Wednesday, December 18, 2013

गुपचुप कहानियाँ- . दीदी को जीजा जी से छीना--1

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गुपचुप कहानियाँ- .


दीदी को जीजा जी से छीना--1
मेरा नाम रोकी है और मैं अपनी बेहन का प्रेमी हूँ. ये मेरी कहानी आप पसंद
करेंगे अगर आप इन्सेस्ट में दिलचस्पी रखते हैं. मेरी बेहन आज मेरी पत्नी
बन के रह रही है. मेरी कहानी आपको कैसी लगी इस बेहन के यार को ज़रूर
लिखना.
मैं हूँ रोकी, एक बेहन का यार. मैने अपनी राधा दीदी को अपना लेने की तब
से ठान ली थी जब से मैने दीदी को जीजा जी के साथ सुहागरात मनाते हुए देखा
था. मैं उस वक्त 18 साल का था और दीदी 22 साल की. जीजा जी एक बहुत अमीर
आदमी थे और हमारे शाहर से 30 किलोमेटेर पर एक कामयाब बिज़्नेस के मालिक
थे. उनका नाम विनोद था और वो बहुत हॅंडसम थे. मा भी जीजा जी से बहुत
इंप्रेस्ड थी. लेकिन मुझे दाल में कुच्छ काला लगता था. राधा दीदी की शादी
की पहली रात विनोद ने दीदी को प्यार से नहीं ज़बरदस्ती से चोदा था. मैं
जानता था किओं कि मेरा रूम उनके बिल्कुल साथ वाला था, दोनो रूम्स में
कामन बाथरूम था. मैं राधा दीदी का आशिक बचपन से रहा हूँ और ये कैसे हो
सकता था कि मेरी प्यारी राधा दीदी की सुहागरात हो और उनका प्यारा भाई
देखे ना! मेरा लंड तो तन जाता है जब भी दीदी की याद आए!!
मेरा नाम रॉकी है (राकेश). मैं राधा दीदी को जब से नहाते हुए देख चुका
हूँ, मेरी ज़िंदगी ही बदल गयी. राधा दीदी उस वक्त साबुन मल के नहाने में
लगी हुई थी जब मैने देखा की बाथरूम का डोर लॉक नहीं किया हुआ. दीदी अपनी
चूत को मल रही थी और बार बार उसकी कामुकता भरी सिसकी निकल जाती थी. मेरी
दीदी का दूधिया जिस्म पानी की बूँदों से चमक रहा था और उनकी चुचि मुझे
दीवाना बना रही थी. दीदी की आँखें बंद थी किओं कि उन्हों ने चेहरे पर
साबुन लगा रखा था. मैने देखा कि दीदी अब चूत में उंगली कर रही थी. मेरी
दीदी मस्ती में आ कर मॅसर्बेशन कर रही थी. मैने सोचा कि ज़रूर किसी मर्द
के बारे कल्पना कर रही होगी. काश वो मर्द मैं होता!!! दीदी की साँसें
तेज़ी से चल रही थी. उसकी सिसकी मुझे सुनाई पड़ रही थी. तभी मेरा हाथ
अपने आप मेरे लंड पर चला गया और मैं उसको अप्पर नीचे हिलाने लगा. दीदी
अचानक मूडी और अब उसकी गांद मेरी तरफ आ गयी. गोल गोल गोरे चूतड़ मेरी
नज़र के सामने थे और दीदी अब शवर के नीचे खड़ी थी और शवर की धारा सीधी
दीदी की चूत पर गिर रही थी. मेरा हाल बुरा हो रहा था और मैने अपना लंड
बाहर निकाल कर मूठ मारनी शुरू कर दी. "ओह..........आआआअररर्रघ" की आवाज़
राधा दीदी के होंठों से निकली. मैं समझ गया कि दीदी झाड़ गयी थी. मैं
सीधा अपने रूम में गया और मूठ मारता रहा. जब मेरा लंड पिचकारी छ्चोड़ रहा
था तो राधा दीदी का जिस्म मेरी आँखों के सामने था. इतना लावा मेरे लंड से
आज तक ना निकला था.
जब भी दीदी की शादी की बात चलती तो मैं उदास हो जाता. कई रिश्ते आए लेकिन
विनोद जीजा जी का रिश्ता फाइनल कर लिया गया. मम्मी के कहने पर जीजा जी ने
सुहागरात हमारे घर पर मनाई. मैने सोचा कि अगर अपनी बेहन के साथ सुहागरात
नहीं मना सका तो क्या हुआ, कम से कम अपनी बेहन को सुहागरात मनाते हुए तो
देख सकता हूँ. बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा खुला था जिसको जीजा जी बंद करना
भूल गये. मेरी किस्मत अच्छी थी. रात के 10 बजे दीदी बेड पर जीजा जी की
वेट कर रही थी. मेरी बहना रानी लाल जोड़े में सजी हुई किसी परी से कम
नहीं लग रही थी. तभी जीजा जी ने परवेश किया. लगता था कि उन्हों ने पी हुई
थी. वो सीधा अपना पाजामा खोलते हुए अपना लंड राधा दीदी के होंठों से
लगाने लगे और बोले,"जानेमन, बहुत दिल कर रहा है लंड चुसवाने के लिए,
जल्दी से चूस कर झाड़ दे इसको फिर चोदुन्गा तेरी चूत और गांद आज!!" दीदी
ने नफ़रत से मूह दूसरी तरफ मोड़ लिया. "ये क्या बद-तमीज़ी है? कितनी गंदी
बात कर रहे हैं आप? पेशाब वाला...छ्ह्ही..और ये क्या बोल रहे हैं आप?"
लेकिन जीजा जी ने दीदी को बालों से खींचा और अपना सूपड़ा दीदी के कंठ तक
धकेल दिया,"चल हरामजादि, नखरे करती है? साली शादी की है तेरे साथ. अच्छी
तरह चूस और फिर मेरे लंड के मज़े लूटना अपनी चूत में" दीदी के मुख से
गूऊव....गूऊव की आवाज़ आ रही थी और वो लंड को मुख से बाहर निकालने की
कोशिस कर रही थी. लेकिन जीजा जी ज़बरदस्ती अपने लंड की चुस्वाई करवा रहे
थे. जीजा जी अपनी कमर हिला हिला कर दीदी के मूह में लंड धकेल रहे थे.
आख़िर दीदी के मूह में जीजा जी के लंड का फॉवरा छ्छूट पड़ा. दीदी के हलक
से एक चीख निकली और जीजा जी के लंड रस की धारा दीदी के होंठों से उनके
चेहरे पर फैल गयी. दीदी के मूह से लंड रस टपकने लगा और दीदी ने उल्टी
करनी शुरू कर दी.
"ये क्या कर रहे थे? उफफफफ्फ़ मेरा मन खराब हो गया.....उफ़फ्फ़ कितना
गंदा है......" दीदी बोल रही थी और जीजा जी हैरानी से देख रहे थे. "साली
क्या हुआ? लंड चूसना तो औरत को बहुत अच्छा लगता है...तुझे किओं पसंद
नहीं? उल्टी किओं कर दी? तुमने कभी लंड नहीं चूसा क्या?' दीदी ने ना में
सिर हिलाया. मैं समझ गया कि जीजा जी एक चालू इंसान हैं और दीदी भोली भली
लड़की थी. जीजा जी शायद रणडिबाज़ी करने वाले थे और मेरी दीदी को भी एक
रंडी की तरह चोदना चाहते थे. दीदी ने मूह सॉफ किया और बाथरूम की तरफ
बढ़ी. मैं जल्दी से खिसक गया. दीदी बाथरूम में पानी से अपना मूह सॉफ करती
रही. मुझे जीजा जी पर बहुत गुस्सा आ रहा था और अपनी दीदी पर प्यार. उस
रात राधा दीदी बहुत चिल्लाई और चीखी. शायद जीजा जी ज़बरदस्ती दीदी को चोद
रहे थे. "बस करो...भगवान के लिए छ्चोड़ दो मुझे...मैं नहीं ले सकती इतना
बड़ा.......आआहह....ऊओह..नाआआअ.
...बहुत दर्द होता है.....नाहीं...प्लीज़,
छ्चोड़ दो मुझे!!!!!" मैं दीदी की हालत देख कर सारी रात सो ना सका.
अगली सुबह दीदी का चेहरा उत्तरा हुआ था. मैने मम्मी को कहते हुए
सुना,'राधा.मर्द सब कुच्छ करते हैं.....बस झेल ले विनोद का...थोड़ी देर
की बात है...आदत पड़ जाए गी...बेटी बड़ा तो किस्मत वाली को मिलता
है.....मज़े करोगी..विनोद बहुत अमीर है..तेरी तो ऐश हो गी!!!" लेकिन मैने
मन बना लिया. मेरी दीदी ऐश तो करेगी लेकिन जीजा जी के पैसे से और अपने
भाई के लंड से. जीजा जी अपने शहर चले गये और मैं जीजा जी की जासूसी करने
लग पड़ा. मुझे पता चला कि जीजा जी दीदी को प्यार नहीं करते. अगर चोद्ते
भी हैं तो ज़बरदस्ती. जीजा जी के ऑफीस में उनका चक्कर उनकी सेक्रेटरी के
साथ चल रहा था. मुझे ये भी पता चला कि, जीजा जी की मौसी की लड़की नीता भी
उनके घर में रहती थी जो कि शादी के बाद अपने पति से अलग हो कर जीजा जी के
साथ ही रहती थी. जीजा जी के घर के नौकर ने बताया कि जीजा जी ने अपनी
मौसेरी बेहन को रखैल बना रखा था. औरत सब कुच्छ बर्दाश्त कर लेती है लेकिन
सौतन नहीं. अब मुझे अपनी दीदी को वापिस अपने पास बुलाना था. "जीजा जी,
अगर अपनी दीदी को आप से वापिस ना ले लिया तो मेरा नाम रॉकी नहीं" मैने
अपने आप से वादा किया.
अब मैने जीजा जी के नौकर को रिश्वत दे कर जीजा जी और उनकी बेहन के साथ
चुदाई की तस्वीरें खींचने के लिए राज़ी किया. नौकर बड़ा हरामी था. फिर
मैने जीजा जी के ऑफीस से पता लगाया कि जीजा जी हर शनि वार अपनी सेक्रेटरी
के साथ कब रंग रलियाँ मनाने जाते हैं. हर हफ्ते उनकी सेक्रेटरी मोना और
जीजा जी बिज़्नेस ट्रिप का बहाना बना कर सुबा चले जाते थे और रात को
वापिस लौट आते थे. एक बार मैने पीछा किया और देखा कि शाहर के बाहर एक
होटेल संगम में उनका कमरा बुक होता था. कमरा नंबर था 439. मैं प्लान बना
कर होटेल में गया और एक दिन पहले मैने 439 रूम बुक कर लिया. रूम के अंदर
कॅमरा फिट कर लिया और एक रिकोडर लगा दिया और फिर होटेल के मॅनेजर से
बोला,' मुझे 440 नंबर कमरा भी चाहिए. मनेजर बोला,"सर, 439 नंबर आपको खाली
करना पड़ेगा. बस एक दिन के लिए. उसके बाद आप फिर कमरामे रह सकते हैं" मैं
भी यही चाहता था. कॅमरा बिल्कुल बेड के सामने था और अपना काम ठीक करेगा.
उस शनि वार को जब जीजा जी वापिस लौटे तो मैं 440 नुंबेर्र कमरे में बैठ
कर जीजा जी की सारी फिल्म देख रहा था. अब वक्त था जीजा जी को 440 वॉल्ट
का झटका देने का.
उधर जीजा जी का नौकर भी मेरे पास जीजा जी और उनकी मौसेरी बहन की फोटो ले
आया. मैने उसको पैसे दिए और राधा दीदी को मिलने उनके घर चला गया. शाम का
वक्त था. दीदी पिंक सारी पहने हुए थी. गुलाबी रेशमी सारी में दीदी का
गुलाबी जिस्म बहुत मस्त लग रहा था. डीप कट ब्लाउस से दीदी की चुचि का
कटाव सॉफ दिखाई पड़ रहा था. दीदी का जिस्म कुच्छ भर चुका था और उनके
नितंभ बहुत सेक्सी हो चुके थे. मुझे देख कर दीदी मेरी तरफ दौड़ कर चली
आई. मैने दीदी को बाहों में भर लिया. लेकिन अब मैने दीदी को बाहों में
लिया जैसे एक आशिक बाहों में लेता है, भाई नहीं!! दीदी ने मेरे मूह चूम
लिया और मुझ से लिपटने लगी,"रॉकी, मेरे भाई!!इतनी देर से मुझे किओं नहीं
मिलने आया? अपनी बेहन से नाराज़ हो क्या? तेरी बहुत याद आ रही थी, भाई!!"
मेरे हाथ दीदी के बदन पर रेंग रहे थे और मैं भी दीदी को चूम रहा था. मेरे
हाथ अचानक दीदी के नितंभों पर गये और मेरा लंड खड़ा हो गया. दीदी के
नितंभ मानो रेशम हों.
जब हम अलग हुए तो मैने जान बुझ कर पुछा,"दीदी जीजा जी कहाँ हैं?" राधा के
माथे पर थोड़े बल पड़े लेकिन वो मुस्कुराते हुए बोली,"ऑफीस में होंगे"
मैं भाँप गया कि दीदी खुश नहीं है. दीदी शीशे के सामने अपने बॉल संवार
रही थी और मेरी नज़र दीदी की गांद पर थी. "दीदी, तुम खुश नहीं दिख रही.
जीजा जी तेरा ख्याल भी रखते हैं या नहीं. मुझे तो जीजा जी का चल चलन ठीक
नहीं लगता." कहते हुए मैं दीदी की पीठ के साथ सॅट कर खड़ा हो गया. शीशे
में दीदी की गोरी चुचि उप्पेर नीचे होती दिख रही थी. मेरी दीदी मालिका
शेरावत लग रही थी. मैने दीदी को पीछे से आलिंगन में ले लिया. मैने अपने
होंठ दीदी की गर्दन में च्छूपाते हुए कहा," कहीं जीजा जी तुमको धोखा तो
नहीं दे रहे? मैने सुना है कि जीजा जी बहुत अयाश किस्म के आदमी हैं. उनका
अपनी सेक्रेटरी के साथ अफेर चल रहा है और ........" दीदी के होंठ काँप
रहे थे "और क्या?' मैने दीदी की चुचि पर हाथ रख दिया और बोला,"सुना है कि
जीजा जी का संबंध उनकी मौसेरी बेहन के साथ भी है" दीदी मुझ से अलग होने
लगी," राकेश, क्या बक रहे हो? और तुम मेरे जिस्म को किओं छेड़ रहे थे?
राकेश, मैं तेरी बेहन हूँ!!! मेरे पति के बारे में झूठ मूठ मत बोलो!!!"
मैने दीदी को फिर से आलिंगन में ले लिया और इस बारी उनके होठों पर होठ रख
दिए किओं कि मैं अब उनके सामने आ गया था. दीदी के जिस्म से भीनी भीनी
इत्तर की खुश्बू मुझे पागल बना रही थी. उस वक्त अंधेरा सा हो रहा था और
मैं हल्के अंधेरे में दीदी की आँखों में एक अजीब सी चमक देख रहा था. शायद
दीदी का जिस्म मेरे आलिंगन में पिघलने लगा था और या फिर मेरे दिमाग़ का
वेहम था.
"मैं नहीं मानती ये सब. नीता उनकी बेहन है!!ये क्या बक रहे हो!!!" नीता
जीजा जी की मौसेरी बेहन का नाम था. मैने जीजा जी की अपनी सेक्रेटरी के
साथ नंगी तस्वीरें दीदी के सामने फेंक डाली. "ये क्या है, रॉकी?" लेकिन
सवाल बे मतलब था. फोटोस में जीजा जी सेक्रेटरी की चुचि चूस रहे थे तो
दूसरी फोटो में उसकी चूत चाट रहे थे. जीजा जी की सेक्रेटरी थी बहुत ही
मस्त. दीदी का चेहरा शरम और गुस्से से लाल हो गया. मैने दूसरा वार किया
और उनके नौकर ने जो फोटो जीजा जी और नीता के साथ खेंची थी सामने रख दी.
एक फोटो में नीता जीजा जी को रखी बाँध रही थी और दूसरे में उनका लंड चूस
रही थी. फोटोस इतने क्लियर थे कि मेरा खुद का लंड खड़ा हो गया और मैने
दीदी की चुचि को ज़ोर से भींच दिया. अब मेरा लंड अकड़ कर दीदी के पेट से
टकरा रहा था. दीदी खुद ब खुद मुझ से लिपटने लगी. औरत के अंदर ईर्षा की आग
कैसे भड़कती है मैं जानता था. मेरा मन बोल उठा,"मेरी दीदी अब मेरी बन के
रहेगी, रॉकी बेटा!!"
तभी फोन बज उठा,"हेलो, कौन, क्या? नहीं आयोगे? क्या बात हुई? कहाँ हो
तुम? अच्छा, ठीक है" दीदी ने फोन रखा और कहा,"तेरे जीजा जी आज घर नहीं आ
रहे. किसी मीटिंग में देल्ही गये हुए हैं" मैं जानता था कि मीटिंग कौन सी
है. मैने फोन में से वो नंबर पढ़ा जहाँ से फ़ोन आया था. जब मैने वो नंबर
डाइयल किया ती एक लड़की की आवाज़ आई," होटेल संगम! प्रिया स्पीकिंग" मैने
फोन रख दिया. "राधा दीदी, देखोगी कि जीजा जी कौन सी मीटिंग में हैं? जीजा
जी मीटिंग में नहीं रंग रलियाँ मना रहे हैं. दीदी तुम इनके साथ ज़िंदगी
किओं खराब कर रही हो? चलो मेरे साथ और आप ही फ़ैसला कर लो" मैने दीदी को
पहले तो बाहों में भर कर खूब प्यार किया. खूब चूमा, चॅटा. हमारे होंठ भीग
गये किस करते हुए. मैने दीदी को बेड पेर लिटा लिया और उसकी जांघों पर हाथ
फेरता रहा. जब मेरा हाथ दीदी की चूत पर गया तो उसने मुझे रोक दिया,'नहीं
भैया, नहीं. ये ठीक नहीं है. तुम मेरे भाई हो, बस. हम ये नहीं कर सकते"
मैं बोला,"दीदी, लेकिन जीजा जी...." दीदी बोली,"नहीं कह दिया तो मतलब
नहीं"
लेकिन मैं दीदी को अपने मोटर साइकल पर बिठा कर संगम होटेल की तरफ़ चल
पड़ा. दीदी मेरे पीच्छे सॅट कर बैठी थी और उसका हाथ बार बार मेरी जाँघ पर
रेंग जाता था. मैने होटेल जा कर एक रूम बुक करवाया और अंदर जा कर विस्की
ऑर्डर कर डाली. दीदी पहले कुच्छ सक पकाई लेकिन उसके अंदर तनाव इतना था कि
दो पेग एक साथ पी गयी. "बहनचोद कहीं का!!! मैं उसको नहीं छ्चोड़ूँगी अगर
तेरी बात सच निकली!!! रॉकी तू जो कहे गा करूँगी मेरे भाई अगर तेरी बात
साची हुई" मैने एक पेग और दिया दीदी को और उसको फिर चूमने लगा. दीदी भी
अब गरम हो चुकी थी. लेकिन जब मैने दीदी का हाथ अपने लंड पर रखा तो उसने
लड़खड़ाती आवाज़ में कहा," रॉकी अभी नहीं!!पहले दिखायो विनोद बेहन्चोद
किसके साथ है साला रंग रलियाँ मना रहा है" मैं दीदी को ले कर जीजा जी के
रूम की तरफ ले गया और दरवाज़ा खोल दिया. किस्मत की बात थी कि उन लोगों ने
लॉक नहीं किया था. बिस्तर पर नीता नंगी जीजा जी के नीचे पड़ी थी और जीजा
जी उसका जिस्म चूम रहे थे." नीतू मेरी जान, जब से वो कुत्ति राधा आई है,
हम को तो च्छूप च्छूप कर चुदाइ करनी पड़ रही है!! मेरा दिमाग़ खराब हो
गया था जो मैने उस से शादी कर ली!! साली ढंग से चोदने भी नहीं देती और ना
ही उसको चुदाई का कोई ज्ञान है. और उसके सामने तुझे दीदी कहना पड़ता है,
ये बात अलग है. असल में तो साली वो मेरी दीदी है और तू मेरा माल, नीतू
मेरी रानी बहना मैं तो तुझे अपनी पत्नी मान चुका हूँ,सच!!" नीता जीजा जी
के लंड को थाम कर बोली,"और भैया मैं आपको अपना पति मान चुकी हूँ. ऐसे छुप
छुप कर कब तक मिलते रहेंगे भैया?"
"ओ बेहन्चोद विनोद, तू इस मदारचोड़ रंडी को बना ले अपनी पत्नी!!! और
नीता, तू इस बेहन्चोद को बना लो अपना पति!! विनोद मैं जा रही हूँ और
तुमको देखूँगी कोर्ट में तलाक़ के केस में!!!" दीदी की आवाज़ काँप रही
थी. मैं उसको खींच कर रूम में ले गया और दीदी फिर से विस्की पीने लगी. इस
हालत में दीदी को घर नहीं ले जा सकता था. दीदी पी कर बेहोशी की हालत में
सो गयी और अगले दिन मैं उसको घर ले आया. मा ने पुछा क्या बात हुई तो मैने
कहा बाद में बताउन्गा. दीदी सारा दिन सोती रही. दोपहर को मैने मा को सारी
बात बताई," मा, विनोद साला दीदी को कोई सुख नहीं दे सकता. नीता ही उसकी
पत्नी है उसके लिए, मा!! दीदी को तो एक खिलौना बना कर रखा है उस कामीने
ने. कल रात तो दीदी ने खुद देखा है उसको नीता के साथ बिस्तर में. अब मैं
दीदी को विनोद के साथ नहीं रहने दूँगा. मेरी इतनी सुंदर बेहन की ज़िंदगी
बर्बाद नहीं होने दूँगा. आख़िर मैं दीदी से प्यार करता हूँ!!" मा मुझे
गौर से देखती रही. ज़रूर मेरे चेहरे से वो मेरे मन को भाँप गयी थी. जिस
तरह मैने दीदी को थाम रखा था मा से च्छूपा नहीं था."रॉकी, सच बता क्या
बात है? तू अपनी बेहन का घर बर्बाद करने पर किओं तुला हुया हो? तुम अपनी
बेहन के साथ लिपटाए हुए थे जब वो घर आई. कहीं तुम खुद ही तो अपनी बेहन से
प्यार नहीं करते?"
क्रमशः.......................
Didi Ko Jijja Ji Se Chheena--1
Mera Nam MAN hai aur main apni behan ka premi hoon. Ye meri kahani aap
pasand karenge agar aap incest mein dilchaspi rakhate hain. Meri behan
aaj meri patni ban ke reh rahi hai. Meri kahani aapko kaisi lagi iss
behan ke yaar ko zarur likhna. Meri email id hai.
sislover_man@yahoo.in

Main hoon MAN, ek behan ka yaar. Maine apni Radha didi ko apna lene
ki tab se thaan li thee jab se maine didi ko jijja ji ke saath
suhagraat manatae huye dekha tha. Main uss wakt 18 saal ka tha aur
didi 22 saal ki. Jijja ji ek bahut amir adami thay aur hamare shahr se
30 kilometer par ek kamyab business ke malik thay. Unka naam Vinod tha
aur vo bahut handsome thay. Maa bhi jijja ji se bahut impressed thee.
Lekin mujhe dal mein kuchh kala lagata tha. Radha didi ki shadi ki
pehli raat Vinod ne didi ko pyar se nahin zabardasti se choda tha.
Main janta tha kion ki mera room unke bilkul saath vala tha, Dono
rooms mein common bathroom tha. Main Radha didi ka ashik bachpan se
raha hoon aur ye kaise ho sakta tha ki meri pyari Radha didi ki
suhagraat ho aur unka pyara bhai dekhe naa! Mera lund to tan jata hai
jab bhi didi ki yaad aaye!!
Mera naam Rocky hai (Rakesh). Main Radha didi ko jab se nahate huye
dekh chuka hoon, meri zindagi hi badal gayi. Radha didi uss wakt sabun
mal ke nahane mein lagi hui thee jab maine dekha ki bathroom ka door
lock nahin kia hua. Didi apni chut ko mal rahi thee aur bar bar usski
kamukta bhari siski nikal jati thee. Meri didi ka dudhiya jism pani ki
boondon se chamak raha tha aur unki chuchi mujhe deewana bana rahi
thee. Didi ki ankhen band thee kion ki unhon ne chehre par sabun laga
rakha tha. Maine dekha ki didi ab chut mein ungli kar rahi thee. Meri
didi masti mein aa kar masurbation kar rahi thee. Maine socha ki zarur
kissi mard ke bare kalpna kar rahi hogi. Kash vo mard main hota!!!
Didi ki saansen tezi se chal rahi thee. Usski siski mujhe sunayi pad
rahi thee. Tabhi mera haath apne aap mere lund par chala gaya aur main
ussko upper neechey hilane laga. Didi achanak mudi aur ab usski gaand
meri taraf aa gayi. Gol gol gore chutad meri nazar ke samne thay aur
didi ab shower ke neechey khadi thee aur shower ki dhara seedhi didi
ki chut par gir rahi thee. Mera haal bura ho raha tha aur maine apna
lund bahar nikal kar muth marni shuru kar dee.
"Ohhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh..........aaaaaaarrrrghh" ki awaz Radha didi ke
honthon se nikali. Main samajh gaya ki didi jhad gayi thee. Main
seedha apne room mein gaya aur muth marta raha. Jab mera lund pichkari
chhod raha tha to Radha didi ka jism meri ankhon ke samne tha. Itna
lava mere lund se aaj tak na nikla tha.
Jab bhi didi ki shadi ki baat chalti to main udas ho jata. Kai rishte
aaye lekin Vinod jijja ji ka rishta final kar liya gaya. Mummy ke
kehne par jijja ji ne suhagraat hamare ghar par manayi. Maine socha ki
agar apni behan ke saath suhagraat nahin mana saka to kia hua, kam se
kam apni behan ko suhagraat manate huye to dekh sakta hoon. Bathroom
ka darwaza thoda khula tha jissko jijja ji band karna bhul gaye. Meri
kismat achhi thee. Raat ke 10 baje didi bed par jijja ji ki wait kar
rahi thee. Meri behna rani laal jode mein saji hui kissi pari se kam
nahin lag rahi thee. Tabhi jijja ji ne parvesh kia. Lagata tha ki
unhon ne pee hui thee. Vo seedha apna pajama kholte huye apna lund
Radha didi ke honthon se lagane lage aur bole,"Janeman, bahut dil kar
raha hai lund chuswane ke liye, jaldi se chus kar jhar de issko fir
chodunga teri chut aur gaand aaj!!" Didi ne nafrat se muh dusri taraf
mod liya. "Ye kia bad-tamizi hai? Kitni gandi baat kar rahe hain aap?
Peshab wala...Chhhee..aur ye kia bol rahe hain aap?" Lekin jijja ji ne
didi ko balon se kheencha aur apna supada didi ke kanth tak dhakel
diya,"Chal haramzadi, nakhre karti hai? Sali shadi ki hai tere saath.
Achhi tarah chus aur fir mere lund ke maze lutna apni chut mein" Didi
ke mukh se Gooooo....gooooo ki awaz aa rahi thee aur vo lund ko mukh
se bahar nikalne ki koshis kar rahi thee. Lekin jijja ji zabardasti
apne lund ki chuswayi karwa rahe thay. Jijja ji apni kamar hila hila
kar didi ke muh mein lund dhakel rahe thay. Akhir didi ke muh mein
jijja ji ke lund ka fowara chhoot pada. Didi ke jhalak se ek cheekh
nikali aur jijja ji ke lund ras ki dhara didi ke honthon se unke
chehre par fail gayi. Didi ke muh se lund ras tapakne laga aur didi ne
ulti karni shuru kar dee.
"Ye kia kar rahe thay? Ufffff mera man kharab ho gaya.....ufff kitna
ganda hai......" Didi bol rahi thee aur jijja ji hairani se dekh rahe
thay. "Sali kia hua? Lund chusna to aurat ko bahut achha lagata
hai...Tujhe kion pasand nahin? Ulti kion kar dee? Tumne kabhi lund
nahin chusa kia?' Didi ne naa mein sir hilaya. Main samjh gaya ki
jijja ji ek chalu insan hain aur didi bholi bhali ladaki thee. Jijja
ji shayad randibazi karne wale thay aur meri didi ko bhi ek randi ki
tarah chodna chahte thay. Didi ne muh saaf kia aur bathroom ki taraf
badhi. Main jaldi se khisak gaya. Didi bathroom mein pani se apna muh
saaf karti rahi. Mujhe jijja ji par bahut gussa aa raha tha aur apni
didi par pyar. Uss raat Radha didi bahut chillayi aur cheekhi. Shayad
jijja ji zabardasti didi ko chod rahe thay. "Bas karo...Bhagwan ke
liye chhod do mujhe...main nahin le sakti itna
bada.......aaaahhh....ooohhhh..naaaaaaa....bahut dard hota
hai.....naahin...pleaseeeee, chhod do mujhe!!!!!" Main didi ki halat
dekh kar sari raat so na saka.
Agli subhah Didi ka chehra uttra hua tha. Maine mummy ko kehte huye
suna,'Radha.mard sab kuchh karte hain.....bas jhel le Vonod ka...thodi
der ki baat hai...adat pad jaye gi...beti bada to kismat wali ko milta
hai.....maze karogi..Vinod bahut amir hai..teri to aish ho gi!!!"
Lekin maine man bana liya. Meri didi aish to karegi lekin Jijja ji ke
paise se aur apne bhai ke lund se. Jijja ji apne shahar chale gaye aur
main jijja ji ki jasoosi karne lag pada. Mujhe pata cha;la ki Jijja ji
didi ko pyar nahin karte. Agar chodte bhi to zabardasti. Jijja ji ke
office mein unka chakar unki secretary ke saath chal raha tha. Mujhe
ye bhi pata chala ki, jijja ji ki mausi ki ladaki Neeta bhi unke ghar
mein rehti thee jo ki shadi ke baad apne pati se alag ho kar Jijja ji
ke saath hi rehti thee. Jijja ji ke ghar ke naukar ne bataya ki jijja
ji ne apni mauseri behan ko rakhail bana rakha tha. Auart sab kuchh
bardasht kar leti hai lekin sautan nahin. A b mujhe apni didi ko vapis
apne pass bulana tha. "Jijja ji, agar apni didi ko aap se vapis na le
liya to mera naam Rocky nahin" maine apne aap se vada kia.
Ab maine jijja ji ke naukar ko rishwat de kar jijja ji aur unki behan
ke saath chudayi ki tasveeren kheenchne ke liye razi kia. Naukar bada
harami tha. Fir maine jijja ji ke office se pata lagaya ki Jijja ji
har shani vaar apni secretary ke saath kab ran raliyan manane jate
hain. Har hafte unki secretari Mona aur Jijja ji business trip ka
bahana bana kar subha chale jate thay aur raat ko vapis laut aate
thay. Ek bar maien peechha kia aur dekha ki shahr ke bahar ek Hotel
Sangam mein unka kamra book hota tha. Kamra number tha 439. Main plan
bana kar hotel mein gaya aur ek din pehle maine 439 room book kar
liya. Room ke andar camera fit kar liya aur ek recoder laga diya aur
fir hotel ke manager se bola,' Mujhe 440 number kamra bhi chahiye.
Manger bola,"Sir, 439 number aako khali karna padega. Bas ek din ke
liye. Usske baad aap fir kamra rah sakte hain" Main bhi yahi chahta
tha. Camera bilkul bed ke samne tha aur apna kaam theek karega. Uss
shani vaar ko jab Jijja ji vapis laute to main 440 numberr kmare mein
baith kar jijja ji ki sari film dekh raha tha. Ab wakt tha Jijja ji ko
440 volt ka jhataka dene ka.
Udhar jijja ji ka naukar bhi mere pass jijja ji aur unki mauseri beahn
ki photo le aaiya. Maine ussko paise diye aur Radha didi ko milne unke
ghar chala gaya. Sham ka wakt tha. Didi pink sari pene huye thee.
Gulabi reshmi sari mein didi ka gulabi jism bahut mast lag raha tha.
Deep cut blouse se didi ki chuchi ka katav saaf dikhayi pad raha tha.
Didi ka jism kuchh bhar chuka tha aur unke nitambh bahut sexy ho
chukey thay. Mujhe dekh kar didi meri taraf daud kar chali aayi. Maine
didi ko bahon mein bhar liya. Lekin ab maine didi ko bahon mein liya
jaise ek ashik bahon mein lta hai, bhai nahin!! Didi ne mere muh chum
lia aur mujh se lipatne lagi,"Rocky, mere bhai!!Itni der se mujhe kion
nahin milne aaiya? Apni behan se naraz ho kia? Teri bahut yaad aa rahi
thee, bhai!!" Mere haath didi ke badan par reng rahe thay aur main bhi
didi ko chum raha tha. Mere haath achanak didi ke nitambhon par gaye
aur mera lund khada ho gaya. Didi ke nitambh mano resham hon.
Jab hum alag huye to maine jaan bujh kar puchha,"Didi jijja ji kahan
hain?" Radha ke mathey par thode bal pade lekin vo muskurate huye
boli,"Office mein honge" Main bhaamp gaya ki didi khush nahin hai.
Didi sheeshe ke samne apne baal sanwar rahi thee aur meri nazar didi
ki gaand par thee. "Didi, tum khush nahin dikh rahi. Jija ji tera
khyal bhi rakhte hain ya nahin. Mujhe to jijja ji ka chal chalan thek
nahin lagata." kehte huye main didi ki peeth ke saath sat kar khada ho
gaya. Sheeshe mein didi ki gori chuchi upper neechey hoti dikh rahi
thee. Meri didi Malika Sherawat lag rahi thee. Maine didi ko peechhey
se alingan mein le liya. Maine apne honth didi ki gardan mein chhupate
huye kaha," Kahin jijja ji tumko dhokha to nahin de rahe? Maine suna
hai ki jijja ji bahut aiash kism ke adami hain. Unka apni secretary ke
saath affair chal raha hai aur ........" Didi ke honth kaamp rahe thay
"Aur kia?' Maine didi ki chuchi par haath rakh diya aur bola,"Suna hai
ki Jijja ji ka sambandh unki mauseri behan ke saath bhi hai" Didi mujh
se alag hone lagi," Rakesh, kia bak rahe ho? Aur tum mere jism ko kion
chhed rahe thay? rakesh, main teri behan hoon!!! Mere apti ke bare
mein jhuth muth mat bolo!!!" Maine didi ko fir se alingan mein le liya
aur iss bari unke hothon par hoth rakh diye kion ki main ab unke samne
aa gya tha. Didi ke jism se bheeni bheeni ittar ki khushbu mujhe pagal
bana rahi thee. Uss wakt andhers ho raha tha aur main halke andhere
mein Didi ki ankhon mein ek ajib see chamak dekh raha tha. Shayad didi
ka jism mere alingan mein pighalne laga tha aur ya fir mere dimag ka
veham tha.
"Main nahin manti ye sab. Neeta unki behan hai!!Ye kia bak rahe ho!!!"
Neeta jijja ji ki mauseri behan ka naam tha. Maine jijja ji ki apni
secretary ke saath nangi tasveeren didi ke samne fenk dali. "Ye kia
hai, Rocky?" Lekin sawal be matalab tha. Photos mein jijja ji
secretary ki chuchi chus rahe thay to dusri photo mein usski chuty
chat rahe thay. Jijja ji ki secretary thee bahut hi mast. Didi ka
chehra sharam aur gussey se laal ho gaya. Maine dusra vaar kia aur
unke naukar ne jo photo jijja ji aur Neeta ke saath khenchi thee samne
rakh dee. Ek photo mein Neeta jijja ji ko rakhi bandh rahi thee aur
dusre mein unka lund chus rahi thee. Photos itne clear thay ki mera
khud ka lund kahda ho gaya aur maine didi ki chuchi ko zor se bheench
diya. Ab mera lund akad kar didi ke pet se takra raha tha. Didi khud b
khud mujh se lipatne lagi. Auarat ke andar irsha ki aag kaise bhadakti
hai main janta tha. Mera man bol utha,"Meri didi ab meri ban ke
rahegi, Rocky beta!!"
Tabhi phone baj utha,"Hello, kaun, kia? nahin aayoge? Kia baat hui?
Kahan ho tum? Achha, theek hai" Didi ne phone rakha aur kaha,"Tere
jijja ji aaj ghar nahin aa rahe. Kissi meeting mein Delhi agye huye
hain" Main janta tha ki meeting kaun see hai. Maine phone mein se vo
number padha jahan se phoen aaiya tha. Jab maine vo number dial kia ti
ek ladaki ki awaz aayi," Hotel Sangam! Priya speaking" Maine phone
rakh diya. "Radha didi, dekhogi ki jijja ji kaun see meeting mein
hain? Jijja ji meeting mein nahin rang ralian mana rahe hain. Didi tum
inke saath zindagi kion kharab kar rahi ho? Chalo mere saath aur aap
hi faisla kar lo" Maine didi ko pehle to bahon mein bhar kar khub pyar
kia. Khub chuma, chata. Hamarae honth bheeg gaye kiss karte huye.
Maine didi ko bed per lita liya aur usski janghon par haath ferta
raha. Jab mera haath didi ki chut par gaya to ussne mujhe rok
doya,'Nahin bhaiya, nahin. Ye theek nahin hai. Tum mere bhai ho, bas.
Hum ye nahin kar sakte" Main bola,"Didi, lekin Jijja ji...." Didi
boli,"Nahin keh diya to matlab nahin"
Lekin main didi ko apne motor cycle par bitha kar Sangam hotel ki tarf
chal pada. Didi mere peechhey sat kar baithi thee aur usska haath bar
bar meri jangh par reng jata tha. Maine hotel ja kar ek room book
karwaya aor anadra ja kar whiskey order kar dali. Didi pehle kuchh sak
pakayi lekin usske andar tanav itna tha ki do peg ek saath pee gayi.
"Bhenchod kahin ka!!! Main ussko nahin chhodungi agar teri baat sach
nikali!!! Rocky tu jo kahe ga karungi mere bhai agar teri baat sachi
hui" Maine ek peg aur diya didi ko aur ussko fir chumne laga. Didi bhi
ab garam ho chuki thee. Lekin jab maine didi ka haath apne lund par
rakha to ussne ladkhadati awaz mein kaha," Rocky abhi nahin!!Pehle
dikhayo Vinod behanchod kisske saath hai sala rang rajian mana raha
hai" Main didi ko le kar jijja ji ke room ki taraf le gaya aur darwaza
khol diya. Kismat ki baat thee ki un logon ne lock nahin kia tha.
Bistar par Neeta nangi jijja ji ke neechey padi thee aur jijja ji
usska jism chum rahe thay." Neetu meri jaan, jab se vo kutti Radha
aayi hai, hum ko to chhup chhup kar chufdayi karni pad rahi hai!! Mera
dimag kharab ho gaya tha jo maine uss se shadi kar li!! Sali dhung se
chodne bhi nahin deti aur na hi ussko chudayi ka koi gyan hai. Aur
usske samne tujhe didi kehna padta hai, ye baat alag hai. Asal mein to
sali vo meri didi hai aur tu mera maal, Neetu meri rani behna main to
tujhe apni patni maan chuka hoon,sach!!" Neeta jija ji ke lund ko tham
kar boli,"Aur bhaiya main aapko apna pati maan chuki hoon. Esse chhup
chhup kar kab tak milte rahenge Bhaiya?"
"O behanchod Vinod, tu iss madarchod randi ko bana lo apni patni!!!
Aur Neeta, tu iss behanchod ko bana lo apna pati!! Vinod main ja rahi
hoon aur tumko dekhungi court mein talak ke case mein!!!" Didi ki awaz
kaamp rahi thee. Main ussko kheench kar room mein le gaya aur didi fir
se whiskey peene lagi. Iss halat mein didi ko ghar nahin le ja sakta
tha. Didi pee kar behoshi ki halat mein so gayi aur agle din main
ussko ghar le aaiya. Maa ne puchha kia baat hui to maine kaha baad
mein bataunga. Didi sara din soti rahi. Dopahar ko maine maa ko sari
baat batayi," Maa, vinod sala didi ko koi sukh nahin de sakta. Neeta
hi usski patni hai usske liye, maa!! Didi ko to ek khilauna bana kar
rakha hai uss kamine ne. Kal raat to didi ne khud dekha hai ussko
Neeta ke saath bistar mein. Ab main didi ko Vinod ke saath nahin rehne
doonga. Meri itni sundar behan ki zindagi barbad nahin hone doongga.
Akhir main didi se pyar karta hoon!!" Maa mujhe gaur se dekhti rahi.
Zarur mere chehre se vo mere man ko bhaamp gayi thee. Jiss tarah maine
didi ko tham rakha tha maa se chhupa nahin tha."Rocky, sach bata kia
baat hai? Tu ani behan ka ghar barbad karen par kion tule huye ho? Tum
apni behan ke saath lipate huye thay jab vo ghar aayi. Kahin tum khud
hi to apni behan se pyar nahin karte?"
kramashah.......................

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