FUN-MAZA-MASTI
मेरी कहानी--1
हेलो फ्रेंड्स,
मैं यहाँ पर ढेरो कहानियाँ पढ़ी जो मुझे बहुत अच्छी लगती हैं मैंने सोचा की क्यों ना मैं अपनी कहानी भी आप सब के साथ शेयर करूँ। मुझे सेक्सुअल कहानीयां पढना बहुत हे अच्छा लगता है. मैं एक लेखिका तो नहीं हूँ लेकिन मैं उम्मीद करती हूँ की आप लोग मेरी कहानी को पसंद करेंगे और मुझे कहानी लिखने के लिए प्रेरित करेङ्गे. प्लीज मुझे अपनी राय जरूर बताएं।
अब मैं अपनी कहानी की शुरुवात करती हूँ
मेरा नाम रूपा है, मैं ३२ साल की हूँ. मेरा जन्म डेल्ही के नजदीक एक छोटे से गाँव किशनगढ़ में हुवा था. मेरा पापा की एक छोटी सी दूकान थी. मैं जब जवान हुई तो मुझे शहर के चकाचौंध बहुत आकर्षित करती थीं. मुझे जीन्स स्कर्ट पहनने का बहुत मन होता था. मैं किसी एक्ट्रेस की तरह सवरना चाहती थी. मेरा अन्दर जवानी कूट कूट के भरी थी, उस वक़्त मेरी फिगर 34 30 39 हुवा करती थी, मेरी बड़ी बड़ी चूचियां किसी भी मर्द का मन मोह सकती थी, और मेरे बड़े बड़े मटकते कुल्हे किस्सी का भी लंड खड़ा कर सकते थे. मुझे मर्दों को रिझाना बहुत पसंद होता था. कॉलेज के दिनों में तो लडके मेरी टाइट कपडे में मेरी कसी चूचियां देख पागल हो जाते थे.
मैं गाँव में सेक्सी कपडे तो नहीं पहेन पाती लेकिन लड़के मुझे पुरे कपडे में देख कर भी कामुक हो उठते थे.
कॉलेज के आगे की पढाई करने के लिए मुझे शहर जाना बहुत जरुरी था. एक दिन मैं उचित समय देख कर पापा से रिक्वेस्ट की.
रूपा - पापा मुझे आगे एमबीए की पढाई करनी है, मेरी बहुत सारी सहेलियां भी डेल्ही पढाई के लिए जा रही हैन. मुझे प्लीज जाने के इजाज़त दे दीजिये
पापा - बेटी तुम जितना पढ़ना चाहो पढो मैं तुम्हारे साथ हूँ. लेकिन बेटी मुझे तुम्हारी शादी भी तो करनि है.
मम्मी - हाँ रूपा, तुझे पढाई छोड़ अब शादी कर लेनी चाहिए। अब बस भी कर पढ़ाई
रूपा - नहीं माँ, मुझे आगे पढ़ाई करनी है प्लीज।।।।।।
पापा - ठीक है बेटी
आखिरकार, मैं अपने पापा मम्मी को राजी कर डेल्ही आ गई।
डेल्ही में मैं अपनी एक सहेली की मदद से मुझे किराए का एक मकान मिल गया. फिर मैं वहीँ पढ़ाई करने लगी, दिन बीतते गए. और मैं पढ़ाई करने लगी, कॉलेज का फीस बहुत ज्यादा था और मेरे पापा इतने सक्छम नहीं थे की वो फीस पे कर पाते, तो मैंने स्कोल्लेरशिप के लिए अप्लाई की. लेकिन मेरी किस्मत ख़राब एस्कोल्लेर्शिप में मेरा नाम नहीं आया मैं बहुत दुखी हो गई थी, मुझे समझ में नहीं आ रहा था की मैं अपनी फीस कैसे मैनेज करुँगी।
आखिरकार मैंने हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट से बात करने की सोचि. अगले दिन सुबही १० बजे मैं एक येलो सलवार पहेन कर कॉलेज पहुची वहां मैं हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट गिरिराज से मिली।
रूपा - क्या मैं अन्दर आ सकती हूँ
गिरिराज - एस कमिन
रूपा - सर मैं रूपा, मैंने एस्कोलेर्शिप की लिए अप्लाई की थे लेकिन मेरा नाम लिस्ट में नहीं आया
गिरिराज - तो मैं क्या कर सकता हूँ. तुम मेरे पास क्यों आई हो
रूपा - सर प्लीज मेरे पापा बहुत गरीब हैं कॉलेज की फीस नहीं भर सकते, प्लीज मेरी हेल्प कीजिये
इसी बीच गिरिराज की नज़र कई बार मेरी छातियों पे गई. वो मुझे आँखे गडाए मेरे उभार को देख रहे थे
गिरिराज - लुक रूपा आई कांट हेल्प यू. तुम अगर हेल्प चाहती हो तो डिपार्टमेंट के नए हेड दिनकर जी से मिलो शायद वो तुम्हारी मदद कर पाए.
मैं उन्हें शुक्रिया बोल कर कमरे से बहार निकल पायी, बहार निकल कर मैं सोचती रही किया क्या गिरिराज वाकई मेरी चुचियों को देख रहे थे. खैर मैं वहां से निकल कर सीधा दिनकर जी के रूम में उनसे मिलने पहुच गई. अन्दर कमरे में दिनकर जी बैठे थे उनकी उम्र करीब ६० साल की होगी
रूपा - सर मेरा नाम रूपा है. मुझे आपसे कुछ बात करनी है मुझे गिरिराज जी ने भेजा है
दिनकर जी मुझे ऊपर से नीचे तक घूरते हुवे बोले
दिनकर - हाँ बोलो रूपा बेटी
रूपा - जी वो मैंने एस्कोलेर्शिप के लिए अप्लाई किया था लेकिन मेरा नाम लिस्ट में नहीं आया मुझे बहुत जरुरत है प्लीज मेरी मदद कीजिये
दिनकर - देखो बेटी लिस्ट निकल चुकी है और मैं दो दिन में वेटिंग लिस्ट भी निकालने वाला हूँ मैं कुछ नहीं कर सकता
रूपा - प्लीज सर प्लीज मैं आपसे हाथ जोड़ के रिक्वेस्ट करती हूँ प्लीज कुछ करिये. मैं इसके बदले में कुछ भी कर सकती हूँ प्लीज सर
दिनकर जी ने मुझे एक गिलास पानी दिया और कुर्सी पे बैठने के लिए कहा, वो मुझे बड़ी अजीब नज़रों से घूर रहे थे. वो मेरी चुचियों और मेरी कमर की तरफ देखते रह रहे थे. मेरी चूची का ऊपर का हिस्सा सूट से बहार नज़र आ रहा था, उससे देखते हुवे वो अपना लंड मेरे सामने एडजस्ट करते हुवे मेरे सामने बैठ गए
दिनकर - तुम क्या कर सकती हो मेरे लिए बेटी?
रूपा - जी मैं.… जो भी आप कहे बस मेरा नाम लिस्ट में ले लीजिये प्लीज। ये देखिये मेरी पढाई की मार्कशीट
(मैंने झुक कर उन्हें मार्कशीट दिया तो मेरा दुपट्टा गिर गया और उनको मेरे उभार के दर्शन हो गये. वो मेरी खुली चूची देख अपने लंड को हाथो से दबा कर मेरी तरफ हवस की नज़रों से देख रहे थे. मेरे मन में एक प्लान आया क्यों न मैं इन्हे अपनी जवानी का मजा लूटने दूं और अपना काम भी निकाल लूं )
दिनकर - बेटी मैं कोशिश करूँगा अगर मुझसे कुछ हो सका तो जरूर मदद करूँगा तुम्हारी
रूपा - थैंक यू सर
मैं खुश हो गई, लेकिन मैं अपने लिस्ट में नाम पक्का करना चाहती थी इसलिए मैंने एक प्लान बनाया
रूपा - सर क्या मैं आपका बाथरूम यूज़ कर सकती हूँ प्लीज
दिनकर - हाँ क्यों नहीं बेटी
मैं तुरंत बाथरूम आ गई और अन्दर आते ही मैंने सूट के अन्दर हाथ डाल और अपनी ब्रा खोल के बहार निकल लिया, उसके बाद सलवार का नाडा खोल अपनी पैंटी भी निकाल दी अब मैं केवल सूट और सलवार में बिना ब्रा और चड्ढी के कड़ी थि.
मैंने ब्रा और पैंटी निकाल कर पर्स में रख लिया और बहार आ गई. बहार आते हुवे बिना ब्रा के मेरी चूचियां काफी हिल रही थी. मैं उनके सामने आई और शुक्रिया अदा की. वो मेरे बिलकुल सामने खड़े थे.
रूपा - सर मैं आपका अहसान कभी नहीं भूलूंगी, आप मेरे पापा सामान हैं
कहते हुवे मैं झुक कर उनके पैर पड़ने लगी, मेरी चूची काफी बहार आ गई थी, जिससे देख कर दिनकर का लंड खड़ा हो गया. वो मेरी बाह पकड़ के खड़ा किये और मेरी चूची के उभार को घूरते हुवे बोले. बेटी इसमे अहसान के क्या बात है, तुम भी तो मेरी बेटी जैसी हो. कहते हुवे उन्होंने मुझे गले से लगा लिया। मैं समझ गई की अब मेरा एस्कोल्लेर्शिप मिलना तै है.
मैं भी आगे बढ़ कर उनके सीने में अपनी खुली चूची गडा दि. और उनसे कस के लिपट गई. उनकी हवस बढती जा रही थी वो मेरी नंगी पीठ पे हाथ फेर रहे थे. दुसरे हाथ से वो मेरी नंगी गांड को सलवार के ऊपर से महसूस कर रहे थे. मैंने उन्हें और उत्तेजित करने के लिए अपनी कमर के हिस्से को आगे ला कर उनके लुंड पे अपनी मोटी चूत रगड़ दी. इतना होते ही वो कांपने लगे और मुझे कस के पकड़ के मेरे शरीर पे अपना भार रख दिए. उनकी साँसे फूल रही थी, और तभी मैंने अपनी सलवार पे कुछ गिला सा महसूस किया। ओह माय गॉड, क्या ये दिनकर जी का वीर्य निकल गया है.? मैं पीछे हटी तो उनकी पैंट पे गीलापन था
दिनकर - ओके बेटी तुम क्लास जाओ मैं तुम्हारा लिस्ट में नाम डाल दूंगा
दिनकर जी अपनी हालत छुपाते हुवे कुर्सी पे बैठ गए
मैं जब कमरे से बहार आई तो मैंने अपनि सलवार की ऊपर से उँगलियों से सफ़ॆद पानी पोछा। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की एक अधेड़ आदमी मुझसे लिपट के अपना वीर्य निकाल देगा। क्या मैं इतनी हॉट थि. मैं ख़ुशी ख़ुशी अपने घर के तरफ बढ़ गई.
दिनकर - ओके बेटी तुम क्लास जाओ मैं तुम्हारा लिस्ट में नाम डाल दूंगा
दिनकर जी अपनी हालत छुपाते हुवे कुर्सी पे बैठ गए
मैं जब कमरे से बहार आई तो मैंने अपनि सलवार की ऊपर से उँगलियों से सफ़ॆद पानी पोछा। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की एक अधेड़ आदमी मुझसे लिपट के अपना वीर्य निकाल देगा। क्या मैं इतनी हॉट थि. मैं ख़ुशी ख़ुशी अपने घर के तरफ बढ़ गई.
______________________________________________________________
बाहर मैंने ऑटो वाले को रोका , कॉलेज के सभी स्टूडेंट मेरे बिना ब्रा की सूट में उछलते चूची को देख रहे थे.
रूपा - भैया हरिनगर चलोगे?
ऑटो वाला - जी बीबी जी, चलूँगा
रूपा - कितना लोगे?
ऑटो वाला - (मेरी चूची को घूरते हुवे, मुस्कुरा कर ) आप जितना दे दें बीबी जी
रूपा - (मैं मन में सोच रही थी आज सारी दुनिया मेरे पीछे कितनी पागल है रिक्शा वाला भी . केवल इसलिए की मैंने उन्देर्ग्रमेंट्स नहीं पहना। मैंने भी सिचुएशन को हॉट बनाते हुवे उस गंदे ऑटो वाले के सामने अपनी बड़ी बड़ी चूची निकल कर बोली) भैया मेरे पास केवल बीस रूपए हे है.
ऑटो वाला - कोई बात नहीं बीबी जी वैसे तो सत्तर रूपए होते हैं वहां तक के लेकिन आप बीस हे दे दीजियेगा।
रूपा - (वाह क्या बात है )
मैं ऑटो में अन्दर बैठ गई और वो ऑटो ड्राईवर सामने के शीशे में मुझे घूरते हुवे ऑटो चलाने लगा. ऑटो में मेरी चूचियां बहुत उछल रही थी. जितनी बार कोई गड्ढा आता मेरी बड़ी बड़ी चूची उछल कर सूट से बाहर निकल जाति. ऑटो वाले ने सीशा थोडा नीचे किया ताकि वो मेरी उछलती चुचियों को अछे से देख सके. बेशक उसका लुंड उफान मार रहा था वो एक हाथ से ऑटो चलता और दुसरे हाथ से अपने लंड को पैंट के ऊपर से हे दबा देता।
शाम का वक़्त हो चला था, घने बादल घिर आये थे जिससे काफी अँधेरा हो गया था
रूपा - भैया जल्दी चलो बारिश होने वाली है.
ऑटो वाला - जी बीबी जी
ऑटो वाला जितनी हे तेज़ गाडी चलता मेरी चूची उतने हे जोर से उछलती, मैं कई बार एक हाथ से अपनी चूची पकड़ लेती ताकि वो कम हिले। लेकिन ऑटो वाले ने मुझे ऐसा करता देख लिया था. वो मुस्कुराते हुवे अपने लंड को मसल देता। एक सुन्स्सान जगह पे मैंने देखा की वो अपना बायाँ हाथ जोर से हिला रहा था. मैं ऑटो में थोड़ा आगे की तरफ झुकी तो देखा की वो अपने पेंट का जिप खोले हुवे अपना पूरा हाथ अन्दर डाल लंड को हिला रहा है. मैं ये देख के सन्न रह गई, वो गन्दा सा आदमी इतना बेशर्म हो जायेगा। उफ्फ्।।।।
एक सुरंग के पास से जब हमारी ऑटो गुजर रही थी तभी. वो जोर से मुट्ठ मारने लगा, मुझे पक्का यकीन था की उसने इस बार लंड को पेंट से बाहर निकाल लिया है. मैं उसका लैंड देखना चाहती थि. लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुइ। हिलते हुवे उसने शायद अपना मुट्ट निकाल लिया था, और वो अब मुझे शीशे में स्माइल दे रहा था.
सुरंग के बाद ही मेरा घर था. मैं ऑटो से उतरी तो मैने सबसे पहले उस ऑटो वाले के पैंट की तरफ देखा। उसने लंड तो अन्दर डाल लिया था लेकिन जिप खुली होने के कारण मैं उसका मोटा काला लंड देख पा रही थी. इतना बड़ा काला लंड देख मेरी साँसे तेज़ हो गई. मैं उसे पैसे देने लगी तो उसने अपने मुटठ से सने हाथ से हे पैसा लिया और मेरे हाथ पे उसका गाढ़ा सफ़ेद मुटठ लगा गया था. वो मुझे गन्दी नज़र से देख रहा था
मैं झट से वहां से भाग आयी. कमरे में आते हे बिस्तर पे लेट गई और अपने हाथ को सूंघी तो उसमे उसके लंड की गँध थी. मैं सोच में पड़ गई की आज क्या क्या हुवा। एक अधेड़ ने अपना मुटठ निकाला और अभी अभी एक ऑटो वाले ने. ये मैं क्या कर रही थी डेल्ही आ कर. क्या मैं ये करने आई थी. लेकिन फिर भी ये सब मुझे बहुत रोमांचित कर रही थी. मैं अभी भी, उस ऑटो वाले का वीर्य सूंघ रही थी. ना जाने कब मेरा दूसरा हाथ मेरी सलवार के ऊपर चल गया, मैं अपनी चूत सहला रही थी. मुझे तो पहले यकीन नहीं हुवा लेकिन जब मैंने गौर से देखा तो मेरी सलवार पूरी तरह से मेरी चूत की पानी से गीली हो गई थी. आज से पहले कभी भी मेरी चूत से इतना पानी नहीं निकला था. मैं अपना एक हाथ सलवार के अन्दर डाल अपनी गीली बूर मसल रही थी. ओह.…… ये मुझे क्या हो रहा है.
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी
मेरी कहानी--1
हेलो फ्रेंड्स,
मैं यहाँ पर ढेरो कहानियाँ पढ़ी जो मुझे बहुत अच्छी लगती हैं मैंने सोचा की क्यों ना मैं अपनी कहानी भी आप सब के साथ शेयर करूँ। मुझे सेक्सुअल कहानीयां पढना बहुत हे अच्छा लगता है. मैं एक लेखिका तो नहीं हूँ लेकिन मैं उम्मीद करती हूँ की आप लोग मेरी कहानी को पसंद करेंगे और मुझे कहानी लिखने के लिए प्रेरित करेङ्गे. प्लीज मुझे अपनी राय जरूर बताएं।
अब मैं अपनी कहानी की शुरुवात करती हूँ
मेरा नाम रूपा है, मैं ३२ साल की हूँ. मेरा जन्म डेल्ही के नजदीक एक छोटे से गाँव किशनगढ़ में हुवा था. मेरा पापा की एक छोटी सी दूकान थी. मैं जब जवान हुई तो मुझे शहर के चकाचौंध बहुत आकर्षित करती थीं. मुझे जीन्स स्कर्ट पहनने का बहुत मन होता था. मैं किसी एक्ट्रेस की तरह सवरना चाहती थी. मेरा अन्दर जवानी कूट कूट के भरी थी, उस वक़्त मेरी फिगर 34 30 39 हुवा करती थी, मेरी बड़ी बड़ी चूचियां किसी भी मर्द का मन मोह सकती थी, और मेरे बड़े बड़े मटकते कुल्हे किस्सी का भी लंड खड़ा कर सकते थे. मुझे मर्दों को रिझाना बहुत पसंद होता था. कॉलेज के दिनों में तो लडके मेरी टाइट कपडे में मेरी कसी चूचियां देख पागल हो जाते थे.
मैं गाँव में सेक्सी कपडे तो नहीं पहेन पाती लेकिन लड़के मुझे पुरे कपडे में देख कर भी कामुक हो उठते थे.
कॉलेज के आगे की पढाई करने के लिए मुझे शहर जाना बहुत जरुरी था. एक दिन मैं उचित समय देख कर पापा से रिक्वेस्ट की.
रूपा - पापा मुझे आगे एमबीए की पढाई करनी है, मेरी बहुत सारी सहेलियां भी डेल्ही पढाई के लिए जा रही हैन. मुझे प्लीज जाने के इजाज़त दे दीजिये
पापा - बेटी तुम जितना पढ़ना चाहो पढो मैं तुम्हारे साथ हूँ. लेकिन बेटी मुझे तुम्हारी शादी भी तो करनि है.
मम्मी - हाँ रूपा, तुझे पढाई छोड़ अब शादी कर लेनी चाहिए। अब बस भी कर पढ़ाई
रूपा - नहीं माँ, मुझे आगे पढ़ाई करनी है प्लीज।।।।।।
पापा - ठीक है बेटी
आखिरकार, मैं अपने पापा मम्मी को राजी कर डेल्ही आ गई।
डेल्ही में मैं अपनी एक सहेली की मदद से मुझे किराए का एक मकान मिल गया. फिर मैं वहीँ पढ़ाई करने लगी, दिन बीतते गए. और मैं पढ़ाई करने लगी, कॉलेज का फीस बहुत ज्यादा था और मेरे पापा इतने सक्छम नहीं थे की वो फीस पे कर पाते, तो मैंने स्कोल्लेरशिप के लिए अप्लाई की. लेकिन मेरी किस्मत ख़राब एस्कोल्लेर्शिप में मेरा नाम नहीं आया मैं बहुत दुखी हो गई थी, मुझे समझ में नहीं आ रहा था की मैं अपनी फीस कैसे मैनेज करुँगी।
आखिरकार मैंने हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट से बात करने की सोचि. अगले दिन सुबही १० बजे मैं एक येलो सलवार पहेन कर कॉलेज पहुची वहां मैं हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट गिरिराज से मिली।
रूपा - क्या मैं अन्दर आ सकती हूँ
गिरिराज - एस कमिन
रूपा - सर मैं रूपा, मैंने एस्कोलेर्शिप की लिए अप्लाई की थे लेकिन मेरा नाम लिस्ट में नहीं आया
गिरिराज - तो मैं क्या कर सकता हूँ. तुम मेरे पास क्यों आई हो
रूपा - सर प्लीज मेरे पापा बहुत गरीब हैं कॉलेज की फीस नहीं भर सकते, प्लीज मेरी हेल्प कीजिये
इसी बीच गिरिराज की नज़र कई बार मेरी छातियों पे गई. वो मुझे आँखे गडाए मेरे उभार को देख रहे थे
गिरिराज - लुक रूपा आई कांट हेल्प यू. तुम अगर हेल्प चाहती हो तो डिपार्टमेंट के नए हेड दिनकर जी से मिलो शायद वो तुम्हारी मदद कर पाए.
मैं उन्हें शुक्रिया बोल कर कमरे से बहार निकल पायी, बहार निकल कर मैं सोचती रही किया क्या गिरिराज वाकई मेरी चुचियों को देख रहे थे. खैर मैं वहां से निकल कर सीधा दिनकर जी के रूम में उनसे मिलने पहुच गई. अन्दर कमरे में दिनकर जी बैठे थे उनकी उम्र करीब ६० साल की होगी
रूपा - सर मेरा नाम रूपा है. मुझे आपसे कुछ बात करनी है मुझे गिरिराज जी ने भेजा है
दिनकर जी मुझे ऊपर से नीचे तक घूरते हुवे बोले
दिनकर - हाँ बोलो रूपा बेटी
रूपा - जी वो मैंने एस्कोलेर्शिप के लिए अप्लाई किया था लेकिन मेरा नाम लिस्ट में नहीं आया मुझे बहुत जरुरत है प्लीज मेरी मदद कीजिये
दिनकर - देखो बेटी लिस्ट निकल चुकी है और मैं दो दिन में वेटिंग लिस्ट भी निकालने वाला हूँ मैं कुछ नहीं कर सकता
रूपा - प्लीज सर प्लीज मैं आपसे हाथ जोड़ के रिक्वेस्ट करती हूँ प्लीज कुछ करिये. मैं इसके बदले में कुछ भी कर सकती हूँ प्लीज सर
दिनकर जी ने मुझे एक गिलास पानी दिया और कुर्सी पे बैठने के लिए कहा, वो मुझे बड़ी अजीब नज़रों से घूर रहे थे. वो मेरी चुचियों और मेरी कमर की तरफ देखते रह रहे थे. मेरी चूची का ऊपर का हिस्सा सूट से बहार नज़र आ रहा था, उससे देखते हुवे वो अपना लंड मेरे सामने एडजस्ट करते हुवे मेरे सामने बैठ गए
दिनकर - तुम क्या कर सकती हो मेरे लिए बेटी?
रूपा - जी मैं.… जो भी आप कहे बस मेरा नाम लिस्ट में ले लीजिये प्लीज। ये देखिये मेरी पढाई की मार्कशीट
(मैंने झुक कर उन्हें मार्कशीट दिया तो मेरा दुपट्टा गिर गया और उनको मेरे उभार के दर्शन हो गये. वो मेरी खुली चूची देख अपने लंड को हाथो से दबा कर मेरी तरफ हवस की नज़रों से देख रहे थे. मेरे मन में एक प्लान आया क्यों न मैं इन्हे अपनी जवानी का मजा लूटने दूं और अपना काम भी निकाल लूं )
दिनकर - बेटी मैं कोशिश करूँगा अगर मुझसे कुछ हो सका तो जरूर मदद करूँगा तुम्हारी
रूपा - थैंक यू सर
मैं खुश हो गई, लेकिन मैं अपने लिस्ट में नाम पक्का करना चाहती थी इसलिए मैंने एक प्लान बनाया
रूपा - सर क्या मैं आपका बाथरूम यूज़ कर सकती हूँ प्लीज
दिनकर - हाँ क्यों नहीं बेटी
मैं तुरंत बाथरूम आ गई और अन्दर आते ही मैंने सूट के अन्दर हाथ डाल और अपनी ब्रा खोल के बहार निकल लिया, उसके बाद सलवार का नाडा खोल अपनी पैंटी भी निकाल दी अब मैं केवल सूट और सलवार में बिना ब्रा और चड्ढी के कड़ी थि.
मैंने ब्रा और पैंटी निकाल कर पर्स में रख लिया और बहार आ गई. बहार आते हुवे बिना ब्रा के मेरी चूचियां काफी हिल रही थी. मैं उनके सामने आई और शुक्रिया अदा की. वो मेरे बिलकुल सामने खड़े थे.
रूपा - सर मैं आपका अहसान कभी नहीं भूलूंगी, आप मेरे पापा सामान हैं
कहते हुवे मैं झुक कर उनके पैर पड़ने लगी, मेरी चूची काफी बहार आ गई थी, जिससे देख कर दिनकर का लंड खड़ा हो गया. वो मेरी बाह पकड़ के खड़ा किये और मेरी चूची के उभार को घूरते हुवे बोले. बेटी इसमे अहसान के क्या बात है, तुम भी तो मेरी बेटी जैसी हो. कहते हुवे उन्होंने मुझे गले से लगा लिया। मैं समझ गई की अब मेरा एस्कोल्लेर्शिप मिलना तै है.
मैं भी आगे बढ़ कर उनके सीने में अपनी खुली चूची गडा दि. और उनसे कस के लिपट गई. उनकी हवस बढती जा रही थी वो मेरी नंगी पीठ पे हाथ फेर रहे थे. दुसरे हाथ से वो मेरी नंगी गांड को सलवार के ऊपर से महसूस कर रहे थे. मैंने उन्हें और उत्तेजित करने के लिए अपनी कमर के हिस्से को आगे ला कर उनके लुंड पे अपनी मोटी चूत रगड़ दी. इतना होते ही वो कांपने लगे और मुझे कस के पकड़ के मेरे शरीर पे अपना भार रख दिए. उनकी साँसे फूल रही थी, और तभी मैंने अपनी सलवार पे कुछ गिला सा महसूस किया। ओह माय गॉड, क्या ये दिनकर जी का वीर्य निकल गया है.? मैं पीछे हटी तो उनकी पैंट पे गीलापन था
दिनकर - ओके बेटी तुम क्लास जाओ मैं तुम्हारा लिस्ट में नाम डाल दूंगा
दिनकर जी अपनी हालत छुपाते हुवे कुर्सी पे बैठ गए
मैं जब कमरे से बहार आई तो मैंने अपनि सलवार की ऊपर से उँगलियों से सफ़ॆद पानी पोछा। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की एक अधेड़ आदमी मुझसे लिपट के अपना वीर्य निकाल देगा। क्या मैं इतनी हॉट थि. मैं ख़ुशी ख़ुशी अपने घर के तरफ बढ़ गई.
दिनकर - ओके बेटी तुम क्लास जाओ मैं तुम्हारा लिस्ट में नाम डाल दूंगा
दिनकर जी अपनी हालत छुपाते हुवे कुर्सी पे बैठ गए
मैं जब कमरे से बहार आई तो मैंने अपनि सलवार की ऊपर से उँगलियों से सफ़ॆद पानी पोछा। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की एक अधेड़ आदमी मुझसे लिपट के अपना वीर्य निकाल देगा। क्या मैं इतनी हॉट थि. मैं ख़ुशी ख़ुशी अपने घर के तरफ बढ़ गई.
______________________________________________________________
बाहर मैंने ऑटो वाले को रोका , कॉलेज के सभी स्टूडेंट मेरे बिना ब्रा की सूट में उछलते चूची को देख रहे थे.
रूपा - भैया हरिनगर चलोगे?
ऑटो वाला - जी बीबी जी, चलूँगा
रूपा - कितना लोगे?
ऑटो वाला - (मेरी चूची को घूरते हुवे, मुस्कुरा कर ) आप जितना दे दें बीबी जी
रूपा - (मैं मन में सोच रही थी आज सारी दुनिया मेरे पीछे कितनी पागल है रिक्शा वाला भी . केवल इसलिए की मैंने उन्देर्ग्रमेंट्स नहीं पहना। मैंने भी सिचुएशन को हॉट बनाते हुवे उस गंदे ऑटो वाले के सामने अपनी बड़ी बड़ी चूची निकल कर बोली) भैया मेरे पास केवल बीस रूपए हे है.
ऑटो वाला - कोई बात नहीं बीबी जी वैसे तो सत्तर रूपए होते हैं वहां तक के लेकिन आप बीस हे दे दीजियेगा।
रूपा - (वाह क्या बात है )
मैं ऑटो में अन्दर बैठ गई और वो ऑटो ड्राईवर सामने के शीशे में मुझे घूरते हुवे ऑटो चलाने लगा. ऑटो में मेरी चूचियां बहुत उछल रही थी. जितनी बार कोई गड्ढा आता मेरी बड़ी बड़ी चूची उछल कर सूट से बाहर निकल जाति. ऑटो वाले ने सीशा थोडा नीचे किया ताकि वो मेरी उछलती चुचियों को अछे से देख सके. बेशक उसका लुंड उफान मार रहा था वो एक हाथ से ऑटो चलता और दुसरे हाथ से अपने लंड को पैंट के ऊपर से हे दबा देता।
शाम का वक़्त हो चला था, घने बादल घिर आये थे जिससे काफी अँधेरा हो गया था
रूपा - भैया जल्दी चलो बारिश होने वाली है.
ऑटो वाला - जी बीबी जी
ऑटो वाला जितनी हे तेज़ गाडी चलता मेरी चूची उतने हे जोर से उछलती, मैं कई बार एक हाथ से अपनी चूची पकड़ लेती ताकि वो कम हिले। लेकिन ऑटो वाले ने मुझे ऐसा करता देख लिया था. वो मुस्कुराते हुवे अपने लंड को मसल देता। एक सुन्स्सान जगह पे मैंने देखा की वो अपना बायाँ हाथ जोर से हिला रहा था. मैं ऑटो में थोड़ा आगे की तरफ झुकी तो देखा की वो अपने पेंट का जिप खोले हुवे अपना पूरा हाथ अन्दर डाल लंड को हिला रहा है. मैं ये देख के सन्न रह गई, वो गन्दा सा आदमी इतना बेशर्म हो जायेगा। उफ्फ्।।।।
एक सुरंग के पास से जब हमारी ऑटो गुजर रही थी तभी. वो जोर से मुट्ठ मारने लगा, मुझे पक्का यकीन था की उसने इस बार लंड को पेंट से बाहर निकाल लिया है. मैं उसका लैंड देखना चाहती थि. लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुइ। हिलते हुवे उसने शायद अपना मुट्ट निकाल लिया था, और वो अब मुझे शीशे में स्माइल दे रहा था.
सुरंग के बाद ही मेरा घर था. मैं ऑटो से उतरी तो मैने सबसे पहले उस ऑटो वाले के पैंट की तरफ देखा। उसने लंड तो अन्दर डाल लिया था लेकिन जिप खुली होने के कारण मैं उसका मोटा काला लंड देख पा रही थी. इतना बड़ा काला लंड देख मेरी साँसे तेज़ हो गई. मैं उसे पैसे देने लगी तो उसने अपने मुटठ से सने हाथ से हे पैसा लिया और मेरे हाथ पे उसका गाढ़ा सफ़ेद मुटठ लगा गया था. वो मुझे गन्दी नज़र से देख रहा था
मैं झट से वहां से भाग आयी. कमरे में आते हे बिस्तर पे लेट गई और अपने हाथ को सूंघी तो उसमे उसके लंड की गँध थी. मैं सोच में पड़ गई की आज क्या क्या हुवा। एक अधेड़ ने अपना मुटठ निकाला और अभी अभी एक ऑटो वाले ने. ये मैं क्या कर रही थी डेल्ही आ कर. क्या मैं ये करने आई थी. लेकिन फिर भी ये सब मुझे बहुत रोमांचित कर रही थी. मैं अभी भी, उस ऑटो वाले का वीर्य सूंघ रही थी. ना जाने कब मेरा दूसरा हाथ मेरी सलवार के ऊपर चल गया, मैं अपनी चूत सहला रही थी. मुझे तो पहले यकीन नहीं हुवा लेकिन जब मैंने गौर से देखा तो मेरी सलवार पूरी तरह से मेरी चूत की पानी से गीली हो गई थी. आज से पहले कभी भी मेरी चूत से इतना पानी नहीं निकला था. मैं अपना एक हाथ सलवार के अन्दर डाल अपनी गीली बूर मसल रही थी. ओह.…… ये मुझे क्या हो रहा है.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
No comments:
Post a Comment