FUN-MAZA-MASTI
योवन कपोत-1
हेल्लो फ्रेंड्स में अनुज सिंह ,देल्ली का रहनेवाला हूँ . एक कंपनी में सेल्स मेनेजर हूँ और मध्य प्रदेश में पोस्टेड हूँ. दिसम्बर २००5 की बात ही, में टूर पर था. मुझे खरगोन से धार जाना था. और रस्ते मेंतीन जगह रुक कर पेमेंट लेने थी. यहाँ बहुत ज्यादा ठण्ड नहीं पड़ती. दोपहर तक मौसम ठीक था पर शाम होते -२ बादल हो गए और ठंडी हवा चलने लगी . जब मै लास्ट पॉइंट से निकला तब तक शाम हो गए थी और वास्तव में , मै लेट हो गया था. यहाँ से धार लगभग ४ घंटे का रास्ता था.मैंने टाइम देख ५.३० बज चुके थे. मैंने अपनी गाड़ी स्टार्ट की और चल पड़ा . रोड खली थी. मैंने पेग बनाया और मौसम का मज़ा लेते हुए चल पड़ा. थोड़ी देर में तेज बारिश शुरू हो गयी.पर में मजे से जा रहा था. सड़क काफी ख़राब थी और एक दो गाड़ी कभी -२ नज़र आते थी. अंधेरे में मुझे पता ही नहीं चला और मेरी गाड़ी सड़क पर एक गड्ढे में फंस गयी. मैंने निकलने की कोशिश की पर नहीं निकली मै किसी गाड़ी के आने का इंतजार करने लगा लहभग १५ मिनट बाद एक बस आई मैंने उसे रोक्का और उस से हेल्प मांगी उस में सवार कुछ लोगो ने मेरी गाड़ी निकलवा दी.तभी ड्राईवर ने पूछा आप कहाँ जा रहे हो, मैंने कहा धार, उसने कहा ध्यान से जायेगा रोड बहुत ख़राब हे और लूट का खतरा भी हे. कोई भी रोके मत रुकना. और अगरमेरी बात ठीक लगे तो किसी सरकारी गेस्ट हाउस में रुक जाओ सुबह चले जाना, मैंने उससे पूछा तो वो बोला की आप दल्ल्ली के हो आप को नहीं पता ये खतरनाक एरिया हे. अगर बड़ा बुजुर्ग समझ कर मनो तो ठीक नहीं तो तुम्हारी मर्जी. मैंने उसके और ध्यान से देखा और पूछा कितने दूर हे गेस्ट हाउस. वो कहने लगा आगे जाओगे तो लगभग ५ किलोमीटर हे और अगला उसके १५ कम पर . पीछे जाओगे तो लगभग १२ किलोमीटर पर. मैंने उसे धन्यवाद् कहा और चल दिया. पर डर लगने लगा. थोड़ी देर में गेस्ट हाउस आ गया में रुकने वाला था पैर तभी मुझे ख्याल आया कही मुझे फसाया तो नहीं जा रहा. सो में मै नहीं रुका और गाड़ी दौरा दी. घडी देखि ७.३० बज गए थे और में अभी आधे रस्ते से भी कम पहुंचा था. बारिश भयंकर हो रहे थी. मैंने दूसरा गेस्ट हाउस भी क्रोस कर दिया और लगभग ५ किलोमीटर चला था की गाड़ी में पंचर हो गया, मेरी गांड फट गयी, मेरे मन में आ रहा था बेटा अनुज घर वाले बस इंतजार करते रहेंगे मै ने मोबाइल चेक किया नो नेटवर्क, फटी गांड हलक में आ गयी , मै ने गाडी ऐसे ही चलने की सोची पर टायर की माँ चुद चुकी थी, मज़बूरी में मैंने उत्तर कर जैक लगाया और स्टेपनी बदली, और दोस्तों आप विश्वास करो गे मैंने सिर्फ ८ मिनट में पहिया बदल कर चल पड़ा था. अगर और कोई स्थिति होती तो आधा घंटा लगता. लेकिन मैंने सोच लिया जो भी पहली जगह मिले गी वही रुक जाऊंगा . बारिश ने से मेरे कपडे भीग गए थे. और ठण्ड लग रही थी मैंने एक पेग नीट का लगाया और चलता रहा. थोडा आगे मुझे एक बिल्डिंग दिखाए दी. मैंने गाडी गेट में घुसा दी. पर वह क ोई नहीं था. मैंने आवाज लगाये पर सन्नाटा . मैंने टोर्च से देखा वो कोई स्कूल था , मैंने सोचा कोई चौकीदार होगा और दुबारा आवाज़ लगाये. तभी एक औरत की तेज आवाज़ आयी ए कौन हे क्यों शोर मचा रहे हो. लेकिन अंधेरे में दिखाए कुछ नहीं दिया , मैंने अपने बारे में बताया और रात को रुकने के लिय कहा. लेकिन उसने ना कहा दिया. मैंने रेकुएस्ट की तो उसने टोर्च की रौशनी से मुझे देखा , बाप टोर्च क्या थी सर्च लाइट थी फिर मेरा ID CARD माँगा मैंने दिया तो उसने कहा ठीक हे , सामiन उतार लाओ
मैंने सामन उतरा और उसके पीछे-२ एक कमरे में पहुंचा,आप कपडे बदल लो और दुसरे कमरे में आ जाना. मै तब तक खाना तैयार करती हूँ कहकर वो चली गयी. मैंने कपडे बदले और उसके बारे में सोचने लगा. लेकिन समझ नहीं सका, मैंने उसका चेहरा ठीक से नहीं देखा था. उसने साडी पहने थी और शाल ओढ़ रखा था जो की उसके सर को ढके था. दुसरे कमरे में अलाव जल रहा था और वहां एक छोटी लाइट थी पर उसके रौशनी काफी कम थी वो वहीँ रसोई में खाना बना रही थी मुझे ठण्ड लग रही थी तभी मैंने वहां रखी सिगरेट देखी तो मैंने उस से सिगरेट की पूछ ले. उसने हाँ कहा और कुछ देर में मेरे पास रखी कुर्सी पर बैठ गयी. मै उसे देखकर उसकी उम्र के बारे में अंदाज लगाने की कोशिस कर रहा था पर उसने चेहरा इस तरह धक् रखा था की पता नहीं चल रहा था. वो फिर रसोई में चली गयी जब वो वापस आयी तो उसके हाथ में व्हिस्की का गिलास था. बड़े सपाट शब्दों में बोली मेरे पास और नहीं है इसलिय नहीं पूछ सकतीमेरी गाडी में है मैंने कहा. चलो ले आते हैं कहकर वो चल दी उसने खिड़की में से बहार देखा और कहा तुमने गाडी इतनी दूर क्यों खरी की. एक काम करो अन्दर ले आओ मै बड़ा दरवाज़ा खोलती हूँ. और वो दुसरे तरफ चल दी मै उसके पीछे-२ बाहर आ गया हलकी बारिश हो रही थी उसने गेट खोलते हुए कहा ध्यान से जाना और जल्दी वापस आना बहार कोई भी हो सकता है. मै लगभग दौड़ता हुआ गाडी में बैठा ही था के कुछ लोग दौड़ते हुए मेरी तरफ आये और तभी एक बन्दूक की आवाज़ आयी धाय . मेरी तो गांड हलक में आ गए मैंने गाडी दौड़ा दी और गेट में घुसते ही दौड़ कर गेट बंद किया. मेरा हलक खुश्क हो रहा था मैंने पानी पिया और फिर बोतल और सिगरेट उठाई और उसके साथ चल दिया. मेरे मन में बार-२ यही आ रहा था बेटा आज तो दारू के चक्कर में जान गए थी. अन्दर आकर मैंने बोतल रख दी मेरी टी शर्ट हलकी भीग गयी थी तभी मै एक बार फिर चौंक पड़ा उसने अपना शाल उतारा और एक ख़ूबसूरत लगभग २४-२५ साल की लडकी मेरे सामने थी लेकिन तभी एक और झटका लगा उसने एक पिस्तोल टेबल पर रख दी. मै उसका चेहरा देख रहा था, गोली मैंने चलायी थी वो बोली. और अन्दर रसोई में से कुछ नमकीन और गिलास लाई. और मेरे लिए पेग बना दिया.
तभी इन्वेर्टर की बीप आने लगी और अँधेरा हो गया . उसने एक मोमबत्ती रसोई में जला दी जिससे सिर्फ इतनी रौशनी हो रही थी की ये कह सकते थे की अँधेरा नहीं है बाकि दिखाई कुछ नहीं दे रहा था.थोड़ी देर बात करते -२ हम काफी खुल गए और हमरे बीच मजाक और जोक शुरू हो गए. इस बीच मै ने तीन पेग लिए जबकि उसने सिर्फ एक लिया हमने खाने खाया और उसने मेरे लिए अलाव के पास ही बिस्तर लगा दिया हम दोनों वही बैठ कर बात करते रहे. बातों -२ में उसने मेरे बारे में सब कुछ पूछ लिया और अपने बारे में बताया की उसका नाम चांदनी है वो यहाँ टीचर है और कुछ और टीचर के साथ यहाँ रहती है छुटियोंके कारन बाकी सब चले गए पर उसका कोई नहीं है इसलिए वो यहाँ ही रहते है . उसने मेरे प्रोग्राम के बारे में पूछा तो मैंने उससे कह दिया के मै कल सुबह चला जाऊंगा. कल तो सन्डे है तुम्हारी छुट्टी नहीं है. चांदनी ने पूछा, है मैंने कहा , कल यहीं रुक जाओ आस पास काफी खुबसूरत जगह है घूम के आते है सोमवार को चले जाना. ठीक है मैंने कहा. थोड़ी देर बात करके हम अपने-२ बिस्तर पर सो गए मै अभी तक ठीक से न तो उसका चेहरा देख पाया था न ही उसके बारे में ठीक-२ आईडिया लगा पा रहा थातभी इन्वेर्टर की बीप आने लगी और अँधेरा हो गया . उसने एक मोमबत्ती रसोई में जला दी जिससे सिर्फ इतनी रौशनी हो रही थी की ये कह सकते थे की अँधेरा नहीं है बाकि दिखाई कुछ नहीं दे रहा था.थोड़ी देर बात करते -२ हम काफी खुल गए और हमरे बीच मजाक और जोक शुरू हो गए. इस बीच मै ने तीन पेग लिए जबकि उसने सिर्फ एक लिया हमने खाने खाया और उसने मेरे लिए अलाव के पास ही बिस्तर लगा दिया हम दोनों वही बैठ कर बात करते रहे. बातों -२ में उसने मेरे बारे में सब कुछ पूछ लिया और अपने बारे में बताया की उसका नाम चांदनी है वो यहाँ टीचर है और कुछ और टीचर के साथ यहाँ रहती है छुटियोंके कारन बाकी सब चले गए पर उसका कोई नहीं है इसलिए वो यहाँ ही रहते है . उसने मेरे प्रोग्राम के बारे में पूछा तो मैंने उससे कह दिया के मै कल सुबह चला जाऊंगा. कल तो सन्डे है तुम्हारी छुट्टी नहीं है. चांदनी ने पूछा, है मैंने कहा , कल यहीं रुक जाओ आस पास काफी खुबसूरत जगह है घूम के आते है सोमवार को चले जाना. ठीक है मैंने कहा. थोड़ी देर बात करके हम अपने-२ बिस्तर पर सो गए मै अभी तक ठीक से न तो उसका चेहरा देख पाया था न ही उसके बारे में ठीक-२ आईडिया लगा पा रहा था जब मै सुबह उठा तो चांदनी वहां नहीं थी मै टोइलेट गया. जब वापस आया तब भी चांदनी कमरे में नहीं थी मै उसे धुंडने लगा तभी मुझ एक दरवाजे के पीछे से पानी की आवाज़ आयी मै समझ गया वो अन्दर नहा रही है. और भाई मेरे कमीने दिमाग में उसे देखने की इच्छा होने लगी मैंने इधर उधर से कोशिश की पर कुछ नहीं दिखा हार कर वापस आ गया और धुप मै बैठ कर सिगरेट फूंकने लगा. कुछ देर बाद चांदनी कपडे सुखाने आयी और बोली मै नाश्ता बना रही हूँ तुम तब तक नहा लो. उसने मुझे बाथरूम दिखाया . उसका रास्ता अन्दर से ही था. जहाँ मै देख रहा था वहां कुछ नहीं था. मैंने ब्रुश करके शेव बनाई और नहा के जींस और टी शर्ट पहन ली. जब मै उसके कमरे में गया तो नाश्ता टेबल पर लगा रही थीउसने सलवार कमीज़ पहना था . और कल से अब तक पहली बार उस का दुपट्टा हल्का सा अपनी जगह से हिला था और मुझे उसकी हलकी से क्लेवेज़ और चेहरा दिखाई दी पर सिर्फ १-२ सेकंड के लिए . नाश्ता करके उसने कहा कुछ सामान रखा है गाड़ी में रख लो तब तक मै तैयार हो कर आती हूँ.
मैंने गाडी मै सामान रखा. सारी रात की बारिश से गाडी धुल चुकी थी. मैंने सामने वाले शीशे पे कपडा मारा और सिगरेट जला ली लगभग ५ मिनट में वो आयी यार सही मायने में मैंने उसे पहली बार देखा था क्या गजब माल देखते ही दिमाग घूम गया.लगभग ५.५ फिट हाईट गोरा रंग जैसे दूध में हल्का सा सिन्दूर मिला दिया हो बड़ी-२ ऑंखें लम्बी पतली सुराहीदार गर्दन उन्नत वक्ष सपाट पेट चौडे नितम्ब लम्बी हलकी मांसल टाँगे गदराया बदन खुले लम्बे बाल उसके गालों को बार बार चुमते, पतले गुलाबी होठ जिन्हें देख कर किसी का भी ईमान ड़ोल जाये. .ऐसा लगा अभी बेहोश हो जाऊंगा वो इस्किन फिट जींस और शोर्ट शर्ट पहने थी.उसकी शर्ट इतनी टाईट थी की उसकी दोनों गोलाइयां शर्ट फाड़ कर बहार निकलने को बेताब थी. चांदनी मेरे बराबर से गुजरी तो हवा में मस्त खुसबू छोड़ गयी.वो सीधी गेट पे गयी और गेट खोलने लगी मेने गाडी स्टर्ट की और बाहर आ गया. उसने दरवाज़ा बंद किया, इस बीच मैंने गाडी में फ्रेशनर का स्प्रे कर दिया. गाडी में बैठते ही उसने मुझे रास्ता बताया मै मंत्र मुघ्द सा चलने लगा उसने सिगरेट जलाई और आराम से बैठ गयी. . मै चुपचाप गाड़ी चला कर रहा था उसने मुझे सिगरेट दी .मै सोच रहा था की मैंने कल रात से उसे देखा नहीं या ये लड़की कोई और है . मैंने अपने दिमाग पे जोर डाला तो ठीक-२ याद आया रात तो लगभग अँधेरा था और उसने शाल ओढा था. और सुबह भी उसने दुपट्टा सर पर ओढा था और मेरे सामने नहीं आ रही थी. कुछ देर चांदनी चुप चाप बैठी रही पर थोड़ी देर में वो बात करने लगी. कुछ देर में हम जंगले में पहुँच गए और घूमते-२ एक झरने के किनारे हम ने गाडी रोक दी . उसने गाडी में से सामान उतरा और मुझे जग दिया मै पानी ले आया, चांदनी गाडी के बोनट पे बैठी थी दो गिलासों में व्हिस्की थी दो पलते में नमकीन चिप्स और फ्रेंच फ्रैयी थी. मैंने मुजिक सिस्टम की आवाज़ बढ़ा दी , अब हम दोस्तों की तरह बात कर रहे थे और एन्जॉय कर रहे थे . दो-२ पेग लगाते -२ हम मस्ती करने लगे और पैदल घुमने चल दिए अब हम दोस्तों की तरह बात कर रहे थे और एन्जॉय कर रहे थे सरुर हम दोनों पर था मैंने उससे पूछा अगर कोई शेर आ जाये तो वो जुली स्टाइल बोली मै शेर से कहूँ वो तुम्हे छोड़ दे मुझे खा जाये . क्यों मैंने पूछा. मेरी ज़िन्दगी में है ही कौन जिसके लिया जीना, तीन फायेदे होंगे तुम्हारी जान बच जायेगी शेर को खाना मिल जायेगा और मै इस ज़िन्दगी से निकल जाउंगी और फिर से मस्ती करने लगी. घुमते-२ हम वापस अपनी गाडी पे पहुंचे भूक लग चुकी थी. हमने १-१ -1 पेग और लगाया और खाना खाने लगे. खाना खाकर हम फिर घुमने चल दिए . थोड़ी देर में वापस आकर हम झरने के किनारे बैठ गए. और पेग लगाने लगे.
कई चीज एक साथ हो रही थी रोमांटिक मौसम, जंगल की तन्हाई , हलकी आवाज़ से बहेता झरना ख़ूबसूरत लड़की और शराब का सरुर. ये कहना मुश्किल है की नसः किसका था शराब का ,मौसम का ,या हुस्न का. अचानक चांदनी बोली चलो झरने के बीच में बैठेंगे . हम धीरे -२ पत्थरों पे चलते हुए जा रहे थे की एक पत्थर थोडा दूर था मै पहले पहुंचा और उसका हाथ पकड़ कर उसे भी खींच लिया. छोटे से पत्थर पे हम दोनों आमने सामने खड़े थे चांदनी का चेहरा और उभार मेरे से नाम मात्र की दुरी पे थे मैंने उसकी आँखों में देखा वो मुझे देख रही थी. और अचानक मेरा हाथ उसकी कमर पे कस गया और मेरे होठ उसके होठों से छु गए पर वो वहीँ चिपक कर रह गए. उसकी ऑंखें बोझिल होते हुए बंद होने लगी और चांदनी ने मुझे अपनी बाहों में कास लिया चांदनी किसी लता की तरह चिपक गयी उसके गुलाबी रसीले होठ मेरे होठों से चिपक गए थे . योवन कपोत मेरे सीने में घुस रहे थे मै उनकी कठोरता अपने सीने पे महसूस कर रहा था, मेरा पप्पू अपना सर उठा चूका था टाइट जींस जगह नहीं दे रही थी पर उसका एहसास चांदनी महसूस कर रही थी उसने मुझे अपनी बाँहों में कस लिया था और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे में समां जाएगी . थोड़ी देर में वो अलग हुई और बराबर के पत्थर पे बैठ गयी. उसकी साँसे तेज चल रही थी उसकी शर्ट और ज्यादा टाईट हो गयी थी योवन कपोत बहार आने को उतावले हो रहे थे हमारे होंठ चुप थे और शायद हम दोनों निगाह चुरा रहे थे. मैंने गिलास उठा के चांदनी की तरफ बढ़ा दिया और अपने लिए सिगरेट जला ली उसने एक ही सिप में पूरा पी लिया और हाथ बढ़ा के सिगरेट मांग ली. उसकी सांसे तेज थी उसे जोर दे खांसी आ गयी वो खडी हो गयी पर खांसी अब भी आ रही थी मै उसके पास गया और धीरे -२ उसकी कमर सहलाने लगा थोड़ी देर में वो नोर्मल हो गयी वो अलग हुई और बहार की तरफ चल दी. मै उसके पीछे-२ बहार आ गया. चांदनी ने सारा सामान गाड़ी में रखा मेरी तरफ मुड कर देखा और बोली घूम के आयें और गाड़ी में बैठ गयी हम जंगल में अन्दर चले गए एक जगह गाड़ी रोक कर उतर गए. चांदनी ने कोल्ड ड्रिंक की बोतल में व्हिस्की दल ली और सिप करके बोली अब ठीक है. चलो घूमते हैं कहकर वो आगे -२ चलने लगी मै पीछे था जींस में कसे उसके नितम्ब उबड़ खाबड़ रस्ते पे और ज्याद मदमस्त लग रहे थे. थोड़ी दूर जा कर हम रुक गए आगे गहरी खाई थी. चांदनी एक पत्थर पे बैठ गयी. मै उस से कुछ दूर एक छोटे से पत्थर पे बैठा था. तभी चांदनी ने हाथ ऊपर करके अंगड़ाई ली और हुस्न का नज़ारा मेरे सामने था, उसके हाथ ऊपर करते ही उसके शोर्ट शर्ट काफी ऊपर हो गयी और उसका गोरा चिकना पेट और साइड मेरी आँखों को सुख दे रही थी लेकिन जल्दी ही उसे एहसास हो गया और उसने अपने हाथ निचे कर लिए. हम जंगल के बारे में बात कर रहे थे तभी चांदनी ने इशारे से मुझे बुलाया वो देखो कहते हुए उसने अपनी ऊँगली एक पेड की तरफ कर दी बहुत सुंदर चिड़िया बैठी थी चांदनी मेरे कंधे पे हाथ रख कर पत्थर पे खडी हो गयी उस का पेट मेरे चेहरे के सामने था वो चिड़िया देख रही थी और मै उसका पेट. उसे भी एहसास हो गया तो वो निचे उतर ने लगी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी मै उसकी कमर थाम चूका था और जैसे ही वो निचे आयी मैंने अपने होठो को उसके जलते हुए लबों पे रख दिया दो जवान जलते लब जलने लगे और जलते हुए अपनी प्यास बुझाते रहे. मेरे हाथ उसके नितम्बो और कमर पे कसे थे थोडा होश आया तो मै उस से अलग हुआ और पत्थर पे बैठ गया पर अब चांदनी मदहोश हो चुकी थी वो मेरी गोद में बैठ गयी और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी उसकी चुचिया मेरे सीने पे दब गयी थी वो थोडा अलग हुई और एक बार फिर मेरे चेहरे पे अपने गालों का एहसास देने लगी कुछ देर बाद वो अलग हुई और वही घास पे बैठ गयी उसकी साँसे उखड रही थी मै उठ कर उसके पास बैठ गया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया और धीरे -२ घास पे लिटा दिया और उसे चूमने लगा मेरे हाथ उसके पेट और जांघों पे थे मै एक पल के लिए अलग हुआ तो वो घास पे करवट बदलते हुए खडी हो गयी और मुझे जीभ दिखाते हुए भागने लगी अमी उसके पीछे भागा तो वो जोर से चिल्लाई बोतल ले के आना मुझे रुकना पड़ा वो भी रुक गयी थी.हम धीरे-२ चलते हुए गाडी तक पहुंचे वो बोनट पे बैठ गयी मै उसके सामने खड़ा था. और बरी-२ से बोतल से पे रहे थे . उसने आखरी सिप करते हुए बोतल खाली की. और मेरे से सिगरट ले कर कश लगाने लगी . उसकी छातियाँ मुझे मदहोश कर रही थी ऐसे क्या देख रहे हो चांदनी ने कहा और मेरे सब्र का बांध टूट गया मैंने उसे कस के पकड़ लिया और चांदनी के गालों ,होंठों पे चुम्बन लेते हुए नीचे की और बढ़ने लगा जैसे ही मरे लबों ने उसकी गर्दन को छुआ वो पीछे लेट गयी और मै साइड होते हुए उसके सीने पे अपना चेहरा रगड़ ने लगा उसकी उँगलियाँ मेरे बालों में उलझ गयी. मै धीरे -२ नीचे की और चल दिया और मेरे गाल उसकी छातियों पे थे उसने मुझे कस के भींच लिया. मै उसकी चुचियों का आनद ले ही रहा था की अचानक मुझे लगा जैसे कोई आस पास है मै एक दम अलग हुआ और इधर उधर देखने लगा पास ही २-३ हिरन नजर आ गए हम उन्हें देखने लगे लेकिन उस का मूड कुछ और था वो फिर मेरे से चिपट गयी और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी अपनी चुचियों पे मेरा चेहरारगड़ने लगी मै उसकी मदमस्त चुचियों का मज़ा ले रहा था के अचानक वो रुक गयी और अलग हो गयी बस और नहीं वापस चलो कहते हुए वो गाडी में बैठ गयी और पानी पी ने लगी उसकी हालत अजीब से थी उस ने सिगरट जलाई और जल्दी -२ कश ले ने लगी. लगभग २०--- -मिनट में हम पहुँच गए उसने दरवाजा खोला, मै सोना चाहती हूँ प्लीज़ डिस्टर्ब मत करना कह कर अन्दर चली गयी मैंने गाडी खडी की दरवाज़ा बंद किया और कमरे में पहुंचा चांदनी कम्बल ओढ़ कर लेट चुकी थी २ बजे थे . मै भी दुसरे बिस्तर पे सो गया जब आँख खुली तो चांदनी मेरे ऊपर झुकी थी और उठा रही थी अभी भी वो उन्ही कपड़ो में थी. मेरे आंख खोलते ही बोली क्यों इतनी पीते हो जब संभलती नहीं है चलो उठो चाय पी लो . मेरा सर उसे अपने इतने पास देख कर घूम गया और मैंने उसे कमर से पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया अगले ही पल वो मेरी बाहों में थी और मैंने उसके नर्म होठो को अपने होठों में गिरफ्तार कर लिया मेरा एक हाथ उसकी कमर पे फिसल रहा था और दूसरा उस के नितम्बो का जायजा ले रहा था. वो खामोश थी उस की शोर्ट शर्ट थोड़ी ऊपर हो गयी और मेरा हाथ उसकी नर्म मुलायम कमर को छु भर पाया था की वो जोर से लिपट गयी पर ये आनंद पल भर का था वो एक दम खडी हुई और रसोई की तरफ दौड़ गयी. मैने टाइम देखा ५ बजे थे थोड़ी देर में मै और वो चाय पी रहे थे . फिर हम बाहर घुमने लगे बात काफी खुली -२ होने लगी उसने पुछा आर यु वर्ज़न मै मुस्कराया हाँ मैंने कहा. वो जोर से हंसी कोई मिली नहीं या बता नहीं रहे . कोई मिले नहीं मैंने कहा. तभी लाइट आ गयी . रात होने लगी थी भूक लग रही है मैंने कहा. अन्दर चलो खाना १० मिनट में तैयार हो जायेगा. वो रसोई में चली गयी. मैंने TV चला लिया. ६.४५ बजे थे .बोटेल कहाँ है मैंने पूछा. ख़तम हो गयी है . चांदनी बोली थोड़ी देर में खाना लग गया हमने दोनों ने खाना खाया. वो रसोई में बर्तन साफ़ करने लगी. ७.३० बजे तक वो काम ख़तम करके आ गयी . आप TV देखो मुझे थोडा काम है मै दुसरे कमरे में हूँ.कहकर वो चली गयी मै थोड़ी देर टीवी देखता रहा लगभग १ घंटा हो चूका था चांदनी नहीं आयी मै उसे देखने अन्दर गया लेकिन कहीं दिखाई नहीं पडी. एक कमरे का दरवाज़ा अन्दर से बंद था वो उस में थी. मैने आवाज़ लगाई तो चांदनी ने कहा 2 मिनट में आती हूँ. मै वापस टीवी देखने लगा. थोड़ी देर मे चांदनी आयी.मैंने सिगरट जला रखी थी उसने कपडे बदल लिए थे और एक नोर्मल सी नाईटी पहने थी. वो मेरे पास ही बेड पे बैठ गयी और सिगरट मांगी मैंने अपने मुहं का सारा धुआं उसके चेहरे पे छोड़ दिया उसने मुझे जोर से धक्का दिया तो मैंने उस कस के पकड़ लिया और बेड पे लिटा लिया और उसके चेहरे को चूमने लगा वो बोली रुको मै जैसे ही रुका वो बोली क्या इरादा है उसका इशारा समझ कर मैंने कहा तुम्हे खाना है चांदनी एक पल खामोश रही फिर बोली ५ मिनट बाद दुसरे कमरे में आओ कुछ बात करनी है. कहकर चांदनी चली गयी. और मुझे लगा यार ये तो के एल पी डी हो गयी . पर मै ५ मिनट बाद दुसरे कमरे में गया दरवाज़ा बंद था . जैसे ही मै ने दरवाज़ा खोला एक तकड़ा झटका लगा
कमरा टूएब लाइट की रौशनी में नहाया हुआ था गुलाब और फूलों की खुशबु उसे महका रहे थी. छोटी सी टेबल पर एक जग गिलास और पानी की बोतल रखी थी. कमरे के बीचों -बीच एक बेड पड़ा था जो की लाल और सफ़ेद फूलों से सजा था. और उस पर लाल कपड़ो में चांदनी बैठी थी ये मेरे लिए काफी था मै धीरे -२ बेड के पास गया और बेड पर बैठ गया वो घूँघट में बैठी थी मै धीरे से उसके पास बैठ गया और उसका घूँघट हटा दिया उसने मेरे तरफ देखा वो बिलकुल दुल्हन की तरह शर्मा रही थी मै उसके सामने बैठ कर उसे देखने लगा कुछ देर बाद वो बोली ऐसे क्या देख रहे हो. बहुत सुंदर लग रहे हो मैंने कहा और उसके हाथों को अपने हाथ में लेकर चूम लिया फिर उसके बराबर आकर बैठ गया और चांदनी को अपने पास बिठा लिया हम बात करने लगे और बात करते-२ मैंने धीरे से उसकी साड़ी का पल्लू उसके कंधे पर से हटा दिया और धीरे से उसके गालों पर एक चुम्बन ले लिया वो शर्मा गयी और मैंने तुरंत उसे अपनी बाहों में कस लिया वो भी मेरे से चिपक गयी कुछ देर बाद जब हम अलग हुए तो मैंने उसकी साड़ी का पल्लू एक तरफ कर दिया. उसके लाल ब्लाउज में कसे योवन कपोत बाहर की और झाँकने लगे,लो कट ब्लाउज में उसके ऊँचे पर्बतों की गहरी घाटियाँ दिखाई पड़ रही थी.जिसे देख कर किसी का भी दिल बईमान हो जाये. मैंने धीरे से उसके गले में पहना हुआ हार उतार दिया और उसकी गर्दन पे एक किस कर दी. और कब मेरे होठ उसके सीने पे जा पहुंचे पता ही नहीं चला मै उसे चूमता जा रहा था उसने मुझे अपनी बाँहों में कास लिया जैसे ही मै चांदनी की छातियों को चूमता उस के मुहं से आह निकल पडी. मै ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चोटियों को चूम रहा था वो मेरा सर अपनी छाती पे दबा रही थी. मुझे आगे जाना था मै चांदनी के पेट को चूम रहा था और वो हर पल का आनंद ले रही थी. नाभि को चूमा तो मेरी जीभ उसमे समां गयी. तभी चांदनी ने करवट ली और बेड से उतर गयी. उसने जग से दूध गिलास में डाला और मेरे होठो पे लगा दिया मैंने सिप किया और उसके मुहं से लगा दिया और उसे अपनी गोद में बीठा लिया हमने बारी -२ से सिप करते हुए गिलास खाली किया. वो गिलास रखने के लिये गयी तो मैंने चांदनी की साड़ी का पल्लू पकड़ लिया और धीरे-२ खींचने लगा साड़ी उसके बदन से अलग हो गयी. वो ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे सामने थी मैंने आगे बढ़कर उसका पेटीकोट उसके शरीर से अलग कर दिया वो शर्मा के फर्श पे बैठ गयी जैसे अपनी नग्नता को छुपा रही हो मैंने उसे गोद में उठाया और बेड पे लिटा दिया. मैंने अपनी शर्ट और जींस उतर दी और चांदनी के पास लेट कर उस से बात करने लगा वो हाँ ना में जवाब दे रही थी. बात करते -२ मैंने उसके ब्लाउज के हूक खोल दिए और कुछ ही पलों बाद वो लाल ब्रा और पैंटी में थी. उसकी ऑंखें बंद थी मै ने उसे चुमते हुए धीरे से उसकी ब्रा को आजाद कर दिया और पेंटी कब उसके बदन से अलग हुई ये तो मुझे भी ठीक याद नहीं मै उसे एक टक देख रहा था चांदनी वाकई बहुत सुन्दर थी.बड़ी-२ नशीली ऑंखें गुलाबी गाल, गुलाब की पंखुड़ी से होंठ लम्बी गर्दन पर्बतों जैसी ऊँची और कठोर छातियाँ और उन पे ऊपर गुलाबी घेरा और बीच में एक बड़ा सा अंगूर. मद मस्त चूचियां गोरा चिकना समतल पेट केले के पेड जैसी चिकनी पुष्ट जांघे और उनके बीच में छुपी एक प्यारी से थोड़ी उभरी हुई योनी. चिकना बदन कहीं एक बाल नहीं और अगर मै शायर या कवी होता तो कम से कम एक किताब उस पे लिख देता.कुछ देर देखने के बाद मैंने उसके होठों को चूम लिया और उसके बाद तो जैसे ज्वार आ गया मै उसके बदन को चूमता रहा और चांदनी मुझे कसती रही मेरे बदन से चड्डी बनियान कब अलग हुए पता ही नहीं चला हम एक दुसरे की बाँहों में समां रही थे और कब मेरे लंड ने उसकी चूत पे दस्तक दी पता नहीं चला जब लंड चूत को चूम रहा था तब होश आया पर तब तक देर हो चुकी थी चूत ने लंड को रास्ता दिखा दिया था और बाकी काम मुझे करना था मै धीरे धीरे लंड का दबाव बढ़ने लगा और लंड चांदनी की चूत में जा रहा था चांदनी नीचे से सह्यूग कर रही थी पर कुछ देर में उसके चेहरे पे दर्द झलकने लगा मैंने उस की आँखों में देखा वो दर्द पी रही थी दर्द मुझे भी हो रहा था तभी चांदनी बोली मेरा कोमार्य तुम्हे समर्पित और मेरा तुम्हे मैंने कहा और एक झटका लगाया उस की झीली फट गयी मेरे टाँके टूट गए उसकी उँगलियों के नाख़ून मेरे कंधे और कमर पे चुभ रहे थे पर हम आगे बढ़ते रहे कुछ देर में उसकी चूत से रस निकलने लगा और लंड थोडा आराम से अन्दर बहार होने लगा हम दोनों मस्त थे और मै ऊपर से जितने जोर से जितनी मेरे में ताकत थी धक्के लगा रहा था पर कुछ देर बाद उस की चूत से जो रस निकला उस ने मेरे लंड पे जादू कर दिया और मै जितनी तेज़ी से धक्के लगा सकता था लगा ने लगा उस ने मुझे अपनी बाहों में कास लिया उसके पांव मेरी कमर पे लिपट गयी और वो हर पल का आनंद ले रही थी लेकिन ये ज्यादा देर न चल सका उसकी चूत से पानी का फवारा निकला और मेरे लंड ने उसकी प्यासी चूत पे बारिश कर दी. हम दोनों कुछ देर में शांत लेट गए ऐसा लग रहा था जैसे कई मील दौड़ कर आये हों और कब सो गए पता ही नहीं चला.
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योवन कपोत-1
हेल्लो फ्रेंड्स में अनुज सिंह ,देल्ली का रहनेवाला हूँ . एक कंपनी में सेल्स मेनेजर हूँ और मध्य प्रदेश में पोस्टेड हूँ. दिसम्बर २००5 की बात ही, में टूर पर था. मुझे खरगोन से धार जाना था. और रस्ते मेंतीन जगह रुक कर पेमेंट लेने थी. यहाँ बहुत ज्यादा ठण्ड नहीं पड़ती. दोपहर तक मौसम ठीक था पर शाम होते -२ बादल हो गए और ठंडी हवा चलने लगी . जब मै लास्ट पॉइंट से निकला तब तक शाम हो गए थी और वास्तव में , मै लेट हो गया था. यहाँ से धार लगभग ४ घंटे का रास्ता था.मैंने टाइम देख ५.३० बज चुके थे. मैंने अपनी गाड़ी स्टार्ट की और चल पड़ा . रोड खली थी. मैंने पेग बनाया और मौसम का मज़ा लेते हुए चल पड़ा. थोड़ी देर में तेज बारिश शुरू हो गयी.पर में मजे से जा रहा था. सड़क काफी ख़राब थी और एक दो गाड़ी कभी -२ नज़र आते थी. अंधेरे में मुझे पता ही नहीं चला और मेरी गाड़ी सड़क पर एक गड्ढे में फंस गयी. मैंने निकलने की कोशिश की पर नहीं निकली मै किसी गाड़ी के आने का इंतजार करने लगा लहभग १५ मिनट बाद एक बस आई मैंने उसे रोक्का और उस से हेल्प मांगी उस में सवार कुछ लोगो ने मेरी गाड़ी निकलवा दी.तभी ड्राईवर ने पूछा आप कहाँ जा रहे हो, मैंने कहा धार, उसने कहा ध्यान से जायेगा रोड बहुत ख़राब हे और लूट का खतरा भी हे. कोई भी रोके मत रुकना. और अगरमेरी बात ठीक लगे तो किसी सरकारी गेस्ट हाउस में रुक जाओ सुबह चले जाना, मैंने उससे पूछा तो वो बोला की आप दल्ल्ली के हो आप को नहीं पता ये खतरनाक एरिया हे. अगर बड़ा बुजुर्ग समझ कर मनो तो ठीक नहीं तो तुम्हारी मर्जी. मैंने उसके और ध्यान से देखा और पूछा कितने दूर हे गेस्ट हाउस. वो कहने लगा आगे जाओगे तो लगभग ५ किलोमीटर हे और अगला उसके १५ कम पर . पीछे जाओगे तो लगभग १२ किलोमीटर पर. मैंने उसे धन्यवाद् कहा और चल दिया. पर डर लगने लगा. थोड़ी देर में गेस्ट हाउस आ गया में रुकने वाला था पैर तभी मुझे ख्याल आया कही मुझे फसाया तो नहीं जा रहा. सो में मै नहीं रुका और गाड़ी दौरा दी. घडी देखि ७.३० बज गए थे और में अभी आधे रस्ते से भी कम पहुंचा था. बारिश भयंकर हो रहे थी. मैंने दूसरा गेस्ट हाउस भी क्रोस कर दिया और लगभग ५ किलोमीटर चला था की गाड़ी में पंचर हो गया, मेरी गांड फट गयी, मेरे मन में आ रहा था बेटा अनुज घर वाले बस इंतजार करते रहेंगे मै ने मोबाइल चेक किया नो नेटवर्क, फटी गांड हलक में आ गयी , मै ने गाडी ऐसे ही चलने की सोची पर टायर की माँ चुद चुकी थी, मज़बूरी में मैंने उत्तर कर जैक लगाया और स्टेपनी बदली, और दोस्तों आप विश्वास करो गे मैंने सिर्फ ८ मिनट में पहिया बदल कर चल पड़ा था. अगर और कोई स्थिति होती तो आधा घंटा लगता. लेकिन मैंने सोच लिया जो भी पहली जगह मिले गी वही रुक जाऊंगा . बारिश ने से मेरे कपडे भीग गए थे. और ठण्ड लग रही थी मैंने एक पेग नीट का लगाया और चलता रहा. थोडा आगे मुझे एक बिल्डिंग दिखाए दी. मैंने गाडी गेट में घुसा दी. पर वह क ोई नहीं था. मैंने आवाज लगाये पर सन्नाटा . मैंने टोर्च से देखा वो कोई स्कूल था , मैंने सोचा कोई चौकीदार होगा और दुबारा आवाज़ लगाये. तभी एक औरत की तेज आवाज़ आयी ए कौन हे क्यों शोर मचा रहे हो. लेकिन अंधेरे में दिखाए कुछ नहीं दिया , मैंने अपने बारे में बताया और रात को रुकने के लिय कहा. लेकिन उसने ना कहा दिया. मैंने रेकुएस्ट की तो उसने टोर्च की रौशनी से मुझे देखा , बाप टोर्च क्या थी सर्च लाइट थी फिर मेरा ID CARD माँगा मैंने दिया तो उसने कहा ठीक हे , सामiन उतार लाओ
मैंने सामन उतरा और उसके पीछे-२ एक कमरे में पहुंचा,आप कपडे बदल लो और दुसरे कमरे में आ जाना. मै तब तक खाना तैयार करती हूँ कहकर वो चली गयी. मैंने कपडे बदले और उसके बारे में सोचने लगा. लेकिन समझ नहीं सका, मैंने उसका चेहरा ठीक से नहीं देखा था. उसने साडी पहने थी और शाल ओढ़ रखा था जो की उसके सर को ढके था. दुसरे कमरे में अलाव जल रहा था और वहां एक छोटी लाइट थी पर उसके रौशनी काफी कम थी वो वहीँ रसोई में खाना बना रही थी मुझे ठण्ड लग रही थी तभी मैंने वहां रखी सिगरेट देखी तो मैंने उस से सिगरेट की पूछ ले. उसने हाँ कहा और कुछ देर में मेरे पास रखी कुर्सी पर बैठ गयी. मै उसे देखकर उसकी उम्र के बारे में अंदाज लगाने की कोशिस कर रहा था पर उसने चेहरा इस तरह धक् रखा था की पता नहीं चल रहा था. वो फिर रसोई में चली गयी जब वो वापस आयी तो उसके हाथ में व्हिस्की का गिलास था. बड़े सपाट शब्दों में बोली मेरे पास और नहीं है इसलिय नहीं पूछ सकतीमेरी गाडी में है मैंने कहा. चलो ले आते हैं कहकर वो चल दी उसने खिड़की में से बहार देखा और कहा तुमने गाडी इतनी दूर क्यों खरी की. एक काम करो अन्दर ले आओ मै बड़ा दरवाज़ा खोलती हूँ. और वो दुसरे तरफ चल दी मै उसके पीछे-२ बाहर आ गया हलकी बारिश हो रही थी उसने गेट खोलते हुए कहा ध्यान से जाना और जल्दी वापस आना बहार कोई भी हो सकता है. मै लगभग दौड़ता हुआ गाडी में बैठा ही था के कुछ लोग दौड़ते हुए मेरी तरफ आये और तभी एक बन्दूक की आवाज़ आयी धाय . मेरी तो गांड हलक में आ गए मैंने गाडी दौड़ा दी और गेट में घुसते ही दौड़ कर गेट बंद किया. मेरा हलक खुश्क हो रहा था मैंने पानी पिया और फिर बोतल और सिगरेट उठाई और उसके साथ चल दिया. मेरे मन में बार-२ यही आ रहा था बेटा आज तो दारू के चक्कर में जान गए थी. अन्दर आकर मैंने बोतल रख दी मेरी टी शर्ट हलकी भीग गयी थी तभी मै एक बार फिर चौंक पड़ा उसने अपना शाल उतारा और एक ख़ूबसूरत लगभग २४-२५ साल की लडकी मेरे सामने थी लेकिन तभी एक और झटका लगा उसने एक पिस्तोल टेबल पर रख दी. मै उसका चेहरा देख रहा था, गोली मैंने चलायी थी वो बोली. और अन्दर रसोई में से कुछ नमकीन और गिलास लाई. और मेरे लिए पेग बना दिया.
तभी इन्वेर्टर की बीप आने लगी और अँधेरा हो गया . उसने एक मोमबत्ती रसोई में जला दी जिससे सिर्फ इतनी रौशनी हो रही थी की ये कह सकते थे की अँधेरा नहीं है बाकि दिखाई कुछ नहीं दे रहा था.थोड़ी देर बात करते -२ हम काफी खुल गए और हमरे बीच मजाक और जोक शुरू हो गए. इस बीच मै ने तीन पेग लिए जबकि उसने सिर्फ एक लिया हमने खाने खाया और उसने मेरे लिए अलाव के पास ही बिस्तर लगा दिया हम दोनों वही बैठ कर बात करते रहे. बातों -२ में उसने मेरे बारे में सब कुछ पूछ लिया और अपने बारे में बताया की उसका नाम चांदनी है वो यहाँ टीचर है और कुछ और टीचर के साथ यहाँ रहती है छुटियोंके कारन बाकी सब चले गए पर उसका कोई नहीं है इसलिए वो यहाँ ही रहते है . उसने मेरे प्रोग्राम के बारे में पूछा तो मैंने उससे कह दिया के मै कल सुबह चला जाऊंगा. कल तो सन्डे है तुम्हारी छुट्टी नहीं है. चांदनी ने पूछा, है मैंने कहा , कल यहीं रुक जाओ आस पास काफी खुबसूरत जगह है घूम के आते है सोमवार को चले जाना. ठीक है मैंने कहा. थोड़ी देर बात करके हम अपने-२ बिस्तर पर सो गए मै अभी तक ठीक से न तो उसका चेहरा देख पाया था न ही उसके बारे में ठीक-२ आईडिया लगा पा रहा थातभी इन्वेर्टर की बीप आने लगी और अँधेरा हो गया . उसने एक मोमबत्ती रसोई में जला दी जिससे सिर्फ इतनी रौशनी हो रही थी की ये कह सकते थे की अँधेरा नहीं है बाकि दिखाई कुछ नहीं दे रहा था.थोड़ी देर बात करते -२ हम काफी खुल गए और हमरे बीच मजाक और जोक शुरू हो गए. इस बीच मै ने तीन पेग लिए जबकि उसने सिर्फ एक लिया हमने खाने खाया और उसने मेरे लिए अलाव के पास ही बिस्तर लगा दिया हम दोनों वही बैठ कर बात करते रहे. बातों -२ में उसने मेरे बारे में सब कुछ पूछ लिया और अपने बारे में बताया की उसका नाम चांदनी है वो यहाँ टीचर है और कुछ और टीचर के साथ यहाँ रहती है छुटियोंके कारन बाकी सब चले गए पर उसका कोई नहीं है इसलिए वो यहाँ ही रहते है . उसने मेरे प्रोग्राम के बारे में पूछा तो मैंने उससे कह दिया के मै कल सुबह चला जाऊंगा. कल तो सन्डे है तुम्हारी छुट्टी नहीं है. चांदनी ने पूछा, है मैंने कहा , कल यहीं रुक जाओ आस पास काफी खुबसूरत जगह है घूम के आते है सोमवार को चले जाना. ठीक है मैंने कहा. थोड़ी देर बात करके हम अपने-२ बिस्तर पर सो गए मै अभी तक ठीक से न तो उसका चेहरा देख पाया था न ही उसके बारे में ठीक-२ आईडिया लगा पा रहा था जब मै सुबह उठा तो चांदनी वहां नहीं थी मै टोइलेट गया. जब वापस आया तब भी चांदनी कमरे में नहीं थी मै उसे धुंडने लगा तभी मुझ एक दरवाजे के पीछे से पानी की आवाज़ आयी मै समझ गया वो अन्दर नहा रही है. और भाई मेरे कमीने दिमाग में उसे देखने की इच्छा होने लगी मैंने इधर उधर से कोशिश की पर कुछ नहीं दिखा हार कर वापस आ गया और धुप मै बैठ कर सिगरेट फूंकने लगा. कुछ देर बाद चांदनी कपडे सुखाने आयी और बोली मै नाश्ता बना रही हूँ तुम तब तक नहा लो. उसने मुझे बाथरूम दिखाया . उसका रास्ता अन्दर से ही था. जहाँ मै देख रहा था वहां कुछ नहीं था. मैंने ब्रुश करके शेव बनाई और नहा के जींस और टी शर्ट पहन ली. जब मै उसके कमरे में गया तो नाश्ता टेबल पर लगा रही थीउसने सलवार कमीज़ पहना था . और कल से अब तक पहली बार उस का दुपट्टा हल्का सा अपनी जगह से हिला था और मुझे उसकी हलकी से क्लेवेज़ और चेहरा दिखाई दी पर सिर्फ १-२ सेकंड के लिए . नाश्ता करके उसने कहा कुछ सामान रखा है गाड़ी में रख लो तब तक मै तैयार हो कर आती हूँ.
मैंने गाडी मै सामान रखा. सारी रात की बारिश से गाडी धुल चुकी थी. मैंने सामने वाले शीशे पे कपडा मारा और सिगरेट जला ली लगभग ५ मिनट में वो आयी यार सही मायने में मैंने उसे पहली बार देखा था क्या गजब माल देखते ही दिमाग घूम गया.लगभग ५.५ फिट हाईट गोरा रंग जैसे दूध में हल्का सा सिन्दूर मिला दिया हो बड़ी-२ ऑंखें लम्बी पतली सुराहीदार गर्दन उन्नत वक्ष सपाट पेट चौडे नितम्ब लम्बी हलकी मांसल टाँगे गदराया बदन खुले लम्बे बाल उसके गालों को बार बार चुमते, पतले गुलाबी होठ जिन्हें देख कर किसी का भी ईमान ड़ोल जाये. .ऐसा लगा अभी बेहोश हो जाऊंगा वो इस्किन फिट जींस और शोर्ट शर्ट पहने थी.उसकी शर्ट इतनी टाईट थी की उसकी दोनों गोलाइयां शर्ट फाड़ कर बहार निकलने को बेताब थी. चांदनी मेरे बराबर से गुजरी तो हवा में मस्त खुसबू छोड़ गयी.वो सीधी गेट पे गयी और गेट खोलने लगी मेने गाडी स्टर्ट की और बाहर आ गया. उसने दरवाज़ा बंद किया, इस बीच मैंने गाडी में फ्रेशनर का स्प्रे कर दिया. गाडी में बैठते ही उसने मुझे रास्ता बताया मै मंत्र मुघ्द सा चलने लगा उसने सिगरेट जलाई और आराम से बैठ गयी. . मै चुपचाप गाड़ी चला कर रहा था उसने मुझे सिगरेट दी .मै सोच रहा था की मैंने कल रात से उसे देखा नहीं या ये लड़की कोई और है . मैंने अपने दिमाग पे जोर डाला तो ठीक-२ याद आया रात तो लगभग अँधेरा था और उसने शाल ओढा था. और सुबह भी उसने दुपट्टा सर पर ओढा था और मेरे सामने नहीं आ रही थी. कुछ देर चांदनी चुप चाप बैठी रही पर थोड़ी देर में वो बात करने लगी. कुछ देर में हम जंगले में पहुँच गए और घूमते-२ एक झरने के किनारे हम ने गाडी रोक दी . उसने गाडी में से सामान उतरा और मुझे जग दिया मै पानी ले आया, चांदनी गाडी के बोनट पे बैठी थी दो गिलासों में व्हिस्की थी दो पलते में नमकीन चिप्स और फ्रेंच फ्रैयी थी. मैंने मुजिक सिस्टम की आवाज़ बढ़ा दी , अब हम दोस्तों की तरह बात कर रहे थे और एन्जॉय कर रहे थे . दो-२ पेग लगाते -२ हम मस्ती करने लगे और पैदल घुमने चल दिए अब हम दोस्तों की तरह बात कर रहे थे और एन्जॉय कर रहे थे सरुर हम दोनों पर था मैंने उससे पूछा अगर कोई शेर आ जाये तो वो जुली स्टाइल बोली मै शेर से कहूँ वो तुम्हे छोड़ दे मुझे खा जाये . क्यों मैंने पूछा. मेरी ज़िन्दगी में है ही कौन जिसके लिया जीना, तीन फायेदे होंगे तुम्हारी जान बच जायेगी शेर को खाना मिल जायेगा और मै इस ज़िन्दगी से निकल जाउंगी और फिर से मस्ती करने लगी. घुमते-२ हम वापस अपनी गाडी पे पहुंचे भूक लग चुकी थी. हमने १-१ -1 पेग और लगाया और खाना खाने लगे. खाना खाकर हम फिर घुमने चल दिए . थोड़ी देर में वापस आकर हम झरने के किनारे बैठ गए. और पेग लगाने लगे.
कई चीज एक साथ हो रही थी रोमांटिक मौसम, जंगल की तन्हाई , हलकी आवाज़ से बहेता झरना ख़ूबसूरत लड़की और शराब का सरुर. ये कहना मुश्किल है की नसः किसका था शराब का ,मौसम का ,या हुस्न का. अचानक चांदनी बोली चलो झरने के बीच में बैठेंगे . हम धीरे -२ पत्थरों पे चलते हुए जा रहे थे की एक पत्थर थोडा दूर था मै पहले पहुंचा और उसका हाथ पकड़ कर उसे भी खींच लिया. छोटे से पत्थर पे हम दोनों आमने सामने खड़े थे चांदनी का चेहरा और उभार मेरे से नाम मात्र की दुरी पे थे मैंने उसकी आँखों में देखा वो मुझे देख रही थी. और अचानक मेरा हाथ उसकी कमर पे कस गया और मेरे होठ उसके होठों से छु गए पर वो वहीँ चिपक कर रह गए. उसकी ऑंखें बोझिल होते हुए बंद होने लगी और चांदनी ने मुझे अपनी बाहों में कास लिया चांदनी किसी लता की तरह चिपक गयी उसके गुलाबी रसीले होठ मेरे होठों से चिपक गए थे . योवन कपोत मेरे सीने में घुस रहे थे मै उनकी कठोरता अपने सीने पे महसूस कर रहा था, मेरा पप्पू अपना सर उठा चूका था टाइट जींस जगह नहीं दे रही थी पर उसका एहसास चांदनी महसूस कर रही थी उसने मुझे अपनी बाँहों में कस लिया था और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे में समां जाएगी . थोड़ी देर में वो अलग हुई और बराबर के पत्थर पे बैठ गयी. उसकी साँसे तेज चल रही थी उसकी शर्ट और ज्यादा टाईट हो गयी थी योवन कपोत बहार आने को उतावले हो रहे थे हमारे होंठ चुप थे और शायद हम दोनों निगाह चुरा रहे थे. मैंने गिलास उठा के चांदनी की तरफ बढ़ा दिया और अपने लिए सिगरेट जला ली उसने एक ही सिप में पूरा पी लिया और हाथ बढ़ा के सिगरेट मांग ली. उसकी सांसे तेज थी उसे जोर दे खांसी आ गयी वो खडी हो गयी पर खांसी अब भी आ रही थी मै उसके पास गया और धीरे -२ उसकी कमर सहलाने लगा थोड़ी देर में वो नोर्मल हो गयी वो अलग हुई और बहार की तरफ चल दी. मै उसके पीछे-२ बहार आ गया. चांदनी ने सारा सामान गाड़ी में रखा मेरी तरफ मुड कर देखा और बोली घूम के आयें और गाड़ी में बैठ गयी हम जंगल में अन्दर चले गए एक जगह गाड़ी रोक कर उतर गए. चांदनी ने कोल्ड ड्रिंक की बोतल में व्हिस्की दल ली और सिप करके बोली अब ठीक है. चलो घूमते हैं कहकर वो आगे -२ चलने लगी मै पीछे था जींस में कसे उसके नितम्ब उबड़ खाबड़ रस्ते पे और ज्याद मदमस्त लग रहे थे. थोड़ी दूर जा कर हम रुक गए आगे गहरी खाई थी. चांदनी एक पत्थर पे बैठ गयी. मै उस से कुछ दूर एक छोटे से पत्थर पे बैठा था. तभी चांदनी ने हाथ ऊपर करके अंगड़ाई ली और हुस्न का नज़ारा मेरे सामने था, उसके हाथ ऊपर करते ही उसके शोर्ट शर्ट काफी ऊपर हो गयी और उसका गोरा चिकना पेट और साइड मेरी आँखों को सुख दे रही थी लेकिन जल्दी ही उसे एहसास हो गया और उसने अपने हाथ निचे कर लिए. हम जंगल के बारे में बात कर रहे थे तभी चांदनी ने इशारे से मुझे बुलाया वो देखो कहते हुए उसने अपनी ऊँगली एक पेड की तरफ कर दी बहुत सुंदर चिड़िया बैठी थी चांदनी मेरे कंधे पे हाथ रख कर पत्थर पे खडी हो गयी उस का पेट मेरे चेहरे के सामने था वो चिड़िया देख रही थी और मै उसका पेट. उसे भी एहसास हो गया तो वो निचे उतर ने लगी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी मै उसकी कमर थाम चूका था और जैसे ही वो निचे आयी मैंने अपने होठो को उसके जलते हुए लबों पे रख दिया दो जवान जलते लब जलने लगे और जलते हुए अपनी प्यास बुझाते रहे. मेरे हाथ उसके नितम्बो और कमर पे कसे थे थोडा होश आया तो मै उस से अलग हुआ और पत्थर पे बैठ गया पर अब चांदनी मदहोश हो चुकी थी वो मेरी गोद में बैठ गयी और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी उसकी चुचिया मेरे सीने पे दब गयी थी वो थोडा अलग हुई और एक बार फिर मेरे चेहरे पे अपने गालों का एहसास देने लगी कुछ देर बाद वो अलग हुई और वही घास पे बैठ गयी उसकी साँसे उखड रही थी मै उठ कर उसके पास बैठ गया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया और धीरे -२ घास पे लिटा दिया और उसे चूमने लगा मेरे हाथ उसके पेट और जांघों पे थे मै एक पल के लिए अलग हुआ तो वो घास पे करवट बदलते हुए खडी हो गयी और मुझे जीभ दिखाते हुए भागने लगी अमी उसके पीछे भागा तो वो जोर से चिल्लाई बोतल ले के आना मुझे रुकना पड़ा वो भी रुक गयी थी.हम धीरे-२ चलते हुए गाडी तक पहुंचे वो बोनट पे बैठ गयी मै उसके सामने खड़ा था. और बरी-२ से बोतल से पे रहे थे . उसने आखरी सिप करते हुए बोतल खाली की. और मेरे से सिगरट ले कर कश लगाने लगी . उसकी छातियाँ मुझे मदहोश कर रही थी ऐसे क्या देख रहे हो चांदनी ने कहा और मेरे सब्र का बांध टूट गया मैंने उसे कस के पकड़ लिया और चांदनी के गालों ,होंठों पे चुम्बन लेते हुए नीचे की और बढ़ने लगा जैसे ही मरे लबों ने उसकी गर्दन को छुआ वो पीछे लेट गयी और मै साइड होते हुए उसके सीने पे अपना चेहरा रगड़ ने लगा उसकी उँगलियाँ मेरे बालों में उलझ गयी. मै धीरे -२ नीचे की और चल दिया और मेरे गाल उसकी छातियों पे थे उसने मुझे कस के भींच लिया. मै उसकी चुचियों का आनद ले ही रहा था की अचानक मुझे लगा जैसे कोई आस पास है मै एक दम अलग हुआ और इधर उधर देखने लगा पास ही २-३ हिरन नजर आ गए हम उन्हें देखने लगे लेकिन उस का मूड कुछ और था वो फिर मेरे से चिपट गयी और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी अपनी चुचियों पे मेरा चेहरारगड़ने लगी मै उसकी मदमस्त चुचियों का मज़ा ले रहा था के अचानक वो रुक गयी और अलग हो गयी बस और नहीं वापस चलो कहते हुए वो गाडी में बैठ गयी और पानी पी ने लगी उसकी हालत अजीब से थी उस ने सिगरट जलाई और जल्दी -२ कश ले ने लगी. लगभग २०--- -मिनट में हम पहुँच गए उसने दरवाजा खोला, मै सोना चाहती हूँ प्लीज़ डिस्टर्ब मत करना कह कर अन्दर चली गयी मैंने गाडी खडी की दरवाज़ा बंद किया और कमरे में पहुंचा चांदनी कम्बल ओढ़ कर लेट चुकी थी २ बजे थे . मै भी दुसरे बिस्तर पे सो गया जब आँख खुली तो चांदनी मेरे ऊपर झुकी थी और उठा रही थी अभी भी वो उन्ही कपड़ो में थी. मेरे आंख खोलते ही बोली क्यों इतनी पीते हो जब संभलती नहीं है चलो उठो चाय पी लो . मेरा सर उसे अपने इतने पास देख कर घूम गया और मैंने उसे कमर से पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया अगले ही पल वो मेरी बाहों में थी और मैंने उसके नर्म होठो को अपने होठों में गिरफ्तार कर लिया मेरा एक हाथ उसकी कमर पे फिसल रहा था और दूसरा उस के नितम्बो का जायजा ले रहा था. वो खामोश थी उस की शोर्ट शर्ट थोड़ी ऊपर हो गयी और मेरा हाथ उसकी नर्म मुलायम कमर को छु भर पाया था की वो जोर से लिपट गयी पर ये आनंद पल भर का था वो एक दम खडी हुई और रसोई की तरफ दौड़ गयी. मैने टाइम देखा ५ बजे थे थोड़ी देर में मै और वो चाय पी रहे थे . फिर हम बाहर घुमने लगे बात काफी खुली -२ होने लगी उसने पुछा आर यु वर्ज़न मै मुस्कराया हाँ मैंने कहा. वो जोर से हंसी कोई मिली नहीं या बता नहीं रहे . कोई मिले नहीं मैंने कहा. तभी लाइट आ गयी . रात होने लगी थी भूक लग रही है मैंने कहा. अन्दर चलो खाना १० मिनट में तैयार हो जायेगा. वो रसोई में चली गयी. मैंने TV चला लिया. ६.४५ बजे थे .बोटेल कहाँ है मैंने पूछा. ख़तम हो गयी है . चांदनी बोली थोड़ी देर में खाना लग गया हमने दोनों ने खाना खाया. वो रसोई में बर्तन साफ़ करने लगी. ७.३० बजे तक वो काम ख़तम करके आ गयी . आप TV देखो मुझे थोडा काम है मै दुसरे कमरे में हूँ.कहकर वो चली गयी मै थोड़ी देर टीवी देखता रहा लगभग १ घंटा हो चूका था चांदनी नहीं आयी मै उसे देखने अन्दर गया लेकिन कहीं दिखाई नहीं पडी. एक कमरे का दरवाज़ा अन्दर से बंद था वो उस में थी. मैने आवाज़ लगाई तो चांदनी ने कहा 2 मिनट में आती हूँ. मै वापस टीवी देखने लगा. थोड़ी देर मे चांदनी आयी.मैंने सिगरट जला रखी थी उसने कपडे बदल लिए थे और एक नोर्मल सी नाईटी पहने थी. वो मेरे पास ही बेड पे बैठ गयी और सिगरट मांगी मैंने अपने मुहं का सारा धुआं उसके चेहरे पे छोड़ दिया उसने मुझे जोर से धक्का दिया तो मैंने उस कस के पकड़ लिया और बेड पे लिटा लिया और उसके चेहरे को चूमने लगा वो बोली रुको मै जैसे ही रुका वो बोली क्या इरादा है उसका इशारा समझ कर मैंने कहा तुम्हे खाना है चांदनी एक पल खामोश रही फिर बोली ५ मिनट बाद दुसरे कमरे में आओ कुछ बात करनी है. कहकर चांदनी चली गयी. और मुझे लगा यार ये तो के एल पी डी हो गयी . पर मै ५ मिनट बाद दुसरे कमरे में गया दरवाज़ा बंद था . जैसे ही मै ने दरवाज़ा खोला एक तकड़ा झटका लगा
कमरा टूएब लाइट की रौशनी में नहाया हुआ था गुलाब और फूलों की खुशबु उसे महका रहे थी. छोटी सी टेबल पर एक जग गिलास और पानी की बोतल रखी थी. कमरे के बीचों -बीच एक बेड पड़ा था जो की लाल और सफ़ेद फूलों से सजा था. और उस पर लाल कपड़ो में चांदनी बैठी थी ये मेरे लिए काफी था मै धीरे -२ बेड के पास गया और बेड पर बैठ गया वो घूँघट में बैठी थी मै धीरे से उसके पास बैठ गया और उसका घूँघट हटा दिया उसने मेरे तरफ देखा वो बिलकुल दुल्हन की तरह शर्मा रही थी मै उसके सामने बैठ कर उसे देखने लगा कुछ देर बाद वो बोली ऐसे क्या देख रहे हो. बहुत सुंदर लग रहे हो मैंने कहा और उसके हाथों को अपने हाथ में लेकर चूम लिया फिर उसके बराबर आकर बैठ गया और चांदनी को अपने पास बिठा लिया हम बात करने लगे और बात करते-२ मैंने धीरे से उसकी साड़ी का पल्लू उसके कंधे पर से हटा दिया और धीरे से उसके गालों पर एक चुम्बन ले लिया वो शर्मा गयी और मैंने तुरंत उसे अपनी बाहों में कस लिया वो भी मेरे से चिपक गयी कुछ देर बाद जब हम अलग हुए तो मैंने उसकी साड़ी का पल्लू एक तरफ कर दिया. उसके लाल ब्लाउज में कसे योवन कपोत बाहर की और झाँकने लगे,लो कट ब्लाउज में उसके ऊँचे पर्बतों की गहरी घाटियाँ दिखाई पड़ रही थी.जिसे देख कर किसी का भी दिल बईमान हो जाये. मैंने धीरे से उसके गले में पहना हुआ हार उतार दिया और उसकी गर्दन पे एक किस कर दी. और कब मेरे होठ उसके सीने पे जा पहुंचे पता ही नहीं चला मै उसे चूमता जा रहा था उसने मुझे अपनी बाँहों में कास लिया जैसे ही मै चांदनी की छातियों को चूमता उस के मुहं से आह निकल पडी. मै ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चोटियों को चूम रहा था वो मेरा सर अपनी छाती पे दबा रही थी. मुझे आगे जाना था मै चांदनी के पेट को चूम रहा था और वो हर पल का आनंद ले रही थी. नाभि को चूमा तो मेरी जीभ उसमे समां गयी. तभी चांदनी ने करवट ली और बेड से उतर गयी. उसने जग से दूध गिलास में डाला और मेरे होठो पे लगा दिया मैंने सिप किया और उसके मुहं से लगा दिया और उसे अपनी गोद में बीठा लिया हमने बारी -२ से सिप करते हुए गिलास खाली किया. वो गिलास रखने के लिये गयी तो मैंने चांदनी की साड़ी का पल्लू पकड़ लिया और धीरे-२ खींचने लगा साड़ी उसके बदन से अलग हो गयी. वो ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे सामने थी मैंने आगे बढ़कर उसका पेटीकोट उसके शरीर से अलग कर दिया वो शर्मा के फर्श पे बैठ गयी जैसे अपनी नग्नता को छुपा रही हो मैंने उसे गोद में उठाया और बेड पे लिटा दिया. मैंने अपनी शर्ट और जींस उतर दी और चांदनी के पास लेट कर उस से बात करने लगा वो हाँ ना में जवाब दे रही थी. बात करते -२ मैंने उसके ब्लाउज के हूक खोल दिए और कुछ ही पलों बाद वो लाल ब्रा और पैंटी में थी. उसकी ऑंखें बंद थी मै ने उसे चुमते हुए धीरे से उसकी ब्रा को आजाद कर दिया और पेंटी कब उसके बदन से अलग हुई ये तो मुझे भी ठीक याद नहीं मै उसे एक टक देख रहा था चांदनी वाकई बहुत सुन्दर थी.बड़ी-२ नशीली ऑंखें गुलाबी गाल, गुलाब की पंखुड़ी से होंठ लम्बी गर्दन पर्बतों जैसी ऊँची और कठोर छातियाँ और उन पे ऊपर गुलाबी घेरा और बीच में एक बड़ा सा अंगूर. मद मस्त चूचियां गोरा चिकना समतल पेट केले के पेड जैसी चिकनी पुष्ट जांघे और उनके बीच में छुपी एक प्यारी से थोड़ी उभरी हुई योनी. चिकना बदन कहीं एक बाल नहीं और अगर मै शायर या कवी होता तो कम से कम एक किताब उस पे लिख देता.कुछ देर देखने के बाद मैंने उसके होठों को चूम लिया और उसके बाद तो जैसे ज्वार आ गया मै उसके बदन को चूमता रहा और चांदनी मुझे कसती रही मेरे बदन से चड्डी बनियान कब अलग हुए पता ही नहीं चला हम एक दुसरे की बाँहों में समां रही थे और कब मेरे लंड ने उसकी चूत पे दस्तक दी पता नहीं चला जब लंड चूत को चूम रहा था तब होश आया पर तब तक देर हो चुकी थी चूत ने लंड को रास्ता दिखा दिया था और बाकी काम मुझे करना था मै धीरे धीरे लंड का दबाव बढ़ने लगा और लंड चांदनी की चूत में जा रहा था चांदनी नीचे से सह्यूग कर रही थी पर कुछ देर में उसके चेहरे पे दर्द झलकने लगा मैंने उस की आँखों में देखा वो दर्द पी रही थी दर्द मुझे भी हो रहा था तभी चांदनी बोली मेरा कोमार्य तुम्हे समर्पित और मेरा तुम्हे मैंने कहा और एक झटका लगाया उस की झीली फट गयी मेरे टाँके टूट गए उसकी उँगलियों के नाख़ून मेरे कंधे और कमर पे चुभ रहे थे पर हम आगे बढ़ते रहे कुछ देर में उसकी चूत से रस निकलने लगा और लंड थोडा आराम से अन्दर बहार होने लगा हम दोनों मस्त थे और मै ऊपर से जितने जोर से जितनी मेरे में ताकत थी धक्के लगा रहा था पर कुछ देर बाद उस की चूत से जो रस निकला उस ने मेरे लंड पे जादू कर दिया और मै जितनी तेज़ी से धक्के लगा सकता था लगा ने लगा उस ने मुझे अपनी बाहों में कास लिया उसके पांव मेरी कमर पे लिपट गयी और वो हर पल का आनंद ले रही थी लेकिन ये ज्यादा देर न चल सका उसकी चूत से पानी का फवारा निकला और मेरे लंड ने उसकी प्यासी चूत पे बारिश कर दी. हम दोनों कुछ देर में शांत लेट गए ऐसा लग रहा था जैसे कई मील दौड़ कर आये हों और कब सो गए पता ही नहीं चला.
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