FUN-MAZA-MASTI
दोस्तो, मेरे पास सुनाने के लिए काफ़ी किस्से हैं। यह बात तब की है, करीब 7 साल पहले जब मैं दिल्ली नया-नया आया था, तब मैंने एक जॉब की, जिसमें मुझे लोगों को कॉल करना होता था, फिर उनसे मिलना होता था। दोस्तों एक बार मैंने एक कंपनी में फोन लगाया, तो वहाँ की रिसेप्शनिस्ट ने फोन उठाया।
उसके ‘हैलो’ बोलने पर, मैंने उससे एक आदमी की बारे में पूछा, तो उसने कहा- वो नहीं है, आप कहें तो मैं उनका मोबाइल नम्बर आपको दे सकती हूँ, आप उनके मोबाइल नम्बर पर उनसे बात कर लें।
मैंने कहा- ठीक है।
पर वो मोहतरमा शायद खुद के काम में काफ़ी व्यस्त थीं, तो ग़लती से उसने मुझे अपना नम्बर दे दिया। जब मैंने कॉल किया, तो उसने ही उठाया। फिर उसको ग़लती का अहसास हुआ, तब उसने सही नम्बर दिया।
उसकी आवाज़ बहुत ही मधुर थी, फिर मैंने उसको एसएमएस किया- आपकी आवाज़ बहुत प्यारी है।
तब उसका जबाबी एसएमएस आया- मैं शादीशुदा हूँ।
तब मैंने कहा- मैंने यह जानने के लिए एसएमएस नहीं किया कि आप शादी-शुदा हो या कुंवारी हो, मुझे आपकी आवाज़ अच्छी लगी तो बोल दिया।
फिर उस दिन और रात भर हमने एसएमएस पर बात की, तो पता चला कि वो अपने पति से अलग रहती है। उसका नाम समीना (बदला हुआ नाम) था। उससे मेरी टेलीफोन पर बात लगातार कई दिनों तक चलती रही, अभी तक न ही उसने मुझे देखा था और न ही मैं उसको देखा था। तो हमने एक दिन मिलने का प्लान बनाया।
फिर मैं अपनी बाइक पर उसके ऑफिस पहुँच गया। वहाँ पहुँच कर मैंने उसको देखा तो वो एकदम सिंपल से लिबास में रहने वाली पर एक बहुत ही आकर्षक महिला थी। उसको देख कर नहीं लगता था कि वो 30 साल की होगी, वो देखने में एकदम 18-20 साल की लग रही थी। उसका फीगर 32-28-32 था। मुझे तो वो एक मस्त ‘माल’ लगी, मैं तो उसको देख कर पागल हो गया।
वो मुझे देख कर मुस्कुराई और मुझे बैठाया फिर अपना काम समाप्त करके मेरे साथ बाइक पर बैठ कर चल दी।
मैं उसको लेकर एक होटल में गया वहाँ हमने कॉफी पी और मैंने उससे अपने घर चलने को कहा, वो तुरन्त राजी हो गई।
मैं उसको अपने कमरे पर ले गया। तब उस कमरे में हम सिर्फ़ 3 लड़के रहते थे। मुझे पता था कि साथ के रहने वाले लड़के रात को 11 बजे से पहले नहीं आते थे।
घर पहुँच कर मैं उसको लेकर अपने कमरे में गया, फिर हमने बातें कीं, बातें करते-करते मेरा ध्यान उसके उभारों पर था।
उसने मुझे यह करते देख लिया था, उसने कहा- तुम मुझे पसंद करते हो और मैं भी तुमको पसंद करती हूँ।
यह सुनकर मेरा हौसला बढ़ा, मैंने उसको अपने पास खींचा और उसको बांहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगा।
वो पागल हो रही थी, उसने अपना हाथ मेरे लिंग के ऊपर रख दिया।
मैं भी उसके मम्मों को दबा रहा था।
कुछ देर की चूमा-चाटी के बाद मैंने उसकी साड़ी उतार दी और उसके उरोजों को ब्लाउज़ और ब्रा से बाहर निकाला।
उफ्फ…क्या उरोज़ थे..!
उसको देखकर मैं उनको पागलों की तरह चूमने लगा। फिर मैंने उसका पेटीकोट भी उतार दिया। इस बीच उसने मेरी टी-शर्ट और जीन्स भी उतार दी थी। अब मैं और वो अपने एक-एक कपड़े में बचे थे। जो काम-शास्त्र के प्रमुख योद्धा थे, सिर्फ वे ही परदे में थे।
उसके अधरों का रस चूसने के बाद मैंने उसकी आँखों की ओर देखा तो वो हर तरह से तैयार दिखी।
फिर मैंने उसकी पैन्टी उतारी, उसकी बुर पर हल्के-हल्के बाल थे। बुर काफ़ी दोनों से ना चुदने की वजह से बहुत टाइट हो गई थी और उसमें से कामरस फूट रहा था।
मैंने उसको सीधा लिटा दिया और उसकी बुर को चाटना शुरू किया, वो पागल हो रही थी, थोड़ी देर में ही वो झड़ गई।
फिर वो बोली- अब जल्दी से मेरी बुर चोद दो।
मैंने उसकी दोनों टाँगों को खोल दिया और उसकी बुर के ऊपर अपना लण्ड रगड़ने लगा।
वो पागल हो रही थी, बोली- जल्दी करो, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
फिर मैंने एक हल्का सा झटका दिया, मेरा आधा लण्ड अन्दर चला गया था।
वो चिल्लाने लगी- बस करो… मैं मर गई…!
फिर मैं दो मिनट रुका और उसके होंठों और मम्मों को सहलाने लगा। फिर जब वो नॉर्मल हुई, तब मैंने हल्के-हल्के धक्के लगाने आरम्भ किए। फिर आहिस्ता-आहिस्ता अपना पूरा लिंग उसकी बुर के अन्दर डाल दिया। अब वो भी मज़े में आकर अपनी कमर हिलाने लगी।
कुछ देर के बाद वो बोली- अब तेज़-तेज़ करो न ..!
मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। इस बीच वो एक बार झड़ गई थी।
वो फिर बोली- मैं फिर से होनी वाली हूँ।
मैं भी झड़ने वाला था।
मैंने पूछा- कहाँ निकालूँ..?
बोली- अन्दर ही निकाल दो, बहुत दिनों से प्यासी है यह बुर..!
फिर मैंने अपना सारा माल उसकी अन्दर ही निकाल दिया और हम दोनों एक साथ ही लेटे रहे।
फिर थोड़ी देर में वो उठ कर बाथरूम गई मैं भी पीछे-पीछे चला गया। बाथरूम में मस्ती करते करते मैंने उसको फिर से चोदा और वापिस आ कर बिस्तर पर लेट गए।
कुछ समय बाद उसको उसके घर के नजदीक छोड़ कर मैं वापिस आ गया।
उसके साथ ऐसा कई साल तक चलता रहा फिर मैं मुंबई आ गया और वो वहीं रह गई। अभी कभी-कभी दिल्ली जाता हूँ तो वो अब भी मुझसे मिलने आती है।
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पर वो मोहतरमा शायद खुद के काम में काफ़ी व्यस्त थीं, तो ग़लती से उसने मुझे अपना नम्बर दे दिया। जब मैंने कॉल किया, तो उसने ही उठाया। फिर उसको ग़लती का अहसास हुआ, तब उसने सही नम्बर दिया।
उसकी आवाज़ बहुत ही मधुर थी, फिर मैंने उसको एसएमएस किया- आपकी आवाज़ बहुत प्यारी है।
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तब मैंने कहा- मैंने यह जानने के लिए एसएमएस नहीं किया कि आप शादी-शुदा हो या कुंवारी हो, मुझे आपकी आवाज़ अच्छी लगी तो बोल दिया।
फिर उस दिन और रात भर हमने एसएमएस पर बात की, तो पता चला कि वो अपने पति से अलग रहती है। उसका नाम समीना (बदला हुआ नाम) था। उससे मेरी टेलीफोन पर बात लगातार कई दिनों तक चलती रही, अभी तक न ही उसने मुझे देखा था और न ही मैं उसको देखा था। तो हमने एक दिन मिलने का प्लान बनाया।
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वो मुझे देख कर मुस्कुराई और मुझे बैठाया फिर अपना काम समाप्त करके मेरे साथ बाइक पर बैठ कर चल दी।
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उसने मुझे यह करते देख लिया था, उसने कहा- तुम मुझे पसंद करते हो और मैं भी तुमको पसंद करती हूँ।
यह सुनकर मेरा हौसला बढ़ा, मैंने उसको अपने पास खींचा और उसको बांहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगा।
वो पागल हो रही थी, उसने अपना हाथ मेरे लिंग के ऊपर रख दिया।
मैं भी उसके मम्मों को दबा रहा था।
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उसको देखकर मैं उनको पागलों की तरह चूमने लगा। फिर मैंने उसका पेटीकोट भी उतार दिया। इस बीच उसने मेरी टी-शर्ट और जीन्स भी उतार दी थी। अब मैं और वो अपने एक-एक कपड़े में बचे थे। जो काम-शास्त्र के प्रमुख योद्धा थे, सिर्फ वे ही परदे में थे।
उसके अधरों का रस चूसने के बाद मैंने उसकी आँखों की ओर देखा तो वो हर तरह से तैयार दिखी।
फिर मैंने उसकी पैन्टी उतारी, उसकी बुर पर हल्के-हल्के बाल थे। बुर काफ़ी दोनों से ना चुदने की वजह से बहुत टाइट हो गई थी और उसमें से कामरस फूट रहा था।
मैंने उसको सीधा लिटा दिया और उसकी बुर को चाटना शुरू किया, वो पागल हो रही थी, थोड़ी देर में ही वो झड़ गई।
फिर वो बोली- अब जल्दी से मेरी बुर चोद दो।
मैंने उसकी दोनों टाँगों को खोल दिया और उसकी बुर के ऊपर अपना लण्ड रगड़ने लगा।
वो पागल हो रही थी, बोली- जल्दी करो, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
फिर मैंने एक हल्का सा झटका दिया, मेरा आधा लण्ड अन्दर चला गया था।
वो चिल्लाने लगी- बस करो… मैं मर गई…!
फिर मैं दो मिनट रुका और उसके होंठों और मम्मों को सहलाने लगा। फिर जब वो नॉर्मल हुई, तब मैंने हल्के-हल्के धक्के लगाने आरम्भ किए। फिर आहिस्ता-आहिस्ता अपना पूरा लिंग उसकी बुर के अन्दर डाल दिया। अब वो भी मज़े में आकर अपनी कमर हिलाने लगी।
कुछ देर के बाद वो बोली- अब तेज़-तेज़ करो न ..!
मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। इस बीच वो एक बार झड़ गई थी।
वो फिर बोली- मैं फिर से होनी वाली हूँ।
मैं भी झड़ने वाला था।
मैंने पूछा- कहाँ निकालूँ..?
बोली- अन्दर ही निकाल दो, बहुत दिनों से प्यासी है यह बुर..!
फिर मैंने अपना सारा माल उसकी अन्दर ही निकाल दिया और हम दोनों एक साथ ही लेटे रहे।
फिर थोड़ी देर में वो उठ कर बाथरूम गई मैं भी पीछे-पीछे चला गया। बाथरूम में मस्ती करते करते मैंने उसको फिर से चोदा और वापिस आ कर बिस्तर पर लेट गए।
कुछ समय बाद उसको उसके घर के नजदीक छोड़ कर मैं वापिस आ गया।
उसके साथ ऐसा कई साल तक चलता रहा फिर मैं मुंबई आ गया और वो वहीं रह गई। अभी कभी-कभी दिल्ली जाता हूँ तो वो अब भी मुझसे मिलने आती है।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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