Saturday, December 14, 2013

FUN-MAZA-MASTI नशीली सुगंध-4

FUN-MAZA-MASTI

 नशीली सुगंध-4
 कोमल ने अभी १५वे साल में कदम रक्खा ही था लेकिन शरीर का विकास जैसे कोई १८-१९ की कन्या हो, दोस्तों आपने देखा होगा की कमसिन कुंवारी लड़कियों में एक हल्का मोटापा होता है जिसे अंग्रेजी में पप्पी फैट कहते हैं, शरीर का हल्का मोटापा उन्हें बेहद आकर्षक बनाता है,, खासकर इससे लड़कियां जबरदस्त सेक्सी लगने लगती हैं और उनके सभी उभार मस्त हो कर दीखते हैं उन विशेष स्थानों जैसे उनके नितम्बों पर, उनके स्तनों पर, उनकी कमर और कूल्हे, उनकी पिंडलिया और जांघें, यहाँ तक की गाल भी फूल जाते हैं, बस पूछिए मत जिन लडकियों को अपने इन घातक अंगों की ताकत का एहसास हो जाता है वो लडकों को पागल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं. और मैं भी ऐसा ही पागल बना बैठा था, उससे भी ज्यादा पागल थी कोमल जिसकी काम वासना में आँखें भी नहीं खुल रहीं थी, उसपर एक खुमार था, मैंने उसके उरोजों को शर्ट से बहार किया और चूसता हुआ एक हाथ उसकी जांघों पर गया और पाया की उसने पैंटी नहीं पहनी थी, मतलब था वो सुबह से घर में नंगी ही घूम रही थी अन्दर से..... मुझे उसकी हिम्मत पर आश्चर्य हुआ,
मैंने पुछा " यह क्या... कुछ पहना नहीं, ऐसे ही घूम रही हो, कोई देख लेता तो ? ".
उसने मुझे चिपका लिया और कहा " तुम्हे दिखाना था, तुमने तो देखा नहीं.. और कौन देखता ? " उसकी बातें मुझे उसे नंगा करने के लिया मजबूर कर रहीं थी, " तो अब दिखा दे न ? " " देख लो न , मैंने रोका क्या ? " और कमर उठा दिया, मैंने उसकी कमर से स्कर्ट के बटन खोले और नीचे सरका कर उसे नंगा कर दिया, उसकी शर्ट उतर कर उसके जोबन को भी नंगा कर दिया, वो पूरी तरह से मदर्जात नंगी थी.....
कोमल की आँखें बंद हो रहीं थी उसपर एक खुमार था, उसने अपने आपको पूरी तरह समर्पित कर दिया था, १५ वर्ष की खूबसूरत कली मेरे से सम्भोग के लिए तैयार और जैसे याचना कर रही हो की मुझे सुख दो, मुझे लूट लो, मेरे शरीर को रौंद दो, मेरे अन्दर समा जाओ. कोमल ने मेरे कंधो और हाथों पर जोरों से खरोंच लिया, वो वासना की आग में जल रही थी और अब उसकी मुंह से सिसकारी निकल रही थी, मैं हाथों को उसकी योनी पर लेगया , वासना के रस से गीली, मैंने अपनी अंगुली अन्दर घुसाई, काफी टाईट, वो चीखने लगी " बाहर निकाल , क्या कर रहा है...दर्द हो रहा है ....", पर मैंने अंगुली अन्दर डाल ही दी और उसकी योनी के अन्दर मसलने लगा, वो चिल्ला रही थी पर उसे आनंद भी आ रहा था, थोड़ी ही देर में बोलने लगी "हा हां हां अच्छा लग रहा है.....बहुत मजा आ रहा है....मेरे अन्दर कुछ हो रहा है....., ..डाल डाल घुसा दे पुरी अंगुली मेरे अन्दर ..." और बडबडाने लगी, कोमल सर पटक रही थी और मुझे नोचे जा रही थी, मेरे होठों को काट लिया, पुरी तरह नंगी मेरे नीचे दबी हुई, मस्त जवान स्त्री शरीर, मेरा मन भी बेकाबू हो रहा था पर मुझे कुछ होश था लेकिन कोमल सुब कुछ देने को तैयार, मैं नहीं चाहता था की कुछ ऐसा हो जाये की बाद में पछताना पड़े,

कोमल बेतहाशा सिसकार रही थी और मुझे गालों और कंधे पर कई जगह काट लिया और नाखूनों से नोच लिया था, उसकी बेचैनी मुझे मजबूर कर रही थी की सब भूल कर उसके साथ सम्भोग कर बैठूं, मैं होश खो रहा था, पर कही दिमाग रोक रहा था, किसी तरह उससे अपने आप को छुड़ाया और कहा अभी नहीं, शाम को मिलेंगे, उसकी आँखों में गुस्सा था, उसको होठों पर चूम कर किसी तरह मनाया और अलग किया, फिर भी उसकी नाराजगी दिख रही थी , उसने मुझे धक्का देकर कहा "अब मत आना मेरे पास" और कपड़े ठीक कर बाहर निकल गयी, मैंने देखा किचेन में जाकर सुबक रही थी, मुझे दुःख तो था पर मन में विश्वास की वो मेरे किये का सही मकसद समझ जायेगी, मैं घर से निकल कर यूं ही बाज़ार में घूमता रहा, शाम को करीब ६ बजे घर पहुंचा तो देखा की सभी लोग किसी मित्र परिवार से मिलने जाने को तैयार हो रहे थे, पिताजी ने मुझसे भी कहा मैंने इन्कार कर दिया, कोमल भी जा रही थी, मेरा मन था वो रुक जाये, मैंने कोमल को किनारे बुला धीरे से कहा तुम मना कर दो, मत जाओ, उसने बेरुखी से कहा " क्यों रुकूं, तुम्हें मेरी जरूरत नहीं" और मुहं फेर चली गयी. मैं घर में अकेला था, ... कोमल की बहुत याद आ रही थी, मन बेचैन था, बार बार उसके जबरजस्त मादक शरीर का ख्याल आ रहा था, उसका सुबकना वो कितनी भोली थी, पर साथ ही लगा की इतनी कामुक कैसे हो सकती है, क्या इसके पहले भी कभी उसने किसी से से शारीरिक सम्बन्ध बनाये थे ? बार बार मन में ये प्रश्न आता था, लेकिन लगता था की इतनी भोली और मासूम दिखने वाली लड़की ऐसा नहीं कर सकती, यह तो बाद में जाना की इस उम्र की लड़कियों पर वासना का भूत जब सवार होता है तो अच्छों अच्छों को शर्मिन्दा कर सकती हैं, खास कर उनके शुरुआती यौन व्यवहार में तो बेहद गर्म होती हैं.

मैंने सोच लिया था रात को आएगी तो छोडूंगा नहीं और उसमे कितना जोश है देखता हूँ और उसका दिमाग भी ठीक करना होगा..... पूरे समय ये ही सब सोचते बीत गया...रोक नहीं पाया तो अपने लिंग से खेलता रहा...रात करीब ११ बजे सभी वापस आये, कोमल ने मुझे देखा भी नहीं...मुहं फुला रक्खा था.... और कुछ ही देर बाद सभी सोने चले गए ...कोमल बाथरूम में गयी तो मैंने बात करने की कोशिस की लेकिन बिना कुछ कहे वो कपड़े बदल अपने कमरे में चली गयी... उसने एक ढीला सा घुटनों तक का पजामा पहना हुआ था और एक छोटी सी ढ़ीली सी कमीज बिना बाँहों की जिसमे उसका यौवन फूट पड़ रहा था, चेहरे पर एक गरूर.... मैं सोच रहा था कैसे इसके घमंड को चूर करूं लेकिन मन ही मन उसपर मर मिट भी रहा था...उसकी कांख के हलके भूरे बाल दिख रहे थे और उरोजों के तनाव से कमीज़ के बटन खिंच रहे थे, स्तनों की घुन्डियाँ कमीज़ पर जोर दे रही थी, साफ़ मालूम हो रहा था की उसने अपनी चोली खोल दी थी और उसके उन्नत स्तन कमीज़ के भीतर आज़ाद थे शायद हमें चिढ़ाने के लिए... एक नज़र हमारी ओर देख कोमल अपने कमरे में भागी... हम देखते रहे, मैंने कमरे में आकर सोने की कोशिश की लेकिन नीद नहीं आई , छोटा भाई बगल में सो रहा था.... कब समय बीत गया मालूम नहीं.. कोमल के कमरे में जाकर कई बार झाँका... वो गहरी नीदं में सोई हुई लगी.... उसकी बगल में उसकी मम्मी थी हिम्मत नहीं हो रही थी उसे छेड़ूँ, कोई जग गया तो क्या होगा .... रात करीब २-२.३० बजे ऐसा लगा जैसे कोई मेरे कमरे के सामने से निकला ..... अँधेरा था. बहुत धुंधली रोशनी में मैं उठ कर बाहर की ओर लपका, देखा कोमल थी जो बाथरूम जा रही थी.... उसने दरवाज़ा बंद किया .... मैं दरवाज़े के पास आया तो बाथरूम से कोमल के पेशाब करने की आवाज़ आ रही थी

मेरे लिंग में कुछ हलचल सी हुई, मैंने हल्के से दस्तक देकर पूछा "कौन है " ...."मैं हूँ" कोमल ने धीमे से कहा, मैं दरवाज़े के बाहर खड़ा रहा, वहां अँधेरा था, .... कोमल कुछ क्षण में पैजामा बाँधती हुई बाहर निकली, मैंने झट उसका हाथ पकड़ लिया और खींच कर उसके होठों पर होठ दबा दिया, "छोड़ो मुझे .." उसने हाथ छुड़ाते हुए कहा, " नहीं बात करनी, तुम क्या समझते हो.... " और जाने की कोशिस करने लगी, मैंने जोरों से उसकी कमर पकड़ फिर से उसे चूम लिया, वो मुझे धक्का दे रही थी, मैंने कहा " ठीक है, जाना है तो जाओ...." और उसे छोड़ दिया ...मेरा शरीर आवेश में गर्म हो रहा था , गुदाज़ स्तनों के स्पर्श से लिंग टाईट होकर खड़ा होगया , मन तो हो रहा था की उसे वहीं जमीन पर ही पटक दूं और उसकी सारी गर्मी मिटा दूं पर मैं चाहता था की वो अपनी ओर से पहल करे और खुद मेरी बाँहों में आये.................कोमल देखती रह गयी, कुछ क्षण रुकी, उसे उम्मीद नहीं थी मैं ऐसा कहूँगा, वो अपने कमरे की तरफ लौटने लगी लेकिन तभी कुछ सोच वापस मेरे नजदीक आयी और मेरा हाथ पकड़ अपने कमर पर लपेट लिया और उरोजों को मेरे सीने से दबा मुझे पीछे धकेल मेरे होठों को चूसने लगी, " तुम क्या समझे, मैं छोड़ दूंगी... क्यूं पहले छेड़ा मुझे ..." और लिपट गयी मुझसे.... वो चूम रही थी, मैं अवाक था उसका बदला रूप देख कर... मेरा लिंग उसकी योनी पर दबाव दे रहा था, उसे व्याकुल करने के लिए ये काफी था... उसने हाथ नीचे कर मेरे हाफ पैंट के उपर से लिंग को पकड़ लिया....
"मुझे सताते हो... अब बताती हूँ ..."
अभी भी गर्व था आवाज़ में, मैंने छेड़ते हुए कहा " अभी तक तो बहुत गुस्सा थी अब क्या हुआ..."
"अब तुम्हारी जान मारने आयी हूँ..." और लिंग को पैंट के अन्दर हाथ डाल जोरों से मरोड़ दिया....
"कोई आ जायेगा... चलो बैठक में चलते हैं... मैंने कहा ,
"वहां कोई देख लेगा, यहाँ अँधेरे में कोई नहीं आएगा... " कहते हुए कोमल ने मेरा हाथ अपने स्तनों पर दबा

....."वहां कोई देख लेगा, यहाँ अँधेरे में कोई नहीं आएगा... " कहते हुए कोमल ने मेरा हाथ अपने स्तनों पर दबा दिया ...
"सब गहरी नींद में हैं , कोई आने वाला नहीं....डरो मत... " कोमल बिलकुल निश्चिंत थी उसे कोई डर नहीं की कोई भी आ जाए...
मेरी उत्तेजना से हालत ख़राब थी उससे भी बुरा हाल कोमल का था, मेरे लिंग को हाथ में लेकर खींच रही थी और अपने पैजामा को नाड़ा खोल नीचे गिरा दिया, उसकी योनी नंगी थी अब, मैंने एक हाथ नीचे लगाया तो योनी एकदम गीली और चिकनी ,
ऐसा जैसे योनी से कोई गर्म हवा सी निकल रही हो, मैंने योनी द्वार पर उंगली लगाई तो जैसे अन्दर फिसल गयी,
" आह अह.. क्या कर रहा है ....आ आ ..बहोत अच्छा लग रहा है... और डाल ना अन्दर .." कोमल जैसे गिडगिडा रही थी,
"डाल न.. समझता नहीं क्या.....रगड़ दे उसे..." . कोमल गर्मी में बोले जा रही थी, मैं देखता रह गया, सोच रहा था ये लड़की एक दिन में ही बल्कि कुछ घंटो में ही कितनी खुल गयी थी और पहले जैसी शर्मीली नहीं थी, ....एक ही दिन में जवानी और वासना के आवेश ने उसे इतना पागल कर दिया था और बेशर्म भी, मैं उसकी योनी को रगड़ रहा था, वो आनंद में डूबी थी, मेरे लिंग को बार बार अपने हथेलियों से घेर कर महसूस कर रही थी और सिसकारी ले रही थी,
"क्या है ये...आ आ मस्त चीज़ है.....मन करता है खा जाऊं..." कोमल कहे जा रही थी, मैं भी उसकी मस्ती देख पागल सा था, लग रहा था लिंग से वीर्य की धार फूट पड़ेगी, अपने पर काबू करना मुश्किल था, उसकी हथेली को लिंग से हटाया पर वो कहाँ मानने वाली थे, नीचे बैठ गयी और पैंट को नीचे खींच मुझे नंगा किया और मेरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पीछे आगे दबाया और लिंग को अपने मुहं में निगल लिया, मैंने उसके
बालों से खेल रहा था, वो नीचे बैठी जैसे कोई लोलीपोप चूस रही हो ऐसे मेरे लिंग को मुहं में ले कर चूस रही थी, ... मेरे दोनों चूतड़ों को हथेलियों से दबाते हुए बड़े मजे से लिंग को मुहं में ले रक्खा था....चूसते हुए कई बार लिंग को काट लिया
" ये क्या... दर्द होता है... काटो मत ... " मैंने कहा तो हंसने लगी,
"पूरा काट लूंगी और तुम बिना इसके रह जाओगे ..."
मैं स्खलित नहीं होना चाहता था, अगर नहीं रोकता तो सुबह की तरह कोमल के मुहं में ही हो जाता,
कोमल को उठाया और चूमते हुए पुछा " इतना पसंद है....तो रख लो... "
"कैसे.." कोमल बोली..
" चलो ड्राइंग (बैठक) में..." मैंने उसके कान में कहा. हमने कपडे ठीक किये और बिना शोर किये बैठक में आ गए,
ड्राइंग में एकदम अँधेरा होता था लेकिन बाहर तरफ दरवाज़े पर रात को एक बल्ब जलता था और उसकी बहुत हल्की धीमी रोशनी ड्राइंग में आती थी, जिससे की अगर कोई ड्राइंग में हो तो बस एक छाया सी मालूम होती थी, मैंने कोमल को सोफे पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ कर उसको आगोश में लेते हुए चूमने लगा, वो भी मेरे मुहं में जीभ डाल कर मेरे चूमने का पूरा जवाब दे रही थी, रात का समय हम दोनों अकेले ड्राइंग में
अधनंगी अवस्था में, अन्दर से डर भी की कोई अगर अचानक आ गया तो क्या होगा, ...यूं तो कोमल को भी डर लग रहा था लेकिन हम दोनों ही
खतरा लेने को तैयार थे, हमें कुछ नहीं सूझ रहा था सिवाय एक दुसरे के साथ मजा लेने के,.....








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