Saturday, July 19, 2014

Raj-Sharma-stories पेइंग गेस्ट--5

FUN-MAZA-MASTI


Raj-Sharma-stories

 पेइंग गेस्ट--5

 पांच मिनट बाद मैंने भाभी को कहा कि हाथ अपनी बेटी के मुंह से हटा लेम, अब वह नहीं चीखेगी. भाभी के हाथ हटाते ही वह सिसक सिसक कर रोने लगी. “मां, मैं लुट गई, लगता है गांड फ़ट गई, इतना दर्द हो रहा है जैसे किसी ने पूरा हाथ घूम्सा बनाकर डाल दिया हो. खून बह रहा होगा, जरा देखो ना. ममी अनिल से कहो ना मुझे छोड़ दे, अपना लन्ड निकाल ले नहीं तो मैं मर जाऊंगी.” सीमा ने बड़ी उत्सुकता से उसके गुदा को टटोल कर देखा. “नहीं दीदी, नहीं फ़टी, खून भी नहीं निकला, तू गांड ढीली क्यों नहीं कर लेती जैसा जीजाजी कहते हैं?”
मीनल को शांत करना जरूरी था, नहीं तो बेचारी की सुहागरात पूरी दर्द से बिलबिलाते हुए जाती. मैं उसे बांहों में जकड़े बिस्तर पर पलट गया जिससे मैं नीचे और वह ऊपर थी. मैंने भाभी से कहा “भाभी, जरा दुल्हन की चूत पर आप ध्यान दीजिये. और सीमा तू इधर आ और दीदी को अपनी चूची चुसवा.” सीमा ने अपना एक निपल मीनल के मुंह में दे दिया और दर्द की मारी मीनल उसे चूसने लगी कि कुछ तो हो जिससे उसका ध्यान बम्टे उसके गुदा में होती पीड़ा से.
भाभी ने झुककर अपनी तड़पती बेटी की बुर को चूमना शुरू कर दिया. मैं उसकी चूचियां पकड़कर उनकी मालिश करने लगा. धीरे धीरे मीनल कुछ सम्भली और उसने रोना बन्द कर दिया. भाभी बुर चाटते मेरी ओर देखकर मुसकराईं तो मैं समझ गया कि दुल्हन की चूत में से रस निकलना शुरू हो गया है.
मीनल अब अपनी गांड को किसी तरह ढीला छोड़ने में भी सफ़ल हो गई और उसका दर्द कुछ कम हुआ. मस्ती में आकर उसने अपनी छोटी बहन की चूत टटोली और उसे गीला पाकर कहा. “सीमा, मुझे अपनी चूत चुसवा. बैठ मेरे मुंह पर” सीमा को और क्या चाहिये था. झट से मीनल के मुंह पर अपनी बुर रख कर बैठ गई और मीनल उसे मन लगाकर चूसने लगी. मीनल का सिर मेरी छाती पर था इसलिये मुझे बहनों के बीच की यह क्रीड़ा साफ़ दिख रही थी.
उधर मीनल की बुर अब इतनी मस्त हो चुकी थी कि मां के सिर को उसने जांघों में जकड़ लिया था और अपनी टांगेम घिस घिस कर वह सुधा भाभी के मुंह पर हस्तमैथुन कर रही थी. सीमा अचानक झड़ी. उसकी किलकारी से मेरा ध्यान उसकी चूत पर गया. उसमें से अब लगातर पानी बह रहा था जिसे मेरी दुल्हन भूखी की तरह चाट रही थी. पास से उस पानी की महक मुझसे बर्दाश्त नहीं हुई और मैने मीनल का सिर बाजू में किया और खुद अपनी उस नन्ही साली की बुर चूसने लगा.
काफ़ी देर इस तरह मजा करने के बाद आखिर मेरा लन्ड इतना उत्तेजित हो गया कि अब मुझसे न रहा गया. मैने भाभी और सीमा को अलग किया और पलट कर मीनल को पलन्ग पर ओम्धा पटककर उसपर चढ गया और उसकी गांड मारने लगा. जैसे ही मेरा मोटा ताजा तन्नाया हुआ लौड़ा उसकी बुरी तरह से फ़ैले गुदा में अन्दर बाहर होने लगा, वह फ़िर दर्द से बिलबिला उठी. दर्द से न चाहकर भी उसकी गांड का छल्ला सिकुड़ने की कोशिश करने लगा जिससे मेरा आनन्द दूना हो गया और उसका दर्द और बढ गया.

 मुझे अब अपनी उस नाजुक पत्नी के दर्द की कोई परवाह नहीं थी. मैंने अपने हाथों में उसकी चूचियां पकड़ ली थीं और अपनी जांघें उसके कूल्हों के इर्द गिर्द जकड़ कर उछल उछल कर उसकी गांड मार रहा था. अब वह दर्द से बिलखती हुई अपनी मां और बहन को सहायाता के लिये पुकारने लगी. “मां , बचा लो मां, आज मैं जरूर मर जाऊंगी, सीमा, जीजाजी को समझा, मेरी फ़ाड़ देंगे, उनसे कह कि चोद लेम या मैं चूस देती हूं, पर मेरी गांड पर दया करेम.”
उसकी इस याचना से मेरी वासना और दुगनी हो गई और उसकी चूचियां बुरी तरह से कुचलते हुए मैंने उसे ऐसा भोगा कि वह हमेशा याद करेगी. आज भी उसे अपनी सुहागरात याद आती है तो घबरा जाती है. भाभी और सीमा ने उसकी एक न सुनी बल्कि वे दोनों भी मीनल की सकरी कुम्वारी गांड में निकलते घुसते मेरे लन्ड को देखकर ऐसी गरमाईं कि एक दूसरे से लिपट कर सिक्सटी-नाइन करती हुई एक दूसरे की बुर चूसने लगीं.
मैंने आधे घम्टे मीनल की गांड मारी और फ़िर अखिर एक जोर की हुमक के साथ झड़ गया. मीनल अब तक दर्द से बेहोश हो चुकी थी, नहीं तो मेरे उबलते वीर्य से उसकी गांड की जो सिकाई हुई उससे उसे कुछ आराम जरूर मिलता.
उस रात मैने मीनल की गांड सुबह तक तीन बार मारी. गांड में से लन्ड मैं झड़ कर भी नहीं निकालता था. बीच बीच में मैने भाभी और सीमा की चूत के रस का पान किया. मीनल जब होश में आकर रोने लगी तो भाभी ने भी उसके मुंह पर अपनी चूत जमा कर उसका मुंह बन्द कर दिया. मां की चूत का रस पीकर मीनल कुछ सम्भली.
मैं उसे गोद में लेकर बैठा रहा. मेरा लन्ड उसकी गांड में था ही. दूसरी बार मैने उसकी गांड उसे गोद में बिठाकर नीचे से धक्के देते हुए ही मारी. इस आसन में भाभी हमारे सांअने खड़ी होकर उसे चूत चुसवा रही थीं और सीमा उसकी बुर चूस रही थी इसलिये मीनल को कुछ आनन्द मिला और दर्द भी कम हुआ. पर तीसरी बार फ़िर मैने उसे पलन्ग पर पटककर उसकी मारी और दर्द से छटपटाते उसके बदन को बांहों में भरे खूब आनन्द लिया.
सोने में हमें सुबह हो गई और हम सब दोपहर को सो कर उठे. सब तृप्त थे, सिर्फ़ मीनल बिचारी सिसक रही थी. सबने अब उसे खूब प्यार किया और सांत्वना दी. मैंने भी बड़े लाड़ से उसके चुम्बन लिये. भाभी ने उसे समझाया कि सुहागरात में तो यह सब सहना ही पड़ता है. हम जब उठ कर बाथरूम जाने लगे तो एक कदम रखते ही मीनल चीख कर लड़खड़ा उठी. उसकी चुदी गांड में से ऐसी टीस उठ रही थी कि उसे चला भी नहीं जा रहा था. आखिर मैं उसे उठा कर ले गया.
उसका हाल देखकर हमने उसे दो दिन का पूरा आराम दिया. गांड में ठम्डी क्रींअ लगाकर उसे सुला दिया और आराम करने दिया. आखिर हमें दो दिन बाद हनींऊन पर भी जाना था. उसके पहले उसका ठीक होना जरूरी था. शुक्र यही था कि इतनी जोरदार चुदाई के बाद भी उसकी जवान गांड सही सलांअत थी और फ़टी नहीं थी नहीं तो टांके लगवाने जाना पड़ता.

 उन दो दिनों में मैने अपनी किशोर साली सीमा की गांड मार कर दहेज वसूल कर लिया. सीमा तो मीनल से छोटी और कमसिन थी. मुझे डर था कि उसकी गांड जरूर फ़ट जायेगी और अगर फ़टे नहीं तो भी दर्द से वह बहुत चिल्लाएगी. पर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जब वह खुद भी गांड मरवाने को बहुत उत्सुक थी. बड़ी चुदैल लड़की थी. और उसने गांड भी खुद ही मरवाई जैसे मुझे लिटाकर मेरा लन्ड अपनी चूत में लेकर खुद चुदवा लिया था.
दोपहर को यह मस्त कांअक्रीड़ा हुई. मीनल दूसरे कमरे में सो रही थी. मैं एक आराम कुर्सी में टिक कर बैठ गया. मेरा मक्खन लगा लन्ड मस्त तना कर खड़ा था. भाभी ने खुद अपनी प्यारी बेटी की कुम्वारी नन्ही गांड में खूब मक्खन लगाया. सीमा मेरे सांअने मेरे पैरोम के बीच मेरी ओर अपने नितम्ब करके खड़ी हो गई.
मुझसे न रहा गया और मैने झुक कर उन गोल मटोल चूतड़ोम को चूम लिया. फ़िर सीमा को मैने अपनी ओर खींचा और अपना सुपाड़ा उसकी गुदा पर टिकाते हुए कहा. “अब मेरी मुन्नी, मेरी बात सुनेगी तो दर्द नहीं होगा. अपनी गांड ऐसे खोल मानों टट्टी कर रही हो, और भाभी आप अपनी बेटी को अपनी चूचियां चुसवाइये. मुझे मालूम है कि बहादुर चुदैल बच्ची है और चिल्लाएगी नहीं फ़िर भी उसे मां की चूची मुंह में लेकर जरा ढाढस बन्धेगा.”
भाभी ने अपनी चूची अपनी बेटी के मुंह में दी और सीमा ने उसे चूसते हुए टट्टी जैसा जोर लगाकर अपना गुदा फ़ैलाया. मैने झट से उसमें सुपाड़ा फ़म्सा दिया और बोला. “शाबास बेटी, अब ऐसे ही गांड खोले धीरे धीरे मेरी गोद में बैठ जा.”
सीमा ने फ़िर गांड चौड़ी की और सुपाड़े पर बैठ गई. मैंने भी उसके चूतड़ पकड़कर फ़ैलाये जिससे गुदा और खुले. इतना बड़ा सुपाड़ा इतनी छोटी गांड में जाने में देर तो लगनी ही थी. दर्द भी होना था. आधा इम्च सुपाड़ा अन्दर जाने पर सीमा कसमसा कर रुक गई. भाभी ने तुरम्त उसके मुंह में अपनी चूची और अन्दर ठूम्स दी. थोड़ा रुकने के बाद सीमा फ़िर बैठने लगी. किसी तरह सूत सूत करके आखिर पा~म्क्क की आवाज से वह सेब जैसा सुपाड़ा उसकी जरा सी गांड में समा गया. सीमा तड़प उठी और चीख देती पर मुंह मां की चूची से भरा होने से गोंगियाकर रह गई.
उसके दर्द को कम करने के लिये मैने तुरम्त उसकी बुर में उंगली की और क्लिट रगड़ने लगा. जब गीली हो कर वह नन्ही बुर चूने लगी तब सीमा का कांपना बन्द हुआ. भाभी ने उसे शाबासी दी. “वाह मेरी बहादुर बेटी, बस आधा कांअ तो हो गया, अब आराम से जीजाजी की गोद में बैठ जा और पूरा लौड़ा चूतड़ोम के अन्दर ले ले. बस फ़िर तेरा कांअ खतम, फ़िर सिर्फ़ गांड मरवाने का मजा ले दिन भर”
गांड ढीली कर के सीमा फ़िर मेरी गोद में बैठती गई. इम्च इम्च करके मेरा महाकाय लन्ड उस कोमल गांड में ऐसा घुसता गया जैसे छुरी पके अमरूद में घुसती है. बीच बीच में वह तड़प उठती थी तो मैं उसका क्लिट मसलने लगता था. मेरे लन्ड को उस बच्ची की टाइट मखमली गांड ऐसे कस से दबा रही थी जैसे किसी ने मुठ्ठी में पकड़ रखा हो. जब सिर्फ़ तीन इम्च बचे तो मुझसे न रहा गया. मैने सीमा की कमर पकड़ कर उसे दबोच लिया और खींच कर जबरदस्ती गोद में बिठा लिया. लन्ड सूली जैसा उसकी गांड में समा गया और उसके नरम नितम्ब मेरी जांघों में आ टिके.
सीमा अब ऐसे तड़पी जैसे किसी ने उसे सच में सूली पर चढा दिया हो. मुंह में सुधा भाभी का स्तन नहीं होता तो जरूर चीख पड़ती. भाभी ने उसकी आवाज बन्द करने के लिये उसका सिर जोर से अपनी छाती पर भींच लिया. मैंने एक हाथ से उसके निपल धीरे धीरे मसले और दूसरे से उसकी बुर को रगड़ने लगा. बांहों में उस किशोरी का थरथराता कमसिन शरीर, और मेरे लन्ड को बुरी तरह भींचती उसकी कुम्वारी गांड, मैं तो स्वर्ग में था.

 आखिर पांच मिनट बाद सीमा सम्भली. उसकी बुर फ़िर चूने लगी थी और मैं समझ गया कि लड़की का दर्द कम हो गया है और मस्ती में आने लगी है. भाभी भी उसका सिर छोड़ उठ खड़ी हुईं. मुंह से चूची निकलते ही सीमा बोल पड़ी. “हा ऽ य ममी, इतना दर्द हो रहा है जैसे अभी गांड फ़ट जायेगी पर मजा भी बहुत आ रहा है अम्मा, जीजाजी का लन्ड इतना गहरा गया है कि जरूर मेरे पेट में होगा. बहुत अच्छा लगता है मां गांड में लन्ड” वह सिसकती भी जा रही थी और मस्ती में चहक भी रही थी. मैंने उसका सिर अपनी ओर घुमा कर उसके आंसू अपने जीभ से चाटे और फ़िर होंठ चूमने लगा.
भाभी से मैने कहा. “सासू मां, इस बहादुर कन्या को इनाम देना जरूरी है. ऐसा कीजिये कि मैं बैठ बैठे ही नीचे से इसकी गांड मारता हूं, आप तब तक इसकी बुर चूस लीजिये.” यह आसन सब को भा गया और आधा घंटा चला. सीमा की कमसिन छातियां मसलते हुए उसका मुंह चूसते हुए मैं ऊपर नीचे होकर उसकी कसी गांड में अपना लन्ड मुठियाता रहा और भाभी अपनी बच्ची की बुर का रस पीती रहीं.
मैं अब काफ़ी उत्तेजित हो गया था और सीमा की गांड मारना चाहता था. मेरा मन मेरी बीवी की तरह ही पटक पटक कर अपनी किशोर साली की मारने का था. पर डर था कि वह कोमल कन्या यह सह सकेगी या नहीं. जब मैने उससे यह कहा तो अब तक मस्ती में आई हुई दो बार झड़ चुकी वह कन्या बोली. “जीजाजी आप मारिये ना मेरी गांड जोर से, मेरी परवाह न कीजिये, अब नहीं फ़टेगी, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, दर्द तो बहुत है पर मजा भी बहुत है, मालूम नहीं दीदी क्यों इतना रोई.”
मैंने उसे पकड़ कर उठाया और गांड में लन्ड फ़म्साये हुए ही पलन्ग पर ले गया. वहां पटक कर मैं अपनी उस गुड़िया साली पर चढ बैठा और हचक हचक कर पूरे जोर से उसकी गांड मारने लगा. ऐसा मजा आया कि पूछिये मत. वह लड़की तो इतनी चुदैल निकली कि दर्द से बिलबिलाते हुए भी गांड मराने का मजा लेती रही और बोली. “जीजाजी, मेरे भी मम्मे दबाइये जैसे आप दीदी के दबा रहे थे” मुझे और क्या चाहिये था? उस किशोरी के चूजे जैसे मुलायम स्तन हाथों में लेकर बेरहमी से उन्हें मसलते और कुचलते हुए मैं पूरे जोरोम से उसकी गांड चोदने लगा. मेरा स्खलन इतना तीव्र था कि मेरी चीख निकल गई.
पूरी तरह तृप्त होकर मैं पड़ा पड़ा हांफ़ता रहा. फ़िर भाभी को बोला. “भाभी आपका दहेज तो लाखों का नहीं, करोड़ोम का निकला. मुझे अब अपना बेटा समझिये, जमाई समझिये या गुलांअ समझिये, एक ही बात है. आप तीनों की खिदमत मैं जीवन भर करूंगा.”
भाभी भी अपनी कमसिन बच्ची की गांड चुदते देख बहुत गरम हो चुकी थीं. उनकी चूत मैने चूसी जिससे उन्हें भी तृप्ति मिली और मुझे ढेर सा चिपचिपा बुर का रस. अपना झड़ा लन्ड मैंने सीमा की गांड में ही रहने दिया क्योंकि एक बार और मैं उसकी मारना चाहता था. वह भी तैयार थी. कुछ देर बाद लन्ड खड़ा होकर जब फ़िर सीमा के चूतड़ोम के बीच गहरा उतर गया तो मैने उसकी गांड कुतिया स्टाइल में मारी. वह पलन्ग पर घुटनों और कोहनियों पर झुक कर जम गई और मैं उसके पीछे घुटने टेक कर उसके चूतड़ पकड़कर उसकी गांड मारने लगा. इस आसन में काफ़ी मजा आया क्योंकि मुझे अपना लन्ड सीमा के नितम्बोम के बीच घुसता निकलता देख कर बड़ा मजा आ रहा था. इसी समय मैने भाभी को बाजू में खड़ा कर के उनकी चूत भी चूस ली.
उस रात मैने चुदाई नहीं की क्योंकि दूसरे दिन मैं और मीनल हनींऊन पर जाने वाले थे. हनींऊन में मीनल की अच्छी चुदाई करने के लिये फ़िर लन्ड को आराम देना जरूरी था. हम सब काफ़ी थक गये थे इसलिये सभी ने सिर्फ़ आराम किया और खूब सोये.
आखिर हम दोनों हनींऊन पर निकले. भाभी और सीमा ने हमें बिदाई दी. साथ बस एक ही छोटा सूटकेस लिया था. जब सीमा तरह तरह के कपड़े पैक कर रही थी तो मैने ही मना कर दिया. बोला “तेरी दीदी को मैं अधिकतर नंगा ही रखूंगा, दिन रात चोदूंगा, सिर्फ़ दो जोड़ी काफ़ी हैं बाहर जाने के लिये, तो क्यों ज्यादा कपड़े रखती है मेरी प्यारी गुड़िया साली?” सुनकर सीमा हम्सने लगी और मीनल को खिजाने लगी. “दीदी तेरे तो अब मजे हैं हफ़्ते भर, पर जरा संहल के रहना, जीजाजी का यह हलब्बी लन्ड जो आज तक हम तीनों मिल कर संहालते थे, अब सिर्फ़ तेरे पीछे पड़ेगा.”

 सीमा के कान में मैने कुछ कहा और उसकी आंखें शैतानी से चमकने लगीं. मेरी कही चीजेम उसने चुपचाप सूटकेस में रख दीं. बेचारी मीनल के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं. वह डरकर ऐसे रोने लगी जैसे दुल्हन बिदा के वक्त रोती हैं जबकि हम हफ़्ते भर बाद यहीं वापस आने वाले थे.
मीनल टैक्सी में बैठी तब तक भाभी ने मेरे कान में कहा. “मजा करो बेटा, और मीनल की बिलकुल परवाह करने की जरूरत नहीं है, जरा ज्यादा ही नाजुक है, सीमा जैसी चुदैल नहीं है. उसे मस्त चोदो और एक पत्नी के सब कर्तव्य सिखा दो. रोती है तो रोने दो, बल्कि और रुला रुला के भोगो. आगे तेरे काबू में रहेगी. अपने दिल की हर मुराद पूरी कर लो, कितनी ही कांउक क्यों न हो. यहां मैं आराम से अपनी छोटी बेटी के साथ मजे करूंगी. अकेले में उससे मनचाहा सम्भोग करने का यही अच्छा मौका है.”
जब हम ट्रेन में अपने कूपे में पहुम्चे तो मीनल सिमट कर एक कोने में बैठ गई. ट्रेन शुरू होने के बाद मैने दरवाजा लगा लिया और उसे भींच कर चूमने लगा. वह अभी भी घबरा रही थी कि मैं वही उसकी गांड न मारने लगूम. पर मैंने उसे प्यार से खूब चूमा और कहा कि ट्रेन में तो मैं उसे चोदूंगा भी नहीं, सिर्फ़ चूसूंगा और चुसवाऊंगा. अब मैं उसके बुर के रस का दीवाना हो चुका था इस्लैये सीधे उसकी साड़ी ऊपर की और उसमें घुस गया. उसकी पैंटी खींच कर निकाली और उसकी बुर पर टूट पड़ा. घबराहट के बावजूद मेरी रानी भी काफ़ी उत्तेजित थी और बुर में से रस टपक रहा था. वह शरमा कर नहीं नहीं करती रही और मैं उसपर ध्यान देकर उसकी हफ़्ते से अनछुई बुर पर मुंह लगाकर बैठ गया और उस खजाने पर ताव मारने लगा.
मैंने उसे घम्टे भर जरूर चूसा होगा. वह भी झड़ झड़ कर निहाल हो गई. उसकी सुख भरी सीत्करियां सुनकर मुझे बड़ा अच्छा लगा क्योंकि मैं जानता था कि होटल पहुम्चने पर हनींऊन में मैं उस का क्या हाल करने वाला हूं इसलिये अभी तो उसे भरसक सुख पहुम्चाना मेरा कर्तव्य था.
जब मुझसे और सहन नहीं हुआ तो मैंने उसे उठने को कहा और खुद आराम से सीट पर बैठ गया. अपना लौड़ा पैम्ट में से निकाला और मीनल को नीचे अपने सांअने बिठा कर उसे चूसने को कहा. वह बड़ी खुशी से मेरा लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगी. पहले वह सिर्फ़ सुपाड़ा लेकर चूस रही थी. मैने उसका सिर पकड़ कर जबरदस्ती अपनी गोद में भींच लिया. पूरा लन्ड धीरे धीरे मेरी रानी के मुंह में उतर गया. उसे पूरा लन्ड मुंह में लेने में काफ़ी तकलीफ़ हुई, दम घुटने से वह गोंगियाने लगी और छूटने को हाथ पैर मारने लगी पर मैने उसके गले में लन्ड जड़ तक उतार ही दिया. फ़िर धक्के दे देकर उसका मुंह और गला चोदने लगा.
बहुत आनन्द आया उसके गीले तपते मुंह को चोद कर. आखिर वह थक कर निढाल हो गई और छूटने की कोशिश बन्द करके चुपचाप चूसने लगी. झड़ कर मैंने करीब पाव कटोरी वीर्य उसके गले में फ़ेम्का जो वह चुपचाप पी गई. जब उसे छोड़ा तो अपने गले को मलती हुई वह मुझे उलाहना देने लगी पर झूटे गुस्से से. मुझे मालूम था कि उसे मेरा वीर्य बहुत अच्छा लगता था और उसे पीने के लिये वह अपनी गले की चुदाई बरदाश्त कर सकती थी.

रास्ते भर हमारा यह मुंह से चूसना और चुसवाना चलता रहा. हम सुबह होटल पहुम्चे और खाना खा कर सीधे सो गये. शांअ को उठे, नहाया और जल्दी खाना खाकर फ़िर कमरे में आ गये. मीनल बेचारी घूमने जाना चाहती थी पर मैं तो अब उसके शरीर को पूरी तरह बिना किसी हिचक भोगने को आतुर था. इसलिये उसकी बात टाल कर कमरे में ले आया.
रास्ते में मैने उससे पूछा. “आज की रात तुंहारी मेरी जान, जो बोलोगी वह करूंगा. कल से मेरी बारी, मस्त मसल मसल कर चबा चबा कर भोगूंगा तेरी जवानी, इसलिये आज मजा कर ले.” कमरे में आकर दरवाजा लगाकर मैं तुरम्त नंगा हो गया. फ़िर मीनल के भी कपड़े उतार दिये. वह फ़िर दुल्हन जैसी शरमा रही थी पर उत्तेजित भी थी.” डार्लिंग, आज मैं चाहती हूं कि आप मेरी खूब चूसेम और जीभ से मुझे चोदेम, फ़िर अपने इस लन्ड से भी चोदिये. पर प्लीज़ मेरी गांड मत मारिये, बहुत दुखता है.”
मैंने उसे विश्वास दिलाया कि आज उसकी गांड सलांअत रहेगी. उसकी इच्छानुसार मैने उसकी चूत चूसना शुरू कर दिया. मैंने ठान ली थी कि आज मीनल की इतनी चूसूंगा कि गिड़गिड़ाने लगेगी. इसलिये पहले मैंने उसे पलन्ग पर लिटाकर उसकी बुर चूसी और जब वह गरम हो गई तो सीधा लेटकर उसे अपने मुंह पर बिठा लिया. मेरे मुंह पर चूत जमाकर उछल उछल कर उसने खूब हस्तमैथुन किया. फ़िर मैने एक छोटे लन्ड जैसे अपनी जीभ बाहर निकाली और उसे बुर में लेकर मेरी पत्नी ने उसे खूब चोदा. मैं भी जीभ दुखने के बावजूद उसे कड़ा किये उसकी बुर में घुसाया रहा जब तक वह सम्तुष्ट नहीं हो गई.
फ़िर उसे कुर्सी में टांगेम फ़ैलाकर बिठाया और उसके सांअने नीचे बैठकर उसकी चूत चूसी. अब वह लस्त हो गई थी और झड़ झड़ कर परेशान हो गई थी. इसलिये छोड़ने को कहने लगी. मैने एक न सुनी और फ़िर उस उठा कर पलन्ग पर ले गया और जबरदस्ती उसके चूत अपने मुंह में लेकर चूसता रहा. वह हाथ पैर पटकने लगी क्योंकि उसकी बुर अब इतनी सम्वेदन्शील हो चुकी थी कि मेरे होंठ या जीभ लगते ही वह सिसक उठती थी.
आखिर जब वह रोने को आ गई तब मैंने चूसना बन्द करके अपना लन्ड उसकी बुर में डाला और उसपर चढकर चोदने लगा. यह चुदाई भी उसकी झड़ी बुर को सहन नहीं हो रही थी इसलिये वह बार बार मुझसे याचना करती रही पर मैं बोला. “आज तो तेरे हनींऊन का पहला दिन है रानी, आज छोड़ दूंगा तो तेरी मां और बहन कहेगी कि उनकी बेटी को प्यासा ही वापस ले आये, इसलिये चोदूंगा जरूर.” और उसका मुंह अपने होंठों से बन्द करके मै उसे जोरोम से चोदने लगा.








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