Friday, July 11, 2014

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--129

FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--129

 सबमैरीन


आगे क्या करे , करन की कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

और उसी समय किसी ने आके बोला। सबमैरीन डाक कर रही है और उसके कमांडर कैप्टेन मल्होत्रा , करन से मिलना चाहते हैं।

करन रीत का मेसेज भूल ही चूका था की सब मैरीन पहुँचने वाली है।

उसने पास के एक कमरे में कैप्टेन मल्होत्रा को बुलाया।

वो ध्यान से बार्ज पर रखे चारों कंटेनर देख रहा था।


उसकेदिमाग में एक नयी योजना उभर रही थी।

लेकिन कैप्टेन मल्होत्रा ने मिलते ही उसकी योजना को खारिज कर दिया।

करन ने उन्हें बिना कुछ छिपाए कंटेनर के अंदर के एक्सप्लोसिव मैटीरीअल , नैनो रोबो और सारे खतरों से उसे अवगत करा दिया था।


और यह भी बता दिया था ,की अब उनके पास मुश्किल से एक घंटा वकत बचा है , और सिर्फ एक ही रास्ता है , इन कंटेनर बाम्ब्स को हाई सी में ड्राप करने का , और कम से कम १० माइल्स के पेरीमीटर से सारे शिप्स को वार्निंग देके हटाने का।

कैप्टेन के आर्ग्युमेंट्स कई थे , और सारे सही थे।

पहली बात ये थी की , इससे सबमरीन और उसके सारे सेलर्स की लाइफ रिस्क पे थी। अगर किसी कारण वस टाइम पर वो लोग कंटेनर बॉम्ब से दूर नहो पाये या बॉम्ब टाइम से पहले फट गए।

दूसरे , उसकी सबमैरीन , अरिहन्त क्लास की न्यूक्लियर पावर्ड सब मरीन थी , जो अभी ट्रायल पर थी।

पिछले एक महीने से वो सी वर्दीनेस , सारे सिस्टम और इक्विपमेंट का ट्रायल कर रहे थे।

वो नेवल डाक के पेन में रहती थी।


लेकिन अभी भी वोआफिसयली लांच नहीं हुयी थी।


लेकिन करन के पास और कोई रास्ता भी नहीं था।

दूसरे सबमैरीन से , वो उन कंटेनर बाम्ब्स को समुद्र ड्राप कर कर सकते थे, जिससे एक्सप्लोजन का असर और कम हो जाता।

और कैप्टेन मल्होत्रा मान गए।

दो कारणों से , पहला तो करन ने बोला की वो भी उनके साथ चलेगा।
और दूसरा उसने नेवल कमांड का आर्डर दिखाया , जिसके अनुसार सभी फोर्सेज को करन के इंस्ट्रक्शन मानने थे।

कैप्टेन मल्होत्रा ने नेवल कमांड को फोन लगाया , लेकिन वो कुछ बोल पाते , उसके पहले ही उधर से आर्डर आया।

"इट इज आपरेशनल सिचुएशन , फॉलो हिज कमांड। "


कैप्टेन मल्होत्रा ने तुरंत अपने सेकेण्ड इन कमांड को बुलाया और साथ में कुछ सेलर्स को।

सबमरीन उधर लायी गयी ,जिधर दो बार्ज पर , दो दो कंटेनर लदे थे।

देखने में वो कंटेनर एकदम सामान्य दिख रहे थे , लेकिन करन उनकी असलियत जानता था।

कैप्टेन मल्होत्रा ने बड़ी स्टील की चेन मंगाईं , जिसे मैग्नेटाइज या डी मैग्नेटाइज किया जा सके।

कुछ ही देर में स्टील की मजबूत गयी , और सबसे पहले कंटेनर को उन बार्ज बाँधा गया

और उस के बाद टग बोट ने उन बार्जेज को हलके से पुश किया।

सब मैरीन आंशिक रूप से सबमर्ज हो गयी थी।

केसिंग के ऊपर , हल के दोनों ओर दोनों बार्जेज पहुँच गए थे।

और सबमैरीन के सेलर्स अब मैदान में आ गए थे।

सब मैरीन की छत पर उन्होंने बार्जेज को इस तरह बाँधा की वो लहरों का झटका तो सह ले , लेकिन जब उसे अलग करना हो तो आसानी से अलग हो जाये।

और इस के लिए कैप्टेन मल्होत्रा ने उसे सबमैरीन के अंदर की पावर यूनिट से कनेक्ट करा के मैग्नेटाइज किया।

और उसको बाँधा भी इस तरह से गया था की सबमैरीन के अंदर से ही उसे एक पुल देकर अलग किया जा सकता था।

करन की नजर बार बार घडी पर पड़ रही थी।

अब बस ५५ मिनट बचे थे।


कैप्टेन मल्होत्रा ने करन को सबसे पहले सबमैरीन में उतारा और उसके बाद वो खुद उतरे।

सब मैंरीन का टॉप कवर बंद हुआ और सब मैरीन चल पड़ी।

अभी ५२ मिनट बचे थे।

प्लान ये था की १० मिनट वो सेमी सबमर्जड कंडीशन में चलते जब तक पोर्ट का एरिया निकल नहीं जाता।

और उसके बाद वो ३०० मीटर की गहराई में उत्तर कर १५ मिनट तक चलते।

और फिर वो बार्ज को डिस लाज कर देते।

इस में ५ मिनट का समय लगता।

दस मिनट में वो एक्सप्लोजन की जगह से दूर चले जाते।


कुल चालीस मिनट लगता और दस से बारह मिनट का सेफ्टी मार्जिन उनके पास बचता।

अरिहंत , भारत की सबसे तेज सबमैरीन में से थी और समुद्र के अंदर उसकी रफ्तार , समुद्र के ऊपर से करीब दूनी ज्यादा थी। इसलिए ये कोशिश थी की सब मैरीन जल्द से जल्द अंदर चली जाय।


 सबमरीन के अंदर की दुनिया , एकदम अलग थी।

घुसते ही तुरंत सभी लोगों ने कवर आल पहन लिया और करन ने भी एक कवर आल पहन लिया। ये बहुत हलका , पॉलिएस्टर का १०० % लिंट फ्री , था। लिंट हवा को, डक्ट्स को क्लाग कर सकते हैं ,इसलिए। कैप्टेन मल्होत्रा ने बहुत संक्षेप में , करन को इमरजेंसी एवक्यूएशन प्रोसीजर समझा दिए।


जब तक वो लोग कंट्रोल रूम में , तंग गलियारों से होते हुए पहुंचे , सबमैरीन ने समुद्र के अंदर आना शुरू कर दिया था।

सब के बैलस्ट टैंक और ट्रिम टैंक में पानी तेजी से भर रहा था , और उसी के साथ सब नीचे जा रही थी।

कंट्रोल रूम सब के पीछे की ओर था , और बैलेस्ट टैंक्स आगे की ओर।


कंट्रोल रूम से सारे आपरेशनल कंट्रोल , नेविगेशन , सोनार , कम्युनिकेशन सिस्टम और वेपन कंट्रोल का काम होता था। कैप्टेन मल्होत्रा ने उसे आपरेशनल कैपेबिलिटीज के बारे में बताया की इसमें एक साथ १२ , के १५ क्लास की एस एल बी एम ( सबमरीन लांच्ड बैलेस्टिक मिसाइल्स ) या चार के ४ क्लास की मिसाइल्स रह सकती हैं। के १५ क्लास की मिसाइल्स ७५० से १९,०० किलोमीटर दूर तक मार सकती हैं , जबकि के ४ , मिसाइल ,३,५०० किलोमीटर दूर की मारक क्षमता रखता है।


उन्होंने ये भी बताया की जब उसके गैस बूस्टर्स का ट्रायल हुआ था तो उस सब को भी वही कैप्टेन कर रहे थे। इस समय , इसमें ६ के १५ क्लास की और डोके ४ क्लास की मिसाइल्स थीं। इसके अलावा टारपीडो और माइंस भी थे।


करन की निगाह , बाहर के दृश्य पर थी।

कंप्यूटर मॉनिटर्स पर समुद्र के दृश्य आ रहे थे।

बाहर का फ्लोरा और फाना तेजी से समुद्र की गहराई बदलने से बदल रहे थे।

अब वह ३०० मीटर की गहराई में पहुँच चुके थे।

अलग अलग रंगो के शैवाल , रीफ , और तभी उसे ढेर सारी चमकती , जगमगाती , मछलियों का झुण्ड दिखा , जो नीचे से ऊपर की ओर जा रही थीं।

लैन्टर्न फिश , करन के मुंह से निकल गया।

कैप्टेन मल्होत्रा ने मुस्करा के हामी भरी।


सबके सर के पास और आँख के नीचे से हलकी पीली , नीली रोशनी निकल रही थी।

कैप्टेन मल्होत्रा ने उस झुण्ड को देखा और फिर ये भी बताया की इनमेसे मेल और फीमेल कौन हैं।

वह रोशनी निकलने के स्थान के आधार पर और उनकी सरंचना को देख कर उन्होंने बताया।

सबमरीन चलाने के साथ साथ वो प्रोफेशनल ओसन बायोलॉाजिस्ट भी थे।

और मल्होत्रा की निगाहें एक बड़े से नक़्शे से चिपकी हुयी थी।

जिसमें अलग अलग रंग से समुद्र के लैंड मार्क , ( असल में लैंड मार्क कहना तो गलत होगा ), और समुद्र के सतह की भी संरचना दी गयी थी।

" क्या ६- ७ मिनट एक्स्ट्रा टाइम मिल सकता है " मल्होत्रा ने करन से पुछा।

करन ने १५ मिनट का सेफ्टी मार्जिन रखा था। लेकिन सब मरीन की कैपेबिलिटी देखते हुए , वो उसे कम कर सकता था।

सब मैरीन १० मिनट में ६ किलोमीटर के आसपास एक्सप्लोजन प्वाइंट से दूर जा सकती थी। और वो सेफ डिस्टेंस थी।

" हाँ कर सकते हैं , लेकिन क्यों '. करन ने पुछा।


 कांटिनेंटल ट्रेंच



' ये लाल लाइन देख रहे हो , ये कॉन्टिनेण्टल ट्रेंच है।



और कैप्टेन मल्होत्रा ने अपना ज्ञान और रिवाइज्ड प्लान दोनों बताना शुरू कर दिया।

"इंडियन ओसन की औसत गहराई ३,९४ किलोमीटर है। लेकिन तट के किनारे , ये गहराई , विशेष कर अरब सागर में कम है। ये देखिये ये है इंडस फैन और अभी हम लोग इसी इलाके में हैं।

हिमालय से निकली नदियों और मध्य भारत से आई नदियों के साथ पाकिस्तान की आई मिटटी से ये बना है और करीब १.१ x १०६ स्क्वायर किलोमीटर में फैला है।

२००२ में कांटिनेंटल शेल्फ का एक सर्वे हुआ था , जिसमे मैं शामिल था , इसलिए अरब सागर के इस भाग को मैं अपने हाथ की तरह जानता हूँ। आपने बोला था की नैनो रोबो के कारण, इस बॉम्ब का असर तीन- चार किलोमीटर तक पहुंचता है।


हालंकि हम लोगों ने नेवल कमांड को बता दिया था और उन्होंने एलर्ट जारी कर दिया है। कोस्ट गार्ड के शिप भी ये इन्स्योर कर रहे हैं , की संभावित इलाके में कोई शिप न जाए , लेकिन अगर एक्सप्लोजन की गहराई १ से १. ५ के अंदर हुयी तो किसी भी शिप को नुक्सान पहुँच सकता है , और नुक्सान के साथ ये भी खतरा है की आपरेशन की सिक्योरिटी कम्प्रोमाइज हो जायेगी। "

उनकी बात में दम था।

उन्होंने तुरंत कुछ बटन दबाए, नए कोआर्डिनेट्स दिए और नेविगेशन और आपरेशन टीम को निर्देश दिया।

सब ने रास्ता बदल लिया था , और कुछ देर में बाहर के मॉनिटर से जो दृश्य आ रहा था , लग रहा था हम किसी पहाड़ के बगल से गुजर रहे हैं।

" ये कार्ल्सबर्ग रिज की एक शाखा है , और उसी के पीछे ट्रेंच है। ट्रेंच में थोड़ा और डीप जा कर के हम इन्हे आफ लोड करेंगे "

और कुछ ही देर में करन को लगा की वो किसी खाई में गिर रहे हैं।

" ऐड मोरे बैलस्ट " उन्होंने आर्डर दिया।

और सब की नीचे जाने की गति तेज हो गयी थी।

दोनों ओर सिर्फ दीवाल दिख रही थी।


एक सीधी खड़ी दीवाल और जो कहीं कहीं सकरी होती जा रही थी।

फिर उन्होंने किसी को कुछ इंस्ट्रक्शन दिया , आफ्लोड फयु , जो करन की समझ में नहीं आया।

और करन की निगाह घडी से चिपकी थी।

पोर्ट छोड़े उन्हें २७ मिनट हो गए थे।

यानी अब एक्प्लोजन में मात्र २५ मिनट बचे थे।

और उसमें सेफ्टी मार्जिन भी शामिल था और आफ्लोड करने का टाइम भी।

" वी मस्ट आफ्लोड नाउ "करन बोला।

जस्ट अ मिनट , मल्होत्रा बोले।

ट्रेंच अब थोड़ी चौड़ी हो गयी थी।

स्टेबल इट। उन्होंने अगला कमांड शूट किया।

और बीस सेकेण्ड के अंदर सबमैरीन पूरी तरह स्थिर थी।

और उन्होंने फिर चेन्स को डी मैग्नेटाइज करने के आदेश दिए।

डन , कम्प्लाएंस रिपॉर्ट आई।

ओपन चेन।

डन , स्पीकर से रिपोर्ट आई।

और कैमरे से हल के ऊपर के बार्जेज की फोटो आ रही थी। एक बार्ज खुल गया था और सरक कर अलग हो रहा था।

थोड़ी देर में पानी के थपेडेसे वो ट्रेंच के दीवाल से लड़ रहा था। उस बार्ज के साथ दोनों कंटेनर बॉम्ब , अभी भी बंधे थे।

कुछ देर में , पानी के जोर से और अपने वजन से और साथ में जो बैलेस्ट था , बार्ज नीचे जारहा था।


लेकिन दूसरा बार्ज अभी नहीं खुला और उसपर भी दो कंटेनर थे।

ट्राई अगैन , ओपन चेन। मल्होत्रा ने आदेश दिया।

डन, कम्प्लाएंस आई।

कैमरे से दिखा भी चेन खुल गयी।

लेकिन तभी एक लहर का थपेड़ा आया और बार्ज सबमरीन से जो अलग हो रहा था , वो रुक गया। उसकी एक चेन हल से फँस गया था।

और अब लहरों के थपेड़े के साथ बार्ज सब मैरीन से टक्कर मार रहा था।

कंटेनर धीरे धीरे सरक कर किनारे की ओर आ रहे थे।

कैप्टेन मल्होत्रा के माथे पे ए सी चलने के बाद भी पसीना चुहचुहा रहा था।

और जब करन ने सामने स्क्रीन पर सब मैरीन का इंटरनल डायग्राम देखा , तो उसकी दिल की धड़कन रुकते रुकते बची।

जिस जगह बार्ज सब मैरीन पे टक्कर मार रहा था , वहीँ सब मैरीन का न्यूक्लियर रिएक्टर था।




कंटेनर भी इंच इंच कर सरक रहा था , उसी ओर।


 करन और कैप्टेन मल्होत्रा को तो जैसे काठ मार गया हो , लेकिन माइक पे उसके असिसटेंट की आवाज आई

" सर , मैन्युअली अन टैंगल करना पड़ेगा।

सबमैरीन से बाहर निकलना , स्पेस शिप से बाहर निकलने से भी कठिन है।

समुद्र के पानी का प्रेशर , लहरों के थपेड़े और मछलियाँ।

हाल में एक प्रेशर सूट डेवलप किया गया है , जिसमे , सबमैरीन के केसिंग पर पड़ रहे प्रेशर के अनुरूप प्रेशर निरोधक क्षमता बनायीं जाती है। इसके साथ ही , उसमें टेम्प्रेचर कंट्रोल, आक्सीजन और कम्युनिकेशन की फैसिलिटी होती है। वह मेन सब से जुड़ा होता है और सब के छोटे मोटे रिपेयर के काम इसकी मदद से पानी के अंदर भी हो सकते हैं। टूल्स भी अलग ढंग से डिजाइन होते हैं।

२ मिनट में तीन लोगों की एक टीम वो सूट पहन के कंट्रोल रूम में आ गयी थी।

तब तक करन ने कैप्टेन मल्होत्रा से बोला की वो भी जाएगा , रिपेयर टीम के साथ।

पहले तो कैप्टेन ने मना किया , लेकिन करन ने कहा कोई रास्ता है क्या।

वाकई कोई रास्ता नहीं था।

बार्ज सब मैरीन की ओर टिल्ट हो रहा था।

कंटेनर सूत सूत कर सरक रहा था।



अगर वो सब के बाड़ी से टकराया , तो दो मिनट के अंदर नैनो रोबो सबसे पहले टकराने की जगह ( जो न्यूकिलियर रिएक्टर के ऊपर की केसिंग होती ) पर हमला करते , और दो तीन मिनट में एक्सप्लोजन तय था।

और अगर ७-८ मिनट में बार्ज दूर नहीं किया गया तो कोई रास्ता नहीं था।

कैप्टेन मल्होत्रा ने उन लोगों से एक सूट करन के लिए भी लाने को कहा।

सब मैरीन में सब कुछ बहुत सिंक्रोनाइज्ड आपरेशन होता है।

जब तक करन तैयार होके उन लोगों के साथ पहुंचा , प्रेशर ड्राप कर दिया गया था , और फिर कुछ देर में वो चारों क्राल करते हुए वहां पहुंचे , जहाँ चेन उलझी हुयी थी।


दो लोगो ने चेन काटने की कोशिश की लेकिन बार्ज टिल्ट होने के कारण , चेन ढीली थी और टाइट किये काटना मुश्किल था।

पानी में ब्लॉ टार्च या गैस कटर का असर भी नहीं होता।


करन ने देखा , की बैलास्ट के तौर पे कुछ स्टील छोटे इनगॉट्स बार्ज पे रखे थे।

उसने एक सेलर को इशारा किया और दोनों ने मिल के धक्के दे के बैलास्ट को पुश करना शुरू किया।

ये एक बहुत खतरनाक आपरेशन था।

दोनों की आधी देह बार्ज और आधी सब मरीन केसिंग पे थी।

बैलास्ट भी बहुत भारी थे और फिर पानी का प्रेशर।

दोनों ने पूरा जोर लगाया , और वो कुछ दूर सरका। फिर जब एकबार मिल के उन्होंने पुश किया तो वो बार्ज के दूसरी ओर सरक गया।


अब बार्ज की टिल्ट सब के अगेंस्ट थी और चेन टाइट हो गयी थी।

कंटेनर भी अब दूसरी दिशा में सरक रहा था।

दोनों सेलर्स ने काटने की कोशिश कर रहे थे , अब चेन काट दी।

बार्ज सब मैरीन से दूर जाने लगा।

लेकिन जो सेलर करन के साथ पुश कर रहा था ,बार्ज पे अटक गया था।

और वो आधा लटका हुआ सब मैरीन से दूर जा रहा रहा था।



करन ने स्कूबा डाइविंग की बहुत प्रैक्टिस की थी।

उसने सेलर के नीचे डाइव किया , और फायरमैन लिफ्ट से सेलर को उठा लिया और तैर कर वापस सब पे ले आया।

बाकि दोनों सेलर वेट कर रहे थे , और उन्होंने नीचे कंट्रोल रूम को बता दिया था।

उन्होंने करन और सेलर को जैसे कैच किया और तुरंत पोर्ट खुला और चारों अंदर आये।


' सर आपने बहुत रिस्क लिया ' एक सेलर बोला।

' वन फॉर आल एंड आल फॉर वन ' करन मुस्करा के बोला।

कैप्टेन मल्होत्रा ने मुझे देख के आँखों में हाई फाइव किया , और नेविगेशन वाले कोबोला , अप , फास्ट।

थोड़े ही देर में सबमैरीन ऊपर चढ़ने लगी।

लेकिन सबकी आँखे स्क्रीन पर चिपकी थीं।

जिस कंटेनर बॉम्ब को हमने डिस्लाज किया था , वह अब कांटिनेंटल ट्रेंच की दीवार के पास हो गया था।

डर ये था की कहीं सब के बाहर निकलने के पहले वो दीवार से न लड़ जाय और कहीं एक्सप्लोजन न ट्रिगर हो जाय।

शायद इसी कारण कैप्टेन मल्होत्रा ने सब को तुरंत लिफ्ट करने का आर्डर दिया।

लेकिन आर्डर का दूसरा असर भी देखने को मिला।

जहाँ सब पहले थी वहां एडी करेंट्स जेनरेट हुयी , बार्ज धीरे धीरे बीच में आ गया और सिंक करने लगा।

कैप्टेन मल्होत्रा आपरेशन टेबल पर चले गए थे और सीधे गाइड कर रहे थे।


थोड़ी देर में हम ट्रेंच से बाहर थे।


अब सांस में सांस आई।

अभी ९ मिनट बाकी था एक्सप्लोजन टाइम में।


हम लोगो ने गहरी सांस ली।

कैप्टेन मल्होत्रा मेरे पास फिर आके बैठ गए थे।

किसी ने दो कोल्ड ड्रिंक के कैन हमें ला के दे दिए।

हम कैन खत्म कर रहे थे की कैप्टेन मल्होत्रा ने कहा की कहीं ऐसे तो नहीं होगा की वो कंटेनर ब्लास्ट ही नहीं करे ,

और उन्होंने एक स्क्रीन खोल दी।

उसमें दोनों बार्जेज की पोजीशन और कंटेनर नजर आ रहे थे और साथ में सब से उनकी डिस्टेंस।

अभी पांच मिनट बचे है , मैंने घडी देखते हुए कहा।

हमने कैन खत्म ही किया था की स्क्रीन परेड अलर्ट आने लगे ,

सिक्योरिटी कम्प्रोमाइज्ड।

सब अंडर अटैक।

केसिंग डिटेक्ट्स डेंजर।

इंजन रूम से भी मेसेज आ रहे थे।


कैप्टेन मल्होत्रा की समझ में कुछ नहीं आ रहा था।

लेकिन करन कीसमझ में आ गया।

हमला शुरू हो चूका था।







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