FUN-MAZA-MASTI
पत्थर के आगे बीन--9
और फिर उसे अपने मुंह के अंदर निगल कर जोरों से चूसने लगी ..
हर्षित चिल्ला पड़ा : "अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ...........ओह्हह्हह्हह्हह .....दिव्या .......उम्म्म्म्म्म्म ....''
इस समय दिव्या का मुंह किसी सकिंग मशीन कि तरह उसके लंड को निगलकर उसका रस चूसने में लगा हुआ था ..
और वो भी उसके बालों को पकड़कर अपने पठानी लंड को उसके मुंह के अंदर जोरों से मार रहा था ..
ज्यादा उत्तेजना और दिव्या के जोर से चूसने कि वजह से उसके लंड ने आखिर जवाब दे दिया ..और उसने भरभराकर अपना सारा रस उसके मुंह के अंदर विराजमान करा दिया ...
दिव्या को उसका देसी स्वाद बहुत अच्छा लगा ..और वो सारा रस मजे लेते हुए गटक गयी ..
अब दिव्या की बारी थी ..उसकी टपक रही चूत की बारी..हर्षित ने उसे उठाया और अपने गले से लगाकर उसके पैरों तले की ज़मीन गायब कर दी ..दिव्या भी हर्षित के गले से लगकर अपने गुब्बारे दोनो के बीच फँसा कर लटक गयी ..हर्षित ने उसे लेजाकर बेड पर लिटा दिया ..और उसकी नशीली आँखों मे देखते हुए उसकी टाँगों के बीच बैठ गया ..दिव्या की चूत के होंठ उसके लपलपाते हुए होंठों को देखकर फड़कने लगे और उनमे से रिस रहा गाड़ा और मीठा रस हर्षित के मुँह मे जाने के लिए कुलबुलाने लगा ..हर्षित ने भी उन्हे ज़्यादा इंतजार नही कराया और अपनी पेनी जीभ निकाल कर उसने उसकी गीली चूत को सुखाना शुरू कर दिया .
''अहह ह ह ह ह ह ह ह... एम्म म म म म म ... येस स स स स स स स सस्स स स स''
दिव्या ने हर्षित के बालों में अपनी उँगलियाँ फंसाकर उसे लगाम बना लिया और उसे किसी घोड़े कि तरह दौड़ाना शुरू कर दिया . .
अपनी चूत कि सफाई वो बड़ी अच्छी तरह से करवा रही थी । हर्शित ने उसकी चूत कि फांके खोलकर उसमे छुपे हुए मोती को ढूंढ निकाला …
और जैसे ही हर्षित ने उसपर जमी हुई ओस को अपनी जीभ से चाटकर साफ़ किया दिव्या चिहुंक कर उछल पड़ी उसने गजब कि फुर्ती का परिचय देते हुए अपनी टांगों के बीच बंधे हुए हर्षित को घूमा कर बेड पर लिटाया और खुद उसके मुंह पर सवार हो कर उसकी खड़ी हुई जीभ पर अपनी चूत कि रगड़ाई करने लगी
एक छोटे मोटे लंड का काम कर रही थी हर्षित कि जीभ और वो भी सीधा उसके दाने के ऊपर …
ज्यादा तेज घस्से मारने से दिव्या कि चूत आग उगलने लग गयी इतना ताप निकल रहा था उसके अंदर से जैसे कोई भट्टी जल रही हो । पर जैसे हर मौसम बदलता है वैसे ही वहाँ के हालात भी बदले । अपनी गर्मी उड़ेलने के बाद उसमे से ठंडी बारिश कि भांति मीठे पानी कि बूंदे उमड़ - २ कर हर्षित के चेहरे पर टपकने लगी …जिसे वो ख़ुशी - २ अपनी जीभ से लपक कर पीने लगा । और जब दिव्या कि तिजोरी का सारा रस ख़त्म हो गया तो वो वहीँ बेड पर गिरकर गहरी - २ साँसे लेने लगी .
''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह। … .... हर्षित। …।उम्म्म्म्म्म्म ''
अब तक हर्षित का लंड फिर से खड़ा हो चूका था और इस बार वो पूरा मैच खेलने के मूड में था .
अपनी गहरी साँसे गिन रही दिव्या को देखा और उसकी टाँगे खोलकर उसके बीच आ गया ।
पर जैसे ही उसने अपने खड़े हुए नवाब को उसकी शहजादी से मिलाना चाहा तो सीडियों से किसी के चढ़ने कि आवाज सुनकर दोनों चोंक गए ।
दिव्या समझ गयी कि मनीष वापिस आ गया है …उसने बाहर का दरवाजा सिर्फ बंद किया था उसे अंदर से लॉक नहीं किया था .
हर्षित ने आनन् फानन में अपने कपडे समेटे और बेड के नीचे घुस गया । दिव्या के पास कपडे पहनने का समय नहीं था इसलिए उसने बेड पर पड़ी हुई चादर को अपने ऊपर ओड लिया और सो गयी ।
अगले ही पल मनीष अंदर दाखिल हुआ और उसने दिव्या को सोते हुए देखा । अगले ही पल उसने मुस्कुराते हुए दरवाजे कि चिटखनी लगा दी और बेड पर आकर बैठ गया ।
हर्षित : "दिव्या …ओ दिव्या , उठ जाओ। …आज और कितना सोना है तुम्हे …''
कहते - २ उसने उसके कूल्हे पर हाथ रखकर उसे उठाया और अगले ही पल वो उसके पुरे शरीर पर हाथ फिराते हुए जान गया कि दिव्या ने कुछ भी नहीं पहना हुआ है , मनीष कुछ और सोच पाता इससे पहले ही दिव्या उठने कि एक्टिंग करते हुए बोली : "उम्म्म्म्म्म्म्म। आ गए आप … कितनी देर से आपका वेट कर रही थी । पता है कितना मन कर रहा है ''
दिव्या कि बात सुनकर मनीष खुश हो गया , वैसे ये बात सुनकर तो हर पति खुश हो जाता है जब उसकी बीबी खुद चुदाई का निमंत्रण देती है .
हर्षित : "मन तो मेरा भी कर रहा है , तभि तो आधा काम छोड़कर भागा चला आया । बाकि का काम हरिया काका कर लेंगे । इसलिए उन्हें वहीँ छोड़कर आ गया ।"
खेर , दिव्या कि बात सुनकर मनीष उठ खड़ा हुआ और उसने अपने कपडे जल्दी - २ उतारने शुरू कर दिए , उसका लंड तो तभी से खड़ा हो चूका था जब वो कमरे में दाखिल हुआ था ।
बेड के नीचे छुपे हुए हर्षित के सामने मनीष के उतारे हुए कपड़ों का ढेर लग गया।
फिर उन्ही कपड़ों के ऊपर दिव्या के बदन से उतार कर फेंकी हुई चादर आ गिरी
हर्षित समझ गया कि उसके सर के ऊपर बिस्तर पर पड़ी हुई दिव्या अब मनीष के सामने पूरी तरह से नंगी लेटी हुई है .
मनीष ने दिव्या कि तजा चूसी हुई गीली चूत देखकर कहा : "सच में । तुम तो चुदने के लिए बिलकुल तैयार हो ।''
नीचे छुप कर बैठे हुए हर्षित को हंसी आ गयी उसकी बात सुनकर , क्योंकि कुँवे कि खुदाई तो उसने कि थी और पानी निकालने आ गया मनीष ।
मनीष ने अपने लंड को मसलकर जंग के लिए तैयार किया और उसकी रस बरसाती हुई चूत पर अपने लंड को लगाकर एक होले से धक्का दिया …और वो हल्का धक्का भी बहुत था उसके अंदर दाखिल होने के लिए ।
दिव्या आनंद सागर में गोते लगाती हुई कराह उठी
''आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …।उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म। .... मंनिईईईइश। ……।अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …… चोदो मुझे ……अह्ह्ह्ह्ह्ह। ……जोर से चोदो ''
उसकी आवाजें पुरे कमरे में गूंजने लगी थी ।
और नीचे लेटे हुए हर्षित ने भी उसकी सेक्सी आवाज सुनकर अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया ।
कुछ देर तक उस आसान में मारने के बाद मनीषा बेड से नीचे उतर आया और उसने दिव्या कि दोनों टाँगे पकड़कर हवा में लहरा दिया और अपने लंड को फिर से उसकी गुफा के अंदर डालकर जोरों से झटके मारने लगा ।
हर्षित के बिलकुल पास थे मनीष के पैर … वो उसके हिलते हुए शरीर को देखकर अंदाजा लगा रहा था कि तेज झटकों से मिल रहे मजे किस तरह दिव्या को आनंद प्रदान कर रहे हैं उसने भी मनीष कि लय में लय मिलाकर अपने लंड को झटके देने शुरू कर दिए और अपनी आँखे बंद करके सोचने लगा कि वो झटके दिव्या कि चूत में दे रहा है ।
और ऊपर चुद रही दिव्या भी अपनी आँखे बंद किये हुए हर्षित के बारे में सोच रही थी । उसकी चूत में लंड तो उसके पति का था पर मन में उसका आशिक़ था जो उसकी बुरी तरह से चुदाई कर रहा था ।
हर्षित के बारे में सोचते हुए और मनीष के लंड के तेज झटके खाते हुए दिव्या बुदबुदाने लगी : "अह्ह्ह्हह्ह उम्म्म्म। …हान …. हाँ .... ऐसे ही चोदो मुझे … रंडी कि तरह … अह्ह्हह्ह मैं हु रंडी … चोदो मुझे …। आह्ह्ह्हहह्ह्ह्ह ……''
बस इतना ही बहुत था मनीष के लिए .... एक मर्द को वही औरत पसंद आती है जो बिस्तर पर किसी रंडी कि तरह चुदे … और दिव्या उस पैमाने पर खरी उतर रही थी ।
मनीष के लंड ने जवाब दे दिया और उसके लंड से पिचकारी निकल पड़ी …
उसने अपने पाईप को बाहर निकाल लिया और उसे अपने हाथ में लेकर उससे दिव्या कि चूत कि सिंचाई करने लगा । और उसकी चूत को पूरी तरह से अपने रस से रंगने के बाद वो उसके ऊपर ओंधा होकर गिर पड़ा …
और यही हाल हर्षित का भी हुआ , उसके लंड से भी रंग बिरंगी पिचकारियाँ निकल कर बेड के नीचे वाले हिस्से से जा चिपकी।
मनीष उठा और वाश करने के लिए बाथरूम में चला गया .
दिव्या के कहने पर हर्षित जल्दी से बाहर निकला और अपने कपडे लेकर बाहर कि तरफ भागा ।
और नीचे पहुंचकर उसने अपने कपडे पहने और घर से बाहर निकल गया। .
और लगभग एक घंटे बाद वो फिर से मनीष के घर कि तरफ चल दिया ।
और इस बार उसका मकसद दूसरा था
जुआ खेलना
पर उसे नहीं पता था कि आज का जुआ क्या - २ रंग दिखाने वाला है .
दरवाजा हरिया काका ने खोला , वो मार्किट से आ चुके थे.
हर्षित को देखकर उन्होंने बुरा सा मुंह बनाया , पर हर्षित को उनसे कोई फर्क नहीं पड़ता था, वो जानता था कि बुड्डे को उन लफंडरों के चेहरे पसंद नहीं है .
अंदर जाकर देखा तो सभी पहले से बैठकर उसी का इन्तजार कर रहे थे । . राजेश, बिल्लू,थापा , राहुल और रिया , और सबसे बेसब्र था मनीष और उससे भी बेसब्र थी दिव्या ..
मनीष : "क्या यार … तुझे 12 बजे का टाइम दिया था और तू आधा घंटा लेट आ रहा है ।?
हर्षित (दिव्या कि तरफ देखकर) : "वो दरअसल , एक जरुरी काम आ गया था, वहीँ फंस कर रह गया। ''
दिव्या ने भी चुलबुलाती हुई आवाज में पुछा : "ऐसा भी क्या काम आ गया देवरजी , कहीं कोई गर्ल फ्रेंड तो नहीं है ना आपकी !!''
मनीष उसकी बात सुनकर तपाक से बोला : "अरे इसकी क्या गर्ल फ्रेंड होगी कोई, हमारे ग्रुप का सबसे फट्टू इंसान है ये लड़कियों के मामले में । हा हा ''
पर उसकी बात से कमरे में बैठा कोई भी इंसान इत्तेफाक नहीं रखता था ।
क्योंकि सभी को पता था कि मनीष कि शादी के बाद मनीष ही चुदाई के मामले में सबसे आगे रहता है । और ये बात तो मनीष कि बीबी दिव्या भी जानती थी अच्छी तरह से , इसलिए सभी सिर्फ मुस्कुरा कर रह गए .
मनीष को आज खेलने कि काफी जल्दी थी , एक तो उसका फेवरेट दिन गुरुवार था , जिसमे वो अक्सर जीतकर ही उठता था, और अगले दिन दीवाली थी , इसलिए ये मौका भी उसके लिए हमेशा फायदे का सोदा रहता था .
रिया और दिव्या सभी के लिए खाने पीने का प्रबंध करने के लिए अंदर चले गए , जहाँ हरिया काका किचन में पहले से खड़े होकर स्नेक्स बना रहे थे ।
हरिया काका को देखकर रिया कि फ़ुद्दी मचल उठी ।दरसल गाँव कि अधिकतर लड़कियों और महिलाओं में वो भी एक थी जिसने हरिया काका के हथियार कि धार को अपनी चूत पर महसूस कर रखा था , पर राहुल से शादी के बाद उसे दोबारा मौका नहीं मिल सका था , अब उन्हें किचन में देखकर उसके दिल में फिर से दबी हुई उमंगें मचलने लगी।
रिया : "हरिया काका, मैं आपकी कुछ मदद कर देती हु, ''
हरिया : "अरे रहने दो रिया बेटी, अब तो मुझे सब अकेले ही करना पड़ता है ''
उसकी दो अर्थी बात सुनकर रिया मुस्कुरा दी , वो समझ गयी कि हरिया काका काफी दिनों से प्यासे हैं .
उसने ठान लिया कि आज हरिया काका कि प्यास वो बुझा कर रहेगी
जैसे ही दिव्या पकोड़े से सजी प्लेट लेकर अंदर गयी, रिया ने झट से हरिया काका के लम्बे लंड को पकड़ कर जोर से दबा दिया
''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह। …। ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह रियाआआ ये क्या कर रही है। ……बहु रानी आ जायेगी ''
पर रिया ने एक न सुनी और उनके सामने बैठकर उसने धोती को किसी घूँघट कि तरह उठाया और सामने लटक रहा देसी गन्ना अपने कब्जे में ले लिया और अपने होंठों को उसके चरों तरफ लपेट कर उसका रस चूसने लगी
हरिया काका भी अपनी सुध बुध खोकर जवान लड़की से अपने लंड चुसाई का मज़ा लेने लगे .
और अंदर बैठी हुई दिव्या को लगा कि बाकी कि प्लेट्स रिया लेकर आ रही होगी , पर उसे अपने पीछे ना आता देख वो वापिस किचन कि तरफ चल दी
और अंदर घुसते ही जो उसने देखा , उसे देखकर वो भोचक्की रह गयी , रिया किसी रंडी कि तरह से हरिया काका के सामने बैठकर उनके लंड को चूस रही थी , और उससे ज्यादा आश्चर्य उसे हरिया काका के लम्बे और खड़े हुए लंड को देखकर हुआ, जो किसी भी जवान लंड से ज्यादा मोटा और लम्बा था, उसके तो तन बदन में आग सी लग गयी वो सीन देखकर .
वो वहीँ खडी होकर उनका तमाशा देखने लगी .
रिया ने दिव्या के पैरों कि आहट सुन ली थी , पर फिर भी वो नहीं रुकी, वो चाहती थी कि दिव्या जल्द से जल्द अपनी लाज शर्म का पर्दा उतार कर सामने आ जाए, ताकि उसे भी उसके पति मनीष से चुदने में आसानी रहे.
वो और तेजी से हरिया काका के लंड को अपने मुंह के अंदर तक लेजाकर उन्हें मजा देने लगी
हरिया काका भी अपने पंजों के बल खड़े होकर , अपने लंड को उसके मुंह के अंदर धक्के मारने में लगे थे .
पर पूरा धक्का मारने के बाद भी उनका आधा लंड बाहर ही था और ये बात दिव्या को सबसे ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, उसने सोचा भी नहीं था कि कोई ऐसा लंड भी हो सकता है जो मुंह के अंदर ना समा पाये .
उसका एक हाथ सीधा अपनी चूत के ऊपर चला गया , और वो सोचने लगी कि क्या ऐसा चूत के साथ भी हो सकता है ?? कि चूत के अंदर डालने के बाद भी लंड बाहर रह जाए।
और रिया अपनी चोर निगाहों से उसकी हर हरकत देख रही थी , और जैसे ही उसकी उँगलियों ने चूत कि मालिश शुरू करी तो वो समझ गयी कि अब वो गर्म हो चुकी है
उसने अपने मुंह का अवरोध बाहर निकाला और दिव्या कि तरफ देखकर बोली : "अरे दिव्या, वहाँ क्यों खडी हो , यहाँ आओ तुम भी ।''
दिव्या का नाम सुनते ही हरिया काका कि हालत खराब हो गयी , उन्होंने अपने लंड को रिया के चुंगल से छुड़ाने कि बहुत कोशिश कि पर उसने तो उसे जोरों से पकड़ा हुआ था , और दिव्या भी सकपका सी गयी , ऐसे पकडे जाने से, पर सामने दिख रहा हरिया काका का लंड उसे सम्मोहित सा कर रहा था, वो बिना किसी से नजरें मिलाये उनके पास पहुँच गयी और रिया ने जब उसका हाथ पकड़ कर नीच बिठाया तो वो किसी रोबोट कि तरह नीचे भी बैठ गयी , रिया ने उसका चेहरा ऊपर करके उसके सामने हरिया काका का लंड लहरा दिया , जिसे इतने पास से देखकर उसकी आँखें फिर से चमक उठी , और उसने अपने होंठों पर जीभ फेरी,
रिया : "शरमाओ मत दिव्या , देखो इसे , छू कर देखो, ये काटेगा नहीं ''
दिव्या ने अपनी गोरी और लम्बी उँगलियाँ ऊपर उठायी और हरिया काका के काले कलूटे और लम्बे लंड को पकड़ लिया .
हरिया काका को तो अपनी किस्मत पर विश्वास ही नहीं हो रहा था, जिस मालकिन के बारे में सोचकर उनका लंड पिछले दो दिनों से बैठ नहीं रहा था , और जिसके बारे में सोचकर उन्होंने ना जाने कितनी मुठ मार ली थी , वही उनके सामने बैठ कर उनके लंड को पकड़ रही है , निहार रही है । उन्होने मन ही मन रिया को थेंक्स बोला, और वो अभी आँखों ही आँखों से रिया को थेंक्स बोल ही रहे थे कि उन्हें अपने लंड पर किसी गर्म चीज का एहसास हुआ, और जब उन्होंने उस तरफ देखा तो उन्हें अपने विश्वास ही नहीं हुआ, दिव्या ने उनके लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया था और वो उसे ठीक उसी तरह से चूस रही थी जैसे अभी कुछ देर पहले रिया चूस रही थी।
हरिया काका तो हवा में उड़ने लगे ,
जिस बहु के होंठों को देखकर उनका लंड दो दिनों से झटके मार रहा था अब वही होंठ उनके लंड को दबोच कर बैठे थे।
उन्होंने नीचे झुककर मालकिन के गालों को अपनी कठोर उँगलियों से दबाकर फील किया, जैसे वो विश्वास कर लेना चाहते थे कि जो वो देख रहे हैं या महसूस कर रहे हैं, वो सब सच है।
दूसरी तरफ बैठी हुई रिया बोली : "अरे दिव्या, मुझे भी मजे लेने दो थोडा, भूल गयी, मैंने ही तुम्हे बुलाया था ।''
दिव्या को अपनी गलती का एहसास हुआ, उसने शर्माते हुए हरिया काका के लंड को बाहर निकाल कर रिया कि तरफ कर दिया, पर रिया भी मिल बांटकर खाने में विश्वास करती थी, उसने एक तरफ से अपने होंठ उनके लंड पर लगा दिए और दूसरी तरफ से दिव्या को आमंत्रण दिया, और इस तरह से दोनों उनके रसीले लंड का मजा लेने लगी ।
हरिया काका के लिए इतना सब कुछ सहन करना मुश्किल हो रहा था , वहाँ चुदाई तो सम्भव नहीं थी, इसलिए उन्होंने जैसा चल रहा था वैसा ही चलने दिया, और आगे पीछे होकर दोनों के होंठों कि सुरंग में अपना लंड रगड़ने लगे ।
और जल्द ही उनके अंदर का लावा उबल - २ कर बाहर आने लगा और दोनों के चेहरों को भिगोने लगा
''अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ………उम्म्म्म्म्म्म्म्म ……ऱियआआआआआ ……ऽह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......ओहहहहहहहहह दिव्यााा .......''
और सामने बैठी दोनों जवान लड़कियों ने अपनी जीभ कि कलाकारी दिखाते हुए सारा रस चाट कर साफ़ कर लिया … ।
समय कम था , इसलिए दोनों ने अपने -२ चेहरे साफ़ किये और बाकी कि बची हुई प्लेट्स लेकर बाहर निकल गयी
वैसे उनके ना होने कि किसी को भी चिंता नहीं थी, क्योंकि वहाँ काफी टाईट गेम चल रही थी , सभी का ध्यान सिर्फ और सिर्फ तीन पत्ती पर ही था
मनीष लगातार चार बाजियां जीत चूका था, आज तो जैसे वो जीत अपनी किस्मत में लिखवा कर ही आया था, चारों जीत में उसके पत्ते भी कमाल के आये थे , एक ट्रेल आ चुकी थी, दो बार पेअर और एक बार कलर ।
और लगभग एक लाख रूपए वो जीत भी चूका था .
अब पांचवी बाजी चल रही थी
जिसमे अभी तक सभी ब्लाइंड चल रहे थे
सिर्फ ब्लाइंड चलते -२ ही बीच में दस हजार इकट्ठे हो चुके थे
सबसे पहले थापा ने पत्ते देखे , उसके पास इक्का और दो छोटे पत्ते थे, पर सामने अभी पांच लोग और बैठे थे, और किसी न किसी के पास इक्का या पेयर जरुर निकल आएगा, ये सोचते हुए उसने अपने पत्ते नीचे फेंक कर पेक कर लिया
राजेश ने अपने पत्ते देखे, उसके पास छः का पेयर था , उसने दो हजार कि चाल चल दी
उसके बाद राहुल का नंबर था, उसने अपने पत्ते देखे तो उसका मन किया कि नाचने लगे वो खड़ा होकर , क्योंकि उसके पास दुग्गी कि ट्रेल आयी थी, तीन दुग्गियां …
उसने चार हजार कि चाल चल दी
हर्षित ने अपने पत्ते देखे, उसके पास दस टॉप था, उसने भी पेक कर लिया
बिल्लू कि बारी आयी तो उसने भी चाल चल दी , उसके पास पान का कलर आया था
और आखिर में मनीष कि चाल आयी, उसने अपने पत्ते देखे, और वो फिर से मन ही मन खुश हो गया, उसके पास सिक़ुएंस आया था और वो भी सबसे बड़ा, इक्का बादशाह और बेगम । मनीष ने आठ हजार कि चाल चल दी
सभी ने अपने -२ हिसाब से चाल चली थी क्योंकि सभी के पत्ते जीतने लायक थे
अगली बार जब दोबारा राजेश कि चाल आयी तो उसे अंदेशा हो चूका था कि मनीष या राहुल के पास जरुर अच्छे पत्ते आये हैं, क्योंकि दोनों ने पिछली बार से डबल चाल चली थी
इतना सोचते हुए उसने भी पेक कर लिया , उसने सोचा भी नहीं था कि पेयर आने के बाद भी वो ऐसा करेगा
अब बचे थे राहुल, मनीष और बिल्लू
राहुल ने फिर से आठ हजार कि चाल चल दी , उसके पास ट्रेल जो थी
बिल्लू भी कलर लेकर बैठा था, और सोच रहा था कि क्या करे, क्योंकि आठ हजार कि चाल तो उसने आज तक नहीं चली थी , फिर भी अपने पत्तों पर विश्वास करते हुए उसने चाल चल दी
और मनीष तो खुद को बॉस समझ कर बैठा था, उसने अगले ही पल चाल को डबल करते हुए सोलह हजार कि चाल चल दी
राहुल ने भी उसके पैसों के ऊपर अपने सोलह हजार फेंक दिए
अब तो बिल्लू कि फट कर हाथ में आने को तैयार हो गयी, उसके पत्ते तो अच्छे थे पर उसे ना जाने अपने ऊपर विश्वास नहीं था, और उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे , इसलिए उसने भी पेक कर लिया
अब बीच में थे, राहुल और मनीष
उन दोनों कि बीबियाँ एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगी , जैसे आँखों ही आँखों में पूछ रही हो कि किसका पति जीतेगा
अगली चार चाले चलने के बाद भी कोई झुकने को तैयार नहीं था
बीच में लगभग तीन लाख रूपए आ चुके थे
मनीष ने जो पैसे जीते थे, उसके अलावा वो अस्सी हजार और डाल चूका था अंदर ।
अब उसे भी लगने लगा था कि या तो राहुल के पास प्योर सिकुएंस है या फिर ट्रेल … क्योंकि वोही उसके पत्तों को काट सकती थी .
उसने आखिरकार शो मांग लिया , अपने पत्ते नीचे फेंकते हुए
और जैसे ही राहुल के पत्ते सामने आए, उसका मन हुआ कि वो वहीं रोने लग जाए
एक ही बाजी में पुरे दो लाख हार गया था वो
उसने गुस्से में दिव्या से कहा : "जाओ ऊपर से और पैसे लेकर आओ … और हरिया काका से कहो कि व्हिस्की लगाये जल्दी से …।''
उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था
उसके पांच लाख में से सिर्फ ढाई लाख ही बचे थे अब उसके पास ..
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पत्थर के आगे बीन--9
और फिर उसे अपने मुंह के अंदर निगल कर जोरों से चूसने लगी ..
हर्षित चिल्ला पड़ा : "अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ...........ओह्हह्हह्हह्हह .....दिव्या .......उम्म्म्म्म्म्म ....''
इस समय दिव्या का मुंह किसी सकिंग मशीन कि तरह उसके लंड को निगलकर उसका रस चूसने में लगा हुआ था ..
और वो भी उसके बालों को पकड़कर अपने पठानी लंड को उसके मुंह के अंदर जोरों से मार रहा था ..
ज्यादा उत्तेजना और दिव्या के जोर से चूसने कि वजह से उसके लंड ने आखिर जवाब दे दिया ..और उसने भरभराकर अपना सारा रस उसके मुंह के अंदर विराजमान करा दिया ...
दिव्या को उसका देसी स्वाद बहुत अच्छा लगा ..और वो सारा रस मजे लेते हुए गटक गयी ..
अब दिव्या की बारी थी ..उसकी टपक रही चूत की बारी..हर्षित ने उसे उठाया और अपने गले से लगाकर उसके पैरों तले की ज़मीन गायब कर दी ..दिव्या भी हर्षित के गले से लगकर अपने गुब्बारे दोनो के बीच फँसा कर लटक गयी ..हर्षित ने उसे लेजाकर बेड पर लिटा दिया ..और उसकी नशीली आँखों मे देखते हुए उसकी टाँगों के बीच बैठ गया ..दिव्या की चूत के होंठ उसके लपलपाते हुए होंठों को देखकर फड़कने लगे और उनमे से रिस रहा गाड़ा और मीठा रस हर्षित के मुँह मे जाने के लिए कुलबुलाने लगा ..हर्षित ने भी उन्हे ज़्यादा इंतजार नही कराया और अपनी पेनी जीभ निकाल कर उसने उसकी गीली चूत को सुखाना शुरू कर दिया .
''अहह ह ह ह ह ह ह ह... एम्म म म म म म ... येस स स स स स स स सस्स स स स''
दिव्या ने हर्षित के बालों में अपनी उँगलियाँ फंसाकर उसे लगाम बना लिया और उसे किसी घोड़े कि तरह दौड़ाना शुरू कर दिया . .
अपनी चूत कि सफाई वो बड़ी अच्छी तरह से करवा रही थी । हर्शित ने उसकी चूत कि फांके खोलकर उसमे छुपे हुए मोती को ढूंढ निकाला …
और जैसे ही हर्षित ने उसपर जमी हुई ओस को अपनी जीभ से चाटकर साफ़ किया दिव्या चिहुंक कर उछल पड़ी उसने गजब कि फुर्ती का परिचय देते हुए अपनी टांगों के बीच बंधे हुए हर्षित को घूमा कर बेड पर लिटाया और खुद उसके मुंह पर सवार हो कर उसकी खड़ी हुई जीभ पर अपनी चूत कि रगड़ाई करने लगी
एक छोटे मोटे लंड का काम कर रही थी हर्षित कि जीभ और वो भी सीधा उसके दाने के ऊपर …
ज्यादा तेज घस्से मारने से दिव्या कि चूत आग उगलने लग गयी इतना ताप निकल रहा था उसके अंदर से जैसे कोई भट्टी जल रही हो । पर जैसे हर मौसम बदलता है वैसे ही वहाँ के हालात भी बदले । अपनी गर्मी उड़ेलने के बाद उसमे से ठंडी बारिश कि भांति मीठे पानी कि बूंदे उमड़ - २ कर हर्षित के चेहरे पर टपकने लगी …जिसे वो ख़ुशी - २ अपनी जीभ से लपक कर पीने लगा । और जब दिव्या कि तिजोरी का सारा रस ख़त्म हो गया तो वो वहीँ बेड पर गिरकर गहरी - २ साँसे लेने लगी .
''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह। … .... हर्षित। …।उम्म्म्म्म्म्म ''
अब तक हर्षित का लंड फिर से खड़ा हो चूका था और इस बार वो पूरा मैच खेलने के मूड में था .
अपनी गहरी साँसे गिन रही दिव्या को देखा और उसकी टाँगे खोलकर उसके बीच आ गया ।
पर जैसे ही उसने अपने खड़े हुए नवाब को उसकी शहजादी से मिलाना चाहा तो सीडियों से किसी के चढ़ने कि आवाज सुनकर दोनों चोंक गए ।
दिव्या समझ गयी कि मनीष वापिस आ गया है …उसने बाहर का दरवाजा सिर्फ बंद किया था उसे अंदर से लॉक नहीं किया था .
हर्षित ने आनन् फानन में अपने कपडे समेटे और बेड के नीचे घुस गया । दिव्या के पास कपडे पहनने का समय नहीं था इसलिए उसने बेड पर पड़ी हुई चादर को अपने ऊपर ओड लिया और सो गयी ।
अगले ही पल मनीष अंदर दाखिल हुआ और उसने दिव्या को सोते हुए देखा । अगले ही पल उसने मुस्कुराते हुए दरवाजे कि चिटखनी लगा दी और बेड पर आकर बैठ गया ।
हर्षित : "दिव्या …ओ दिव्या , उठ जाओ। …आज और कितना सोना है तुम्हे …''
कहते - २ उसने उसके कूल्हे पर हाथ रखकर उसे उठाया और अगले ही पल वो उसके पुरे शरीर पर हाथ फिराते हुए जान गया कि दिव्या ने कुछ भी नहीं पहना हुआ है , मनीष कुछ और सोच पाता इससे पहले ही दिव्या उठने कि एक्टिंग करते हुए बोली : "उम्म्म्म्म्म्म्म। आ गए आप … कितनी देर से आपका वेट कर रही थी । पता है कितना मन कर रहा है ''
दिव्या कि बात सुनकर मनीष खुश हो गया , वैसे ये बात सुनकर तो हर पति खुश हो जाता है जब उसकी बीबी खुद चुदाई का निमंत्रण देती है .
हर्षित : "मन तो मेरा भी कर रहा है , तभि तो आधा काम छोड़कर भागा चला आया । बाकि का काम हरिया काका कर लेंगे । इसलिए उन्हें वहीँ छोड़कर आ गया ।"
खेर , दिव्या कि बात सुनकर मनीष उठ खड़ा हुआ और उसने अपने कपडे जल्दी - २ उतारने शुरू कर दिए , उसका लंड तो तभी से खड़ा हो चूका था जब वो कमरे में दाखिल हुआ था ।
बेड के नीचे छुपे हुए हर्षित के सामने मनीष के उतारे हुए कपड़ों का ढेर लग गया।
फिर उन्ही कपड़ों के ऊपर दिव्या के बदन से उतार कर फेंकी हुई चादर आ गिरी
हर्षित समझ गया कि उसके सर के ऊपर बिस्तर पर पड़ी हुई दिव्या अब मनीष के सामने पूरी तरह से नंगी लेटी हुई है .
मनीष ने दिव्या कि तजा चूसी हुई गीली चूत देखकर कहा : "सच में । तुम तो चुदने के लिए बिलकुल तैयार हो ।''
नीचे छुप कर बैठे हुए हर्षित को हंसी आ गयी उसकी बात सुनकर , क्योंकि कुँवे कि खुदाई तो उसने कि थी और पानी निकालने आ गया मनीष ।
मनीष ने अपने लंड को मसलकर जंग के लिए तैयार किया और उसकी रस बरसाती हुई चूत पर अपने लंड को लगाकर एक होले से धक्का दिया …और वो हल्का धक्का भी बहुत था उसके अंदर दाखिल होने के लिए ।
दिव्या आनंद सागर में गोते लगाती हुई कराह उठी
''आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …।उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म। .... मंनिईईईइश। ……।अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …… चोदो मुझे ……अह्ह्ह्ह्ह्ह। ……जोर से चोदो ''
उसकी आवाजें पुरे कमरे में गूंजने लगी थी ।
और नीचे लेटे हुए हर्षित ने भी उसकी सेक्सी आवाज सुनकर अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया ।
कुछ देर तक उस आसान में मारने के बाद मनीषा बेड से नीचे उतर आया और उसने दिव्या कि दोनों टाँगे पकड़कर हवा में लहरा दिया और अपने लंड को फिर से उसकी गुफा के अंदर डालकर जोरों से झटके मारने लगा ।
हर्षित के बिलकुल पास थे मनीष के पैर … वो उसके हिलते हुए शरीर को देखकर अंदाजा लगा रहा था कि तेज झटकों से मिल रहे मजे किस तरह दिव्या को आनंद प्रदान कर रहे हैं उसने भी मनीष कि लय में लय मिलाकर अपने लंड को झटके देने शुरू कर दिए और अपनी आँखे बंद करके सोचने लगा कि वो झटके दिव्या कि चूत में दे रहा है ।
और ऊपर चुद रही दिव्या भी अपनी आँखे बंद किये हुए हर्षित के बारे में सोच रही थी । उसकी चूत में लंड तो उसके पति का था पर मन में उसका आशिक़ था जो उसकी बुरी तरह से चुदाई कर रहा था ।
हर्षित के बारे में सोचते हुए और मनीष के लंड के तेज झटके खाते हुए दिव्या बुदबुदाने लगी : "अह्ह्ह्हह्ह उम्म्म्म। …हान …. हाँ .... ऐसे ही चोदो मुझे … रंडी कि तरह … अह्ह्हह्ह मैं हु रंडी … चोदो मुझे …। आह्ह्ह्हहह्ह्ह्ह ……''
बस इतना ही बहुत था मनीष के लिए .... एक मर्द को वही औरत पसंद आती है जो बिस्तर पर किसी रंडी कि तरह चुदे … और दिव्या उस पैमाने पर खरी उतर रही थी ।
मनीष के लंड ने जवाब दे दिया और उसके लंड से पिचकारी निकल पड़ी …
उसने अपने पाईप को बाहर निकाल लिया और उसे अपने हाथ में लेकर उससे दिव्या कि चूत कि सिंचाई करने लगा । और उसकी चूत को पूरी तरह से अपने रस से रंगने के बाद वो उसके ऊपर ओंधा होकर गिर पड़ा …
और यही हाल हर्षित का भी हुआ , उसके लंड से भी रंग बिरंगी पिचकारियाँ निकल कर बेड के नीचे वाले हिस्से से जा चिपकी।
मनीष उठा और वाश करने के लिए बाथरूम में चला गया .
दिव्या के कहने पर हर्षित जल्दी से बाहर निकला और अपने कपडे लेकर बाहर कि तरफ भागा ।
और नीचे पहुंचकर उसने अपने कपडे पहने और घर से बाहर निकल गया। .
और लगभग एक घंटे बाद वो फिर से मनीष के घर कि तरफ चल दिया ।
और इस बार उसका मकसद दूसरा था
जुआ खेलना
पर उसे नहीं पता था कि आज का जुआ क्या - २ रंग दिखाने वाला है .
दरवाजा हरिया काका ने खोला , वो मार्किट से आ चुके थे.
हर्षित को देखकर उन्होंने बुरा सा मुंह बनाया , पर हर्षित को उनसे कोई फर्क नहीं पड़ता था, वो जानता था कि बुड्डे को उन लफंडरों के चेहरे पसंद नहीं है .
अंदर जाकर देखा तो सभी पहले से बैठकर उसी का इन्तजार कर रहे थे । . राजेश, बिल्लू,थापा , राहुल और रिया , और सबसे बेसब्र था मनीष और उससे भी बेसब्र थी दिव्या ..
मनीष : "क्या यार … तुझे 12 बजे का टाइम दिया था और तू आधा घंटा लेट आ रहा है ।?
हर्षित (दिव्या कि तरफ देखकर) : "वो दरअसल , एक जरुरी काम आ गया था, वहीँ फंस कर रह गया। ''
दिव्या ने भी चुलबुलाती हुई आवाज में पुछा : "ऐसा भी क्या काम आ गया देवरजी , कहीं कोई गर्ल फ्रेंड तो नहीं है ना आपकी !!''
मनीष उसकी बात सुनकर तपाक से बोला : "अरे इसकी क्या गर्ल फ्रेंड होगी कोई, हमारे ग्रुप का सबसे फट्टू इंसान है ये लड़कियों के मामले में । हा हा ''
पर उसकी बात से कमरे में बैठा कोई भी इंसान इत्तेफाक नहीं रखता था ।
क्योंकि सभी को पता था कि मनीष कि शादी के बाद मनीष ही चुदाई के मामले में सबसे आगे रहता है । और ये बात तो मनीष कि बीबी दिव्या भी जानती थी अच्छी तरह से , इसलिए सभी सिर्फ मुस्कुरा कर रह गए .
मनीष को आज खेलने कि काफी जल्दी थी , एक तो उसका फेवरेट दिन गुरुवार था , जिसमे वो अक्सर जीतकर ही उठता था, और अगले दिन दीवाली थी , इसलिए ये मौका भी उसके लिए हमेशा फायदे का सोदा रहता था .
रिया और दिव्या सभी के लिए खाने पीने का प्रबंध करने के लिए अंदर चले गए , जहाँ हरिया काका किचन में पहले से खड़े होकर स्नेक्स बना रहे थे ।
हरिया काका को देखकर रिया कि फ़ुद्दी मचल उठी ।दरसल गाँव कि अधिकतर लड़कियों और महिलाओं में वो भी एक थी जिसने हरिया काका के हथियार कि धार को अपनी चूत पर महसूस कर रखा था , पर राहुल से शादी के बाद उसे दोबारा मौका नहीं मिल सका था , अब उन्हें किचन में देखकर उसके दिल में फिर से दबी हुई उमंगें मचलने लगी।
रिया : "हरिया काका, मैं आपकी कुछ मदद कर देती हु, ''
हरिया : "अरे रहने दो रिया बेटी, अब तो मुझे सब अकेले ही करना पड़ता है ''
उसकी दो अर्थी बात सुनकर रिया मुस्कुरा दी , वो समझ गयी कि हरिया काका काफी दिनों से प्यासे हैं .
उसने ठान लिया कि आज हरिया काका कि प्यास वो बुझा कर रहेगी
जैसे ही दिव्या पकोड़े से सजी प्लेट लेकर अंदर गयी, रिया ने झट से हरिया काका के लम्बे लंड को पकड़ कर जोर से दबा दिया
''अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह। …। ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह रियाआआ ये क्या कर रही है। ……बहु रानी आ जायेगी ''
पर रिया ने एक न सुनी और उनके सामने बैठकर उसने धोती को किसी घूँघट कि तरह उठाया और सामने लटक रहा देसी गन्ना अपने कब्जे में ले लिया और अपने होंठों को उसके चरों तरफ लपेट कर उसका रस चूसने लगी
हरिया काका भी अपनी सुध बुध खोकर जवान लड़की से अपने लंड चुसाई का मज़ा लेने लगे .
और अंदर बैठी हुई दिव्या को लगा कि बाकी कि प्लेट्स रिया लेकर आ रही होगी , पर उसे अपने पीछे ना आता देख वो वापिस किचन कि तरफ चल दी
और अंदर घुसते ही जो उसने देखा , उसे देखकर वो भोचक्की रह गयी , रिया किसी रंडी कि तरह से हरिया काका के सामने बैठकर उनके लंड को चूस रही थी , और उससे ज्यादा आश्चर्य उसे हरिया काका के लम्बे और खड़े हुए लंड को देखकर हुआ, जो किसी भी जवान लंड से ज्यादा मोटा और लम्बा था, उसके तो तन बदन में आग सी लग गयी वो सीन देखकर .
वो वहीँ खडी होकर उनका तमाशा देखने लगी .
रिया ने दिव्या के पैरों कि आहट सुन ली थी , पर फिर भी वो नहीं रुकी, वो चाहती थी कि दिव्या जल्द से जल्द अपनी लाज शर्म का पर्दा उतार कर सामने आ जाए, ताकि उसे भी उसके पति मनीष से चुदने में आसानी रहे.
वो और तेजी से हरिया काका के लंड को अपने मुंह के अंदर तक लेजाकर उन्हें मजा देने लगी
हरिया काका भी अपने पंजों के बल खड़े होकर , अपने लंड को उसके मुंह के अंदर धक्के मारने में लगे थे .
पर पूरा धक्का मारने के बाद भी उनका आधा लंड बाहर ही था और ये बात दिव्या को सबसे ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, उसने सोचा भी नहीं था कि कोई ऐसा लंड भी हो सकता है जो मुंह के अंदर ना समा पाये .
उसका एक हाथ सीधा अपनी चूत के ऊपर चला गया , और वो सोचने लगी कि क्या ऐसा चूत के साथ भी हो सकता है ?? कि चूत के अंदर डालने के बाद भी लंड बाहर रह जाए।
और रिया अपनी चोर निगाहों से उसकी हर हरकत देख रही थी , और जैसे ही उसकी उँगलियों ने चूत कि मालिश शुरू करी तो वो समझ गयी कि अब वो गर्म हो चुकी है
उसने अपने मुंह का अवरोध बाहर निकाला और दिव्या कि तरफ देखकर बोली : "अरे दिव्या, वहाँ क्यों खडी हो , यहाँ आओ तुम भी ।''
दिव्या का नाम सुनते ही हरिया काका कि हालत खराब हो गयी , उन्होंने अपने लंड को रिया के चुंगल से छुड़ाने कि बहुत कोशिश कि पर उसने तो उसे जोरों से पकड़ा हुआ था , और दिव्या भी सकपका सी गयी , ऐसे पकडे जाने से, पर सामने दिख रहा हरिया काका का लंड उसे सम्मोहित सा कर रहा था, वो बिना किसी से नजरें मिलाये उनके पास पहुँच गयी और रिया ने जब उसका हाथ पकड़ कर नीच बिठाया तो वो किसी रोबोट कि तरह नीचे भी बैठ गयी , रिया ने उसका चेहरा ऊपर करके उसके सामने हरिया काका का लंड लहरा दिया , जिसे इतने पास से देखकर उसकी आँखें फिर से चमक उठी , और उसने अपने होंठों पर जीभ फेरी,
रिया : "शरमाओ मत दिव्या , देखो इसे , छू कर देखो, ये काटेगा नहीं ''
दिव्या ने अपनी गोरी और लम्बी उँगलियाँ ऊपर उठायी और हरिया काका के काले कलूटे और लम्बे लंड को पकड़ लिया .
हरिया काका को तो अपनी किस्मत पर विश्वास ही नहीं हो रहा था, जिस मालकिन के बारे में सोचकर उनका लंड पिछले दो दिनों से बैठ नहीं रहा था , और जिसके बारे में सोचकर उन्होंने ना जाने कितनी मुठ मार ली थी , वही उनके सामने बैठ कर उनके लंड को पकड़ रही है , निहार रही है । उन्होने मन ही मन रिया को थेंक्स बोला, और वो अभी आँखों ही आँखों से रिया को थेंक्स बोल ही रहे थे कि उन्हें अपने लंड पर किसी गर्म चीज का एहसास हुआ, और जब उन्होंने उस तरफ देखा तो उन्हें अपने विश्वास ही नहीं हुआ, दिव्या ने उनके लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया था और वो उसे ठीक उसी तरह से चूस रही थी जैसे अभी कुछ देर पहले रिया चूस रही थी।
हरिया काका तो हवा में उड़ने लगे ,
जिस बहु के होंठों को देखकर उनका लंड दो दिनों से झटके मार रहा था अब वही होंठ उनके लंड को दबोच कर बैठे थे।
उन्होंने नीचे झुककर मालकिन के गालों को अपनी कठोर उँगलियों से दबाकर फील किया, जैसे वो विश्वास कर लेना चाहते थे कि जो वो देख रहे हैं या महसूस कर रहे हैं, वो सब सच है।
दूसरी तरफ बैठी हुई रिया बोली : "अरे दिव्या, मुझे भी मजे लेने दो थोडा, भूल गयी, मैंने ही तुम्हे बुलाया था ।''
दिव्या को अपनी गलती का एहसास हुआ, उसने शर्माते हुए हरिया काका के लंड को बाहर निकाल कर रिया कि तरफ कर दिया, पर रिया भी मिल बांटकर खाने में विश्वास करती थी, उसने एक तरफ से अपने होंठ उनके लंड पर लगा दिए और दूसरी तरफ से दिव्या को आमंत्रण दिया, और इस तरह से दोनों उनके रसीले लंड का मजा लेने लगी ।
हरिया काका के लिए इतना सब कुछ सहन करना मुश्किल हो रहा था , वहाँ चुदाई तो सम्भव नहीं थी, इसलिए उन्होंने जैसा चल रहा था वैसा ही चलने दिया, और आगे पीछे होकर दोनों के होंठों कि सुरंग में अपना लंड रगड़ने लगे ।
और जल्द ही उनके अंदर का लावा उबल - २ कर बाहर आने लगा और दोनों के चेहरों को भिगोने लगा
''अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ………उम्म्म्म्म्म्म्म्म ……ऱियआआआआआ ……ऽह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......ओहहहहहहहहह दिव्यााा .......''
और सामने बैठी दोनों जवान लड़कियों ने अपनी जीभ कि कलाकारी दिखाते हुए सारा रस चाट कर साफ़ कर लिया … ।
समय कम था , इसलिए दोनों ने अपने -२ चेहरे साफ़ किये और बाकी कि बची हुई प्लेट्स लेकर बाहर निकल गयी
वैसे उनके ना होने कि किसी को भी चिंता नहीं थी, क्योंकि वहाँ काफी टाईट गेम चल रही थी , सभी का ध्यान सिर्फ और सिर्फ तीन पत्ती पर ही था
मनीष लगातार चार बाजियां जीत चूका था, आज तो जैसे वो जीत अपनी किस्मत में लिखवा कर ही आया था, चारों जीत में उसके पत्ते भी कमाल के आये थे , एक ट्रेल आ चुकी थी, दो बार पेअर और एक बार कलर ।
और लगभग एक लाख रूपए वो जीत भी चूका था .
अब पांचवी बाजी चल रही थी
जिसमे अभी तक सभी ब्लाइंड चल रहे थे
सिर्फ ब्लाइंड चलते -२ ही बीच में दस हजार इकट्ठे हो चुके थे
सबसे पहले थापा ने पत्ते देखे , उसके पास इक्का और दो छोटे पत्ते थे, पर सामने अभी पांच लोग और बैठे थे, और किसी न किसी के पास इक्का या पेयर जरुर निकल आएगा, ये सोचते हुए उसने अपने पत्ते नीचे फेंक कर पेक कर लिया
राजेश ने अपने पत्ते देखे, उसके पास छः का पेयर था , उसने दो हजार कि चाल चल दी
उसके बाद राहुल का नंबर था, उसने अपने पत्ते देखे तो उसका मन किया कि नाचने लगे वो खड़ा होकर , क्योंकि उसके पास दुग्गी कि ट्रेल आयी थी, तीन दुग्गियां …
उसने चार हजार कि चाल चल दी
हर्षित ने अपने पत्ते देखे, उसके पास दस टॉप था, उसने भी पेक कर लिया
बिल्लू कि बारी आयी तो उसने भी चाल चल दी , उसके पास पान का कलर आया था
और आखिर में मनीष कि चाल आयी, उसने अपने पत्ते देखे, और वो फिर से मन ही मन खुश हो गया, उसके पास सिक़ुएंस आया था और वो भी सबसे बड़ा, इक्का बादशाह और बेगम । मनीष ने आठ हजार कि चाल चल दी
सभी ने अपने -२ हिसाब से चाल चली थी क्योंकि सभी के पत्ते जीतने लायक थे
अगली बार जब दोबारा राजेश कि चाल आयी तो उसे अंदेशा हो चूका था कि मनीष या राहुल के पास जरुर अच्छे पत्ते आये हैं, क्योंकि दोनों ने पिछली बार से डबल चाल चली थी
इतना सोचते हुए उसने भी पेक कर लिया , उसने सोचा भी नहीं था कि पेयर आने के बाद भी वो ऐसा करेगा
अब बचे थे राहुल, मनीष और बिल्लू
राहुल ने फिर से आठ हजार कि चाल चल दी , उसके पास ट्रेल जो थी
बिल्लू भी कलर लेकर बैठा था, और सोच रहा था कि क्या करे, क्योंकि आठ हजार कि चाल तो उसने आज तक नहीं चली थी , फिर भी अपने पत्तों पर विश्वास करते हुए उसने चाल चल दी
और मनीष तो खुद को बॉस समझ कर बैठा था, उसने अगले ही पल चाल को डबल करते हुए सोलह हजार कि चाल चल दी
राहुल ने भी उसके पैसों के ऊपर अपने सोलह हजार फेंक दिए
अब तो बिल्लू कि फट कर हाथ में आने को तैयार हो गयी, उसके पत्ते तो अच्छे थे पर उसे ना जाने अपने ऊपर विश्वास नहीं था, और उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे , इसलिए उसने भी पेक कर लिया
अब बीच में थे, राहुल और मनीष
उन दोनों कि बीबियाँ एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगी , जैसे आँखों ही आँखों में पूछ रही हो कि किसका पति जीतेगा
अगली चार चाले चलने के बाद भी कोई झुकने को तैयार नहीं था
बीच में लगभग तीन लाख रूपए आ चुके थे
मनीष ने जो पैसे जीते थे, उसके अलावा वो अस्सी हजार और डाल चूका था अंदर ।
अब उसे भी लगने लगा था कि या तो राहुल के पास प्योर सिकुएंस है या फिर ट्रेल … क्योंकि वोही उसके पत्तों को काट सकती थी .
उसने आखिरकार शो मांग लिया , अपने पत्ते नीचे फेंकते हुए
और जैसे ही राहुल के पत्ते सामने आए, उसका मन हुआ कि वो वहीं रोने लग जाए
एक ही बाजी में पुरे दो लाख हार गया था वो
उसने गुस्से में दिव्या से कहा : "जाओ ऊपर से और पैसे लेकर आओ … और हरिया काका से कहो कि व्हिस्की लगाये जल्दी से …।''
उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था
उसके पांच लाख में से सिर्फ ढाई लाख ही बचे थे अब उसके पास ..
FUN-MAZA-MASTI
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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