Thursday, March 17, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ अपार्टमेन्ट

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

अपार्टमेन्ट

प्रेषिका : नेहा दवे
मेरा नाम नेहा है, उम्र 26 साल है। यह कहानी मेरी आपबीती है। मैं एक मॉडल
हूँ, मैं दिल्ली से मुंबई चली गई यह सोच कर कि मुंबई में ज्यादा अवसर
हैं। जाने से पहले मैंने सोचा था कि मैं अपने आप को वहाँ सेट कर लूँगी
लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि मुंबई में सेट होना कितना मुश्किल है। आज
की भागदौड़ की दुनिया में हर आदमी कमीना है। लेकिन मुझे भी अब इस दुनिया
में अपना काम निकालना आ गया है।
मैं अगस्त के महीने में मुंबई पहुची। कुछ दिन तो एक सहेली के घर पर रुक
गई। एक दो जगह से कुछ मॉडलिंग का काम भी मिल गया था। एक बात मैं बताना
चाहूंगी, मेरे स्तन थोड़े बड़े, मोटे और गोल हैं। मैं कुछ भी पहनती हूँ
तो वो मेरी छाती पर कस जाता है। इसी वजह से सड़क पर चलते हुए या कहीं
मॉडलिंग करते हुए लोग मुझे घूरते रहते हैं। कभी कभी रात को सोते समय
सोचती हूँ कि अगर उन सब मर्दों को मैं उनकी मर्ज़ी का करने दूँ तो वो मेरा
क्या हश्र करेंगे ! सबकी आँखों से ही हवस टपकती है !
मैं एक अपार्टमेन्ट किराए पर लेने के लिए गई। प्रोपर्टी एजेंट एक 30-32
साल का आदमी था। उसने फ्लैट दिखाया और मुझे पसंद भी आ गया। वो भी मुझे
बार बार घूर रहा था। फ्लैट का किराया उसने 12000 रुपए महीना बताया। मेरे
लिए यह ज्यादा था। मैं 8000 ही दे सकती थी। मैंने यह बात उसको बताई, तो
उसने बोला- नेहा जी, किराया इतना कम करना मुश्किल है, 12 का 11 हो सकता
है, लेकिन 8 हज़ार होना असंभव है।
मैंने उसको थोड़ा आग्रह किया तो उसने बोला कि वो मकान-मालिक से बात करके
मुझे बताएगा।
उसी दिन शाम को 6:30 पर उसका फ़ोन आया। उसने बोला कि उसकी बात हुई है और
मकानमालिक मुझसे मिलना चाहता है। मकान देने से पहले वो देखना चाहता है कि
किरायेदार कैसी है।
उसने कहा- आप कल मेरे ऑफिस में आ जाईये, मकान-मालिक भी यहीं आएंगे, यहीं
किराए की भी बात हो जाएगी। उम्मीद है कि 10 हज़ार में बात बन जाए।
मैं अगले दिन एजेंट के ऑफिस गई। मैंने पतली साड़ी पहनी थी। एजेंट के ऑफिस
में मकान-मालिक पहले से ही पहुँचा हुआ था। वो एक 40 साल का थोड़ा मोटा
मर्द था। उसकी मूछें भी थी। मुझे देखते ही वो मुस्कुराया और उसकी नज़र भी
मेरी छाती पर ही पड़ी। हमेशा की तरह मेरा ब्लाऊज़ कसा हुआ था और पतली साड़ी
के आर-पार मेरी वक्षरेखा दिख रही थी।
मैं बैठ गई और हमारी बात शुरू हुई। बातों बातों में उन दोनों को पता चल
गया कि मैं मुंबई में अकेली हूँ और मॉडल हूँ।
दोनों आपस में एक दूसरे को देख के मुस्कुरा रहे थे। मकान-मालिक ने कहा-
अकेले तो हम सभी हैं। आपको मुंबई में घबराने की कोई बात नहीं है। कभी कोई
ज़रुरत पड़े तो मुझे बताइएगा। आप बहुत खूबसूरत हैं और अच्छे घर से हैं
इसलिए मैं आपको यह घर 10000 में दे रहा हूँ। नहीं तो इस एरिया का रेट 12
के ऊपर ही है।
मैं समझ गई कि उसके दिमाग पर भी हवस सवार है, नहीं तो वो मुझ पर एहसान
क्यों करता ! मैंने भी इस मौके का फायदा उठाना चाहा, मैंने बोला- मुझे तो
यह घर 8000 में चाहिए। शर्मा जी, अब तो मैं आपके फ्लैट में रहूंगी, हमारी
बात होती ही रहेगी। यह तो लम्बी जान-पहचान है, आप मुझे यह घर 8000 में दे
दीजिये।
उसने बोला- अरे नहीं, 8 तो बहुत कम हैं। इसमें तो मेरा कोई फायदा नहीं,
उल्टा नुक्सान ही है।
इतने में एजेंट बोल पड़ा- अरे शर्मा जी, नेहा मैडम मॉडल हैं, इनसे जान
पहचान बढ़ेगी तो फायदा ही फायदा है, नुकसान कैसा?
मकान-मालिक जोर से हस पड़ा और फिर मेरे वक्ष को घूरने लगा। मुझे अब वहाँ
अजीब लग रहा था, दोनों मर्दों की आँखों से हवस टपक रही थी। एजेंट का ऑफिस
बिलकुल बंद और वातानुकूलित था और उसके अन्दर मैं इन दोनों के साथ फंस सी
गई थी।
मकान-मालिक ने अपना एक हाथ मेरे घुटनों के पास रख के हल्का सा दबाया और
बोला- अब आप ही बताइए नेहा जी, मेरा क्या फायदा होगा?
इस से पहले कि मैं कुछ बोलती, एजेंट ने उठ कर चिटकनी लगा दी और मेरे पीछे
आकर खड़ा हो गया। फिर मुझे बोला- नेहा जी, यह घर आपको 8 क्या, 7000 में
मिल सकता है अगर आप चाहें तो ....
मैंने बोला- क्या मतलब?
एजेंट ने मेरे पीछे खड़े खड़े अपने दोनों हाथ मेरे कन्धों पर रख दिए और
बोला- बस हमारे साथ ठोस सहयोग करिए..!
इधर मकान मालिक ने भी अपने हाथ मेरे घुटनों से सरका के ऊपर मेरी जाँघों
पर रख दिए थे।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। मेरे मन में इन दोनों के लिए
बहुत घृणा आई। फिर अचानक लगा कि थोड़ी देर की ही बात है, कहाँ 12000 का
फ्लैट, कहाँ 7000/- मैं इसी सोच में थी, अभी कुछ बोल नहीं पाई थी।
एजेंट ने धीरे से मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिया दिया- ओह सॉरी, नेहा जी !
और पीछे खड़ा होकर मेरे वक्ष का नज़ारा लेने लगा। मकान-मालिक मेरी जाँघों
को हल्के-हल्के दबा रहा था। दो मर्द मुझे एक साथ छू रहे थे, मैं तो अन्दर
से काँप रही थी।
अचानक ही एजेंट ने मेरे दोनों बाहें पकड़ी और मकान-मालिक ने मेरे दोनों
पैर और मुझे कुर्सी से उठा लिया। मैं हवा में थी और इन दोनों ने मुझे
उठाया हुआ था। फिर उन्होंने मुझे सोफे पर पटक दिया। सोफा बहुत बड़ा था,
काले रंग का चमड़े का सोफा।
मकान-मालिक फिर बोला- नेहा जी, बस सहयोग करो, मजे भी आपके, घर भी आपका।
उसने मेरे दोनों स्तन पकड़ लिए और उनको मसलने लगा।
मैं चीख उठी ..।
उसका हाथ बहुत तगड़ा था।
एजेंट ने मेरी साड़ी उतारनी शुरू की और दो ही पल में मेरी साड़ी ज़मीन पर
पड़ी थी। फिर दोनों ने मुझे उठ कर खड़ी होने के लिए कहा। मैं उठ गई। वो
दोनों सोफे पर बैठ गए, मुझे बोला कि मैं अपना ब्लाऊज़ और पेटिकोट उतारूं।
मुझे बहुत शर्म आ रही थी।
दोनों ने एक हाथ से अपना लंड पकड़ा हुआ था और उसको मसल रहे थे। मुझे समझ आ
गया कि अब यहाँ से भागने का कोई तरीका नहीं है। मैं उनकी बात मानती जाऊं
तो ही मेरा कम से कम नुक्सान है।
मैंने अपने ब्लाऊज़ के हूक खोले और उसको उतार के नीचे फेंक दिया। दोनों की
आँखे फटी रह गई। मेरे स्तन बहुत ही गोरे और मोटे हैं और मैं जानती हूँ कि
ये किसी को भी पागल बना सकते हैं। फिर मैंने अपने पेटिकोट का नाड़ा खोला
और वो नीचे ज़मीन पर गिर गया। मैं उन दोनों हब्शी मर्दों के सामने अब
सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी। मेरा गोरा जिस्म देख कर दोनों पागल हो
चुके थे। दोनों ने पैन्ट की जिप खोल के अपना लंड बाहर निकाल लिया था और
उससे सहला रहे थे।
फिर मकान-मालिक बोला- नेहा जी, अब और नहीं रुका जा रहा, ज़रा जन्नत के
नज़ारे करवाओ, ये सब भी उतार फेंको।
मैंने अपनी ब्रा खोल दी। ब्रा के खुलते ही मेरे स्तन उछल कर सामने आ गए।
बड़े-बड़े गोरे सुडौल स्तन देख कर दोनों के मुँह में पानी आ गया।
एजेंट मेरी तरफ लपका, लेकिन मकान-मालिक ने उसे रोक दिया- अभी रुक यार !
नेहा जी, अपनी पैन्टी भी उतारो।
मैंने पैन्टी की दोनों तरफ़ इलास्टिक में अपनी ऊँगलियाँ डाली और उसको नीचे
सरका दिया।
मेरा पूरा नंगा जिस्म अब उन दोनों के सामने था। लम्बा गोरा जिस्म, बड़े
बड़े स्तन, मस्त चिकनी चूत और मक्खन जैसी जांघें। मुझे देखने के लिए मेरे
ऑफिस में लोग पागल रहते हैं। आज तक किसी को मेरा जिस्म नहीं मिला और यहाँ
ये दोनों पूरी तरह उसका मज़ा ले रहे थे। मुझे शर्म भी आ रही थी और कहीं न
कहीं एक गन्दा सा मज़ा भी आ रहा था।
मकान-मालिक ने कहा- तुझे घर चाहिए न सस्ते में? चल अब उलटी होकर झुक जा
और अपनी गांड दिखा !
मैं दूसरी तरफ घूम कर झुक गई और दोनों हाथ से फैला कर उन्हें अपनी गांड
दिखा रही थी। फिर उनके कहने पर मैं दोनों हाथ और घुटनों के बल खड़ी हो गई,
किसी कुतिया की तरह। मुझे बहुत बुरा लगा यह, लेकिन वहाँ और कोई चारा नहीं
था।
फिर मकान-मालिक ने मुझे अपने पास खींच कर मेरे मुँह में अपना लौड़ा ठूस
दिया। मैं कुतिया की तरह झुकी हुई मकान मालिक का लौड़ा चूस रही थी। उधर
एजेंट मेरे पीछे जा के मेरी गांड सहलाने लगा। मेरी गोरी चिकनी गांड देख
कर उससे रहा नहीं गया, उसने मेरी गांड में अपना मुँह घुसा दिया और उससे
चाटने लगा। मेरी गांड पर उसकी जीभ लगते ही कर्रेंट सा लग गया। मैं
सिसकारी भर उठी ...आहऽऽ स्स्स्सस.....
मकान-मालिक बोला- देख रे, मज़ा आ रहा है साली को !
और उसने मेरा सर पकड़ कर वापस मेरे मुँह में अपना लंड घुसा दिया।
मैं सिसकारी भर रही थी .... आह स्स्स्स गुलुप गुलुप म्मम्मम्म म्मम्मम्मम
म्म्म्मम्म
अब तक मेरी चूत भी एक दम गीली हो गई थी और एजेंट पीछे से मुँह घुसा के
मेरी चूत का रस चाट रहा था। फिर वो उठा और उसने अपने लंड का सुपारा मेरी
गांड के छेद पर टिका दिया। मैं एक दम से चीख उठी- नहीं नहीं ! मेरी गांड
मत मारना, बहुत दर्द होगा ! नहीं .....
लेकिन उसने मेरी एक न सुनी और अपने लंड का धक्का मारा.... उसका लंड मेरी
गांड को चीरता हुआ अन्दर घुस गया..
...आहऽऽ ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ मैं दर्द से काँप उठी और पूरी ताकत से
चिल्ला उठी।
उसने फिर अपना लंड बाहर निकाला और फिर पूरा अन्दर घुसा दिया। मेरी गांड
फट चुकी थी। वो मेरी चूतड़ों पर थप्पड़ मार रहा था और पागल कुत्ते की तरह
मुझे चोदे जा रहा था। थोड़ी देर में उसकी स्पीड बढ़ गई, उसने झुक के मेरे
स्तन दबाये और गरम वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया। उसके गरम वीर्य से मुझे
अच्छा लगा, थोड़ा दर्द भी कम हुआ। उसका शरीर थोड़ा ढीला हुआ और वो मेरे ऊपर
से उठा।
मकान-मालिक अभी भी मुझसे अपना लौड़ा चुसवा रहा था। वो अब उठा और मुझे भी
उठाया। मेरे पैर काँप रहे थे। यह मैंने अपने साथ क्या कर लिया था !!
उसने मुझे सोफे पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने मेरी दोनों जांघें
फ़ैला दी और मेरी चूत में अपनी जीभ घुसा दी !
मैं पागल हो उठी ...आहऽऽ ऽऽ स्स्स्स ...आहऽ ......आहऽऽ ऽऽ चोद डालो मुझे
! चोदो शर्मा जी .....
वो उठा और बोला- ये लो नेहा जी, जैसी आपकी मर्ज़ी !
और इतना कहते ही उसने अपना काला मोटा 8 इंच का लौड़ा मेरी चूत में घुसेड़
दिया। मेरी चूत चरमरा उठी...। मैं कराह उठी ..आहऽऽ ऽऽ स्स्स्स ...आहऽ
......आहऽऽ ऽऽ
वो स्पीड से धक्के मार रहा था। उसके धक्कों से मेरे स्तन उछल रहे थे।
एजेंट मेरे सर के पास आया और मेरे मुँह में अपना लौड़ा डाल दिया। थोड़ी
देर तक मैं ऐसे ही उन दोनों से चुदती रही।
थोड़ी देर के बाद एजेंट फिर से झड़ने वाला था। उसने मेरे मुँह से अपना
लौड़ा निकला और मेरे मुँह के ऊपर मुठ मारने लगा। उसका गाढ़ा वीर्य बाहर
आया और मेरे पूरे चेहरे पर फ़ैल गया। मैंने अपनी आँखें और मुँह बंद कर
लिया था। लेकिन उसने ज़बरदस्ती मेरा मुँह खुलवा दिया और अपने लौड़े से वो
वीर्य मेरे मुँह में डाल दिया। अजीब सा लिसलिसा सा नमकीन सा स्वाद था।
मजबूरी में मुझे वो गटकना पड़ा।
उधर मकान-मालिक अभी भी मुझे पागल कुत्तों की तरह चोद रहा था। मेरी चूत
फ़ैल गई थी, उससे रस निकाल रहा था, वो फूल गई थी। मेरी गांड में अभी भी
दर्द था, एजेंट का वीर्य भरा हुआ था। मैंने चारों तरफ देखा ..बंद कमरा और
मेरे ऊपर पसीने से लथपथ दो हब्शी चढ़े हुए थे।
मुझे मज़ा भी आ रहा था अब। मैं एक रंडी की तरह दो मर्दों से चुदने का मज़ा
ले रही थी- चोदो और चोदो मुझे .. आआह्ह्ह्ह .. स्स्स्स.. और जोर से ...
आआअह्ह्ह्ह ...
मैंने अपने नाख़ून सोफे में घुसा दिए थे ... मेरी चूत में पानी भर गया था
और छप-छप की आवाज़ आ रही थी। मकान-मालिक ने एक ज़ोरदार धक्का मारा और मेरी
चूत को अपने वीर्य से भर दिया। मैं भी कराह उठी ....वो 20-30 सेकंड तक
झाड़ता ही रहा .. उसने मेरी जाँघों पर दांत से भी काट लिया ...
फिर वो दोनों उठे और मेरी तरफ देखा। मैं सर से पैर तक, आगे-पीछे वीर्य से
ढकी हुई थी।
मैंने बोला- तुम दोनों ने मुझे वीर्य से नहला दिया है। हब्शी कुत्ते हो दोनों !
यह सुन कर दोनों हँस पड़े। एजेंट बोला- मज़ा तो तुझे भी बहुत आया न साली?
दो घंटे की इस रासलीला के बाद उन दोनों ने मुझे छोड़ा। फिर मुझे बाथरूम
में जाकर तैयार होने के लिए बोला। जब मैं बाथरूम में गई तो वो दोनों भी आ
गए।
एजेंट बोला- हमारे सामने अपनी सफाई करो नेहा जी ! हम भी देखे ऐसी जन्नत
जिस्म वाली गोरियां क्या करती हैं बाथरूम में !
दोनों हाथ से अपने लण्ड को रगड़ रहे थे। मकान-मालिक बोला- नेहा जी, एक
बार हमारे सामने मूत के दिखाओ।
मुझे उस दरिन्दे से अब डर लग रहा था, मैं नीचे बैठ गई और मूतने लगी। मेरी
चूत चुद चुद कर फूल गई थी। उसमें से जैसे ही मेरी धार निकली तो छुर्र्र
चुर्र्र की आवाज़ आने लगी।
उन दोनों को यह देख कर बहुत मज़ा आया .... दोनों बहुत जोर जोर से मुठ मार रहे थे ...
एजेंट मेरे पास आया और मेरे वक्ष पर अपना वीर्य झाड़ने लगा। उसके बाद
मकान-मालिक आया और उसने मेरे बालों पर अपना वीर्य झाड़ दिया। मैं बाथरूम
में साफ़ होने आई थी लेकिन और गन्दी हो गई।
दोनों मेरे पास ही खड़े थे और मेरे ऊपर अपना वीर्य टपका रहे थे। अचानक से
मैंने कुछ और गर्म सा महसूस किया। नज़र ऊपर करके देखा तो मकान-मालिक मेरे
ऊपर पेशाब कर रहा था। मैं घृणा से छटपटा उठी और उठ कर हटने लगी। लेकिन
मकान-मालिक ने मुझे सर पकड़ के नीचे दबा दिया और बैठे रहने को बोला। मैं
बस चुपचाप एक दासी की तरह बैठ कर वो गरम-स्नान लेती रही। उसके बाद एजेंट
आया और उसने मुझसे बोला कि मैं दोनों हाथ से पकड़ कर अपने स्तन को ऊपर
उछालूँ।
मैंने ऐसा ही किया। फिर वो भी मेरे ऊपर पेशाब करने लगा। उसने अपनी धार
मेरे स्तनों पर मारी। मैं अपने ही हाथों से पकड़ कर अपने स्तनों को एजेंट
के पेशाब में नहला रही थी।
यह सब करके दोनों बाहर चले गए। जाते जाते बोला- नेहा जी, आपने बहुत खुश
किया हमें। हम भी आपको खुश करेंगे।
जब मैं ठीक-ठाक होकर वापस आई तो उन्होंने मुझे फ्लैट के कागजात दिए।
उन्होंने मुझे वो फ्लैट 6500 में ही दे दिया था।
मैंने बहुत खुश हुई और सोचा कि मेरा क्या गया, आधे दाम में घर मिल गया और
मजे भी मिले, इसके बारे में किसको पता चलेगा !
यही सब सोचते हुए मैं वहाँ से चली आई और समझ गई कि मुंबई में अकेली रह कर
कैसे काम निकलवाना है !

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