चाचा बड़े जालिम हो तुम--2
गतान्क से आगे......
हरी की यह बात सुनके रज़िया कुछ सोचके बोली, "मैं कुछ समझी नही
चाचा.जागृति का इलाज आपने किया? मुझे तो सुनाई आया कि किसी डॉक्टर ने
किया उसका इलाज. मुझे बताओ ना कैसा इलाज़ किया आपने उसका? " रज़िया का
पल्लू सारी से खिसक गया था, उसे फिर अपनी पोज़िशन पे लाते रज़िया बोली,
"चाचा मुझे बड़ी नींद आ रही है." रज़िया ने एक मस्त अंगड़ाई ली जिससे
नीचे से कमर पे बँधा पल्लू निकलता है और नीचे से ब्लाउस भी थोड़ा उपर चला
जाता है. नशीली आँखो से हरी को देखते रज़िया बोली, "चाचा क्यूँ ना हम कल
इसके बारे मे बात करे. दोपहर काफ़ी हो चुकी है..या आप कहो तो रात को बात
करते है. क्या कहते हो चाचा?"
रज़िया जब अंगड़ाई लेती है तब पूरा जिस्म देखके हरी का लंड खड़ा हुआ,
ब्लाउस के नीचे से ज़रा मम्मे बाहर आते है, कमर टाइट होती है, पॅंटी की
आउटलाइन दिखती है, नवल दिखता है, सब आराम से देखके बनियान से अपना नंगा
सीना और रगड़ते पोछते वो बोला, "ठीक है बेटी, तू कहे तो रात को आके
समझाता हूँ कि जागृति का इलाज कैसे किया और ठीक वैसे ही इलाज तेरा भी कर
डालूँगा. वैसे भी मेरा टाइम हो गया है, तू आराम कर, रात को समझाने मैं
बहुत वक़्त लगेगा." अपनी उमर का फ़ायदा उठाके रज़िया के आधे नंगे कंधे पे
ब्रा स्ट्रॅप पे हाथ रखते हरी ने बोला, "पर बेटी रात मे तेरा मिया रहेगा
घर मे, फिर कैसे समझा सकता हूँ?"
रज़िया को हरी के कड़क हाथ का अहसास होता है. उसके हाथ को ब्रा स्ट्रॅप
से खेलते देख वो बोली, "चाचा आज से एक हफ्ते तक मैं अकेली हूँ..मैं अकेली
हूँ चाचा." रज़िया 'अकेली' शब्द पे स्ट्रेस करके कहती है.
रज़िया के ब्रा स्ट्रॅप सहलाते उसमे उंगली डालते हरी बोला, "वाह यह अछी
बात है, हम दोनो अकले है, मैं आता हूँ रात को, तू चाहे तो मेरे लिए खाना
बना,खाना ख़ाके हम बात करंगे."
अब रज़िया हरी का हाथ पकड़के, उसे हटाते, उसकी आँखो मे देखते ब्रा स्टाप
ब्लाउस मे डालते बोली, "पर चाचा, हम नोन - वेज खाते है और घर मे नोन वेज
पकते भी है, क्या आप ख़यांगे नोन – वेज?"
जवाब मे हरी ने उसका पल्लू कंधे पे ठीक करते कहा, " आरे बेटी तू जो
बनाएगी वोही खा लूँगा, अगर मैं खाना बनाने बैठा तो रात के 11 बज़ेंगे और
फिर तुझे नींद आएगी."
दो कदम पीछे होते हुए रज़िया कुछ सोचके स्माइल करते बोली, "हां चाचा,ठीक
है. लेकिन चाचा मे खाना जल्दी खाती हूँ और पकाती भी थोड़ा हूँ. हमारे घर
मे बसी खाना नही चलता इसलिए थोड़ा ही पकाते है. तो अगर आपको आधा पेट खाना
मिला तो मुझे माफ़ करना. अगर आपको रात को भूक लगी तो खाने कुछ नही मिलेगा
पर हां सिर्फ़ रात को दूध पीने मिल सकता है."
रज़िया के जवाब सुनके खुश होते उसकी वोही दूध की बात पकड़ते हरी बोला, "
अरे कोई बात नही बेटी, देख मैं खाना तो 10 बजे ख़ाता हूँ. तू ऐसा कर,
खाना खा ले, मैं आके खाना खाउन्गा 10 बजे, उसके बाद भूक लगी तो तो तेरा
दूध..... मेरा मतलब तू मुझे दूध दे देना, ठीक है? दूध तो रहे गा ना घर
मे?"
घर मे बोलते वक़्त हरी की नज़र मम्मो पे थी. हरी का इशारा समझते रज़िया
भी मस्ती से बोली, "हां दूध तो काफ़ी है घर मे चाचा पर पीने वाला कोई
नही. आज रात हम मिलके दूध पियन्गे. और चाचा आप जल्दी आओ ना, 10 बजे आओगे
तो बात कब करेंगे? मैं तो 10.30 को सो जाती हूँ."
अपना बनियान पहनते हरी हस्ते हुए बोला, " आरे बेटी, आज मैं हूँ ना, तो
तेरा सब दूध पी जायूंगा. आज तेरे पास जितना दूध है मुझे दे देना और देख
जैसे पी डालता हूँ पूरा दूध. रही बात तुझे नींद आती है तो बेटी आज मेरी
बातो से तुझे नींद नही आएगी यह मेरा वादा है, बहुत बाते करंगे, तेरा दूध
पियन्गे और मैं भीतेरा इलाज़ करूँगा."
रज़िया अब रुकना नही चाहती थी. उसने सोचा कि चाचा को प्यार से जल्दी आने
कहूँगी. वो चाहती थी कि चाचा समझे कि उसके लिए वो शाह खानदान के रूल्स
तोड़ने तय्यार है. पल्लू से खेलते जानबूझके पल्लू को एक मम्मे से हटाते
वो बोली,"ओके चाचा, ठीक है, लेकिन आप जल्दी आना. पर किसी को पता चला तो
मेरी तो शामत आ जाएगी. चाचा 9 से लेट नही करना क्यूंकी इतना लेट करोगे तो
फिर दूध कब पियोगे?"
वो मम्मा देखते हरी होंठो पे जीब फेरते बोला, "ठीक है बेटी, तू हमारा
खाना बना, मैं जल्दी आउन्गा और हम साथ मे खाना खाएँगे और तेरा इलाज़ करते
- करते तेरा यह दूध भी पियुंगा." दूध पीने की बात करते वो मम्मो की तरफ
इशारा करते बोला, "बेटी कोई अच्छी नाइटी हो तो वो पहनना रात को, अब मैं
जाउ?"
सेक्सी नाइटी की बात सुनते रज़िया, हरी को चिढ़ाने वाले अंदाज मे बोली,
"नही रे बाबा, सेक्सी नाइटी क्यूँ? हमारे घर मे नाइटी नही पहनी जाती.
आपकी वजह से एक नियम तो तोड़ रही हूँ दूसरा तोड़ूँगी तो शामत आ जाएगी.
चाचा हमारे यहाँ गाय का दूध बड़ा अछा होता है, आप को पसंद है ना गाय का
दूध?"
रज़िया का हाथ पकड़ते दरवाज़े तक जाते हरी बोला, " आरे अब 1 नियम तोड़ा
तो 1 और सही बेटी. इलाज़ के लिए नाइटी होना ज़रूरी है, इससे तक़लीफ़ नही
होती समझी? वैसे बेटी, हमे तो गाय पसंद है, हम तो गाय की पूजा भी करते है
और गाय का दूध भी पीते है. और अगर गाय तेरी जैसे औरत है तो और अच्छा होता
है, बहुत अच्छे से इलाज़ करता हूँ मैं."
अपना हाथ छुड़ाते रज़िया बोली, "ठीक है चाचा, नाइटी का सोचूँगी, अब आप
जाओ." यह कहते हरी को घर से रज़िया रवाना करती है. रज़िया को मालूम था
हरी कौन्से इलाज की बात कर रहा था, और यह भी पता था कि आज कैसा इलाज
होनेवाला है उसका. रज़िया भी हरी से इलाज करवाने तय्यार थी. हरी के जाने
के बाद रज़िया 1 घंटा सोई. शाम को उठके हरी के आने से पहले उसने अपना घर
एकदम सॉफ सुथरा किया. सॉफ सफाई करते-करते पसीने से रज़िया की हालत काफ़ी
खराब हो गयी, मानो पसीने से वो नहा गयी हो. सॉफ सफाई होने के बाद उसने
खाना बनाके और ख़ाके हरी की थाली टेबल पे लगाई. इतने गड़बड़ मे 9 कब बजे
उससे पता नही चला. रज़िया ने जान बुझ के इतना काम लिया क्योकि आज वो जो
करने जा रही थी उसके बारे मे ज़्यादा सोचके उसे अब पीछे नही हटना था.
शादी के बाद पहली बार वो पराए मर्द के सामने नंगी होके सोनेवाली
थी,सिर्फ़ एक औलाद पाने के लिए और उसे उसके इस फ़ैसले के अच्छे - बुरे के
बारे मे ज़्यादा सोचके अब रुकना नही था.
बराबर 9 बजे हरी आया. हरी सॉफ लूँगी बनियान मे था. सामने पसीने से भरी
रज़िया की हालत देखके उसे अच्छा लगा. पसीने से ब्लाउस गीला होके निपल दिख
रहा था क्योकि रज़िया ने ब्रा जो नही पहनी थी. हरी को देखते ही पल्लू से
माथे और सीने का पसीना बिंदास पोछते रज़िया बोली, "अर्रे चाचा आप आ गये?
मुझे तो वक़्त का पता तक नहीं चला घर की सॉफ सफाई करते - करते."
स्माइल करते हरी बोला, "हां आ गया बेटी, आरे कितना पसीना पसीना हुई है
तू, आओ मैं पोंछ दूं? नही तो जैसा मैं करता हूँ वैसा कर पसीना आने पे,
चाहे तो पल्लू नीचे करके हवा ले."
हरी के कहने के मुताबिक रज़िया पल्लू से हवा लेने लगी.इससे उसकी साफ
आर्म्पाइट हरी को दिखती है और ब्लाउस मे मम्मो की हल्की हलचल. हवा लेते
रज़िया बोली,"आहह चाचा, अब अच्छा लग रहा है.मैं अब आप ही का इंतेज़ार कर
रही थी. चाचा मैं अभी नहाने जा रही हूँ कुछ चाहिए तो ले लेना. अपना ही घर
समझना चाचा, मैं 10 मिनिट मैं आई नहा के."
"रूको बेटी, पहले पसीना तो पोछने दे मुझे तेरा." इतना कहते हरी रज़िया के
पल्लू से उसका पसीना पोछने लगा. पीठ, नेक, फेस और फिर हल्के से सीना
पोछते वो बोला, "अब क्यो नहा रही हो? इलाज के बाद मे नहा लेना. तुम सामने
रहोगी तो ही खाना खाउन्गा मैं, यह क्या मेहमान को बुला के बोलना कि खाना
ख़ालो और खुद नहाने चली जाओ.क्या यह अच्छी बात है?"
हरी के हाथ रज़िया के नंगे सीने पे है और गरम सासे उसके फेस पे छोड़ रहा
था.रज़िया कैसे भी करके हरी के हाथ हटा के बाथरूम मे जाते बोली, "रहने दो
चाचा, प्लीज़ खा लो जो मैने प्यार से बनाया है.इलाज के बाद चाहो तो फिर
नहा लेंगे."
हरी बाथरूम के पास आके बोला, "ठीक है बेटी पर अच्छे से नहा ले, एकदम रगड़
के नहा लेना, बाद मे बहुत पसीना आनेवाला है तुझे बेटी. नहाने के बाद आके
मुझे खाना परोसना, आज तेरे हाथ से पहले खाना और बाद मे दूध पियुंगा
समझी?"
हरी किचन मे वैसे ही नीचे ज़मीन पे बैठ जाता है, बनियान निकालके लूँगी
उप्पर करके. उधर से रज़िया बोली, "ओके चाचा तो रूको, मैं नाहके आके खाना
परोसती हूँ आपको. और हां एकदम रगड़ के नहाउंगी, बहुत पसीना है. ये बाद मे
क्यों बहुत पसीना आनेवाला है मुझे चाचा?"
बाथरूम की तरफ देखते हरी बोला,"वो तू खुद समझेगी बेटी, हां पर नहाने के
बाद अब ज़्यादा टाइट कपड़े मत पहनना, ज़रा नरम और हल्के कपड़े पहनो."
"मतलब कैसे चाचा? समझाओ तो सही. नही तो ऐसा करो, बेडरूम मे अलमारी मे जो
कपड़े है उनमे से जैसे कपड़े चाहते हो निकालके रखो मेरे लिए, ठीक है
चाचा."
रज़िया ने जानबूझके 1-2 ही नाइटी रखी थी अलमारी मे जो उसके हिसाब से
सेक्सी थी. हरी रज़िया के बेडरूम जाके, उसका कपबोर्ड खोलता है. उसमे से
2-3 नाइटी देख के एक निकालता है जो घुटनो तक है और एकदम ट्रॅन्स्परेंट
है, उसकी नेक बड़े नही यह देखके हरी उसके 2 हुक्स तोड़ कर बिस्तर पे वो
नाइटी रख कर बाहर आके बोला, "बेटी मैने तेरे बिस्तर पे नाइटी रखी है, वो
पहन लेना, इससे तुझे आराम पड़ेगा और पसीना भी नही आएगा समझी?"
रज़िया हां बोलती है. हरी जाके किचन मे बैठता है. बाथरूम से टवल लपेटे
रज़िया बाहर आके हरी के सामने से बेडरूम मे आके हरी से निकलवा कर रखी
काली नाइटी पहनती है जो ट्रॅन्स्परेंट है. लेकिन काली है इसके अंदर कुछ
पहना है या नही उसका पता नही चलता. अपने आपको आईने मे रज़िया देखती है.
पहली बार ऐसी नाइटी पहनने से उसे ज़रा शर्म आती है. उप्पर से बटन भी टूटे
देखके वो समझ जाती है कि यह हरी का ही कारनामा है. जब वो नाइटी पहनती है
तो आधे से ज़्यादा नंगा सीना खुला देखके वो थोड़ा झिझकति है पर फिर सारी
शर्म छोड़ कर वैसे ही गीले बालो से वो किचन मे आके हरी के सामने खड़ी
होती है. एक बार उप्पर से नीचे तक रज़िया को देखते हरी बोला, "आहा बेटी,
अब तो एकदम मस्त लगती है. देखा यह नाइटी कैसे जच रही है तुझे? लगता है
चाचा की बात मान कर एकदम रगड़ रगड़ कर नहाई हो इसलिए तुम्हारा बदन इतना
चमक रहा है." हरी नीचे बैठा है इसलिए नाइटी के अंदर तक नज़र जाती है
उसकी. उप्पर की तरफ देखते वो बोला, "रज़िया, चल अब खाना परोस मुझे, बड़ी
भूक लगी है, अब खाना नही परोसा तो तुझे ही खा डालूँगा मैं समझी?"
क्रमशः.......
chacha bade jaalim ho tum--2
gataank se aage......
Hari ki yeh baat sunke Razia kuch sochke boli, "Mai kuch samjhi nahi
Chacha.Jagruti ka ilaj aapne kiya? Mujhe to sunai aaya ki kissi doctor
ne kiya uska ilaj. Mujhe batao na kaisa ilaz kiya aapne uska? " Razia
ka pallu sari se khisak gaya tha, usse phir apni position pe late
Razia boli, "Chacha mujhe badi neend aa rahi hai." Razia ne ek mast
angdai li jise niche se kamar pe bandha pallu nikalta hai aur niche se
blouse bhi thoda upar chala jaata hai. Nashili aankho se Hari ko
dekhte Razia boli, "Chacha kyun na hum kaal iske bare mai baat kare.
Dopahar kafi ho chuki hai..ya aap kaho to raat ko baat karte hai. Kya
kehte ho Chacha?"
Razia jab angadai leti hai tab poora jism dekhke Hari ka lund khada
hua, blouse ke niche se zara mamme bahar aate hai, kamar tight hoti
hai, panty ki outline dikhti hai, naval dikhta hai, sab aaram se
dekhke baniyan se apna nanga sina aur ragadte pochte woh bola, "Thik
hai beti, tu kahe to raat ko aake samjhata hoon ki Jagruti ka ilaj
kaise kiya aur thik waise hi ilaj tera bhi kar dalunga. Waise bhi mera
time ho gaya hai, tu aaram kar, raat ko samjhane mai bahut waqt
lagega." Apni umar ka faida uthake Razia ke aadhe nange khande pe bra
strap pe haath rakhte Hari ne bola, "Par beti raat mai tera miya
rahega ghar mai, phir kaise samjha sakta hoon?"
Razia ko Hari ke kadak haath ha ahsaas hota hai. Uske haath ko bra
strap se khelte date woh boli, "Chacha aaj se ek hafte tak mai akeli
hoon..mai akeli hoon Chacha." Razia 'akeli' shabd pe stress karke
kehti hai.
Razia ke bra strap sehlate usme ungli dalte Hari bola, "Wah yeh achi
baat hai, hum dono akale hai, mai aata hoon raat ko, tu chahe to mare
liye khana bana,khana khake hum baat karange."
Ab Razia Hari ka haath pakadke, usse hatate, uski ankho mai dekhte bra
stap blouse mai dalte boli, "Par Chacha, hum non - veg khate hai aur
ghar mai non veg pakate bhi hai, kya aap khayange non – veg?"
Jawab mai Hari ne uska pallu khande pe thik karte kaha, " Aare beti tu
jo banayegi wohi khayunga, agar mai khana banane baitha to raat ke 11
bajaynge aur phir tujhe nend aayegi."
Do kadam piche hote Razia kuch sochke smile karte boli, "Haan
Chacha,thik hai. Lekin Chacha mai khana jaldi khati hoon aur pakati
bhi thoda hoon. Hamare ghar mai basi khana nahi chalta isliye thoda hi
pakate hai. To agar aapko aadha pet khana mila to mujhe maaf karma.
Aagar aapko raat ko bhook lagi to khane kuch nahi milega par haan sirf
raat ko doodh pine mil sakta hai."
Razia ke jawab sunke khush hote uski wohi doodh ki baat pakadte Hari
bola, " Aare koi baat nahi beti, dekh mai khana to 10 baje khata hoon.
Tu aaisa kar, khana khaa le, mai aake khana khaunga 10 baje, uske baad
bhook lagi to tu tera dhood..... mera matlab tu mujhe doodh de, thik
hai? Doodh to rahe ga na ghar mai?"
Ghar mai bolte waqt Hari ki nazar mammo pe thi. Hari ka ishara
samajhte Razia bhi masti se boli, "Haan doodh to kafi hai ghar mai
Chacha par pine wala koi nahi. Aaj raat hum milke doodh piyange. Aur
Chacha aap jaldi aao na, 10 baje aaoge to baat kab karenge? Mai to
10.30 ko so jaati hoon."
Apna baniyan pehante Hari haste bola, " Aare beti, aaj mai hoon na, to
tera sab doodh pi jayunga. Aaj tare pass jitna doodh hai mujhe de aur
dekh jaise pi dalta hoon poora doodh. Rahi baat tujhe neend aati hai
to beti aaj meri baato se tujhe neend nahi aayegi yeh mera wada hai,
bahut baate karange, tera doodh piyange aur tera ilaz karunga."
Razia ab rukna nahi chahati thi. Usne socha ki Chacha ko pyar se jaldi
aane kahungi. Woh chahati thi ki Chacha samjhe ki uske liye woh Shah
khandaan ke rules toodne tayyar hai. Pallu se kehlte jaanbujhke pallu
ko ek mamma se hatate woh boli,"Ok Chacha, thik hai, lekin aap jaldi
aana. Par kisi ko pata chala to meri to shaamat aa jayegi. Chacha 9 se
late nahi karna kyunki itna late karoge to phir doodh kab piyoge?"
Woh mamma dekhte Hari hootho pe jheeb pherte bola, "Thik hai beti, tu
hamara khana bana, mai jaldi aayunga aur hum saath mai khana khayange
aur tera ilaz karte - karte tera yeh doodh bhi piyunga." Doodh pine ki
baat karte woh mammo ki taraf ishar karte bola, "Beti koi acchi nighty
ho to woh pehnna raat ko, ab mai jau?"
Sexy nighty ki baat sunte Razia, Hari ko chidhane boli, "Nahi re baba,
sexy nighty kyun? Hamare ghar mai nighty nahi pehni jaati. Aapki wajah
se ek niyam to tood rahi hoon dusra todungi to shamaat aa jayegi.
Chacha hamare yahan ki gai ka doodh bada acha hota hai, aap ko pasand
hai na gai ka doodh?"
Razia ka haath pakadte darwaze tak jate Hari bola, " Aare ab 1 niyam
tooda to 1 aur sahi beti. Ilaz ke liye nighty hona zaroori hai, isse
taqlif nahi hoti samjhi? Waise beti, hame to gai pasand hai, hum to
gai ki pooja bhi karte hai aur gai ka doodh bhi pite hai. Aur agar gai
teri jaise aurat hai to aur accha hota hai, bahut acche se ilaz karta
hoon mai."
Apna haath churate Razia boli, "Thik hai Chacha, nighty ka sochungi,
ab aap jao." Yeh kehte Hari ko ghar se Razia ravana karti hai. Razia
ko malum tha Hari kaunse ilaj ki baat kar raha tha, aur yeh bhi pata
tha ki aaj kaisa ilaj honewala hai uska. Razia bhi Hari se ilaj
karwake lane tayyar thi. Hari jane ke baad Razia 1 ghanta soye. Shaym
ko uthke Hari ke aane se pehle usne apna ghar ekdum saaf suthra kiya.
Saaf safai karte-karte pasine se Razia ki haalat kafi kharab ho gaye,
mano pasine se woh naha gaye ho. Saaf safai hone ke baad usne khana
banake aur khake Hari ki thali table pe lagai. Itne gadbad mai 9 kab
baje usse pata nahi chala. Razia ne jaan bujh ke itna kaam liya kyoki
aaj woh jo karne jaa rahi thi uske baare mai jyada sochke usse ab
piche nahi hatna tha. Shadi ke baad pehli baar woh paraye mard ke
samne nangi hoke sonewali thi,sirf ek aulad pane ke liye aur usse uske
is faisle ke acche - bure ke baare mai jyada sochke ab rukna nahi tha.
Barabaar 9 baje Hari aaya. Hari saaf lungi baniyan mai tha. Samne
pasine se bhari Razia ki halat dekhke usse accha laga. Pasine se
blouse gilla hoke nipple dikh raha tha kyoki Razia ne bra jo nahi
pehni thi. Hari ko dekhte hi pallu se mathe aur sine ka pasina
bindhast pochte Razia boli, "Arre Chacha aap aa gaye? Mujhe to waqt ka
pata tak nahin chala ghar ki saaf safai karte - karte."
Smile karte Hari bola, "Haan aa gaya beti, aare kitna pasina hui hai
tu, aao mai poch doon? Nahi to jaisa mai karta hoon waisa kar pasina
aane pe, chahe to pallu niche karke hawa le."
Hari ke kehne ke mutabik Razia pallu se hawa lane lagi.Isse uski saaf
armpit Hari ko dikhti hai aur blouse mai mammo ki halki halchul. Hawa
late Razia boli,"Ahh Chacha, ab accha lag raha hai.Mai ab aap hi ka
intezar kar rahi thi. Chacha mai abhi nahane ja rahi hoon kuch chahye
to le lena. Apna hi ghar samjhna Chacha, mai 10 minit main aayi
nahake."
"Ruko beti, pehle pasina to pochne de mujhe tera." Itna kehte Hari
Razia ke pallu se uska pasina pochne laga. Pith, neck, face aur phir
halke se sina pochte woh bola, "Ab kyo naha rahi ho? Ilaj ke baad mai
naha lena. Tum samne rahogi to hi khana khayunga mai, yeh kya mehmaan
ko bulake bolna ki khana khalo aur khud nahane chali jao.Kya yeh acchi
baat hai?"
Hari ke haath Razia ke nange sine pe hai aur garam saase uske face pe
choor raha tha.Razia kaise to Hari ke haath hatake bathroom mai jate
boli, "Rehne do Chacha, please khaa lo jo maine pyar se banaya
hai.Ilaj ke baad chaho to phir naha lange."
Hari bathroom ke pass aake bola, "Thik hai beti par acche se naha le,
ekdum ragadke naha lena, baad mai bahut pasina aanewala hai tujhe
beti. Nahane ke baad aake mujhe khana parosna, aaj tare haath se pehle
khana aur baad mai doodh piyunga samjhi?"
Hari kitchen mai waise ni niche zammen pe baith jata hai, baniyan
nikalke lungi uppar karke. Udhar se Razia boli, "Ok Chacha to ruko,
mai nahake aake khana parosti hoon aapko. Aur haan ekdum ragadke
nahungi, bahut pasina hai.Yeh baad mai kyon bahut pasina aanewala hai
mujhe Chacha?"
Bathroom ki taraf dekhte Hari bola,"Woh tu khud samjhegi beti, haan
par nahane ke baad ab jyada tight kapde mat pehnna, zara naram aur
halke kapde pehno."
"Matlab kaise Chacha? Samjhao to sahi. Nahi to aaisa karo, bedroom mai
almari mai jo kapde hai unme se jaise kapde chahat ho nikalke rakho
mare liye, thik hai Chacha."
Razia ne jaanbujhke 1-2 hi nighty rakhi thi almari mai jo uske hisab
se sexy thi. Hari Razia ke bedroom jake, uska cupboard kholta hai.
Usme se 2-3 nighty dekhte ek nikalta hai jo ghutno tak hai aur ekdum
transparent hai, uske neck badi nahi yeh dekhke Hari uske 2 hooks
toodte bistar pe woh nighty rakhte bahar aake bola, "Beti maine tare
bistar pe nighty rakhi hai, woh pehan lena, isse tujhe aaram padega
aur pasina bhi nahi ayega samjhi?"
Razia haan bolti hai. Hari jake kitchen mai baithta hai. Bathroom se
towel lapate Razia bahar aake Hari ke samne se bedroom mai aake Hari
se nikalke rakhi kali nighty pehanti hai jo transparent hai. Lekin
kali hai isse andar kuch pehna hai ya nahi uska pata nahi chalta. Apne
aapko aaine mai Razia dekhti hai. Pehli baar aisi nighty pehnne se
usse zara sharm aati hai. Uppar se button bhi tute dekhke who samajhti
hai ki yeh Hari ka hi karnama hai. Jab who nighty pehanti hai to aadhe
se jyada nanga sina khula dekhke woh thoda jhijhakti hai par fir sari
sharm chorke waise hi gile baalo se woh kitchen mai aate Hari ke samne
khadi hoti hai. Ek baar uppar se niche tak Razia ko dekhte Hari bola,
"Aha beti, ab to ekdum mast lagti hai. Dekha yeh nighty kaise jach
rahi hai tujhe? Lagta hai Chacha ki baat manke ekdum ragadke nahaye ho
to badan itna chamak raha hai." Hari niche baitha hai isliye nighty ke
andar tak nazar jati hai uski. Uppar ki taraf dekhte woh bola, "Razia,
chal ab khana paros mujhe, badi bhooki lagi hai, ab khana nahi parosa
to tujhe hi khaa dalunga mai samjhi?"
kramashah.......
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