Saturday, December 14, 2013

FUN-MAZA-MASTI नशीली सुगंध-6

FUN-MAZA-MASTI

 नशीली सुगंध-6

 " ओह्ह्ह क्या करते हो.. शरबत बनाने दो... मैं कुछ करूंगी तो बचोगे नहीं...." उसके बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा...
"क्या करोगी" मैंने कहा
कोमल ने चाकू उठाया बोली " यह देख रहे हो, वो काट दूंगी इससे..." और मेरे लिंग की तरफ इशारा किया
"फिर तुम्हारी इस बेचैन मुन्नी का क्या होगा... " मैंने उसकी योनी को मसलते हुए कहा,
"मेरे से ज्यादा बेचैन तो तुम हो...." कोमल ने कहा,
" अच्छा ? ...तो देख " मैंने कहा और उसपर झपटा, वो बिल्ली की सी तेजी से निकल मुझे चिढ़ाती हुई ऊपर सीढ़ियों की तरफ भागी, मैं नीचे से देखता रहा,
" ... पकड़ सकता है मुझे ? " ...वो ऊपर सीढ़ियों पर खड़ी खिलखिला रही थी ..मैं हैरानी से देख रहा था... क्या जिस्म.. क्या अदा.. क्या मासूमियत..कभी बचपन में सोचा भी नहीं था की ये लड़की जवान होने पर ऐसी क़यामत बनेगी.. सच पूछिए तो उस समय मन उसे छूने का भी नहीं था, सिर्फ देखते रहने का....कभी आपने कोई हसीँ दृश्य देखा है ? आप सोचते हैं ये बिगड़ न जाए, बस देखते रहें... यही हाल मेरा था...सामने हुस्न, उम्र नादाँ, बेबाक पूर्ण नग्न, जवानी पर एक इंच कपड़ा नहीं... मुझे एक टक देखते हुए देख कोमल शर्मा गयी, उसकी हंसी बंद हो गयी और हम एक दुसरे को निहार रहे थे, वो सीढ़ियों पर ऊपर खड़ी और मैं नीचे, मैं भी पूरी तरह नग्न .. उसके गाल लाल हो गए . शर्म और लाज से....आँखें झुका कर पूछा " ..ऐसे क्यों देख रहे हो ...चलो शरबत बनाते हैं ... " कहती हुई सीढ़ियों से उतरती हुए मेरी और आने लगी, मैं देखता रह गया उसकी मतवाली चाल, कोमल ने अच्छी लम्बाई पाई थी, शरीर की बनावट बड़ी थी, गदराया शरीर, चिकनी काया, शरीर का हर अंग तराशा हुआ, चाल में एक लचक और शरीर में भरपूर मादकता, आँखें और चेहरे पर भी सेक्स का रंग, कोई भी देखे तो इस लडकी में मौजूद गज़ब के सेक्स अपील से बच न सके , ऐसा नशीला बदन और ऐसी ख़ूबसूरती कुछ एक लड़कियों को बनाने वाले की देन होती है , उनके बदन से हर वक्त कामुकता और वासना फूट फूट पड़ती है, कोमल कुछ ऐसी ही थी, मैं बिलकुल सामने खड़ा और वो जैसे कोई हवा से निकली परी की तरह निर्वस्त्र अपने अंगों का प्रदर्शन करती आ रही थी, गोल सुडौल स्तन, भरी भरी जांघें और बीच में सुनहरे हलके रेशों के बीच योनी, शरीर की ही तरह ही गद्देदार योनी पट जिन्होंने योनी को दोनों और से दबा कर दरवाज़े को बंद कर रक्खा था, दूर से ही मालूम पड़ रहे थे रसमलाई की तरह फूले हुए, सर से कन्धों तक लहराते काले रेशमी बाल, पहली बार पूर्ण निर्वस्त्र बदन देख रहा था, वो भी बिलकुल सामने से -- इस प्रकार मानो एक संगेमरमर मूर्ती में जान डाल दी हो. देने वाला भी कभी खूब देता है, कोमल के दाहिने उरोज के उठान पर एक काला तिल और वैसा ही उसकी बांये जांघ पर योनी के थोड़ा नीचे, गोरे चिकने शरीर पर खूब दिख रहे थे, मैं अवाक् सा खड़ा देख रहा था,
" कभी किसी लड़की को नहीं देखा क्या... ? ऐसा क्या है मेरे में . ? " कोमल ने छेड़ने के अंदाज़ में पुछा,
"देखा तो.. पर ऐसा नहीं.... "
" अच्छाआआ... ऐसा क्या है जो देख रहे हो .." कोमल मेरे नजदीक आकर बोली,
"यह है " कहते हुए उसके दोनों उरोजों को हथेलियों में दबा उसके होठों को चूम लिया... मेरा लिंग फिर से खड़ा हो रहा था और देखते देखते पूरे तनाव में आकर लम्बा खड़ा हो कोमल की योनी पर प्रहार कर रहा था, हम कुछ एक मिनट लिपटे रहे फिर कोमल ने कहा "चलो पहले तुम्हें शरबत देती हूँ फिर मुझे देख लेना जितना चाहो ..." हम किचेन में आये और कोमल और मैंने मिलकर शरबत पिया, सारे समय हम एक दुसरे से चुहलबाजी करते रहे,

... उसे हाथ पकड़ कमरे में लेकर आया और पलंग पर गिरा उसपर लोट गया...."एक चीज़ दिखाऊँ ... देखोगी " मैंने पुछा .... "क्या है " कोमल बोली, "यह देख " मैंने कहा और उठकर ड्रोवर से कोहिनूर का पैकेट निकाला और साथ ही एक किताब जिसमें मैथुन से भरे शानदार चित्र थे, मेरे एक दोस्त ने दी थी स्वीडेन की छपी चमकीली किताब जिसमें पुरुष और इस्त्रियों के अनेक चित्र थे मैथुन करते हुए, कोमल ने ऊपर के
कवर को देखते ही आश्चर्य से पुछा " ऐसी किताब..कहाँ से मिली... तुम ये सब पढ़ते हो.. ? "
"छोड दो तुम्हें नहीं देखना तो..." मैंने कहा
"नहीं नहीं, दिखाओ तो क्या है..." उसने उत्सुकता से कहा और मेरे हाथ से किताब खींच ली...
" आआआआ ...क्या कर रही हैं ये लडकी .... कैसे इस तरह की फोटो खिंचवाती हैं.... देखो इसने कैसे पकड़ रक्खा है और क्या कर रही है.... " कोमल की आँखें बड़ी हो गयीं थी, उसने बहुत ही आश्चर्य से एक चित्र को दिखाते हुए कहा जिसमे एक इस्त्री एक पुरुष के लंड को खींचती हुई अपनी योनी में डाल रही थी. हम दोनों नंगे पलंग पर सट कर बैठे थे, कोमल एक एक पन्ना पलट रही थी और आश्चर्य और गौर से सभी फोटो देख रही थी, बीच
बीच में आँख उठा कर मुझे भी देख लेती और शर्मा जाती. उसका हाथ अनायास ही मेरे लिंग को पकड़ सहलाने लगा, वो चित्रों को बहुत ध्यान से देखे जा रही थी और मेरे लिंग को भी हाथों में पकड़ घुमा रही थी, खींच रही थी, मेरा एक हाथ उसकी कमर के पीछे जाकर उसके बाएं स्तन को दबा रहा था और दुसरे हाथ की उँगलियों ने उसकी जांघों को सहलाना शुरू किया और फिसलता हुआ उसके योनी द्वार के पास सिल्क से मुलायम
चूत पर के बालों को सहला रहा था, कोमल का गला सूख रहा था, उसकी आवाज़ उखड़ी सी हो गयी, " बहुत मज़ा आता होगा इनको क्या ?..." उसने मेरी आँखों में देखते हुए कहा....कोमल की जांघों के रोंगटे खड़े हो गए थे जैसे की शरीर में झुरझुरी होने से होती है... उसकी आँखों में लाल डोरे साफ़ दिखने लगे...वो उत्तेजित हो रही थी.. कामुक और नशीली अवस्था में होश खो रही थी, स्तन की घुन्डियाँ टाईट हो गयीं, मेरे शरीर
में सनसनाहट होने लगी, एक चित्र में लड़की दो पुरुषों के साथ मैथुन में लिप्त थी, देख कर कोमल हैरत में आ गयी, " अरे ... यह कैसे.. दो लड़कों से एक साथ कैसे कर सकती है .. " उसने कहा, ....दुसरे ही चित्र में में लड़की के योनी और गुदा द्वार में लड़कों का लंड एक साथ देख कर उसकी आँखें खुली रह गयीं .... कोमल ने मुझे पलंग पर गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़ बैठी , अपने स्तनों से मुझे दबा मेरे को चूमने लगी " तुमने
किसी लडकी को किया है ऐसा"...उसने पूछा ...
"क्या .. " मैंने जान कर कहा
"जो इस किताब में है... क्या कर रहे हैं तुमको नहीं मालूम ?..." कोमल बोली
" पूरा नहीं मालूम .. तुम बताओ न ? "मैंने कहा
"मुझे बुद्धू मत समझ .. तुम्हें सब मालूम है .. मेरे से सुनना चाहता है न ? " कोमल तेज लडकी थी, मेरे कहने का मकसद समझ रही थी
"जब तुम समझती हो तो बताती क्यूँ नहीं .." मैंने कहा..
" मैं नहीं बोलूंगी... मुझे शर्म आती है... तुमने किया कभी ... ?" कोमल बोली पर मैं उसके मुहं से ही सुनना चाहता था की उसकी बाकी बची झिझक भी ख़त्म हो जाये, हम लोग एक दुसरे के निजी अंगों से खेलते हुए बातें कर रहे थे, कोमल मेरे ऊपर चढ़ी हुई अपनी योनी से मुझे धीरे धीरे धक्के दे रही थी,
" जब रात को बैठक में थे तब तो तुम्हें शर्म नहीं आ रही थी ... अब क्यों...?
"उस समय रात थी ..अब शर्म आती है .." कोमल बोली,
"अच्छा मैं आँखें बंद करता हूँ... कोशिश करो ... " मैंने कहा,
" मैं पूछ रही हूँ .. तुमने कभी किसी लड़की को ऐसे किया... है... ऐसे...च.. च... चोदा.. है ...? कोमल ने झिझकते हुए कहा,
मैंने आँखें खोली " हाँ, ऐसे साफ़ बोलोगी तब तो समझूंगा... तुम्हारे मेरे बीच में अब क्या शर्म..." कोमल का चेहरा शर्म से लाल हो गया,
मैंने उसके नितम्बों को दबाते हुए कहा " आज तक तो नहीं चोदा पर आज चोदुंगा ...? "
"किसे.." वो बोली
" तुम्हें.. और किसे..."
"पर मैं तो नहीं करने वाली..जैसा इन फोटो में है ...तुमने कैसे सोचा की मैं तुमसे कुछ करवाऊंगी .." कोमल ने कहा
" ठीक है.. तो फिर हम क्यों हैं यहाँ... चलो...बाहर.." मैंने उठने का बहाना किया...
" रुको तो... मैंने उस चीज़ के लिए मना किया..प्यार करने के लिए तो नहीं... " कोमल का मन तो था पर वो खुल कर बोल नहीं रही थी, कोमल पूरी मेरे ऊपर आ आगयी और मुझे बाँहों में भर मेरे लिंग पर योनी को दबाते हुए मेरे गालों को चाटने चूमने लगी, वो जबदस्त गर्म थी,
हम दोनों एक दुसरे पर उलट पुलट होते रहे, उसकी योनी में रस भर गया था, मेरे लिंग से भी लग रहा था पानी निकल जायेगा,
मैंने उससे कहा " जल्दी कर, माँ आ जायेंगी"
" तुम क्यों घबराते हो अभी देर है .." कहते हुए कोमल ने सर घुमाकर मेरा लिंग मुहं में ले लिया जो उसको अच्छा लगता था, हम 69 की पोजिसन में थे, अपने आप ही उसकी योनी मेरे होठों पर आ गयी और मैंने अपनी जीभ अन्दर डाल दी,
"आह आह.. आःह ... यह क्या हो रहा है ...श्श्श ... श्श्स...." उसकी वासना भरी आवाज़ सुन रहा था....
"इसको चूस ले पूरा... मत छोड़ना... इसको काट ले.....दांत से काट उसे ... " कोमल याचना कर रही थी,

....मेरे लिंग और अंडकोष को हाथों से पकड़ बड़ी ही मस्ती में चूस रही थी, लिंग की चमड़ी को खींच पीछे कर दिया, मेरा लिंग जैसे फट कर पानी फेंकने को तैयार था, और वो पूरा मुहं में डाल उसे मक्खन की तरह स्वाद ले रही थी, मैं भी उसकी योनी को काट रहा था चूस रहा था, वो कराहने की सी आवाज़ निकालने लगी, मेरे दोनों हाथ उसके नितम्बों को दबा रहे थे और उसकी योनी ने मेरे मुहं को बंद कर रक्खा था, नितम्बों
की दरार के बीच उंगली डाल उसके गुहा द्वार के बाहर उंगली घुमाने पर उसे बहुत मज़ा आ रहा था " अरे मत कर...बहुत गुदगुदी होती है वहां हाथ लगाते हो तो.." वो चिल्ला रही थी खुशी में, इससे पहले की मेरा पानी निकल आये, मैंने पलट कर उसके मुहं को अपने चुम्बन से बंद किया उसे दबाते हुए हाथ फैला कर कोहिनूर के पैकट को खोल एक रबर बाहर निकाला और कोमल को दिखाया.... शायद उसने कभी कंडोम नहीं देखा था,
"क्या है... क्या करोगे इसका..." कोमल ने हैरानी से पुछा,
"ये अपने इसको...पहना कर तुझे मज़े कराऊँगा " मैंने अपने लंड की तरफ इशारा कर दिखाया कैसे कंडोम चढ़ाते हैं, कोमल अजीब सी नजरों से देखती रही...
"कभी किसी से सेक्स किया है तुमने " मैंने पूछा
" क्या.. ? .... तुमको क्या लगता है.. मैंने तो किसी को पहले नंगा तक नहीं देखा .... तुम्हें पहली बार देख रही हूँ .. तुमने मुझे फंसा दिया ..." कोमल रूआंसी जैसी हो गयी.. .मुझे लगा मामला बिगड़ गया.. मैंने कोई जल्दबाजी नहीं करने की सोची, अभी तक तो मज़े कर रही थी अब अचानक क्या हो गया...ये लड़कियों का स्वभाव है, मैंने उसे शांत किया... उससे बातें की..
" हम तो एक दुसरे को कितना चाहते हैं... मैं मजाक कर रहा था.." वगैरह, कुछ देर तक उसे समझाता रहा. फिर याद आया मेरे पास एक दूसरी किताब भी है .. मैंने अपनी अलमीरा के नीचे से उसे निकाला ... वो एक हिंदी की किताब थी जिसमे कुछ चित्र भी थे और कहानी भी , कुछ हाथ से बनी पेंटिंग्स भी थीं . उसमे उसे दिखाया की कंडोम कैसे चढ़ाते हैं और फिर क्या करते है....
" मुझे मालूम है .. ये कंडोम है, लगा कर सेक्स करने से पेट में बच्चा नहीं होता.... .." कोमल ने मेरे लिंग को हाथ में लेकर बताया, अब में हैरान था, वो सब जानती थी, मैं तो उसे नादाँ समझ रहा था,
"इसको पहनने से तुम्हारे इसका .. वो जो निकलता है ना ... वो अन्दर नहीं जायेगा... मुझे मालूम है..लड़के लडकी का पानी अन्दर जाकर मिलते हैं तो बच्चा होता है " कोमल मेरे लंड को पकड़ते हुए बोली, अब मुझे लगा जैसे मैं ही बेवक़ूफ़ हूँ और ये तो बहुत चालाक है ,





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