Wednesday, March 9, 2011

नौकर से चुदाई पार्ट---4

नौकर से चुदाई पार्ट---4
गतान्क से आगे.......
अंदर पहले का पानी भरा था. और मैं दुबारा गीली भी हो रही
थी.लंडराज ऐसे घुसे जैसे मक्खन मे छुरी. लेकिन छुरी तो छुरी
होती है. रोकते रोकते भी मेरे मुँह से सीत्कार निकल पड़ी. अंधेरा
बंद कमरा मेरी ज़ोर की सीत्कार से गूँज उठा..सीईईई.बदन कड़ा
पड़ गया. बिस्तर की चादर हाथों से पकड़ नोच ली. उसने तो एक ही
धक्के मे पूरा लंड जड़ तक अंदर घुसा दिया. जब घुस गया तो मेने
यह सोच कर कि यह कही अभी का अभी शुरू ना हो जाए-उसे अपने उपर
गिरा लिया.और उस के गले मे बाहे डाल दी. और और अचानक मुझे ना
जाने क्या हुआ कि मैं रो पड़ी. सूबक सूबक कर रो पड़ी. रात के
अंधेरे मे...हरिया की खटिया पर..एकदम मादरजात नंगी.हरिया का
मोटा लंड अपनी चूत मे फुल घुसवाए हुए.मैं ज़ोर ज़ोर से रो रही
थी बेचारा हरिया तो हक्का बक्का रह गया..उसने अपना लंड तो नही
निकाला-पर लंड को चूत मे स्थिर कर बार बार पूछने लगा.क्या हुआ
बीबीजी. मैं बहुत देर तक रोती रही.वह चुपचाप लंड घुसेडे मेरे
बालों मे उंगलीया फिराता रहा. जब मैं थोड़ा नारमल हुई तो
सुबकि भर उस से बोली..मुझे छोड़ के मत जाना हरिया...-मेरा
तुम्हारे सिवा कोई नही है...आप बिल्कुल मत डरो बीबीजी..मैं आपको
क्यों छोड़ूँगा.मुझे आपके जैसी सुंदर औरत कहा मिलेगी.मुझ पर
भरोसा करो बीबीजी..और जानते है क्या हुआ..?.हरिया ने खचाक से
अपना लंड मेरी चूत से खीच लिया. उठा. खाट से उतरा. मुझे हाथ
पकड़ कर उठाया. खीच के मुझे दीवार की तरफ ले गया.
और.खत..आवाज़ के साथ कमरे की ट्यूब लाईट जल उठी. अजीब
द्रश्य था. मैं और वो दोनो मादरजात नंगे थे. उस का मोटा सा
काला लंड अभी भी तन कर खड़ा था.मेरे आगे लकड़ी के डंडे जैसा
झूल रहा था..एक दम काला मोटा लंबा.उसमे तीनों ही खूबीया थी.इत्ता
बड़ा लंड मेने तो जिंदगी मे पहली बार देखा था. मेरी तो साँस ही
थम गयी. लज्जा के मारे मेरा बुरा हाल था. वह मुझे खीच कर
भगवान के आलिए के पास ले गया. और मैं कुछ समझ पाती इस के
पहले ही उस ने वाहा से सिंदूर ले कर मेरी माँग भर दी. ओह्ह्ह्ह्ह माँ यह
क्या किया रे मुझ विधवा की माँग मे सिंदूर !!!!!!!!! मैं तो
गणगना कर वही ज़मीन पर बैठ गयी. हरिया ने पकड़ कर मुझे
उठाया और खटिया पर ले गया. वा मेरी बगल मे लेटने लगा तो मैं
कुनमूनाई..ला..ई..ट. वह मूँछों मे मुस्कराया..अब लाईट तो रहने
दो बीबीजी..कम से कम मैं तुम्हे देख तो सकूँ. और वह भी मेरे पास
आ लेटा. मैं रोशनी मे शरमाती हुई बोली..-यह क्या किया ? मेरी माँग
भर दिए ? और उसके सीने मे मुँह छुपा लिया..उसने मुझे अपनी बाहों
मे भर लिया..आप नाराज़ तो नही हो ना ? उसका हाथ मेरी पीठ पर
था. मुझसे शरम के मारे कुछ बोलते नही बना.बताओ ना
बीबीजी..अपने मन की बात खुल कर कहो. मैं तब भी कुछ ना बोली.बस
अपनी बाहे उसके गले मे पिरो कर अपने मम्मे उसके सीने से दबा
दिए..मेरे मम्मों का मधुर दबाव महसूस कर वह अपना जवाब पा गया.
और बस अगले ही क्षण वह मेरे उपर था. मैं अपनी टाँगों को खुद ही
मोड़ कर उस के लिए जगह बनाते हुए सोच रही थी कि ये आख़िर चीज़
क्या है.कितनी देर हो गयी अभी तक अपना लंड खड़ा ही किए हुए
है.पहले मेरी मे घुसा चुका था-फिर निकाल के, उठा कर ले
गयामांग मे सिंदूर भरा-फिर खटिया पर आ कर घुसाने को तैयार
है.कब से खड़ा है इसका दूसरे का होता तो अभी तक कभी का ढीला
हो जाता. और मेने टांगे मोडी ही थी कि मेरे प्यारे नौकर ने अपना
लंड पकड़ कर मेरी चूत से लगा दिया. वह धक्का दे उसे अंदर करता
उस के पहले ही मैं उसका हाथ पकड़ कह उठी..हा..री..याआअ
धी..रे...-वह मुस्करा दिया..

अब कमरे मे ट्यूब लाईट का उजाला था,इस वजह से मुझे अपने नौकर
के आगे बहुत शरम आ रही थी.मेने उसे मुस्कराता पा शरमा कर
अपना हाथ कुहनी से मोड़ कर आँखों पर,चेहरे पर रख लिया. उसने
धक्का दिया तो लंड प्रवेश की पीड़ा से मैं एक बारगी तड़प उठी. पर
मुँह को कस के बंद किए रही..बीबीजी..दर्द हो रहा है क्या ? मैने
कहा तो कुछ नही,पर दर्द महसूस ज़रूर कर रही थी.बहुत मोटा और
कड़ा लंड था साले का.ज़्यादा दर्द हो रहा हो तो निकाल लू ? उसने मुझे
छेड़ा..मैं काट के रह गयी. 35 साल की मेरी उमर एक बच्चे की माँ
यह ठीक है कि मेने सात साल बाद लिया था पर यह तो संसार का
आठवा आसचर्या होता कि दर्द की वजह से उसे लंड निकालना पड़
जाता. मैने कनखियों से उसे देखा. मालकिन की चूत मे लंड घुसा
बड़ा खुश नज़र आ रहा था..बीबी जी.(उसने थोड़ा सा लंड बाहर की
तरफ खीचा.)उम...(मैं गणगना कर कमर हिलाई)बोला करो...(उसने
झट से पूरा अंदर कर दिया) मुझे शरम आती है ना.(मैं धक्के से
हिल उठी)अरे इसमे कैसी शरम.यह तो सब कोई करते है.(उसने मेरे
घुटने पकड़ चौड़े कर दिए)बताओकरते है कि नही.(और एक मझोला
धक्का मारा) का..का..करते..है..(मैं आनंद से विहल हो
उठी.)औरत मरद का तो जोड़ा होता है बीबीजी..इसमे कैसी शरम.(उसने
लंड अंदर किया).( मैं मोटे लंड की मार से व्याकुल हो तकिये पर
उपर खिसक पड़ी) बीबीजी.देखो..शरम करोगी तो मज़ा नही
आएगा...(उसने अपने लंड राम को इतना बाहर निकाला लिया कि अंदर
बस सुपारा ही बचा)..(मैं चुप्पी मारे चेहरे पर कुहनी मोडेपडी
रही.)बीबीजी. (उसने मेरी टाँगो को भरपूर उँचा उठा कर लंड
घुसाया.)..(मैं सात साल बाद मर्द का मज़ा ले रही थी.जवाब नही
दिया.बस चुप पड़ी रही )बीबीजी...बोलो ना..अपने मन की भावना को
प्रगट करो..ऐसे चुप ना रहो...मुझे चूत खोल कर पड़ी रहने वाली
औरते पसंद नही है..(और गचाक से लंड घुसेड़ा).

हम बोल तो रहे
हैं.(मैने कुनमूना के उसके धक्के का मज़ा लिया.)बोलोज्यादा दर्द तो नही
है अंदर.(उसने मेरे घुटने को सहलाया)ज़्यादा नही है...(मैं
शरमा के कही)निकाल लू ?धात..-फिर.(वह हंसा)मैं क्या
जानूँ.(मेरे गाल लाल हो गये)चोदु...(वह गपाक से अंदर
किया)हामाआ.(मस्ती के मारे मेरे मुँह से हा निकल पड़ी)मज़ा पा रही
हो ना.(वह बाहर खीचा)हामाआ..(मुझे लगा कि मई जन्नत मे
हू.)ज़ोर से चोदु ?... (वह मेरी जाँघ पर हाथ फेरा)नही...(मैं
उत्तेजना के शिखर पर पहुँच रही थी.)फिर..(वह पूरा का पूरा लंड
अंदर कर दिया.) धीरे..हाय..धीरे सीई रीई..(मैं दर्द से कराह
उठी).वह धीरे से निकाला.धीरे से घुसाया..ऐसे ? ( मेरी तरफ
देख मुस्कराया)हाँ...आईसीई ईईईईई..(मैं धक्कों के ज़ोर से
उचक पड़ी)मज़ा आया ?(उसे मालकिन की चूत पर कब्जा करने की अपार
खुशी थी)सीईईई..(मैं ज़ोर से सीत्कार उठी.पर उस का जवाब नही
दिया)बोलो..(वह अपना कड़क लंड मेरी चूत मे जड़ तक पेल दिया.)क्या..
(मैं धक्के के ज़ोर से तकिये पर उपर की तरफ खिसक गयी.)कैसा लग
रहा है...

(वह जल्दी वाला धक्का मारा )सीईईईईई...हरिय्ाआआ..मर
जाउम्गीईईईइ..(मैने चेहरे से हाथ हटा उसका हाथ पकड़ लिया.).वह
तो तेश मे आ गया और तीन चार धक्के दिए. मैं झरने के कगार पर
पहुँच गयी. उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँच मेरी सारी शरम
पता नही कहा घुस गयी. मेने अपने नौकर का हाथ पकड़ उसे अपने
उपर गिरा लिया और दोनो हाथोंदोनो पाओंसे उसे बुरी तरह जकड़ते
हुआ ज़ोर से सिसकारी सी भरी..ओ हर्र्रियाअ रहह..मेरा शरीर
रोमांच से भर उठा. मैं हरिया के नीचे एकदम पत्ते की तरह कंपकपाने
लगी. जैसे कोई जुड़ी ताप बुखार चढ़ा हो. मेरे मुँह से बस
ईईईईईईईईईईईईईईई की आवाज़ निकल रही थी. चतुर
हरिया समझ गया कि मेरा डिस्चार्ज हुआ है. उसने उसीमे कस के तीन
चार धक्के मार दिए. और लो उसका भी हो गया..लंड मेरे अंदर तुनक
तुनक के अपना माल गिराने लगा. मैं अपने नौकर की क्रीड़ा पर
निहाल हो गयी..दोनो एक दूसरे को ऐसे जाकड़ लिए कि अब कभी जुदा ही
नही होना है...----.औरत की जिंदगी मे मर्द के पहले
चुबन की बहुत ज़्यादा अहमियत रहती है. शायद मर्द को भी
रहती हो. आप को यह जानकर ताज्जुब होगा कि मैं पिछले दिनों अपने
नौकर हरिया द्वारा चोदि तो गयी थी..पर ना तो उसने मेरा मम्मा
दबाया था और ना ही मुझे चूमा था. पता नही उसके यहा इन बातों
का रिवाज भी था या नही. पर उसके मेरी माँग भर कर चोदने के
तरीके से मैं बहुत थ्रील्ड थी. हालाकी मैने कई बार मर्द के साथ
कल्पना मे चुदाई की थी. पर हरिया का ख़याल उसके नौकर होने की
वजह से कभी नही आया था. एक ऐसे व्यक्ति से चुदाई करवाने का
मज़ा कुछ और ही होता है जिसके बारे मे आपने पहले कभी सोचा ही
नही हो. मेने तो कभी कल्पना ही नही की थी कि किसी दिन अपने नौकर
हरिया से चुदवाउंगी. हालाकी वह मेरे साथ पिछले दो साल से
है..तो मैं बात कर रही थी पहले चुंबन की. मुझे हरिया से
पहला चुंबन आज शाम को मिला. जब मैं स्कूल से आई तो दरवाजा
खोलनेवाला हरिया था. मैं अंदर आई तो उसने फॉरन दरवाजा बंद
कर मुझे बाहों मे भर लिया. एक दम दिन दहाड़े उसकी इस हरकत से
मैं घबरा सी गयी. उसकी बाहों से निकलने की कोशिश की.
छटपताई..छोड़ो ना..-क्या करते हो..-कोई देख लेगा ना.. मैं
छटपटा कर उसकी बाहों से आज़ाद होने की कोशिश करती रही. पर
मेरा यह प्रयास व्यर्थ था. मर्द के आलिंगन से छूटना हम औरतों
के लिए इतना आसान नही होता है. और फिर अगर मर्द हरिया के जैसा
कड़ियल हो तो बिलकुल भी नही. उल्टे इस चक्कर मे मेरे ब्लाओज मे कसे
उरोज उसके चौड़े सीने से रगड़ रगड़ उठे. और तब उसने मुझे चूमा.
एक चुंबन..मेरा पहला चुंबन.मेरे दाएँ वाले गाल पर..हरिया
सावला रंग हमेशा धोती और बंदी पहनता है. 30-35 की उमर
पहाड़ी मर्द कसरती देह फॉलादी बाँहे तेज बीड़ी की महक मेरे
नथुनो मे घुसती चली गयी. बड़ी बड़ी झाओ मुच्छे मेरे गोरे गोरे
गाल पर गढ़ उठी.

शरम के मारे मेरे तो गाल ही गुलाबी हो उठे. मैं चुंबन खा ज़ोर
लगा कर उस से छूट गयी और वाहा से भाग के अपने कमरे मे घुस
गयी. जब मैं अपनी साड़ी से अपना गाल पोन्छा तो उस पल का अहसास
करते ही मेरे गोरे गाल फिर से गुलाबी हो उठे..थोड़ी देर बाद जब
वह खाना बना रहा था तो मैं किसी काम से किचन मे गयी. उसने मोका
नही छोड़ा. मुझे फॉरन से कमर मे हाथ डाल लिपटा लिया..क्या करते
हो.-छोड़ो..-कोई देख लेगा...उसने ज़ोर से आलिंगन मे बाँध लिया. एक बार
फिर मेरे सुपुष्ट उभार उसके सीने से रगड़ उठे..यहा कोई नही है
बीबीजी.-मुन्ना.मैं किसी तरह शरमाई सी बोली.साथ ही कुछ
जानबूझकर कर ही अपने मम्मे उसके सीने से रगड़ी.वो तो बाहर
खेल रहा है..मैं चुप रही तो उसने मुझे भिच लिया..बीबीजी...उसके
हाथ मेरी पीठ पर सख़्त हो गये.हुमुऊ..मैने चिपक कर जवाब
दिया.नाराज़ तो नही हो ना..उसने पूछा..दर असल वह डर रहा था. वह
नौकर मैं मालकिन दोनो के स्तर मे बड़ा फ़र्क था. उसने मुझे स्कूल से
आते ही चूम लिया था.इस कारण अब डर रहा था कि कही मालकिन
नाराज़ हो जाए और उसकी नौकरी चली जाए. पर क्या आप भी
समझते है कि उसकी नौकरी जाने वाली थी ? नही भाई नही अरे
उसका तो प्रमोशन होने वाला था. वह तो नौकर से मेरा हसबेंड
बनने वाला था. मेरा प्राईवेट हसबेंड. प्राईवेट हसबेंड
यानी समाज की नज़रो मे मेरा नौकर परंतु घर मे मेरा वो..हा हा हा
हा हा हा दोस्तो कहानी अभी बाकी है आगे क्या हुआ जानने के लिए
पढ़ते रहे नौकर से चुदाई . आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........

Noukar se chudaai paart---4
gataank se aage.......
andar pahale ka paani bhara tha. aur mai dubaara geeli bhi ho rahi
thi.lundaraaj aise ghuse jaise makkhan me churi. lekin churi to churi
hoti hai. rokate rokate bhi mere mumh se seetkaar nikal padi. andhera
band kamara meri jor ki seetkaar se gumj utha..seeeeeeee.badan kada
pad gaya. bistar ki chaadar haathom se pakad noch li. usane to ek hi
dhakke me pura lund jad tak andar ghusa diya. jab ghus gaya to mene
yah soch kar ki yah kahi abhi ka abhi shuru na ho jaaye-use apane upar
gira liya.aur us ke gale me baahe daal di. aur aur achaanak mujhe na
jaane kya huaa ki mai ro padi. subak subak kar ro padi. raat ke
andhere me...hariya ki khatiya par..ekadam maadarajaat namgi.hariya ka
mota lund apani chut me phul ghusawaaye hue.mai jor jor se ro rahi
thee bechaara hariya to hakka bakka rah gaya..wah apana lund to nahi
nikaalaa-par lund ko chut me sthir kar baar baar puchane laga.kya hua
bibijee. mai bahut der tak roti rahi.wah chupachaap lund ghusede mere
baalom me umgaleeya phiraata raha. jab mai thoda naaramal hui to
subaki bhar us se boli..mujhe chod ke mat jaana hariya...-mera
tumhaare siwa koi nahi hai...aap bilkul mat daro bibijee..mai aapako
kyom chodumga.mujhe aapake jaisi sundar aurat kaha milegi.mujh par
bharosa karo bibijee..aur jaanate hai kya hua..?.hariya ne khachaak se
apana lund meri chut se kheech liya. utha. khaat se utara. mujhe haath
pakad kar uthaaya. kheech ke mujhe deewaar ki taraph le gaya.
aur.khat..awaaj ke saath kamare ki tyub laaeet jal uthi. aajeeb
drashya tha. mai aur wo dono maadarajaat namge the. us ka mota sa
kaala lund abhi bhi tan kar khada tha.mere aage lakadi ke dande jaisa
jhul raha tha..ek dam kaalamotalamba.usame teenom hi khubeeya thi.itta
bada lund mene to jindagi me pahali baar dekha tha. meri to saams hi
tham gayi. lajja ke maare mera bura haal tha. wah mujhe kheech kar
bhagawaan ke aaliye ke paas le gaya. aur mai kuch samajh paatee is ke
pahale hee us ne waha se sindur le kar meri maamg bhar di. o maam yah
kya kiya reeh mujh vidhava ki maamg me sindur !!!!!!!!! mai to
ganagana kar wahi jami par baith gayi. hariya ne pakad kar mujhe
uthaayaa aur khatiya par le gaya. wah meri bagal me letane laga to mai
kunamunaayi..la..i..t. wah mumchom me muskaraaya..ab laaeet to rahane
do bibijee..kam se kam mai tumhe dekh to sakum. aur wah bhi mere paas
a leta. mai roshani me sharamaati hui boli..-yah kya kiya ? meri maamg
bhar diye ? aur usake seene me mumh chupa li..wah mujhe apani baahom
me bhar liya..aap naaraaj to nahi ho na ? usaka haath meri peeth par
tha. mujhase sharam ke maare kuch bolate nahi bana.bataao na
bibijee..apane man ki baat khul kar kaho. mai tab bhi kuch na boli.bas
apani baahe usake gale me piro kar apane mamme usake seene se daba
di..mere mammom ka madhur dabaav mahsoos kar wah apana jawaab pa gaya.
aur bas agale hi kshan wah mere upar tha. mai apani taangom ko khud hi
mod kar us ke liye jagah banaate hue soch rahi thi ki ye aakhir cheej
kya hai.kitani der ho gayi abhi tak apana lund khada hi kiye
hai.pahale meri me goch chuka thaa-phir nikaal ke, utha kar le
gayamaamg me sindur bharaa-phir khatiya par a kar ghusaane ko taiyaar
hai.kab se khada hai isakadusare ka hota to abhi tak kabhi ka dheela
ho jaata. aur mene taamge modi hi thi ki mere pyaare naukar ne apana
lund pakad kar meri chut se laga diya. wah dhakka de use andar karata
us ke pahale hi mai usaka haath pakad kah uthi..ha..ri..yaaaaa
dhi..re...-wah muskara diya..

ab kamare me tyub laaeet ka ujaala thaa,is wajah se mujhe apane naukar
ke aage bahut sharam a rahi thi.mene use muskaraata pa sharama kar
apana haath kuhani se mod kar aamkhom par,chehare par rakh liya. usane
dhakka diya to lmd pravesh ki peeda se mai ek baaragi tadap uthi. par
mumh ko kas ke band kiye rahi..bibijee..dard ho raha hai kya ? mai
kahi to kuch nahi,par dard mahasoos jaroor kar rahi thi.bahut mota aur
kada lund tha saale ka.jyaada dard ho raha ho to nikaal lu ? wah mujhe
cheda..mai kat ke rah gayi. 35 saal ki meri umar ek bachche ki maam
yah theek hai ki mene saat saal baad liya thaa par yah to samsaar ka
aathawa aaschary hota ki dard ki wajah se use lund nikaalana pad
jaata. mai kanakhiyom se use dekhi. maalakin ki chut me lund ghusa
bada khush nazar a raha tha..beebi ji.(wah thoda sa lund bahar ki
taraph kheecha.)um...(mai ganagana kar kamar hilaayee)bola karo...(wah
jhat se pura andar kar diyaa) mujhe sharam aati hai na.(mai dhakke se
hil uthee)are isame kaisi sharam.yah to sab koi karate hai.(wah mere
ghutane pakad chode kar diyaa)bataaokarate hai ki nahi.(aur ek majhola
dhakka maaraa) ka..ka..karate..hai..(mai aanand se vihal ho
uthi.)aurat marad ka to joda hota hai bibijee..isame kaisi sharam.(wah
lund andar karaa).( mai mote lund ki maar se vyaakul ho takiye par
upar khisak padee) bibijee.dekho..sharam karogi to maja nahi
aayega...(wah apane lundaraam ko itana baahar nikaala liya ki andar
bas supaara hi bachaa)..(mai chuppi maarechehare par kuhani modepadi
rahi.)bibijee. (wah meri taamgo ko bharapur umcha utha kar lund
ghusaaya.)..(mai saat saal baad mard ka maja le rahi thi.jawaab na
di.bas chup padi rahi )bibijee...bolo na..apane man ki bhaavana ko
pragat karo..aise chup na raho...mujhe chup khol kar padi rahane waali
aurate pasand nahi hai..(aur gachaak se lund ghusedaa).

ham bol to rahe
haim.(mai kunamuna ke usake dhakke ka maja li.)bolojyaada dard to nahi
hai andar.(wah mere ghutane ko sahalaayaa)jyada nahi hai...(mai
sharama ke kahee)nikaal lu ?dhat..-phir.(wah hamsaa)mai kya
jaanum.(mere gaal laal ho gaye)chodum...(wah gapaak se andar
kiyaa)haamaaa.(masti ke maare mere mumh se ha nikal padee)maja pa rahi
ho na.(wah baahar kheechaa)haamaaaa..(mujhe laga ki mai jannat me
hu.)jor se chodu ?... (wah meri jaamgh par haath pheraa)nahi...(mai
uttejana ke shikhar par pahumch rahi thi.)phir..(wah pura ka pura lund
andar kar diya.) dheere..haay..dheere seeee reeee..(mai dard se karaah
uthee).wah dheere se nikaala.dheere se ghusaaya..aise ? ( meri taraph
dekh muskaraayaa)haam...aiseeee eeeeeeeei..(mai dhakkom ke jor se
uchak padee)maja aaya ?(use malakin ki chut par kabja karane ki apaar
khushi thee)seeeeeei..(mai jor se seetkaar uthi.par us ka jawaab na
dee)bolo..(wah apana kadak lund meri chut me jad tak pel diya.)kya..
(mai dhakke ke jor se takiye par upar ki taraph khisak gayi.)kaisa lag
raha hai...

(wah jaldi waala dhakka maara )seeeeeeeeeei...hariyaaaaaa..mar
jaaumgeeeeeeeei..(mai chehare se haath hata usaka haath pakad li.).wah
to tesh me a aur teen chaar haath kuda diya. mai jharane ke kagaar par
pahumch gayi. uttejana ki charam seema par pahunch meri saari sharam
pata nahi kaha ghus gayi. mene apane naukar ka haath pakad use apane
upar gira liya aur dono haathomdono paavomse use buri tarah jakadate
huai jor se sisakari si bhari..o harrriyaaa rehhhhh..mera shareer
dhuja utha. mai hariya ke neeche ekadam patte ki tarah kampakapaane
lagi. jaise koi judi taap bukhaar chadha ho. mere mumh se bas
eeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeei ki aawaaj nikal rahi thi. chatura
hariya samajh gaya ki mera dischaarj hua hai. wah useeme kas ke teen
chaar dhakke mar diya. aur lo usaka bhi ho gaya..lund mere andar tunak
tunak ke apana maal giraane laga. mai apane naukar ki kreeda par
nihaal ho gayi..dono ek dusare ko aise jakad liye ki ab kabhi juda hi
nahi hona hai...Rukmini 5.----.aurat ki jindagi me mard ke pahale
chubamn ki bahut jyaada ahamiyat rahati hai. shaayad mard ko bhi
rahati ho. aap ko yah jaanakar taajjub hoga ki mai pichale dinom apane
naukar hariya dwaara chodi to gayi thi..par na to usane mera mamma
dabaaya tha aur na hi mujhe chuma tha. pata nahi usake yaha in baatom
ka riwaaj bhi tha ya nahi. par usake meri mag bhar kar chodane ke
tareeke se mai bahut thrild thi. haalaki maine kai baar mard ke saath
kalpana me chudaayi ki thi. par hariya ka khayaal usake naukar hone ki
wajah se kabhi nahi aaya tha. ek aise vyakti se chudaayi karawaane ka
maja kuch aur hi hota hai jisake baare me aapane pahale kabhi socha hi
nahi ho. mene to kabhi kalpana hi nahi ki thi ki kisi din apane naukar
hariya se chudawaaumgi. haalaaki wah mere saath pichale do saal se
hai..to mai baat kar rahi thi pahale chumban kee. mujhe hariya se
pahala chumban aaj shaam ko mila. jab mai skool se aayi to darawaaja
kholanewaala hariya tha. mai andar aayi to wah phoran darawaaja bamd
kar mujhe baahom me bhar liya. ek dam din dahaade usaki is harakat se
mai ghabara si gayi. usaki baahom se nikalane ki koshish ki.
chatapataayi..chodo na..-kya karate ho..-koi dekh lega na.. mai
chatapata kar usaki baahom se aajaad hone ki koshish karati rahi. par
mera yah prayaas vyartha tha. mard ke aalimgan se chutana ham auratom
ke liye itana aasaan nahi hota hai. aur phir agar mard hariya ke jaisa
kadiyal ho to bilakul bhi nahi. ulte is chakkar me mere blaauj me kase
uroj usake chode seene se ragad ragad uthe. aur tab wah mujhe chuma.
ek chumban..mera pahala chumban.mere daayem waale gaal par..hariya
sawala ramg hamesha dhoti aur bamdi pahanata hai. 30-35 ki umar
pahaadi mard kasarati deh pholaadi bahe tej beedi ki mahak mere
nathunom me ghusati chali gayi. badi badi jhaau muchem mere gore gore
gaal par gad uthi.

sharam ke maare mere to gaal hi gulaabi ho uthe. mai chumban kha jor
laga kar us se chut gayi aur waha se bhaag ke apane kamare me ghus
gayi. jab mai apani saadi se apana gaal pomchi to us pal ka ahasaas
karate hi mere gore gaal phir se gulaabi ho uthe..thodi der baad jab
wah khaana bana raha tha to mai kisi kaam se kichan me gayi. wah moka
na choda. mujhe phoran se kamar me haath daal lipata liya..kya karate
ho.-chodo..-koi dekh lega...wah jor se aalimgan me badh liya. ek baar
phir mere supusht ubhaar usake seene se ragada uthe..yaha koi nahi hai
bibijee.-munna.mai kisi tarah sharamaayi si boli.saath hi kuch
jaanabujhakar kar hi apane mamme usake seene se ragadi.wo to baahar
khel raha hai..mai chup rahi to wah mujhe bhich liya..bibijee...usake
haath meri peeth par sakhta ho gaye.humuu..mai chipak kar jawaab
di.naaraaj to nahi ho na..wah pucha..dara asal wah dar raha tha. wah
naukar mai maalakin dono ke star me bada phark tha. wah mujhe skool se
aate hi chum liya tha.is kaaran ab dar raha tha ki kahi maalakin
naaraaj ho jaaye aur usaki naukari chali jaaye. par kya aap bhi
samajhate hai ki usaki naukari jaane waali thi ? nahi bhai nahi are
usaka to pramoshan hone waala tha. wah to naukar se mera hasabemd
banane waala tha. mera praaeevet hasabemd. praaeevet hasabemd
yaanee samaaj ki najaro me mera naukar paramtu ghar me mera wo..hi hi
hi.
kramashah.........


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