Saturday, March 26, 2011

आगे से चोदे बहनोई पीछे से चोदे नंदोई

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

आगे से चोदे बहनोई पीछे से चोदे नंदोई

मैं अपने बहनोई से उसी दिन से चुदवाने लगी थी जिस दिन मैंने धोखे से उसका
लौडा देख लिया था ।
हुआ ये था की मेरा बहनोई अपने कमरे से लगे बाथ रूम में नहाने के लिए गया
। तब तक मैं उसके कमरे में किसी काम के लिए चली गयी । मैं एक कोने में
खड़ी कुछ करने लगी इतने में बाथ रूम का दरवाजा खुला । मेरी नज़र दरवाजे पर
गयी । बहनोई मुझे नहीं देख पाया की मैं कमरे में हूँ । वह एकदम नंगा नंगा
बाथ रूम से आया और बेड पर पड़ा तौलिया उठाया फिर आहिस्ते आहिस्ते बाथ रूम
में चला गया । मैंने उसे एकदम नंगा देख लिया । उसका बदन बड़ा सेक्सी है ।
चौड़ी छाती और मस्त भुजाएं । मैंने उसका लौडा भी देख लिया । लौडा थोडा खड़ा
था । झांटे बिलकुल थी ही नहीं । गोरा लन्ड बड़ा सुन्दर लग रहा था । मुझे
लगा की उसने अभी अभी ही झांटें बनाई है । मजे दार पेल्हड़ है । बस, मेरा
मन उसके लन्ड में अटक गया । मैंने मन ही मन यह ठान लिया की मैं आज ही इस
लन्ड को अपनी बुर में पेल कर ही दम लूंगी ।
मेरी एक कमजोरी है । मैं जब किसी का लन्ड देख लेती हूँ तो तब तक चैन नहीं
लेती जब तक की उससे चुदवा नहीं लेती ? ऐसे ही मैं एक दिन अपनी सहेली के
घर गयी थी । मैं उसके कमरे में बैठी थी । सहेली ऊपर छत पर गयी थी । इतने
में उसका शौहर बाथ रूम से नंगा नंगा ही निकल आया । मैं दूसरी तरफ मुह
करके बैठी थी । वह समझा की मेरी बीवी बैठी है । उसने कहा यार निम्मी ज़रा
मेरी झांटे बना दो न ? तब तक मैं थोडा मुड गयी । मैंने उसका लौडा देख
लिया । फिर भी वह नहीं समझा ? उसने फिर कहा देखो ना मेरा लौडा कैसे खड़ा
होता जा रहा है ? तब मैं उसके सामने हो गयी और कहा हाय अल्ला, आप बाथ रूम
में थे ? मुझे तो पता ही नहीं था । मैंने अपने दोनों हाथ अपनी आखों पर रख
लिया । लेकिन मैंने उगलियों के बीच से उसका पूरा का पूरा लौडा देखा ।
उसने कहा ओ माई गाड भाभी जी आई एम् सारी ? इतना कह कर वह बाथ रूम इ चला
गया । फिर बाद में मैंने अपनी सहेली को सब बता दिया । मेरी सहेली बहुत
मस्त औरत है । उसने कहा यार शन्नो जब तुमने मेरे मियां का लौडा देख ही
लिया है तो फिर पकड़ लो न उसे ? पकड़ कर मजे से देखो न उसे ? अरे मैं तो
कहती हूँ की आज तुम चुदवा ही लो यार मेरे शौहर से । मैंने तो चाहती ही थी
। लेकिन थोडा ना नुकुर करके लगी । थोडा नखरे करने लगी । बस फिर मान गयी ।
मेरी सहेली ने ही अपने मियां का लन्ड खोल कर मेरे हाथ में रख दिया । इतना
मस्त लौडा हाथ में लेकर मैं चुदासी हो गयी । सहेली ने मेरे भी सारे कपडे
उतार दिए । मैं उसके सामने एकदम नंगी हो गयी । मैंने लन्ड का चुम्मा लिया
और फिर आहिस्ते आहिस्ते सहलाने लगी । लौडा और मस्ती से खड़ा होने लगा ।
इसके बाद मैंने उसके सामने ही उसके मियां का लौडा पेल लिया अपनी चूत में
। खूब जम कर कर चुदवाया उस दिन . अब आज मेरे बहनोई के लन्ड की खैर नहीं ?
मेरी बुर खूंखार हो गयी है । आज तो मैं चुदवा कर ही रहूंगी ।
मेरा नाम फरहा है । मैं एक शादीशुदा ३२ साल की जवान औरत हूँ । मेरी शादी
उस समय हो गयी थी जब मैं २४ साल की थी । अपने शौहर का लौडा तो मैंने शादी
के बाद पकड़ा लेकिन मैं उसके पहले भी लन्ड पकड़ा करती थी । मेरी ज़िन्दगी
का पहला लौडा था गफ्फूर अंकल का लौडा । मैं उन दिनों १६ साल की हो गयी थी
। मेरी जवानी बढ़ रही थी । मेरी चूंचियां हर दिन थोड़ी थोड़ी बड़ी हो जाती
थी ।मैं जो भी ब्रा पहनती थी वह १५ दिन में ही छोटी हो जाती थी । मेरी
झांटे भी घनी घनी हो गयी थी । मैंने झांटे बनाना अपनी सहेली से सीखा ।
सहेलियों के बीच बड़ी गन्दी गन्दी बातें होने लगी थी । हमारी सभी लड़कियां
हर दिन बुर, चूत, चूतड, झांटें, लन्ड आदि की बातें करती थी । कुछ जो शादी
कर के आती थी उनसे से चुदाई की बातें पूँछी जाती थी । तब तक मैंने लन्ड
के बारे में सुना तो था लेकिन देखा नहीं था ।
मेरे पड़ोस में एक निम्मी आंटी रहती थी । मैं उनके घर बहुत आती जाती थी ।
अंकल अकसर बम्बई में रहते थे । एक दिन मैं दोपहर में आंटी के घर चली गयी
। आंटी घर पर ही थी बाहर का दरवाजा खुला था । मैंने वहीँ से आवाज़ लगाया
निम्मी आंटी मैं आ जाऊं । आंटी बोली हां आ जाओ और बाहर का दरवाजा बंद कर
देना । तुम सीधे मेरे बेड रूम में ही आ जाओ । मैं बेड रूम में चली गयी ।
वहां जो मैंने देखा, हाय अल्ला, बड़ा हैरान करने वाला था । आंटी जी तो
बिलकुल नंगी थी । उनकी बड़ी बड़ी चूंचियां और चिकनी चूत पर मेरी निगाह पड़
गयी । फिर उसके बगल में लेटा एक नंगा आदमी ? उसका खड़ा लौडा आंटी के हाथ
में ? वह धीरे धीरे लन्ड को ऊपर नीचे कर रही थी । मैंने दोनों हाथ अपने
मुह पर रखा और कहा हाय अल्ला आंटी मैं जाती हूँ फिर आऊंगी । आंटी बोली
फिर कब आएगी पगली । चल यहाँ आ ? अब तू जवान हो गयी है ।
मैंने तेरे लिए ही अपने देवर को यहाँ बुलाया है और इसका लन्ड तैयार किया
है। यहाँ आओ मेरे पास और मजे से पकड़ो लन्ड । आज मैं तुम्हे लन्ड पकड़ना
सिखाऊंगी । मैंने कहा आंटी मुझे शर्म आती है । आंटी बोली अरी पगली अगर
शर्म करेगी तो लन्ड का मज़ा नहीं ले पायेगी । देख लन्ड का मज़ा जवानी में
ही आता है । और फिर यहाँ शर्म कैसी ? देख मैं नंगी हूँ। मेरा देवर नंगा
है । तू भी नंगी हो जा । जब सब लोग सामने नंगे हो तो खुद को नंगी होने
में शर्म नहीं आती । मुझे आंटी की बात समझ में आ गयी । मैं उनके पास गयी
। आंटी ने मुझे नंगी का दिया । मेरा हाथ अपने देवर के लन्ड पर रखा और कहा
देखो इसे लन्ड कहते है । इसको मुठ्ठी में लेकर धीरे धीरे ऊपर नीचे बार
बार करो । मैं वैसा ही करने लगी । लन्ड इतने में और सख्त हो गया । और
फनफनाने लगा । और चमकने लगा । गफ्फूर अंकल मेरी चूंचियां दबाने लगे ।
मुझे चूंचियां दबवाने में मज़ा आया । आंटी ने मेरे सिर पर हाथ रख कर नीचे
दबा दिया । मेरा मुह खुला और लन्ड मुह के अन्दर घुस गया । आंटी बोली हां
अब चूसो मजे से लन्ड ? चाटो मजे से लन्ड । फिर उसने कहा फरहा लन्ड मुठ्ठी
में लेकर जल्दी जल्दी ऊपर नीचे करो । मैं वैसा ही करने लगी । आंटी ने
बताया की ऐसा करने को ही लन्ड का मुठ्ठ मारना कहलाता है । कुछ लोग इसी को
सडका लगाना कहते है । आंटी बोली देख फरहा अभी लन्ड से एक सफ़ेद सफ़ेद जूस
निकलेगा । उसको पी जाना । जबान से चाट जाना । पहले थोडा अजीब लगेगा लेकिन
फिर इसकी आदत पड़ जाएगी । इस लन्ड के जूस से तेरी जवानी हमेशा बनी रहेगी ।
तेरी चूंचियां बड़ी बड़ी हो जाएँगी और तुझे चुदवाने में ज्यादा मज़ा आएगा
। मैं अब लन्ड के जूस का इंतज़ार करने लगी । इतने में गफ्फूर अंकल खड़े हो
गये । मैं घुटनों के बल थी । आंटी ने मेरा मुह लन्ड के सामने कर रखा था ।
लन्ड से जैसे ही पिचकारी निकली सीधे मेरे मुह में चली गयी । मुझे बहुत
अजीब लगा । एक अजीब तरीके का स्वाद लगा । जब मैंने आंटी को जूस चाटते हुए
देखा तो मेरी हिम्मत बंध गयी । फिर हम दोनों ने झड़ते हुए लन्ड को चाटा ।
उसके बाद आंटी ने मुझे नहलाया धुलाया । और कहा अब थोडा खाना खा लो । थोडा
आराम कर लो । खूब गन्दी गन्दी बातें करना सीखो । उसके बाद मैं तेरे सामने
अपनी बुर चुदवाऊँगी । तुम लन्ड पकड़ कर मेरी चूत में घुसेडोंगी । मेरी
चुदाई ध्यान से देखना । फिर तुम्हे चुदवाना आ जायेगा । मैंने कहा आंटी जी
क्या आज ही सब कुछ सिखा दोगी मुझे ? उसने कहा देख फरहा आज और कल दो दिन
में मैं तुम्हे बहुत कुछ सिखा दूँगी । क्यों की गफ्फूर का लन्ड दो दिन के
लिए है । उसके बाद वह चला जायेगा । मैंने कहा अरी आंटी आज तो मुझे लन्ड
देखने का और पकड़ने का मौका मिला है । अब तो मुझे जल्दी जल्दी लन्ड चाहिए
। किसी और के लन्ड का इंतजाम करो ।
आज तुम चुदवा लो कल मैं चुदवाऊँगी । उस दिन आंटी ने मेरे सामने गफ्फूर
अंकल से खूब चुदवाया ।मैं दूसरे दिन फिर गयी आंटी के घर और गफूर अंकल से
जम कर चुदवाया ।अब मैं धीरे धीरे बेशर्म होती गयी । गफ्फूर अंकल के बाद
मैंने कई लडको से चुदवया और अंकलों से भी चुदवाया । एक दिन खेल खेल में
ही खाला का लन्ड पकड़ लिया था । खाला इतना गरम हो गया की वह मेरे ऊपर चढ़
बैठा और भकाभक चोदने लगा । उसके बाद तो मैं खुद ही लन्ड पकड़ कर बुर में
पेलने लगी । लोग मेरे आस पास लन्ड पकड़ाने के लिए मडराने लगे । शादी के
होने तक मैं बिलकुल चुदवाने में माहिर हो चुकी थी ।
हां तो मैं कह रही थी मैं अपने बहनोई से चुदवाने के लिए सोचने लगी । उसी
शाम को मैंने उसे अपने कमरे में बुलाया । मौका बड़ा हसीन था ।
मैंने कहा :- बहनोई जी आज तो मैंने तुम्हे नंगा देख लिया । तुम्हारा "वो"
भी देख लिया ।
बहनोई ( रियाज़ ) बोला :- अरे भाभी, मुझे क्या मालूम था की आप भी कमरे में है ?
मैंने कहा :- अब तो मालूम है की मैं कमरे में हूँ। अब क्या छुपाना मुझसे
? अब तुम मेरे सामने फिर नंगे हो जाओ । मैं तुम्हे अच्छी तरह देख तो लूं
? अपना "वो" अब अच्छी तरह दिखाओ न मुझे ?
बहनोई :- भाभी क्या तुम ही मुझे हर बार नंगा देखती रहोगी ? मैं भी तो
तुमको नंगी देखना चाहता हूँ।
मैंने कहा :- हाय अल्ला, बिलकुल सच कह रहे हो ? मुझे एकदम नंगी देखना चाहते हो ?
बहनोई :- हां भाभी, कसम खुदा की, मेरा मन तुमको नंगी देखने का है ।
मैंने कहा :- लो फिर देख लो न मुझे नंगी ? ( ऐसा कह कर मैंने अपने ऊपर से
चादर हटा कर फेंक दी । नीचे मैं तो नगी थी ही । ) मेरी चूत देख लो ? मेरी
चूंचियां देख लो ? मेरी गांड देख लो ? ( मैंने घूम कर गांड दिखाते हुए
कहा ) और मेरी छोटी छोटी झांटें देख लो ?
रियाज़ एकटक मुझे देखने लगा । मैं समझ गयी की उसका दिल मेरे पर आ गया है ।
फिर मैं उसे अपने बेड रूम में ले गयी और उसके कपडे उतारने लगी । जब चड्ढी
बची तो मैं थोडा रुक गयी । इतने में रियाज़ ने मुझे खींच कर चिपका लिया ।
मेरी चूंचियां मसलने लगा । मेरे सारे बदन को चूमने लगा । चूत पर हाथ
फेरने लगा ।
बहनोई :- हाय भाभी क्या मस्त जवानी है तुम्हारी ? इतनी मस्त चूंचियां तो
मेरी बीवी की भी नहीं है । हाय भाभी तेरी चूत चोदने में बहुत मज़ा आएगा ।
अब मैं तो मैं जम कर चोदूंगा तुम्हे । बिना चोदे यहाँ से नहीं जाऊँगा ।
मैंने कहा :- हाय राजा, अब तो मेरी ये चूत तुम्हारी हो चुकी है । मेरी
चूंचियां तुम्हारे लिए है । मेरी गांड तुम्हारे लिए है । जैसे चाहो वैसे
चोदो मुझे । अभी चोदो । रात भर चोद मुझे । पटक पटक कर चोदो ।
बस मैंने झट से उसकी चड्ढी खोल दी । उसका लौडा खड़ा था । मैंने पकड़ लिया
तो और टन्ना गया । मुझे लन्ड बहुत पसंद आया । मैं उसके लन्ड को बड़ी देर
तक देखती रही, चूमती रही, चाटती रही । पेल्हड़ सहलाती रही । उसकी झांटों
पर उंगलियाँ फिरती रही । बड़ा मज़ा आ रहा था मुझे ।
मैंने कहा :- हाय मेरे बहनोई जी, इतना बड़ा लन्ड तेरा ? मेरी तो छोटी बहन
बड़ा मज़ा करती होगी ? उसकी चूत को खूब मज़ा आता होगा ?
बहनोई :- अरे भाभी, आजकल बीवियाँ अपने मियां के लन्ड से ज्यादा गैर
मर्दों के लन्ड पसंद करती है । अब मेरी बीवी को ही लीजिये , मेरे लन्ड से
ज्यादा वह मेरे दोस्तों के लन्ड पकड़ती है । एक दिन मैंने देखा की मेरी
बीवी मेरे ही दोस्त से चुदवा रही है । वह चुदवाने में इतनी खो गयी थी की
मैंने उसको डिस्टर्ब नहीं किया । लेकिन जब चोद चुका और वे दोनों नंगे ही
थे तब मैं उनके सामने आ गया । मैंने कहा आरिफ अब तुम इसी समय अपनी बीवी
को लेकर आओ । मैं तेरे सामने ही उसे चोदूंगा बिलकुल वैसे ही जैसे तुमने
मेरी बीवी को चोदा है । उसकी बीवी आयी और मैंने वाकई उसे बड़े प्यार से
चोदा । उस दिन से मेरी बीवी जिससे चुदवाती है उसकी बीवी को मेरे सामने
लाती है और मैं फिर उसे चोदता हूँ ।
भाभी तुम लौडा बहुत अच्छी तरह से पकडती हो । ज़रा पूरा लौडा मुह में लेकर
एक बार और चूसो न ? मैं लौडा चूसने लगी ।
थोड़ी देर में मैंने उसे अपने ऊपर लिटाया और उसका लौडा घुसेड लिया अपनी
चूत में । बस चुदवाना शुरू हो गया । मैं खचर खचर चुदवा रही थी । फचर फचर
की आवाज़ आ रही थी । बड़ा मज़ा आ रहा था । उसके बाद तो बहनोई से चुदवाने
का सिलसिला चल पड़ा । मैं जब कब उससे चुदवाने लगी ।
एक दिन मेरा नंदोई आ गया । हां मेरी ननंद सना का शौहर साहिर । साहिर एक
नौजवान लड़का था । मेरी नियत इस पर ख़राब हो गयी । मैं क्या करू मेरी
ससुरी चूत इतने लन्ड खाकर भी सबर नहीं करती है । जब भी कभी एक लन्ड दिखाई
पड़ता है, बस ससुरी चुलबुलाने लगती है । मैं मन ही मन सोचने लगी की साहिर
का लौडा कैसा होगा ? कैसे चोदता होगा । मोटा है की लम्बा है लन्ड ? मेरी
ननद ने तो कभी बताया नहीं है ? मैं कोई जुगाड़ करने लगी । रात जैसे तैसे
कटी । मैं सवेरे सवेरे उसके बिस्तर के पास चली गयी । मैं जानती हूँ की
मर्दों के लन्ड सवेरे सवेरे खूब टन टनाते है । खड़े रहते है । मैंने देखा
की साहिर का भी लौडा खड़ा था । गर्मी के दिन थे । लुंगी खुली हुई थी । आधा
लौडा बिलकुल साफ दिखाई पड़ रहा था । मैंने शरारत की । धीरे से लुंगी और
खोल दी । लौडा और खुल गया । लेकिन पूरा अभी नहीं दिख रहा था । फिर मैं
हिम्मत की और पूरी लुंगी खींचते कहा उठो न नंदोई जी ? देखो कितना सवेरा
हो गया है । और फिर एकाएक बोली हाय, अल्ला, तुम लुंगी के नीचे कुछ भी
नहीं पहने हो ? तुम्हारा तो लौडा खड़ा है । मैंने लौडा पकड़ लिया । नंदोई
उठ बैठा । बोला अरे भाभी जी आप ? मैंने कहा अरे पहले अपना लौडा संभालो ।
देखो कैसे फुफकार रहा है । क्या किसी को चोदने जा रहा है ? यार बड़ा
प्यारा लौडा है तुम्हारा नंदोई जी । साहिर ने मेरी चूंचियों पर हाथ रख
दिया बोला भाभी अब चूंचियां खोलो न । बुर दिखाओ ना ? मैं तो आज तुम्हारी
बुर चोदूंगा । मैं तो चाहती ही थी चुदवाना । मैंने खूब गचागच गचागच
चुदवाया । उसके बाद मैं नंदोई से भी चुदवाने लगी ।
एक दिन इतवार को । मैं बहनोई के लन्ड को उसकी दोनों टांगों के बीच बैठ कर
चाट रही थी । फिर मैं अपनी गांड उठा कर चटाने लगी । उधर से नंदोई मुझे
खोजते खोजते आ गया । मैंने उसे देख लिया । इससे पहले की मैं कुछ कहती
उसने अपना लौडा मेरी चूत में पीछे से घुसेड दिया । वह मेरी बुर चोदने लगा
। फिर मैं उठी और दोनों लन्ड दोनों हाथ में ललकार सहलाने लगी और चूसने
लगी । कभी बहनोई का लन्ड कभी नंदोई का लन्ड । फिर दोनों से एक साथ
चुदवाने लगी । कभी बहनोई का लन्ड चूत में कभी नंदोई का लन्ड । कभी इसका
लन्ड मुह में कभी उसका लन्ड मुह में । मुझे दो दो लन्ड से चुदवाने में
बड़ा मज़ा आने लगा । एक आगे से चोदता तो दूसरा पीछे से । कहते है की चुदाई
का बात छिपी नही रह सकती । एक दिन नन्द ने मुझे उस समय देख लिया जब की
मेरे हाथ में नंदोई का लन्ड था ।
पहले तो उसे ख़राब लगा लेकिन जब मैंने कहा :- सना क्या तुम भूल गयी हो ?
तुम भी मेरे मियां से चुदवाती हो । अपने भई जान से चुदवाती हो न ? बस वह
भी सामिल हो गयी चुदाई में मेरे साथ , इतने में रियाज़ आ गया । मैंने ननद
के सामने उसका लन्ड पकड़ लिया ।
सना :- हाय भाभी क्या तुम अपने बहनोई से भी चुदवाती हो ?
मैंने कहा :- हां बिलकुल चुदवाती हूँ।
सना बोली :- तो भाभी आज मैं इससे चुदवाऊँगी । उसकी यह बात मेरी छोटी बहन
ने सुन ली ।
रिया मेरी छोटी बहन बोली :- तो ठीक है । सना तुम मेरे मियां से चुदवाओ,
मैं तेरे मियां से चुदवाऊँगी । उस दिन सब भेद खुल गया । हम सबने सबके
मियां से बारी बारी से चुदवाया ।
कोई चोदे आगे से कोई चोदे पीछे से ।
कोई चोदे ऊपर से कोई चोदे नीचे से ।
इसका लौडा उसकी बुर में । उसका लौडा इसकी बुर में ।
मैं जब चोदूं उसकी बीवी । वो चोदे तब मेरी बीवी ।
मेरे मियां का चाटो लन्ड । उसके मियां का चाटो लन्ड ।
तेरे मियां से मैं चुदवाऊँ । मेरे मियां से तुम चुदवाओ ।
बुर चोदो और मारो गांड । पेलो बुर में सबके लांड ।

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