Raj-Sharma-stories
पेइंग गेस्ट--6घम्टे भर चोदने के बाद जब मैं झड़ा तो देखा तो मीनल बेहोश हो गई थी. मैं भी तृप्त होकर पति का सब कर्तव्य पूरा कर के सो गया.
दूसरी रात से असली हनींऊन शुऊ हुआ. मेरी आंखों में भरी कांउकता से पहले ही मीनल समझ गई थी कि अब उसकी खैर नहीं और जब मैं उसे नंगा कर रहा था तभी वह घबरा कर रोने लगी. मैंने उसे कुछ न कहा और सूटकेस में से सीमा और भाभी की पहनी हुई, मैली पैंटी और ब्रेसियरेम निकालीं. यह मैंने खास सीमा से अपनी मीनल के लिये रखवाए थे. पहले ब्रेसियर से उसकी मुश्कें बांध डालीं. फ़िर उसे मुंह खोलने को कहा और उसमें भाभी और सीमा की पैंटी ठूम्स दी जिससे वह चिल्ला न सके.
मीनल को पलन्ग पर पट लिटा कर मैंने उसके चूतड़ मसलना और चाटना शुरू कर दिये. आज वे सांवले चिकने नितम्ब गजब के लग रहे थे. सकरे गुदा को जब मैने चूसना शुरू किया तो मीनल को भी मजा आया. मैं जीभ डाल डाल कर उसकी गांड चूस रहा था. उस सौम्धी खुशबू और कसैले स्वाद से मेरे मन में बड़े गम्दे कांउक विचार आने लगे. मैने भी निश्चय कर लिया कि अब तो वह सब कर के रहूंगा जो मन में आये.
गांड चूस चूस कर काफ़ी गीली हो गई थी. मैंने अब अपना लन्ड उसमें घुसेड़ना शुरू किया. आज कोई मक्खन लगाने का इरादा नहीं था. सूखी मार कर मजा लेना चाहता था. पूरा लन्ड डालने में आधा घंटा लग गया. एक तो मीनल की गांड आराम मिलने से फ़िर टाइट हो गई थी. फ़िर कुछ चिकनाई भी नहीं थी. सुपाड़ा अन्दर डालने में ही दस मिनट लगे. मीनल तो ऐसे छटपटा रही थी जैसे बिन पानी की मछली. मुंह से गोंगियाती और आंखों में आंसू भरी हाथ पैर बन्धी उस सांवली युवती को देख देख कर मैं और उत्तेजित हो रहा था.
सुपाड़ा अन्दर जाते ही वह एक दबी चीख के साथ बेहोश हो गई. होश में आने तक मैं रुका जिससे मेरी प्यारी अपनी गांड में पति का मोटा लन्ड उतरने की पीड़ा भरी क्रिया का पूरा आनन्द ले सके. आखिर जब लन्ड जड़ तक उसके चूतड़ोम के बीच घुस गया तो मैं उसकी गांड मारने लगा. पहले धीरे धीरे शुरू किया क्योंकि सूखी गांड में लन्ड फ़म्सा था और फ़िसलता नहीं था. दूसरे यह, कि इतना मजा आ रहा था कि मैं झड़ न जाऊम इसका डर मुझे था. सूखे मखमल जैसी उस टाइट गांड में लन्ड अन्दर बाहर होता तो था पर बड़ी मुश्किल से.
शुरू शुरू में तो मीनल खूब छटपटाई. सूखी गांड मराने में उसकी हालत खराब थी. पर कुछ देर में उसे अपनी गांड में होते दर्द का आदत हो गई और उसका रोना बन्द हो गया. मैं तो आज उसे बिलखता रखना चाहता था इसलिये अब उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया. एक दो हाथों में ही वह फ़िर बिलबिला उठी और कांअ शुरू हो गया.
कुछ देर बाद मैं रुका और उसके पैर खोल दिये. धीरे से उसे पकड़े हुए ही पलन्ग से उतारा और बोला. “चल रानी, बिस्तर पर बोर हो गया, अब खड़े खड़े मारूंगा.” उसे ढकेलता हुआ मैं दीवार की ओर ले गया. गांड में लन्ड गड़ा होने से हर कदम पर उसे पीड़ा होती और वह कसमसा कर रुक जाती. मुंह में मां और बहन की पैंटी ठुम्सी होने से कुछ बोल तो सकती नहीं थी. उसे आगे चलाने को मैं फ़िर उसकी चूची कस कर मसलता और निपल को खींचता, तो न चाहते हुए भी वह अगला कदम रखने को विवश हो जाती.
आखिर किसी तरह बेचारी दीवार तक पहुम्ची. मैंने उसे दीवार से सटाया और फ़िर आगे पीछे होते हुए उसकी गांड में अपना लन्ड पेलने लगा. यह आसन मस्त था और मैं करीब करीब पूरा लन्ड बाहर खींच कर फ़िर उसे एक धक्के में मीनल के गुदा में पेल देता. यह धक्के उसके लिये ज्यादा ही कठोर थे और हर धक्के में वह दर्द से तड़प कर रह जाती. उस बिचारी को सिर्फ़ यही सम्तोष होगा कि इस आसान में उसकी चूचियां दीवार से दबी होने से मेरे हाथों से बची रहीं.
बीच में झड़ने के करीब आकर जब मैं रुक गया था और सुस्ता रहा था तो प्यार से उसके आंसुओम से गीले गाल चूमता हुआ बोला. “मजा आ रहा है ना मेरी रानी, यह तो सिर्फ़ शुरुवात है, अभी तो अपनी इस जान के बदन को मैं कैसे कैसे भोगता हूं, देख. तुझे भी कोई आसन सूझता हो तो बता.”
आखिर जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैंने मीनल को वहीं दीवार से बाजू करके फ़र्श पर पटक दिया और उसपर चढ बैठा. वहीं फ़र्श पर पटक पटक कर मैने उसकी खूब गांड मारी. मम्मे भी मन भर कर दबाये. कड़े ठम्डे फ़र्श पर मेरे नीचे उसका गरम कोमल शरीर गद्दे का कांअ कर रहा था. उस बेचारी को जरूर फ़र्श पर मेरे नीचे पिसते हुए तकलीफ़ हुई होगी पर मैं इतना उत्तेजित था कि मैंने कोई परवाह नहीं की.
झड़ने के बाद मैं उसे पलन्ग पर ले गया. लन्ड गांड में ही रहने दिया. अब उसकी मुश्कें खोल दीं और मुंह में से पैंटी भी निकाल ली. मुंह खुलते ही वह रोने लगी. “मुझे माफ़ कीजिये, मुझे मां के पास भेज दीजिये, यहां मैं जिम्दा नहीं बचूंगी, कितनी बेदर्दी से मेरी गांड मारी है और स्तन कुचले हैं. मुझे छोड़ दीजिये प्लीज़” मैने उसे विश्वास दिलाया कि छोड़ने का तो प्रश्न ही नहीं उठता. हफ़्ते भर मैं ऐसे ही भोगूंगा और इसके लिये उसकी मां की परमिशन मैने पहले ही ली है.
उस रात मैंने उस पर जरा भी दया नहीं की. रात भर उसकी गम्ड मारी. पर अब वहीं पलन्ग पर मारी, ज्यादा आसनों के चक्कर में नहीं पड़ा. सुबह उठने के बाद मीनल को उठा कर बाथरूम ले जाना पड़ा क्योंकि वह तो चल नहीं पा रही थी. मैने उसे नहलाया, नितम्बोम की मालिश की, मसली हुई लाल लाल चूचियों को क्रींअ लगाई और गुदा में भी क्रींअ लगी दी कि कुछ आराम मिले. नाश्ता कमरे में ही बुलवा लिया और थकी हारी बुरी तरह से चुदी मेरी दुल्हन सो गई. मैंने उसे शांअ तक सोने दिया और खुद भी आराम किया.
रात को फ़िर वही क्रम चालू हो गया. मीनल बिचारी हताश हो गई थी और उसने हार मान ली थी. आज वह कुछ न बोली और चुपचाप गांड मराती रही. मुझे उसका मुंह भी नहीं बांधना पड़ा. रोई बिलबिलाई भी जरा कम. मै खुश था कि सबक सीख रही है और हर रात पति की सेवा की अच्छी ट्रेनिंग ले रही है.
अगले दिन से मैने भी उसे थोड़ा कम मसला और कुचला. गांड मारी तो गोद में बिठा कर जैसे सीमा के साथ किया था. उसके पहले उसकी चूत चूसी. दो दिन बाद बिचारी को कुछ यौन सुख मिला और मेरे मुंह में तुरम्त झड़ गई. गांड में लन्ड डाल कर गोद में बिठाने के बाद मैने उसे खूब चूमा और धीरे धीरे नीचे से गांड मारने के साथ उसकी बुर को भी उंगली कर कर के झड़ाया. उंगली से ही मैने उसका घी जैसा चिपचिपा रस चाटा तो चार दिनों में पहली बार मेरी दुल्हन कुछ हम्सी.
शांअ को हम घूमने गये. वहां एक झाड़ी के पीछे मैने उसकी चूत चूसी और उसे अपना लन्ड चुसवाया. वापस आते समय अच्छे मोटे केले दिखे तो मैने खरीद लिये. मीनल पूछने लगी क्योम. रात को उसे जवाब मिल गया जब फ़िर से गांड में लन्ड डाल कर मैने उसे गोद में बिठाया और फ़िर केला छीलकर उसकी रिसती चूत में डाल दिया और उससे उसकी मुठ्ठ मारने लगा. मुलायम केले से चुदना उसे बड़ा अच्छा लगा और वह मुंह घुमा कर मुझे चूमते हुए स्खलित हो गई.
केला मैने बुर के अन्दर ही रहने दिया. गांड मार कर झड़ने के बाद मैने उसे कुर्सी में बिठाकर उसकी चूत चूसते हुए उसमें से केला निकाल कर खाया. मीनल के बुर के पानी से भीगा चिपचिपा केला ऐसा मस्त स्वादिष्ट हो गया था कि अब यह क्रीड़ा मैं कई बार करता. सादा केला तो मैने खाना ही बन्द कर दिया, खाता तो मीनल की बुर में डाल कर ही. मीनल को भी केले से हस्तमैथुन करने में मजा आता था. मेरी फ़रमाइश पर वह मेरे सांअने बैठ कर मुठ्ठ मार कर दिखाती थी. गांड मराने में उसे अभी भी दर्द होता था पर अब वह चुपचाप सहती थी क्योंकि अब मैं उसे चोदता बहुत कम था. गांड मारता और चूत चूसता, इसी में मुझे मजा आता था.
एक रात ऐसे ही मीनल रानी को गोद में बिठाकर गांड मारते हुए और केले से चोदते हुए मैंने घर का फ़ोन लगाया. भाभी स्पीकर फ़ोन पर आयीं. मेरी आवाज सुनकर खुश हो गईं. उन्होंने मीनल से पूछा. “क्या हाल है मेरी बेटी का” मीनल बेचारी अपनी गांड से मेरे लन्ड को पकड़ते हुए बोली “ठीक है मां, अब मजा आ रहा है. पर पहले दो दिन बहुत दर्द हुआ, मैं मर ही जाती, मेरी गांड को इन्होंने चोद चोद कर खुरच दिया है.” “अच्छा अभी बता क्या चल रहा है? अनिल का लन्ड गांड में है या बुर मेम?” सुधा भाभी ने पूछा.
मीनल बोली “गांड में है मां, और नीचे से ही मेरी मार रहे हैं, स्तन भी मसल मसल कर लाल कर दिये हैं. पर ममी, केले से मेरी बुर को चोद रहे हैं, इतना अच्छा लग रहा है कि पूछो मत, और फ़िर केला ये मेरी बुर में से ही खा लेंगे, साथ साथ चूत का रस भी पी लेंगे, इन्हें इतना पसम्द हैं मेरी बुर में डला केला कि दिन में दो तीन बार ऐसे ही खाते हैं.”
भाभी सिसकते हुए बोली. “वाह बेटी, ऐसे ही पति की सेवा कर, उसे जो चाहिये वह दे.” मैने पूछा “भाभी, आपकी आवाज ऐसे क्यों कांप रही है? और सीमा रानी किधर है?” भाभी सीत्कारी भरती हुई बोली. “मेरी टांगों के बीच बैठकर मेरी बुर चूस रही है शैतान, अनिल यह लड़की बुर चूसने में माहिर है, इतना मस्त झड़ाती है, पिछले एक घम्टे से मेरी चूत मुंह में लिये है और मुझे दस बार झड़ा चुकी पर छोड़ती ही नहीं अपनी मां की चूत, चूसे जा रही है.”
मैंने कहा “उस चुदैल बच्ची की तो मैं वापस आकर ले लूंगा पूरी. पर आप भी उसे इनाम दीजिये, यही केले वाला, केले से मुठ्ठ मार कर देखिये, आप दोनों नाम नहीं लेंगी फ़िर उंगली से मुठ्ठ मारने का. अपनी बुर में से केला खिलाइये, देखिये कैसी चहकती है, और खुद भी उसकी चूत में का केला खा कर देखिये.” फ़ोन रखने पर मैं अति उत्तेजित था. जब मैने अपनी मां की जांघों के बीच बैठी बुर चूसती उसे बच्ची की कल्पना की तो मेरा लन्ड ऐसा उछला कि सीधा झड़ गया.
समाप्त ! कैसी लगी !
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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