FUN-MAZA-MASTI
हवस की गुलाम --2
गतान्क से आगे.....................
मैं बड़ी के बाद हाथ मे आने वाली छोटी चूचियों को पा
एकदम से कसमसा गया. मैं फ्रॉक पर से मीना की चूचियों को प्यार
से मसल्ने लगा. कभी सपने मे भी इस तरह का मज़ा नही लिया
था. तभी वह औरत मस्त अंदाज़ से बोली, “ज़रा कस-कस कर दबाइए
ना तभी तो मेरी प्यारी ननद को मज़ा आएगा.”
उसकी बात सुन उसकी ननद मीना बोली, “हाए भाभी मज़ा आ रहा है.”
“जल्दी से ले लो मज़ा, भाई साहब को थोड़ा बीना की भी चखना है.”
बीना सबसे छोटी और 18 साल की थी. मैं मीना की दबा रहा था.
निपल फ्रॉक मे उभरे हुए थे और इसकी चूचियों को दबाने से तो और
भी मज़ा आ रहा था. तभी वह मुझसे बोली, “भाई साहब.”
“हां.” “हमारे यहाँ किरायेदार बनकर रहिए तो चोदन और भोजन
दोनो का इंतज़ाम हो जाएगा.
उसकी बात सुन मैं कसमसा गया. वह इस तरह की गंदी बाते करती
मुझे देख रही थी. मीना भी अपनी भाभी की तरह चूचियों को
उभार कर मसलवा रही थी. मीना के होंठ कसे थे और आँख बंद
थी. उसको देख उसकी भाभी बोली, “निपल मस्लो हाए अब यह जाने
वाली है.”
मैं उसके इशारे को समझ निपल को फ्रॉक के कपड़े से पकड़ मसल्ने
लगा तो छ्छोकरी अपनी रानो को कस्ति सिसकारी ले मुझे पागल बनाने
लगी. 10-12 बार मैं ही उसकी चूत भी भाभी की चूत की तरह
नमकीन पानी को चढ्ढि मे टपकाने लगी.
चूत के पानी से अपनी चढ्ढि गीली कर वह लंबी लंबी साँसे लेती
कॅटिली नज़रो से मुझे देखते पिछे जाने लगी तो उसकी मस्त भाभी
मेरे लंड को पकड़ती बोली, “हाए तुम्हारा तो अभी भी नही निकला.”
इस पर मैने उसकी चूचियों को पकड़ दीवानगी के साथ कहा, “इसे
इसकी खुराक दो तब निकलेगा.”
वह चालाक औरत मेरी मर्दानगी को नाप रही थी. जवान ननद की
चूचियों को मसल मैं उस औरत का गुलाम बन गया था. यकीन था
कि वह अपने साथ ही अपनी जवान ननदों का मज़ा भी दिलवाएगी. उसने
लंड पकड़ा और मैने ब्लाउस के ऊपर से चूचियों को पकड़ा तो लगा
की अपने आप को भूल गया हूँ.
तभी उसके आगे उसकी सबसे छोटी ननद बीना अपनी 18 साल की गदराई
जवानी लेकर बैठी तो वह मुस्कान के साथ लंड को दबाती बोली, “लो
भाई साहब थोड़ा इसको भी.”
मैं गदगद हो गया. उमर के हिसाब से 18 साल की लौंडिया की भी
काफ़ी बड़ी थी. बड़ी बहन की तरह यह भी चढ्ढि और फ्रॉक मे
थी. चूचियाँ उभर रही थी और टमाटर सी थी. इसकी तो आराम से
एक हाथ मे आने वाली थी. बड़ी वाली ननद की तरह इसे भी अपनी
गोद मे बिठाती उसके टमाटरो पर हाथ फेरती बोली, “लो मसलो भाई
साहब अभी तुम्हारा डाउन हो जाएगा.”
तभी मुझे छोटी वाली की गोरी-गोरी रानो के बीच की चढ्ढि दिख
गयी. मैं एक हाथ को बेताबी के साथ उसकी जवान हो रही
चूचियों पर लगा मस्त हो खूबसूरत जवान औरत को देखते दूसरे
हाथ को लड़की की चूत की ओर सरकाते बोला, “हाए थोड़ा नीचे का
भी तभी तो डाउन होगा.”
“घर चलकर आराम से लेना पूरा मज़ा. अभी बस ज़रा दबा दो.”
जब मैने छोटी वाली बीना की चूचियों को दबाया तो उसने भी अपनी
बड़ी बहन की तरह दोनो चूचियों को आगे उभार दिया. मैं छोटी
वाली के कच्चे अनार सी दोनो चूचियों को मसलता मस्ती की सीमा
को पार करने लगा.
तभी उसकी भाभी ने हाथ आगे कर मेरे लंड को पॅंट के ऊपर से
पकड़ा और मस्त सुपरे को दबाती बोली, “हमारे पास तुमको जन्नत का
मज़ा मिलेगा. मज़ा लो अब निकलेगा.”
उसकी इस हरकत से खुश हो लंड को झटके देता छोटी चूचियों को
मसल्ने लगा. वह भी अपनी बड़ी बहन की तरह खुश लग रही थी.
तभी मेरा लंड पॅंट मे झड़ने लगा तो मैने कच-कचा कर बीना
की चूचियों को कसकर पकड़ लिया और तब तक पकड़े रहा जब तक
मेरा लंड झारकर ठंडा नही हो गया. लंड बुरी तरह झाड़ा था.
पूरी पॅंटी भीग गयी थी. उसने मेरे हाथ को बीना की चूचियों से
हटा उसे पिछे किया और खुद आगे आ मुझसे चिपक कर बैठी.
झड़ने के बाद मैं शरमा रहा था पर हर साइज़ की तितलिया एक साथ
पाकर मज़ा आया था. वह मुझसे चिपकी थी और उसकी दोनो ननद चुप
बैठी हमे देख रही थी.
10 मिनट बाद मेरी कमर मे हाथ डाल मुस्कान के साथ
बोली, “मज़ा आया?”
जवाब देने मे मैं शरमाया तो वह और चिपकती बोली, “क्यों शर्मा रहे
हो? मैं अच्छी नही लग रही क्या?”
“ज..जी आप तो बहुत खूबसूरत हैं, बहुत मज़ा दिया आपने.”
“अभी तो कुछ नही, जब किरायेदार बनकर हमारे साथ रहोगे तब
देखना. कसम से तुम्हारी जवानी ने लूट लिया. तुम तो हम तीनो को एक
बार मे ही ठंडा कर दोगे. मेरी ननदे पसंद आई?”
“ज..जी बहुत.”
“छोटी वाली बीना की भी चखवा दूँगी. अब क्या शरम आराम से मेरी
कमर मे हाथ डाल कर बैठो. कोई नही देख रहा है, सब सो रहे
हैं.”
उस औरत ने ठंडा करके दुबारा मेरी जवानी को छेड़ना शुरू कर
दिया. मैने धीरे से उसकी कमर मे हाथ डाला तो वह गाल से गाल
सटा कर बोली, “हमारे घर मे रहोगे तो हर चीज़ की आराम रहेगी.
घर मे केवल सास है. हमको बहुत मानती है. अभी सिर्फ़ 45 की
है पर लगती 35 की है. उसको भी तुम्हारी खुराक दिलवाकर जवान
करवा दूँगी तो वह भी हम लोगो के साथ मौज मस्ती करेगी. मैं
अपने पति से खुश नही हूँ. वह बॉम्बे मे है और उसका एकदम
मरियल सा है. अभी मुझे कोई बच्चा भी नही हुआ है.”
“ज..जी आपकी शादी को तो बहुत दिन हो गये होंगे?”
“कहाँ अभी तो साल भर भी नही हुआ है. दोनो लौंडिया मेरे हाथ
मे हैं, जिसकी कहोगे उसकी दिलवा दूँगी.”
जब उसने ननद के साथ-साथ सास को भी चुदवाने की बात की तो
मैं मज़े से भर ठंडे हो गये लंड को फिर से खड़ा करने लगा और
उसकी कमर को कस दोनो चूचियों पर हाथ रख दिया. वह
बोली, “घर पर कोई नही है. राजा मेरी कसम सच-सच बताओ कितनी
बार चोदा है अब तक?” अब तुम कहने को भाय्या और मेरे लिए सैंया
हो.”
उसके इस खुले क्वेस्चन पर बदन की ठंडक गायब हो गयी. मेरे
लूज लंड मे टेन्षन आया. मुझे अनोखा लग लग रहा था कि वह
मेरे जैसे अंजान के साथ इस तरह कर रही है जैसे कोई मस्तानी
रंडी अपने पुराने और मनपसंद कस्टमर के साथ कर रही हो और
वह भी घर पर नही बल्कि चलती ट्रेन मे. रात आधी निकल
चुकी थी. भीड़ के कारण सभी एक दूसरे पर लदे सो रहे थे.
ऊपर जो हो रहा था उसे केवल उसकी दोनो नन्दे ही देख सकती थी जो
अपनी-अपनी चूचियाँ मसलवा कर अपनी-अपनी चढ्ढि गीली करने के बाद
चुप थी. उसके खुले सवाल पर मेरी जवानी बौखला गयी और मैने
उसके दमकते चेहरे पर नज़र जमा थोड़ा झेन्प्ते हुए उसे देखा तो
वह चूची को उभार कर कमर को हाथ से दबाती
बोली, “अब क्या झिझक, मेरे साथ जन्नत की सैर करते चलो. बताओ
कितनी को चोदा है?”
इस पर मैं उसकी पपीते सी चूचियों को दबाते बोला, “हाए कितनी
अच्छी हो. अब मैं शादी नही करूँगा. आप मुझे किरायेदार बनाकर
रखिए.”
इस पर वह मस्ती से भर बोली, “पहले जवाब दो कितनी को चोदा है?”
वह गाल को मेरे मुँह के पास ला बात कर रही थी जिससे बदन
सनसना रहा था.
ट्रेन के हसीन मज़े को लूटते बोला, “बस एक-दो को.”
“मेरी तरह जवान थी?”
“हां पर सब बेकार, हाए भाभी आप कितनी प्यारी हैं.” और ब्लाउस
के ऊपर से उसकी चुचियो को मसला.
मुझे उस औरत के पास जो मज़ा मिल रहा था उसके आगे सब मज़े
फीके थे. वह दोनो ननदों की ओर देख कमर के हाथ को झटके से
अलग कर मेरे गाल मसल बोली, “अब हम लोगो से शरमाओ नही. हम लोगो
को पाकर सब भूल जाओगे. खूब मज़ा लो.”
इस पर मैं उसके ब्लाउस मे उभरे निपल को पकड़ तड़प कर
बोला, “हाए कितनी खूबसूरत हैं आपकी.”
“अब हमारे साथ मज़ा लेते चलो. ट्रेन तो सुबह पहुँचेगी. तुम
बहुत भोले हो, मेरा दिल आ गया तुम्हारे भोलेपन पर. दो के साथ
मज़ा ले चुके हो.”
“जी दोनो बेकार थी. हाए कितनी प्यारी घुंडी हैं आपकी.”
“मेरा कहा मनोगे तो जन्नत मिलेगी. छोटी वाली ननद की तो तेल
लगाने वाली है. उसकी भी चखाउन्गि पर जब मुझे अपनी जवानी का
मज़ा दोगे.”
“हाए भाभी मेरा सब कुछ आपका है, जो कहेंगी करूँगा बस मुझे
अपना किरायेदार बना लो.” और दोनो निपल को मसल्ने लगा.
वह मुझसे बोली, “हाए छोड़ो मैं जैसे कहती हूँ वैसे करो. उन
औरतो को चोदा ही था या ऐश भी किया था?”
“हाए उनका नाम मत लीजिए.”
“देखो राज शर्मा मेरी जवानी को वही समहाल सकता है जो मेरे साथ
अययशी करे. तुम केवल टाँग उठाकर चोदने वाले हो. हम लोग
खुलकर मज़ा लेने वाले को ही किरायेदार रखते हैं.”
“जी मुझे मंज़ूर है.”
“ठीक है घबराओ नही रास्ते भर ऐश करते घर ले चलेंगे.
बोलो मेरी सास को चोदोगे?”
“जी.”
“और मुझे?”
“आपको भी.”
“और मेरी दोनो मस्तानी ननदों को?”
“उनको भी.”
वह जादूगरनी थी. उसने मुझे अपने पास आने का इशारा किया. पास
गया और उसके इशारे पर उसकी चूचियों पर हाथ फेरा तो वह मेरा
हाथ पकड़ अपनी चूचियों पर दबाती बोली, “आज कोई मिला है. दोनो
हाथ से मेरी कमर दबाओ.” मैं कमर को दबाने लगा तो वह
बोली, “कमर दबाते हुए सारी खोलो. तुम्हारी जवानी की प्यास इसी
ट्रेन मे बुझा दूँगी. अभी चुदवाउंगी तुमसे.”
क्रमशः.......................
Hawas ki gulaam --2
gataank se aage.....................
Main badi ke baad haath main aane wali choti choochiyon ko paa
ekdam se kasmasa gaya. Main frock par se Mina ki choochiyon ko pyaar
se masalne laga. Kabhi sapne main bhi is tarah ka maza nahi liya
tha. Tabhi wah aurat mast andaz se boli, “zara kas-kas kar dabaaiye
na tabhi to meri pyaari nanad ko maza aayega.”
Uski baat sun uski nanad Mina boli, “haye Bhabhi maza aa raha hai.”
“jaldi se le lo maza, bhai sahab ko thoda Bina ki bhi chakhana hai.”
Bina sabse choti aur 18 saal ki thi. Main Mina ki daba raha tha.
Nipple frock main ubhare the aur iski choochiyon ko dabane se to aur
bhi maza aa raha tha. Tabhi wah mujhse boli, “bhai sahab.”
“haan.” “hamare yahan kirayedaar bankar rahiye to chodaan aur bhojan
dono ka intezaam ho jayega.
Uski baat sun main kasmasa gaya. Wah is tarah ki gandi baate karti
mujhe dekh rahi thi. Mina bhi apni Bhabhi ki tarah choochiyon ko
ubhaar kar masalwa rahi thi. Mina ke honth kase the aur aankh band
thi. Usko dekh uski Bhabhi boli, “nipple maslo haye ab yah jaane
wali hai.”
Main uske ishare ko samajh nipple ko frock ke kapre se pakad masalne
laga to chhokri apni raano ko kasti sitkari le mujhe pagal banane
lagi. 10-12 baar main hi uski choot bhi Bhabhi ki choot ki tarah
namkin pani ko chadhdhi main tapkane laga.
Choot ke pani se apni chadhdhi gili kar wah lambi lambi saanse leti
katili nazro se mujhe dekhte pichhe jaane lagi to uski mast Bhabhi
mere lund ko pakadti boli, “haye tumhara to abhi bhi nahi nikla.”
Is par maine uski choochiyon ko pakad deewangi ke saath kaha, “ise
iski khuraak do tab niklega.”
Wah chalak aurat meri mardangi ko naap rahi thi. Jawan nanad ki
choochiyon ko masal main us aurat ka gulaam ban gaya tha. Yakin tha
ki wah apne saath hi apni jawan nanado ka maza bhi dilwaayegi. Usne
lund pakada aur maine blouse ke oopar se choochiyon ko pakada to laga
ki apne aap ko bhool gaya hoon.
Tabhi uske aage uski sabse choti nanad Bina apni 18 saal ki gadaraai
jawani lekar baithi to wah muskaan ke saath lund ko dabati boli, “lo
bhai sahab thoda isko bhi.”
Main gadgad ho gaya. Umar ke hisaab se 18 saal ki laundiya ki bhi
kafi badi thi. Badi bahan ki tarah yah bhi chadhdhi aur frock main
thi. Choochiyan ubhar rahi thi aur tamatar si thi. Iski to aaraam se
ek haath main aane wali thi. Badi wali nanad ki tarah ise bhi apni
god main bithati uske tamatar par haath ferti boli, “lo masalo bhai
sahab abhi tumhara down ho jayega.”
Tabhi mujhe choti wali ki gori-gori raano ke beech ki chadhdhi dikh
gayi. Main ek haath ko betaabi ke saath uski jawan ho rahi
choochiyon par laga mast ho khoobsurat jawan aurat ko dekhte doosre
haath ko ladaki ki choot ki or sarkate bola, “haye thoda niche ka
bhi tabhi to down hoga.”
“ghar chalkar aaram se lena poora maza. Abhi bas zara daba do.”
Jab maine choti wali Bina ki choochiyon ko dabaya to usne bhi apni
badi bahan ki tarah dono choochiyon ko aage ubhaar diya. Main choti
wali ke kachche anaar si dono choochiyon ko masalta masti ki seema
ko paar karne laga.
Tabhi uski Bhabhi ne haath aage kar mere lund ko pant ke oopar se
pakada aur mast supare ko dabati boli, “hamare paas tumko jannat ka
maza milega. Maza lo ab niklega.”
Uski is harkat se khush ho lund ko jhatke deta choti choochiyon ko
masalne laga. Wah bhi apni badi bahan ki tarah khush lag rahi thi.
Tabhi mera lund pant main jhadne laga to maine kach-kacha kar Bina
ki choochiyon ko kaskar pakad liya aur tab tak pakade raha jab tak
mera lund jharkar thanda nahi ho gaya. Lund buri tarah jhada tha.
Poori panti bheeg gayi thi. Usne mere haath ko Bina ki choochiyon se
hata use pichhe kiya aur khud aage aa mujhse chipak kar baithi.
Jhadne ke baad main Sharma raha tha par har size ki titliya ek saath
paakar maza aaya tha. Wah mujhse chipki thi aur uski dono nanad chup
baithi hame dekh rahi thi.
10 minat baad meri kamar main haath daal muskaan ke saath
boli, “maza aaya?”
jawab dene me main sharmaaya to wah aur chipakti boli, “kyon Sharma rahe
ho? Main achchi nahi lag rahi kya?”
“j..ji aap to bahut khoobsurat hain, bahut maza diya aapne.”
“abhi to kuch nahi, jab kiraayedaar bankar hamare saath rahoge tab
dekhna. Kasam se tumhari jawani ne loot liya. tum to ham teeno ko ek
baar main hi thanda kar doge. Meri nanade pasand aayi?”
“j..ji bahut.”
“choti wali Bina ki bhi chakhwa doongi. Ab kya sharam aaram se meri
kamar main haath daal kar baitho. Koi nahi dekh raha hai, sab so rahe
hain.”
Us aurat ne thanda karke dubara meri jawani ko chednaa shuru kar
diya. Maine dheere se uski kamar main haath daala to wah gaal se gaal
sata kar boli, “hamare ghar main rahoge to har cheez ki aaram rahegi.
Ghar main kewal saas hai. Hamko bahut maanti hai. Abhi sirf 45 ki
hai par lagti 35 ki hai. Usko bhi tumhari khuraak dilwaakar jawan
karwa doongi to wah bhi ham logo ke saath mauj masti karegi. Main
apne pati se khush nahi hoon. Wah Bombay main hai aur uska ekdam
mariyal sa hai. Abhi mujhe koi bachcha bhi nahi hua hai.”
“j..ji aapki shadi ko to bahut din ho gaye honge?”
“kahan abhi to saal bhar bhi nahi hua hai. Dono laundiya mere haath
main, jisko kahoge uski dilwa doongi.”
Jab usne nanad ke saath-saath saas ko bhi chudawaane ki baat ki to
main maze se bhar thande ho gaye lund ko fir se khada karne laga aur
uski kamar ko kas dono choochiyon par haath rakh diya. Wah
boli, “ghar par koi nahi hai. Raja meri kasam sach-sach bataao kitni
baar chodaa hai ab tak?” ab tum kahne ko bhaiyya aur mere liye sainya
ho.”
Uske is khule question par badan ki thandak gayab ho gayi. Mere
loose lund main tension aaya. Mujhe anokha lag lag raha tha ki wah
mere jaise anjaan ke saath is tarah kar rahi hai jaise koi mastani
randi apne purane aur manpasand custumer ke saath kar rahi ho aur
wah bhi ghar par nahi balki chalti train me. Raat aadhi nikal
chuki thi. Bheed ke karan sabhi ek doosre par lade so rahe the.
Oopar jo ho raha tha use kewal uski dono nande hi dekh sakti thi jo
apni-apni choochiyan masalwaa kar apni-apni chadhdhi gili karne ke baad
chup thi. Uske khule sawal par meri jawani baukhala gayi aur maine
uske damakte chehre par nazar jama thoda jhenpte hue use dekha to
wah choochi ko ubhaar kar kamar ko haath se dabaati
boli, “ab kya jhijhak, mere saath jannat ki sair karte chalo. Bataao
kitni ko chodaa hai?”
Is par main uski papite si choochiyon ko dabate bola, “haye kitni
achchi ho. Ab main shadi nahi karunga. Aap mujhe kirayedaar banakar
rakhiye.”
Is par wah masti se bhar boli, “pahle jawab do kitni ko chodaa hai?”
wah gaal ko mere munh ke paas la baat kar rahi thi jisse badan
sansana raha tha.
Train ke hasin maze ko lootate bola, “bas ek-do ko.”
“meri tarah jawan thi?”
“haan par sab bekaar, haye Bhabhi aap kitni pyaari hain.” Aur blouse
ke oopar se uski chuchiyo ko masla.
Mujhe us aurat ke paas jo maza mil raha tha uske aage sab maze
pheeke the. Wah dono nanado ki or dekh kamar ke haath ko jhatke se
alag kar mere gaal masal boli, “ab ham logo se sharmaao nahi. Ham logo
ko paakar sab bhool jaaoge. Khoob maza lo.”
Is par main uske blouse main ubhare nipple ko pakad tadap kar
bola, “haye kitni khoobsurat hain aapki.”
“ab hamare saath maza lete chalo. Train to subah pahunchegi. tum
bahut bhole ho, mera dil aa gaya tumhare bholepan par. Do ke sath
maza le chuke ho.”
“ji dono bekaar thi. Haye ktini pyaari ghundi hain aapki.”
“mera kaha manoge to jannat milegi. Choti wali nanad ki to tel
lagane wali hai. Uski bhi chakhaaungi par jab mujhe apni jawani ka
maza doge.”
“haye Bhabhi mera sab kuch aapka hai, jo kahengi karunga bas mujhe
apna kirayedaar bana lo.” Aur dono nipple ko masalne laga.
Wah mujhse boli, “haye chodo main jaise kahti hoon waise karo. Un
aurato ko chodaa hi tha ya aish bhi kiya tha?”
“haye unka naam mat lijiye.”
“dekho Raj sharma meri jawani ko wahi samhaal sakta hai jo mere saath
aiyyashi kare. tum kewal taang uthakar chodane wale ho. Ham log
khulkar maza lene wale ko hi kirayedaar rakhte hain.”
“ji mujhe manzoor hai.”
“theek hai ghabraao nahi raaste bhar aish karate ghar le chalenge.
Bolo meri saas ko chodoge?”
“ji.”
“aur mujhe?”
“aapko bhi.”
“aur meri dono mastani nanado ko?”
“unko bhi.”
Wah jaadugarni thi. Usne mujhe apne paas aane ka ishara kiya. Paas
gaya aur uske ishare par uski choochiyon par haath fera to wah mera
haath pakad apni choochiyon par dabati boli, “aaj koi mila hai. Dono
haath se meri kamar dabaao.” Main kamar ko dabane laga to wah
boli, “kamar dabate hue sari kholo. tumhari jawani ki pyaas isi
train main bujha doongi. Abhi chudawaaungi tumse.”
kramashah..................... ..
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मैं बड़ी के बाद हाथ मे आने वाली छोटी चूचियों को पा
एकदम से कसमसा गया. मैं फ्रॉक पर से मीना की चूचियों को प्यार
से मसल्ने लगा. कभी सपने मे भी इस तरह का मज़ा नही लिया
था. तभी वह औरत मस्त अंदाज़ से बोली, “ज़रा कस-कस कर दबाइए
ना तभी तो मेरी प्यारी ननद को मज़ा आएगा.”
उसकी बात सुन उसकी ननद मीना बोली, “हाए भाभी मज़ा आ रहा है.”
“जल्दी से ले लो मज़ा, भाई साहब को थोड़ा बीना की भी चखना है.”
बीना सबसे छोटी और 18 साल की थी. मैं मीना की दबा रहा था.
निपल फ्रॉक मे उभरे हुए थे और इसकी चूचियों को दबाने से तो और
भी मज़ा आ रहा था. तभी वह मुझसे बोली, “भाई साहब.”
“हां.” “हमारे यहाँ किरायेदार बनकर रहिए तो चोदन और भोजन
दोनो का इंतज़ाम हो जाएगा.
उसकी बात सुन मैं कसमसा गया. वह इस तरह की गंदी बाते करती
मुझे देख रही थी. मीना भी अपनी भाभी की तरह चूचियों को
उभार कर मसलवा रही थी. मीना के होंठ कसे थे और आँख बंद
थी. उसको देख उसकी भाभी बोली, “निपल मस्लो हाए अब यह जाने
वाली है.”
मैं उसके इशारे को समझ निपल को फ्रॉक के कपड़े से पकड़ मसल्ने
लगा तो छ्छोकरी अपनी रानो को कस्ति सिसकारी ले मुझे पागल बनाने
लगी. 10-12 बार मैं ही उसकी चूत भी भाभी की चूत की तरह
नमकीन पानी को चढ्ढि मे टपकाने लगी.
चूत के पानी से अपनी चढ्ढि गीली कर वह लंबी लंबी साँसे लेती
कॅटिली नज़रो से मुझे देखते पिछे जाने लगी तो उसकी मस्त भाभी
मेरे लंड को पकड़ती बोली, “हाए तुम्हारा तो अभी भी नही निकला.”
इस पर मैने उसकी चूचियों को पकड़ दीवानगी के साथ कहा, “इसे
इसकी खुराक दो तब निकलेगा.”
वह चालाक औरत मेरी मर्दानगी को नाप रही थी. जवान ननद की
चूचियों को मसल मैं उस औरत का गुलाम बन गया था. यकीन था
कि वह अपने साथ ही अपनी जवान ननदों का मज़ा भी दिलवाएगी. उसने
लंड पकड़ा और मैने ब्लाउस के ऊपर से चूचियों को पकड़ा तो लगा
की अपने आप को भूल गया हूँ.
तभी उसके आगे उसकी सबसे छोटी ननद बीना अपनी 18 साल की गदराई
जवानी लेकर बैठी तो वह मुस्कान के साथ लंड को दबाती बोली, “लो
भाई साहब थोड़ा इसको भी.”
मैं गदगद हो गया. उमर के हिसाब से 18 साल की लौंडिया की भी
काफ़ी बड़ी थी. बड़ी बहन की तरह यह भी चढ्ढि और फ्रॉक मे
थी. चूचियाँ उभर रही थी और टमाटर सी थी. इसकी तो आराम से
एक हाथ मे आने वाली थी. बड़ी वाली ननद की तरह इसे भी अपनी
गोद मे बिठाती उसके टमाटरो पर हाथ फेरती बोली, “लो मसलो भाई
साहब अभी तुम्हारा डाउन हो जाएगा.”
तभी मुझे छोटी वाली की गोरी-गोरी रानो के बीच की चढ्ढि दिख
गयी. मैं एक हाथ को बेताबी के साथ उसकी जवान हो रही
चूचियों पर लगा मस्त हो खूबसूरत जवान औरत को देखते दूसरे
हाथ को लड़की की चूत की ओर सरकाते बोला, “हाए थोड़ा नीचे का
भी तभी तो डाउन होगा.”
“घर चलकर आराम से लेना पूरा मज़ा. अभी बस ज़रा दबा दो.”
जब मैने छोटी वाली बीना की चूचियों को दबाया तो उसने भी अपनी
बड़ी बहन की तरह दोनो चूचियों को आगे उभार दिया. मैं छोटी
वाली के कच्चे अनार सी दोनो चूचियों को मसलता मस्ती की सीमा
को पार करने लगा.
तभी उसकी भाभी ने हाथ आगे कर मेरे लंड को पॅंट के ऊपर से
पकड़ा और मस्त सुपरे को दबाती बोली, “हमारे पास तुमको जन्नत का
मज़ा मिलेगा. मज़ा लो अब निकलेगा.”
उसकी इस हरकत से खुश हो लंड को झटके देता छोटी चूचियों को
मसल्ने लगा. वह भी अपनी बड़ी बहन की तरह खुश लग रही थी.
तभी मेरा लंड पॅंट मे झड़ने लगा तो मैने कच-कचा कर बीना
की चूचियों को कसकर पकड़ लिया और तब तक पकड़े रहा जब तक
मेरा लंड झारकर ठंडा नही हो गया. लंड बुरी तरह झाड़ा था.
पूरी पॅंटी भीग गयी थी. उसने मेरे हाथ को बीना की चूचियों से
हटा उसे पिछे किया और खुद आगे आ मुझसे चिपक कर बैठी.
झड़ने के बाद मैं शरमा रहा था पर हर साइज़ की तितलिया एक साथ
पाकर मज़ा आया था. वह मुझसे चिपकी थी और उसकी दोनो ननद चुप
बैठी हमे देख रही थी.
10 मिनट बाद मेरी कमर मे हाथ डाल मुस्कान के साथ
बोली, “मज़ा आया?”
जवाब देने मे मैं शरमाया तो वह और चिपकती बोली, “क्यों शर्मा रहे
हो? मैं अच्छी नही लग रही क्या?”
“ज..जी आप तो बहुत खूबसूरत हैं, बहुत मज़ा दिया आपने.”
“अभी तो कुछ नही, जब किरायेदार बनकर हमारे साथ रहोगे तब
देखना. कसम से तुम्हारी जवानी ने लूट लिया. तुम तो हम तीनो को एक
बार मे ही ठंडा कर दोगे. मेरी ननदे पसंद आई?”
“ज..जी बहुत.”
“छोटी वाली बीना की भी चखवा दूँगी. अब क्या शरम आराम से मेरी
कमर मे हाथ डाल कर बैठो. कोई नही देख रहा है, सब सो रहे
हैं.”
उस औरत ने ठंडा करके दुबारा मेरी जवानी को छेड़ना शुरू कर
दिया. मैने धीरे से उसकी कमर मे हाथ डाला तो वह गाल से गाल
सटा कर बोली, “हमारे घर मे रहोगे तो हर चीज़ की आराम रहेगी.
घर मे केवल सास है. हमको बहुत मानती है. अभी सिर्फ़ 45 की
है पर लगती 35 की है. उसको भी तुम्हारी खुराक दिलवाकर जवान
करवा दूँगी तो वह भी हम लोगो के साथ मौज मस्ती करेगी. मैं
अपने पति से खुश नही हूँ. वह बॉम्बे मे है और उसका एकदम
मरियल सा है. अभी मुझे कोई बच्चा भी नही हुआ है.”
“ज..जी आपकी शादी को तो बहुत दिन हो गये होंगे?”
“कहाँ अभी तो साल भर भी नही हुआ है. दोनो लौंडिया मेरे हाथ
मे हैं, जिसकी कहोगे उसकी दिलवा दूँगी.”
जब उसने ननद के साथ-साथ सास को भी चुदवाने की बात की तो
मैं मज़े से भर ठंडे हो गये लंड को फिर से खड़ा करने लगा और
उसकी कमर को कस दोनो चूचियों पर हाथ रख दिया. वह
बोली, “घर पर कोई नही है. राजा मेरी कसम सच-सच बताओ कितनी
बार चोदा है अब तक?” अब तुम कहने को भाय्या और मेरे लिए सैंया
हो.”
उसके इस खुले क्वेस्चन पर बदन की ठंडक गायब हो गयी. मेरे
लूज लंड मे टेन्षन आया. मुझे अनोखा लग लग रहा था कि वह
मेरे जैसे अंजान के साथ इस तरह कर रही है जैसे कोई मस्तानी
रंडी अपने पुराने और मनपसंद कस्टमर के साथ कर रही हो और
वह भी घर पर नही बल्कि चलती ट्रेन मे. रात आधी निकल
चुकी थी. भीड़ के कारण सभी एक दूसरे पर लदे सो रहे थे.
ऊपर जो हो रहा था उसे केवल उसकी दोनो नन्दे ही देख सकती थी जो
अपनी-अपनी चूचियाँ मसलवा कर अपनी-अपनी चढ्ढि गीली करने के बाद
चुप थी. उसके खुले सवाल पर मेरी जवानी बौखला गयी और मैने
उसके दमकते चेहरे पर नज़र जमा थोड़ा झेन्प्ते हुए उसे देखा तो
वह चूची को उभार कर कमर को हाथ से दबाती
बोली, “अब क्या झिझक, मेरे साथ जन्नत की सैर करते चलो. बताओ
कितनी को चोदा है?”
इस पर मैं उसकी पपीते सी चूचियों को दबाते बोला, “हाए कितनी
अच्छी हो. अब मैं शादी नही करूँगा. आप मुझे किरायेदार बनाकर
रखिए.”
इस पर वह मस्ती से भर बोली, “पहले जवाब दो कितनी को चोदा है?”
वह गाल को मेरे मुँह के पास ला बात कर रही थी जिससे बदन
सनसना रहा था.
ट्रेन के हसीन मज़े को लूटते बोला, “बस एक-दो को.”
“मेरी तरह जवान थी?”
“हां पर सब बेकार, हाए भाभी आप कितनी प्यारी हैं.” और ब्लाउस
के ऊपर से उसकी चुचियो को मसला.
मुझे उस औरत के पास जो मज़ा मिल रहा था उसके आगे सब मज़े
फीके थे. वह दोनो ननदों की ओर देख कमर के हाथ को झटके से
अलग कर मेरे गाल मसल बोली, “अब हम लोगो से शरमाओ नही. हम लोगो
को पाकर सब भूल जाओगे. खूब मज़ा लो.”
इस पर मैं उसके ब्लाउस मे उभरे निपल को पकड़ तड़प कर
बोला, “हाए कितनी खूबसूरत हैं आपकी.”
“अब हमारे साथ मज़ा लेते चलो. ट्रेन तो सुबह पहुँचेगी. तुम
बहुत भोले हो, मेरा दिल आ गया तुम्हारे भोलेपन पर. दो के साथ
मज़ा ले चुके हो.”
“जी दोनो बेकार थी. हाए कितनी प्यारी घुंडी हैं आपकी.”
“मेरा कहा मनोगे तो जन्नत मिलेगी. छोटी वाली ननद की तो तेल
लगाने वाली है. उसकी भी चखाउन्गि पर जब मुझे अपनी जवानी का
मज़ा दोगे.”
“हाए भाभी मेरा सब कुछ आपका है, जो कहेंगी करूँगा बस मुझे
अपना किरायेदार बना लो.” और दोनो निपल को मसल्ने लगा.
वह मुझसे बोली, “हाए छोड़ो मैं जैसे कहती हूँ वैसे करो. उन
औरतो को चोदा ही था या ऐश भी किया था?”
“हाए उनका नाम मत लीजिए.”
“देखो राज शर्मा मेरी जवानी को वही समहाल सकता है जो मेरे साथ
अययशी करे. तुम केवल टाँग उठाकर चोदने वाले हो. हम लोग
खुलकर मज़ा लेने वाले को ही किरायेदार रखते हैं.”
“जी मुझे मंज़ूर है.”
“ठीक है घबराओ नही रास्ते भर ऐश करते घर ले चलेंगे.
बोलो मेरी सास को चोदोगे?”
“जी.”
“और मुझे?”
“आपको भी.”
“और मेरी दोनो मस्तानी ननदों को?”
“उनको भी.”
वह जादूगरनी थी. उसने मुझे अपने पास आने का इशारा किया. पास
गया और उसके इशारे पर उसकी चूचियों पर हाथ फेरा तो वह मेरा
हाथ पकड़ अपनी चूचियों पर दबाती बोली, “आज कोई मिला है. दोनो
हाथ से मेरी कमर दबाओ.” मैं कमर को दबाने लगा तो वह
बोली, “कमर दबाते हुए सारी खोलो. तुम्हारी जवानी की प्यास इसी
ट्रेन मे बुझा दूँगी. अभी चुदवाउंगी तुमसे.”
क्रमशः.......................
Hawas ki gulaam --2
gataank se aage.....................
Main badi ke baad haath main aane wali choti choochiyon ko paa
ekdam se kasmasa gaya. Main frock par se Mina ki choochiyon ko pyaar
se masalne laga. Kabhi sapne main bhi is tarah ka maza nahi liya
tha. Tabhi wah aurat mast andaz se boli, “zara kas-kas kar dabaaiye
na tabhi to meri pyaari nanad ko maza aayega.”
Uski baat sun uski nanad Mina boli, “haye Bhabhi maza aa raha hai.”
“jaldi se le lo maza, bhai sahab ko thoda Bina ki bhi chakhana hai.”
Bina sabse choti aur 18 saal ki thi. Main Mina ki daba raha tha.
Nipple frock main ubhare the aur iski choochiyon ko dabane se to aur
bhi maza aa raha tha. Tabhi wah mujhse boli, “bhai sahab.”
“haan.” “hamare yahan kirayedaar bankar rahiye to chodaan aur bhojan
dono ka intezaam ho jayega.
Uski baat sun main kasmasa gaya. Wah is tarah ki gandi baate karti
mujhe dekh rahi thi. Mina bhi apni Bhabhi ki tarah choochiyon ko
ubhaar kar masalwa rahi thi. Mina ke honth kase the aur aankh band
thi. Usko dekh uski Bhabhi boli, “nipple maslo haye ab yah jaane
wali hai.”
Main uske ishare ko samajh nipple ko frock ke kapre se pakad masalne
laga to chhokri apni raano ko kasti sitkari le mujhe pagal banane
lagi. 10-12 baar main hi uski choot bhi Bhabhi ki choot ki tarah
namkin pani ko chadhdhi main tapkane laga.
Choot ke pani se apni chadhdhi gili kar wah lambi lambi saanse leti
katili nazro se mujhe dekhte pichhe jaane lagi to uski mast Bhabhi
mere lund ko pakadti boli, “haye tumhara to abhi bhi nahi nikla.”
Is par maine uski choochiyon ko pakad deewangi ke saath kaha, “ise
iski khuraak do tab niklega.”
Wah chalak aurat meri mardangi ko naap rahi thi. Jawan nanad ki
choochiyon ko masal main us aurat ka gulaam ban gaya tha. Yakin tha
ki wah apne saath hi apni jawan nanado ka maza bhi dilwaayegi. Usne
lund pakada aur maine blouse ke oopar se choochiyon ko pakada to laga
ki apne aap ko bhool gaya hoon.
Tabhi uske aage uski sabse choti nanad Bina apni 18 saal ki gadaraai
jawani lekar baithi to wah muskaan ke saath lund ko dabati boli, “lo
bhai sahab thoda isko bhi.”
Main gadgad ho gaya. Umar ke hisaab se 18 saal ki laundiya ki bhi
kafi badi thi. Badi bahan ki tarah yah bhi chadhdhi aur frock main
thi. Choochiyan ubhar rahi thi aur tamatar si thi. Iski to aaraam se
ek haath main aane wali thi. Badi wali nanad ki tarah ise bhi apni
god main bithati uske tamatar par haath ferti boli, “lo masalo bhai
sahab abhi tumhara down ho jayega.”
Tabhi mujhe choti wali ki gori-gori raano ke beech ki chadhdhi dikh
gayi. Main ek haath ko betaabi ke saath uski jawan ho rahi
choochiyon par laga mast ho khoobsurat jawan aurat ko dekhte doosre
haath ko ladaki ki choot ki or sarkate bola, “haye thoda niche ka
bhi tabhi to down hoga.”
“ghar chalkar aaram se lena poora maza. Abhi bas zara daba do.”
Jab maine choti wali Bina ki choochiyon ko dabaya to usne bhi apni
badi bahan ki tarah dono choochiyon ko aage ubhaar diya. Main choti
wali ke kachche anaar si dono choochiyon ko masalta masti ki seema
ko paar karne laga.
Tabhi uski Bhabhi ne haath aage kar mere lund ko pant ke oopar se
pakada aur mast supare ko dabati boli, “hamare paas tumko jannat ka
maza milega. Maza lo ab niklega.”
Uski is harkat se khush ho lund ko jhatke deta choti choochiyon ko
masalne laga. Wah bhi apni badi bahan ki tarah khush lag rahi thi.
Tabhi mera lund pant main jhadne laga to maine kach-kacha kar Bina
ki choochiyon ko kaskar pakad liya aur tab tak pakade raha jab tak
mera lund jharkar thanda nahi ho gaya. Lund buri tarah jhada tha.
Poori panti bheeg gayi thi. Usne mere haath ko Bina ki choochiyon se
hata use pichhe kiya aur khud aage aa mujhse chipak kar baithi.
Jhadne ke baad main Sharma raha tha par har size ki titliya ek saath
paakar maza aaya tha. Wah mujhse chipki thi aur uski dono nanad chup
baithi hame dekh rahi thi.
10 minat baad meri kamar main haath daal muskaan ke saath
boli, “maza aaya?”
jawab dene me main sharmaaya to wah aur chipakti boli, “kyon Sharma rahe
ho? Main achchi nahi lag rahi kya?”
“j..ji aap to bahut khoobsurat hain, bahut maza diya aapne.”
“abhi to kuch nahi, jab kiraayedaar bankar hamare saath rahoge tab
dekhna. Kasam se tumhari jawani ne loot liya. tum to ham teeno ko ek
baar main hi thanda kar doge. Meri nanade pasand aayi?”
“j..ji bahut.”
“choti wali Bina ki bhi chakhwa doongi. Ab kya sharam aaram se meri
kamar main haath daal kar baitho. Koi nahi dekh raha hai, sab so rahe
hain.”
Us aurat ne thanda karke dubara meri jawani ko chednaa shuru kar
diya. Maine dheere se uski kamar main haath daala to wah gaal se gaal
sata kar boli, “hamare ghar main rahoge to har cheez ki aaram rahegi.
Ghar main kewal saas hai. Hamko bahut maanti hai. Abhi sirf 45 ki
hai par lagti 35 ki hai. Usko bhi tumhari khuraak dilwaakar jawan
karwa doongi to wah bhi ham logo ke saath mauj masti karegi. Main
apne pati se khush nahi hoon. Wah Bombay main hai aur uska ekdam
mariyal sa hai. Abhi mujhe koi bachcha bhi nahi hua hai.”
“j..ji aapki shadi ko to bahut din ho gaye honge?”
“kahan abhi to saal bhar bhi nahi hua hai. Dono laundiya mere haath
main, jisko kahoge uski dilwa doongi.”
Jab usne nanad ke saath-saath saas ko bhi chudawaane ki baat ki to
main maze se bhar thande ho gaye lund ko fir se khada karne laga aur
uski kamar ko kas dono choochiyon par haath rakh diya. Wah
boli, “ghar par koi nahi hai. Raja meri kasam sach-sach bataao kitni
baar chodaa hai ab tak?” ab tum kahne ko bhaiyya aur mere liye sainya
ho.”
Uske is khule question par badan ki thandak gayab ho gayi. Mere
loose lund main tension aaya. Mujhe anokha lag lag raha tha ki wah
mere jaise anjaan ke saath is tarah kar rahi hai jaise koi mastani
randi apne purane aur manpasand custumer ke saath kar rahi ho aur
wah bhi ghar par nahi balki chalti train me. Raat aadhi nikal
chuki thi. Bheed ke karan sabhi ek doosre par lade so rahe the.
Oopar jo ho raha tha use kewal uski dono nande hi dekh sakti thi jo
apni-apni choochiyan masalwaa kar apni-apni chadhdhi gili karne ke baad
chup thi. Uske khule sawal par meri jawani baukhala gayi aur maine
uske damakte chehre par nazar jama thoda jhenpte hue use dekha to
wah choochi ko ubhaar kar kamar ko haath se dabaati
boli, “ab kya jhijhak, mere saath jannat ki sair karte chalo. Bataao
kitni ko chodaa hai?”
Is par main uski papite si choochiyon ko dabate bola, “haye kitni
achchi ho. Ab main shadi nahi karunga. Aap mujhe kirayedaar banakar
rakhiye.”
Is par wah masti se bhar boli, “pahle jawab do kitni ko chodaa hai?”
wah gaal ko mere munh ke paas la baat kar rahi thi jisse badan
sansana raha tha.
Train ke hasin maze ko lootate bola, “bas ek-do ko.”
“meri tarah jawan thi?”
“haan par sab bekaar, haye Bhabhi aap kitni pyaari hain.” Aur blouse
ke oopar se uski chuchiyo ko masla.
Mujhe us aurat ke paas jo maza mil raha tha uske aage sab maze
pheeke the. Wah dono nanado ki or dekh kamar ke haath ko jhatke se
alag kar mere gaal masal boli, “ab ham logo se sharmaao nahi. Ham logo
ko paakar sab bhool jaaoge. Khoob maza lo.”
Is par main uske blouse main ubhare nipple ko pakad tadap kar
bola, “haye kitni khoobsurat hain aapki.”
“ab hamare saath maza lete chalo. Train to subah pahunchegi. tum
bahut bhole ho, mera dil aa gaya tumhare bholepan par. Do ke sath
maza le chuke ho.”
“ji dono bekaar thi. Haye ktini pyaari ghundi hain aapki.”
“mera kaha manoge to jannat milegi. Choti wali nanad ki to tel
lagane wali hai. Uski bhi chakhaaungi par jab mujhe apni jawani ka
maza doge.”
“haye Bhabhi mera sab kuch aapka hai, jo kahengi karunga bas mujhe
apna kirayedaar bana lo.” Aur dono nipple ko masalne laga.
Wah mujhse boli, “haye chodo main jaise kahti hoon waise karo. Un
aurato ko chodaa hi tha ya aish bhi kiya tha?”
“haye unka naam mat lijiye.”
“dekho Raj sharma meri jawani ko wahi samhaal sakta hai jo mere saath
aiyyashi kare. tum kewal taang uthakar chodane wale ho. Ham log
khulkar maza lene wale ko hi kirayedaar rakhte hain.”
“ji mujhe manzoor hai.”
“theek hai ghabraao nahi raaste bhar aish karate ghar le chalenge.
Bolo meri saas ko chodoge?”
“ji.”
“aur mujhe?”
“aapko bhi.”
“aur meri dono mastani nanado ko?”
“unko bhi.”
Wah jaadugarni thi. Usne mujhe apne paas aane ka ishara kiya. Paas
gaya aur uske ishare par uski choochiyon par haath fera to wah mera
haath pakad apni choochiyon par dabati boli, “aaj koi mila hai. Dono
haath se meri kamar dabaao.” Main kamar ko dabane laga to wah
boli, “kamar dabate hue sari kholo. tumhari jawani ki pyaas isi
train main bujha doongi. Abhi chudawaaungi tumse.”
kramashah.....................
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