ki gaamv waali
aurat ka naam pata tha.are..wo kya kha kar aapaka mukaabala karegi.wo
to aapake paamv ki dhul bhi nahi hai bibijee..apani taareef sun kar
mujhe bahut achcha laga. usi chakkar me mai phir se garam ho gayi. aur
us se lipatane lagee jor jor se saams chodane lagi. meri uttejana ki
ye haalat dekh hariya phoran mere upar chadh aaya. us ka lund to pata
nahi kab ka khada ho chuka tha. bas mere upar sawaar ho meri taamge
utha di. abaki baar to mene khud bhi sahayog karate hue apani taamgom
ko moda. tab usane andhere me hi apana khada lund meri baalom bhari
chut se tulaate hue kaha...bolo phir.kya kahati ho.karani hai kal
shaadi ?.ek to chut par khade lund ki ragadan aur upar se shaadi ka
praposal..mere to chakke chut gaye. bas kah kuch nahi paayi.usake dono
haathom ko apane dono haathom se pakad kar daba li. wah kuch na bola.
shaayad meri haalat samajh raha tha. bas...dhakka laga kar lund mere
andar ghusa diya.
kramashah.........
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