FUN-MAZA-MASTI
ज़न्नत की ज़न्नत--4
अब आगे :
रसोई में मैंने खाना बनाया और जब बाहर निकली तो देखा कि पंकज नहाने के बाद नंगा ही जाकर बिस्तर पर सो गया है और उसका सोया हुआ लण्ड दोनों पैरों के बीच सुस्त पड़ा हुआ है।
एक बार तो मैं पंकज का लण्ड देख कर मचल गई लेकिन मैंने अपने आप को रोक लिया क्योंकि कल रात से पंकज बहुत ज़्यादा मेहनत कर चुका है और मेरी चूत और गाण्ड भी चुदते-चुदते चसक रही थी।
मैं पंकज को छोड़ कर अपने कमरे गई और थोड़ी देर में नहा धोकर रसोई में जाकर अपने और पंकज के लिए खाना लगाया और तब जाकर मैंने पंकज को जगाया।
पंकज उठ कर खाना खाने के बाद फिर मुझे बिस्तर पर ले कर मुझसे लिपट कर सो गया और मैं भी पंकज की बाँहों में सो गई।
रात में एक बार मैं पेशाब करने के लिए उठी तो देखा कि पंकज मेरे बगल में नंगा लेटा हुआ है और उसका एक हाथ मेरी चूची पर है।
मैंने धीरे से पंकज का हाथ अपनी चूची पर से हटाया और नंगी ही बाथरूम चली गई। बाथरूम से जब आई तो देखा कि पंकज की आँख भी खुली हुई है और वो अपने हाथों से अपना लण्ड मसल रहा है।
जैसे ही मैं पंकज के बगल फिर से लेटी तो पंकज ने मुझे फिर से अपने बाँहों में जकड़ लिया और हम लोग एक बार फिर से ज़ोरदार चुदाई कर के सो गए।
सुबह ज़न्नत का फ़ोन आया कि पंकज और मैं लंच पर उसके घर नरेन और ज़न्नत से मिलें।
मैं और पंकज मेरे घर गए, वहाँ पर ज़न्नत ने बड़ा अच्छा खाना बना कर रखा हुआ था। हम सबने पहले थोड़ी ड्रिंक्स ली और फिर आराम से खाना खाया। खाने के बाद सब मेरे ड्राइंग रूम में आए और अपने-अपने कपड़े निकाल दिए, मैं पंकज की गोद में और ज़न्नत नरेन की गोद में बैठ गई।
नरेन और पंकज फिर हम दोनों के नंगे शरीर से खेलने लगे।
हम सब के हाथों में अपनी अपनी ड्रिंक्स थी। तब पंकज ने नरेन से पूछा- नरेन, तुम्हें ज़न्नत के साथ अकेले कैसा लगा?
नरेन ने कहा- ज़न्नत को अकेले चोदने तो मज़ा आ गया पंकज, पर जानते हो कि कल जिस चीज़ ने मुझे सबसे ज़्यादा उत्तेजित किया वो था अपनी आँखों के सामने विभा को तुम से चुदवाते हुए देखना। वाकयी तुम्हारे लंबे लण्ड को विभा की चूत में बार-बार अन्दर-बाहर जाते हुए देख कर मज़ा आ गया।
पंकज बोला- मुझे भी कल रात विभा को अकेले चोदने में बड़ा मज़ा आया, पर नरेन, सच कहो तो मुझे भी तुम को अपने सामने ज़न्नत को चोदते देख कर और साथ-साथ विभा को तुम्हारे और ज़न्नत के सामने उसी बिस्तर पर चोद कर जो मज़ा आया वह मैं बता नहीं सकता।
बाद में नरेन ने बताया कि उसने भी ज़न्नत को घर ले जा कर रात भर उसको पूरा मज़ा दिया। ज़न्नत को अपने घर ले जाने के बाद नरेन नंगे होकर बिस्तर पर लेट गया।
फिर उसने ज़न्नत से उसे जी भर के मज़ा देने को कहा। ज़न्नत भी नंगे हो कर बिस्तर पर आई और नरेन के लण्ड अपने हाथ में लेकर चूसने लगी।
फिर नरेन ने ज़न्नत को अपने ऊपर उल्टा लेट कर अपनी चूत को नरेन के मुँह के ऊपर रखने को कहा।
ज़न्नत नरेन के ऊपर उल्टा लेट गई, नरेन ज़न्नत की चूत को और ज़न्नत नरेन के लण्ड को चूसने लगी।
नरेन की आँखों के सामने ज़न्नत के गोरे-गोरे चूतड़ नज़र आ रहे थे और नरेन को ज़न्नत की चूत और गुलाबी गाण्ड साफ दिखाई दे रही थी।
नरेन ज़न्नत के दोनों चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर सहलाने लगा और अपनी जीभ से ज़न्नत की चूत चाटने लगा।
चूत चाटते-चाटते नरेन की ज़बान ज़न्नत की गाण्ड पर चली गई और नरेन ज़न्नत की गुलाबी गाण्ड को अपनी जीभ से चाटने लगा। फिर उसके बाद नरेन अपनी जीभ को बारी-बारी से ज़न्नत की चूत और गाण्ड के अन्दर-बाहर करके ज़न्नत की चूत और गाण्ड दोनों को अपनी जीभ से चोदने लगा।
इधर ज़न्नत नरेन का लण्ड बड़े आराम से चूस रही थी और थोड़ी देर में ही नरेन का लण्ड तन्ना कर खड़ा हो गया। ज़न्नत भी नरेन की जीभ से अपनी चूत और गाण्ड दोनों को चुदवा कर अब नरेन के लण्ड से चुदाई करवाने के लिए उत्तेजित हो चुकी थी।
तब ज़न्नत ने नरेन को अपने ऊपर लेकर उसके लण्ड को अपनी चूत में डाल कर ऊपर से चोदने को कहा।
लेकिन नरेन ने कहा- तुम मेरे ऊपर आ जाओ।
तो ज़न्नत नरेन के ऊपर चढ़ गई और उसके लण्ड को अपनी चूत में डाल कर धीरे-धीरे धक्के लगा कर चोदने लगी। थोड़ी देर इस तरह से ज़न्नत ने नरेन को ऊपर से चोदा।
फिर नरेन ने कहा- ज़न्नत, मुझे तुम्हारे चूतड़ बहुत अच्छे लगते हैं और अगर तुम्हें सचमुच मुझे मज़ा देना चाहती हो तो आज मैं तुम्हारी गाण्ड मार कर मज़ा लेना चाहता हूँ।
ज़न्नत बोली- नरेन, आज तुम जो चाहो वो मज़ा मेरे साथ ले सकते हो। मैंने पंकज से एक-दो बार गाण्ड मरवाई है पर तुम्हारा लण्ड तो बहुत मोटा है अन्दर कैसे जाएगा?
नरेन ने कहा- रानी, इसकी चिंता मुझ पर छोड़ दो… पहले मैं तुम्हारी गाण्ड को अपनी जीभ से चाट कर गीली कर दूँगा, फिर अपना लण्ड उसमें घुसेड़ कर आराम से मैं तुम्हारी गाण्ड मारूँगा।
ज़न्नत ने कहा- ठीक है..
और वो बिस्तर पर घोड़ी की तरह अपनी गाण्ड ऊपर करके लेट गई, नरेन ने ज़न्नत की गाण्ड खोल कर अपनी जीभ ज़न्नत की गाण्ड के छेद पर लगा कर उसको चाटने लगा।
थोड़ी देर ज़न्नत की गाण्ड को चाट कर नरेन ने उसे खूब गीली कर दिया और फिर ज़न्नत से अपने लण्ड को एक बार और चूस कर गीला करने को कहा। ज़न्नत ने नरेन के लण्ड को थोड़ा चाट कर और अपना थूक लगा कर खूब गीला कर दिया पर नरेन ज़न्नत की गाण्ड मारने से पहले थोड़ी देर उसकी चूत चोदना चाहता था।
नरेन ने अपने लण्ड को ज़न्नत की चूत में लगा कर एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसा दिया। ऐसे थोड़ी देर तक नरेन ने ज़न्नत की चूत को चोदा। चूत में जाने से नरेन का लण्ड और भी गीला हो गया।
फिर नरेन ने अपने लण्ड को पकड़ कर ज़न्नत की गाण्ड के छेद पर लगाया और थोड़े ही दबाव से में आधा लण्ड अन्दर घुसेड़ दिया।
नरेन ने एक धक्का और दिया और बड़े आराम से नरेन का लण्ड ज़न्नत की गाण्ड में पूरा चला गया।
नरेन का लण्ड मोटा ज़रूर था, पर ज़न्नत की गाण्ड भी खूब गीली हो चुकी थी और ज़न्नत को अपनी गाण्ड में नरेन का पूरा लण्ड लेने में कोई परेशानी नहीं हुई।
फिर नरेन ने ज़न्नत के दोनों चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसकी गाण्ड में अपना लण्ड धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करके चोदने लगा।
इस तरह से नरेन ने ज़न्नत की गाण्ड को जी भर के मारा और फिर उसके गोरे-गोरे चूतड़ों पर अपना पानी निकाल दिया।
ज़न्नत पूरी तरह से नरेन की चुदाई से खुश होकर बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई, नरेन ने अपने पानी को तौलिए से पौंछ कर ज़न्नत के चूतड़ों को साफ किया और फिर ज़न्नत के ऊपर ही नंगा लेट कर उसको अपनी बाँहों में ले कर सो गया।
नरेन ने कहा- पंकज, हमारी पहली बीवियों की अदला-बदली चुदाई बड़ी जल्दबाजी में हुई थी, अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं एक बार फिर तुम्हें विभा को चोदते हुए देखना चाहता हूँ।
पंकज बोला- मैं भी ज़न्नत को एक बार फिर तुमसे चुदवाते हुए देखना चाहता हूँ।
इन बातों से दोनों के लंड दोबारा तन्ना गए।
नरेन ने बेडरूम में चलने की सलाह दी और कहा- वहीं पर हम एक-दूसरे की बीवियों को चोदेंगे।
हम अपनी ड्रिंक लेकर बेडरूम में आ गए और उसी बिस्तर पर नंगे ही बैठ कर चुस्कियाँ लेने लगे। कमरे में रोशनी भरपूर थी। नरेन ने पंकज से पहले मुझे चोदने को कहा। मैंने नरेन से मुझे चुदाई के लिए तैयार करने के लिए मेरी चूत चाटने को कहा।
नरेन ने फ़ौरन मेरी इच्छा का सम्मान किया और मेरी चूत बड़े प्यार से चाटने लगा।
साथ ही ज़न्नत भी पंकज को उसका लंड चूस कर उसे भी तैयार करने लगी।
मैं बिस्तर पर अपने दोनों जाँघें फैलाकर लेट गई, मेरी सपाट चिकनी खुली चूत पंकज के लंबे लौड़े का आघात सहने को अब पनिया चुकी थी।
पंकज मेरे ऊपर आ गया और अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर लगा दिया।
तब मैंने ज़न्नत से कहा, “अगर वो बुरा ना माने तो क्या वो अपने हाथों से पंकज के लंड को मेरी चूत में डाल सकती है।”
ज़न्नत सहर्ष तैयार हो गई और अपने पति के लौड़े को अपने हाथ में लेकर मेरी चूत में डाल दिया, पंकज ने मुझे चोदना शुरू कर दिया।ज़न्नत और मेरे पति हमारे पास ही बैठ कर पंकज के लंबे लंड को मेरी चूत की सैर करने के दृश्य का आनन्द उठाने लगे।
उन दोनों ने मेरे हाथ थाम लिए और मेरे पूरे शरीर और मेरी चूचियों को सहलाने लगे। मैं अपने हाथों से ज़न्नत की चूचियों और नरेन के लंड को भी सहलाने लगी।
पंकज इस सबसे जैसे बेख़बर होकर बेरोकटोक मेरी चूत की चुदाई में लगा रहा। पंकज मुझे लगभग 25-30 मिनट तक ज़ोर-ज़ोर से चोदता रहा और मेरे पेट पर अपना पानी निकाल दिया। ज़न्नत ने उसका रस अपनी साड़ी से पौंछ दिया।
मेरे पति ने मुझे एक प्यारी मुस्कान के साथ मेरी चूत को एक प्यार भरी चुम्मी दी।
मैंने भी उसका लंड दबा कर उसके होंठों पर चुम्मी देकर बड़े प्यार से उसको धन्यवाद किया।
अब ज़न्नत की बारी थी। वो बिस्तर पर लेट गई। पंकज ने उसकी चूत चाट कर उसे तैयार किया और मैंने नरेन का लंड चूस कर उसे ज़न्नत को चोदने के लिए तैयार किया।
ज़न्नत ने भी मुझसे अपने पति का लंड उसकी चूत में डालने की फरमाइश की, जो मैंने खुशी से पूरी कर दी।
मेरे पति ने हमारे सामने ज़न्नत की चुदाई शुरू कर दी। पंकज और मैं उन दोनों के पास ही बैठ गए और उनके खेल का आनन्द उठाने लगे।
पंकज और मैंने ज़न्नत के हाथ थाम लिए और उसके जिस्म, सिर, चूचियों और पेट को प्यार से सहलाने लगे। ज़न्नत भी मेरी चूचियों और पंकज के लंड से खेलने लगी और नरेन बेधड़क उसकी चुदाई किए जा रहा था। वाह, क्या सीन था…!
नरेन की ज़न्नत के साथ 15-20 मिनट की घनघोर चुदाई के बाद पंकज बोला- नरेन, अब मैं तुम्हें ज़न्नत की गाण्ड मारते हुए देखना चाहता हूँ।
नरेन ने कहा- ठीक है..!
और ज़न्नत से घोड़ी वाले आसान में बिस्तर पर लेट जाने को कहा। ज़न्नत उकडूँ होकर बिस्तर पर लेट गई और पंकज ने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों चूतड़ों को फैला कर नरेन के सामने ज़न्नत की गाण्ड खोल दी।
फिर मैंने नरेन के लंड को अपने हाथ में पकड़ कर ज़न्नत की गाण्ड के छेद में लगा दिया। नरेन धीरे धीरे अपना लौड़ा ज़न्नत की गाण्ड में घुसाने लगा, फ़िर जब पूरा लौड़ा अन्दर घुस गया तो जल्दी-जल्दी अन्दर-बाहर करके चोदने लगा।
ज़न्नत को भी नरेन से अपनी गाण्ड मरवा कर बड़ा मज़ा आ रहा था।
इस तरह से नरेन ने मेरे और पंकज के सामने 15-20 मिनट तक खूब ज़ोर-ज़ोर से ज़न्नत की गाण्ड को चोदा और फिर अपना रस ज़न्नत के गोरे-गोरे बड़े-बड़े चूतड़ों पर बरसा दिया। फिर मैंने अपनी साड़ी से पौंछ कर ज़न्नत के चूतड़ों को साफ कर दिया।
इस तरह से दोनों जोड़ो ने एक-दूसरे के जीवन-साथी के जिस्म का खुल कर खूब आनन्द लिया।
अपने अपने जीवन साथी को एक-दूसरे के जीवन साथी के साथ आमने-सामने बहुत पास से चुदवाते हुए देखने का आनन्द उठाया। उस दिन हम चारों को बीवियों को अदल-बदल कर चुदाई में खूब मज़ा आया।
उसके बाद हम लोगों ने फिर थोड़ा विश्राम किया, कुछ खाया-पिया, कुछ देर ऐसे ही छुट-पुट बातें कीं। बाद में हमने ये निर्णय किया कि रात में पंकज और नरेन दोनों एक साथ ज़न्नत को और फिर दोनों मुझे एक साथ चोदेंगे।
ज़न्नत और मैंने मिल कर नरेन और पंकज को उनके लंड चूस कर अपने दोनों के लिए तैयार किया। उसके बाद नरेन और पंकज ने मिल कर ज़न्नत और फिर मुझे बारी-बारी से चोदा।
उन्होंने पहले मुझे चोदा, तो ज़न्नत उसी बिस्तर पर बैठकर मुझे चुदते देखती रही। पंकज ने मुझे घोड़ी वाले आसन में चोदा, तब मैं नरेन का लंड चूसती रही।
फिर मेरे देखते-देखते उन दोनों ने ज़न्नत की चुदाई की, नरेन ने उसे चोदा और ज़न्नत ने अपने पति का लंड चूसा।
उसके बाद तो उन दोनों ने मुझे और ज़न्नत को एक साथ बिस्तर पर लेट जाने को कहा और फिर वहाँ दोनों हम दोनों को बारी-बारी से चोदने लगे।
पहले पंकज मुझे थोड़ी देर चोदता, फिर जाकर ज़न्नत को थोड़ी देर चोदता।
इसी तरह नरेन ने पहले ज़न्नत को थोड़ी देर चोदा, फिर आकर मुझको को थोड़ी देर चोदा और फिर एक के बाद एक पंकज और नरेन अदल-बदल कर मुझे और ज़न्नत को एक साथ सारी रात चोदते रहे जब तक कि नरेन ज़न्नत के मखमली चिकने चूतड़ों पर और पंकज मेरी नाभि के ऊपर ना झड़ गया।
उसके बाद हम सबने अपनी पहली चौतरफ़ा चुदाई की ही बातें कीं। हम सब को जिस बात ने सबसे ज़्यादा रोमांचित किया था वो ये नहीं था कि हमने किसी और को चोदा था, बल्कि एक ही बिस्तर पर चार-चार लोगों ने मिल कर एक साथ चुदाई लीला की..
अपने जीवन साथी को अपनी आँखों के सामने दूसरे को चोदते हुए देखने का भी एक अजीब रोमांच है जब कि खुद भी दूसरे के जीवन साथी के साथ उसी बिस्तर पर अपने जीवन साथी के सामने ही चुदाई कर रहे हों।
अपने इस पहले अनुभव के पूर्व मुझे अहसास नहीं था कि मैं नरेन को किसी अन्य स्त्री को चोदते देख कर कैसा महसूस करूँगी और मैं अपने आप को किस तरह से इस बात के लिए तैयार करूँगी कि मैं नरेन के सामने किसी और आदमी से चुदवा सकूँ।
पहले तो मैं यही सोचती थी कि नरेन मुझे दूसरे मर्दों से इसलिए चुदवाने दे रहा था ताकि वो उनकी बीवियों को उन्मुक्त हो कर चोद सके।
धीरे-धीरे मैंने यह पाया दूसरे जोड़ों के साथ बीवी अदल-बदल कर चुदाई करने में वाकयी बड़ा आनन्द आता है।
अब ना कि केवल मुझे नए आदमियों से चुदवाने में बड़ा आनन्द आने लगा, बल्कि नरेन को दूसरी स्त्री को चोदते देख कर भी मुझे बड़ा मज़ा आने लगा।
जब मेरा पति नरेन किसी औरत को बेरोक-टोक 20-30 मिनट तक लंबे करारे धक्के मार कर अपने मोटे लंड से ज़ोर-ज़ोर से चोदता है तो मुझे उस औरत के चेहरे पर चुदाई का आनन्द और वासना की संतुष्टि के सुंदर भाव देखने में बहुत मज़ा आता है।
नरेन भी इन औरतों को चोदने के साथ-साथ मुझे अपने सामने दूसरे आदमियों से चुदवाते हुए देख कर बहुत उत्तेजित होता है।
हालाँकि पहले मैं काफ़ी संकोच करती थी, पर अब मुझे लगता है कि अगर जीवन में चुदाई का भरपूर मज़ा लेना हो तो सामूहिक चुदाई के अलावा और कोई ऐसा तरीका नहीं है जिसमें कि पत्नी को गैर-मर्दों से चुदवाने का मज़ा लेने के लिए अपने पति से कुछ छिपाना नहीं पड़ता है और उनका पति भी बिना अपनी पत्नी से कुछ छिपाए दूसरी औरतों को अपनी पत्नी के सामने बड़े आराम से चोद सकता है।
ना किसी से कोई गिला, ना शिकवा, ना चोरी, ना बेईमानी, सिर्फ़ असली चुदाई का मज़ा, साथ-साथ एक-दूसरे के आमने-सामने चुदाई के आनन्द के दरिया में गोते लगाते का सुख लेते हैं।
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ज़न्नत की ज़न्नत--4
अब आगे :
रसोई में मैंने खाना बनाया और जब बाहर निकली तो देखा कि पंकज नहाने के बाद नंगा ही जाकर बिस्तर पर सो गया है और उसका सोया हुआ लण्ड दोनों पैरों के बीच सुस्त पड़ा हुआ है।
एक बार तो मैं पंकज का लण्ड देख कर मचल गई लेकिन मैंने अपने आप को रोक लिया क्योंकि कल रात से पंकज बहुत ज़्यादा मेहनत कर चुका है और मेरी चूत और गाण्ड भी चुदते-चुदते चसक रही थी।
मैं पंकज को छोड़ कर अपने कमरे गई और थोड़ी देर में नहा धोकर रसोई में जाकर अपने और पंकज के लिए खाना लगाया और तब जाकर मैंने पंकज को जगाया।
पंकज उठ कर खाना खाने के बाद फिर मुझे बिस्तर पर ले कर मुझसे लिपट कर सो गया और मैं भी पंकज की बाँहों में सो गई।
रात में एक बार मैं पेशाब करने के लिए उठी तो देखा कि पंकज मेरे बगल में नंगा लेटा हुआ है और उसका एक हाथ मेरी चूची पर है।
मैंने धीरे से पंकज का हाथ अपनी चूची पर से हटाया और नंगी ही बाथरूम चली गई। बाथरूम से जब आई तो देखा कि पंकज की आँख भी खुली हुई है और वो अपने हाथों से अपना लण्ड मसल रहा है।
जैसे ही मैं पंकज के बगल फिर से लेटी तो पंकज ने मुझे फिर से अपने बाँहों में जकड़ लिया और हम लोग एक बार फिर से ज़ोरदार चुदाई कर के सो गए।
सुबह ज़न्नत का फ़ोन आया कि पंकज और मैं लंच पर उसके घर नरेन और ज़न्नत से मिलें।
मैं और पंकज मेरे घर गए, वहाँ पर ज़न्नत ने बड़ा अच्छा खाना बना कर रखा हुआ था। हम सबने पहले थोड़ी ड्रिंक्स ली और फिर आराम से खाना खाया। खाने के बाद सब मेरे ड्राइंग रूम में आए और अपने-अपने कपड़े निकाल दिए, मैं पंकज की गोद में और ज़न्नत नरेन की गोद में बैठ गई।
नरेन और पंकज फिर हम दोनों के नंगे शरीर से खेलने लगे।
हम सब के हाथों में अपनी अपनी ड्रिंक्स थी। तब पंकज ने नरेन से पूछा- नरेन, तुम्हें ज़न्नत के साथ अकेले कैसा लगा?
नरेन ने कहा- ज़न्नत को अकेले चोदने तो मज़ा आ गया पंकज, पर जानते हो कि कल जिस चीज़ ने मुझे सबसे ज़्यादा उत्तेजित किया वो था अपनी आँखों के सामने विभा को तुम से चुदवाते हुए देखना। वाकयी तुम्हारे लंबे लण्ड को विभा की चूत में बार-बार अन्दर-बाहर जाते हुए देख कर मज़ा आ गया।
पंकज बोला- मुझे भी कल रात विभा को अकेले चोदने में बड़ा मज़ा आया, पर नरेन, सच कहो तो मुझे भी तुम को अपने सामने ज़न्नत को चोदते देख कर और साथ-साथ विभा को तुम्हारे और ज़न्नत के सामने उसी बिस्तर पर चोद कर जो मज़ा आया वह मैं बता नहीं सकता।
बाद में नरेन ने बताया कि उसने भी ज़न्नत को घर ले जा कर रात भर उसको पूरा मज़ा दिया। ज़न्नत को अपने घर ले जाने के बाद नरेन नंगे होकर बिस्तर पर लेट गया।
फिर उसने ज़न्नत से उसे जी भर के मज़ा देने को कहा। ज़न्नत भी नंगे हो कर बिस्तर पर आई और नरेन के लण्ड अपने हाथ में लेकर चूसने लगी।
फिर नरेन ने ज़न्नत को अपने ऊपर उल्टा लेट कर अपनी चूत को नरेन के मुँह के ऊपर रखने को कहा।
ज़न्नत नरेन के ऊपर उल्टा लेट गई, नरेन ज़न्नत की चूत को और ज़न्नत नरेन के लण्ड को चूसने लगी।
नरेन की आँखों के सामने ज़न्नत के गोरे-गोरे चूतड़ नज़र आ रहे थे और नरेन को ज़न्नत की चूत और गुलाबी गाण्ड साफ दिखाई दे रही थी।
नरेन ज़न्नत के दोनों चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर सहलाने लगा और अपनी जीभ से ज़न्नत की चूत चाटने लगा।
चूत चाटते-चाटते नरेन की ज़बान ज़न्नत की गाण्ड पर चली गई और नरेन ज़न्नत की गुलाबी गाण्ड को अपनी जीभ से चाटने लगा। फिर उसके बाद नरेन अपनी जीभ को बारी-बारी से ज़न्नत की चूत और गाण्ड के अन्दर-बाहर करके ज़न्नत की चूत और गाण्ड दोनों को अपनी जीभ से चोदने लगा।
इधर ज़न्नत नरेन का लण्ड बड़े आराम से चूस रही थी और थोड़ी देर में ही नरेन का लण्ड तन्ना कर खड़ा हो गया। ज़न्नत भी नरेन की जीभ से अपनी चूत और गाण्ड दोनों को चुदवा कर अब नरेन के लण्ड से चुदाई करवाने के लिए उत्तेजित हो चुकी थी।
तब ज़न्नत ने नरेन को अपने ऊपर लेकर उसके लण्ड को अपनी चूत में डाल कर ऊपर से चोदने को कहा।
लेकिन नरेन ने कहा- तुम मेरे ऊपर आ जाओ।
तो ज़न्नत नरेन के ऊपर चढ़ गई और उसके लण्ड को अपनी चूत में डाल कर धीरे-धीरे धक्के लगा कर चोदने लगी। थोड़ी देर इस तरह से ज़न्नत ने नरेन को ऊपर से चोदा।
फिर नरेन ने कहा- ज़न्नत, मुझे तुम्हारे चूतड़ बहुत अच्छे लगते हैं और अगर तुम्हें सचमुच मुझे मज़ा देना चाहती हो तो आज मैं तुम्हारी गाण्ड मार कर मज़ा लेना चाहता हूँ।
ज़न्नत बोली- नरेन, आज तुम जो चाहो वो मज़ा मेरे साथ ले सकते हो। मैंने पंकज से एक-दो बार गाण्ड मरवाई है पर तुम्हारा लण्ड तो बहुत मोटा है अन्दर कैसे जाएगा?
नरेन ने कहा- रानी, इसकी चिंता मुझ पर छोड़ दो… पहले मैं तुम्हारी गाण्ड को अपनी जीभ से चाट कर गीली कर दूँगा, फिर अपना लण्ड उसमें घुसेड़ कर आराम से मैं तुम्हारी गाण्ड मारूँगा।
ज़न्नत ने कहा- ठीक है..
और वो बिस्तर पर घोड़ी की तरह अपनी गाण्ड ऊपर करके लेट गई, नरेन ने ज़न्नत की गाण्ड खोल कर अपनी जीभ ज़न्नत की गाण्ड के छेद पर लगा कर उसको चाटने लगा।
थोड़ी देर ज़न्नत की गाण्ड को चाट कर नरेन ने उसे खूब गीली कर दिया और फिर ज़न्नत से अपने लण्ड को एक बार और चूस कर गीला करने को कहा। ज़न्नत ने नरेन के लण्ड को थोड़ा चाट कर और अपना थूक लगा कर खूब गीला कर दिया पर नरेन ज़न्नत की गाण्ड मारने से पहले थोड़ी देर उसकी चूत चोदना चाहता था।
नरेन ने अपने लण्ड को ज़न्नत की चूत में लगा कर एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसा दिया। ऐसे थोड़ी देर तक नरेन ने ज़न्नत की चूत को चोदा। चूत में जाने से नरेन का लण्ड और भी गीला हो गया।
फिर नरेन ने अपने लण्ड को पकड़ कर ज़न्नत की गाण्ड के छेद पर लगाया और थोड़े ही दबाव से में आधा लण्ड अन्दर घुसेड़ दिया।
नरेन ने एक धक्का और दिया और बड़े आराम से नरेन का लण्ड ज़न्नत की गाण्ड में पूरा चला गया।
नरेन का लण्ड मोटा ज़रूर था, पर ज़न्नत की गाण्ड भी खूब गीली हो चुकी थी और ज़न्नत को अपनी गाण्ड में नरेन का पूरा लण्ड लेने में कोई परेशानी नहीं हुई।
फिर नरेन ने ज़न्नत के दोनों चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसकी गाण्ड में अपना लण्ड धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करके चोदने लगा।
इस तरह से नरेन ने ज़न्नत की गाण्ड को जी भर के मारा और फिर उसके गोरे-गोरे चूतड़ों पर अपना पानी निकाल दिया।
ज़न्नत पूरी तरह से नरेन की चुदाई से खुश होकर बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई, नरेन ने अपने पानी को तौलिए से पौंछ कर ज़न्नत के चूतड़ों को साफ किया और फिर ज़न्नत के ऊपर ही नंगा लेट कर उसको अपनी बाँहों में ले कर सो गया।
नरेन ने कहा- पंकज, हमारी पहली बीवियों की अदला-बदली चुदाई बड़ी जल्दबाजी में हुई थी, अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं एक बार फिर तुम्हें विभा को चोदते हुए देखना चाहता हूँ।
पंकज बोला- मैं भी ज़न्नत को एक बार फिर तुमसे चुदवाते हुए देखना चाहता हूँ।
इन बातों से दोनों के लंड दोबारा तन्ना गए।
नरेन ने बेडरूम में चलने की सलाह दी और कहा- वहीं पर हम एक-दूसरे की बीवियों को चोदेंगे।
हम अपनी ड्रिंक लेकर बेडरूम में आ गए और उसी बिस्तर पर नंगे ही बैठ कर चुस्कियाँ लेने लगे। कमरे में रोशनी भरपूर थी। नरेन ने पंकज से पहले मुझे चोदने को कहा। मैंने नरेन से मुझे चुदाई के लिए तैयार करने के लिए मेरी चूत चाटने को कहा।
नरेन ने फ़ौरन मेरी इच्छा का सम्मान किया और मेरी चूत बड़े प्यार से चाटने लगा।
साथ ही ज़न्नत भी पंकज को उसका लंड चूस कर उसे भी तैयार करने लगी।
मैं बिस्तर पर अपने दोनों जाँघें फैलाकर लेट गई, मेरी सपाट चिकनी खुली चूत पंकज के लंबे लौड़े का आघात सहने को अब पनिया चुकी थी।
पंकज मेरे ऊपर आ गया और अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर लगा दिया।
तब मैंने ज़न्नत से कहा, “अगर वो बुरा ना माने तो क्या वो अपने हाथों से पंकज के लंड को मेरी चूत में डाल सकती है।”
ज़न्नत सहर्ष तैयार हो गई और अपने पति के लौड़े को अपने हाथ में लेकर मेरी चूत में डाल दिया, पंकज ने मुझे चोदना शुरू कर दिया।ज़न्नत और मेरे पति हमारे पास ही बैठ कर पंकज के लंबे लंड को मेरी चूत की सैर करने के दृश्य का आनन्द उठाने लगे।
उन दोनों ने मेरे हाथ थाम लिए और मेरे पूरे शरीर और मेरी चूचियों को सहलाने लगे। मैं अपने हाथों से ज़न्नत की चूचियों और नरेन के लंड को भी सहलाने लगी।
पंकज इस सबसे जैसे बेख़बर होकर बेरोकटोक मेरी चूत की चुदाई में लगा रहा। पंकज मुझे लगभग 25-30 मिनट तक ज़ोर-ज़ोर से चोदता रहा और मेरे पेट पर अपना पानी निकाल दिया। ज़न्नत ने उसका रस अपनी साड़ी से पौंछ दिया।
मेरे पति ने मुझे एक प्यारी मुस्कान के साथ मेरी चूत को एक प्यार भरी चुम्मी दी।
मैंने भी उसका लंड दबा कर उसके होंठों पर चुम्मी देकर बड़े प्यार से उसको धन्यवाद किया।
अब ज़न्नत की बारी थी। वो बिस्तर पर लेट गई। पंकज ने उसकी चूत चाट कर उसे तैयार किया और मैंने नरेन का लंड चूस कर उसे ज़न्नत को चोदने के लिए तैयार किया।
ज़न्नत ने भी मुझसे अपने पति का लंड उसकी चूत में डालने की फरमाइश की, जो मैंने खुशी से पूरी कर दी।
मेरे पति ने हमारे सामने ज़न्नत की चुदाई शुरू कर दी। पंकज और मैं उन दोनों के पास ही बैठ गए और उनके खेल का आनन्द उठाने लगे।
पंकज और मैंने ज़न्नत के हाथ थाम लिए और उसके जिस्म, सिर, चूचियों और पेट को प्यार से सहलाने लगे। ज़न्नत भी मेरी चूचियों और पंकज के लंड से खेलने लगी और नरेन बेधड़क उसकी चुदाई किए जा रहा था। वाह, क्या सीन था…!
नरेन की ज़न्नत के साथ 15-20 मिनट की घनघोर चुदाई के बाद पंकज बोला- नरेन, अब मैं तुम्हें ज़न्नत की गाण्ड मारते हुए देखना चाहता हूँ।
नरेन ने कहा- ठीक है..!
और ज़न्नत से घोड़ी वाले आसान में बिस्तर पर लेट जाने को कहा। ज़न्नत उकडूँ होकर बिस्तर पर लेट गई और पंकज ने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों चूतड़ों को फैला कर नरेन के सामने ज़न्नत की गाण्ड खोल दी।
फिर मैंने नरेन के लंड को अपने हाथ में पकड़ कर ज़न्नत की गाण्ड के छेद में लगा दिया। नरेन धीरे धीरे अपना लौड़ा ज़न्नत की गाण्ड में घुसाने लगा, फ़िर जब पूरा लौड़ा अन्दर घुस गया तो जल्दी-जल्दी अन्दर-बाहर करके चोदने लगा।
ज़न्नत को भी नरेन से अपनी गाण्ड मरवा कर बड़ा मज़ा आ रहा था।
इस तरह से नरेन ने मेरे और पंकज के सामने 15-20 मिनट तक खूब ज़ोर-ज़ोर से ज़न्नत की गाण्ड को चोदा और फिर अपना रस ज़न्नत के गोरे-गोरे बड़े-बड़े चूतड़ों पर बरसा दिया। फिर मैंने अपनी साड़ी से पौंछ कर ज़न्नत के चूतड़ों को साफ कर दिया।
इस तरह से दोनों जोड़ो ने एक-दूसरे के जीवन-साथी के जिस्म का खुल कर खूब आनन्द लिया।
अपने अपने जीवन साथी को एक-दूसरे के जीवन साथी के साथ आमने-सामने बहुत पास से चुदवाते हुए देखने का आनन्द उठाया। उस दिन हम चारों को बीवियों को अदल-बदल कर चुदाई में खूब मज़ा आया।
उसके बाद हम लोगों ने फिर थोड़ा विश्राम किया, कुछ खाया-पिया, कुछ देर ऐसे ही छुट-पुट बातें कीं। बाद में हमने ये निर्णय किया कि रात में पंकज और नरेन दोनों एक साथ ज़न्नत को और फिर दोनों मुझे एक साथ चोदेंगे।
ज़न्नत और मैंने मिल कर नरेन और पंकज को उनके लंड चूस कर अपने दोनों के लिए तैयार किया। उसके बाद नरेन और पंकज ने मिल कर ज़न्नत और फिर मुझे बारी-बारी से चोदा।
उन्होंने पहले मुझे चोदा, तो ज़न्नत उसी बिस्तर पर बैठकर मुझे चुदते देखती रही। पंकज ने मुझे घोड़ी वाले आसन में चोदा, तब मैं नरेन का लंड चूसती रही।
फिर मेरे देखते-देखते उन दोनों ने ज़न्नत की चुदाई की, नरेन ने उसे चोदा और ज़न्नत ने अपने पति का लंड चूसा।
उसके बाद तो उन दोनों ने मुझे और ज़न्नत को एक साथ बिस्तर पर लेट जाने को कहा और फिर वहाँ दोनों हम दोनों को बारी-बारी से चोदने लगे।
पहले पंकज मुझे थोड़ी देर चोदता, फिर जाकर ज़न्नत को थोड़ी देर चोदता।
इसी तरह नरेन ने पहले ज़न्नत को थोड़ी देर चोदा, फिर आकर मुझको को थोड़ी देर चोदा और फिर एक के बाद एक पंकज और नरेन अदल-बदल कर मुझे और ज़न्नत को एक साथ सारी रात चोदते रहे जब तक कि नरेन ज़न्नत के मखमली चिकने चूतड़ों पर और पंकज मेरी नाभि के ऊपर ना झड़ गया।
उसके बाद हम सबने अपनी पहली चौतरफ़ा चुदाई की ही बातें कीं। हम सब को जिस बात ने सबसे ज़्यादा रोमांचित किया था वो ये नहीं था कि हमने किसी और को चोदा था, बल्कि एक ही बिस्तर पर चार-चार लोगों ने मिल कर एक साथ चुदाई लीला की..
अपने जीवन साथी को अपनी आँखों के सामने दूसरे को चोदते हुए देखने का भी एक अजीब रोमांच है जब कि खुद भी दूसरे के जीवन साथी के साथ उसी बिस्तर पर अपने जीवन साथी के सामने ही चुदाई कर रहे हों।
अपने इस पहले अनुभव के पूर्व मुझे अहसास नहीं था कि मैं नरेन को किसी अन्य स्त्री को चोदते देख कर कैसा महसूस करूँगी और मैं अपने आप को किस तरह से इस बात के लिए तैयार करूँगी कि मैं नरेन के सामने किसी और आदमी से चुदवा सकूँ।
पहले तो मैं यही सोचती थी कि नरेन मुझे दूसरे मर्दों से इसलिए चुदवाने दे रहा था ताकि वो उनकी बीवियों को उन्मुक्त हो कर चोद सके।
धीरे-धीरे मैंने यह पाया दूसरे जोड़ों के साथ बीवी अदल-बदल कर चुदाई करने में वाकयी बड़ा आनन्द आता है।
अब ना कि केवल मुझे नए आदमियों से चुदवाने में बड़ा आनन्द आने लगा, बल्कि नरेन को दूसरी स्त्री को चोदते देख कर भी मुझे बड़ा मज़ा आने लगा।
जब मेरा पति नरेन किसी औरत को बेरोक-टोक 20-30 मिनट तक लंबे करारे धक्के मार कर अपने मोटे लंड से ज़ोर-ज़ोर से चोदता है तो मुझे उस औरत के चेहरे पर चुदाई का आनन्द और वासना की संतुष्टि के सुंदर भाव देखने में बहुत मज़ा आता है।
नरेन भी इन औरतों को चोदने के साथ-साथ मुझे अपने सामने दूसरे आदमियों से चुदवाते हुए देख कर बहुत उत्तेजित होता है।
हालाँकि पहले मैं काफ़ी संकोच करती थी, पर अब मुझे लगता है कि अगर जीवन में चुदाई का भरपूर मज़ा लेना हो तो सामूहिक चुदाई के अलावा और कोई ऐसा तरीका नहीं है जिसमें कि पत्नी को गैर-मर्दों से चुदवाने का मज़ा लेने के लिए अपने पति से कुछ छिपाना नहीं पड़ता है और उनका पति भी बिना अपनी पत्नी से कुछ छिपाए दूसरी औरतों को अपनी पत्नी के सामने बड़े आराम से चोद सकता है।
ना किसी से कोई गिला, ना शिकवा, ना चोरी, ना बेईमानी, सिर्फ़ असली चुदाई का मज़ा, साथ-साथ एक-दूसरे के आमने-सामने चुदाई के आनन्द के दरिया में गोते लगाते का सुख लेते हैं।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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