FUN-MAZA-MASTI
राज और अंजलि
राज का मन बार बार रूपल को सोच सोच कर तड़प जाता था। जाने रूपल में क्या ऐसी कशिश थी कि उसका दिल उसकी ओर खिंचा जाता था। साहिल की तकदीर अच्छी थी कि उसे ऐसी रूपमती बीवी मिली थी। आज भी राज का लण्ड उसके बारे में सोच सोच कर तन्ना उठा था। अंजलि राज की पत्नी थी, पर कहते हैं ना दूसरो की चीज़ हमेशा अच्छी लगती है, शायद राज का यही सोचना था। उधर अंजलि भी साहिल पर शायद मरती थी। ऐसा नहीं था था रूपल और साहिल भी राज और अंजलि की तरफ़ आकर्षित नहीं थे, उनका भी यही हाल था।
आज सवेरे भी ऑफ़िस जाने से पहले राज साहिल के घर की ओर मुड़ गया। उसे कोई काम नहीं था, बस उसे रूपल से मिलने की चाह थी। आशा के मुताबिक रूपल घर में ही थी और घर का काम कर रही थी। रूपल ने ज्योंही राज को देखा, उसका दिल खिल उठा। राज किचन में आ गया और बातों बातों में रूपल को हमेशा की तरह छूने लगा।
हमेशा की तरह रुपल ने भी कोई विरोध नहीं किया, बल्कि उसे तो और अच्छा लग रहा था। आज राज ने थोड़ी और हिम्मत की और धीरे से रूपल के गाण्ड के गोलों पर अपना हाथ फ़ेर दिया। रूपल के बदन में सनसनी सी फ़ैल गई। जब राज ने कोई प्रतिक्रिया नहीं देखी तो उसने फिर से नीचे हाथ ले जा कर उसके एक चूतड़ के गोले को दबा दिया। उसके नरम से चूतड़ का स्पर्श राज के मन में बस से गये।
रूपल का बदन कांप सा गया। रास्ता साफ़ था ... वो एक कदम और आगे बढ़ गया और उसकी गाण्ड में अपनी अंगुली दबा दी। रूपल ने भी मामला साफ़ करने की गरज से पहले तो उसकी अंगुली को अपने चूतड़ों के बीच दबा लिया, फिर धीरे से पीछे उसके सीने पर अपना सर रख दिया।
राज का मन बाग बाग हो गया। उसने धीरे से रूपल के उभरे हुये स्तन पर अपना हाथ रख दिया। राज को उसके दिल की धड़कन साफ़ महसूस होने लगी थी। रूपल के स्तन दब गये और वातावरण में एक सिसकारी गूंज गई। राज का लण्ड तन्ना उठा और उसके चूतड़ो की दरार में घुसने को इधर उधर ठोकरें मारने लगा। राज का चेहरा रूपल के चेहरे पर झुक गया और उसके अधर अपने अधरों से दबा दिये। रूपल का चेहरा तमतमा उठा, उस पर ललाई फ़ैल गई।
"राज, अह्ह्ह्ह प्लीज..." रूपल उसके मोहक स्पर्श से थरथरा उठी। उसके कोमल होंठ फ़ड़फ़ड़ाने लगे थे। तभी मोबाईल बज उठा। वो जैसे मदहोशी से जाग गई। शरमा कर वो भाग खड़ी हुई और मोबाईल उठा लिया।
साहिल का फोन था वो एक घण्टे के बाद घर आने वाला था। राज ने रूपल को फिर से दबाने की कोशिश की, पर रूपल ने उसे मना कर दिया।
"देखो साहिल आने वाला है, फिर कभी ..."और वो एक बार फिर शरमा गई।
"बस एक बार ! फिर मैं जाता हूँ..." उसने अपना सर झुका लिया। राज ने उसे खींच कर अपने से चिपका लिया और उसके अधर चूसने लगा। उसके हाथों ने उसकी चूत दबा दी। वो थोड़ा सा कसमसाई और अपने आप को छुड़ा लिया।
अपने होंठों को पोंछती हुई वो मुसकराई।
राज का दिल अब ऑफ़िस जाने को नहीं कर रहा था, सो वह घर की ओर मुड़ गया। रास्ते से उसने मिठाई का डब्बा भी पैक करा लिया था। उसने कार पार्क की और सीढ़ियाँ चढता हुआ अपने फ़्लैट तक आ गया। दरवाजा अन्दर से बन्द था। अन्दर से बातें करने की आवाजें आ रही थी। उत्सुकतावश वो बगल की खिड़की पर गया और एक टूटे हुये शीशे में से उसने झांक कर देखा।
साहिल ने अंजलि को अपनी गोदी में बैठा रखा था और अंजलि बेशर्मी से उसके गले में बाहें डाल कर उसे चूमे जा रही थी। साहिल उसकी चूंचियों को सहला रहा था। राज जलन के मारे भड़क उठा।
उसके हाथों की मुठ्ठियाँ कसने लगी। जैसे तैसे उसने अपने आप को काबू किया और सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आ गया। उसने नीचे जा कर अंजलि को फोन किया।
अंजलि ने बताया कि साहिल भैया भी आये हुये हैं। साहिल ने अपने आपको ठीक किया और जल्दी से जाकर दरवाजा खोल दिया। फिर वापस आकर शरीफ़ों की तरह सोफ़े पर बैठ गया। राज शान्त हो कर अन्दर आ गया।
"लो मिठाई खाओ ... आज बहुत शुभ दिन है...!" राज ने जले हुये अन्दाज से कहा।
"क्या बात है ... हमें भी तो बताओ?" साहिल ने पूछा।
"भई, आज मुझे मेरा एक पुराना साथी मिल गया, बड़ी खुशी हुई मुझे !"
मन में गुस्सा तो भरा था पर उसने साहिल की बीवी रूपल को आज खूब दबाया था, यही मन में तसल्ली थी। अंजलि को भी राज ने साहिल को दबाते हुये देख लिया था, फिर बात बराबर सी हो गई थी। साहिल की बीवी के स्तन, चूतड़ों को मसलने पर उसके पति को मिठाई खिलाना उसके मन को तसल्ली दे रहा था।
दूसरे दिन राज रूपल के फोन पर जल्दी बुलाने से वो उसके यहां फ़टाफ़ट पहुँच गया। राज़ जल्दी से अन्दर लेकर रूपल ने उसे चूम लिया।
"जानती हो कल मैंने साहिल को मिठाई खिलाई !"
"अच्छा, कोई खास बात थी क्या ?"
"तुमसे मजे जो किए थे ... पर एक बात बात कांटे की तरह मुझे तड़पा रही है।"
"धत्त ... ये भी कोई बात हुई... वैसे क्या बात तड़पा रही है?" रूपल ने हंसते हुये कहा।
"बुरा ना मानो तो बताऊं...?"
"मुझे पता है ... पर तुम बताओ...!"
राज ने उसकी तरफ़ आश्चर्य से देखा और कहा,"तुम्हें कुछ नहीं मालूम रूपल ! साहिल अंजलि से लगा हुआ है मैंने कल खुद देखा है।"
"तो क्या हुआ, तुम मेरे से लग जाओ ...वैसे मुझे यह सब पता है।" रूपल ने हंसते हुये कहा।
"क्या कह रही हो? तुमने साहिल को मना नहीं किया?"
रूपल राज के समीप आ गई और उसे मीठी नजरों से देखने लगी।
"कैसे कहती? उसने भी तो मुझे तुमसे मिलने को कह दिया है ना !" रूपल ने सर झुका कर बताया।
" ओह्ह्ह ... तो क्या अंजलि भी जान गई है?" राज का दिल धड़क उठा।
"हां, कल मैंने साहिल को बताया था कि तुमने मुझे कैसे प्यार से दबाया था, उसने आज अंजलि को बता दिया होगा।"
राज ने रूपल को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया और उसे चूमने लगा।
"राज, आज अपन सब मिल कर एक पार्टी रखते है ... और फिर तुम मुझे और साहिल अंजलि को ... बोलो चलेगा ना ?" रूपल ने कुछ संकोच से कहा।
"अंजलि क्या कहेगी...?" राज का लण्ड यह सुन कर खड़ा हो गया। उसे यह सब विश्वस्नीय नहीं लग रहा था। पर ये सब कितना उत्तेजक होगा ... अंजलि अपने पति के सामने चुदेगी और रूपल उसके सामने...।
"यह उसी का सुझाव है, मजा आयेगा, एक बार खुल जायेंगे तो कभी भी आकर मुझे ..."
रूपल वासना में डूबी जा रही थी। राज का लण्ड रूपल को चोदने को बेताब होने लगा था। और अब यह इतनी रोमान्चक बात ... कैसे होगा ये सब ... एक दूसरे के सामने ... शरम नहीं आयेगी ... राज ने अपना सर झटक दिया, उसने सोचा ये औरतें इतनी बेशरम हो सकती है तो फिर मैं तो मर्द हूँ ... काहे की शरम करूँ !!!
उसने रूपल को अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर के पास ले आया।
"बस करो, अभी नहीं, शाम को करना ... बड़ा मजा आयेगा !"
"पर मेरा मन तो तुम्हें पाने को बेताब हो रहा है !"
"देखो कितना मजा आयेगा, जब हम चारों ही शरम टूटेगी, मैं तो शरम के मारे मर ही जाऊंगी, जब अंजलि और साहिल के सामने ... हाय राम !!!"
राज ने उसे बिस्तर के ऊपर ही उसे हवा में छोड़ दिया और वो धम्म से बिस्तर पर आ गिरी। रूपल उठी और राज को वो लगभग धकेलते हुये बाहर ले आई। फिर एक चुम्मा दे कर मुस्करा दी।
"शाम को !"
राज मुस्करा उठा और चला गया।
शाम को ऑफ़िस से सीधा घर पहुंचा। अंजलि ने उसे बहुत प्यार से स्वागत किया। कुछ ही देर में वो चाय और नाश्ता ले आई। अंजलि ने सर झुकाये मुझे तिरछी नजरों से देखा और कहा,"आज शाम को रुपल के यहां पार्टी है ... आठ बजे चलना है !"
राज उठा और अंजलि के पीछे जा कर उसके स्तन दबा दिये। अंजलि ने सर उठा कर उसे देखा और राज ने उसके होंठ चूम लिये।
"तुम बहुत अच्छी हो, थेन्क्स जानू...!"
अंजलि की नजरें झुक गई।
"सॉरी राज, मैंने तुम्हें साहिल के बारे में कुछ नहीं बताया।"
"मैंने देख लिया था ... बताने की क्या जरूरत थी ... आई लव यू डार्लिंग !"
"ओह्ह, मेरे राज, आई लव यू टू... तुम्हें यह सब देख कर गुस्सा नहीं आया?" वो राज से लिपट गई।
"मैं तुमसे बहुत प्यार करता हू, स्वीटी !!! तुम्हें जिससे भी, जैसा भी आनन्द मिले, मेरे दिल को शांति मिलती है ... तुम साहिल से खूब मजे लो, पर मुझे अपने दिल में रखना।" राज भावना में बह कर बोला। अंजलि राज से और चिपक गई। शाम गहरी होते ही दोनों साहिल के घर पहुँच चुके थे। साहिल राज के पास आ कर बैठ गया और उनके शराब के जाम चलने लगे। रूपल और अंजलि भी धीरे धीरे बातें करने लगी थी।
"क्या बातें हो रही है...?" साहिल ने पूछा।
शाम गहरी होते ही दोनों साहिल के घर पहुँच चुके थे। साहिल राज के पास आ कर बैठ गया और उनके शराब के जाम चलने लगे। रूपल और अंजलि भी धीरे धीरे बातें करने लगी थी।
"क्या बातें हो रही है...?" साहिल ने पूछा।
"अकेले अकेले पिये जा रहे हो, पूछ भी नहीं नहीं रहे है।" अंजलि ने शिकायत भरे स्वर में कहा।
"पहले अपने गिफ़्ट कबूल करो, फिर एक एक जाम !"
दोनों खुशी से उछल पड़ी। साहिल ने दो पैकेट राज को दिये। खुद ने भी दो अलग रख दिये।
"अब हमारी गोदी में आ जाओ तो मिलेगा !"
अंजलि उठ कर राज की गोदी में बैठ गई।
"जानू, मेरी गोदी में तो तुम रोज ही बैठती हो , आज साहिल को खुश कर दो !"
अंजलि इठला कर उठी और मुस्कराते हुये तिरछी नजरों से साहिल को देखा, उसका लण्ड खड़ा था। उसने अपनी चूतड़ पीछे उभारी और उसके उभार को देख कर अपने चूतड़ सेट करके धीरे से बैठ गई। रूपल थोड़ा शरमा रही थी, वो बस राज के पास आकर खड़ी हो गई। राज ने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी और अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
"आ जाओ, आपकी गद्दी तैयार है।"
"धत्त, साहिल के सामने ही..." रूपल शर्मा उठी।
"गिफ़्ट नहीं लेना क्या..." राज ने रूपल की साड़ी ऊंची कर दी और उसके नंगे चूतड़ों को अपने कड़क लण्ड पर रख दिया। राज ने अपना लण्ड ठीक से दरार में फ़िट कर लिया।
"ये आपका गिफ़्ट..." साहिल ने अंजलि को एक सोने का हार और बालियों का सेट भेंट कर दिया। उसे देखते ही वो उससे लिपट गई और उसे चूमने लगी। राज ने भी वैसा ही सेट रूपल को दे दिया। उसने भी अपनी खुशी राज को चूम कर जाहिर की और उसकी गोदी में उछल सी पड़ी। और ... और ... लण्ड रूपल की गाण्ड में घुस गया। रूपल की आंखे खुली की खुली रह गई और उसने राज की तरफ़ आश्चर्य से देखा।
"शैतान ... ! मेरी !" और उसके अधर से अधर मिला दिये। साहिल ने भी राज को देखा, अंजलि ने भी इतरा कर कहा, "अब मेरी भी मार दो ना, साहिल !"
"राज, रूपल को छोड़ दे, साला फ़ाऊल कर रहा है" साहिल ने राज को झिड़की दी।
"ओह सॉरी..." उसने धीरे से रूपल की गाण्ड से अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
" अब चलो, अपनी जगह बैठ जाओ और एक पैग पी लो, और फिर दूसरा गिफ़्ट।"
दोनों उठ कर सोफ़े पर बैठ गई। चारों ने एक एक पैग पूरा पी लिया। साहिल ने एक पतला लम्बा सा पेकेट राज की ओर उछाल दिया।
"ये लो ..." दोनों पैकेट दोनों ने आगे झुक कर भेंट कर दिये।
उत्सुकतापूर्वक दोनों ने पैकेट खोला और फिर दोनों चीख उठी," ये क्या ... हाय रे ! तुम दोनों कितने खराब हो?"
दोनों के हाथ में एक साधारण लम्बाई का पतला सा डिल्डो था। राज और साहिल दोनों ही जोर से हंस पड़े।
अंजलि बोली,"अब देखो कमाल !"
"अरे नहीं अंजलि ... मत करो ये... शरम आयेगी।" रूपल ने उसे रोका।
"अभी तो राज का लौड़ा खाया था, फिर क्या है?" अंजलि शराब और वासना में बहक रही थी।
शायद यह एक पैग का भी असर था। उसने अपनी साड़ी उतार दी। मजबूरन रूपल को भी उतारनी पड़ी। यह देख कर राज और सहिल ने एक दूसरे को देखा और उनके कपड़े भी उतर गये। अब चारों नंगे खड़े थे। रूपल राज से जाकर लिपट गई और अंजलि साहिल से चिपक गई। वो सभी धीरे धीरे पास के कमरे में जमीन पड़े बिस्तरों की ओर बढ़ चले। इस कमरे को खाली करके पूरे कमरे में नीचे ही मोटे मोटे गद्दे डाल दिये थे। रिमोट से उन्होंने एयर कन्डीशन चालू कर दिया। वहाँ पहुँचते ही वो नीचे बिस्तर पर लोट लगाने लगे। राज और साहिल को लगा कि जैसे दो मछलियाँ बिन पानी के तड़पती है, वैसे ही ये चुदने के लिये तड़प रही हैं। दोनों की चूत गीली हो चुकी थी।
"राज तुम घोड़ी बनो..." रूपल ने राज को घोड़ी बना दिया और वही डिल्डो लेकर राज की गाण्ड की तरफ़ आ गई। डिल्डो उसने गाण्ड पर सेट किया और अन्दर घुसा दिया। थूक से चिकना डिल्डो उसकी गाण्ड में सरक गया। दूसरी और अंजलि भी यही कर रही थी। रूपल ने डिल्डो गाण्ड में पूरा उतार दिया और अन्दर बाहर करने लगी। रूपल और अंजलि दोनों ऐसा करके बहुत उत्तेजना महसूस कर रही थी।
"ऐ अंजलि, डिल्डो का मजा आया ना...! " रुपल हंसी में चीखते हुये बोली।
"इन्हीं से इनकी शुरूआत अच्छी रही ..." अंजलि भी नशे में हंसने लगी।
दोनों का लण्ड मस्ती से फ़ूलने लगा था। बेहद कड़क भी होने लगा था। यह देख कर रूपल ने राज का लौड़ा थाम लिया और उसे घिस कर और उत्तेजित करने लगी। राज का शरीर मीठी सी गुदगुदी के कारण तन सा गया। रूपल ने डिल्डो को गाण्ड में पूरा घुसा दिया और स्वयं उसके शरीर के नीचे घुस गई।
"ना ना... डिल्डो मत निकालो, बस अपना असली डिल्डो मेरी चूत में गड़ा दो ...
देखो, तुम्हारा लौड़ा कैसा फ़ूल रहा है !"
"डिल्डो के मजे से ही तो मेरा लौड़ा तन कर फ़ट रहा है ... अब चुदोगी तो मजा आयेगा।"
राज की ग़ाण्ड में पतला सा डिल्डो किसी रॉड की भांति घुसा हुआ था। वो धीरे से रूपल के ऊपर चढ़ गया। रूपल ने चुदने के लिये अपनी दोनों टांगे चौड़ा दी।
उसकी गीली चूत राज ले लण्ड को घुसने का न्यौता दे रही थी। राज और साहिल ने एक दूसरे को देखा, साहिल ने राज को आंख मारी, राज मुस्कुरा दिया। राज ने अपना लण्ड पकड़ कर हिलाया और उसकी चूत पर रगड़ा। उसका लण्ड गीला हो गया।
अब उसने अपना लाल सुपाड़ा उसके उभरे हुये दाने पर रख कर दबा दिया। रूपल सिसक उठी। उसके लाल टोपे से उसका दाना रगड़ने लगा।
"राज... अब बस करो ... पूरा अन्दर घुसेड़ दो ना ... हाय रे मेरी मां..."
राज के सुपाड़े की दरार में उसके दाने की मीठी चुभन कहर ढा रही थी। उसने हाथ से पकड़ कर अपने लौड़े को जोर जोर से हिलाया और उसकी चूत के द्वार पर तीन चार बार जोर जोर से मारा... रूपल वासना के मीठे दर्द से तड़प गई। तब राज ने अपना लण्ड हाथ से पकड़ कर उसकी करारी चूत में रख कर अन्दर डाल दिया।
रूपल ने अपनी आंखे बन्द किये उसे जोर से अपनी ओर खींच लिया। वो अपने हाथों के बल पर रूपल पर छा गया। रूपल में अपना हाथ पीछे ले कर उसका डिल्डो पकड़ कर उसकी गाण्ड में भींच दिया। दोनों लौड़े उनकी गहराईयां नापने लगे थे।
उधर अंजलि भी साहिल से चिपके जा रही थी। उसकी चूत में भी साहिल का लण्ड गहराई तक घुसा हुआ था। अंजलि की सिसकारियां राज तक आ रही थी।
"अंजू... चुदा लो तबीयत से ... साहिल, जरा मस्ती से चोदना मेरी बीवी को..."
"मेरी बीवी तो तुझसे चुदाने को मरी जा रही थी, साली का चोद चोद कर कचूमर निकाल देना !" फिर जोर से हंस दिया।
"राज, उधर मत देखो ... वो तो चुदेगी ही, मेरी मारो ना जरा जोर से..." रूपल ने राज का ध्यान अपनी ओर खींचा। राज के हाथ रूपल के सीने पर चल रहे थे... रूपल ने उसे अपनी तरफ़ खींच कर उसके होंठो से अपने होंठ मिला दिये। कुछ ही देर में साहिल और अंजलि झड़ चुके थे और अब वे दोनों अपने कपड़े पहन रहे थे। वे दोनों राज और रूपल के पास आकर बैठ गये और उन्हें और उत्तेजित करने लगे।
अंजलि को राज के बारे में पता था... इसलिये वो राज की गाण्ड में डिल्डो धीरे धीरे अन्दर बाहर करने करने लगी। राज की उत्तेजना बढ़ने लगी। उसका लण्ड और फ़ूलने लगा। उधर साहिल ने भी रूपल के चुचूकों को हिला हिला कर मसलने लगा। झड़ने के कगार पर दोनों आ चुके थे। उन्होंने मस्ती में जोर से आंखे बन्द कर रखी थी, उनके जबड़े भी कस गये थे। तभी रूपल ने राज का साथ छोड़ दिया और जोर से झड़ने लगी। राज ने भी कस कस कर तीन चार जोर के शॉट मारे और उसका लण्ड पिचकारी मारने को हुआ। अंजलि ने उसका लण्ड तुरन्त रूपल की चूत से बाहर निकाला और एक मुठ मारते ही उसका वीर्य छूट पड़ा।
अंजलि तैयार थी इसके लिये ... उसने लण्ड खींच कर अपने मुख में ले लिया और आम चूसने की तरह उसे पीने लगी।
"आह... राज आज तो तुम्हारा खूब माल निकला ...।"
"यह दोनों तरफ़ से आनन्द मिलने के कारण था। रूपल को चोदने में बड़ा मजा आया !"
सभी बहुत खुश थे। कार्यक्रम समाप्ति पर था। सभी ने डिनर किया और राज और अंजलि को विदा किया। दोनों घर आये तो करीब रात के ग्यारह बज रहे थे। घर आते ही राज ने प्यार से अंजलि के मम्मे दबा दिये।
"कैसा लगा, मेरी जानू, मजा आया ना चुदवा कर...?"
"तुम कितने अच्छे हो राज ! तुम्हारी वजह से मेरी आज मनभावन चुदाई हुई !"
"चलो, अब किसी ओर का नम्बर लगाना है क्या ...?"
"सुनो राज ... वो विपुल कैसा रहेगा?"
"और तुम वो क्षिप्रा को मेरे लिये पटा दो ना !"
दोनों ठहाके मार कर हंस दिये और प्यार से एक दूसरे को चूमने लगे... हां क्षिप्रा का तो पता नहीं पर अगले दिन अंजलि विपुल से लिपट लिपट कर चुदवा रही थी और राज उन्हें छिप छिप कर देख कर मुठ मार रहा था ...
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राज और अंजलि
राज का मन बार बार रूपल को सोच सोच कर तड़प जाता था। जाने रूपल में क्या ऐसी कशिश थी कि उसका दिल उसकी ओर खिंचा जाता था। साहिल की तकदीर अच्छी थी कि उसे ऐसी रूपमती बीवी मिली थी। आज भी राज का लण्ड उसके बारे में सोच सोच कर तन्ना उठा था। अंजलि राज की पत्नी थी, पर कहते हैं ना दूसरो की चीज़ हमेशा अच्छी लगती है, शायद राज का यही सोचना था। उधर अंजलि भी साहिल पर शायद मरती थी। ऐसा नहीं था था रूपल और साहिल भी राज और अंजलि की तरफ़ आकर्षित नहीं थे, उनका भी यही हाल था।
आज सवेरे भी ऑफ़िस जाने से पहले राज साहिल के घर की ओर मुड़ गया। उसे कोई काम नहीं था, बस उसे रूपल से मिलने की चाह थी। आशा के मुताबिक रूपल घर में ही थी और घर का काम कर रही थी। रूपल ने ज्योंही राज को देखा, उसका दिल खिल उठा। राज किचन में आ गया और बातों बातों में रूपल को हमेशा की तरह छूने लगा।
हमेशा की तरह रुपल ने भी कोई विरोध नहीं किया, बल्कि उसे तो और अच्छा लग रहा था। आज राज ने थोड़ी और हिम्मत की और धीरे से रूपल के गाण्ड के गोलों पर अपना हाथ फ़ेर दिया। रूपल के बदन में सनसनी सी फ़ैल गई। जब राज ने कोई प्रतिक्रिया नहीं देखी तो उसने फिर से नीचे हाथ ले जा कर उसके एक चूतड़ के गोले को दबा दिया। उसके नरम से चूतड़ का स्पर्श राज के मन में बस से गये।
रूपल का बदन कांप सा गया। रास्ता साफ़ था ... वो एक कदम और आगे बढ़ गया और उसकी गाण्ड में अपनी अंगुली दबा दी। रूपल ने भी मामला साफ़ करने की गरज से पहले तो उसकी अंगुली को अपने चूतड़ों के बीच दबा लिया, फिर धीरे से पीछे उसके सीने पर अपना सर रख दिया।
राज का मन बाग बाग हो गया। उसने धीरे से रूपल के उभरे हुये स्तन पर अपना हाथ रख दिया। राज को उसके दिल की धड़कन साफ़ महसूस होने लगी थी। रूपल के स्तन दब गये और वातावरण में एक सिसकारी गूंज गई। राज का लण्ड तन्ना उठा और उसके चूतड़ो की दरार में घुसने को इधर उधर ठोकरें मारने लगा। राज का चेहरा रूपल के चेहरे पर झुक गया और उसके अधर अपने अधरों से दबा दिये। रूपल का चेहरा तमतमा उठा, उस पर ललाई फ़ैल गई।
"राज, अह्ह्ह्ह प्लीज..." रूपल उसके मोहक स्पर्श से थरथरा उठी। उसके कोमल होंठ फ़ड़फ़ड़ाने लगे थे। तभी मोबाईल बज उठा। वो जैसे मदहोशी से जाग गई। शरमा कर वो भाग खड़ी हुई और मोबाईल उठा लिया।
साहिल का फोन था वो एक घण्टे के बाद घर आने वाला था। राज ने रूपल को फिर से दबाने की कोशिश की, पर रूपल ने उसे मना कर दिया।
"देखो साहिल आने वाला है, फिर कभी ..."और वो एक बार फिर शरमा गई।
"बस एक बार ! फिर मैं जाता हूँ..." उसने अपना सर झुका लिया। राज ने उसे खींच कर अपने से चिपका लिया और उसके अधर चूसने लगा। उसके हाथों ने उसकी चूत दबा दी। वो थोड़ा सा कसमसाई और अपने आप को छुड़ा लिया।
अपने होंठों को पोंछती हुई वो मुसकराई।
राज का दिल अब ऑफ़िस जाने को नहीं कर रहा था, सो वह घर की ओर मुड़ गया। रास्ते से उसने मिठाई का डब्बा भी पैक करा लिया था। उसने कार पार्क की और सीढ़ियाँ चढता हुआ अपने फ़्लैट तक आ गया। दरवाजा अन्दर से बन्द था। अन्दर से बातें करने की आवाजें आ रही थी। उत्सुकतावश वो बगल की खिड़की पर गया और एक टूटे हुये शीशे में से उसने झांक कर देखा।
साहिल ने अंजलि को अपनी गोदी में बैठा रखा था और अंजलि बेशर्मी से उसके गले में बाहें डाल कर उसे चूमे जा रही थी। साहिल उसकी चूंचियों को सहला रहा था। राज जलन के मारे भड़क उठा।
उसके हाथों की मुठ्ठियाँ कसने लगी। जैसे तैसे उसने अपने आप को काबू किया और सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आ गया। उसने नीचे जा कर अंजलि को फोन किया।
अंजलि ने बताया कि साहिल भैया भी आये हुये हैं। साहिल ने अपने आपको ठीक किया और जल्दी से जाकर दरवाजा खोल दिया। फिर वापस आकर शरीफ़ों की तरह सोफ़े पर बैठ गया। राज शान्त हो कर अन्दर आ गया।
"लो मिठाई खाओ ... आज बहुत शुभ दिन है...!" राज ने जले हुये अन्दाज से कहा।
"क्या बात है ... हमें भी तो बताओ?" साहिल ने पूछा।
"भई, आज मुझे मेरा एक पुराना साथी मिल गया, बड़ी खुशी हुई मुझे !"
मन में गुस्सा तो भरा था पर उसने साहिल की बीवी रूपल को आज खूब दबाया था, यही मन में तसल्ली थी। अंजलि को भी राज ने साहिल को दबाते हुये देख लिया था, फिर बात बराबर सी हो गई थी। साहिल की बीवी के स्तन, चूतड़ों को मसलने पर उसके पति को मिठाई खिलाना उसके मन को तसल्ली दे रहा था।
दूसरे दिन राज रूपल के फोन पर जल्दी बुलाने से वो उसके यहां फ़टाफ़ट पहुँच गया। राज़ जल्दी से अन्दर लेकर रूपल ने उसे चूम लिया।
"जानती हो कल मैंने साहिल को मिठाई खिलाई !"
"अच्छा, कोई खास बात थी क्या ?"
"तुमसे मजे जो किए थे ... पर एक बात बात कांटे की तरह मुझे तड़पा रही है।"
"धत्त ... ये भी कोई बात हुई... वैसे क्या बात तड़पा रही है?" रूपल ने हंसते हुये कहा।
"बुरा ना मानो तो बताऊं...?"
"मुझे पता है ... पर तुम बताओ...!"
राज ने उसकी तरफ़ आश्चर्य से देखा और कहा,"तुम्हें कुछ नहीं मालूम रूपल ! साहिल अंजलि से लगा हुआ है मैंने कल खुद देखा है।"
"तो क्या हुआ, तुम मेरे से लग जाओ ...वैसे मुझे यह सब पता है।" रूपल ने हंसते हुये कहा।
"क्या कह रही हो? तुमने साहिल को मना नहीं किया?"
रूपल राज के समीप आ गई और उसे मीठी नजरों से देखने लगी।
"कैसे कहती? उसने भी तो मुझे तुमसे मिलने को कह दिया है ना !" रूपल ने सर झुका कर बताया।
" ओह्ह्ह ... तो क्या अंजलि भी जान गई है?" राज का दिल धड़क उठा।
"हां, कल मैंने साहिल को बताया था कि तुमने मुझे कैसे प्यार से दबाया था, उसने आज अंजलि को बता दिया होगा।"
राज ने रूपल को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया और उसे चूमने लगा।
"राज, आज अपन सब मिल कर एक पार्टी रखते है ... और फिर तुम मुझे और साहिल अंजलि को ... बोलो चलेगा ना ?" रूपल ने कुछ संकोच से कहा।
"अंजलि क्या कहेगी...?" राज का लण्ड यह सुन कर खड़ा हो गया। उसे यह सब विश्वस्नीय नहीं लग रहा था। पर ये सब कितना उत्तेजक होगा ... अंजलि अपने पति के सामने चुदेगी और रूपल उसके सामने...।
"यह उसी का सुझाव है, मजा आयेगा, एक बार खुल जायेंगे तो कभी भी आकर मुझे ..."
रूपल वासना में डूबी जा रही थी। राज का लण्ड रूपल को चोदने को बेताब होने लगा था। और अब यह इतनी रोमान्चक बात ... कैसे होगा ये सब ... एक दूसरे के सामने ... शरम नहीं आयेगी ... राज ने अपना सर झटक दिया, उसने सोचा ये औरतें इतनी बेशरम हो सकती है तो फिर मैं तो मर्द हूँ ... काहे की शरम करूँ !!!
उसने रूपल को अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर के पास ले आया।
"बस करो, अभी नहीं, शाम को करना ... बड़ा मजा आयेगा !"
"पर मेरा मन तो तुम्हें पाने को बेताब हो रहा है !"
"देखो कितना मजा आयेगा, जब हम चारों ही शरम टूटेगी, मैं तो शरम के मारे मर ही जाऊंगी, जब अंजलि और साहिल के सामने ... हाय राम !!!"
राज ने उसे बिस्तर के ऊपर ही उसे हवा में छोड़ दिया और वो धम्म से बिस्तर पर आ गिरी। रूपल उठी और राज को वो लगभग धकेलते हुये बाहर ले आई। फिर एक चुम्मा दे कर मुस्करा दी।
"शाम को !"
राज मुस्करा उठा और चला गया।
शाम को ऑफ़िस से सीधा घर पहुंचा। अंजलि ने उसे बहुत प्यार से स्वागत किया। कुछ ही देर में वो चाय और नाश्ता ले आई। अंजलि ने सर झुकाये मुझे तिरछी नजरों से देखा और कहा,"आज शाम को रुपल के यहां पार्टी है ... आठ बजे चलना है !"
राज उठा और अंजलि के पीछे जा कर उसके स्तन दबा दिये। अंजलि ने सर उठा कर उसे देखा और राज ने उसके होंठ चूम लिये।
"तुम बहुत अच्छी हो, थेन्क्स जानू...!"
अंजलि की नजरें झुक गई।
"सॉरी राज, मैंने तुम्हें साहिल के बारे में कुछ नहीं बताया।"
"मैंने देख लिया था ... बताने की क्या जरूरत थी ... आई लव यू डार्लिंग !"
"ओह्ह, मेरे राज, आई लव यू टू... तुम्हें यह सब देख कर गुस्सा नहीं आया?" वो राज से लिपट गई।
"मैं तुमसे बहुत प्यार करता हू, स्वीटी !!! तुम्हें जिससे भी, जैसा भी आनन्द मिले, मेरे दिल को शांति मिलती है ... तुम साहिल से खूब मजे लो, पर मुझे अपने दिल में रखना।" राज भावना में बह कर बोला। अंजलि राज से और चिपक गई। शाम गहरी होते ही दोनों साहिल के घर पहुँच चुके थे। साहिल राज के पास आ कर बैठ गया और उनके शराब के जाम चलने लगे। रूपल और अंजलि भी धीरे धीरे बातें करने लगी थी।
"क्या बातें हो रही है...?" साहिल ने पूछा।
शाम गहरी होते ही दोनों साहिल के घर पहुँच चुके थे। साहिल राज के पास आ कर बैठ गया और उनके शराब के जाम चलने लगे। रूपल और अंजलि भी धीरे धीरे बातें करने लगी थी।
"क्या बातें हो रही है...?" साहिल ने पूछा।
"अकेले अकेले पिये जा रहे हो, पूछ भी नहीं नहीं रहे है।" अंजलि ने शिकायत भरे स्वर में कहा।
"पहले अपने गिफ़्ट कबूल करो, फिर एक एक जाम !"
दोनों खुशी से उछल पड़ी। साहिल ने दो पैकेट राज को दिये। खुद ने भी दो अलग रख दिये।
"अब हमारी गोदी में आ जाओ तो मिलेगा !"
अंजलि उठ कर राज की गोदी में बैठ गई।
"जानू, मेरी गोदी में तो तुम रोज ही बैठती हो , आज साहिल को खुश कर दो !"
अंजलि इठला कर उठी और मुस्कराते हुये तिरछी नजरों से साहिल को देखा, उसका लण्ड खड़ा था। उसने अपनी चूतड़ पीछे उभारी और उसके उभार को देख कर अपने चूतड़ सेट करके धीरे से बैठ गई। रूपल थोड़ा शरमा रही थी, वो बस राज के पास आकर खड़ी हो गई। राज ने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी और अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
"आ जाओ, आपकी गद्दी तैयार है।"
"धत्त, साहिल के सामने ही..." रूपल शर्मा उठी।
"गिफ़्ट नहीं लेना क्या..." राज ने रूपल की साड़ी ऊंची कर दी और उसके नंगे चूतड़ों को अपने कड़क लण्ड पर रख दिया। राज ने अपना लण्ड ठीक से दरार में फ़िट कर लिया।
"ये आपका गिफ़्ट..." साहिल ने अंजलि को एक सोने का हार और बालियों का सेट भेंट कर दिया। उसे देखते ही वो उससे लिपट गई और उसे चूमने लगी। राज ने भी वैसा ही सेट रूपल को दे दिया। उसने भी अपनी खुशी राज को चूम कर जाहिर की और उसकी गोदी में उछल सी पड़ी। और ... और ... लण्ड रूपल की गाण्ड में घुस गया। रूपल की आंखे खुली की खुली रह गई और उसने राज की तरफ़ आश्चर्य से देखा।
"शैतान ... ! मेरी !" और उसके अधर से अधर मिला दिये। साहिल ने भी राज को देखा, अंजलि ने भी इतरा कर कहा, "अब मेरी भी मार दो ना, साहिल !"
"राज, रूपल को छोड़ दे, साला फ़ाऊल कर रहा है" साहिल ने राज को झिड़की दी।
"ओह सॉरी..." उसने धीरे से रूपल की गाण्ड से अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।
" अब चलो, अपनी जगह बैठ जाओ और एक पैग पी लो, और फिर दूसरा गिफ़्ट।"
दोनों उठ कर सोफ़े पर बैठ गई। चारों ने एक एक पैग पूरा पी लिया। साहिल ने एक पतला लम्बा सा पेकेट राज की ओर उछाल दिया।
"ये लो ..." दोनों पैकेट दोनों ने आगे झुक कर भेंट कर दिये।
उत्सुकतापूर्वक दोनों ने पैकेट खोला और फिर दोनों चीख उठी," ये क्या ... हाय रे ! तुम दोनों कितने खराब हो?"
दोनों के हाथ में एक साधारण लम्बाई का पतला सा डिल्डो था। राज और साहिल दोनों ही जोर से हंस पड़े।
अंजलि बोली,"अब देखो कमाल !"
"अरे नहीं अंजलि ... मत करो ये... शरम आयेगी।" रूपल ने उसे रोका।
"अभी तो राज का लौड़ा खाया था, फिर क्या है?" अंजलि शराब और वासना में बहक रही थी।
शायद यह एक पैग का भी असर था। उसने अपनी साड़ी उतार दी। मजबूरन रूपल को भी उतारनी पड़ी। यह देख कर राज और सहिल ने एक दूसरे को देखा और उनके कपड़े भी उतर गये। अब चारों नंगे खड़े थे। रूपल राज से जाकर लिपट गई और अंजलि साहिल से चिपक गई। वो सभी धीरे धीरे पास के कमरे में जमीन पड़े बिस्तरों की ओर बढ़ चले। इस कमरे को खाली करके पूरे कमरे में नीचे ही मोटे मोटे गद्दे डाल दिये थे। रिमोट से उन्होंने एयर कन्डीशन चालू कर दिया। वहाँ पहुँचते ही वो नीचे बिस्तर पर लोट लगाने लगे। राज और साहिल को लगा कि जैसे दो मछलियाँ बिन पानी के तड़पती है, वैसे ही ये चुदने के लिये तड़प रही हैं। दोनों की चूत गीली हो चुकी थी।
"राज तुम घोड़ी बनो..." रूपल ने राज को घोड़ी बना दिया और वही डिल्डो लेकर राज की गाण्ड की तरफ़ आ गई। डिल्डो उसने गाण्ड पर सेट किया और अन्दर घुसा दिया। थूक से चिकना डिल्डो उसकी गाण्ड में सरक गया। दूसरी और अंजलि भी यही कर रही थी। रूपल ने डिल्डो गाण्ड में पूरा उतार दिया और अन्दर बाहर करने लगी। रूपल और अंजलि दोनों ऐसा करके बहुत उत्तेजना महसूस कर रही थी।
"ऐ अंजलि, डिल्डो का मजा आया ना...! " रुपल हंसी में चीखते हुये बोली।
"इन्हीं से इनकी शुरूआत अच्छी रही ..." अंजलि भी नशे में हंसने लगी।
दोनों का लण्ड मस्ती से फ़ूलने लगा था। बेहद कड़क भी होने लगा था। यह देख कर रूपल ने राज का लौड़ा थाम लिया और उसे घिस कर और उत्तेजित करने लगी। राज का शरीर मीठी सी गुदगुदी के कारण तन सा गया। रूपल ने डिल्डो को गाण्ड में पूरा घुसा दिया और स्वयं उसके शरीर के नीचे घुस गई।
"ना ना... डिल्डो मत निकालो, बस अपना असली डिल्डो मेरी चूत में गड़ा दो ...
देखो, तुम्हारा लौड़ा कैसा फ़ूल रहा है !"
"डिल्डो के मजे से ही तो मेरा लौड़ा तन कर फ़ट रहा है ... अब चुदोगी तो मजा आयेगा।"
राज की ग़ाण्ड में पतला सा डिल्डो किसी रॉड की भांति घुसा हुआ था। वो धीरे से रूपल के ऊपर चढ़ गया। रूपल ने चुदने के लिये अपनी दोनों टांगे चौड़ा दी।
उसकी गीली चूत राज ले लण्ड को घुसने का न्यौता दे रही थी। राज और साहिल ने एक दूसरे को देखा, साहिल ने राज को आंख मारी, राज मुस्कुरा दिया। राज ने अपना लण्ड पकड़ कर हिलाया और उसकी चूत पर रगड़ा। उसका लण्ड गीला हो गया।
अब उसने अपना लाल सुपाड़ा उसके उभरे हुये दाने पर रख कर दबा दिया। रूपल सिसक उठी। उसके लाल टोपे से उसका दाना रगड़ने लगा।
"राज... अब बस करो ... पूरा अन्दर घुसेड़ दो ना ... हाय रे मेरी मां..."
राज के सुपाड़े की दरार में उसके दाने की मीठी चुभन कहर ढा रही थी। उसने हाथ से पकड़ कर अपने लौड़े को जोर जोर से हिलाया और उसकी चूत के द्वार पर तीन चार बार जोर जोर से मारा... रूपल वासना के मीठे दर्द से तड़प गई। तब राज ने अपना लण्ड हाथ से पकड़ कर उसकी करारी चूत में रख कर अन्दर डाल दिया।
रूपल ने अपनी आंखे बन्द किये उसे जोर से अपनी ओर खींच लिया। वो अपने हाथों के बल पर रूपल पर छा गया। रूपल में अपना हाथ पीछे ले कर उसका डिल्डो पकड़ कर उसकी गाण्ड में भींच दिया। दोनों लौड़े उनकी गहराईयां नापने लगे थे।
उधर अंजलि भी साहिल से चिपके जा रही थी। उसकी चूत में भी साहिल का लण्ड गहराई तक घुसा हुआ था। अंजलि की सिसकारियां राज तक आ रही थी।
"अंजू... चुदा लो तबीयत से ... साहिल, जरा मस्ती से चोदना मेरी बीवी को..."
"मेरी बीवी तो तुझसे चुदाने को मरी जा रही थी, साली का चोद चोद कर कचूमर निकाल देना !" फिर जोर से हंस दिया।
"राज, उधर मत देखो ... वो तो चुदेगी ही, मेरी मारो ना जरा जोर से..." रूपल ने राज का ध्यान अपनी ओर खींचा। राज के हाथ रूपल के सीने पर चल रहे थे... रूपल ने उसे अपनी तरफ़ खींच कर उसके होंठो से अपने होंठ मिला दिये। कुछ ही देर में साहिल और अंजलि झड़ चुके थे और अब वे दोनों अपने कपड़े पहन रहे थे। वे दोनों राज और रूपल के पास आकर बैठ गये और उन्हें और उत्तेजित करने लगे।
अंजलि को राज के बारे में पता था... इसलिये वो राज की गाण्ड में डिल्डो धीरे धीरे अन्दर बाहर करने करने लगी। राज की उत्तेजना बढ़ने लगी। उसका लण्ड और फ़ूलने लगा। उधर साहिल ने भी रूपल के चुचूकों को हिला हिला कर मसलने लगा। झड़ने के कगार पर दोनों आ चुके थे। उन्होंने मस्ती में जोर से आंखे बन्द कर रखी थी, उनके जबड़े भी कस गये थे। तभी रूपल ने राज का साथ छोड़ दिया और जोर से झड़ने लगी। राज ने भी कस कस कर तीन चार जोर के शॉट मारे और उसका लण्ड पिचकारी मारने को हुआ। अंजलि ने उसका लण्ड तुरन्त रूपल की चूत से बाहर निकाला और एक मुठ मारते ही उसका वीर्य छूट पड़ा।
अंजलि तैयार थी इसके लिये ... उसने लण्ड खींच कर अपने मुख में ले लिया और आम चूसने की तरह उसे पीने लगी।
"आह... राज आज तो तुम्हारा खूब माल निकला ...।"
"यह दोनों तरफ़ से आनन्द मिलने के कारण था। रूपल को चोदने में बड़ा मजा आया !"
सभी बहुत खुश थे। कार्यक्रम समाप्ति पर था। सभी ने डिनर किया और राज और अंजलि को विदा किया। दोनों घर आये तो करीब रात के ग्यारह बज रहे थे। घर आते ही राज ने प्यार से अंजलि के मम्मे दबा दिये।
"कैसा लगा, मेरी जानू, मजा आया ना चुदवा कर...?"
"तुम कितने अच्छे हो राज ! तुम्हारी वजह से मेरी आज मनभावन चुदाई हुई !"
"चलो, अब किसी ओर का नम्बर लगाना है क्या ...?"
"सुनो राज ... वो विपुल कैसा रहेगा?"
"और तुम वो क्षिप्रा को मेरे लिये पटा दो ना !"
दोनों ठहाके मार कर हंस दिये और प्यार से एक दूसरे को चूमने लगे... हां क्षिप्रा का तो पता नहीं पर अगले दिन अंजलि विपुल से लिपट लिपट कर चुदवा रही थी और राज उन्हें छिप छिप कर देख कर मुठ मार रहा था ...
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