FUN-MAZA-MASTI
मेरी कहानी--3
दिनकर - तो क्या हो गया बेटी, ऐसे हे सो जाओ. भला तुम्हे मुझसे शर्माने के क्या जरुरत। मेरी बेटी भी तो कई बार मेरे साथ बिना पैंटी के सोई है
रूपा - क्या सच में अंकल? आपकी बेटी को शर्म नहीं आती ?
दिनकर - बेटी मैं तो काफी खुले विचारों का हूँ, एक बार जब मैं शहर से बहार था और अचानक से घर आया तो देखा की वो घर में पड़ोस के एक लड़के के साथ सेक्स कर रही है )
मैं दरवाजे के पास छुप कर उससे चुदते हुवे देख रहा था. जब वो लड़का चला गया तो मैं अपनी बेटी के पास गया और उससे लड़के के बारे में पूछा। उसने बताया की वो उसका बॉयफ्रेंड है और वो कई बार सेक्स कर चुके हें. मैंने अपनी बेटी से पूछा की क्या वो दोनों कंडोम use करते हैं. तब मुझे पता चल मैंने उसे समझाया की सेक्स बिना कंडोम के नहीं करे.
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रूपा - आप तो काफि खुले विचार के हैं अंकल
दिनकर - रूपा , एक जवान लड़की का पिता होने के नाते ये मेरा फ़र्ज़ है की मैं अपनी बेटी को अच्छी सेक्स एजुकेशन दूँ
रूपा - (मैं बिस्तर पे लेटी सलवार के ऊपर से अपना बुर दबाते हुवे बोली) अंकल एक बात पूछूँ
दिनकर - हाँ पूछो रूपा
रूपा - जब आप कमरे में आये तो क्या आपकी बेटी चुद रही थी या चुदने वाली थी
(मैं जानबूझ कर अब उनसे खुलकर चुदाई शब्द का use कर रही थी)
दिनकर - जब मैं कमरे में दाखिल हुवा तब वो दोनों सोफे पे थे
रूपा - क्या कर रहे थे वो लोग
दिनकर - मैंने देखा की वो पड़ोस का लड़का नीचे फर्श पे घुटने के बल बैठा है और मेरी बेटी सोफे पे लेटे हुई है. जब मैंने गौर से देखा तो पाया की वो मेरी बेटी की बुर चाट रहा था
रूपा - (मैं ये सब सुनकर बहुत मस्ती में आ गई थी) अंकल तो इसका मतलब है आपने अपनी बेटी की नंगी बुर भी देखि
दिनकर - हाँ रूपा
रूपा - तो आपको कैसा लगा. क्या आपका मन नहीं हुवा सेक्स का ?
दिनकर - रूपा मन तो बहुत हुवा लेकिन मैं क्या कर सकता था वो मेरी बेटी थी
रूपा - अगर आज इस बिस्तर पे मेरी जगह आपकी बेटी होती तो आप क्या करते अंकल?
दिनकर - (मेरे पास आते हुवे) मैंने कहा ना वो मेरी बेटी है और मैं उसका पिता भला कोई बाप अपनी बेटी के साथ कैसे सेक्स कर सकता है
रूपा - अगर आपकी बेटी यहाँ बिस्तर पे लेटी आपकी सामने अपने सलवार का नाड़ा खोल दे तब भी नहीं ?(मैंने धीरे से अपनी सलवार की डोर खोल दी)
दिनकर - ओह रूपा ये तुम क्या कर रही हो
रूपा - बोलिए न अंकल (इस बार मैंने सलवार को नीचे कर दिया, जिससे मेरी चूत के बाल नज़र आने लगे)
मैं देखना चाहती हूँ की आखिर आप कबतक अपने आप को रोक पाते हैं
दिनकर - नहीं रूपा ऐसा नहीं है. मैं कभी सपने में भी अपनी बेटी के साथ सेक्स करने की नहीं सोच सकता
रूपा - अगर ऐसी बात है तो आपका लुंगी में लंड क्यों खड़ा है , मैंने झट से हाथ आगे बढाकर उनके लुंगी के अन्दर से उनका ख़डा लंड पकड़ लिया। वो आह आह करने लगे. मैं उनके गरम लंड को सहलाने लगी. वो बिस्तर पे आ गए और घुटने के बल बैठे अपनी लुंगी निकाल के फेंक दिया। उनका पूरा नंगा लंड मेरी आँखों के सामने था. मेरी गरम साँसे लंड से टकराने लेगी थी
दिनकर - रूपा वो तो तुम्हे देख कर हो गया है. आह रूपा तुम कितनी सुन्दर हो
रूपा - आप झूठ बोल रहे है. आपका लंड तो तभी खड़ा हो गया था जब मैंने आपकी बेटी की पैंटी सूंघने के लिए कहा था
दिनकर - नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है. लेकिन तुम मेरी बेटी के बारे में इतना क्यों पूछ रही हो
रूपा - मैं कुछ पता करना चाहती हूँ अंकल
दिनकर - क्या पता लगान चाहती हो
रूपा - मैं देखना चाहती हूँ की क्या सेक्स रिश्ते के अहमियत को समझता है ? दरसल आज सुबह कुछ ऐसा हुवा जिससे में उत्तेजित हो गई थी और घर पहुच कर अपने बुर में ऊँगली करने लगी तभी पापा की कॉल आ गई और उनसे बात करते हुवे भी मैंने ऊँगली की मैं समझ नहीं पा रही की क्या मेरा ऐसा करना जायज है?
दिनकर - हाँ बिलकुल समाझता है, अगर ऐसा नहीं होता तो मैं अपनी बेटी के साथ कबका सेक्स कर चूका होता। खून का रिश्ता सेक्स से बढ़कर नहीं होता
रूपा - क्या कभी नहीं?
दिनकर - हाँ कभी नहीं किसी कीमत पे नहीं
रूपा - लेकिन फिर भी मैं आजमाना चाहती हूँ
दिनकर - वो कैसे?
रूपा - अगर मैं कहूँ की मैं आपकी अपनी बेटी हूँ तो क्या आप मेरे साथ कुछ नहीं करेंगे?
दिनकर - ऐसा मत कहो प्लीज।
रूपा - (मैं जोर से उनका लंड हिलाने लगी और उनके लंड के एकदम करीब आ गई ) बोलिए अंकल अगर मैं आपको पापा कहूँ तो क्या आप मेरे साथ कुछ नहीं करेंगे?
दिनकर - ये कैसा मजाक है रूपा ?
रूपा - मजाक नहीं सच, मैंने कहां ना मुझे पता लगाना है. आपकी बेटी का नाम क्या है?
दिनकर - सुमित्रा
रूपा - तो फिर समझ लीजिये मैं आपकी सुमित्रा बेटी हूँ और आपका लंड पकड़ के हिला रही हूँ पापा
दिनकर अंकल ने अपना लंड पीछे खीच लिया. नहीं रूपा, मैं तुम्हे अपनी बेटी बना कर तुमसे सेक्स नहीं कर सकता। देखो मेरा लंड भी ढीला पद रहा है.
रूपा - क्या आप मुझे चोदना चाहते है?
दिनकर - हाँ रूपा
रूपा - तो फिर पापा आपको मेरी चूत तभी मिलेगी जब आप मुझे अपनी सुमित्रा बेटी कह के पेलेंगे
दिनकर - नहीं बेटी मुझे माफ़ करो मैं ऐसा नहीं कर सकता (दिनकर अंकल वहां से उत्त कर जाने लगे)
मैंने अपनी सलवार खोल के उनके मुह पे फेंक दिया। और ऊपर कुर्ती भी उतार कर पूरी नंगी हो गई. मेरी दोनों चूची नंगी हो गई थि. दिनकर अंकल पीछे मुड के बोले रूपा ये तुम क्या कर रही हो मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा
रूपा - तो फिर आ जाइये अपनी सुमित्रा बेटी के पास आइये.
दिनकर - नहीं
मैं बिस्तर से उतर कर अंकल के सामने घुटने के बल बैठ के उनका लंड फिर से पकड़ लिया और बोली
रूपा - अच्छा अंकल क्या किसी जवान लड़की ने आपका लंड चूसा है?
दिनकर - नहीं
रूपा - मैंने तुरंत उनके लंड का स्किन नीचे खीचा और लंड के सुपाडे को अपने मुह में ले ली और उनके लंड को कस कस के चूसने लगी
दिनकर - आह आह आह रुपा…. चुसो मेरा लंड मेरी जान बहुत मजा आ रहा है
रूपा - मैं रुक कर बोली, जान नहीं सुमित्रा बेटी बोलिए पापा
दिनकर - नहीं बेटी, प्लीज
रूपा - मैंने लंड को मुह से बाहर निकाल दिया, ठीक है तो मैं नहीं चूसती आपका लंड
(मैं फर्श पे बैठ गई और अपनी चूत में ऊँगली डाल उनकी तरफ मस्ती से देखने लगी )
दिनकर - चुसो न रूपा बहुत मजा आ रहा था
रूपा - पहले मुझे सुमित्रा बेटी कहिये
दिनकर - नहीं मैं ऐसा नहीं कह सकता
रूपा - ठीक है तो मैं भी नहीं चुसुंगी आपका लंड
दिनकर - ओह रूपा, ये कैसी जिद्द है आखिर तुम मुझसे क्यों पाप करा रही हो
रूपा - मैंने कहा न मुझे पता लगाना है की सेक्स में कोई रिश्ते की अहमियत है या नहीं
दिनकर - क्या चाहती हो तुम?
रूपा - मुझे एक बार अपनी सुमित्रा बेटी कह के पुकारिए
दिनकर - ठीक है बेटी मुझसे बर्दाश्त नहीं होता। आओ मेरी सुमित्रा बेटी आप अपने पापा का लंड चुसो।
रूपा - ये हुई न बात पापा। (कहेते हुवे मैं उनका लंड मुह में ले कर जोर जोर से चूसने लगी )
अब बोलिए अंकल। क्या आप अपनी बेटी के मुह में अपने लंड का सफ़ेद माल गिराएंगे बोलिए
दीनकर - हाँ सुमित्रा, तेरे मुह में अपने लंड का गरम पानी निकालूँगा।। आह बेटी। आह
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मेरी कहानी--3
दिनकर - तो क्या हो गया बेटी, ऐसे हे सो जाओ. भला तुम्हे मुझसे शर्माने के क्या जरुरत। मेरी बेटी भी तो कई बार मेरे साथ बिना पैंटी के सोई है
रूपा - क्या सच में अंकल? आपकी बेटी को शर्म नहीं आती ?
दिनकर - बेटी मैं तो काफी खुले विचारों का हूँ, एक बार जब मैं शहर से बहार था और अचानक से घर आया तो देखा की वो घर में पड़ोस के एक लड़के के साथ सेक्स कर रही है )
मैं दरवाजे के पास छुप कर उससे चुदते हुवे देख रहा था. जब वो लड़का चला गया तो मैं अपनी बेटी के पास गया और उससे लड़के के बारे में पूछा। उसने बताया की वो उसका बॉयफ्रेंड है और वो कई बार सेक्स कर चुके हें. मैंने अपनी बेटी से पूछा की क्या वो दोनों कंडोम use करते हैं. तब मुझे पता चल मैंने उसे समझाया की सेक्स बिना कंडोम के नहीं करे.
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रूपा - आप तो काफि खुले विचार के हैं अंकल
दिनकर - रूपा , एक जवान लड़की का पिता होने के नाते ये मेरा फ़र्ज़ है की मैं अपनी बेटी को अच्छी सेक्स एजुकेशन दूँ
रूपा - (मैं बिस्तर पे लेटी सलवार के ऊपर से अपना बुर दबाते हुवे बोली) अंकल एक बात पूछूँ
दिनकर - हाँ पूछो रूपा
रूपा - जब आप कमरे में आये तो क्या आपकी बेटी चुद रही थी या चुदने वाली थी
(मैं जानबूझ कर अब उनसे खुलकर चुदाई शब्द का use कर रही थी)
दिनकर - जब मैं कमरे में दाखिल हुवा तब वो दोनों सोफे पे थे
रूपा - क्या कर रहे थे वो लोग
दिनकर - मैंने देखा की वो पड़ोस का लड़का नीचे फर्श पे घुटने के बल बैठा है और मेरी बेटी सोफे पे लेटे हुई है. जब मैंने गौर से देखा तो पाया की वो मेरी बेटी की बुर चाट रहा था
रूपा - (मैं ये सब सुनकर बहुत मस्ती में आ गई थी) अंकल तो इसका मतलब है आपने अपनी बेटी की नंगी बुर भी देखि
दिनकर - हाँ रूपा
रूपा - तो आपको कैसा लगा. क्या आपका मन नहीं हुवा सेक्स का ?
दिनकर - रूपा मन तो बहुत हुवा लेकिन मैं क्या कर सकता था वो मेरी बेटी थी
रूपा - अगर आज इस बिस्तर पे मेरी जगह आपकी बेटी होती तो आप क्या करते अंकल?
दिनकर - (मेरे पास आते हुवे) मैंने कहा ना वो मेरी बेटी है और मैं उसका पिता भला कोई बाप अपनी बेटी के साथ कैसे सेक्स कर सकता है
रूपा - अगर आपकी बेटी यहाँ बिस्तर पे लेटी आपकी सामने अपने सलवार का नाड़ा खोल दे तब भी नहीं ?(मैंने धीरे से अपनी सलवार की डोर खोल दी)
दिनकर - ओह रूपा ये तुम क्या कर रही हो
रूपा - बोलिए न अंकल (इस बार मैंने सलवार को नीचे कर दिया, जिससे मेरी चूत के बाल नज़र आने लगे)
मैं देखना चाहती हूँ की आखिर आप कबतक अपने आप को रोक पाते हैं
दिनकर - नहीं रूपा ऐसा नहीं है. मैं कभी सपने में भी अपनी बेटी के साथ सेक्स करने की नहीं सोच सकता
रूपा - अगर ऐसी बात है तो आपका लुंगी में लंड क्यों खड़ा है , मैंने झट से हाथ आगे बढाकर उनके लुंगी के अन्दर से उनका ख़डा लंड पकड़ लिया। वो आह आह करने लगे. मैं उनके गरम लंड को सहलाने लगी. वो बिस्तर पे आ गए और घुटने के बल बैठे अपनी लुंगी निकाल के फेंक दिया। उनका पूरा नंगा लंड मेरी आँखों के सामने था. मेरी गरम साँसे लंड से टकराने लेगी थी
दिनकर - रूपा वो तो तुम्हे देख कर हो गया है. आह रूपा तुम कितनी सुन्दर हो
रूपा - आप झूठ बोल रहे है. आपका लंड तो तभी खड़ा हो गया था जब मैंने आपकी बेटी की पैंटी सूंघने के लिए कहा था
दिनकर - नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है. लेकिन तुम मेरी बेटी के बारे में इतना क्यों पूछ रही हो
रूपा - मैं कुछ पता करना चाहती हूँ अंकल
दिनकर - क्या पता लगान चाहती हो
रूपा - मैं देखना चाहती हूँ की क्या सेक्स रिश्ते के अहमियत को समझता है ? दरसल आज सुबह कुछ ऐसा हुवा जिससे में उत्तेजित हो गई थी और घर पहुच कर अपने बुर में ऊँगली करने लगी तभी पापा की कॉल आ गई और उनसे बात करते हुवे भी मैंने ऊँगली की मैं समझ नहीं पा रही की क्या मेरा ऐसा करना जायज है?
दिनकर - हाँ बिलकुल समाझता है, अगर ऐसा नहीं होता तो मैं अपनी बेटी के साथ कबका सेक्स कर चूका होता। खून का रिश्ता सेक्स से बढ़कर नहीं होता
रूपा - क्या कभी नहीं?
दिनकर - हाँ कभी नहीं किसी कीमत पे नहीं
रूपा - लेकिन फिर भी मैं आजमाना चाहती हूँ
दिनकर - वो कैसे?
रूपा - अगर मैं कहूँ की मैं आपकी अपनी बेटी हूँ तो क्या आप मेरे साथ कुछ नहीं करेंगे?
दिनकर - ऐसा मत कहो प्लीज।
रूपा - (मैं जोर से उनका लंड हिलाने लगी और उनके लंड के एकदम करीब आ गई ) बोलिए अंकल अगर मैं आपको पापा कहूँ तो क्या आप मेरे साथ कुछ नहीं करेंगे?
दिनकर - ये कैसा मजाक है रूपा ?
रूपा - मजाक नहीं सच, मैंने कहां ना मुझे पता लगाना है. आपकी बेटी का नाम क्या है?
दिनकर - सुमित्रा
रूपा - तो फिर समझ लीजिये मैं आपकी सुमित्रा बेटी हूँ और आपका लंड पकड़ के हिला रही हूँ पापा
दिनकर अंकल ने अपना लंड पीछे खीच लिया. नहीं रूपा, मैं तुम्हे अपनी बेटी बना कर तुमसे सेक्स नहीं कर सकता। देखो मेरा लंड भी ढीला पद रहा है.
रूपा - क्या आप मुझे चोदना चाहते है?
दिनकर - हाँ रूपा
रूपा - तो फिर पापा आपको मेरी चूत तभी मिलेगी जब आप मुझे अपनी सुमित्रा बेटी कह के पेलेंगे
दिनकर - नहीं बेटी मुझे माफ़ करो मैं ऐसा नहीं कर सकता (दिनकर अंकल वहां से उत्त कर जाने लगे)
मैंने अपनी सलवार खोल के उनके मुह पे फेंक दिया। और ऊपर कुर्ती भी उतार कर पूरी नंगी हो गई. मेरी दोनों चूची नंगी हो गई थि. दिनकर अंकल पीछे मुड के बोले रूपा ये तुम क्या कर रही हो मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा
रूपा - तो फिर आ जाइये अपनी सुमित्रा बेटी के पास आइये.
दिनकर - नहीं
मैं बिस्तर से उतर कर अंकल के सामने घुटने के बल बैठ के उनका लंड फिर से पकड़ लिया और बोली
रूपा - अच्छा अंकल क्या किसी जवान लड़की ने आपका लंड चूसा है?
दिनकर - नहीं
रूपा - मैंने तुरंत उनके लंड का स्किन नीचे खीचा और लंड के सुपाडे को अपने मुह में ले ली और उनके लंड को कस कस के चूसने लगी
दिनकर - आह आह आह रुपा…. चुसो मेरा लंड मेरी जान बहुत मजा आ रहा है
रूपा - मैं रुक कर बोली, जान नहीं सुमित्रा बेटी बोलिए पापा
दिनकर - नहीं बेटी, प्लीज
रूपा - मैंने लंड को मुह से बाहर निकाल दिया, ठीक है तो मैं नहीं चूसती आपका लंड
(मैं फर्श पे बैठ गई और अपनी चूत में ऊँगली डाल उनकी तरफ मस्ती से देखने लगी )
दिनकर - चुसो न रूपा बहुत मजा आ रहा था
रूपा - पहले मुझे सुमित्रा बेटी कहिये
दिनकर - नहीं मैं ऐसा नहीं कह सकता
रूपा - ठीक है तो मैं भी नहीं चुसुंगी आपका लंड
दिनकर - ओह रूपा, ये कैसी जिद्द है आखिर तुम मुझसे क्यों पाप करा रही हो
रूपा - मैंने कहा न मुझे पता लगाना है की सेक्स में कोई रिश्ते की अहमियत है या नहीं
दिनकर - क्या चाहती हो तुम?
रूपा - मुझे एक बार अपनी सुमित्रा बेटी कह के पुकारिए
दिनकर - ठीक है बेटी मुझसे बर्दाश्त नहीं होता। आओ मेरी सुमित्रा बेटी आप अपने पापा का लंड चुसो।
रूपा - ये हुई न बात पापा। (कहेते हुवे मैं उनका लंड मुह में ले कर जोर जोर से चूसने लगी )
अब बोलिए अंकल। क्या आप अपनी बेटी के मुह में अपने लंड का सफ़ेद माल गिराएंगे बोलिए
दीनकर - हाँ सुमित्रा, तेरे मुह में अपने लंड का गरम पानी निकालूँगा।। आह बेटी। आह
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