FUN-MAZA-MASTI
ज़न्नत की ज़न्नत--3
अब आगे :
पंकज ने जी भर के मेरे चूतड़ों को अपने हाथ से फैला कर, उनके अन्दर अपनी जीभ डाल कर खूब चूमा और चाटा।
फिर मैंने पंकज को मेरी पीछे से चूत के आस-पास चूमने को कहा, मैंने पंकज को अपनी जीभ से मेरी चूत को धीरे-धीरे चाटने को कहा।
पंकज बड़े आराम से मेरी चूत चाटने लगा।
थोड़ी देर चूत चटवाने के बाद मेरी चूत पानी छोड़ दिया और मैंने पंकज को अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
इसके बाद मैंने पंकज को मेरे ऊपर चढ़ा कर अपना लंड मेरे मुँह के अन्दर डालने को कहा।
पंकज ने अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया और मैं पंकज का लौड़ा बड़े आराम से अपने हाथों से पकड़ कर चूसने लगी।
मैं जैसे-जैसे पंकज का लंड चाट और चूस रही थी, वैसे-वैसे उसके लंड ने अकड़ना शुरू कर दिया।
पंकज अपने हाथों से मेरी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा।
थोड़ी देर में ही मेरे चूसने से पंकज का लंड तन्ना कर खड़ा हो गया..!
जब पंकज का लंड पूरा का पूरा तन गया तो उसने मुझसे बोला- अरे मेरी लंड की रानी, अब तो छोड़ दो मेरे लंड को… मुझे अब तुम्हारी चूत में अपना लंड पेलना और तुम्हें चोदना है… देखो ना मेरा लंड अकड़ कैसे खड़ा हो गया है.. यह अब तुम्हारी चूत में घुसना चाहता है… चलो अब चूत चुदवाने के लिए तैयार हो जाओ।
पंकज का बात सुन कर मैं पंकज का लण्ड अपने मुँह से निकाल कर पंकज से बोली- हाय मेरी चूत के राजा, जैसे तुम्हारा लौड़ा तन कर खड़ा हुआ है, वैसे ही मेरी चूत भी लंड खाने के लिए अपनी लार छोड़ रही है। मेरी चूत बहुत गीली हो गई है, अब मैं भी तुमसे अपनी चूत चुदवाना चाहती हूँ। चलो अब जल्दी से अपना यह मोटा सा डंडा मेरी चूत में घुसेड़ो और चूत को चोद-चोद कर फाड़ दो।
पंकज मेरी बातों को सुन कर मेरे ऊपर से नीचे उतर गया और मेरी टाँगों के बीच बैठ गया। टाँगों के बीच बैठने के बाद पंकज ने मेरी टाँगों को अपने हाथों से खोल कर मेरी चूत को खोला और अपना लंड मेरी चूत के दरवाजे पर रख कर एक धक्के से पूरा का पूरा लंड चूत के अन्दर घुसेड़ दिया।
मैंने भी अपनी टाँगों को जितना हो सका, खोल कर पंकज का लंड अपनी चूत में ले लिया, लेकिन पंकज के धक्के के साथ साथ मेरे मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गई।
पंकज ने मेरी चीख सुन कर के पूछा- क्या हुआ, विभा तुम्हारी चुदी-चुदाई चूत क्या फिर से फट गई? अरे अभी तो सिर्फ़ लंड चूत के अन्दर डाला है, अभी तो पूरी चुदाई बाकी है और तुम अभी से चीख रही हो?
मैं पंकज की बातों को सुन कर बोली- साले हरामी चूत के पिस्सू, ऐसे धक्का मारा जाता है? चुदक्कड़ बीवी के चोदू खसम, अबे यह तेरी बीवी की चूत नहीं है, कि जैसे मर्ज़ी चोद रहा है… साले आराम-आराम से चोद..!
फिर मैंने पंकज से प्यार से बोली- पंकज, ऐसे नहीं, धीरे-धीरे, अपने लंड को मेरी चूत से पूरा बाहर निकाले बिना, हल्के-हल्के धक्के मार कर, जी भर के सारी रात चोद कर मुझे मज़ा दो। ऐसे जल्दी-जल्दी से चोदने से क्या फायदा? तुम जल्दी झड़ जाओगे और मुझे भी मज़ा नहीं मिलेगा।
अब पंकज मुझे धीरे-धीरे चोदने लगा। थोड़ी देर तक धीरे-धीरे चोदने के बाद पंकज ने मेरी टाँगें पकड़ कर ऊपर फैला लीं और अपने लंड को मेरी चूत से पहले आधा निकालता फिर उसको मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ देता।
मुझे इस धीमी चुदाई से बहुत मज़ा मिल रहा था। मैं पंकज की कमर को अपने पैरों से पकड़ कर उसको अपनी चूचियों से चिपका लिया और अपनी कमर उठा-उठा कर पंकज का लंड अपनी चूत में पिलवाने लगी।
पंकज की इस धीमी चुदाई से मेरी चूत अब तक तीन बार पानी छोड़ चुकी थी, लेकिन चूत और चुदना चाहती थी।
थोड़ी देर पंकज मुझे धीरे-धीरे चोदने के बाद मुझसे से बोला- मेरी रानी, अब बहुत हो गया है.. अब मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदने दो। वैसे ज़न्नत को मैं तो रोज़ ज़ोर-ज़ोर से चोदता हूँ और ज़न्नत भी चुदते-चुदते ज़ोर-ज़ोर से चोदने के लिए बोलती है। अब तुम अपनी चूत संभालो और मैं तेज़ी से चोदता हूँ।
इतना कहने के बाद पंकज ने मेरी दोनों चूचियों को अपने हाथों से कस कर पकड़ लिया और अपनी कमर तेज़ी से उठा-उठा कर मुझे चोदने लगा।
अब मैं भी बहुत गर्म हो गई थी और मैंने भी पंकज को अपने दोनों हाथों और दोनों पैरों से पकड़ कर उससे चिपक कर पंकज की चुदाई का मज़ा लेने लगी।
थोड़ी देर मेरी चूत में लंड तेज़ी से पेलने के बाद पंकज का लंड मेरी चूत के अन्दर ठुमका मारने लगा और मैं समझ गई कि अब पंकज झड़ने वाला है।
वैसे मैं भी अब झड़ने वाली थी।
मैंने पंकज का मुँह खींच कर अपने चूचियों पर सटाते हुए पंकज से बोली- पंकज, जल्दी से तुम मेरी चूची चूसते हुए मुझे चोदो, मैं भी अब झड़ने वाली हूँ। चूची चुसवाते हुए चुदने से मैं बहुत जल्दी झड़ूँगी।
पंकज झट से मेरी एक चूची को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा।
मैं भी अपनी चूतड़ उचका-उचका कर पंकज के लंड से चुदवाने लगी।
थोड़ी देर में पंकज ने लंड तेज़ी से मेरी चूत में अन्दर तक पेल कर पानी छोड़ दिया और मेरी चूत को अपने पानी से भर दिया।
मैंने भी उसी समय अपनी चूत का पानी पंकज के लंड के ऊपर छोड़ दिया।
हम लोग इस चुदाई से बहुत ही थक गए थे और बिना चूत से लंड निकाले एक-दूसरे को अपने से चिपका कर सो गए।
सुबह जब आँख खुली तो देखा कि पंकज मेरी बगल में नंग-धड़ंग सो रहा है और मैं भी बिल्कुल नंगी हूँ।
पहले तो मैं चौंक गई फिर बाद में बीती रात की सारी घटना याद आई और मैं एक बार के लिए शरमा गई।
फिर मैंने गौर से पंकज को देखा, सुबह होने पर भी उसका लंड फिर से खड़ा हो कर हवा में झूम रहा है। उस समय पंकज के लौड़े का सुपारा पूरी तरह से खुला हुआ था और बिल्कुल टमाटर की तरह लाल था।
मैं पंकज के लंड का ऐसा मस्त नज़ारा देख कर अपने आप को रोक नहीं पाई और बैठ कर उस लंड को अपने हाथों से पकड़ अपने मुँह से आगे लगा लिया।
मुँह से लगते ही पंकज का लंड और भी अकड़ गया।
मुझे पंकज के लंड से अपनी चूत की महक आ रही थी।
मैंने पंकज का लंड अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगी।
पंकज की आँख खुल गई और उसने अपने हाथों से मुझे जकड़ लिया और मुझे अपने ऊपर खींच कर मुझे बेतहाशा चूमने लगा।
थोड़ी देर चूमने के बाद पंकज ने मेरी नंगी चूचों से खेलने लगा और उन्हें चूसने लगा।
फिर पंकज ने मुझसे बोला- रानी, मुझे तुम्हारा नींद से जगाने का यह अंदाज़ बहुत पसंद आया। चलो अब हम तुम अब 69 की पोजीशन में एक-दूसरे के चूत और लंड चूसते हैं।
मैं झट बिस्तर पर फिर से लेट गई और पंकज उठ कर मेरे पैरों की तरफ अपना सर करके लेट गया। पहले पंकज मेरी चूत से थोड़ा खेला और फिर ऊपर चढ़ करके मेरी चूत चाटने लगा।
मैं भी पंकज का लंड अपने हाथों से पकड़ कर चूसने लगी।
थोड़ी देर तक मैं और पंकज एक-दूसरे का लंड और चूत चाटते और चूसते रहे। फिर वो मेरे ऊपर से उठ गया और मुझे अपने पेट के बल लेटने के लिए बोला।
मैंने फ़ौरन पंकज से पूछा- क्यों? सुबह सुबह अपने दोस्त की बीवी की गाण्ड मारने का इरादा है क्या?
पंकज तब अपने हाथों से मुझे उल्टी लिटाते हुए बोला- नहीं, अभी मैं तुमको कुतिया बना कर पीछे से चोदूँगा और तुम एक कुतिया की तरह अपनी गान्ड हिला-हिला कर मेरा लंड अपनी चूत में पीछे से पिलवाओगी।
मैं तब बिस्तर पर अपने चार हाथ और पैरों के सहारे कुतिया की तरह हो गई और पंकज झट से उठ कर मेरे पीछे बैठ गया और पीछे से मेरे चूतड़ों को चाटने लगा और थोड़ी देर के बाद मेरी चूत भी चाटना और चूसना शुरू कर दिया।
तब पंकज ने मुझसे बोला- क्यों मेरी चुदक्कड़ विभा रानी, तुम्हें अपनी गान्ड मरवाने की बहुत जल्दी पड़ी हुई है। अभी तो मैं तेरी चूत की चोद-चोद करके उसको चौड़ी करूँगा और फिर नाश्ता करने के बाद तेरी गान्ड में अपना लंड घुसेड़ कर तेरी गान्ड का छेद चौड़ा करूँगा।
पंकज की बातों को सुन कर मैं पंकज से बोली- मेरी चूत और गान्ड की बातों को छोड़, तुम अपनी बीवी की चूत और गान्ड की चिंता करो पंकज… मेरे महा चोदू पति ने अब तक तुम्हारी बीवी की चूत और गान्ड चोद-चोद कर उसके दोनों छेद चौड़े कर दिए होंगे। तुम्हें शायद नहीं मालूम कि नरेन को औरतों की गान्ड मारने का बहुत शौक है और अब तक वो अपने लंड कम से दो-तीन बार ज़न्नत की गान्ड में डाल चुका होगा।
पंकज मेरी बातों को सुन कर बोला- कोई बात नहीं, नरेन अगर ज़न्नत की चूत और गाण्ड की छेद चौड़े कर रहा है तो मैं भी तुम्हारी चूत और गाण्ड की छेद बड़े कर दूँगा।
फिर थोड़ी देर के बाद पंकज ने मेरे पीछे से मेरे ऊपर चढ़ गया और अपना लंड मेरी चूत से सटा कर एक हल्का सा धक्का मारा और उसका सुपारा मेरी चूत में समा गया।
मैंने भी अपने बिस्तर की चादर को पकड़ कर अपनी कमर को पीछे की तरफ धकेला और पंकज का पूरा लंड मेरी चूत में समा गया।
अब पंकज ने मेरी कमर को पकड़ कर अपना कमर चला करके मुझे चोदना शुरू कर दिया। इस आसन में पंकज का लौड़ा मेरी चूत की बहुत गहराई तक पहुँच रहा था और मुझे भी मज़ा मिल रहा था।
पंकज ने तब अपने दोनों हाथों को नीचे से बढ़ा कर मेरे दोनों रसीले पके आमों को, जो हवा में झूल रहे थे, पकड़ लिया और मसलने लगा।
थोड़ी देर तक मेरी चूचियों से खेलने के बाद पंकज मेरी चूत की घुंडी से खेलने लगा और इसी तरह से वो मुझे चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद पंकज ने चूत में अपना लंड का पानी छोड़ दिया और मेरी चूत को भर दिया।
मैं भी पंकज के साथ-साथ झड़ गई और बिस्तर पर औंधे लेट कर सुस्ताने लगी। पंकज भी मेरी पीठ पर पड़ा-पड़ा सुसताने लगा।
थोड़ी देर सुसताने के बाद पंकज मेरे ऊपर से हट गया और मैं भी तब पलंग पर उठकर अपनी चूत को पहले चादर से पोंछा और फिर बाथरूम चली गई।
जब मैं बाथरूम से नहा-धो कर निकली तो देखा कि पंकज अपने लंड को पकड़ कर सहला रहा है और उसका लंड फिर से खड़ा हो गया है।
मैंने पंकज से पूछी- क्या बात है? तुम्हरा हथियार फिर से खड़ा हो गया है? अभी उसको अपने हाथ से ही ठंडा करो और मैं अभी चाय-नाश्ता बनाने जा रही हूँ।
पंकज मेरी तरह देखते हुए बोला- अरे रानी, तुम चीज़ ही ऐसी हो कि तुम्हारी याद आते ही यह पिस्टन तैयार हो जाता है तुम्हारे सिलेण्डर में जाने के लिये !
तुम्हारी चूत बिल्कुल मक्खन मलाई जैसी है, जी करता है उसको मैं हमेशा चूमूँ, चाटूं और चोदूँ।
ठीक है.. अभी तुम चाय-नाश्ता बनाओ और मैं भी बाथरूम जा रहा हूँ। लेकिन चाय-नाश्ते के बाद मैं तुम्हारी गाण्ड मारूँगा।
लोग कहते हैं किसी औरत की चुदाई तब तक पूरी नहीं होती, जब तक उसकी गाण्ड में लंड ना पेला जाए। इसलिए मैं अभी नाश्ता करने के बाद तुम्हारी गण्डिया में अपना लाण्डिया पेलूँगा।
इतना कह कर पंकज बाथरूम चला गया और मैं नाश्ता बनाने रसोई में चली आई। रसोई में सबसे पहले नाश्ता बनाया और चाय बनाई।
जब तक मैं चाय-नाश्ता बना रही थी कि पंकज बाथरूम से नहा-धो कर बिल्कुल नंगा ही निकल आया और मुझसे कहने लगा- विभा, चलो अब तुम भी नंगी हो जाओ..! हम लोग नंगे ही बिस्तर पर बैठ कर चाय-नाश्ता करेंगे।
पंकज की बात सुन कर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी ही रसोई में जाकर चाय-नाश्ता लेकर के बिस्तर पर बैठ गई।
पंकज मेरे साथ-साथ मेरे बगल में बैठ गया और उसका मेरे बगल में बैठ कर मेरी चूचियों से खेलना चालू हो गया।
मैंने उसके हाथों को हटाते हुए उसको चाय-नाश्ता दिया और जल्दी से चाय-नाश्ता खत्म करने के लिए बोला।
पंकज ने मुझसे पूछा- क्यों जल्दी क्यों? क्या तुम्हें अपनी गाण्ड में मेरा लंड पिलवाने की बहुत जल्दी है क्या?
मैंने उसको कहा- नहीं, मुझे जल्दी है क्योंकि अभी एक घंटे में कामवाली आ जाएगी। एक घंटे में चाय-नाश्ता खत्म करना है। हम लोगों को फिर से कपड़े पहनने हैं… समझे मेरे चोदू राजा?
पंकज मेरी बातों को सुन कर चुपचाप नाश्ता करने लगा।
फिर हम लोगों ने चाय पी और फिर सारे बर्तन रसोई में रख कर वापस पंकज के पास बेडरूम में गई।
पंकज मुझसे बोला- विभा, मैं तो सोच रहा था कि मैं अभी तुम्हारी गाण्ड मारूँगा, लेकिन अभी तुम्हारी कामवाली बाई आने वाली है। चलो पहले हम लोग कपड़े पहन लेते हैं और अगर वक्त मिला हुआ तो कुछ करते हैं।
मैंने पंकज से पूछा- कुछ का मतलब? अभी कल रात से हम लोग चुदाई कर रहे हैं.. अब और क्या बचा है करने के लिए?
पंकज तब मेरी चूचियों को पकड़ कर धीरे-धीरे दबाते हुए बोला- अरे मेरी जान, अभी तुम्हारी चूत से और गाण्ड से मेरे लंड की दोस्ती बढ़ानी है। तभी तो बाद में मतलब और किसी दिन जब मौका मिलेगा। तुम्हें और रगड़ कर चोदना है। अच्छा चलो अपने कपड़े पहन लो और फिर बिस्तर पर अपनी साड़ी उठा कर लेट जाओ, मुझे तुम्हारी चूत का रस पीना है।
मैं पंकज की बात सुन जल्दी से अपने साड़ी, पेटीकोट, ब्रा और ब्लाउज पहन लिया और फिर वापस बिस्तर पर अपने कपड़े उठा कर लेट गई।
पंकज भी अब तक अपने कपड़े पहन चुका था।
वो मेरे पास आया और मेरी चूत को चूमने लगा। थोड़ी चूत को चूमने के बाद पंकज अपनी जीभ मेरी चूत पर फेरने लगा और फिर जीभ को मेरी चूत में डाल दिया।
पंकज अब जीभ से मेरी चूत बुरी तरह से चाटने और चूसने लगा। मेरी चूत भी तेज़ी से पानी छोड़ने लगी और पंकज भी तेज़ी से मेरी चाट-चाट कर चूत का पीने लगा।
चूत की चुसाई से मैं इतना गर्म हो गई कि मैं अपने आप अपनी दोनों टाँगों को घुटने से पकड़ लिया और अपनी कमर उचका कर अपनी चूत पंकज के मुँह से रगड़ने लगी। पंकज भी अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से पकड़ कर रगड़ने लगा।
इतने में दरवाजे की घन्टी बजी और मैं और पंकज जल्दी से एक-दूसरे को छोड़ कर अपने कपड़े ठीक किए और मैं बाहर का दरवाजा खोलने चली गई। बाहर काम-वाली बाई आई हुई थी। काम-वाली अन्दर आई और अपने काम पर लग गई। थोड़ी देर में काम-वाली अपना काम खत्म करके चली गई और जाते-जाते पंकज पर अपनी गहरी नज़रों से देखती रही।
काम-वाली बाई के जाते ही पंकज ने मुझे पकड़ लिया और एक झटके के साथ मेरे सब कपड़े फिर से उतार दिए और मुझको अपने साथ बेडरूम में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया। फिर पंकज भी जल्दी से अपने कपड़े उतार कर मेरे बगल में लेट गया।
लेटने के बाद पंकज ने एक हाथ से मेरी चूची और दूसरे हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगा। थोड़ी देर के बाद पंकज ने मुझे उल्टा लिटा दिया और मेरे चूतड़ों पर अपना मुँह रगड़ने लगा।
फिर वो बिस्तर पर से उठ कर ड्रेसिंग टेबल से कोल्ड-क्रीम की बॉटल ले आया और क्रीम मेरी गाण्ड के छेद में मलने लगा।
अब तक मैं चुप थी मगर अब मैंने पूछ ही लिया- क्या कर रहे हो? क्या इरादा है? क्यों मेरी कोल्ड कीम खराब कर रहे हो। क्रीम मुँह में लगाई जाती है और तुम क्रीम मेरी गाण्ड में लगा रहे हो?
पंकज मेरी गाण्ड में क्रीम लगते हुए बोला- मेरी चुदक्कड़ रानी, अब मैं तुम्हारी गाण्ड में अपना लंड पेलूँगा और अभी उसी की तैयारी कर रहा हूँ। क्रीम लगाने से तुम्हारी गाण्ड नहीं छिलेगी।
तब अपने हाथों से अपने चूतड़ों को फैलाते हुए मैं पंकज से बोली- पंकज मेरे चोदू राजा, मुझे गाण्ड मरवाने की आदत है, क्योंकि नरेन अक्सर मेरी गाण्ड में अपना लंड पेलता है और चोदता है, इसलिए तुम्हारे लंड घुसने से मेरी गाण्ड अब नहीं फटेगी। लो अब मैंने अपनी गाण्ड खोल दी है और अब तुम अपना लंड डालो, और मेरी गाण्ड मारो।
मेरी बातों को सुन कर पंकज हंस पड़ा और बोला- विभा, मैं तो तुम्हें एक चुदक्कड़ औरत समझ रहा था लेकिन तू तो गाण्डू भी हो। चलो अब मैं तुम्हारी गाण्ड मारता हूँ।
इतना कहकर पंकज ने अपना लंड मेरी गाण्ड में एक झटके से ठूँस दिया और मेरी गाण्ड चोदने लगा।
मैं भी अपनी कमर को झटके के साथ आगे-पीछे करके पंकज का लंड अपने गाण्ड में मज़े से पिलवाने लगी।
थोड़ी देर में पंकज मेरी गाण्ड के अन्दर झड़ गया और अपना लंड मेरी गाण्ड से निकाल कर बाथरूम में चला गया। मैं भी बिस्तर के चादर से अपनी गाण्ड को पौंछ कर रसोई में चली गई।
कहानी जारी रहेगी।
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ज़न्नत की ज़न्नत--3
अब आगे :
पंकज ने जी भर के मेरे चूतड़ों को अपने हाथ से फैला कर, उनके अन्दर अपनी जीभ डाल कर खूब चूमा और चाटा।
फिर मैंने पंकज को मेरी पीछे से चूत के आस-पास चूमने को कहा, मैंने पंकज को अपनी जीभ से मेरी चूत को धीरे-धीरे चाटने को कहा।
पंकज बड़े आराम से मेरी चूत चाटने लगा।
थोड़ी देर चूत चटवाने के बाद मेरी चूत पानी छोड़ दिया और मैंने पंकज को अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
इसके बाद मैंने पंकज को मेरे ऊपर चढ़ा कर अपना लंड मेरे मुँह के अन्दर डालने को कहा।
पंकज ने अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया और मैं पंकज का लौड़ा बड़े आराम से अपने हाथों से पकड़ कर चूसने लगी।
मैं जैसे-जैसे पंकज का लंड चाट और चूस रही थी, वैसे-वैसे उसके लंड ने अकड़ना शुरू कर दिया।
पंकज अपने हाथों से मेरी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा।
थोड़ी देर में ही मेरे चूसने से पंकज का लंड तन्ना कर खड़ा हो गया..!
जब पंकज का लंड पूरा का पूरा तन गया तो उसने मुझसे बोला- अरे मेरी लंड की रानी, अब तो छोड़ दो मेरे लंड को… मुझे अब तुम्हारी चूत में अपना लंड पेलना और तुम्हें चोदना है… देखो ना मेरा लंड अकड़ कैसे खड़ा हो गया है.. यह अब तुम्हारी चूत में घुसना चाहता है… चलो अब चूत चुदवाने के लिए तैयार हो जाओ।
पंकज का बात सुन कर मैं पंकज का लण्ड अपने मुँह से निकाल कर पंकज से बोली- हाय मेरी चूत के राजा, जैसे तुम्हारा लौड़ा तन कर खड़ा हुआ है, वैसे ही मेरी चूत भी लंड खाने के लिए अपनी लार छोड़ रही है। मेरी चूत बहुत गीली हो गई है, अब मैं भी तुमसे अपनी चूत चुदवाना चाहती हूँ। चलो अब जल्दी से अपना यह मोटा सा डंडा मेरी चूत में घुसेड़ो और चूत को चोद-चोद कर फाड़ दो।
पंकज मेरी बातों को सुन कर मेरे ऊपर से नीचे उतर गया और मेरी टाँगों के बीच बैठ गया। टाँगों के बीच बैठने के बाद पंकज ने मेरी टाँगों को अपने हाथों से खोल कर मेरी चूत को खोला और अपना लंड मेरी चूत के दरवाजे पर रख कर एक धक्के से पूरा का पूरा लंड चूत के अन्दर घुसेड़ दिया।
मैंने भी अपनी टाँगों को जितना हो सका, खोल कर पंकज का लंड अपनी चूत में ले लिया, लेकिन पंकज के धक्के के साथ साथ मेरे मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गई।
पंकज ने मेरी चीख सुन कर के पूछा- क्या हुआ, विभा तुम्हारी चुदी-चुदाई चूत क्या फिर से फट गई? अरे अभी तो सिर्फ़ लंड चूत के अन्दर डाला है, अभी तो पूरी चुदाई बाकी है और तुम अभी से चीख रही हो?
मैं पंकज की बातों को सुन कर बोली- साले हरामी चूत के पिस्सू, ऐसे धक्का मारा जाता है? चुदक्कड़ बीवी के चोदू खसम, अबे यह तेरी बीवी की चूत नहीं है, कि जैसे मर्ज़ी चोद रहा है… साले आराम-आराम से चोद..!
फिर मैंने पंकज से प्यार से बोली- पंकज, ऐसे नहीं, धीरे-धीरे, अपने लंड को मेरी चूत से पूरा बाहर निकाले बिना, हल्के-हल्के धक्के मार कर, जी भर के सारी रात चोद कर मुझे मज़ा दो। ऐसे जल्दी-जल्दी से चोदने से क्या फायदा? तुम जल्दी झड़ जाओगे और मुझे भी मज़ा नहीं मिलेगा।
अब पंकज मुझे धीरे-धीरे चोदने लगा। थोड़ी देर तक धीरे-धीरे चोदने के बाद पंकज ने मेरी टाँगें पकड़ कर ऊपर फैला लीं और अपने लंड को मेरी चूत से पहले आधा निकालता फिर उसको मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ देता।
मुझे इस धीमी चुदाई से बहुत मज़ा मिल रहा था। मैं पंकज की कमर को अपने पैरों से पकड़ कर उसको अपनी चूचियों से चिपका लिया और अपनी कमर उठा-उठा कर पंकज का लंड अपनी चूत में पिलवाने लगी।
पंकज की इस धीमी चुदाई से मेरी चूत अब तक तीन बार पानी छोड़ चुकी थी, लेकिन चूत और चुदना चाहती थी।
थोड़ी देर पंकज मुझे धीरे-धीरे चोदने के बाद मुझसे से बोला- मेरी रानी, अब बहुत हो गया है.. अब मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदने दो। वैसे ज़न्नत को मैं तो रोज़ ज़ोर-ज़ोर से चोदता हूँ और ज़न्नत भी चुदते-चुदते ज़ोर-ज़ोर से चोदने के लिए बोलती है। अब तुम अपनी चूत संभालो और मैं तेज़ी से चोदता हूँ।
इतना कहने के बाद पंकज ने मेरी दोनों चूचियों को अपने हाथों से कस कर पकड़ लिया और अपनी कमर तेज़ी से उठा-उठा कर मुझे चोदने लगा।
अब मैं भी बहुत गर्म हो गई थी और मैंने भी पंकज को अपने दोनों हाथों और दोनों पैरों से पकड़ कर उससे चिपक कर पंकज की चुदाई का मज़ा लेने लगी।
थोड़ी देर मेरी चूत में लंड तेज़ी से पेलने के बाद पंकज का लंड मेरी चूत के अन्दर ठुमका मारने लगा और मैं समझ गई कि अब पंकज झड़ने वाला है।
वैसे मैं भी अब झड़ने वाली थी।
मैंने पंकज का मुँह खींच कर अपने चूचियों पर सटाते हुए पंकज से बोली- पंकज, जल्दी से तुम मेरी चूची चूसते हुए मुझे चोदो, मैं भी अब झड़ने वाली हूँ। चूची चुसवाते हुए चुदने से मैं बहुत जल्दी झड़ूँगी।
पंकज झट से मेरी एक चूची को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा।
मैं भी अपनी चूतड़ उचका-उचका कर पंकज के लंड से चुदवाने लगी।
थोड़ी देर में पंकज ने लंड तेज़ी से मेरी चूत में अन्दर तक पेल कर पानी छोड़ दिया और मेरी चूत को अपने पानी से भर दिया।
मैंने भी उसी समय अपनी चूत का पानी पंकज के लंड के ऊपर छोड़ दिया।
हम लोग इस चुदाई से बहुत ही थक गए थे और बिना चूत से लंड निकाले एक-दूसरे को अपने से चिपका कर सो गए।
सुबह जब आँख खुली तो देखा कि पंकज मेरी बगल में नंग-धड़ंग सो रहा है और मैं भी बिल्कुल नंगी हूँ।
पहले तो मैं चौंक गई फिर बाद में बीती रात की सारी घटना याद आई और मैं एक बार के लिए शरमा गई।
फिर मैंने गौर से पंकज को देखा, सुबह होने पर भी उसका लंड फिर से खड़ा हो कर हवा में झूम रहा है। उस समय पंकज के लौड़े का सुपारा पूरी तरह से खुला हुआ था और बिल्कुल टमाटर की तरह लाल था।
मैं पंकज के लंड का ऐसा मस्त नज़ारा देख कर अपने आप को रोक नहीं पाई और बैठ कर उस लंड को अपने हाथों से पकड़ अपने मुँह से आगे लगा लिया।
मुँह से लगते ही पंकज का लंड और भी अकड़ गया।
मुझे पंकज के लंड से अपनी चूत की महक आ रही थी।
मैंने पंकज का लंड अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगी।
पंकज की आँख खुल गई और उसने अपने हाथों से मुझे जकड़ लिया और मुझे अपने ऊपर खींच कर मुझे बेतहाशा चूमने लगा।
थोड़ी देर चूमने के बाद पंकज ने मेरी नंगी चूचों से खेलने लगा और उन्हें चूसने लगा।
फिर पंकज ने मुझसे बोला- रानी, मुझे तुम्हारा नींद से जगाने का यह अंदाज़ बहुत पसंद आया। चलो अब हम तुम अब 69 की पोजीशन में एक-दूसरे के चूत और लंड चूसते हैं।
मैं झट बिस्तर पर फिर से लेट गई और पंकज उठ कर मेरे पैरों की तरफ अपना सर करके लेट गया। पहले पंकज मेरी चूत से थोड़ा खेला और फिर ऊपर चढ़ करके मेरी चूत चाटने लगा।
मैं भी पंकज का लंड अपने हाथों से पकड़ कर चूसने लगी।
थोड़ी देर तक मैं और पंकज एक-दूसरे का लंड और चूत चाटते और चूसते रहे। फिर वो मेरे ऊपर से उठ गया और मुझे अपने पेट के बल लेटने के लिए बोला।
मैंने फ़ौरन पंकज से पूछा- क्यों? सुबह सुबह अपने दोस्त की बीवी की गाण्ड मारने का इरादा है क्या?
पंकज तब अपने हाथों से मुझे उल्टी लिटाते हुए बोला- नहीं, अभी मैं तुमको कुतिया बना कर पीछे से चोदूँगा और तुम एक कुतिया की तरह अपनी गान्ड हिला-हिला कर मेरा लंड अपनी चूत में पीछे से पिलवाओगी।
मैं तब बिस्तर पर अपने चार हाथ और पैरों के सहारे कुतिया की तरह हो गई और पंकज झट से उठ कर मेरे पीछे बैठ गया और पीछे से मेरे चूतड़ों को चाटने लगा और थोड़ी देर के बाद मेरी चूत भी चाटना और चूसना शुरू कर दिया।
तब पंकज ने मुझसे बोला- क्यों मेरी चुदक्कड़ विभा रानी, तुम्हें अपनी गान्ड मरवाने की बहुत जल्दी पड़ी हुई है। अभी तो मैं तेरी चूत की चोद-चोद करके उसको चौड़ी करूँगा और फिर नाश्ता करने के बाद तेरी गान्ड में अपना लंड घुसेड़ कर तेरी गान्ड का छेद चौड़ा करूँगा।
पंकज की बातों को सुन कर मैं पंकज से बोली- मेरी चूत और गान्ड की बातों को छोड़, तुम अपनी बीवी की चूत और गान्ड की चिंता करो पंकज… मेरे महा चोदू पति ने अब तक तुम्हारी बीवी की चूत और गान्ड चोद-चोद कर उसके दोनों छेद चौड़े कर दिए होंगे। तुम्हें शायद नहीं मालूम कि नरेन को औरतों की गान्ड मारने का बहुत शौक है और अब तक वो अपने लंड कम से दो-तीन बार ज़न्नत की गान्ड में डाल चुका होगा।
पंकज मेरी बातों को सुन कर बोला- कोई बात नहीं, नरेन अगर ज़न्नत की चूत और गाण्ड की छेद चौड़े कर रहा है तो मैं भी तुम्हारी चूत और गाण्ड की छेद बड़े कर दूँगा।
फिर थोड़ी देर के बाद पंकज ने मेरे पीछे से मेरे ऊपर चढ़ गया और अपना लंड मेरी चूत से सटा कर एक हल्का सा धक्का मारा और उसका सुपारा मेरी चूत में समा गया।
मैंने भी अपने बिस्तर की चादर को पकड़ कर अपनी कमर को पीछे की तरफ धकेला और पंकज का पूरा लंड मेरी चूत में समा गया।
अब पंकज ने मेरी कमर को पकड़ कर अपना कमर चला करके मुझे चोदना शुरू कर दिया। इस आसन में पंकज का लौड़ा मेरी चूत की बहुत गहराई तक पहुँच रहा था और मुझे भी मज़ा मिल रहा था।
पंकज ने तब अपने दोनों हाथों को नीचे से बढ़ा कर मेरे दोनों रसीले पके आमों को, जो हवा में झूल रहे थे, पकड़ लिया और मसलने लगा।
थोड़ी देर तक मेरी चूचियों से खेलने के बाद पंकज मेरी चूत की घुंडी से खेलने लगा और इसी तरह से वो मुझे चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद पंकज ने चूत में अपना लंड का पानी छोड़ दिया और मेरी चूत को भर दिया।
मैं भी पंकज के साथ-साथ झड़ गई और बिस्तर पर औंधे लेट कर सुस्ताने लगी। पंकज भी मेरी पीठ पर पड़ा-पड़ा सुसताने लगा।
थोड़ी देर सुसताने के बाद पंकज मेरे ऊपर से हट गया और मैं भी तब पलंग पर उठकर अपनी चूत को पहले चादर से पोंछा और फिर बाथरूम चली गई।
जब मैं बाथरूम से नहा-धो कर निकली तो देखा कि पंकज अपने लंड को पकड़ कर सहला रहा है और उसका लंड फिर से खड़ा हो गया है।
मैंने पंकज से पूछी- क्या बात है? तुम्हरा हथियार फिर से खड़ा हो गया है? अभी उसको अपने हाथ से ही ठंडा करो और मैं अभी चाय-नाश्ता बनाने जा रही हूँ।
पंकज मेरी तरह देखते हुए बोला- अरे रानी, तुम चीज़ ही ऐसी हो कि तुम्हारी याद आते ही यह पिस्टन तैयार हो जाता है तुम्हारे सिलेण्डर में जाने के लिये !
तुम्हारी चूत बिल्कुल मक्खन मलाई जैसी है, जी करता है उसको मैं हमेशा चूमूँ, चाटूं और चोदूँ।
ठीक है.. अभी तुम चाय-नाश्ता बनाओ और मैं भी बाथरूम जा रहा हूँ। लेकिन चाय-नाश्ते के बाद मैं तुम्हारी गाण्ड मारूँगा।
लोग कहते हैं किसी औरत की चुदाई तब तक पूरी नहीं होती, जब तक उसकी गाण्ड में लंड ना पेला जाए। इसलिए मैं अभी नाश्ता करने के बाद तुम्हारी गण्डिया में अपना लाण्डिया पेलूँगा।
इतना कह कर पंकज बाथरूम चला गया और मैं नाश्ता बनाने रसोई में चली आई। रसोई में सबसे पहले नाश्ता बनाया और चाय बनाई।
जब तक मैं चाय-नाश्ता बना रही थी कि पंकज बाथरूम से नहा-धो कर बिल्कुल नंगा ही निकल आया और मुझसे कहने लगा- विभा, चलो अब तुम भी नंगी हो जाओ..! हम लोग नंगे ही बिस्तर पर बैठ कर चाय-नाश्ता करेंगे।
पंकज की बात सुन कर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी ही रसोई में जाकर चाय-नाश्ता लेकर के बिस्तर पर बैठ गई।
पंकज मेरे साथ-साथ मेरे बगल में बैठ गया और उसका मेरे बगल में बैठ कर मेरी चूचियों से खेलना चालू हो गया।
मैंने उसके हाथों को हटाते हुए उसको चाय-नाश्ता दिया और जल्दी से चाय-नाश्ता खत्म करने के लिए बोला।
पंकज ने मुझसे पूछा- क्यों जल्दी क्यों? क्या तुम्हें अपनी गाण्ड में मेरा लंड पिलवाने की बहुत जल्दी है क्या?
मैंने उसको कहा- नहीं, मुझे जल्दी है क्योंकि अभी एक घंटे में कामवाली आ जाएगी। एक घंटे में चाय-नाश्ता खत्म करना है। हम लोगों को फिर से कपड़े पहनने हैं… समझे मेरे चोदू राजा?
पंकज मेरी बातों को सुन कर चुपचाप नाश्ता करने लगा।
फिर हम लोगों ने चाय पी और फिर सारे बर्तन रसोई में रख कर वापस पंकज के पास बेडरूम में गई।
पंकज मुझसे बोला- विभा, मैं तो सोच रहा था कि मैं अभी तुम्हारी गाण्ड मारूँगा, लेकिन अभी तुम्हारी कामवाली बाई आने वाली है। चलो पहले हम लोग कपड़े पहन लेते हैं और अगर वक्त मिला हुआ तो कुछ करते हैं।
मैंने पंकज से पूछा- कुछ का मतलब? अभी कल रात से हम लोग चुदाई कर रहे हैं.. अब और क्या बचा है करने के लिए?
पंकज तब मेरी चूचियों को पकड़ कर धीरे-धीरे दबाते हुए बोला- अरे मेरी जान, अभी तुम्हारी चूत से और गाण्ड से मेरे लंड की दोस्ती बढ़ानी है। तभी तो बाद में मतलब और किसी दिन जब मौका मिलेगा। तुम्हें और रगड़ कर चोदना है। अच्छा चलो अपने कपड़े पहन लो और फिर बिस्तर पर अपनी साड़ी उठा कर लेट जाओ, मुझे तुम्हारी चूत का रस पीना है।
मैं पंकज की बात सुन जल्दी से अपने साड़ी, पेटीकोट, ब्रा और ब्लाउज पहन लिया और फिर वापस बिस्तर पर अपने कपड़े उठा कर लेट गई।
पंकज भी अब तक अपने कपड़े पहन चुका था।
वो मेरे पास आया और मेरी चूत को चूमने लगा। थोड़ी चूत को चूमने के बाद पंकज अपनी जीभ मेरी चूत पर फेरने लगा और फिर जीभ को मेरी चूत में डाल दिया।
पंकज अब जीभ से मेरी चूत बुरी तरह से चाटने और चूसने लगा। मेरी चूत भी तेज़ी से पानी छोड़ने लगी और पंकज भी तेज़ी से मेरी चाट-चाट कर चूत का पीने लगा।
चूत की चुसाई से मैं इतना गर्म हो गई कि मैं अपने आप अपनी दोनों टाँगों को घुटने से पकड़ लिया और अपनी कमर उचका कर अपनी चूत पंकज के मुँह से रगड़ने लगी। पंकज भी अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से पकड़ कर रगड़ने लगा।
इतने में दरवाजे की घन्टी बजी और मैं और पंकज जल्दी से एक-दूसरे को छोड़ कर अपने कपड़े ठीक किए और मैं बाहर का दरवाजा खोलने चली गई। बाहर काम-वाली बाई आई हुई थी। काम-वाली अन्दर आई और अपने काम पर लग गई। थोड़ी देर में काम-वाली अपना काम खत्म करके चली गई और जाते-जाते पंकज पर अपनी गहरी नज़रों से देखती रही।
काम-वाली बाई के जाते ही पंकज ने मुझे पकड़ लिया और एक झटके के साथ मेरे सब कपड़े फिर से उतार दिए और मुझको अपने साथ बेडरूम में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया। फिर पंकज भी जल्दी से अपने कपड़े उतार कर मेरे बगल में लेट गया।
लेटने के बाद पंकज ने एक हाथ से मेरी चूची और दूसरे हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगा। थोड़ी देर के बाद पंकज ने मुझे उल्टा लिटा दिया और मेरे चूतड़ों पर अपना मुँह रगड़ने लगा।
फिर वो बिस्तर पर से उठ कर ड्रेसिंग टेबल से कोल्ड-क्रीम की बॉटल ले आया और क्रीम मेरी गाण्ड के छेद में मलने लगा।
अब तक मैं चुप थी मगर अब मैंने पूछ ही लिया- क्या कर रहे हो? क्या इरादा है? क्यों मेरी कोल्ड कीम खराब कर रहे हो। क्रीम मुँह में लगाई जाती है और तुम क्रीम मेरी गाण्ड में लगा रहे हो?
पंकज मेरी गाण्ड में क्रीम लगते हुए बोला- मेरी चुदक्कड़ रानी, अब मैं तुम्हारी गाण्ड में अपना लंड पेलूँगा और अभी उसी की तैयारी कर रहा हूँ। क्रीम लगाने से तुम्हारी गाण्ड नहीं छिलेगी।
तब अपने हाथों से अपने चूतड़ों को फैलाते हुए मैं पंकज से बोली- पंकज मेरे चोदू राजा, मुझे गाण्ड मरवाने की आदत है, क्योंकि नरेन अक्सर मेरी गाण्ड में अपना लंड पेलता है और चोदता है, इसलिए तुम्हारे लंड घुसने से मेरी गाण्ड अब नहीं फटेगी। लो अब मैंने अपनी गाण्ड खोल दी है और अब तुम अपना लंड डालो, और मेरी गाण्ड मारो।
मेरी बातों को सुन कर पंकज हंस पड़ा और बोला- विभा, मैं तो तुम्हें एक चुदक्कड़ औरत समझ रहा था लेकिन तू तो गाण्डू भी हो। चलो अब मैं तुम्हारी गाण्ड मारता हूँ।
इतना कहकर पंकज ने अपना लंड मेरी गाण्ड में एक झटके से ठूँस दिया और मेरी गाण्ड चोदने लगा।
मैं भी अपनी कमर को झटके के साथ आगे-पीछे करके पंकज का लंड अपने गाण्ड में मज़े से पिलवाने लगी।
थोड़ी देर में पंकज मेरी गाण्ड के अन्दर झड़ गया और अपना लंड मेरी गाण्ड से निकाल कर बाथरूम में चला गया। मैं भी बिस्तर के चादर से अपनी गाण्ड को पौंछ कर रसोई में चली गई।
कहानी जारी रहेगी।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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