Tuesday, July 1, 2014

FUN-MAZA-MASTI सीता --एक गाँव की लड़की--13

FUN-MAZA-MASTI

 सीता --एक गाँव की लड़की--13

 कोमल दीदी की पॉर्लर में नजर पड़ते ही मेरी नजर कोमल दीदी पर पड़ी.. जो कि बैठी अपने साथ काम करने वाली लेडिज से बात कर रही थी..

मुझे देखते ही उन्होंने अपनी बात बंद कर मुस्कुरा दी और बोली,"आओ सीता, कैसी हो और इधर कैसे भटक गई...

"नहीं दीदी. भटक के नहीं , बस आपसे मिलने आई हूँ.. घर पर अकेली बोर हो रही थी तो सोची कहीं घूम आऊँ.."मैं आगे बढ़ती हुई हँसते हुए बोली..

"जरूर सीता,, हमारी इस छोटी सी कुटिया में हर वक्त स्वागत है... अच्छा वो पूजा नहीं आई क्या?"कोमल दीदी हमें बैठने के लिए इशारा करती हुई बोली.

मैं पास में पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए बोली,"पूजा कॉलेज गई है दीदी, वर्ना वो भी आती.."

तब तक उनकी सहकर्मी उठ गई और कोने में पड़ी फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक ले आई..

"पूजा तो हमसे नाराज ही हो गई तो कैसे आएगी मिलने?"दीदी ड्रिंक की एक घूँट लेती हुई बोली..

"नहीं दीदी, वो नाराज नहीं है बस थोड़ी सी डर गई थी.."

"क्यों?"कोमल दीदी चौंकती सी पूछी..

"दीदी वो क्या कहते हैं उसको ब्लैकमेल करना.. बस इसी से डरती है कि कहीं आप भी....."मैं थोड़ी सकुचाती हुई बोली..

मेरी बात सुनते ही वो आश्चर्य और गंभीर नजरों से हमें देखने लगी...मैं भी डर गई कि शायद इन्हें मेरी बात अच्छी नहीं लगी..

कमरें में पूरी तरह सन्नाटा छा गई थी..हम तीनों की नजरें आपस में टकरा रही थी..

अचानक ही कोमल दीदी और उनकी दोस्त सहकर्मी ठहाका लगा जोर से हँसने लगी..

मैं उनकी इस हँसी को समझने की कोशिश करती मुस्कुराते हुए देखने लगी.. फिर वो बोतल में बची सारी ड्रिंक एक ही घूँट में खत्म कर दी...

फिर वो चेयर से उठी और मेरी तरफ देख बोली,"चलो इधर आओ.. तुम्हें कुछ दिखाती हूँ."

मैं तुरंत ही उठ गई और उनके पीछे चली गई..वो कमरे के एक तरफ लगी बड़ी सी दर्पण के पास गई और वहाँ लगी एक बटन दबा दी...

बटन दबते ही वो दर्पण बिना चूँ किए एक तरफ साइड हो गई.. ये तो अदंर जाने की गेट थी..वो आगे बढ़ती हुई बोली,"अंदर आओ सीता, ये हमारा सीक्रेट रूम है."

मैं उनके पीछे अंदर आ गई..अंदरआते ही कोमल दीदी गेट लॉक कर दी.. कमरे में सोफे लगी हुई थी.. और एक तरफ मेकअप की सारी सामग्री सजी हुई थी...

और साथ में बाथरूम अटैच थी..तभी कोमल दीदी आगे बढ़ एक दीवार की तरफ गई और वहाँ दीवार पर अपने हाथ रख दी.

गौर से देखी तो मालूल पड़ी कि जहाँ वो हाथ रखी थी वहाँ 4 वर्गाकार डॉट बिंदु थी जो नहीं के बराबर मालूम पड़ती थी..

तभी उस दीवार की ठीक विपरीत वाली दीवार से हल्की सी आवाज आई..नजर घुमाई तो वहाँ दीवार पर से बिल्कुल पतली सी परत हट गई जो कि दीवार के रंग की थी..

मैं एक एक चीजों को गौर से देखी जा रही थी.. और कोमल दीदी मुस्कुराती हुई अपने कामों में लगी हुई थी...

उस खुली परत के अंर देखी तो वहाँ ढ़़ेर सारी लॉकर थी.. वैसी लॉकर तो मैं सिर्फ फिल्मों में ही देखती थी.. बड़े बड़े लोग अपनी कीमती वस्तुओं की सुरक्षा में इसका उपयोग करते हैं.

कोमल दीदी उस लॉकर की बटन दबाने लगी..अगले ही पल एक लॉकर खुल गई...

कोमल दीदी उसमें हाथ बढ़ा रखी एक मोटी सी एलबम निकाली...फिर वो मेरी तरफ देख बोली,"इधर सोफे पर बैठते हैं..." और वो एलबम ले सोफे की तरफ बढ़ गई...

मैं भी उनके पीछे चलती उस सोफे पर दीदी के बगल में बैठ गई...दीदी मेरी तरफ एलबम बढाते हुए बोली,"लो पहले एलबम देखो.."

मैं सोच में पड़ गई कि आखिर ये कैसी एलबम है जिसे ईतनी सुरक्षा में रखी जाती है.. अगर इतनी सीक्रेट है तो फिर हमें क्यों दिखा रही है.. मैं तो आज तक सिर्फ दो ही बार मिली हूँ इनसे...इसी तरह की ढ़ेर सारी बातें सोचती एलबम पकड़ ली..

मैं एलबम के कवर पलट दी.. सामने एक बहुत ही खूबसूरत लेडिज की फोटो थी..

फोटो में उसकी चेहरे थी जो कि देखने से काफी आकर्षक लग रही थी.. साथ में उस फोटो की एक तरफ उसकी पूरी फोटो भ एडिट कर डाली हुई थी..

दिखने से ये काफी अमीरजादी लग रही थी.. रंग- रूप और बनावट से भी काफी धनी लग रही थी...

"फोटो की पीठ पर इनके बारे में थोड़ी सी जानकारी लिखी हुई है.."तभी दीदी की आवाज मेरी कानों गूँजी... मैं उनकी बातों को सुन फोटो की पीठ पर देखी...

जूली सिन्हा
पति- Mr. रॉबिन सिन्हा(Gov. judge of Patna high court)
उम्र- 30
पता- मजिस्ट्रेट कॉलोनी, आशियाना नगर, पटना
फोन - +9194300#####


मैं पूरी पढ़ने के बाद एक बार फिर वापस उसकी तस्वीर देखने लगी... मतलब ये एक जज की बीवी है..

फिर मैं अगली तस्वीर देखने लगी.. आगे भी इसी तरह की ढ़ेर सारी तस्वीरें थी.... जिसमें कोई जज की बीवी, कोई वकील की बीवी, किसी नामी नेता की बहू, तो कोई बड़े डॉक्टर की बेटी है..

मैं एक-2 कर सभी तस्वीरें देख रही थी.. कोई 30 मिनट तक लगातार देखती रही तब जाकर समाप्त हुई कहीं... इनमें एक भी ऐसी औरत या लड़की नहीं थी जो निम्न वर्ग की थी... सभी ऊंचे और अमीर परिवार की थी... 200 के करीब सारी तस्वीरें थी..

फिर मैं एलबम को बंद करती हुई बोली,"दीदी ,आपकी दोस्ती तो काफी अच्छे-2 से हैं..."

मेरी बात सुनते ही दीदी मुस्कुराती हुई बोली,"हाँ, ये सब मेरी बेस्ट फ्रेंड हैं...अच्छा ये एलबम तुम्हें क्यों दिखाई, पता है क्या?"

मैं कुछ सोच में पड़ गई जीदी की सवालों से..फिर बोली,"शायद आप अपने दोस्तों के बारें में बताना चाहती हो."

कोमल दीदी कुटीली सी हँसी हँसते हुए बोली," हाँ पर साथ में तुम्हारी डर दूर करने के लिए भी.."

"मतलब???"मैं एक बार फिर दीदी की बात को समझ नहीं पाई.

"मतलब ये कि तुम जितनी फोटो देखी, सब की सब सेक्स रैकेट से जुड़ी है.. यानी ये सब धंधे करती है.. और आज तक ये सभी सुरक्षित हैं.. कुछ तो अपनी शरीर की प्यास बुझाने करती है और कुछ शौक से.."कोमल दीदी एक बारगी से बेहिचक बता रह थी..

मुझे तो जैसे शॉक लग गई..मैं एकटक दीदी को निहारती उनकी बातें सुन रही थी.. बार बार मेरी नजर एलबम की तरफ जा रही थी..

"और तुम शायद ये सोच रही होगी कि कहीं मैं इन्हें ब्लैकमेल तो नहीं कर रही.. तो तुम किसी को फोन पर पूछ सकती हो कि ये अपनी मर्जी से आई या जबरदस्ती..."

मैं क्या जवाब देती..? मेरी तो ऐसी बातें सुन के ही आवाजें बंद हो गई थी..तभी दीदी दूसरी तरफ दिवाल में लगी बटन दबा दी जिससे एक और गेट खुली... मेरी तो दिमाग अब काम करना लगभग छोड़ चुकी थी..


 गेट खुलते ही दीदी मेरी तरफ पलट के मुझे आँखों से ही बुलाई.. मैं चुपचाप उठी और दीदी के पास पहुँच गई.. दीदी आगे उस गेट में प्रवेश कर गई..

ये एक संकरी गली थी जो कि आगे जा के खत्म हो गई थी.. इसमें आने से पहले ये एक किसी गुफा की तरह अंधकारमय थी..

पर कोमल दीदी जैसे ही अपना एक पैर रखी, पूरी की पूरी गली प्रकीश से नहा गई.. मैं तो चकरा सी गई ऐसी व्यवस्था को देखकर..

कुछ ही पल में हम इस तंग गली की अंतिम छोर पर थी जहाँ पर लिफ्ट लगी थी.. दीदी ने बटन दबा दी लिफ्ट की जिससे क्षण भर में ही लिफ्ट पहुँग गई..

दीदी मुस्कुराती लिफ्ट के अंदर दाखिल हो गई.. मैं भी उनके पीछे लिफ्ट में घुस गई.. चंद सेकंड में लिफ्ट रूक गई...

लिफ्ट के रूकते ही हम दोनों बाहर निकले..
नजर दौड़ाई तो मैं किसी आलीशान भवन के कॉरिडोर में खड़ी थी.. सामने दोनों तरफ कई कमरे बने थे जो दूर तक जाती दिख रही थी..

यहाँ से बाहर देखने की कोई व्यवस्था नहीं थी जिससे मैं अनुमान लगाती कि आखिर मैं कहाँ हूँ...

तभी कोमल दीदी सामने उस कमरे की तरफ देखती हुई बोली,"तुम्हें पता है अभी तुम कहाँ हो"

दीदी के सवाल मेरे कानों में पड़ते ही मैं ना में सिर हिला दी..

"अभी तुम पटना की नामी 3 स्टार होटल के कॉरिडोर में खड़ी हो...और ये जो सामने जितने रूम देख रही हो ना... यही हमारी हाई प्रोफाईल लेडिज की रंडीखाना है.."

"यहाँ आने के सिर्फ दो रास्ते हैं.. एक जहां से हम लोग आए हैं.. सभी लेडिज भी इसी होकर ही आती है.. जबकि दूसरा रास्ता नीचे 3री मंजिल पर एक सीक्रेट रूम से होते हुए है.. उधर से सिर्फ कस्टमर ही आते हैं.."

मैं तो हैरत भरी नजरों से सिर्फ दीदी की बातों को सुने जा रही थी..

"दीदी फिर आप इन होटल वालों से मैनेज कैसे???"मैं कुछ होश में आती अपनी बेतुका सवाल कर गई..

दीदी मेरी बात सुन हँस पड़ी और आगे की तरफ बढ़ गई..मैं भी कोमल दीदी के साथ धीरे-2 आगे बढ़ी..

"ये होटल मेरे पति के हैं.. और सभी कस्टमर से सीक्रेटली वही बात करते हैं तो किसी तरह की प्रोबलम की बात ही नहीं है..और यहाँ तो बड़े से बड़े लोग किसी कुत्ते की तरह दुम दबाते मजे के लिए आते हैं..."

मैं दीदी की की बात सुनते ही ठिठक पड़ी.. ये दोनों पति पत्नी तो सेक्स रैकेट बड़े ही आसानी से चला रहे हैं... इन पर किसी का शक करना आसान नहीं सिवाए इनके ग्रुप में शामिल लेडिज और कस्टमर के....

कॉरिडोर पूरी तरह से रोशनी से जगमगा रही थी और लाईट से नहाई हुई थी.... कॉरिडोर में पूरी AC लगी हुई थी जिसकी सनसनाती हुई हवा हमें ठंडक देने की कोशिश कर रही थी...

पर मैं तो दीदी के हर एक विस्फोट से लगातार पसीने छूट रहे थे.. मैं दीदी के साथ आहिस्ते-2 चलती बातें सुन रही थी..

तभी सामने एक गेट खुली और एक मोटा सा काला आदमी कमर पर तौलिया लपेटे निकला.. वो पसीने से तरबतर हो हाँफ रहा था मानों काफी लम्बी दौड़ लगा कर आया हो..

दीदी उसे देखते ही मुस्कुराती हुई बोली,"क्यों पांडे जी, आज कुछ ज्यादा ही मेहनत हो गई क्या?"

पांडे मेरी तरफ बड़ी बड़ी आँखें नचाते हुए भूखे भेड़िये की तरह देख रहा था.. मैं तो डर के मारे दीदी के पीछे हो गई..

"हा" मैडम ,पिछले 2 दिनों से इस लौंडिया का भाई नाक में दम कर रखा था.. सारा गुस्सा इसके अंदर डाल दिया शाली के.." कहते हुए उसने अपना लंड बाहर से ही मसल दिया और हल्की हंसी हँस दिया..

उसकी इस हरकत से दीदी जहां नॉर्मल थी, वहीं मैं शर्म से मरी जा रही थी..दीदी हंसती हुई उसकी बात सुन कमरे की तरफ बढ़ गई जहाँ से वो आदमी निकला था..

मैं भी तेज कदमों से दीदी के पीछे जल्दी से अंदर आ गई.. सामने बेड पर एक नंगी लड़की पड़ी हुई थी जिसकी चूत से ताजी वीर्य बह रही थी.. उसकी चुची पर कई जगह दांत के निशान थे.. वो आंखें बंद किए तेज सांस ले रही थी..

कोमल दीदी उस लड़की के पास बैठती हुई उसके सर पर हाथ रखती प्यार से बोली," रश्मि, तुम ठीक तो हो ना?"

रश्मि दीदी की आवाज सुनते ही मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला दी.. दीदी फिर बेड से उठती हुई बोली,"अब उठ को फ्रेश हो जाओ, फिर आराम करना.."

और दीदी वापस रूम के बाहर की तरफ चल दी..रूम के बाहर निकलते ही वो आदमी दीदी से पूछा,"मैडम, इनको कभी देखा नहीं.. परिचय नहीं करवाइएगा?"

कोमल दीदी उसकी बात सुनते ही मुस्कुरा के मेरी तरफ देखती हुई बोली," ये मेरी नई दोस्त है.. आज बस घूमने आई हैं.. फिर कभी आपकी मुलाकात अच्छे से करवा दूंगी.. आज इसे जल्दी जाना है.."कहते हुए कोमल दीदी वापस लिफ्ट की तरफ बढ़ गई...

मैं अपनी मुलाकात सुनते ही समझ गई कि दीदी कैसी मुलाकात करवानी वाली है.. तेज कदमों से भागती मैं तुरंत ही लिफ्ट तक पहुँच गई..

लिफ्ट में घुसते ही दीदी बोली,"ये पांडे जी यहां के इंस्पेक्टर हैं.. ये अक्सर ही यहां आते रहते हैं"

तब तक लिफ्ट रुक चुकी थी..मैं दीदी की तरफ कान लगाए बाहर उसी तंग गली में घुस गई..

"और ये लड़की S.P. की छोटी बहन है.. SP अपने काम के प्रति काफी सक्रिय हैं जिससे सभी इंस्पेक्टर परेशान हो जाते हैं.. हर वक्त काम-2 की रट लगाए रहता है.."
अब हम दोनों रूम में आ गए थे और कोमल दीदी एलबम को लॉकर में रखती हुई बोली,"पांडे जी भी इसके भाई से कैफी परेशान रहता है.. इसे तो उसके घर के काम भा करने पड़ते हैं.. बस इसी का गुस्सा उसकी बहन को चोद कर निकालने अक्सर आते हैं..और इस रश्मि को भी हॉर्ड सेक्स की आदत लग गई है..वो भी दौड़ती हुई आ जाती है.."

हम दोनों वहीं सोफे पर बैठ गई.. मैं अब यहां से जाना चाहती थी पर जब कोमल दीदी बैठ गई तो मैं कैसे निकल सकती थी..

मुझे कुछ परेशान देख दीदी सीधी प्वाइंट पर आ गई..कोमल दीदी मेरे हाथों को अपने हाथों से दबाती हुई बोली,"मैं जानती हूं कि अभी तुम मुझे या मेरे इस काम को लेकर बिल्कुल भी सहज नहीं हो..सो ज्यादा कुछ नहीं कहूंगी.. बस मैं यही कहूंगी कि अगर कभी मेरी जरूरत पड़े तो बेहिचक चली आना."

आखिर मैं इसी बात का इंतजार कर रही थी कि अब तक दीदी बोली क्यों नहीं..मैं एक टक दीदी को देखे जा रही थी..

"घर में बैठी बोर होने से बेहतर है कि जिंदगी के ये मजे भी उठा लो..और मस्ती के साथ कुछ पैसे भी मिल जाएंगे..पूजा से भी बात कर लेना.."

और इपनी बात खत्म कर दीदी बाहर की तरफ चल दी..मैं भी उनके पीछे पॉर्लर तक आ गई..

"दीदी, मैं अब निकलती हूँ,"मैं गेट की तरफ नजर दौड़ती हुई बोली..

दीदी हहं कहते हुए बोली,"ठीक है. निकलो तुम.. इसी तरह घूमते हुए आती रहना.."

मैं हां में सिर हिला अपने पसीने पोंछती निकल गई.. आज मैं औरों दिन की भांति उतनी परेशान नहीं थी.. शायद आदत लग रही थी ऐसी बातों को नॉर्मल की तरह सुनने की..

मैं बाहर सड़क के साइड खड़ी किसी ऑटो का इंतजार करने लगी..तभी तेज रफ्तार से एक बाइक सवार हेलमेट लगाए मेरे करीब आ रूक गई...
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[...कहानी जारी है]













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