तुम तो बड़े शर्मीले हो
प्रेषक - शामनमस्ते दोस्तों
मेरा नाम शाम है। अब मैं आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। मैं गुजरात के एक शहर में रहता हूँ।
मेरा घर एक सरकारी कॉलोनी के पास है। मैं क़रीब २२ साल का था। तब मैंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की और अभी कोई नौकरी पर नहीं लगा था। तब मैं और मेरे दोस्तों ने मिलकर एक धंधा शुरु किया। जिसमें हम पास की सरकारी कॉलोनी, जहाँ पर सभी लोग बाहर से रहने आते थे, उनको यह पता नहीं होता था कि इस शहर में कौन सी चीज़ कहाँ मिलती थी, उन्हें हम उनके काम का सामान घर तक पहुँचवाने का काम करते थे, और इससे अच्छी कमाई होती थी।
अब मैं कहानी पर आता हूँ।
वैसे तो मैं और मेरे दोस्त बड़े ही रोमांटिक थे और वहाँ की औरतें भी काफ़ी सेक्सी होतीं थीं। मीना जो कि एक क्लास टू ऑफिसर की बीवी थी, उनकी शादी को अभी कुछ ही महीने हुए थे। वह देखने में बहुत ही सेक्सी थी। उसकी फिगर ३४-२८-३८ होगी। ऊँचाई क़रीब ५.८ होगी। मेरी नज़र पहले दिन से ही उस पर थी। ख़ास कर उसके चूतड़ों को देखकर मैं पागल ही हो जाता था। दिन में एक बार तो किसी न किसी बहाने से उसके घर चला ही जाता था। बहाना न हो तो भी मैं 'कुछ चाहिए', यह पूछने के बहाने चला जाता था। अक्सर उसका पति जो कि ऊँची पोस्ट के कारण सुबह ९:३० को चला जाता था और शाम को देर से आता था। तब से मैं यह ख़्वाब देखता था कब जा कर मैं इस को चोदूँ और हर रोज़ उस के ख्याल से मैं मुठ मारता था।
एक दिन की बात थी जब मैं कुछ सामान देने के बहाने उनके घर शाम को गया तब घर का दरवाज़ा खुला था। और मैं बिना थोक किए बिना ही घुस गया। मैंने देखा तो मीना सिर्फ ब्रा और पैन्टी में ही थी और आईने के सामने बैठकर तैयार हो रही थी। मुझे देख उसने कोई हरक़त नहीं की, ना ही अपने आप को ढँकने की, न ही घबराई। और मैंने जैसे शर्म आ रही है, ऐसा नाटक करते हुए सॉरी कह कर घर से बाहर जाने का उपक्रम किया।
उसने कहा- अरे तुम कहाँ जा रहे हो? तुम तो बड़े शर्मीले हो। क्या इससे पहले तुम ने कभी किसी औरत को इस तरह नहीं देखा है?
मैंने कहा- नहीं !
क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैंने कहा- है ! लेकिन मैंने अभी तक उसके साथ कुछ भी नहीं किया।
तो उसने पूछा- क्यों नहीं किया।
अब धीरे-धीरे वह मेरे बहुत ही क़रीब आ गई। मैं समझ गया इसके इरादे कुछ ठीक नहीं लगते। फिर मैंने भी मौक़े की नज़ाकत को जान के अपने एक हाथ को उसकी जाँघ पर और दूसरे को उसके कंधे पर रख दिया। वो तो जैसे इसी के लिए तैयार थी।
मैंने हिम्मत करके धीरे-धीरे उसकी चूचियों पर ब्रा के ऊपर से ही सहलाने लगा। मैंने पूछा कि आईने के सामने बैठी थी, कहीं बाहर जाने वाली हो क्या?
तो वह बोली- मुझे पता था कि तुम इसी समय आते हो तो मैं तुम्हार ही इन्तज़ार कर रही थी।
तो मैंने पूछा- तुमको कैसे यह पता चला कि मेरी नज़र तुम पर है?
तो इस पर वह हँस कर बोली- एक दिन तुम्हें मेरे बदन घूर कर देखते हुए देख लिया था ! तुम्हारे साहब रात को क़ाफी देर से आते हैं, हफ्ते में चार दिन वह शराब पी कर आते हैं और बाकी उनको नौकरी की टेंशन रहती है तो हमारे बीच में महीने में एक-दो बार ही सम्बन्ध बन पाते हैं। मैं कॉलेज के समय से ही खूब चुदक्कड़ रही हूँ, मेरी चूत प्यासी रहे यह तो मुझसे सहन नहीं होता। पहले दो महीने सामने वाले पटेल साहब का लड़का उसके साथ सेटिंग हुई, लेकिन फिर वह विदेश पढ़ने चला गया। इतने में तुम आए और मेरी नज़र तुम पर पड़ी, तब मैंने तुमसे चुदवाने का मन बना लिया था। लेकिन तुम मुझे कुछ इशारा ही नहीं देते थे, इसीलिए आज मैंने तुम्हें खुला इशारा देने का मन बना लिया था।
यह कह कर वह मुझसे लिपट गई। मैं भी जैसे तैयार था। पहले मैंने उसकी ब्रा को खोला और मेरे सामने थीं दो हरी-भरीं नारंगी। उसकी चूचियों की घुण्डियों का रंग हल्का गुलाबी था और मैं बस उसपर टूट पड़ा। फिर उसने मेरे कपड़े उतारना शुरु किया। अब हम दोनों पैन्टी-अन्डरवीयर में थे। हम दरवाज़ा बन्द करना भूल गए थे।
उसने कहा- तुम अन्दर बेडरूम में जाओ, मैं दरवाज़ा बन्द कर आती हूँ।
मैं अन्दर रूम में पहुँचा, तब मैंने देखा कि रूम अच्छी तरह से सजाया था और कोने की टेबल पर सेक्सी तस्वीरों वाली पत्रिकाएँ थीं।
मैंने कहा- ये तुम पढ़ती हो?
"मैं अपनी दोस्त से पढ़ने के लिए लेती हूँ।"
"कौन सी दोस्त? वो मिसेज़ पटेल?"
तो उसने कहा "हाँ।"
"वह भी तुम्हारी तरह मस्त और सेक्सी है।"
"पहले मेरी प्यास बुझाओ फिर मैं उसके साथ तुम्हारी सेटिंग करवा दूँगी।"
अब उसने कमरे का ए.सी. चालू किया। फिर वह मेरे क़रीब आई और मेरे लंड को जो कब से उसे देखकर बाहर आने को बेक़रार था को अन्डरवीयर के ऊपर से ही सहलाना शुरु कर दिया। इसके बाद उसने उसे उतार दिया।
मेरा लंड जो कि ८" लम्बा और ३" मोटा था, उसे देखकर बोली "आज तक मैंने इतना तगड़ा और लम्बा नहीं देखा है। आज तो बहुत मज़ा आने वाला है। आज मैं तुम्हें वह सुख दूँगी जो तुम्हें सपनों में ही मिलता होगा।"
यह कह कर वो मेरा लंड अपने हाथ में लेकर उससे खेलने लगी, फिर उसे अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी, साथ ही मेरे अंडकोष भी चाटने लगी।
मैंने कहा,"अब मुझसे रहा नहीं जाता, क्योंकि यह मेरा पहली बार है।"
"डार्लिंग यह तो शुरुआत है, आगे-आगे देखो होता है क्या!"
और वह घोड़ी बन गई और बोली,"बहुत दिन हो गए, मेरी किसी ने गाँड नहीं मारी। तुम मेरी यह तमन्ना आज पूरी करो।"
और सच में उसको जो पीछे से करने में जो मज़ा था वह अलग ही था। क़रीब १५ मिनट तक मैंने उसको पीछे से ही शॉट्स मारे। फिर वह सीधी हुई और मेरा मुँह अपनी चूत के पास ले गई, और मैं उसे चाटने लगा। मेरा एक हाथ उसकी दाईं चूची को दबा रहा था। अब हम 69 की मुद्रा में आ गए। वह काफी उत्तेजित हो चुकी थी और मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूम रही थी। मैं भी बहुत जोश में आ गया था।
अब उसने कहा कि अब मुझसे रहा नहीं जाता, चोदो मुझे।
फिर मैंने अपना लंड जो कि बहुत ही तड़प रहा था, उसकी चूत पर रख दिया और धक्का दिया। मेरा ४" उसकी चूत में जा चुका था और वह सिसकियाँ लेने लगी। फिर मैंने दूसरे धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। मुझे उसकी चूत की गरमी का अहसास पागल बना रहा था।
अब मैंने थोड़ी रफ्तार बढ़ाई, तो उसने भी कहा- और ज़ोर से, और तेज़। बस मुझे चोद दो।
और मैं साथ-साथ उसके पूरे गोरे बदन का मज़ा ले रहा था। कभी उसके होंठ, तो कभी-कभी उसकी चूची चूस कर। बस फिर क्या था, वह झड़ गई और मैंने भी कहा - मैं भी झड़ने वाला हूँ !
उसने कहा- तुम अन्दर मत झड़ना, मैं तुम्हारा रस पीना चाहती हूँ। तब मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और उसके मुँह पर पिचकारी मारी, उसने सारा पानी पी लिया।
ऐसा बहुत दिनों तक हुआ। मिसेज़ पटेल को कैसे चोदा, वो अगली कहानी में बताऊँगा।
मुझे मेल करके बताएँ कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी।
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