FUN-MAZA-MASTI
झाडियों के पीछे
मैं आज फिर आपको आपसी प्रेम – सम्बन्ध में पड़ी कामुक लड़की की
कहानी सुनाने जा रह हूँ | उसका नाम फुलकी था और मेरा जब उससे रोमांटिक मुड
में गर्म करने के मौके कभी भी हाथ से नहीं जाने देता वो, भी मुस्काती हुई
मुझसे शारीरक रोमांस करने में मेरा खूब सहयोग बटाती थी | फुलकी मेरी किसी
भी हरकत का पहले से ही कोई विरोध नहीं करती थी | एक दिन मैंने उसे अपने
सामने के ही पहाड़ों पर अपने साथ घुमाने ले गया | आज मौसम बड़ा बेईमान सा
लग रहा था | मेरे अंदर भी कामुकता की फुंकार फूटने लगी थी | हम थोड़ ही देर
में वहाँ ठेहलते हुए मस्ती करने लगे | वहाँ बारिश भी होने लगी थी जिससे हम
पुरे भीग चुके थे | मैं मज़े में आ चूका था और उसे झाडियों के पीछे मस्ती –
मजाक में लिपटते हुए ले गया | मैंने उसे कुर्ती को उतारने को ही कहा जिसपर
| मेरी उत्तेजना बढ़ी तो मैंने अपनी पजामे को खोल उसकी सलवार को खोल नीचे गिरा दिया और उससे लिपट कर अपने लंड का जोर उसकी चुत के उप्पर ही देने लगा | मैं अपनी उँगलियों से उसके चूचकों के चारों और घुमा रहा था और फुलकी लंड को निकाल अपनी हथेली में पकडे हुए उसके साथ मुठी मार रही थी | मैंने अब फुलकी के पैंटी को नीचे खींचते हुए अपने लंड को उसकी चुत पर टिकाकर अंदर को देने लगा | फुलकी की को मानो अजब सा चुदाई का डर लग रहा था | मुझे उसे अपने सामने नंगी करने का उतावला पना छाए जा रहा था और मैंने उसे अपने कपडे खोलने की बात खी जिसपर उसने भी मुझे शर्म – हया ना दिखाते हुए अपनी कुर्ती को उतार पलभर में मेरे सामने नंगी हो चली |
फुलकी का नंगा बदन मेरी आँखों से सामने किसी चाँद की तरह निखर रहा था जिसपर मैं अपने चुम्मों से चार – चाँद लगा रहा था | उसकी नंगी चुत मुझे चुदाई के लिए प्रेरित करने लगी और अपनी उँगलियों की आवाजाही से उसकी चुत को अपने लंड के लिए सतर्क कर दिया | मैंने अब उस कामुक लड़की टांग को उठाये उसकी चुत में अपने लंड को घुसाने लगा जिसपर वो भी मछली की तरह तडपती हुई अपनी चुत के भाग हो हिलाने लगी | मैंने झाडियों में उसकी चुत में अपने लंड को ज़ोरदार धक्कों से बढाए जा रहा था | मेरा लंड अब आराम से फुलकी की चुत में आर – पार हुए जा रहा था और अचानक मैं झड़ने को हुए तो मैंने फ़ौरन अपने लंड को बहार निकाल सार मुठ उसके गोरे पेट पर छोड़ दिया |
हम दोनों के चेहरे पर कामुकता की तसल्ली का कोहरा छाया हुआ था | मैं कामुक लड़की, फुलकी के बदन से अब भी लिपटा हुआ वहीँ खड़ा था | उस दिन के बाद से अब हमारा प्रेम – सम्बन्ध कामुकता की डोर में बंधता चला गया था | मैं उसे रोज ही अपने अब वहीँ झाडियों में ले जाया करता और उसके बदन के साथ यूँही खेला करता था | फुलकी को भी इस काम – क्रीडा की मेरे साथ आदत लग चुकी थी |
| मेरी उत्तेजना बढ़ी तो मैंने अपनी पजामे को खोल उसकी सलवार को खोल नीचे गिरा दिया और उससे लिपट कर अपने लंड का जोर उसकी चुत के उप्पर ही देने लगा | मैं अपनी उँगलियों से उसके चूचकों के चारों और घुमा रहा था और फुलकी लंड को निकाल अपनी हथेली में पकडे हुए उसके साथ मुठी मार रही थी | मैंने अब फुलकी के पैंटी को नीचे खींचते हुए अपने लंड को उसकी चुत पर टिकाकर अंदर को देने लगा | फुलकी की को मानो अजब सा चुदाई का डर लग रहा था | मुझे उसे अपने सामने नंगी करने का उतावला पना छाए जा रहा था और मैंने उसे अपने कपडे खोलने की बात खी जिसपर उसने भी मुझे शर्म – हया ना दिखाते हुए अपनी कुर्ती को उतार पलभर में मेरे सामने नंगी हो चली |
फुलकी का नंगा बदन मेरी आँखों से सामने किसी चाँद की तरह निखर रहा था जिसपर मैं अपने चुम्मों से चार – चाँद लगा रहा था | उसकी नंगी चुत मुझे चुदाई के लिए प्रेरित करने लगी और अपनी उँगलियों की आवाजाही से उसकी चुत को अपने लंड के लिए सतर्क कर दिया | मैंने अब उस कामुक लड़की टांग को उठाये उसकी चुत में अपने लंड को घुसाने लगा जिसपर वो भी मछली की तरह तडपती हुई अपनी चुत के भाग हो हिलाने लगी | मैंने झाडियों में उसकी चुत में अपने लंड को ज़ोरदार धक्कों से बढाए जा रहा था | मेरा लंड अब आराम से फुलकी की चुत में आर – पार हुए जा रहा था और अचानक मैं झड़ने को हुए तो मैंने फ़ौरन अपने लंड को बहार निकाल सार मुठ उसके गोरे पेट पर छोड़ दिया |
हम दोनों के चेहरे पर कामुकता की तसल्ली का कोहरा छाया हुआ था | मैं कामुक लड़की, फुलकी के बदन से अब भी लिपटा हुआ वहीँ खड़ा था | उस दिन के बाद से अब हमारा प्रेम – सम्बन्ध कामुकता की डोर में बंधता चला गया था | मैं उसे रोज ही अपने अब वहीँ झाडियों में ले जाया करता और उसके बदन के साथ यूँही खेला करता था | फुलकी को भी इस काम – क्रीडा की मेरे साथ आदत लग चुकी थी |
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