चुदाई की एक मस्त कहानी
हमारा शहर सागर प्राकृतिक सुन्दरता और हिल्स से घिरा हुआ है। यह एक बहुत
ही सुंदर लैक है और यहां के लोग बहुत ही संतुष्ट और सीधे सादे हैं। पर
यहां की महिलायें बहुत चुदक्कड़ है यह मैंने बहुत बाद में जाना। मैं
क्रिकेट और फुटबॉल का नेशनल प्लेयर रहा हूँ इस कारण से अपने एरिया में
बहुत मशहूर था और सुंदर कद काठी और रूप रंग गोरा होने के कारण हैंडसम भी
दीखता था. लेकिन मुझे अपने लन्ड की प्यास किसी न किसी के बारे मैं सोच कर
और अपनी मुट्ठ मार कर या अपना तकिये को चोदकर बुझानी पड़ती थी मैं अपनी
हेल्पिंग हब्बिट्स के कारण भी बहुत मशहूर था और सभी मुझे प्यार भी इसीलिए
बहुत करते थे।
मेरे घर के सामने ग्राउंड है जहा मैं खेलते हुए बड़ा हुआ और अपने सभी
सपने सन्जोए। एक दिन हम कुछ दोस्त मोर्निंग एक्सर्साईज करके आ रहे थे तभी
सामने से आती हुई ३ लड़कियों पर नज़र पड़ी। उनमे से दो को मैं चेहरे से तो
जानता था कि वो मेरे घर के आस पास रहती है। तीसरी से बिल्कुल अनजान था और
वो कोई ख़ास भी नहीं थी. हम दोस्त अपनी बातों में मस्त दौड़ लगाते हुए
जैसे ही उनके पास पहुचे तो बीच वाली लड़की मेरे को बहुत पसंद आई. मै
सिर्फ़ बनियान और नेक्कर मैं था तो मेरे सारे मस्सल्स दिखाई दे रहे थे
जिससे शायद वो थोडी इम्प्रेस हुई उसने भी मुझे भरपूर नज़र देखा. मेरा
ध्यान उस लड़की पर लगा होने से मैं नीचे पत्थर नही देख पाया और ठोकर खाकर
गिर पड़ा वो तीनो लड़कियां बहुत जोरों से हंस पड़ी और भाग गई. मुझे घुटनों
और सर में बहुत चोट लगी थी काफ़ी खून बहा था इस कारण मै कुछ दिन अपनी
मोर्निंग एक्सर्साईज के लिए दोस्तों के पास नही जा पाया.
ठंडों का मौसम चल रहा था हमारे मोहल्ले मैं एक शादी थी. मेरी हर किसी से
अच्छी पटती थी इसलिए मेरे बहुत सारे दोस्त हुआ करते थे. उस शादी में मैं
अपने ऊपर एक जिम्मेदार पड़ोसी की भूमिका निभाते हुए बहुत काम कर रहा था.
और मै जयादातर महिलाओं के आस पास मंडराता कि शायद कोई पट जाए या कोई लिंक
मिल जाए मुनिया रानी को चोदने या दर्शन करने के। पर किस्मत ख़राब. कोई
नही मिली. मुझ से किसी खनकती आवाज ने कहा " सुनिए आप तो बहुत अच्छे लग
रहे है आप और बहुत मेहनत भी कर रहे है यहां "
मैंने जैसे ही मुड़कर देखा तो वो ही बीच वाली लड़की जिसको देखकर मै गिरा
था और जिसके कारण मेरे सर पर अभी भी पट्टी बंधी हुई थी जिसमे ३ टाँके लगे
हुए थे और घुटने का भी हाल कुछ अच्छा नही था… मैंने देखा वो खड़ी मुस्कुरा
रही थी. मैंने कहा "आ आप ….. आपने मेरे से कुछ कहा"
" नही यहां ऐसे बहुत सारे लोग है जो मेरे को देख कर रोड पर गिरकर अपना सर
फ़ुड़वा बैठे" वो अपनी सहेलियों से घिरी चहकती हुई बोली।
" आप लोग तो हंस कर भाग गई…. मेरे सर और पैर दोनों मैं बहुत चोट लगी थी" मैंने कहा
मेरे ही मोहल्ले की एक लड़की ज्योति जिसे मै पहले पटाने की कोशि्श कर
चुका था पर वो पटी नहीं थी बल्कि मेरी उससे लडाई हो गई थी. ज्योति ने
मेरे से मुह चिड़ाते हुए कहा इनको " च्च्च च्च छक … अरे!! अरे!! बेचारा…..
देव भैया अभी तक कोई मिली नही तो अब लड़कियों को देख कर सड़कों पर गिरने
लगे " और खिल खिला कर हंस दी …..
मैंने ज्योति के कई सपने देखे मै ज्योति को अपनी गाड़ी पर बिठाकर कही ले
जा रहा हूँ उसके दूध मेरी पीठ से छु रहे है वो मेरे लंड को पकड़ कर
मोटरसाईकिल पर पीछे बैठी है उसके बूब्स टच होने से मेरा लंड खड़ा हो जाता
है तो मै धामोनी रोड के जंगल मै गाड़ी ले जाता हूँ जहा उसको गाड़ी से
उतार कर अपने गले से लिपटा लेता हूँ उसके लिप्स, गर्दन बूब्स पर किस कर
रहा हूँ और उसके मम्मे दबा रहा हूँ साथ ही साथ उसकी मुनिया(बुर) को भी
मसल रहा हूँ वो पहले तो न नुकर करती है लेकिन जब मै उसकी मुनिया और बूब्स
उसके कपडों के ऊपर से किस करता हूँ और उसकी सलवार खोल कर उसकी पैंटी के
ऊपर से ही उसकी पेशाब को चाटने लगा ज्योति भी सीई हीई येः क्या कर रहे
हो…….. मैं जल रही हूँ मुझे कुछ हो रहा है ……. कह रही है और मै ज्योति को
वहीं झाडियों मैं जमीन पर लिटाकर चोदने लगता हूं। पहले ज्योति का पानी
छूटता है फिर मेरा.. जब ख्वाब पूरा हुआ तो देखा लंड मेरा मेरे हाथ मैं झड़
चुका है और मुट्ठी मारने से लंड लाल हो गया है
मुझे बहुत बुरा लगा ज्योति के तानों से मेरी बे-इज्ज़ती हुई थी वहां से
मैंने इन दोनों को सबक सिखाने का ठान लिया. मैंने गुलाब जामुन का शीरा
उसकी बैठने वाली सीट पर लगा दिया जिससे उसकी सफ़ेद ड्रेस ख़राब हो गई और
वो ऐन मौके पर गन्दी ड्रेस पहने यहां वहां घूमती रही और लोग उसे कुछ न
कुछ कहते रहे . पर उसका चेहरा ज्यों का त्यों था .. मैंने ज्योति को उसके
हाल पर छोड़ कर अपने टारगेट पर कन्स्न्ट्रेट करनाउचित समझा
मै उससे जान पहचान करना चाहता था जब से उसको देखा था उसके भी नाम की कई
मूठ मारी जा चुकी थी और तकिये का कोना चोदा जा चुका था.. मेरा तकिये के
कोने मेरे स्पेर्म्स के कारण कड़क होना शुरू हो गई थे. पर कोई लड़की
अभीतक पटी नहीं थी.
इसबार मैंने हिम्मत करके उसका नाम पूछ लिया. जहा वो खाना खा रही थी वहीं
चला गया और पूछा "आप क्या लेंगी और….. कुछ लाऊँ स्वीट्स या स्पेशल आइटम
आपके लिए…
भीड़ बहुत थी उस शादी मैं वो मेरे पास आ गई और चुपचाप खड़ी होकर खाना खाने
लगी. मैंने उसको पूछा "आप इस ड्रेस मैं बहुत सुंदर लग रही है.. मेरा नाम
देव है आपका नाम जान सकता हूँ…" फिर भी चुप रही वो और एक बार बड़े तीखे
नैन करके देखा. हलके से मुस्कुराते हुए बोली" अभी नही सिर्फ़ हाल चाल
जानना था सो जान लिया"
मैंने उसका नाम वहीँ उसकी सहेलियों से पता कर लिया और उसका एड्रेस भी पता
कर लिया था. उसका नाम मीनू था. वो मेरे घर के ही पास रहती थी. पंजाबी
फॅमिली की लड़की थी. सिंपल सोबर छरहरी दिखती थी. उसकी लम्बाई मेरे लायक
फिट थी उसके बूब्स थोड़े छोटे ३२ के करीब होंगे और पतला छरहरा बदन तीखे
नैन-नक्श थे उसके. वो मेरे मन को बहुत भा गई थी. शादी से लौट के मैंने उस
रात मीनू के नाम के कई बार मुट्ठ मारी. मै उसको पटाने का बहुत अवसर खोजा
करता था वो मेरे घर के सामने से रोज निकलती थी पर हम बात नही कर पाते थे.
ऐसा होते होते करीबन १ साल बीत गया.
एक बार मै दिल्ली जा रहा था गोंडवाना एक्सप्रेस से. स्टेशन पर गाड़ी आने
मैं कुछ देर बाकी थी शादियों का सीज़न चल रहा था काफ़ी भीड़ थी. मेरा
रिज़र्वेशन स्लीपर में था. तभी मुझे मीनू दिखी, साथ में उसका भाई और सभी
फॅमिली मेम्बेर्स भी थे। उसके भाई से मेरी जान पहचान थी सो हम दोनों बात
करने लगे. मैंने पूछा "कहा जा रहे हो" तो बोले "मौसी के यहां शादी है
दिल्ली मैं वहीँ जा रहे है".
मुझ से पूछा " देव जी आप कहा जा रहे हो"
मैंने कहा " दिल्ली जा रहा हूँ थोड़ा काम है और एक दोस्त की शादी भी अटेण्ड करनी है"
इतने में ट्रेन आने का अनौंसमेंट हो चुका था। उनके साथ बहुत सामान था,
मेरे साथ सिर्फ़ एक एयर बैग था उन्होंने मेरे से सामान गाड़ी में चढाने
की रेकुएस्ट करी गाड़ी प्लेटफोर्म पर आ चुकी थी यात्री इधर उधर अपनी सीट
तलाशने के लिए बेतहाशा भाग रहे थे बहुत भीड़ थी. मीनू के भाई ने बताया की
इसी कोच में चढना है तो हम फटाफट उनका सामान चढाने मैं बीजी हो गए. उनका
सामान गाड़ी के अंदर करके उनकी सीट्स पर सामान एडजस्ट करने लगा मैंने अपना
बैग भी उन्ही की सीट पर रख दिया था मुझे अपनी सीट पर जाने की कोई हड़बड़ी
नही थी क्योंकि बीना जंक्शन तक तो गोंडवाना एक्सप्रेस मैं अपनी सीट का
रिज़र्वेशन तो भूल जाना ही बेहतर होता है. क्योंकि डेली पैसेन्जर्स भी
बहुत ट्रेवल करते है इस ट्रेन से सो मै उनका सामान एडजस्ट करता रहा.
गाड़ी सागर स्टेशन से रवाना हो चुकी थी. मै पसीने मैं तरबतर हो गया था. अब
तक गाड़ी ने अच्छी खासी स्पीड पकड़ ली थी. मीनू की पूरी फॅमिली सेट हो
चुकी थी और उनका सामान भी. गाड़ी बीना 9 बजे रात को पहुचती थी और फिर वहा
से दूसरी गोंडवाना मैं जुड़ कर दिल्ली जाती थी. इसलिए बीना मैं भीड़ कम
हो जाती है. मै सबका सामान सेट करके थोड़ा चैन की साँस लेने
कम्पार्ट्मेन्ट के गेट पर आ गया फिर साथ खड़े एक मुसाफिर से पूछा "यह कौन
सा कोच है " उसने घमंडी सा रिप्लाई करते हुए कहा एस ४…. तुम्हें कौन सो
छाने ( आपको कौन सा कोच चाहिए)" "अरे गुरु जोई चाने थो …. जौन मैं हम
ठाडे है ….. (बुन्देलखंडी) (यही चाहिए था जिसमे हम खड़े है)"
मैंने अपनी टिकेट पर सीट नम्बर और कोच देखा तो यही कोच था जिसमे मीनू थी
बस मेरी बर्थ गेट के बगल वाली सबसे ऊपर की बर्थ थी. बीना मैं मैंने हल्का
सा नाश्ता किया और घूमने फिरने लगा. मुझे अपने बैग का बिल्कुल भी ख्याल
नही था. बिना से गाड़ी चली तो ठण्ड थोडी बढ गई थी मुझे अपने बैग का ख्याल
आया. मै उनकी सीट के पास गया तो मैंने "पूछा मेरा बैग कहा रख दिया." मीनू
की कजिन बोली " आप यहां कोई बैग नही छोड़ गए आप तो हमारा सामान चढवा रहे
थे उस समय आपके पास कोई बैग नही था" जबकि मुझे ख्याल था की मैंने बैग
मीनू की सीट पर रखा था. वो लोग बोली की आपका बैग सागर मैं ही छूट गया
लगता है.
मैंने कहा कोई बात नही. उन्होंने पूछा कि आपकी कौन सी बर्थ है मैंने कहा
इसी कोच मैं लास्ट वाली. मीनू की मम्मी बोली "बेटा अब जो हो गया तो हो
गया जाने दो ठण्ड बहुत हो रही है ऐसा करो मेरे पास एक कम्बल एक्स्ट्रा है
वो तुम ले लो"
मैंने कहा "जी कोई बात नहीं मै मैनेज कर लूँगा"
" ऐसे कैसे मनेज कर लोगे यहां कोई मार्केट या घर थोड़े ही किसी का जो
तुमको मिल जाएगा ठण्ड बहुत है ले लो" मीनू की मम्मी ने कहा.
"मुझे नींद वैसे भी नहीं आना है रात तो ऐसे ही आंखों मैं ही कट जायेगी.."
मैंने मीनू की ऑर देखते हुए कहा. मीनू बुरा सा मुह बनके दूसरे तरफ़ देखने
लगी.
ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार पर दौडी जा रही थी. मुझे ठण्ड भी लग रही थी तभी
मीनू की मम्मी ने कम्बल निकालना शुरू किया तो मीनू ने पहली बार बोला.
रुको मम्मी मै अपना कम्बल दे देती हूँ और मै वो वाला ओढ लूंगी. मीनू ने
अपना कम्बल और बिछा हुआ चादर दोनों दे दी….. मुझे बिन मांगे मुराद मिल गई
क्योंकि मीनू के शरीर की खुशबू उस कम्बल और चादर मैं समां चुकी थी. मै
फटाफट वो कम्बल लेकर अपनी सीट पर आ गया
… मुझे नींद तो आने वाली नहीं थी आँखों मैं मीनू की मुनिया और उसका चेहरा
घूम रहा था. मै मीनू के कम्बल और चादर को सूंघ रहा था उसमे से काफी अच्छी
सुंगंध आ रही थी. मैं मीनू का बदन अपने शरीर से लिपटा हुआ महसूस करने लगा
और उसकी कल्पनों मैं खोने लगा.. मीनू और मै एक ही कम्बल मै नंगे लेटे हुए
है मै मीनू के बूब्स चूस रहा हूँ और वो मेरे मस्त लौडे को खिला रही है.
मेरा लंड मै जवानी आने लगी थी जिसको मै अपने हाथ से सहलाते हुए आँखे बंद
किए गोंडवाना एक्सप्रेस की सीट पर लेटा हुआ मीनू के शरीर को महसूस कर रहा
था.
जैसे जैसे मेरे लंड मै उत्तेजना बढती जा रही थी वैसे वैसे मै मीनू के
शरीर को अपने कम्बल मैं अपने साथ महसूस कर रहा था. इधर ट्रेन अपनी पूरी
रफ्तार पर थी मै मीनू के बूब्स प्रेस करते हुए उसके क्लिटोरिस( चूत के
दाने) को मसल रहा था और उसके लिप्स और गर्दन पर लिक करता हुआ मीनू के
एक-एक निप्प्ल को बारी बारी चूस रहा था.. इधर मीनू भी कह रही थी अह्ह्ह
हह सीईईई ओम्म्म मम् बहु्त अच्छा लग रहा है मै बहुत दिन से तुमको चाहती
हूँ देव ……. जबसे तुमको देखा है मै रोज तुम्हारे नाम से अपनी चूत को
ऊँगली या मोमबत्ती से …… चोदती हूं …उम् म ….. आ अ अ अ …. तुम्हारा लंड
तुम्हारे जैसा मस्त है उम् म म म बिल्कुल लम्बा चोडा देव …. उम् म म आ अअ
अआ जल्दी से मेरी चूत में अपना लन्ड घुसा दो अब सहन नही हो रहा उ मम म
आया अ अ अ और मै एक झटके में मीनू की बुर मैं लंड पेल कर धक्के मारने लगा
ट्रेन की रफ्तार की तरह के धक्के … फटाफट जैसे मीनू झड़ रही हो उम् मम्
देव ……मेरी बुर र … सी पेशाब…. निकलने वाली ही तुम्हारे लंड ने मुझे मूता
दिया मेरी पहली चुदाई बड़ी जबरदस्त हुई उम् म आ अ अ जैसे ही मीनू झडी मैं
भी झड़ने लगा मै भूल गया की मै ट्रेन मै हूँ और सपने मै मीनू को चौद्ते
हुए मुट्ठ मार रहा हूँ और मैं भी आ आया…. हा ह मीनू… ऊऊ मजा आ गया मै कब
से तुमको चोदना चाहता था कहते हुई झड़ने लगा और बहुत सारा पानी अपने
रुमाल मैं निकाल कुछ मीनू के चादर मैं भी गिर गया.
जब मै शांत हुआ तो मेरे होश वापिस आए और मैंने देखा कि मै तो अकेला ट्रेन
मै सफर कर रहा हूँ.. शुक्र है सभी साथी यात्री अपनी अपनी बेर्थ्स पर
कम्बल ओढ कर सो रहे थी. ठण्ड बहुत तेज़ थी उस पर गेट के पास की बर्थ बहुत
ठंडी लगती है अब मुझे पेशाब जाने के लिए उठाना था मै हाफ पेंट में सफर
करता हूँ तो मुझे ज्यादा दिक्कत नही हुई.. अब तक रात के १.३० बज चुके थे
मै जैसे ही नीचे उतरा तो मुझे लगा जैसे मीनू की सीट से किसी ने मुझे
रुकने का संकेत किया हो मीनू की सीट के पास कोच के सभी यात्री गहरी नींद
मै सो रहे थे और ट्रेन अभी १ घंटे कही रुकने वाली नही थी. मैंने देखा
मीनू हाथ मै कुछ लिए आ रही है.. मेरे पास आकर बोली "बुधू तुम अपना बैग
नहीं देख सके मुझे क्या संभालोगे" ठंड मैं ठिठुरते हो …"
मैंने उसकी बात पर ध्यान नही दिया उसने क्या मेसेज दे दिया मै रिप्लाई
दिया " मैं तुम्हारे कम्बल मै तुम्हारी खुशबू लेकर मस्त हो रहा था" मै
अपने लंड के पानी से भरा रुमाल अपने हाथ मै लिए था. जिसको देख कर वो बोली
"यह क्या है" मैंने कहा " रुमाल है".
"यह गीला क्यों है" मीनू ने पूछा " ऐसे ही… तुम्हारे कारण … कह कर मैंने
टाल दिया…..
मीनू ने पूछा "मेरे कारण कैसे……" फिर मुझे ध्यान आया की अभी अभी मीनू ने
मुझे कुछ मेसेज दिया है….
मैंने मीनू को गेट के पास सटाया और उसकी आंखों मै देखते हुए उसको कहा
मीनू आई लव यू और उसके लिप्स अपने लिप्स मैं भर लिए उसके मम्मे पर और
गांड पर हाथ फेरने लगा. मीनू भी मेरा किस का जवाब दे रही थी…..
मै मीनू के दूधों की दरार मै चूसने लगा था और बूब्स को दबा रहा था… मेरा
लंड जो आधा बैठा था फ़िर से ताकत भरने लगा और उसके पेट से टकराने लगा..
मीनू मेरे से बोली आई लव यू टू.. इधर कोई देख लेगा जल्दी से इंटर कनेक्ट
कोच की और इशारा कर के कहने लगी उस कोच के टॉयलेट मैं चलो …..
हम दोनों टॉयलेट में घुस गए…. टॉयलेट को लाक करते ही मै उसको अपने से
लिपटा लिया और पागलों की भाति चूमने लगा.. मीनू मै तुमसे बहुत प्यार करता
हूँ और तुमको दिलो जान से चाहता हूँ……
हां! मेरे राजा देव मै भी तुम्हारे बिना पागल हो रही थी….. जानते हो यह
प्रोग्राम कैसे बना दिल्ली जाने का …..मेरे आने का मै तुम्हारे घर आई थी
मम्मी के साथ तुम्हारी मम्मी और मेरी मम्मी संकट मोचन मन्दिर पर रामायण
मंडल की मेंबर है.. तो उन्होंने बताया की देव को परसों दिल्ली जाना ही तो
वो नही जा सकती उनके साथ. तब मैंने भी मम्मी को प्रोग्राम बनने को कह
दिया मैंने कहा यह कहानी छोड़ो अभी तो मजा लो
मैंने उसको कमोड शीट पर बिठा दिया और उसके पैर से लेकर सर तक कपडों के
ऊपर से ही चूसने चूमने लगा….. मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा वो "सी ई ईई आई
वहां नही वहां कुछ कुछ होता है जब भी तुमको देखती हु मेरी अंदर से पेशाब
निकल जाती है वहां नही" ऐसा कहने लगी
मैंने कहा "मुझे विश्वास नही होता मुझे दिखाओ " ऐसा कहकर मै सलवार के ऊपर
से उसकी अंदरूनी जांघ और बूब्स पर हाथ से मालिश करने लगा
" हट बेशरम कभी देखते है लड़कियों की ऐसे वो शादी के बाद होता है " मीनू बोली
मैंने मीनू के बूब्स को सहलाते हुई और उसकी अंदरूनी जांघ पर चूमते हुए
उसकी चूत की तरफ़ बदने लगा और कहा " ठीक है जैसा तुम कहो पर मै कपड़े के
ऊपर से तो चेक कर लूंगा"" मीनू भी अब गरमाने लगी थी उसकी चूत भी काफ़ी
गर्म और गीली होने लगी थी. वो अपने दोनों पैरो को सिकोड़ कर मेरे को चूत
तक पहुचने से रोक रही थी… " प्लीज़ वहां नही मैं कंट्रोल नहीं कर पाऊँगी
अपने आप, को कुछ हो जायेगा …. मेरी कजिन के भरोसे आई हूं उसको पटा रखा है
मैंने। यदि कोई जाग गया तो उसकी भी मुसीबत हो जायेगी प्लीज़ मुझे जाने दो
अब…"
मैंने मीनू के दोनों पैर अपनी ताकत से फैलाये और उसकी सलवार की सिलाई को
फाड़कर उसकी पिंक पैंटी जो की उसके चूत के रस मैं सराबोर थी अपने मुह में
ले लिया… उसकी पैंटी से पेशाब की मिलीजुली स्मेल के साथ उसके पानी का भी
स्वाद मिल रहा था…..
मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को जोरो से चूसना चालू कर दिया.. मीनू
कहे जा रही थी" प्लीज़ नो ! मुझे जाने दो उई मा मैं कंट्रोल खो रही हूं
उम् मम मम् मुझे जाने दो…. और.. जोर से चाटो मेरी पेशाब में कुछ हो रहा
है बहुत अच्छा लग रहा है मेरे पेट में गुदगुदी हो रही है मीनू के निप्पल
भी खड़े हो गए थी क्योंकि उसकी कुर्ती मै हाथ डाल कर उसके मम्मे मसल रहा
था मीनू मेरे सर को अपनी चूत पर दबाये जा रही थी … उम्म मै मीनू की
पैन्टी को चूत से साइड में खिसका के उसकी चूत को चूत की लम्बाई में चूस
रहा था।
मीनू अपने दोनों पैर टॉयलेट के विण्डो पर टिकाये मुझसे अपनी चूत चटवा रही
थी मीनू की बुर बिल्कुल कुंवारी थी मैंने अपनी ऊँगली उसकी बुर मैं घुसेदी
बुर बहुत टाइट और गीली थी मीनू हलके हलके से करह रही थी " उम्म्म आआ मर
गई" मैं मीनू की बुर को ऊँगली से चोद रहा था और चूत के दाने को चाट और
चूस रहा था.. सलवार पहने होने के कारण चूत चाटने मैं बहुत दिक्कत हो रही
थी.
मीनू की चूत झड़ने के कगार पर थी" आ आअ कुछ करो मेरा शरीर अकड़ रहा है
पहले ऐसा कभी नही हुआ मेरी पेशाब निकलने वाली ही अपना मुह हटाओ और जोर से
चूसो अपनी उंगली और घुसाओ आअ आ . उई माँ आअ अ …. उसकी जवानी का पहला झटका
खाकर मेरे मुह को अपने चूत के अमृत से भरने लगी…… मीनू के मम्मे बहुत
कड़क और फूल कर ३२ से ३४ होगये मालूम होते थे… इधर मेरी हालत ज्यादा
ख़राब थी … मैंने मीनू को बोला प्लीज़ एक बार इसमे डाल लेने दो मीनू ने
कहा ' अभी नही राजा मै तो ख़ुद तड़प रही हूँ तुम्हारी पेशाब अपनी पेशाब
मैं घुसवानेको.. उम्म्म सुना ही बहुत मजा आता है और दर्द भी होता है "
मैंने कहा "अपन दोनों के पेशाब के और भी नाम है " "मुझे शर्म आती है वो
बोलते हुई" और वो खड़ी होने लगी मै कमोड शीट पर बैठा और अपनी नेक्कर नीचे
खिसका दी मेरा हल्लाबी लंड देखकर उसका मुह खुला का खुला रह गया.
"हाय राम… ममम म इतना बड़ा और मोटा……….तो मैंने कभी किसी का नही देखा
मैंने पूछा "किसका देखा है तुमने… बताओ "
मेरे भैया जब भाभी की चुदाई करते है तो मै अपने कमरे से झाँक कर देखती
हूँ.. भाभी भइया के इससे अद्धे से भी कम साइज़ के पेशाब में चिल्लाती है
फ़िर इस जैसी पेशाब मै तो मेरा क्या हाल करेगी… मै कभी नही घुसवाउंगी"
मैंने कहा अछा "मत घुसवाना, पर अभी तो इसको शांत करो"
"मै कैसे शांत करू" मीनू ने कहा
मैंने कहा "टाइम बरबाद मत करो, जल्दी से इसे हाथ मैं लो और मेरी मुट्ठ
मारो" मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर लगाया और आगे पीछे करवाया. पहले
तो मीनू थोड़ा हिचकी फिर बोली " तुम्हारा लंड बहुत शानदार है मेरी चूत में
फ़िर से खुजली होने लगी है……हीई सीइई मैई इ इक्या करू ओम मम म फ्लिच्क
कक्क " एक ही झटके मैं मेरा सुपाडा उसने किसी आइसक्रीम कोण की तरह चूस
लिया मै जैसे स्वर्ग में पहुच गया मैंने उसके मुह में धक्के मारे मैंने
कहा मेरा पानी निकलने वाला है.
" मेरी चूत फ़िर से गरम हो गई है इसका कुछ करो सी ई इ आअ आ अ ……….." मीनू
सिसकारियां भर रही थी मैंने मीनू को फौरन कमोड शीट पर बैठाया और उसकी
कुर्ती का कपड़ा उसके मुह मै भर दिया….. जिससे लंड घुसने पर वो चिल्लाये
नही मैंने उसको समझाया भी थोड़ा दर्द होगा सहन करना .. मैंने उसकी दोनों
टांगें फैली और चूत चाटी दो ऊँगली उसकी चूत मै भी घुसी उसकी चूत बहुत
टाइट थी और बहुत गीली लिसलिसी सी गरम थी. मीनू कसमसा रही थी " हीई इ सी ई
इ इ इ अब जल्दी करो.. मेरे बदन मैं करोड़ों चीटियाँ घूम रही है मेरी बुर
को ना जाने क्या हो गया है" मीनू ने कुर्ती मुह से निकाल कर कहा.
मैंने अपने लन्ड पर बहुत सारा थूक लगाया और कुछ उसकी गीली चूत मै भी
लगाया जिससे उसकी चूत के लिसलिसे रस से मेरा थूक मिलकर और चूत को चिकना
कर दे…. मैंने लंड हाथ मैं लेकर सुपाडा मीनू की चूत मैं ऊपर नीचे रगडा ..
मीनू अपनी गांड उठा कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी अब वो बिना लंड
डलवाए नही रह सकती थी
उसने मेरे लन्ड को पकड़ा और अपनी बुर पर टिकाया मैंने पहले थोड़ा सा
सुपाडा अंदर कर उसको अंदर बाहर कर एडजस्ट किया…. मुझे ऐसा लग रहा था की
मेरे लण्ड को किसी जलते हुए चमड़े के क्लंप मैं कस दिया हो. इतनी टाइट बुर
थी मीनू की मैंने थोडी और लंड अंदर पेला मीनू की मुह मै यदि कुर्ती ना
घुसाई होती तो पूरे कम्पार्टमेंट के यात्री हमें चुदाई करते हुए पकड़
लेते….
मीनू मेरे मोटे लंड के कारन अपना सिर इधर उधर हिलाकर और अपनी आंखों से
आंसू निकाल कर बता रही थी की उसको कितना दर्द हो रहा है…….. मैं थोडी देर
रुक कर फाटक से एक गहरा और चूत फाड़ धक्का पेला जिससे मीनू की बुर की
झिल्ली फटी और लौड़ा उसकी गहराई तक समां गया मीनू की तो हालत ख़राब हो गई
थी.. मैंने थोड़ा रुक कर लंड बाहर खींचा तो उसके साथ खून भी बहर आया और
फटा फट धक्के मारने लगा. मीनू की टाइट चूत के कारण मेरे गेंदों मै उबाल
आना शुरू हो गया था.. मैंने मौके की नजाकत को ताड़ते हुए पहले लंड बाहर
निकाला और गहरी साँस लेकर अपनी पोस्शन कंट्रोल करी और मीनू के मुह से
कुर्ती हटी और फिर धीरे धीरे पूरा लंड घुसा कर शुरू मै हलके धक्के मारे
फ़िर ताबड़ तोड़ धक्के लगाए.
मै अपनी स्पीड गोंडवाना एक्सप्रेस से मिला रहा था…" मीनू की बुर पानी
छोड़ने वाली थी क्योंकि उसने अपनी कुर्ती वापिस अपने मुह में डाल ली थी
और मीनू की बुर मेरे लौडे को कसने लगी थे मै मीनू के ३२ से ३४ साइज़ हुए
मम्मे मसलता हुआ चुदाई कर रहा था.. मीनू बहुत जोरो से झडी तभी मेरे लण्ड
ने भी आखिरी सांसे ली तो मैंने मीनू के दोनों मम्मे पूरी ताकत से भीचते
हुए अपना लौड़ा मीनू की टाइट बुर मै आखिरी जड़ तक पेल दिया और मीनू की बूर
को मैंने पहला वीर्य का स्वाद दिया मीनू भी बहुत खुश हो गई थी. जब साँस
थमी तो मैंने लन्ड मीनू की बुर से बाहर निकाल जिससे मीनू की बुर से मेरे
वीर्य के साथ मीनू की बुर से जवानी और कुंवारापन का सबूत भी बहकर बाहर आ
रहा था.
मैंने मीनू को हटाया और कमोड में पेशाब करी मीनू बड़े गौर से मेरे लंड से
पेशाब निकलते देखते रही और एक बार तो उसने मुह भी लगा दिया. उसका पूरा
मुह मेरे पेशाब से गीला हो गया कुछ ही उसके मुह में जा पाया मैंने अपना
लंड धोया नही उस पर मीनू की बुर का पानी और जवानी की सील लगी रहने दिया
और नेक्कर के अंदर किया मीनू की बुर मै सुजन आ गई थी मै इंतज़ार कर रहा
था की अब मीनू भी अपनी बुर साफ़ करेगी तो नंगी होगी तो उसने मुझे बाहर
जाने को बोला. मै उसकी बात मानकर उसको अपना रुमाल बताकर आ गया. मैंने
अपनी घड़ी मै टाइम देखा तो हम लोगो के सवा घंटा गुजर गया था टॉयलेट में…
शुक्र है भगवन का कि ठंड के कारण कोई नही जागा था और ट्रेन भी नही रुकी
थी. थोडी देर बाद मीनू अपनी बुर पर हा्थ फेरती हुई कुछ लड़खड़ाते हुए बाहर
आई मैंने पूछा क्या हाल है जानेमन तुम्हारी बुर के " सुजन आ गई है पर
चुदवाने मै बहुत मजा आया फ़िर से चुदवाने का मन कर रहा है
" ये लो यह रूमाल तुम वहां छोड़ आए थे। स फक्स….इसमे यह क्या लगा है
लिसलिसा" यह वोही रुमाल था जिसमे मैंने मीनू के नाम की मुट्ठ मारी थी
अपनी सीट पर लेते हुए वोही मुझे देने लगी. "इसमे वोही लिसलिसा है तो अभी
तुम्हारी मुनिया मै मेरे लंड ने उडेला है…. और तुम क्या लिए हो" मैंने
मीनू को कहा… उसने पहले सूंघा फूले कहने लगी " ये मेरी पैंटी ही… ख़राब
हो गई थी तो मैंने निकाल ली.. और तुम्हारा रुमाल मै ले जा रही हूँ इसे
अपने साथ रखूँगी और तुम्हारे पानी का स्वाद लेकर इसे सूंघकर सो जाउंगी..
तुम दिल्ली में कहां रुकोगे.. और किस काम से जा रहे हो" मीनू ने मेरे से
पूछा . तुम अपनी पैंटी मुझे दो मैंने मीनू से कहा फिर बताउंगा कि मैं
कहां और क्यों जा रहा हूँ. पहले तो मीनू मुझे घुड़की "तुम क्या करोगे मेरी
गन्दी पैंटी का" मैंने कहा " वोही जो तुम मेरे रुमाल के साथ करोगी और मै
तुम्हारी पैंटी अपने लंड पर लपेट कर मुट्ठ भी मारूंगा" उसने मेरे को
चुम्मा देते हुए कहा "पागल" और अपनी पैंटी मुझे दे दी मैंने वहां जहां
उसकी बुर रहती है उसको अपनी नाक से लगाया और जीभ से चाटा तो मीनू शर्मा
गई
मैंने मीनू को बताया की मुझे दिल्ली में थोड़ा काम है और एक दोस्त की शादी
भी है इतना सुनकर वो कुछ आश्वस्त हुई. मैंने कहा तुम मेरा सेल नम्बर ले
लो मेरे को फ़ोन कर लेना मै बता दूँगा की कहा पर रुकुंगा और हम कैसे और
कब मिलेंगे यह भी बता देंगे.
मीनू मेरा रुमाल लेकर अपनी सीट पर आ गई और मै अपनी सीट पर. अब मेरा बैग
भी आ गया था सो मैंने बैग मै से एयर पिल्लो निकाल और अपने सिराहने रख कर
मीनू को याद करने लगा मेरा मेरा लंड फ़िर से खडा होने लगा सो मैंने सीट पर
लेटकर मीनू की पैंटी सूंघने लगा उसमे से मीनू की पेशाब और उसके पानी की
स्मेल आ रही थी. उस स्मेल ने कमाल ही कर दिया मेरा लंड फंफनाकर बहुत कड़क
हो गया मैंने मीनू की पैंटी का वो हिस्सा जो कि उसकी चूत से चिपका रहता
था मैंने फाड़ लिया और बाकी की पैंटी लेटे लेटे ही लंड पर लपेट ली नेक्कर
के अंदर मैंने मीनू को सपने में चोदते हुए और उसकी बुर की खुसबू सूंघते
हुए उसकी पेशाब भरी पैंटी को चाटते हुए मुठ मारने लगा मैंने अपना सारा
पानी मीनू की फटी हुई पैंटी और अपनी चड्डी मै निकाल दिया ३ बार झड़ने के
कारण पता ही नही चला की कब मै सो गया"
सुबह मुझे एहसास हुआ की कोई मुझे जगा रहा है.. तो मैंने आँख खोलते हुए
पुछा कौन है गाड़ी कौन से स्टेशन पर खड़ी है …. मुझे जगाने वाला मेरा साला
मीनू का भाई था बोला " देव जी उठिए निजामुद्दीन पर गाड़ी खड़ी है पिछले १५
मिनिट से सभी आपने घर पहुच गए आप अभी तक सोये हुए हूँ" मै फटाफट उठा और
अपना सामान बटोरा वैसे ही हाथ में लिया और प्लेटफोर्म पर उतर आया. वहा
सबसे पहले मेरी नज़र मेरी नई चुदैल जानेमन मीनू पर पड़ी वो बिल्कुल फ्रेश
लग रही थी. उसके चेहरे से कतई ऐसा नही लग रहा थी कल रात को मैंने इसी
ट्रेन मै मीनू की बुर का अपने हल्लाबी लंड से उदघाटन किया था और उसकी सील
तोडी थी
प्लेटफॉर्म पर बहुत ठण्ड थी। सुनहरी धूप खिली थी मै टीशर्ट और नेक्कर मै
खड़ा था. मैंने मीनू का कम्बल और चादर तह कर के उनको सौंपे और उनका
धन्यवाद दिया मै अपने एयर पिल्लो की हवा ऐसे निकाल रहा था जैसे मीनू के
दूध दबा रहा हूँ और यह मीनू को और उसकी कजिन को दिखा भी रहा था.
मैंने उन लोगों से पूछा कि आप कहा जायेंगे मीनू का भाई बोला हमको सरोजिनी
नगर जाना है और आपको कहा जाना है. मुझे भी सरोजिनी नगर जाना था वहा पर
मेरे दोस्त की शादी है… मैंने उन लोगों को जवाब दिया.
मैंने कहा मेरे साथ चलिए…. मुझे लेने गाड़ी आई होगी बाहर….वो लोग बोले
नही नहीं आप चलिए हम बहुत सारे लोग है और इतना सारा समान है, आप क्यों
तकलीफ करते है….
मैंने कहा इसमे तकलीफ जैसे कोई बात नही हम आखिर एक ही मोहल्ले के लोग है
इसमे तकलीफ क्यों और किसे होने लगी फ़िर गाड़ी में अकेला ही तो जाउंगा यह
मुझे अच्छा नही लगेगा. मीनू की कजिन धीमे से बोली रात की मेहनत सुबह रंग
ला रही है… और मुझे मीनू को देखकर हलके से मुसकुरा पड़ी. हम सभी बाहर आए
तो देखा कि एक टाटा सूमो पर मेरे नाम की स्लिप लगी हुई थी मैंने मीनू के
भाई और मम्मी से कहा की देखिये किस्मत से मेरे दोस्त ने भी बड़ी गाड़ी
भेजी है. इसमे हम सब और पूरा सामान भी आ जाएगा.
गाड़ी में सारा सामान लोड कर सभी को बैठा कर गाड़ी रिंग रोड पर निकलते ही
मैंने गाड़ी साइड मै रुकवाई और एक पी सी ओ में घुस गया वहा से अपने दोस्त
को फ़ोन किया कि यार मेरे लिए एक रूम का अलग अरेंजमेन्ट हो सकता है क्या…
उसने पूछा क्यों…. मैंने कहा देखा तेरे लौडे का इन्तेजाम तो कल हो गया तू
कल ही चूत मारेगा मै अपने लिए अपनी चूत का इन्तेजाम सागर से ही कर के
लाया हूँ… रात में ट्रेन में मारी थी चूत पर मजा नही आया। तसल्ली से
मारना चाहता हूँ.
मेरा दोस्त बोला " देव भाई तुमसे तो कोई लड़की पटती नही थी यह एक ही रात
में तुमने कैसे तीर मार लिए और तुमने उसे चोद भी डाला!
मैंने कहा बोल तू कर सकता है तो ठीक नही तो मै होटल जा रहा हूं। मुझे
मेरे दोस्त ने आश्वस्त करा दिया कि वो ऐसा इन्तेजाम कर देगा.
मै फ़ोन का बिल देकर गाड़ी मै बैठा और इंतज़ार कराने के लिए सभी को सॉरी
बोला और ड्राईवर को चलने का हुकुम दिया …मैंने पूछा आप लोग सरोजिनी नगर
मै किसके यहां जायेंगे…मीनू की मम्मी बोली " बेटा मेरी बहिन के लड़के की
शादी है… कल की मिस्टर कपूर… रोहन कपूर…..
" ओह फ़िर तो मजा ही आ गया भाई" मै उछलता हुआ बोला.. सब मेरे को आश्चर्य
भरी निगाहों से देखने लगे सो मै आगे बोला " वो.. वो.. क्या है की मुझे भी
कपूर साहब के बेटे यानि सुमित की शादी मै जाना है..
बातों बातों में कब सुमित का घर आ गया पता ही नही चला…. पर मै सुमित से
आँख नही मिला पा रहा था.. जब सब घर के अंदर चले गए तो मैंने ड्राईवर को
रुकने को बोला और अपना बैग गाड़ी मै छोड़ कर सुमित को बुलाने उसके घर मै
गया… सुमित आकर मेरे से लिपट गया.. बहुत खुश था सुमित पर मै उससे आँख नही
मिला पा रहा था मैंने सुमित को एक तरफ़ ले जाकर बोला " देख यारा बुरा मत
मानियो .. तुम्हारे यहां मेहमान बहुत है मै ऐसा करता हूँ कि मै और सुधीर
मेरा एक और दोस्त दोनों होटल मै रुक जाते है.."
मेरा इतना कहते ही सुमीत के चेहरे के भाव बदल गए.. सुमित ने कहा " देख
भाई देव मै जानता हूँ की तुम होटल क्यों जा रहे हो यार कोई बात नही तुमने
रेखा (मीनू की कजिन) को चोद दिया तो क्या हुआ.. इससे कोई फर्क नही पड़ता..
यदि तुम मीनू को भी चोद देते तो इसमे कोई दिक्कत नही थी मै भी उसको चोदना
चाहता था पर मौका नही मिला या मेरी हिम्मत नही हुई.. इसे दिल पे मत ले
यार" मौज कर यारा मैंने तेरे लिए स्पेशल रूम का अरेंजमेन्ट किया है वो भी
तुम्हारी डार्लिंग के साथ वाले रूम में।
यह सुनकर मेरी जान में जान आई. मै सुमित को क्लीयर कर देना चाहता था की
मै रेखा नही मीनू को चोदना चाहता हूँ." सो मैंने कहा मैंने मीनू को चोदा
है ट्रेन में…. और उसको ही तसल्ली से चोदना चाहता हूं..
सुमित बोला " सेक्सी तो रेखा थी पर तुमने मीनू को कैसे चोद लिया.. वो
बधाई हो माई बोय………..तभी मीनू थोड़ा लंगडा के चल रही थी. तुमने तो ऑफिस
में अपनी मैडम को भी तगड़ा चोदा था जबकि वो शादी शुदा थी वो तो २ दिन चल
फ़िर भी नही सकी थी"
" तुम दोनों दरवाजे पर ही बातें करते रहोगे क्या? सुमित इसे इसके कमरे
में पहुंचा दो .. कैसे हो देव बेटा" कहते हुए सुमित के पापा आ रहे थे…..
मैंने उनके पैर छुए और उनसे थोडी बातें करी. फ़िर सुमीत मेरे को अपने रूम
मैं ले गया.. सुमीत के पिता बहुत बड़े बिज़नस मैंन थे। बहुत बड़ा बंगला था
उनका सुमीत ने मुझे सेकंड फ़लूर पर जहा सिरफ़ ३ ही कमरे थे और मीनू वगैरह
भी वहीं रुके थे रूम फिक्स किए थे.. रूम बहुत शानदार था एक डबल बेड, टी
वी, वी सी डी प्लेयर, फ़ोन सब कुछ था।
सुमित बोला " क्यों देव कैसा लगा मेरा इन्तेजाम तुम्हारी चूत भी तुम्हारे
बगल में है और एक खास बात बताऊ मैं- मीनू की बाथरूम तुम्हारी बाथरूम से
अटैच्ड है बीच में दरवाजा है आओ मैं तुमको दिखा दू उसने मेरे को वो दूर
दिखा दिया और कैसे खुलता है वो भी दिखा दिया मैं वहां से मीनू के बाथरूम
मैं पहुच सकता था और वहां से उसके रूम मे. अच्छा चल तैयार होजा और फटाफट
नीचे आजा साथ नाश्ता करेंगे ..
मैं सुमित को बोला " सुमित तो मीनू की चूत की खुशबू लेना चाहेगा ?"
सुमित ने कहा कैसे मैंने मीनू की पैंटी का वो फटा हिस्सा उसको दिखाया और
उसको सूंघने को दे दिया.. मैं और सुमित पहले भी कई लड़कियां साथ मिलकर चोद
चुके थे उसको चूत की स्मेल के बारे में पता था बहुत अच्छी है रे देव मीनू
की बुर तो मैं तो उसकी बुर के नाम पर मुट्ठ ही मारता रह गया पर तुने मेरे
लन्ड का बदला ले लिया.. यह सब बातें बात बाथरूम में ही हो रही थी… सुमित
मेरे रूम से चला गया
घर में काफ़ी हो हल्ला हो रहा था सो मैंने रूम लाक करके टीवी ओं कर दिया
और नंगा होकर फ्रेश होने और नहाने बाथरूम मैं घुस गया. बढ़िया गर्म पानी
से नहाने लगा तभी मुझे दीवार पर कुछ टकराने की आवाज आई। मैंने शोवेर बंद
किया तो उस तरफ़ मीनू नहा रही लगता महसूस हो रही थी…. मैंने …धीरे से
दरवाजा खिसकाया जो की बिना किसी आवाज के सरकता था तो देखा एक बिल्कुल
जवान नंगा जिस्म शोवेर में मेरी तरफ़ पीठ किया अपनी बुर मैं साबुन लगा
रहा था मैं भी मादरजात नंगा था मेरे लंड को चूत का ठिकाना का एहसास होते
ही उछाल भरने लगा मैंने आव देखा ना ताव सीधा जाकर उसके मुह पर हाथ रखा
जिससे वो डरकर ना चिल्ला पाए और उसकी गांड के बीच मैं अपना हल्लाबी लौदा
टिकते हुए उसकी पीठ से चिपक गया.
मेरी पकड़ जबरदस्त थी इसलिए वो हिल भी नही पाई मैंने शोवेर के नीचे ही
उसके कानो में कहा कहो जानेमन अब क्या इरादा है चलो एक बार फिर से चुदाई
हो जाए और मैं उसकी चूत पर हा्थ फिरने लगा उसने अपनी बुर मैं साबुन घुसा
रखा था वो साबुन से अपनी चूत चोद रही थी मैंने कहा यह जगह साबुन रखने की
नही लन्ड रखवाने की है और मैं उसके चूत के दाने को मसलने लगा.
पहले तो उसने टाँगे सिकोडी पर दाने को मसलने से वो गरमा गई थी उसने अपनी
टाँगे ढीले छोड़ दी मैंने अभी तक उसका मुह ताकत से बंद कर रखा था मैंने
कुछ देर इसकी पोसिशन मैं उसकी बुर का दाना मसला और फ़िर मैंने अपनी बीच
वाली ऊँगली उसकी बुर के हौले मैं घुसा दी … बहुत गरम और टाइट चूत थी..
मैंने अपनी ऊँगली से उसकी बुर को चोदने लगा था, वो मस्ताने लगी थी थी और
उसकी बुर पनियाने लगी वो हिल रही थी अपनी गांड भी जोरो से हिला रही थी।
मैंने अपनी ऊँगली को उसकी बुर मैं तेज़ी से पेलना शुरू कर दिया यानि की
स्पीड बड़ा दी इधर मेरा हल्लाबी लौड़ा जो की उसकी मदमाती गांड मैं फसा हुआ
था फनफना रहा था उसकी भी बुर गरमा गई थी.. तभी उसने अपने एक हाथ मेरी उस
हथेली पर रखा जिससे मैं उसकी बुर को चोद रहा था फ़िर उसने अपना हाथ मेरे
लौडे को छूने के लिए नीचे लगाया वो सिर्फ़ मेरे सुपाडे को ही टच कर पाई
वो छटपटा रही थी
बहुत गरम और टाइट चूत थी.. तभी वो अपने दोनों हाथो से मेरा हाथ अपने मुह
से हटाने की नाकाम कोशिश करने लगी. मुझे उसकी यह हरकत ठीक नही लगी तो मै
उसे बाथरूम से खीच कर अपने बेडरूम मै ले आया और उसको उल्टा ही बेड पर पटक
दिया जैसे ही वो पलटी मेरे होश फ़ाखता हो गए वो रेखा थी…
मैंने उसको चुप रहने का इशारा किया और अपने टीवी की आवाज थोडी और बढा दी।
रेखा का बदन बहुत सेक्सी था उसके कड़क बिल्कुल गोलाकार ३६ साइज़ के मम्मे
सुराहीदार गर्दन, २ इंच गहरी नाभि हल्का सा सांवला रंग। रेखा की चूत
डबलरोटी की तरह फूली हुई थी रेखा ने अपनी झांटे बड़ी ही कुशलता से सजा रखी
थी मै तो रेखा को नंगी देख कर बेकाबू हो रहा था
रेखा अपनी चूत दोनों हाथों से ढक रही थी और मेरे से कहने लगी प्लीज़ मुझे
जाने दो .. मीनू नहाकर आजायेगी तो मुझे दिक्कत हो जायेगी.. मैंने पूछा
तुम्हारा रूम अंदर से तो लाक है बा.. बोली हां है मैंने कहा तो फ़िर क्या
फिकर तुम जैसे सेक्सी लड़की को नहाने मै टाइम तो लगेगा ही. रेखा तुम बहुत
सेक्सी और खूबुसूरत और तुम्हारी चूत तो बहुत गजब की है इसमे जबरदस्त रस
भरा हुआ है मुझे यह रस पिला दो प्लीज़ और मै रेखा के ऊपर टूट पड़ा।
रेखा के होंठ बहुत ही रस भरे थे मैंने उसके होंठों को अपने ओठों में कस
लिए और उसके लिप्स को चूसने लगा मै एक हाथ से रेखा की मस्त जवानी के
मम्मे भी मसल रहा था और अपना लौड़ा उसकी बुर के ऊपर टिका कर रगड़ रहा था
पहले तो रेखा छटपटाती रही पर जैसे ही मैंने उसके शरीर पर अपने शरीर के
हिस्सों का दबाब बढाया तो वो भी कुछ ढीली पड़ने लगी. अब रेखा ने अपनी चूत
से अपने हाथ हटा लिए थे मैंने रेखा के शरीर को सहलाना शुरू किया मै उसकी
अंदरूनी जांघों और चूत पर ज्यादा ध्यान दे रहा था.
रेखा भी अब जवाब देने लगी थी और सिसियानी लगी थी रेखा का बदन बड़ा ही
गुदाज़ बदन था और ऐसे ही फुद्दी वाली उसी बुर थी मै अब रेखा के निप्प्ल
को चूसने के लिए उसके होंठों को चूमते और चाटते हुए नीचे मम्मो की घाटी
की ओर चल पड़ा रेखा बहुत जोरो से सिसियाने लगी थी.. …… मैंने जैसे ही उसके
मस्त मामो की सहलाना और उनके किनारों से चूसना चालू किया रेखा छटपटाने
लगी मै एक निप्प्ल हाथ से मसल रहा था और दूसरा नीपल की ओर अपनी जीभ ले जा
रहा था
रेखा को रेखा को भी अब मजा आने लगा था उसने नीचे हाथ डाल कर मेरा हल्लाब
लौड़ा पकड़ लिया और बोली हाय देव मीनू की बुर कितनी खुशनसीब है जिसको
तुम्हारे लौडे जैसा चोदु लवर मिला कल रात में ट्रेन में तुमने उसकी बुर
के चीथड़े उड़ा दिए मैंने देखा मीनू लंगडाकर चल रही थी
मैंने तुम दोनों की चुदाई के सपने देखते हुए ३ बार अपनी चूत ऊँगली से झाड़
डाली। हय राजा! बहुत मस्त लौड़ा है…
मैंने कहा रेखा तुम्हारी जवानी में तो आग है तुमहरा बदन बहुत गुदाज और
सुंदर सेक्सी है तुम्हारी पाव रोटी जैसे फूली चूत मुझे बहुत अच्छी लगती
है और मै तेजी से उसके निप्प्ल चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को नीबू
की तरह मसलने लगा रेखा बहुत गरमा गई थी रेखा कहने लगी अब कंट्रोल नही
होता अपना लौड़ा मेरी बुर में घुसा दो, फाड़ दो मेरी बुर, बहुत खुजली हो
रही है, तुम्हारा लन्ड जो भी लड़की एक बार देख लेगी बिना चुदवाए नही रह
सकती.. और जिसने एक बार चुदवा लिया उसके तो कहने ही क्या वो हमेशा अपनी
चूत का दरवाजा तुम्हारे लौडे के लिए खोले रखेगी
मुझे जब मीनू ने तुम्हारे लौडे के पानी वाला रुमाल सुंघाया तो मेरी चूत
ने अपने आप पानी छोड़ दिया मै समझ गई थी कि तुम्हारा लौड़ा तुम्हारे जैसा
ही हल्लाबी होगा जो मेरी बुर की जी भर कर चुदाई करेगा और खुजली मिटाएगा
पर यह नही जानती थी कुछ ही घंटो में मुझे मेरी मुराद पूरी होने का मौका
मिल जायेगा…हाय अब सहन नही हो रहा जल्दी से अपना लौड़ा मेरी बुर में
पेलो…….
मैं रेखा के माम्मे जबरदस्त तरीके से चूस रहा था और रेखा का तना चूत का
दाना मसल रहा था रेखा की चूत बहुत पनियाई हुई थी रेखा बहुत चुदासी हो रही
थी रेखा की बुर पर करीने से काटी गई बेल बूटेदार झांटें बहुत सुंदर लग
रही थी रेखा की पाव रोटी पिचक और फूल रही थी ऐसी बुर को मै पुट्टी वाली
बुर कहता हूँ इसको चूसने और चोदने में बहुत मजा आता है। मै रेखा की बुर
को उसकी लम्बाई मै कुरेद रहा था और बीच बीच मै एक ऊँगली उसकी बुर मै घुसा
कर ऊँगली से बुर भी चोद देता रेखा की बुर मै लिसलिसा सा पानी था मैंने
ऊँगली बाहर निकाल कर सूंघी और चाट ली बहुत ही बढ़िया खुशबू थी और टेस्ट
तो पूछो ही मत
मेरी चूत के पानी की प्यासी जीभ रेखा की बुर को चूसने के लिए तड़प उठी
मैंने रेखा के पैर के अंगूठे से चूसना शुरू किया और उसकी अंदरूनी जांघ तक
चूसते चूसते पहुच गया मै रेखा की काली सावली पाव रोटी जैसी पुट्टी वाली
बुर के आस पास अपनी जीभ फिरने लगा वह जो उसका पानी लगा हुआ था उसको चाटने
में बहुत मजा आ रहा था रेखा से रहा नही जा रहा था.. हाय देव यह क्या हो
रहा ही मेरे को ऐसा पहले कभी नही हुआ। हाय मेरी बुर को चूसो इसे चबा जाओ
इसे खा जाओ रेखा ने मेरा सर पकड़ कर अपनी बुर पर लगा दिया उसकी पुत्ती
वाली बुर को वो अपनी गांड उठाकर मेरे मुह पर रगड़ रही थी
मैंने रेखा की दोनों टांगे फैलाई और उसकी बुर पर किस किया। सी हाई मर
गैईईई आया ऐसा कह रही थी फ़िर मैंने रेखा की पाव रोटी को उंगलियों से खोला
और जीभ से जबरदस्त चाटनी शुरू कर दी ऊऊम्म्म्म हीईई सीईई बहुत अच्छा लग
रहा है देव उम्म्म्म और चूसो और चाटो, अपनी जीभ पूरी घुमा दो, पहले किसी
ने ऐसा मजा नही दिया ओम्म्म मेरी चूत झरने वाली है ई अईई जल्दी से कुछ
करो। मैंने अपनी जीभ की रफ़्तार बड़ा दी
रेखा अपनी दोनों टांगो से मेरे सर को दबा लिया मैंने अपनी जीभ रेखा की
गरम और लिसलिसी बुर की गुफा में घुसा कर जैसे ही गोल गोल घुमाया अरे यार
यह क्या कर दिया मेरी बुर तो पानी छोड़ रही है, और जोर से चू्सो और पिच
पिच कर के उसकी बुर ने तेज़ी से पुचकारी मारना चालु कर दिया मै तेज़ी से
जीभ चलता हुआ उसका पानी पी गया और चूत का दाना फ़िर से अपनी जीभ में भर
लिया रेखा मेरा लंड को प्यार करना चाहती थी सो उसने मेरे कहा तुम अपना
लौड़ा मेरी ओर करो हम दोनों ६९ में हो गए
रेखा मेरा लौड़ा बहुत तेज़ी से और अच्छे से चूस रही थी ऐसा लग रहा था की
रेखा पहली बार नही चुदवा रही वो पहले भी चुदवा चुकी थी मै रेखा की बुर के
दाने को तेज़ी से चूस रहा था रेखा मेरे नीचे थी और मेरा लौड़ा चूस रही थी
मै जितना प्रेशर उसकी बुर पर अपनी जीभ से डालता उतनी ही प्रेशर से रेखा
भी मेरे लौडे को चूसती मुझे ऐसा लग रहा था की मैंने अपना लंड यदि जल्दी
रेखा के मुह से न निकाला तो यह झड़ जाएगा मै रेखा के मुह से लंड निकाल कर
रेखा की बुर को और गहराई से चूसने लगा।
रेखा फ़िर से तैयार थी.. हाय मेरे चोदु राजा आज लगता है मेरी बुर की खुजली
पूरी तरह से शांत होगी। मेरी पाव रोटी में कई लौडे अपने जान गवा चुके है
घुसते ही दम तोड़ देते है। आज तुम मेरी बुर की जान निकल दो मेरे राजा…..
मैंने रेखा की गांड के नीचे तकिया लगे उसकी पाव रोटी जैसे पुत्ती वाली
बुर जैसे घमंड मै और फूल गई उस गुदाज पुत्ती वाली बुर से लिसलिसा सा कुछ
निकल रहा था मुझे सहन नही हुआ तो मैंने फ़िर से अपनी जीभ उसकी बुर से लगा
दी.. अरे तुम भी डर रहे हो क्या मेरी पाव रोटी में दम तोड़ने से ? सी
हीईई कोई तो मेरी बुर की खुजली शांत कर दे मैंने अपना लौड़ा उसकी बुर पर
रखा और थोड़ा उसे क्लिटोरिस से बुर के एंड तक रगडा साथ में मै उसके माम्मे
बुरी तरह से रगड़ मसल रहा था रेखा अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लन्ड को
अपनी बुर मै घुसाने के लिए तड़प उठी मेरे राजा मत तड़पाओ मै मीनू नही
रेखा हूँ मै चूत की खुजली से मर जाऊंगी मेरी बुर को चोदो… फाड़ो…
उसने मेरा लन्ड पकड़ा और अपनी बुर के छेद पर टिका लिया और थोडी गांड उठाई
तो पुक्क की आवाज के साथ सुपाडा उसकी बुर में घुस गया सुपाडा का गुदाज
बुर में घुसना और रेखा के मुह से दर्द की कराह निकलना शुरू हो गई। उई
मीनू मेरी बुर में पहली बार किसी ने जलता हुआ लोहा डाला। हाय मेरी बुर
चिर गई, फ़ट गई, कोई तो बचा ले मुझे, बहुत मजा आ रहा था मैंने रेखा से कहा
रेखा जानेमन पुट्टी वाली गुदाज बुर बहुत कम औरतों को नसीब होती है इनको
बड़ी तसल्ली से चुदवाना चाहिए। तुम्हारी चूत की तो मै आज बैन्ड बजा दूँगा
और मैंने रेखा के दोनों मम्मे अपने हाथ में लिए और अपना होंठ उसके होंट
से चिपका दिया और पूरा लन्ड एक ही झटके में पेलने के लिए जोरदार धक्का
मारा एक झटके में रेखा की बुर की दीवारों से रगड़ खाता हुआ मेरा लंड आधी
से ज्यादा रेखा की पाव रोटी वाली बुर मै धस चुका था
मै कुछ देर रुका और लन्ड बाहर खीचा सुपाडा को बुर में रहने दिया और फिर
से बुर फाड़ धक्का लगाया। इस बार मेरा लन्ड रेखा की बुर की गहराई में
जाकर धस गया मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी गरम मक्खन वाली किसी चीज को
मेरे लंड पर बहुत कस कर बाँध दिया हो. उसकी बुर बहुत लिसलिसी और गरम थी
मै रेखा को हलके हलके धक्के देकर चोदने लगा रेखा को अब मजा आ रहा था
वो हाय! सी! राजा औरर मारो, यह बुर तुम्हारे लिए है मेरी बुर को चोदने के
इनाम में मै तुम्हारी मीनू के साथ सुहागरात मनवाऊंगी। बहुत मजा आ रहा है
पहले किसी ने ऐसे नही चोदा, चोदते रहो, मुझे लगता है कि तुम्हारा लन्ड
मेरे पेट से भी आगे तक घुसा हुआ है मेरी चूत की तो आज बैन्ड बज गई। अरे
देखो सालो ऐसे चुदवाई और चोदी जाती है चूत उम्म्म मेरे राजा बहुत मजा आ
रहा ही उई मा मेरी पेट में खलबली हो रही है यह मैं तो झरने वाली हूँ मैं
जाने वाली हूँ सो मैंने अपनी स्पीड बड़ा दी रेखा ने मेरे से कहा देव तुम
लेटो मुझे तुम्हारे लौडे की सवारी करने दो मै तुंरत लेट गया रेखा ने लौड़ा
को ठिकाने पर रखा और ठप्प से मेरे लौडे पर बैठ गई और फटाफट उचकने लगी
रेखा के ३६ साइज़ के मम्मे हवा में उछाल मार रहे थे। रेखा बहुत तेजी से
झड़ी पर मै अभी नही झरने वाला था क्योंकि पीछे ६-८ घंटो में ३ बार झर चुका
था सो मैंने रेखा को कुतिया बनाया और बहुत बेरहमी से चोदा. रेखा कहने लगी
देव बहुत देरी हो जायेगी जल्दी से खाली करो अपना लौड़ा मेरी बुर। मैं फ़िर
मैंने और तेज़ी से धक्के मारे और रेखा की बुर की गहराई में झड़ गया रेखा
ने मेरा लौड़ा चाट कर साफ़ किया और फ़िर चुदवाने के वादे के साथ विदा हो गई
….
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