Sunday, July 13, 2014

FUN-MAZA-MASTI जरुरत मन्द--4

FUN-MAZA-MASTI
 जरुरत मन्द--4


 कमली ने मुझे इस कदर चूस चूस कर किस करना शुरू किया जैसे मुझे सांप ने होटों पर काट लिया हो और कमली
को मेरी जान बचाने के लिए मेरे होटों से जहर चूस कर निकलना हो. कमली के इस कदर चूसने से मेरे दिमाग में ...........
कीड़ा कुलबुलाने लगा.......मैंने किस करते करते ही कमली को थोडा घुमाया और जब उसका जलता बदन बिस्तर की किनारे पर
आ गया तो उसको धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया.

इसके पहले की वो कुछ बोल पाती मैंने उसके ऊपर लेट कर अपने होटों से उसके होटों को सील कर दिया. कमली इतने मज़े से किस
कर रही थी की मल्लिका शेरावत भी शरमा जाती और अपना इमरान हाश्मी तो कमली के चुम्मे के लिया अपनी तीसरी टांग पे खड़ा हो
जाता. कमली ने मम मम मम्म.…...आवाज़े निकलना शुरू कर दिया था. वो लगातार गरम पे गरम हो रही थी और मैं सोच रहा था
की बस लोहा थोडा और गरम हो जाये फिर बस ..............

कमली ने मेरे मुंह में अपनी जुबां डाली और मेरी जीभ से अपनी जीभ को लड़ाने लगी. हाय......क्या मज़ा आ रहा था.
मैंने अपने होटों को कमली के होटों से अलग किया और लडकियो की सबसे कामुक जगहों में से एक उनकी गर्दन पर कान के नीचे
की ओर चूमने लगा......
कमली के होटों से फिर से आह निकल पड़ी........
मैं किस करते करते नीचे की ओर जाता जा रहा था........
कमली के मम्मो ने मुझे और नीचे जाने से रोकने की कोशिश की मगर मेरा इरादा पक्का था.
लंड खड़ा होने के बाद तो इंसान फरिश्तों की नहीं सुनता .......कमली के मम्मे क्या चीज़ थे......
मैंने अपनी जीभ से कमली की नाभि के चारो और गोला बनाया और धीरे धीरे जीभ से उसकी नाभि को सहलाने लगा.
उत्तेजना से कमली का पूरा पेट कांपने लगा.........मैंने कमली की कमर पर चूमा और उसकी कमर पर अपने दांत धीरे से गढा दिए,
कमली का पूरा बदन सिहर गया और उनके मुंह से फिर से हाय...निकल गयी.

मेरा निशाना तो कमली की कम्मों (चूत) थी.......भेन्चोद.......आज बच के कहा जाएगी.

मैं नीचे और नीचे सरकता हुआ कमली के पैरों के पास पहुँच गया. मैंने घुटनों के बल बैठ कर कमली की चिकनी जांघे पकड़ी और
कमली की जांघ पकड कर .....वहीँ पर एक ज़ोरदार चुम्मा दे डाला.......कमली की पूरी गांड और कमर बिस्तर से ऊपर उठ गई और
उसने वो मादक सिसकारी मारी की उसे सुनकर साधू सन्यासी भी फिर से मोह माया के भंवर में फंसने को आतुर हो जाते......


मैंने कमली की दोनों जांघे पकड़ी और जिस तरह लालची बनिया धीरे धीरे अपनी तिजोरी खोलता है वैसे ही मैंने
कमली की जवानी की तिजोरी खोल दी.

हाय.......मर.....जावा.........क्या नज़ारा था...........

कमली की चिकनी कम्मो इतनी देर से मेरे ध्यान नहीं देने के कारण मानो नाराज़ थी. बिलकुल गुस्से में लाल होकर
मुंह फुलाए बैठी थी. और कुछ आंसू भी टपका दिया थे. कमली के कामरस की कुछ बूंदें उसकी चूत की पंखुड़ियों पर सुबह
की ओस जैसी बैठी थी. कमली की चूत पर एक भी बाल नहीं था. इतनी चिकनी थी मानो करीना का गाल हो...........

मैंने एक सेकंड के लिए ये शानदार ठरकी नज़ारा देखा और असली कुत्ते की तरह अपनी जीभ से कमली की चिकनी चमेली पर
आई कामरस की बूंदों को चाट लिया. कमली ने इतनी जोर से झटका खाया और सिसकारी मारी की एक सेकंड के लिए मुझे
लगा की साली को कहीं जवानी में ही अटेक तो नहीं आ गया. मगर कमली के चूत से किया हुआ यह खिलवाड़ उसका सर घुमा
चूका था. उसने सर उठा कर मेरी आँखों में ऑंखें डाली और धीरे से सर हिलाने लगी.............

कमली बोली, " ज ज ज जय........म म म मत कर रे.......गन्दा है.........."

भेन्चोद........कोंन चुतिया कमली की शानदार चिकनी चूत को गन्दा बोलेगा.......वो तो गुलकंद का पीस लग रही थी.

मैंने कमली की आँखों में ऑंखें डाले डाले ही फिर से उसकी चूत की पंखुड़ियों पर अपनी जीभ चलाई.......कमली ने आह भरी
और अ्पना सर पीछे फेंक दिया और अपनी गांड ऊँची करके चिकनी चमेली मेरे भूखे होटों को समर्पित कर दी.

मैंने कमली के चूत के छेद पर अपनी जीभ टिकाई और अपनी जीभ को सिकोड़ कर बिलकुल नोकदार कर दिया, मैं अपनी जीभ
को ऊपर चलाता गया और कमली की मुनिया धीरे धीरे गुलाब के फुल की तरह खिलती गयी. कमली की मुनिया का चिकनापन
देखने लायक था.....

उसमे से नमकीन खुशबु आ रही थी और इतनी देर से जो नंगेपन का नाच चल रहा था उसके कारण इतनी पनियाई हुयी थी की
मुझे लग रहा था की मैं किसी शरबत के ग्लास में जीभ से कुत्ते की तरह चाट चाट के शरबत पी रहा हूँ.....

अनुभवी जानते होंगे की लडकी की चूत से ज्यादा कामुक उनकी क्लिटोरिस होती है जिसको चना या दाना भी बोलते है.....

मैं अनजाने में ही अपनी जीभ से कमली के दाने को छेड़ बैठा और बेचारी कमली का बचा खुचा कंट्रोल भी ख़तम हो गया और वो
ऐसे सिसियाने लगी जैसे उसकी चूत पर किसी ने मिर्च डाल दी हो.......

मैं पहले उसकी चूत को धीरे से अपनी जीभ से खोदता और फिर जीभ ऊपर ले जाकर उसके दाने से अपनी जीभ का दंगल करवाता.......
कमली ऐसे हाय हाय करके अपनी चूत मेरे मुंह पर दबा रही थी की मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी.....मैंने उसकी मुनिया की
पंखुड़ियों को अपने होटों में दबाया और किस लेने के अंदाज में चूस मारा.....अब तो कमली की मुनिया ढेर हो गयी और जो कमली
ने मेरा सर अपनी जन्घो में दबा कर सिसकारी मारी मुझे लगा कहीं जोश जोश में मैंने कमली की चूत पर काट तो नहीं लिया.....
मगर कमली जोर जोर से साँसे ले कर जोर से फिर बोली, "उईईईई........माँ......आ आ ........"

और कमली का पूरा बदन अकड़ गया........साली ने मुझे अपनी टांगों के बीच दबा रखा था, मैं तो ढंग से सांस भी नहीं ले पा रहा
था,......बड़ी मुश्किल से मैंने अपना सर कमली की जाघों में से निकाला और देखा की उसकी ऑंखें बंद थी और वो जोर जोर से
सांस ले रही थी......वो पूरी तरह से झड चूकी थी।

फिर उसने अपनी ऑंखें धीरे से खोली, उसकी ऑंखें इस कदर नशीली थी मानो उसने 5 -6 पैग लगा रखे हो.

अब कमली का सिग्नल तो डाउन हो गया था.....मगर मेरा नहीं........

मेरा लंड गुस्से में अपना सर इधर उधर हिला रहा था........सुपाडा बिलकुल फ़ूल कर टमाटर की तरह लाल सुर्ख हो
गया था.......कमली ने पहले मुझे देखा और फिर मेरे सांप जैसे लहराते लंड को और मुस्कुरा दी. मैं थोडा आगे होके उसके
पास गया और उसका हाथ पकड़ कर अपने गुस्सैल बाबुराव पर रख दिया,

कमली ने मेरे लंड को जड़ से पकड़ा और बच्चो से बात करने वाली अदा में बोली, "अले अले......देखो तो......
कैसा नाराज़ हो गया है.........अभी खुश करती हूँ मेले पप्पु लाला को........." और जोर जोर से मेरी मुठ मारने लगी.....................

मस्ती से मेरी तो ऑंखें ही बंद हो गयी......कमली अपने हाथ से मेरे लंड को बेदर्दी से हिलाए जा रही थी मगर मेरा लंड भी
WWF के पहेलवान जैसे इतनी मार खा के भी डटा हुआ था. कमली ने अपना दूसरा हाथ बढा कर मेरे गोटें सहलाने शुरू कर
दिया......मैं समझ गया की यह कमीनी अब मेरा जल्दी से निकालने की फ़िराक में है. मेरे गोटों में सुरसुरी शुरू हो गयी मगर
मैं आज जल्दी हल्का होने के मूंड में नहीं था.........मैंने लम्बी लम्बी साँसे लेना शुरू कर दिया.......जो सुरसुरी मेरे गोटों में
शुरू हुयी थी वो बंद हो गयी और कमली के हाथ का कसाव मेरे लंड पर और बढ़ गया.

उसने अब मेरे गोटों को अपने नाखुनो से रगड़ना शुरू कर दिया.......भेन्चोद.....मुझे तो अँधेरे में भी हजारो वॉट की रोशनी
दिखने लगी......मैंने बड़ी मुश्किल से अपने गोटों में उबलते हुए लावे को रोका.........

मैने मन ही मन सोचा ये आज नहीं बचेगी......

और मैं अब कमली के चेहरे से १० इंच की दूरी पर बाबुराव को लाकर धीरे धीरे हिलाने लगा. मैंने फिर कहा, " कमली प्लीज़
इसे चूस लो ना.....देखो कैसा तड़प रहा है .......आह ह ह ह ........."

कमली पहले ने मुझे देखा फिर मेरे प्यारे लंड को.......और मेरी आँखों में देखते हुए धीरे से मुंह खोल कर मेरा लाल लाल
फुला हुआ सुपाडा अपने होटों के बीच दबा लिया. मेरे मुंह से आह निकल गयी......

कमली के नरम नरम होटों के बीच मेरा सुपाडा फंसा था यह सोच सोच कर ही मेरे फ़रिश्ते भांगड़ा कर रहे थे मगर वो मुंह में
मेरा सुपाडा दबाये जिस कातिल अदा से मेरी आँखों से ऑंखें मिलाये हुयी थी, मेरे रोम रोम से पसीना छुट रहा था.

कमली ने मेरे सुपाड़े को धीरे से चूसना शुरू किया........मैंने आज तक ना जाने कितनी बार चूत मारी थी मगर कभी वो मज़ा
नहीं आया था जो आज कमली के सिर्फ मेरा सुपाड़े के चूसने में ही आ रहा था. साली ......एकटक मुझसे नज़रे मिलाये हुयी थी.
मेरे सुपाड़े को ऐसे चूस रही थी मानो दशहरी आम हो. मुझे तो जन्नत का मज़ा आ रहा था.

कमली ने मेरे सुपाड़े को छोड़ा और अपनी जीभ की नोक से सुपाड़े के छेद को खोदने लगी.......भेन्चोद.....मेरी तो सांस ही रुक
गयी......कमली की जीभ लपालप मेरे लंड के छेद को छेड़े जा रही थी और वो बेशरम लडकी मेरी आँखों में आये मस्ती के भाव
देखे जा रही थी. कमली ने छेद को खोदने के बाद जीभ से सुपाड़े पर सपाटा मारा और छेद से लंड की चमड़ी के जोड़ पर अपनी
शरारती जीभ ले आई.......ओह्ह.......स्वर्ग के सारे सितारे और नज़ारे दिख गए .......वहां पर जीभ लाकर कमली ने चमड़ी
और सुपाड़े के जोड़ पर जीभ से ठुनकी मरना शुरू कर दी.....

मैंने कमली का सर पकड़ा और उसको अपने लंड पर दबाने लगा ताकि वो मेरे सुपाड़े पर रहम खा ले... क्योकि ये सब चलता रहा
तो मैं क्या सल्लू बाबा भी अपने कमिटमेंट भूल जाते और पिचकारी छोड़ देते.......कमली ने सुपाडे पर हरकत करना बंद नहीं किया......
बल्कि उसने सुपाड़े के छेद पर फिर से जीभ घुमाई और लंड की लार पर से जुबान इस तरह उठाई की एक तार सा बन गया.......हाय
ये साली तो आज मेरा लंड फोड़ कर ही मानेगी..........लंड की लार और कमली की लार से पूरा सुपाडा तर हो चूका था और मोमबत्ती
(लाईट चली गयी थी) की रोशनी में चमक रहा था.

मैंने सिसियाते हुए कहा, "आह................प प पूरा ले लो.....अ अ अन्दर.......ऊह......आह........" 








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