Tuesday, March 4, 2014

FUN-MAZA-MASTI पत्थर के आगे बीन--11

FUN-MAZA-MASTI

 पत्थर के आगे बीन--11

 उस दिन के बाद तो मनीष और रिया रोज ही एक दूसरे से चुदवाने लगे , शायद ही ऐसा कोई दिन निकलता था जब रिया कि चूत के अंदर मनीष का लंड न जाता हो , रिया को भी सेक्स करने में बहुत मजा आता था, उसकी हालत उस नवविवाहित दुल्हन के जैसे थी जो शादी के बाद लगभग रोज चुदाई करवाती है , उस समय का चार्म होता ही कुछ ख़ास है ..

वैसे तो उसने खेतों में, स्कूल में, अपनी सहेली के घर में, और तो और अपने घर में भी मनीष से चुदाई करवायी थी, पर जो मजा उसे मनीष के घर के पीछे वाले कमरे में चुदने में आता था, वो कहीं और नहीं आता था, क्योंकि हर बार मनीष उसे तभी अपने घर लेजाकर चोदता था जब उसके माता - पिता कही गए होते थे , पर हरिया काका हमेशा घर पर ही होते थे, और जब भी मनीष छुपकर पीछे वाले कमरे कि तरफ आता था तो हरिया काका भी भाग कर अपनी जगह पर जाकर छुप जाते थे और उस दिन कि चुदाई रिया के लिए सबसे मजेदार होती थी , वो खुल कर चुदवाती थी और तेज-२ आवाजें भी निकालती थी क्योंकि उसे पता था कि ये सब आवाजें हरिया काका सुन रहे होते हैं .

आज भी ऐसा ही दिन था, हमेशा कि तरह मनीष ने रिया को पीछे वाले कमरे में जाने के लिए कहा और खुद थोड़ी ही देर में वहाँ पहुँच गया.

वो पहले से ही अपने सारे कपडे उतार कई नंगी नागिन कि तरह घांस पर लोटनिया मार रही थी

उसका एक हाथ अपनी ब्रेस्ट पर था, दूसरा चूत के अंदर , आँखों से काम वासना टपक रही थी और अंदर एक तूफ़ान जन्म ले चूका था.

हरिया काका भी अपनी जगह आ चुके थे और अपनी धोती को खोकर उन्होंने नीचे फेंक दिया और दरार से झांककर अंदर का नजारा देखते हुए अपने लंड को मसलने लगे.

जैसे ही मनीष वहाँ पहुंचा, उसने झटके से उठकर उसकी टाँगे पकड़ ली और जल्दी -२ उसकी पेंट कि बेल्ट खोलकर उसे नीचे गिरा दिया, और जैसे ही उसका 6 इंच का लंड उसके सामने नाचा उसकी जीभ भी हरकत में आकर नाचने लगी उसके ऊपर नीचे, और एक मिनट के अंदर ही उसके मुंह से झाग निकलने लगी और मनीष अपने पंजों पर खड़ा हुआ सिर्फ कराह ही रहा था.


''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह साली .......... काट कर अलग ही कर देगी क्या। ……अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……धॆएरे चूस भेन की लोड़ी ………।उम्म्म्म्म्म्म्म्म ''

रिया को भी ऐसी गालियां सुनने में मज़ा आता था, उसके अंदर कि कुतिया जाग उठती थी ऐसी गालियां और बाते सुनकर और वो तेजी से वो सब करने लगती जिसके लिए वो मना कर रहा होता था.

अभी उनका कार्यकर्म चल ही रहा था कि मनीष के फ़ोन कि घंटी बज उठी , उसने जल्दी से अपनी पेंट से फ़ोन निकाला, वो उसके पिताजी का था, उसने रिया को चुप रहने का इशारा किया और फ़ोन उठाया


 ''हेल्लो …… हाँ पिताजी .... बोलिये …क्या …।अभि , पर मैं .......ओहो …… मैं आता हु , …।''

इतना कहकर उसने फ़ोन रख दिया और नीचे झुककर अपनी पेंट ऊपर कर ली..

''क ककया हुआ। ….इसे कैसे चल दिए एकदम से … अभी तो कुछ हुआ भी नहीं , ''

रिया ने हकलाते हुए कहा .

उसे तो ऐसा लगा कि किसी ने उसके सामने से पकवान से सजी हुई थाली उठा ली है.

मनीष : " वो पिताजी तहसील गए है न, जमीन को खरीदने कि बात चला रखी है आजकल सरकार ने, उसके लिए मेरे सिग्नेचर भी चाहिए उन्हें , अभी जाना होगा, नहीं तो ये काम फिर से लटक जाएगा, मैं चलता हु, तुम भी कपडे पहनो और निकल जाओ , ओके …''

इतना कहकर वो भागता हुआ बाहर गया और अपनी जीप में बैठकर तहसील के लिए निकल गया..

रिया वहाँ नंगी बैठी रेह गयी , उसका बदन जल रहा था, उसकी चूत से बुलबुले निकल रहे थे, इतनी ज्यादा चुदाई कि इच्छा तो उसे आजतक नहीं हुई थी , तभी उसे हरिया काका का ध्यान आया , उसने मन ही मन निश्चय कुछ कर लिया ,उसने सोचा, एक न एक दिन तो उसे हरिया काका से चुदवाना ही है, तो आज ही सही ..और वो उठकर वहाँ चल दी जहाँ हरिया काका खड़े थे ..

वो कमरा दरअसल जानवरों के लिए घांस फूंस रखने वाला कमरा था, पीछे कि दिवार बांस के डंडो से बनी थी और उसपर घांस फूस लगाकर ऊपर तक खड़ा किया गया था उसे , उसी घांस के बीच में से जगह बनाकर हरिया काका अंदर देखा करते थे.

हरिया काका को रिया को अपनी तरफ आते देखकर एकदम से सकपका से गए,

वो धीरे-२ मचलकर चलती हुई वहाँ तक पहुंची और बोली : "मुझे पता है हरिया काका कि आप यहाँ छुपकर हमेशा मुझे और मनीष को देखा करते हो ……''

हरिया काका के तो होश उड़ गए उसकी बात सुनकर , वो मासूम सी दिखने वाली बच्ची ऐसी बातें खुलकर करेगी, उन्हें विश्वास ही नहीं हो पा रहा था.

हरिया काका ने आँखे लगा कर अंदर देखा तो वो बिलकुल पास खड़ी थी उनके , इतनी पास कि उसके शरीर से निकल रही खुशबु उन्हें साफ़ महसूस हो रही थी , उसकी बड़ी -२ हिरनी जैसी आँखे, लम्बी सुराहीदार गर्दन, मादकता से भरे हुए उसके सुडोल स्तन और नीचे उसकी पतली कमर, और अंत में उसकी चिकनी चूत जिसमे से मीठा रस आधा लटका हुआ सोच रहा था कि नीचे गिरे या फिर वापिस ऊपर चला जाए ....

वो समझ तो रहे थे कि रिया उनसे अब क्या चाहती है, पर फिर भी अपनी तरफ से कोई पहल नहीं करना चाहते थे.

रिया ने जब देखा कि उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आ रहा है तो उसने अपना हाथ ऊपर किया और जहाँ से हरिया काका अंदर देख रहे थे, वहाँ कि घांस में अपनी लम्बी ऊँगली डाल दी, जो हलकी घांस को चीरते हुए दूसरी तरफ से निकल कर हरिया काका कि आँखों के सामने लहराने लगी

उन्होंने उसे देखा और फिर अपना मुंह खोलकर रिया कि पतली और गोरी ऊँगली को अपने मुंह के अंदर निगल लिया .

''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह। .......उ म्म्म्म्म्म …। काकआआअ .......... एस्स्स्स्स्स्स्स्स्स .......''

वो अपनी एक टांग पर खड़ी हो गयी, और दूसरी टांग ऊपर उठा कर अपनी चूत को खुद ही रगड़ने लगी ।

हरिया काका के गर्म मुंह के अंदर अपनी ऊँगली डालकर उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसने खुद कि चूत के अंदर उंगलियां डाल रखी हो , फर्क सिर्फ इतना था कि यहाँ दांत भी थे जो एक अलग ही उत्तेजना पैदा कर रहे थे उसके शरीर में .... धीरे-२ उसने अपनी दूसरी और फिर तीसरी ऊँगली भी उनके मुंह के अंदर डाल दी , हरिया काका किसी प्यासे जानवर कि तरह उसकी उँगलियों का रस पी रहे थे .

रिया ने आस पास कि सारी घांस नोच कर नीचे फेंक दी, अब वो साफ़ तरीके से हरिया काका को देख पा रही थी, अपना हाथ चूसते हुए.

उसकी नजरें नीचे कि तरफ गयी वो उसकी आँखे फटी कि फटी रह गयी , वो नीचे से नंगे थे और उनका लंड किसी लम्बे डंडे कि तरह तन कर खड़ा था , उसे गाँव कि दूसरी औरतों कि बातें याद आ गयी, सच में हरिया काका का लंड बहुत बड़ा है , उसे देखते ही उसके मुंह और चूत में एक साथ पानी आ गया.


 रिया को अपने लंड कि तरफ देखता पाकर हरिया काका ने भी नीचे कि तरफ कि घांस हटाई और अपने डंडे को बांस के डंडो के बीच में फंसा कर रिया कि तरफ खिसका दिया , दो इंच तो उसकी तरफ आ ही नहीं पा रहा था फिर भी बचा हुआ 6 इंच का लंड उसके सामने पहुँच गया , उसने अपने दूसरे हाथ को नीचे किया और उस गर्म रोड को पकड़ कर एक जोरदार सिसकारी मारी..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……… ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …। काका .......... उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ………''

अब उससे सब्र नहीं हो पा रहा था, वो झट से नीचे बैठ गयी और उनके मोटे लंड को सीधा अपने मुंह के अंदर निगल कर जोरों से चूसने लगी

गाँव कि ज्यादातर औरतें लंड चूसने में आनाकानी करती थी, उन्हें तो बस अपनी चूत कि आग बुझवाने से मतलब होता था, रिया को अपना लंड चूसते देखकर हरिया काका को बहुत ख़ुशी हुई , उन्होंने बांस के डंडो को अपने हाथों से पकड़ लिया और आगे कि तरफ जोर से धक्के मारने लगे , उन्होंने अपना कुरता भी उतार कर नीचे फेंक दिया, अब वो पुरे नंगे थे .

उनके हर धक्के से पूरी दिवार हिल रही थी , और रिया भी

पांच मिनट तक ऐसे ही लंड चूसने के बाद रिया कि हालत खराब हो गयी, उसने उनका लंड बाहर निकाला और बोली : "काका , अब बर्दाश्त नहीं होता, जल्दी से अंदर आओ …''

काका समझ गए कि लोहा पूरी तरह से गर्म हो चूका है , उन्होंने भी अपना लंड बाहर खींचा और हाथी जैसी मस्त चाल में चलते हुए धीरे-२ अंदर कि तरफ चल दिए

रिया कि तो हालत ही खराब थी अंदर , वो बड़ी ही बेसब्री से हरिया काका के अंदर आने कि प्रतीक्षा कर रही थी

घर में कोई नहीं था, इसलिए वो नंगी ही बाहर निकल आयी और हरिया काका कि तरफ दौड़ कर पहुंची और उछल कर उनकी गोद में चढ़ गयी

"यहाँ मेरी चूत में आग लगी हुई है और आप अपनी मस्ती में चलकर आ रहे हैं …।''

उसका शिकायत करने का लहजा हरिया काका को भी पसंद आया, उन्होंने अपनी बलिष्ट बाजुओं में उसे उठाया और अपने खड़े हुए लंड के ऊपर उसकी चूत को लगाकर बोले : "अभी बुझाता हु तेरी चूत कि आग अपने पाईप से …''

वो कुछ और बोल पाती, इससे पहले ही हरिया काका ने उसके वजन को छोड़ दिया और उनका लंड उसकी चूत को खीरे कि तरह चीरता हुआ अंदर तक जा घुसा ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …… मरर गयीईईई ……इतना लम्बा ।अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म '''

वो चिल्ला भी रही थी और सिस्कारियां भी ले रही थी,

हरिया काका अभी भी चलते हुए उसे अंदर ले जा रहे थे, इस बीच रिया कि चूत ने पूरी तरह से हरिया काका के लंड को अपने अंदर एडजस्ट कर लिया था .

और जब तक हरिया काका उसे लेकर अंदर पहुंचे , रिया ने उनके गले से लटके हुए ही , धीरे-२ ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया था

अंदर आकर हरिया काका ने एक ही झटके में उसे घांस के बण्डल पर पटक दिया, रिया को तो ऐसा लगा जैसे उसकी चूत से किसी ने उसकी जान निकाल ली है.

''उम्म्म्म्म्म्म ....... तरसाओ मत काका ……।चोदो मुझे ……अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''


 हरिया काका भी शातिर खिलाडी थे , वो बोले : "एक शर्त पर …तुझे रोज रात को मेरे पास आना होगा, ''

रिया के लिए तो ये शर्त नहीं, बल्कि एक वरदान था, क्योंकि उनके लंड को अंदर लेकर वो एक बात तो जान ही चुकी थी कि उसकी चूत का असली दाम तो हरिया काका का लंड ही दे सकता है , उसने ख़ुशी -२ हामी भर दी..

हरिया काका भी मुस्कुराते हुए नीचे झुके और उसकी टाँगे चौड़ी करके अपना पाईप फिर से उसकी चूत में पेल दिया और वहाँ पर लगी हुई आग पर काबू पाने कि कोशिश करने लगे .

उनके हर झटके से वो ऊपर उछल जाती और फिर से नीचे आ गिरती.

''अह्ह्ह्हह्ह काका ओह्ह्हह्ह येस्स्स्स अह्ह्ह्हह्ह ऐसे ही उम्म्म्म्म्म्म्म्म और जोर से काका तेज करो और तेज अह्ह्हह्ह हाँ उम्म्म्म्म्म्म्म्म ''


पर बिना पानी के कब तक आग बुझाते वो, अगले पंद्रह मिनट तक भरपूर झटकों के बाद आखिरकार उन्होंने अपने अंदर पानी का निर्माण कर ही लिया और पाईप के जरिये उसकी चूत के अंदर भी पहुंचा दिया .


अपने अंदर उनका गर्म पानी महसूस करते हुए वो हरिया काका के जिस्म से बुरी तरह से चिपक गयी

''ओह्हह्हह्हह्हह काका …।आज आपने मुझे पूरा तृप्त कर दिया है। ……. अब ये मजा मुझे रोज मिलेगा, उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म …।''

वो मन ही मन खुश हो रही थी .

और हरिया काका कि लिस्ट में एक और नाम जुड़ चूका था .


 और उस दिन के बाद ना जाने कितनी बार रिया ने हरिया काका के लंड से अपनी प्यास बुझाई , मनीष के साथ भी उसका चक्कर चलता रहा, और फिर एक दिन मनीष अपनी पूरी फेमिली के साथ शहर में शिफ्ट हो गया पर रिया को उसकी कमी ज्यादा महसूस नहीं हुई क्योंकि हरिया काका तो हमेशा उसे चोदने के लिए तैयार रहते थे , और फिर एक दिन उसकी भी शादी हो गयी राहुल के साथ और सबकी लाइफ आराम से चलने लगी .

वहाँ पर बैठे - २ रिया कि जिंदगी के वो दिन पूरी पिक्चर कि तरह घूम रहे थे उसकी आँखों के सामने .

आज भी जब से उसने हरिया काका का लंड चूसा था , तब से उसकी चूत भी कुलबुला रही थी उनके लंड को अपने अंदर लेने के लिए.

अगली बाजी शुरू हो चुकी थी , मनीष के पास अब सिर्फ पचास हजार रूपए बचे थे , सबने बूट के पैसे बीच में फेंक दिए.

थापा के पास पैसे ख़त्म हो चुके थे, इसलिए वो अब खेल नहीं रहा था.

बिल्लू के पास भी कम पैसे थे , इसलिए उसने बिना ब्लाइंड चले ही अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास बादशाह, बेगम और चार नंबर आये थे … उसने पेक कर लिया , क्योंकि वो ज्यादा चांस नहीं लेना चाहता था .

हर्षित और राहुल ने ब्लाइंड चली.

राजेश ने पत्ते उठा लिए , उसके पास इक्का, बादशाह और दस नंबर थे. उसने भी चाल चल दी.

अब बारी थी मनीष कि , उसका एक मन तो हो रहा था कि पत्ते देख ले, पर फिर ना जाने क्या सोचकर उसने भी ब्लाइंड चल दी और वो भी डबल , यानि दो हजार कि.

हर्षित और राहुल ने भी डबल ब्लाइंड चल दी.

अब राजेश कि फट रही थी , उसे ब्लाइंड से डबल चाल चलनी थी, यानि चार हजार कि , उसके पत्ते भी इतने बढ़िया नहीं थे, इसलिए उसने मन मारते हुए पेक कर लिया.

अब बीच में थे सिर्फ हर्षित, मनीष और राहुल.

मनीष कि बारी आने पर उसने और दिलेरी दिखाते हुए ब्लाइंड को फिर से डबल कर दिया, यानि चार हजार कि .

वो शायद सोच रहा था कि एक ही बार में या तो इस पार या उस पार .... जुआ खेलने कि लत्त में जुवारी अक्सर ये भूल जाता है कि किस्मत अगर उसके साथ होती तो शायद वो जिंदगी में कभी ना हारता , पर किस्मत ऐसे लोगो का साथ कभी नहीं देती जो बिना सोचे समझे अपनी जिंदगी जीते हैं.

अब तो हर्षित को भी डर सा लगने लगा , उसने अपने पत्ते उठा ही लिए, इसके पास कलर आया था पान का , नम्बर थे चार, पांच और गुलाम , उसने आठ हजार कि चाल चल दी.

एक चाल आ चुकी थी बीच में, इसलिए अब ब्लाइंड चलने का सवाल ही नहीं था , रोहित ने भी अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास सिकुवेनस आयी थी, दो,तीन,चार … उसने भी आठ हजार कि चाल चल दी.

अब मनीष कि बारी थी.

उसने अपने पत्ते उठा कर देखे , उसका दिल जोर से धड़क रहा था, क्योंकि बिना चाल चले ही उसके काफी पैसे बीच में आ चुके थे.


 उसके पास भी कलर था हुक्म का , नंबर थे, इक्का, दस और दो.

उसने भी आठ हजार कि चाल चल दी.

मनीष ने शुरू में ही डबल ब्लाइंड चलकर गेम को शुरू में ही मोटा कर दिया था, और तीन चाल आने के बाद अब बीच में करीब चालीस हजार आ चुके थे

सबने एक - २ चाल और चलकर उसे साठ के पार पहुंचा दिया.

हर्षित को भी लगने लगा कि कहीं दूसरों के पास उससे ज्यादा अच्छे पत्ते तो नहीं है , उसने आठ हजार बीच में फेंके और मनीष से साईड शो मांग लिया , मनीष के पास इक्के का कलर था, इसलिए हर्षित को पेक होना पड़ा.

अब तो मनीष को विश्वास हो गया कि वही जीतेगा.

उसने फिर से चाल चल दी.

राहुल ने मनीष कि नज़रों से बचाकर हर्षित को देखा, और अपने पत्ते भी उसकी तरफ घूमा दिए , जिन्हे देखकर हर्षित ने उसे सर हिला कर खेलने के लिए कहा , वो जानता था कि राहुल के सीकवेन्स वाले पत्ते, मनीष के कलर वाले पत्तो से बड़े हैं.

राहुल निश्चिंत हो गया और उसने फिर से आठ हजार कि चाल चल दी, वैसे वो चाल को डबल भी कर सकता था, पर मनीष कहीं डर कर एक ही बार में शो न मांग ले, वो चाल को बड़ा नहीं रहा था.

मनीष ने अगली चाल चल दी , पर अब उसके पास पैसे ख़त्म होने को थे , अगली चाल के लिए भी उसके पास पैसे नहीं थे.

राहुल को भी पता था कि उसके पास अगली बार के लिए पैसे नहीं है , उसने भी चाल चल दी

अब तो मनीष को बोलना ही पड़ा

मनीष : "यार .... वो ... दरअसल …पैसे ख़त्म हो गए हैं ....''

राहुल : "कोई बात नहीं यार , ऊपर से और मंगा ले भाभी से ''

मनीष जानता था कि दिव्या के पास भी पैसे नहीं होंगे, पुरे पांच लाख रूपए वो हार चूका था, फिर भी अपना सम्मान बनाये रखने के लिए वो रिया से बोला : "रिया, तुम ऊपर जाकर दिव्या से पैसे ले आओ जरा ''

रिया को तो मन मांगी मुराद मिल गयी जैसे.

वो हिरनी कि तरह छलांगे भरती हुई ऊपर तक गयी और बिना खड़काए कमरे में घुसती चली गयी.

अंदर से चिटखनी बंद थी, पर उसे मोड़ कर रोका नहीं गया था, इसलिए एक तेज झटका लगते ही वो नीचे गिर पड़ी और दरवाजा खुल गया.

हरिया काका और दिव्या की चुदाई अभी -२ ख़त्म हुई थी, और वो दोनों नंगे थे और गहरी साँसे ले रहे थे

एकदम से रिया को अपने सामने ऐसे देखकर दोनों के होश ही उड़ गए, हरिया काका भी कभी उसे और कभी दरवाजे कि चिटखनी को देख रहे थे कि वो खुल कैसे गयी आखिर.उन्होंने शुक्र मनाया कि अंदर आने वाली रिया है, उनकी पुराणी राँड .

रिया का अंदाजा सही निकला था , दोनों सच में चुदाई कर चुके थे , रिया को इसका अंदाजा तो था पर भरोसा नहीं था कि लंड चुसाई के बाद दिव्या अपने नौकर का लंड अपनी चूत में भी ले लेगी.

रिया : "ओहो .... तो जो मैं सोच रही थी वो सब यहाँ हो ही चूका है … चलो सही है , वैसे मुझे उम्मीद है कि हरिया काका के लंड से तुम्हारी चूत कि प्यास पूरी तरह से बुझ चुकी होगी , ''

दिव्या ने हँसते हुए अपना सर हिला दिया.

रिया : "चलो बाकी कि बातें बाद में दिव्या , मनीष तुमसे और पैसे मंगवा रहे हैं नीचे अभी …''

दिव्या ने हैरान होते हुए कहा : "पर जहाँ तक मुझे पता है, वो सारे पैसे तो नीचे ले जा चुके हैं , रुको, मैं फिर भी देखती हु ''

और वो नंगी ही उठकर अपनी गांड मटकाती हुई अलमारी तक गयी और झुककर उसमे से पैसे ढूंढने लगी , पर उसमे पैसे होते तो ही मिलते न , पैसे तो मिले नहीं पर उसकी निकली हुई गांड देखकर हरिया काका के लंड का ईमान फिर से डोलने लगा और वो अपने उसे मसलकर फिर से खड़ा करने लगे.

रिया भी समझ गयी कि यहाँ एक और राउंड होने वाला है , और इस बार वो कुछ भी मिस नहीं करना चाहती थी , पर सबसे पहले अपने पति से छुटकारा भी तो पाना था , वो भागकर वापिस नीचे गयी और मनीष से कहा कि ऊपर और पैसे नहीं है ..


मनीष तो ये बात पहले से जानता था, फिर भी अनजान बनता हुआ बोला : "ओहो … यानि मैं दो दिनों में पांच लाख रूपए हार चूका हु … अब क्या करू ....''

रोहित का शैतानी दिमाग कुछ और सोच रहा था , वो जानता था कि जुए में उधार नहीं देना चाहिए, पर वो जीत रहा था इसलिए बोला : "देख यार, अगर तुझे लगता है कि तेरे पत्ते अच्छे हैं और तू और चाल चलना चाहता है तो मैं तुझे पैसे दे सकता हु … पर तुझे जीतने के साथ ही ये पैसे वापिस करने होगे , मंजूर है तो बोल ''

मनीष ख़ुशी -२ उसकी बात मान गया.

पर रोहित ने ये नहीं बताया कि अगर हार गया तो वो कैसे वसूलेगा वो सारे पैसे..

उनकी बात चल रही थी , और किसी का भी ध्यान रिया कि तरफ नहीं था, वो धीरे-२ उलटे पैर वापिस चलती हुई ऊपर कि तरफ चल दी, और कमरे में पहुंचकर उसने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया.

उसका सीना उत्तेजना कि वजह से ऊपर नीचे हो रहा था, दिव्या वाश करने के लिए बाथरूम में गयी हुई थी

हरिया काका अभी तक बेसुध से होकर पलंग पर नंगे लेटे हुए थे , रिया को आता देखकर उनका चेहरा खिल उठा और उसे अपनी ऊँगली के इशारे से अपनी तरफ बुलाया, जैसे कोई पालतू कुतिया को बुलाता है

वो थी ही उनकी पालतू कुतिया, उनके ऊँगली हिलाते ही उसके कपडे उतरने शुरू हो गए..

और नीचे पचास हजार रूपए उधार लेकर मनीष ने फिर से चाल पर चाल चलनी शुरू कर दी.  


 और ऊपर, रिया ने अपनी टी शर्ट उतार कर नीचे फेंक दी , नीचे उसने जींस पहनी हुई थी, जिसके उसने सिर्फ बटन खोल दिए , और लहराती हुई पलंग तक जा पहुंची, वहाँ हरिया काका अपने सर के नीचे अपने हाथो को दबाये पुरे नंगे लेटे हुए थे , और अपने आप को किसी अय्याश राजा से कम नहीं समझ रहे थे, उनकी एक दासी अंदर अपनी रंगी हुई चूत साफ़ कर रही थी और दूसरी उनके सामने रंगवाने के लिए बैठी हुई थी.


रिया जैसी जवान और कड़क माल को अपने सामने पालतू कुतिया कि तरह आता देखकर हरिया काका पूरी तरह से उत्तेजित हो गए, रिया आकर उनके ऊपर लेट सी गयी और उनके लंड को पकड़कर अपनी कोमल उँगलियों से हिलाने लगी और साथ ही साथ हरिया काका के बूढ़े होंठों को अपने कसावदार होंठों में दबोचकर फ्रेंच किस्स का मजा भी देने लगी उन्हें ...

हरिया काका ने उसके सर को बेदर्दी से पकड़ा और उसके गुलाबी होंठो से जड़े हुए चेहरे को अपने लंड के ऊपर दे मारा, और एक ही झटके में उनका कसरती लंड रिया के गीले और गर्म मुंह के अंदर हिचकोले खाने लगा.

उसके मुंह से एक लम्बी सी चीत्कार निकल गयी . …


'''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह कास्स्स्स्स्स्स्स्स्स काआआआ ''''

और फिर अपने पुराने दोस्त को अपने नशीली चाशनी से नहलाने लगी ....

हरिया ने उसकी टांगो को खींचकर अपनी तरफ मोड़ लिया और उसकी खुली हुई जींस के अंदर हाथ डालकर उसकी गुब्बारे जैसी गांड को हाथों में लेकर बुरी तरह से दबाने लगे, जैसे वो मांस कि नहीं रबड़ कि बनी हुई हो..

उनपर दबाव पड़ने से वो और बुरी तरह से छटपटाने लगी और बिस्तर पर जल बिन मछली जैसे तड़पने लगी.

और तभी हरिया काका ने अपनी उँगलियाँ उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दी और वो आनंदमयी चीख के साथ उनके लंड को और बुरी तरह से चूसने लगी..

इसी बीच दिव्या भी बाथरूम से निकल कर बाहर आ गयी और बाहर का नजारा देखकर उसकी साँसे वही रुक कर रेह गयी.

क्या जादू कर रखा है हरिया काका ने सबके ऊपर, वो खुद भी तो नहीं बच पायी थी उनके जादू से, फिर ये रिया तो बचपन से वहीँ रेह रही है, वो तो उनके रंगीले लंड कि दीवानी जरुर होगी..

हरिया काका ने उसकी जींस को खींचकर उतार दिया और उसे पूरा नंगा कर दिया , और फिर उसकी मोटी जांघो को पकड़कर ऊपर कि तरफ खींचते हुए उसकी महक रही चूत को अपने होंठों के सामने ले आये और अपनी जीभ को चम्मच बनाकर उसकी चूत से टपक रही हॉट चॉक्लेट फ़ज आइसक्रीम खाने लगे.

दिव्या भी आकर हरिया काका कि बगल में खड़ी हो गयी और गोर से उन्हें शाही पकवान खाते हुए देखने लगी.

हरिया काका ने अपने बाए हाथ को घुमा कर दिव्या कि टांगो के बीच फंसाया और अपनी एक ऊँगली को जेक कि तरह उसकी चूत में फंसाकर ऊपर कि तरफ दबाव देने लगे, और वो किसी फरारी कार कि तरह हवा में उठती चली गयी...

''आआयययययीईईईई
उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह काका म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''

उसने प्रेम रस में डूबी प्रेमिका कि तरह हरिया काका के सर के बालों में अपनी उंगलिया फंसा कर उसे अपनी तरफ खीचना शुरू कर दिया , पर वो तो रिया कि चूत के अंदर फंसे हुए थे, उनकी जीभ पूरी तरह से अंदर फंसकर किसी खूंटी कि तरह वहाँ अटकी हुई थी.


 पर फिर भी दिव्या के लिए उन्होंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी तरफ मुंह घुमाकर रिया कि चूत के रस में डूबी हुई जीभ को उसके स्तनो पर लगा कर उनका रस पीने लगे..

अपनी चूत में हरिया काका कि ऊँगली और निप्पल पर उनके तीखे दांतो के प्रहार से वो बुरी तरह से तिलमिला उठी और पुरस्कार स्वरुप उसने अपना आधे से ज्यादा मुम्मा हरिया काका के मुंह के अंदर ठूस दिया.

वो बेचारा बुड्ढा सांस तक नहीं ले पा रहा था ..

अब शायद वो भी सोच रहा होगा कि ऐसी उम्र में क्यों उन्होंने दो- २ जवान लड़कियों से पंगा लिया और वो भी एक साथ .


अब हरिया काका कि उँगलियाँ दिव्या के रस में डूबकर पूरी तरह से भीग चुकी थी, उन्होंने उसे बाहर निकाला और उसकी गांड के छेद पर लगाकर जोर से पुश किया..

ये पहला मौका था दिव्या कि गांड के लिए, उसने आज तक अपनी गांड मनीष के सामने भी नहीं परोसी थी, वो उसे सबसे गन्दा काम लगता था सेक्स के खेल का.

पर आज इतनी उत्तेजना में भरी हुई थी कि वो भी उसे सुखद प्रतीक हो रहा था.

उसने हरिया काका कि उँगलियों पर डांस करना शुरू कर दिया

इसी बीच रिया भी उनके भीमकाय लंड को मुंह में लेकर चूसते हुए थक सी गयी,



उसने अपना आसन छोड़ दिया और घूमकर हरिया काका कि तरफ मुंह करके बैठ गयी.

उनका लंड उसकी चूत के नीचे दबा हुआ फड़फड़ा रहा था..

हरिया काका को दिव्या के मुम्मे चूसते देखकर उसके निप्पलो में भी खुजली सी होने लगी और उसने बड़े ही प्यार से उनके चेहरे को अपनी तरफ घुमाकर अपने मुम्मे को उनके मुंह के अंदर धकेला और खुद उनकी जगह लेकर दिव्या के मुम्मे को चूसने लगी.

इसी बीच नीचे का खेल अपनी चरम सीमा पर था.

मनीष ने आठ -२ हजार कि 5 चाले चलकर अपने उधार के पचास हजार में से चालीस हजार ख़त्म कर दिए, अब उसके पास दस हजार बचे थे , अगर वो चाल चलता तो अगली बार कि चाल के लिए उसके पास पैसे नहीं थे, इसलिए मन मारकर उसने बाकी के पैसे नीचे फेंकते हुए शो मांग लिया.

और जैसे ही राहुल ने अपने सिकुवेनस वाले पत्ते नीचे फेंके, उसका चेहरा पूरा पीला पड़ गया, राहुल को पता था कि वो जीत चूका है, इसलिए उसने मनीष के पत्ते देखने कि भी जेहमत नहीं उठायी और पैसे अपनी तरफ समेटने लगा

इतनी बड़ी गेम जो जीता था वो आज..

मनीष का पूरा सर घूम रहा था, उसने तो सिर्फ जीत के बारे में सोचा था, हार जाने के बाद क्या होगा, कैसे होगा, कैसे वो राहुल के पैसे उतारेगा, वो सब तो उसने सोचा भी नहीं था .

अब बारी थी राहुल के कमीनेपन कि....

उसने अपने सारे पैसे गड्डी बनाकर अपनी जेबों में ठूस लिए और मनीष से बोला : "भाई , जैसा तय हुआ था, मैंने तुझे उधार तो दे दिया, अब वो पैसे भी मुझे वापिस चाहिए ''

मनीष (रूवांसी आवाज में ) : "यार , तू तो जानता है, मैं सारे पैसे हार चूका हु, अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है,

राहुल : "वो तो मुझे भी पता है, पर उधार लेने से पहले क्या ये बात नहीं सोची थी कि हार जाने के बाद कैसे उतारेगा ये सब ''

मनीष ने सर झुका लिया : "मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, ये सब कैसे हो गया, मैं पिताजी को क्या जवाब दूंगा, उनके पैसे भी हार चूका हु मैं ''

कुछ देर कि चुप्पी के बाद राहुल बोला : "एक काम हो सकता है, जिससे तुझे मेरे पैसे भी नहीं चुकाने होंगे, और अपने पिताजी को भी कोई जवाब नहीं देना होगा ''

उसने झट से अपना चेहरा ऊपर उठा लिया और बोला : "कैसे … ये कैसे हो सकता है, बताओ जल्दी ''

राहुल : "वैसे ही , जैसे तुम जंगल में बिना पैसे दिए उस मुसीबत से निकल गए थे, अपनी बीबी कि बदोलत। … ही ही …''

उसने जान बूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी बीच में , और नीचता से भरी हुई हंसी हंसने लगा..

मनीष कि समझ में कुछ नहीं आ रहा था, वो बस उसे हँसता हुआ देखे जा रहा था, मनीष के बाकी दोस्तों को जंगल वाली बात पता नहीं थी, इसलिए वो भी उसका मुंह ताकने में लगे थे, पर दिव्या का नाम आ जाने से उन्हें इतना तो पता चल ही चूका था कि राहुल आखिर कहना क्या चाहता है.

मनीष इसलिए राहुल का मुंह ताक रहा था कि क्या सिर्फ वो दिव्या से अपना लंड ही चुस्वा कर उसके पैसे माफ़कर देगा या और कुछ भी करने के लिए बोलेगा, वैसे भी दिव्या के साथ वो कुछ भी करें, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था, पर उसे पिताजी को कोई जवाब नहीं देना पड़ेगा, वो बात उसकी समझ में नहीं आयी थी.

राहुल ने उसकी चिंता का निवारण कर दिया और बोला : "देख भाई, तूने जंगल में सिर्फ अपने पैसे बचाने के लिए अपनी बीबी को मुझ अनजान आदमी का लंड चूसने के लिए बोल दिया, अब वही काम तुझे अपना उधार चुकाने के लिए करवाना पड़ेगा अपनी बीबी से, और रही बात तेरे पिताजी कि तो हम सब मिलकर थोड़े -२ पैसे मिलायेंगे और तेरे इस घर में जो भी काम करवाना है वो सब कराएंगे ''


 हर्षित और बाकी के दोस्तों को राहुल ने फिर आराम से जंगल वाला किस्सा सुनाया जिसे सुनकर उनकी भी आँखे फटी कि फटी रह गयी, और वो सब सोचने लगे कि दिव्या भाभी ने कैसे राहुल का लंड चूसा होगा, सभी अपनी -२ कल्पनाओ के घोड़े दौड़ाने लगे..

तब हर्षित बोला : "पर हम सब क्यों पैसे मिलाकर घर का काम कराएँगे ?"

सभी ने सर हिलाकर उसकी बात का समर्थन किया.

राहुल बोला : "वो इसलिए कि दिव्या भाभी तुम सबके साथ भी वो सब करेगी, जो हम करने को कहेंगे ''

उसकी बात सुनकर सभी के लंड में तरावट सी आ गयी ..

और दूसरी तरफ मनीष अपनी ही केलकुलेशन में लगा हुआ था, उसे इस बात को सुनकर गुस्सा नहीं आया कि उसके दोस्त भी राहुल के साथ मिलकर उसकी बीबी के साथ मजे लेना चाहते हैं, वो तो बस ये सोच रहा था कि उसका उधार उतर जाएगा, घर का काम भी हो जायेगा, वो अपने बाप कि डांट से भी बच जाएगा … बस एक अड़चन लग रही थी उसे, दिव्या इसके लिए तैयार होगी या नहीं ....

साला एक नंबर का हरामी था वो, अपनी बीबी को दांव पर लगाकर अपना काम निकलवा रहा था वो , वैसे ये काम वो पहले भी कर ही चूका था, जंगल में, इसलिए उसे फिफ्टी -२ चांस तो लग ही रहे थे कि दिव्या इसके लिए भी तैयार हो जायेगी


उसने जब अपने दिल कि बात सबके सामने रखी तो हर्षित बोला : "एक काम करते हैं, उसी से चलकर पूछ लेते हैं''

उसे तो जैसे विशवास था कि उसे देखकर दिव्या मना कर ही नहीं सकेगी..

मनीष बोला : "ठीक है, चलो चलते हैं, ऊपर है वो अपने कमरे में, वो जगह ठीक भी रहेगी इस काम के लिए "

साला भड़वा , कितनी जल्दी तैयार हो गया अपनी बीबी को अपने दोस्तों के सामने परोसने के लिए, और सभी को लेकर अपने बेडरूम में चलने को भी तैयार हो गया..

पर उन्हें क्या मालुम था कि ऊपर कमरे में क्या चल रहा है .

ऊपर कमरे में हरिया काका ने आतंक मचा रखा था, वो अपनी जगह से उठकर खड़े हो चुके थे और उन्होंने रिया कि बगल में दिव्या को लिटाकर दोनों के पैर ऊपर हवा में उठा दिए थे, और एक-२ करके दोनों कि चूत का शहद चखने में लगे हुए थे

और तभी एक दम से दरवाजे पर एक झटका लगा, और चिटखनी पिछली बार कि तरह फिर से सरक कर नीचे गिर पड़ी और सभी दनदनाते हुए अंदर आ घुसे .







 
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