Saturday, March 26, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ गाँव वाली भौजी --2

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
 गाँव वाली भौजी --2

 गतान्क से आगे................

फिर भौजी पहले उठी तो उन्होने अपने पेटीकोआट को ठीक किया फिर अपनी पूरी
सारी उतार दी. मुझे शरम सी आने लगी तो मेने मूह दूसरी तरफ कर लिया पेर
भौजी बोली क्यों लाला शरमाते हो अरे जब मुझे शर्म
नही आ रही तो तुम क्यों शरमाते हो फिर आस पास कोई नही हे अरे पूरा नज़ारा
किया करो जब मौका मिले. शादी होगी तो क्या लुगाई से भी ऐसे ही शरमाओगे
क्या, बेवकूफ़ कहीं के. इस दौरान भोजी ने अपने
पेरतीकोआट की गाँठ खोलकर पहले उसे ठीक किया और फिर पेटीकोआट को टाइ
बाँधकर अपनी सारी पहनी सुरू कर दी. फिर उन्होने बिना सरमाये अपने ब्लाउस
के सारे बटन खोलकर अपना ब्लाउस भी
दुबारा से अड्जस्ट किया. जब भोजी के ब्लाउस के सारे बटन खुले तो मुझे
भौजी के गोल मटोल चूचों का कुच्छ सेकेंड्स के लिए नज़ारा करने का मौका
मिल गया. पर दोस्तों यह छ्होटा सा मौका ही सही पर मुझे सचमुच उस्दीन जंगल
में मंगल वाली कहावत सच लग रही थी. भौजी गाँव की लेडी थी और वह मेक अप भी
किए हुए नही थी और बाहर से दिखने में आवरेज ही लगती थी पर यार उसके
कपड़ों के नीचे की आइटम्स तो
ऐसे मस्त थे कि साली मल्लिका शेरावत जैसी आइटम गर्ल भी अपनी ऐसी तैसी करवा ले.

भौजी के नंगे बदन का नज़ारा करके आज मेरी आँखों की प्यास तो बढ़ ही गयी
थी साला लंड भी नीचे से ज़ोर मार रहा था, पर में बड़ा शर्मा रहा था और
मुझे हमेशा डर लगा रहता था कि कही कोई आ गया तो बड़ी बेइज़्ज़ती होगी. पर
भौजी बड़ी बिंदास थी वह मुझसे बोली देखो लल्ला तुम शहर से आए हो एक दो
दिन हम
भी तुम्हारे साथ मज़ा मस्ती कर लें और तुम भो गाँव देहात में हँसी खुशी
कुच्छ टाइम काट लो. यह शरमाने का नाटक हमसे ना करना, अरे कैसे मर्द हो जो
एक जवान जनानी को नंगा देख के जनानी की माफ़िक़
शरमाते हो. कल से अगर हमारे साथ आना हो तो ज़रा मज़ा मस्ती किया करो अरे
हमार मर्द तो साला दिन भर मेहनत मज़दूरी करे और रात में रज़ाई तान के सो
जाए. और अगर कुच्छ करेगा भी तो हमारे मज़ा की परवाह किए बगैर चढ़ जाए
हमारी टाँगों के बीच साली जैसी हम कोई  बेजान मूरत हेँ. हमार मन ही  ना
हेई, हमका क्या पसंद हेई क्या नही हेई,
ऐसा ही धक्का  पेली करके 3 साल में 3 पैदा हो गये. फिर पता नही भौजी को
क्या लगा और बोली अरे में भी
क्या कहने लगी अपना रोना ले के बैठ गयी. लल्ला हामका माफ़ करी तुम तो गैर
हो जैसा तुमको ठीक लगे वैसा करना, तुम जैसा सुंदर जवान को देखकर हमरा मन
भी साला  फिसल गया.

अगर तुमको बुरा लगे तो माफ़ करना हम तो गवाँर लोग हें बोलने की तमीज़ नही
हे. मेने कहा नही भौजी ऐसी बात नही हे आप बहुत सुंदर और समझदार हो, और कल
में आपके साथ ही आउन्गा. बाकी आप ज़्यादा बड़ी हेँ आप जैसा कहेंगी वैसा
करने की कोशिश करूँगा, इस बार भौजी मुश्कारा दी और बोली सच? मेने कहा
बिल्कुल में आप को परेशान नही देख सकता. बातचीत के साथ हम लकड़ियों का
ढेर भी लगा रहे थे जिससे गाड़ी में जल्दी से डाली जा सकें. फिर हूमे बैल
गाड़ी आती हुई दिखी, और थोड़ी देर में वह हमारे पास आकर रुकी और सबने
लकड़ियाँ गाड़ी में लोड कर दी और गाड़ी एकदम उपेर तक भर गयी और हम लोग
विलेज को रिटर्न हो गये. जब हम गाँव में लकड़ियाँ लेकर पहुँचे तो दिन के
करीब 2:00 बजे थे हम भोजी को बाइ (नमस्ते) कह कर वापस घर आ गये.

उस दिन में सारा टाइम भौजी के बातों और उनके नंगे बदन के बारे में ही
सोचता रहा और मेरे दिमाग़ में हमेशा भौजी का नंगा बदन घूम रहा था. में
रात को नींद में सोने के समय भी भौजी की चुदाई करने के बारे में सोच रहा
था. और दोस्तों रात को मुझे ऐसा लगा कि अंधेरे में कोई मेरे बिस्तर के
पास खड़ी हे फिर वह मेरे बगल में आकर सो गयी फिर मेने देखा कि वह तो भोजी
थी मेने जैस ही कुछ बोलता उनने मेरा मूह बंद कर दिया
और बोली जल्दी से अपना पयज़ामा खोलो, में कुच्छ करता इससे पहले ही भौजी
ने मेरा पयज़ामा खोल दिया और मेरे लंड को हिलाने लगी. अब मुझे भी मज़ा
आने लगा तो मेने भी भौजी का ब्लाउस के बटन खोलने सुरू कर दिए और ये क्या
भौजी ने ब्रा नही पहनी थी और ब्लाउस खलते ही भौजी की गुलाबी गोल चूचिया
नज़र आने लगी तो मेने उनको दबाना सुरू कर दिया तो भौजी को मज़्ज़ा आने
लगा और उसने मेरा लंड छ्चोड़ दिया
जो अब तनने लगा था इधर अब में अपने मूह से भोजी की चुचियों को चूमना सुर
कर दिया तो भौजी खाट पर पाँव मारने लगी तो मेने हाथ नीचे किया तो भोजी ने
केवल पेटी कोट पहन रखा था.

मेने भौजी की कमर में हाथ डालकर साइड से भौजी के पेटीकोआट का नाडा खोल
दिया जिससके बाद में उनका पेटीकोआट भी नीचे को खींच दिया और जब मेने भौजी
की दोनो टाँगों के बीच हाथ डाला
तो भौजी का वह अरे एकदम चिकना था और वाहा दिन की तरह बाल नही थे. वाहा
मेरा हाथ एकदम फिसल रहा था और रानो के बीच एक गड्ढा सा था जो शायद भौजी
की चूत का एरिया था पर अंधेरे में कुच्छ दिख नही रहा था बस महसूस हो रहा
था. भौजी मेरी जांघों और पीठ पर अपने हाथो से रगड़ रही थी और हल्के से
आहें भर
रही थी फिर भौजी ने मेरे लंड पर हाथ लगाया और धीरे से बोली लाला आ जाओ
मेरे उपेर और पेल अपना लंड मेरे टाँगों के बीच. मेने भी भौजी का पेटिकोट
और नीचे सरकाया और उनकी दोनो जंघें फैलाकर अपने लंड से भौजी चूत के आस
पास रगड़ने लगा तो भौजी बोली लाला में तेरी मदद करती हूँ और भौजी ने मेरा
लंड पकड़ कर अपनी चूत के उपेर लगाया और बोली लाला पेल दे पूरी से फाड़ दे
साली को और मेरे छूतदों पर ज़ोर से थपकी मारी.

अबकी बार मेने भी अपनी आँखें बंद करके एक ज़ोर का धक्का लगाया तो मेरा
लंड आधे से ज़्यादा भौजी की चूत में चला गया पर पूरा अंदर नही गया. इस
बार भौजी ने नीचे से एक धक्का लगाया और मुझसे दुबारा धकेलने को कहा अबकी
बार मेरा पूरा लंड भौजी की चूत के अंदर तक चला गया और भौजी मज़े में
उछलने लगी और बोली लाला मार धक्का, आहह पूरी ताक़त से साली को फाड़ दे,
पर मुझे मज़्ज़ा दे दे. मेने अब धक्का लगाना सुर कर दिया और मेरा लंड
भौजी की चूत में अंदर बाहर होने लगा में भी पूरी ताक़त से
भोजी की चुदाई करने लगा और भोजी नीचे से धक्का लगा कर मुझे और एनकरेज कर
रही थी. फिर अचानक भौजी बोली अरे राज तू नादान बच्चा है में तुझे
ट्रैनिंग देती हूँ कि चुदाई कैसे की जाती हे चल अब तू नीचे हो में उपेर
आती हूँ. और इसके बाद हम दोनो ने पोज़िशन बदल ली और अब भौजी उपेर से मेरे
लंड पर सवार हो गयी
और उच्छल कर मेरे लंड को अपनी चूत में लेने लगी और में उनके छूतदों पर
हाथ फेरने लगा भौजी के चूतड़ सुबह की तरह ही सॉफ्ट और चिकने थे उन पर हाथ
फेरने में बड़ा मज़ा आ रहा था भौजी दबा दब अपनी चूत पिलवाए जा रही थी और
एक तरह से मेरे लंड में अपनी चूत पिलवा रही थी.

अचानक जाने क्या हुवा कि मुझे लगा कि भौजी कही गायब हो गयी और में बेड पर
पीठ के बल लेटा हुवा हूँ में हाथ से अंधेरे में टटोला तो वहाँ कोई नही था
बस अंधेरा ही अंधेरा था. मेने अपने पयज़ामे में हाथ लगाया तो वह बँधा
हुवा था फिर जैसे ही मेने अपने लंड के आस पास हाथ लगाया तो वहाँ पर मेरा
अंडर वेर और पयज़ामा दोनो गीले हो गये थे और मेरा लंड एकदम सिक्युडा हुवा
था

अब में समझ गया कि भोजी ने मेरी कैसी चुदाई की हे. भोजी रात में मेरे
सपने में आ के मेरा अंडरवेर गीला कर
गई थी, पर दोस्तों उस सपने में जो मज़्ज़ा आ रहा था वह साला आक्चुयल
चुदाई में भी नही आया कभी. इसके बाद काफ़ी देर तक नींद नही आई और फिर पता
नही कब नींद आ गयी और जब सुबह मेरी नींद
खुली तो पौने सात(6:45) हो गये थे और सब लोग उठ चुके थे.
मेने जल्दी से उठ कर सबसे पहले फ्रेश होकर बाथ लिया बिकॉज़ सारा गीला
होने की वजह से बड़ा लेज़ी फील कर रहा था पर जब भी मुझे सपने का ख्याल
आता तो में सोचता काश ऐसा एक बार हो जाए. करीब 7:30 पर उस दिन भी सभी लोग
जंगल की तरफ निकलने लगे तो में भी चल पड़ा आज पड़ोस वाली गाड़ी में भौजी
अकेली थी तो सबने मुझे उनकी गाड़ी में भेज दिया. उनके पति शायद उस दिन
नही आए थे या क्या बात थी मुझे नही पता था. भौजी की गाड़ी पीछे थी
भौजी ने सारी कमर पेर लपेट रखी थी और ब्लाउस के उपेर स्वेतेर पहन रखा था
सुबह ठंड होती है. गाड़ी
में भौजी ने मुझे अपने बगल में बिठा लिया और बोली क्या हाल हे. आज
शरमाओगे तो नही तो मेने सर हिला दिया, भोजी बोली अबे अभी से लुगाइयो  की
तरह शरमाता हे. मुझे तो समझ में नही आता कि तू अपनी बीबी
के पास रात को कैसे जाएगा. भौजी पता नही क्यों मुझे परेशान करने के लिए
ऐसा बातें करती थी या उसे इसमें
मज़्ज़ा आता था पता नही. भौजी ने अपने हाथ मेरे थाइस पर रख रखे थे और बीच
में बहाने से मेरी थाइस पर हाथ फेरती रहती थी. मुझे भी इसमें मज़्ज़ा आता
था पर में शर्म की वजह से और करने को नही कह पाता. एक बार जब मेने शर्म
के मारे उनक हाथ हटाया तो वो बोली अरे क्या हुवा तुझे परेशानी हे तो तू
भी मेरे जाँघ पर हाथ फेर ले सच मुझे बड़ा मज़्ज़ा आएगा तेरा भाईय्या तो
फेरता नही कभी, बस जब मन किया तो बस पेल देता हे अपना हथियार दो टाँगों
के बीच में. भोजी बड़ी बिंदास बात करती थी.

भौजी मेरे से बोली राज तू ऐसा मत करना अपनी लुगाई के साथ में चाहती हूँ
कि तू अपनी लुगाई को पूरा मज़्ज़ा दे और उसकी हालत मेरी जैसी ना हो. पर
दोस्तों मुझे तो भोजी की बातों को सुनकर उस समय शर्म आ रही थी पर में
मैदान छ्चोड़कर जा नही सकता था. भौजी करीब डेढ़ दो घन्ते के जंगल के
रास्ते में ऐसी ही बिंदास बात
करती रही और में मज़्ज़े लेता रहा पर कुच्छ ज़्यादा जबाब नही दे पता था.
जंगल पहुँचने तक भौजी ने मुझे एग्ज़ाइट करना चालू रखा फिर जंगल में पहुँच
कर भोजी और में गाड़ी लेकर एक ऐसी जगह पर पहुँच गये जहाँ पर 2-3 सूखे
पेड़ गिरे हुए थे और वहाँ पर बहुत बढ़ी घास भी थी और कुकछ दूर करीब आधा
किलोमीटर. पर
नदी थी घास के साथ ही वहाँ पर बढ़े बढ़े गढ्ढे और बोल्डर स्टोन्स थे. कुल
मिलाकर जगह बड़ी भयनक और
डेंजरस थी. भौजी बताने लगी की शेर और चीते ऐसी जगह पेर ही देख जाते हें.
मेने जब उनसे पुचछा कि आपने कभी देखे हैं तो वह बोलो हाँ एक साल पहले इसी
के आस पास उन्होने टाइगर देखा था. भौजी की बात सुनकर
तो मेरी गंद फटने लगी और साला वाहा पर दिन में भी अंधेरा था मुझे ऐसा लगा
कि अभी किसी घास के झुंड से टाइगर आ जाएगा.

पर दोस्तों एक औरत के सामने में अपना डर बयान भी नही कर सकता था, वहाँ पर
लकड़ियाँ काफ़ी थी और हम लकड़िया कलेक्ट करने लगे भौजी लकड़ियाँ काट कर
मुझे देती और में उनको एक जगह पर कलेक्ट
करता. हमारी गाड़ी पास में ही खड़ी थी और बैल घास खा रहे थे. पर गाड़ी को
लास्ट में लोड करना जिससे लकड़ियाँ अड्जस्ट की जा सकें. करीब आधे घंटे
में हमने लकड़िया काट कर
कलेक्ट करके ढेर लगा दिया. में बीच में एक दो बार भोजी के बूब्स, टाँगों
और थाइ का नज़ारा कर लिया था पर आज चूत का नज़ारा नही कर पाया था, बिकॉज़
आज भौजी पेड़ पर नही चड़ी थी और गिरे हुए पेड़ की
हाइट कम थी. पर साइड व्यू में मेने उनकी थाइस और टाँगों और पास से उनके
बूब्स का नज़ारा ज़रूर कर लिया था.

भौजी जैसे ही फ्री हुई वह सुसताने लगी और अपने कपड़े अड्जस्ट करने लगी,
फिर भौजी बोली राज आज तो काम जल्दी पूरा हो गया हे और अभी टाइम बहुत हे
चलो कुच्छ मस्ती करें आज तुझे समझाती हूँ कि तू अपनी लुगाई के पास कैसे
जाएगा. में तो बड़ा नर्वस हुआ पर बोलने में अटक रहा था, मेने फिर कहा
उसमें तो
टाइम हे अभी भौजी. भोजी बोली तभी तो अभी से सीखा दूँ तुझे और फिर मुझे
टाइम नही मिलेगा ना. फिर भौजी ने अपना ब्लाउस खुद ही खोल दिया और अपने
चूचे दिखाते हुए बोली देख ये क्या हेँ. में शरमाते हुए
बोला ये आपके, तो भोजी बोली अबे चूतिए बोल ना मेरे चूचे हेँ. अच्च्छा ये
बता ये क्या काम आतें हेँ, जल्दी बता
मेने कहा बच्चों को दूध पिलाने के. साला चूतिया अबे तो क्या दूध पीता
बच्चा हे क्या, अबे ये औरत को गरम करने के लिए दबाने को होतें हेँ साला
बच्चा. अब तो में तुझे अपना दूध पीला कर ही रहूंगी
चल जल्दी से पास आ और पकड़ मेरे चूचे. मेरी तो दोस्तों हालत थोड़ा खराब
थी बिकॉज़ ऐसी बिंदास औरत
मेने नही देख थी, में भाग भी नही सकता था, मेरे देर करने पर भौजी बोली
राज लाला सोच लो अगर मेरा कहना नही माना तो में यह भी कह सकती हूँ कि
तुमने मेरे साथ ज़बरदस्ती की और तब तक भौजी ने अपनी सारी पूरी उतार दी और
अब वह पेटीकोआट और खुले ब्लाउस के साथ मेरे सामने आ गयी. फिर भौजी ने
मुझे कमर से
पकड़ कर बोली साले क्या हिजड़ा हे जो कुच्छ कर नही रहा हे. मर्द हे तो दबा ना
में दब्वाने को तय्यार हूँ. अबकी बार किसी तरह से हिम्मत करके मेने एक
हाथ भोजी के चूचों पर रख दिया तो वह बोली अबे दबा ना क्या करेंट लग रहा
हे. मेने जैसे ही कोशिश की मेरे हाथ काँपने लगे. तब तक भोजी मेरी पीठ पर
हाथ फेरने लगी तो उनके हाथ कोमल ना होकर अच्छे हार्ड थे पर थे तो एक औरत
के हाथ ही
इसलिए बड़े चिकने लग रहे थे,

भौजी अब बोली अबे दबा नही सकता तो चूस ले क्या पता दूध ही निकल आए, और
अबकी बार भौजी ने मेरे सर अपने ब्लाउस की तरफ़ खींच लिया तो मेरे लिप्स
सीधे भौजी की चूचियों से टच हो गये तो तो मेने उनकी एक चूची को लिप्स से
नोच लिया . भौजी को बड़ा मज़ा आया वा बोली शाबाश आगे बढ़ मरोड़ दे सालों
को चूस ले पूरी ताक़त से. अबमुझे मज़ा आने लगा और मेने दोनो चूचियों को
चूसना सुरू कर दिया फिर मेने भौजी के दोनो चूचों पर चाटना सुरू कर दिया
अब भोजी थोड़ा खुश हुई. मेने अपने दोनो हाथों से भौजी के पीठ पर उसके
ब्लाउस के नीचे से मसाज करना सुरू कर दिया तो भौजी खुश हो गयी और बोली अब
लगता है तू कुच्छ मर्दों
वाले काम कर रहा हे. अब मुझे मज़्ज़ा आने लगा तो मेने भौजी की पीठ पर
मसाज और रब करना सुरू कर दिया और इधर भोजी के निपल्स, बूब्स और नेवेल पर
चाटना और चूसना और निपल को काट  भी
कर देता था. अब भोजी मुझसे खुस थी.
दोस्तों कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज  शर्मा
क्रमशः....................


bhouji.............2

gataank se aage................

Fir bhauji pehle uthi to unhone apne peticoat ko theek
kiya fir apni
puri saree utar di. Mujhe Sahrm aane lagi to meine muh
dusri taraf
kar liya per bhauji boli kyon Lala sharmate ho are jab
mujhe sharm
nahi aa rehi to tum kyon sharmate ho fir aas pas koi
nahi hei are
pura nazara kiya karo jab mauka mile. Shadi hogi to
kya Lugai se bhi
aise hi sharmaoge kya, bewakoof kahin ke. Iss dauran
Bhoji ne apne
perticoat ki ganth kholkar pehle use theek kiya aur
fir Peticoat ko
tie bandhkar apni saree pehani suru kar di. Fir unhone
bina sarmaye
apne blouse ke sare button kholkar apna blouse bhi
dubara se adjust
kiya. Jab bhoji ke blouse ke sare button khule to
mujhe bhauji ke gol
matol choochon ka kuchh seconds ke liye nazara karne
ka mauka mil
gaya. Per doston yeh chhota sa mauka hi sahi per mujhe
sachmuch usdin
Jungle mein Mangal wali kahawat sach lag rehi thi.
bhauji Ganv ki
lady thi aur wah make up bhi kiye huye nahi thi aur
bahar se dikhne
mein average hi lagti thi per yaar uske kapdon ke
neeche ki items to
aise mast the ki saali Mallika Sherawat jaisi item
girl bhi apni aisi
taisi karwa le.

Bhauji ke nange badan ka nazara karke aaj meri ankhon
ki pyas to badh
hi gayi thi sala lund bhi neeche se zor maar reha tha,
Per mein bada
sharma reha tha aur mujhe hamesha dar laga rehta tha
ki kahi koi aa
gaya to badi beijjati hogi. Per bhauji badi bindas thi
wah mujhse
boli dekho lalla tum shahar se aaye ho ek do din ham
bhi tumhare sath
maza masti kar lein aur tum bho ganv dehat mein hansi
khushi kuchh
time kaat lo. Yeh sharmane ka natak hamse na karna,
are kaise mard ho
jo ek jawan kanani ko nanga dekh ke janani ki mafiq
sharmate ho. Kal
se agar hamare saath aana ho to jara maza masti kiya
karo are hamar
mard to sala din bhar mehnat majdoori kare aur raat
mein rajai taan
ke so jaye. Aur agar kuchh karega bhi to hamare maza
ki parwah kiye
bagair chadh jaye hamari tangon ke beech sali jaisi
hum ko bejaan
murat hein. Hamar man hei na hei, humka kya pasand hei
kya nahi hei,
aisa hi dhaka peli karke 3 saal mein 3 paida ho gaye.
Fir pata nahi bhauji ko kya laga aur boli are mein bhi
kya kahne lagi
apna rona le ke baith gayi. Lalla hamka maaf kari tum
to gair ho
jaisa tumko theek lage vaisa karna, tum jaisa sundar
jawan ko dekhkar
hamra man bhi sala fisal gaya.

Agar tumko bura lage to maf karna ham to gawanru log
hein bolne ki
tamiz nahi hei. Meine kaha nahi bhauji aisi baat nahi
hei aap bahut
sundar aur samajhdaar ho, aur kal mein aapke saath hi
aaunga. Baaki
aap jyda badi hein aap jaisa kahengi vaisa karne ki
koshish karunga,
iss baar bhauji mushkara di aur boli sach? Meine kaha
bilkul mein aap
ko pareshan nahi dekh sakta. Baatchhet ke saath hum
Lkdiyon ka dher
bhi laga rehe the jisse Gadi mein jaldi se dali jaa
sakein. Fir hume
Bail Gadi aati huyi dikhi, aur thodi der mein wah
hamare paas aakar
ruki aur sabne Lakdiyan Gadi mein Load kar di aur Gadi
ekdum uper tak
bhar gayi aur hum log village ko return ho gaye. Jab
hum ganv mein
lakdiyan lekar pahunche to din ke karib 2:00 baje the
hum Bhoji ko bye
(namaste) kah kar wapas ghar aa gaye.

Uss din mein sara time bhauji ke baton aur unke nange
badan ke bare
mein hi sochta reha aur mere dimag mein hamesh bhauji
ka nanga badan
ghum reha tha. Mein raat ko neend mein sone ke samay
bhi Bouji ki
chudai karne ke bare mein soch reha tha. Aur doston
raat ko mujhe
aisa laga ki andhere mein koi mere bistar ke paas
khadi hei fir wah
mere bagal mein aakar so gayi fir meine dekha ki wah
to bhoji thi
meine jais hi kuch bolta unne mera muh band kar diya
aur boli jaldi
se apna payjama kholo, mein kuchh karta isse pehle hi
bhauji ne mera
payjama khol diya aur mere lund ko hilane lagi. Ab
mujhe bhi maza
aane laga to meine bhi bhauji ka blouse ke button
kholne suru kar
diye aur ye kya bhauji ne bra nahi pehni thi aur
blouse khlte hi
Bouji ke gulabi gol chooche nazar aane lage to mein
unko dabana suru
kar diya to bhauji ko mazza aane laga aur usne mera
lund chhod diya
jo ab tanne laga tha idhar ab mein apne muh se Bhoji
ki chuchiyon ko
chumna sur kar diya to bhauji khat per panv marne lagi
to meine haath
neeche kiya to bhoji ne kewal peti coat pehan rakha
tha.

Meine bhauji ki kamar mein haath daalkar side se
bhauji ke peticoat
ka nada khol diya jisske baad mein unka peticoat bhi
neeche ko
kheench diya aur jab meine bhauji ki dono tangon ke
beech haath daala
to bhauji ka wah are ekdum chikna tha aur waha din ki
tarah baal nahi
thei. Waha mera hath ekdum fisalr eha tha aur raano ke
beech ek
gaddha sa tha jo shayd bhauji ki choot ka area tha per
andhere mein
kuchh dikh nahi reha tha bas mehsus ho reha tha.
bhauji mere janghon
aur peeth per apne hatho se ragar rehi thi aur halke
se ahein bhar
rehi thi fir bhuji ne mere lund per hath lagaya aur
dheere se boli
Lala aa jao mere uper aur pale apna lund mere tangon
ke beech. Meine
bhi bhauji ka peticooat aur neeche sarkaya aur unki
dono janghein
faialakar ane lund se bhauji choot ke aas paas ragarne
laga to bhauji
boli Lala mein teri madad karti hun aur bhauji ne mera
lund pakad kar
apni choot ke uper lagaya aur boli lala pale de puri
taqat se phad de
saali ko aur mere chootadon per jor se thapki mari.
Abki baar meine bhi apni ankhein band karke ek jor ka
dhakka lagaya
to mera lund adhe se jyada bhauji ki choot mein chala
gaya per pura
ander nahi gaya. Iss baar bhauji ne neeche se ek
dhakka lagaya aur
mujhse dubara dhakelne ko kaha abki bar mera pura lund
bhauji ki
choot ke ander tak chala gaya aur bhuji maze mein
uhchalne lagi aur
boli Lala maar dhakaa, aahh puri taqat se saali ko
phaad de, per
mujhe mazza de de. Meine ab dhakka lagana sur kar diya
aur mera lund
bhauji ki choot mein andar bahar hone laga mein bhi
puri taqat se
bhoji ki chudai karne laga aur bhoji neeche se dhakka
lagalar mujhe
aur encourage kar rehi thi. Fir achanaq bhauji boli
are Sanju too
nadan bachha hei mein tujhe training teti hun ki
chudai kaise ke jati
hei chal ab too neeche ho mein uper aati hun. Aur iske
baad hum dono
ne position badal li aur ab Bouji uper se mere lund
per sawar ho gayi
aur uchhal kar mere lund ko apni choot mein lene lagi
aur mein unke
chootadon per haath ferne laga bhauji ke chootad subah
ki tarah hi
soft aur chikne the un per hath ferne mein bada maza
aa reha tha
bhauji daba dab anhi choot pilwaye jaa rehi thi aur ek
tarah se mere
lund mein apni choot pilwa rehi thi.

Achanak jane kya huwa ki mujhe laga ki bhauji kahi
gayab ho gayi aur
mein Bed per peeth ke bal leta huwa hun mein haath se
andhere mein
tatola to wahan koi nahi tha bus andhera hi andhera
tha. Meine apne
payjame mein haath lagaya to wah badha huwa tha fir
jaise hi meine
apne lund ke aas paas hath lagaya to wahan per mera
under wear aur
payjama dono geele ho gaye thei aur mera Lund ekdum
sikuda huwa tha
ab mein samajh gaya ki Bhoji ne meri kaisi chudai ki
hei. Bhoji raat
mein mere sapne mein aa ke mera underwear geela kar
gyi thi, per
doston us sapne mein jo mazza aa reha tha wah sala
actual chudai mein
bhi nahi aaya kabhi. Iske baad kafi der tak neend nahi
aayi aur fir
pata nahi kab neend aa gayi aur jab subah meri neend
khuli to paune
saat(6:45) ho gaye the aur sab log uth chuke the.
Meine Jaldi se uth
kar sabse pehle fresh hokar bath liya because sara
geela hone ki
wajah se bada lazy feel kar reha tha per jab bhi mujhe
sapne ka khyal
aata to mein sochta kaash aisa ek baar ho jaaye.
Karib 7:30 per uss din bhi sabhi log jungle ki taraf
nikalne lage to
mein bhi chal pada aaj pados wali gadi mein bhauji
akeli thi to sabne
mujhe unki gadi mein bhej diya. Unke pati shayad uss
din nahi aaye
the ya kya baath thi mujhe nahi pata tha. bhauji ki
gadi peechhe thi
Bouji ne sari kamar per lapet rakhi thi aur blouse ke
uper sweter
pehan rakha tha becuase subah thand hoti hei. Gadi
mein bhauji ne
mujhe apne bagal mein bitha liya aur boli kya haal
hei. Aaj sharmaoge
to nahi to meine sar hila diya, bhoji boli abe abhi se
lugaiyon ki
tarah sharmata hei. Mujhe to samajh mein nahi aata ki
too apni bibi
ke paas raat ko kaise jayega. bhauji pata nahi kyon
mujhe pareshan
karne ke liye aisa batein karti thi ya use ismein
mazza aatha tha
pata nahi. bhauji ne apne hath mere thighs per rakh
rakhe the aur
beech mein bahane se meri thighs per hath pherti rehti
thi. Mujhe bhi
ismein mazza aata tha per mein sharm ki wajah se aur
krne ko nahi kah
paatha. Ek bar jab meine sharm ke mare unk haath
hataya to woh boli
are kya huwa tujhe pareshani hei to too bhi mere jangh
per haath fer
le sach mujhe bada mazzaa ayega tera bahyya to ferta
nahi kabhi, bus
jab man kiya to bus pale deta hei apna hathiyar do
tangon ke beech
mein. Bhoji badi bindas baat karti thi.

bhauji mere se boli Sanju to aisa mat karna apni lugai
ke saath mein
chahti hun ki tu apni lugai ko pura mazza de aur uski
halat meri
jaisi na ho. Per doston mujhe to Bhoji ki baton ko
sunkar uss samay
sharm aa rehi thi per mein maidan chhodkar jaa nahi
sakta tha. bhauji
karib dedh do ghnte ke jungle ke raste mein aisi hi
bindaas baat
karti rehi aur mein mazze leta reha per kuchh jyada
jabab nahi de
pata tha. Jungle pahunchane tak bhauji ne mujhe excite
karna chaloo
rakha fir jungle mein pahunch kar Bhoji aur mein gadi
lekar ek aisi
jagah per pahunch gayi jahan per 2-3 sukhe ped gire
huye the aur
wahan per bahut badhi ghas bhi thi aur kucch door
karib adha km. Per
river thi Ghaas ke saath hi wahan per badhe badhe
gadhe aur boulder
stones the. Kul milakar jagah badi bhyanak aur
dangerous thi. bhauji
batane lagi ki Lion aur tiger aisi jagah per hi dekh
jaate hein.
Meine jab unse puchha ki aapne kabhi dekah to wah bolo
haun ek saal
pehle issi ke aas paas unhone tiger dekha tha. bhauji
ki baat sunkar
to meri gand fatne lagi aur sala waha per din mein bhi
andhera tha
mujhe aisa laga ki abhi kisi bush se tiger aa jayega.

Per doston ek aurat ke samne mein apna dar bayan bhi
nahi kar sakta
tha, wahan per lakdiyan kafi thi aur hum lakdiya
collect karne lage
bhauji Lakdiyan kat ker mujhe deti aur mein unko ek
jagah per collect
karta. Hamari Gadi pass mein hi khadi thi aur bail
gaas kha rehe the.
Per gadi ko last mein load karna jisse lakdiyan adjust
ki jaa saken.
Karin one and half hour mein hamne Lakdiya kaat kar
collect karke
dher laga diya. Mein beech mein ek do baar Bhoji ke
boobs, tangon aur
thigh ka nazara kar liya tha per aaj choot ka nazara
nahi kar paya
tha, because aaj bhauji ped per nahi chadi thi aur
gire huye trees ki
height kam thi. Per side view mein meine unki thighs
aur tangon aur
paas se unke boobs ka nazara jarur kar liya tha.

bhauji jaise hi free huyi wah sustane lagi aur apne
kapde adjust
karne lagi, fir bhauji boli Sanju aaj to kaam jaldi
pura ho gaya hei
aur abhi time bahut hei chalo kuchh masti karein aaj
tujhe samjhati
hun ki too apni lugai ke paas kaise jayega. Mein to
bada exite hua
per bolne mein atak reha tha, meine fir kaha usmein to
time hei abhi
bhauji. Bhoji boli tabhi to abhi se sikha dun tujhe
aur fir mujhe
time nahi milega na. Fir bhauji ne apna Blouse khud hi
khol diya aur
apne chooche dikhate huye boli dekh ye kya hein. Mein
sharmate huye
bola ye aapke, to bhoji boli abe chootiye bol na mere
chooche hein.
Achchha ye bata ye kya kaam aatein hein, jaldi bata
meine kaha
bachchon ko doodh pilane ke. Sala chootiya abe to kya
doodh pita
bachcha hei kya, abe ye aurat ko garam karne ke liye
dabane ko hotein
hein sala bachcha. Ab to mein tujhe apna doodh pila
kar hi rahungi
chal jaldi se paas aa aur pakad mere chooche.
Meri to doston halat thoda kharab thi because aisi
bindaas aurat
meine nahi dekh thi, mein bahg bhi nahi sakta tha,
mere der karne per
bhauji boli Sanju Lala soch lo agar mera kehna nahi
maan to mein yeh
bhi kah sakti hun ki tumne mere sath jabardasti ki aur
tab tak bhauji
ne apni saree puri utar di aur ab wah peticoat aur
khule blouse ke
saat mere samne aa gayi. Fir bhauji ne mujhe kamar se
pakad kar boli
saale kya hijda hei jo kuchh kar nahi reha hei. Mard
hei to daba na
mein dabwane ko tayyar hun. Abki bar kisi tarah se
himmat karke meine
ek haath bhoji ke choochon per rakh diya to wah boli
abe daba na kya
current lag reha hei. Meine jaise hi koshish ki mere
hath kanpne
lage. Tab tak Bhoji mere peeth per haath pherne lagi
to unke haath
komal na hokar achchhe hard the per the to ek aurat ke
haath hi
isliye bade chikne lag rehe thei,

bhauji ab boli abe daba nahi sakta to choos le kya
pata doodh hi
nikal aaye, aur abki baar bhauji ne mere sar apne
blouse ki tarf
kheench liya to mere lips seedhe bhauji ki choochiyon
se touch ho
gaye to to meine unki ek choochi ko lips se noch liya
. bhauji ko
bada maza aaya wah boli shabash aage badh marod de
salon ko choos le
prui taqat se. Abmujhe mazaa aane laga aur meine dono
choochiyon ko
choosna suru kar diya fir meine bhauji ke dono
choochon per chatna
suru kar diya ab Bhoji thoda khush huyi. Meine apne
dono hathon se
bhauji ke peeth per uske blouse ke neeche se massage
krna suru kar
diya to bhauji khush ho gayi aur boli ab lagata hei tu
kuchh mardon
wale kaam kar reha hei. Ab mujhe mazza aane laga to
meine Boji ki
peeth per massage aur rub karna suru kar diya aur
idhar Bhoji ke
nipples, boobs aur navel per chatna aur choosna aur
nipple ko cut bhi
kar deta tha. Ab Bhoji mujhse khus thi.

आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा


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