Wednesday, September 17, 2014

FUN-MAZA-MASTI पिकनिक का प्रोग्राम-2

FUN-MAZA-MASTI

  पिकनिक का प्रोग्राम-2

 पिरी बोली- “बड़ी पंडित बनती है। इतना भी नहीं जानती की किसी के ऊपर कोई बैठ जाय और वो सोता रहे, ऐसा कहीं होता है। वो तो बहुत पहले से जाग रहा है। मेडम को देखकर चुप था…”

मैं दिल ही दिल सोचने लगा- “पिरी तो बिल्कुल मुझे समझने लगी है…”

पिरी ने कुर्ता भी उतार दिया और मुझे उसकी चूचियां दबाने को बोली।

मैं चूचिया दबाने लगा, चूचुकों को चुटकी में लेकर मसलने लगा। वो लगातार कमर ऊपर-नीचे कर रही थी। आँखें बंद करके आहहाहह… उम्मह… सस्स्शह… करके कूद रही थी। मैं चूचुकों को खींच रहा था जैसे बकरी के चूचुक दुहे जाते हैं।

पिरी मस्ती के साथ कमर हिला रही थी। जैसे वहाँ हम दोनों के सिवा कोई नहीं हो। कभी थोड़ा बदन उठाती, कभी मुझ पर पूरा लेट जाती, लिपट जाती। फिर उसने अपने पैर पे बैठकर दोनों हाथ मेरे सीने में रखकर इस तरह कमर उपर-नीचे करने लगी की मेडम ताली बजाने लगीं।

फिर सभी लड़कियां ताली बजाने लगीं।

पिरी जोश में आ चुकी थी, स्पीड बढ़ती गयी। पशीने से लथफथ हो गई थी। उसका पशीना मेरे बदन पे गिर रहा था और आअनः… आनहा… की आवाज निकाल रही थी। फिर वो मेरे लण्ड पर दबाओ देकर बैठ गयी। और मुँह से हुऊँ… हुऊँ… की आवाज निकालती हुई बुर से पानी छोड़ने लगी। और मुझपर गिर गयी जैसे उसका दम निकल गया हो। मुझे चूमने लगी।

फिर कोमल ने आकर उसे मुझसे अलग किया, और मुझ पर चढ़ गयी। उसने चढ़ते ही स्पीड पकड़ लिया। मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और बुरी तरह दबाने लगा, चूचुकों को मसला। वो किसी शेरनी की तरह फूँकारती हुई हूओन्न्नह… हूओन्न्नह… करती हुई चोदने लगी।

अब मैं भी जोश में आने लगा और नीचे से कमर उछालने लगा। 10 मिनट में वो फारिग हुई।

जीनत आने को थी की मैं पिचकारी मारने लगा। हवा में 4-5 फीट ऊपर तक मेरी पिचकारी उछली और मेरे ऊपर ही गिरने लगी। वो नजारा देखकर सब फिर से तालियां बजाने लगीं।

जीनत उदास हो गई और मेरे ढीले होते लण्ड को बुर में डालने लगी।

मेडम बोली- आधा घंटा इंतेजार करो फिर खड़ा हो जायेगा।

जीनत बोली- मैं इंतेजार नहीं कर सकती और बुर में मेरा ढीला लण्ड ही घुसा लिया, मुझ पर सावर हो गयी। उसने भी कुरती उतार दी, और अपनी चूचियां मेरे छाती पर रगड़ने लगी, मेरे होंठ चूसने लगी।

मैं जीनत से ना जाने क्यों नफरत करने लगा था। मैं उसके चूचियां बड़े बेदर्दी से दबा रहा था जैसे किसी बात की सजा दे रहा हूँ। वो मुझे मारऩे लगी।

सब उसपर बिगड़े- “अरे वाह… चुदक्कड़ क्वीन मारेगी…”

जीनत बोली- “ये बड़ी जोर से चूचियां दबा रहा है…”

पिरी बोली- “मेरे तो चूचुकों को दुह रहा था। मेरी तो जान ही निकल रही थी। लेकिन मैंने उफ भी नहीं किया। हम मजा ले रहे हैं तो उसे भी जिस तरह वो चाहे मजा लेने दे। चिल्लाकर मजा किरकिरा क्यों करती हो…” और मुझे इशारे से उसके चूचुकों को दुहने के लिए कहा।

मैं जीनत की निपलस को चुटकी में पकड़कर बड़ी बेदर्दी से पीसने लगा। वो आ आ करने लगी मैं उसके चूचुकों को दुहने लगा।

वो फिर से चिल्लाने लगी- “ओह्ह माँ मर गई… मर गई…”

सोनम बोली- तू उतर… तुझसे नहीं होगा।

जीनत बोली- मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ, बैठ चुप होके।

मैंने उसकी चूचुकों को खींचकर अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगा। तब जीनत आहह… आह्ह करके मजा लेने लगी।

मैंने दाँत से काट लिया।

फिर वो चिल्लाई- मर गई।

अब मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। अब मैं नीचे से कमर उठाकर चोदने लगा। वो भी मजे से चोदने लगी।

पिरी बोली- तू तो गाण्ड मराने वाली थी। चुदवा रही है।

जीनत बोली- हाँ ठीक याद दिलाया। मेरे गाण्ड में घुसा दे ना।

पिरी बोली- नहीं बाबा तू इल्ज़ाम देगी की गाण्ड फट गयी।

जीनत ने सोनम से कहा- सोनम तू घुसा दे।

सोनम आई और लण्ड को बुर से निकालकर गाण्ड के सुराख में ठूँसने लगी। बड़ी मुश्किल से लण्ड थोड़ा अंदर गया। वो जोर लगाने लगी, मैं भी जोर लगा रहा था। लेकिन लण्ड अंदर नहीं जा रहा था।

यह देखकर मेडम बोली- “ऐसे नहीं जाएगा… किसी के पास क्रीम है…”

सोनम ने कहा- “हाँ…”

मेडम बोली- तो लाओ।

सोनम ने क्रीम दिया। तो मेडम ने मेरे लण्ड में क्रीम लगाया और फिर लण्ड को गाण्ड के सुराख में धकेल दिया। अब लण्ड घुसता ही चला गया और जीनत तड़पने लगी।

मैं कमर उछालकर धक्के देने लगा।

जीनत बोली- बस बस और अंदर नहीं… लग रहा है…

लेकिन मैं तो सिर्फ़ उसे तकलीफ देने के लिए ही चोद रहा था। मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया और गाण्ड में पूरा लण्ड घुसा दिया।

वो आ आ करती रही।

मैं उसकी गाण्ड मारने लगा। कुछ ही देर में वो फारिग हो गयी। फिर वो आ आ करती मुझ पर गिर गयी।
यह देखकर सोनम आगे बढ़ी और उसे मुझसे अलग किया।

अब जीनत ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी।

पिरी को जैसे बहुत मजा आ रहा था। मैं उसकी आँखों में चमक देख रहा था। जैसे मुझे शाबासी दे रही हो।
अब सोनम मुझ पर चढ़ी और मुझे अपने चूचुकों को चुसवाने लगी। और लण्ड को बुर में अंदर कर लिया।
मैं देख रहा था की जीनत अब भी बैठी कराह रही थी।

अब मैं सोनम को चोद रहा था, उसकी चूची पी रहा था। कुछ देर बाद मेरी स्पीड तेज हो गयी और सोनम पूरी तरह मेरा साथ दे रही थी। उसने पानी छोड़ दिया। और मैंने उसे अपने से दूर धकेलकर अलग किया। और खुद भी पिचकारी मारने लगा। अबकी मुझे भी तकलीफ हो रही थी। पानी भी बहुत कम निकला। मेरे लण्ड के अंदर जलन महसूस हो रही थी। सब फारिग हो चुके थे।

मैं उठा और अपनी पैंट पहनी, और सभी ने कपड़े ठीक किए। और घर वापसी की तैयारी करने लगे। सबने आने से पहले आज की बात किसी से ना कहने की कसम खाई।


 दूसरे दिन जीनत ट्यूशन नहीं आई। सबको पता था उसकी हालत खराब थी। जब हम पिकनिक से घर वापस आ रहे थे तो वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। गाण्ड निकालकर बड़ी मुश्किल से चल रही थी। कोई भी देखता तो जान जाता की अभी-अभी गाण्ड मरवाकर आई है।

तीसरे दिन सोनम ने ट्यूशन में कहा- “जीनत की हालत बहुत खराब हो गयी थी। वो ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी। अब ठीक है कल से ट्यूशन आएगी…”

जब वो चौथे दिन ट्यूशन में आई तो वो बिलकुल पहले जैसी चुलबुली थी। उसके मुँह में किसी के लिए कोई शिकायत नहीं थी। उसने आते ही खुसुर-फुसुर करना शुरू कर दिया। मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था।
जेबा जो पिकनिक नहीं जा पाई थी। उससे कुछ ज्यादा ही खुसुर-फुसुर होने लगी। 5वें दिन जेबा हम सबको बड़ी अजीब नजरों से देखने लगी। मुझसे बात करने से कतराने लगी।

तो मैंने पूछ लिया- “क्या हुआ… तुम ऐसे क्यों बर्ताओ कर रही हो…”

तो जेबा ने कहा- तुम इतने बुरे हो मैं सोच भी नहीं सकती थी।

मैंने क्या किया…

जेबा- “मैं सब जान गयी हूँ जीनत ने सब बता दिया है।

मैंने यह बात सबको बता दी।

सबने जीनत से झगड़ा किया। लेकिन वो फिर एक प्लान बनाकर लाई और हम सबसे माफी माँगी। और कहा- “इस जेबा की बच्ची को एक बार चुदवा देते हैं। फिर उसका मुँह बंद रहेगा। नहीं तो यह हम सबको बदनाम कर देगी…”

सबने मना किया तो जीनत समझ गई। फिर हम सबसे माफी माँगने लगी- “दोस्तों मुझसे गलती हो गयी, मुझे ही सुधारना होगा। जेबा को चोदना ही होगा। दूसरा कोई रास्ता नहीं है। वो तो हमें ज़नखा वगैरा कहने लगी है। पता नहीं कब उसकी जबान खुल जाए…”

पिरी बोली- “उसके अब्बू तो मोलवी हैं ना। वो स्कूल भी बुर्क़े में आती है वो कैसे चुदवाने को तैयार होगी। असंभव…”

जीनत ने कहा- वो सब तुम लोग मुझ पर छोड़ दो।

मैंने एक दिन जीनत से जब साथ में सिर्फ़ पिरी थी, कहा- “इतने लोगों के रहते नहीं होंगा। सिर्फ़ तुम पिरी और जेबा होगी तब होगा…”

जीनत बोली- “क्यों इतने सबको एक साथ चोद नहीं सकते। हाहाहा…”

मैं फिर लाजवाब हो गया। उसने वादा किया की सिर्फ़ हम तीनों ही होंगे। एक दिन जीनत ने कहा- “आज रात मैंने उसे अपने घर बुलाया है। पिरी तू भी आना। और इमरान तुम रात के 9:00 बजे के बाद आना…”

प्लान के मुताबिक पिरी और जेबा शाम को जीनत के घर पहुँच गये, और जेबा से पिकनिक के बारे में एक-एक डिटेल उसे बताने लगे। और यह भी कहा की उसके ना जाने पर मैं कितना दुखी था। मैं सिर्फ़ उसकी खातिर ही पिकनिक गया था। मैं उससे बहुत मुहब्बत करता हूँ। फिर एक ब्लू फिल्म भी उसे दिखाया, उसे पूरी तरह गरम कर दिया। बताया की लण्ड जब बुर में अंदर-बाहर होता है तो कितना मजा आता है। इस शुख से बढ़कर दुनियां में और कोई शुख है ही नहीं।

अब जेबा खुद मेरे आने की राह देखने लगी। और कहा- अगर मैं नहीं आया तो…”

मैं ठीक 9:00 बजे जीनत के घर पहुँच गया। दरवाजा जीनत ने खोला। उसके घर में कोई नहीं था। सबलोग आउट आफ स्टेशन शादी में गये थे। उसने घर वालों से कह रखा था की उसके दोस्त आ जाएंगे। उसे पढ़ाई करनी है। सब इतमीनान से चले गये। मैं अंदर गया सबने मिलकर रोटी खाया। फिर जेबा के हाथों से दूध भेजा गया। जैसे सुहागरात में दुल्हन के हाथ से दूध भेजा जाता है।

जेबा के हाथ कांप रहे थे, उसका रंग लाल हो रहा था। वो बुर्क़ा तो नहीं पहने थी। लेकिन स्कार्फ लपेटे हुई थी। काले स्कार्फ में उसका दूध सा सफेद चेहरा, काली रात में चाँद के जैसा चमक रहा था। मैंने उसके हाथ से ग्लास लिया और पीने लगा। और वो उल्टे पाँव ही भाग गयी।

उधर से जीनत और पिरी बोल रही थीं- “तुझे कहा था उसके पास बैठने को। तू चली क्यों आई…”
जेबा बोली- मुझे बहुत डर लग रहा है।

“चल हमारे साथ…” कहकर वो दोनों उसे पकड़कर कमरे में ले आईं। और मेरी तरफ उसे धकेलते हुए कहा- “तुम कितना तड़प रहे थे पिकनिक में की जेबा क्यों नहीं आई… दिन भर में 40 बार उसके बारे में पूछते रहे। अब संभालो अपनी जेबा को…”

मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। और कहा- “यार जीनत, यह तो रूई से बनी है क्या… कितनी साफ्ट है…” कहकर अपनी बाहों में भींचने लगा।

“छोड़ो ना…” जेबा बोली।

फिर मैंने उसे बेड पर बिठाया। उसने अपने हाथों में चेहरा छुपा रखा था। मैं उसके साइड में सटकर बैठा। मेरे दाहिने बाजू जीनत मुझसे सटकर बैठी थी। जेबा के बाएं बाजू पिरी थी।

जीनत बोली- “जेबा शरम छोड़ो, कोई ना कोई मर्द हमारा सब कुछ देखेगा। चाहे हम उसे पसंद करें या न करें। उससे पहले क्यों ना जो हमें चाहता है या हम जिसे चाहते हैं अपनी मर्ज़ी से दिखाएं। ज़िंदगी में अफसोस तो नहीं रहेगा… जेबा, ऐसा मौका फिर आए या ना आए। और मैं गारंटी के साथ कह रही हूँ की इमरान के जैसा लड़का तुम्हें दुनियां में नहीं मिलेगा।

फिर जीनत मुझसे बोली- “इमरान, जेबा शर्मा रही है तुम तो उसे किस करो…”
मैंने उसका एक हाथ गाल से हटाया और गाल में किस कर दिया। और पीछे से एक हाथ उसकी बगल में डाल रखा था, उसे अपने साथ चिपकाए रखने के लिए। अब वो हाथ उसकी एक चूची को छू रहा था। फिर मैंने उसके पेट पर भी एक हाथ लपेट दिया। अब वो मेरी बाहों में थी, मेरे बाजू उसकी चूचियों को दबा रहे थे। मैं उसके चेहरे पे रखे हाथ पर किस करने लगा।

और कहा- “जेबा तुम मेरे खयालों में छाई रहती हो। सोते जागते सिर्फ़ तुम ही दिखाई देती हो…” मैं पागलों की तरह उसके हाथों को चूम रहा था। फिर मैंने उसके एक हाथ को हटाया और उसके दूसरे गाल पर चुम्मा दे दिया। फिर मैंने उसके दोनों हाथ हटाए और उसके दोनों हाथों को चूम लिया।

बस क्या था… जेबा ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, और मेरे होंठ चूमने लगी।

मैं उसकी पीठ सहला रहा था और वो मेरी पीठ। मैंने उसका स्कार्फ खोलना चाहा लेकिन उसने मना किया। फिर मैं उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूचियों को दबाने लगा। वो मेरा साथ दे रही थी। मैं बारी-बारी से उसकी चूचियां दबाने लगा। मुझे लग रहा था उसकी चूचियां पिरी से भी बड़ी थीं। उसकी साँसें तेज होने लगी थी। मैंने उसकी कुरती की चैन जो उसकी पीठ पर थी खोलने चाहे तो उसने रोक दिया, और बेड पर सीधी लेट गयी। और मेरा हाथ अपनी नाभि के नीचे और बुर से जरा ऊपर रख दिया।

मैं इशारा समझ गया और झट से उसकी सलवार के अंदर हाथ डालकर उसकी बुर को सहलाने लगा और मुट्ठी में पकड़ने लगा। बुर में काफी गोस्त था। जो आसानी से मुट्ठी में पकड़ा जा रहा था। बुर गीली भी लग रही थी। फिर मैंने उसकी कुरती ऊपर किया, सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार नीचे खींचने लगा। उसने खुद गाण्ड ऊपर उठाकर सलवार निकालने में मदद की।

उसने बुर को कुरती से ढांप लिया। मैंने उसके हाथ हटाकर कुरती को ऊपर किया, और उसकी बुर देखकर पिरी की बुर भी भूल गया। क्या जबरदस्त बुर थी… इस तरह फूली हुई थी की जैसे गाण्ड के नीचे तकिया लगा हो। मैं उसकी बुर पे चूमा और चाटने लगा।

तब तक पिरी और जीनत अपने कपड़े उतारकर पूरी तरह नंगी हो चुकी थीं। और मेरे बदन से अपने बदन को रगड़ रही थीं। मैंने जेबा की कुरती ऊपर उठाते हुए उसकी दोनों चूचियों को बाहर निकाला।

सिर्फ़ मैं ही नहीं पिरी और जीनत भी बोल पड़ी- “क्या चूचियां हैं यार… तू तो बड़ी छूपी रुस्तम निकली। तेरी तो हमारी से भी बड़ी हैं यार… कैसे उठाकर फिरती हो…” और दोनों ने उसके एक-एक हाथ में अपनी एक-एक चूची को पकड़ा दिया। फिर बोली- “देखो हमारी तुमसे छोटी है ना… फिर भी हमें भारी लगता है, दिल करता है किसी को कहूँ पकड़कर चले…”

मैं तब तक उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर चुका था। अब वो आँख खोलकर कभी मुझे तो कभी उन दोनों को देख रही थी। मैंने जैसे ही मुँह उसके चूचुकों पर रखा उसने मेरे सर को पकड़ लिया, और जोर से अपनी चूचियों पर दबाने लगी। और इसस्स… सस्शह… की आवाज निकालने लगी।

फिर जीनत ने मेरे कपड़े उतारने शुरू किए, पिरी ने मेरी पैंट उतारा। और मेरे खड़े लण्ड को मुँह में डालकर चूसने लगी।

जीनत ने कहा- पिरी आज जेबा को सारा मजा लेने दो।

पिरी ने कहा- “मैं तो उसे सिखा रही थी…” फिर जेबा से कहा- “इसे चूसो…”

जेबा पहले हिचकिचाई। फिर अपना मुँह मेर लण्ड से लगा दिया और चूसने लगी। फिर क्या था पूरे लण्ड को चाटने लगी। अंडों तक को चाट डाला।

जीनत ने जेबा की स्कार्फ और कुरती उतार दिया। अब जेबा बिल्कुल नंगी थी। मैं उसके बदन को उन दोनों के बदन से तुलना करने लगा। जेबा हर हाल में उन दोनों से ज्यादा खूबसूरत थी।

लेकिन मुझे पिरी से पता नहीं कैसी लगाव थी की वोही मुझे सबसे अच्छी लगती थी। मैं साफ देख रहा था की पिरी को यह सब बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। वो सिर्फ़ मुझे अपना मान चुकी थी।

फिर जेबा को लिटाया गया और मैं उसकी बुर को चाटने लगा। फिर वो घड़ी आई जब मुझे उसकी बुर में लण्ड घुसाना पड़ा। वो मेरे पेट पर हाथ देकर रोकती रही मैं दबाता गया और पूरा लण्ड उसकी बुर के अंदर था। उसे कोई तकलीफ नहीं हुई। या उसने बर्दस्त कर लिया।

सबको ताज्जुब हुआ की इतना लंबा लण्ड कुँवारी लड़की कैसे झेल गयी। जीनत ने पूछ ही लिया- “जेबा तुझे दर्द नहीं हुआ…”

उसने भोलेपन से कहा- नहीं तो…”

“नहीं…” जीनत ने कहा- “तू पहले भी कर चुकी है ना…”

जेबा ने कहा- “तुम्हारा दिमाग खराब है…” और उसकी बोली से लग रहा था वो सच बोल रही है।

मैं चोदने लगा धक्के पे धक्का और वो मस्ती से मुझसे लिपट रही थी। मैंने उसकी चूचियों को दबोच रखा था और चूचियों को पी रहा था। मैं चोदते-चोदते पशीने से तरबतर हो गया। क्या लड़की थी यार… पानी ही नहीं छोड़ रही थी। लगभग आधे घंटे के बाद मेरा पानी निकलने लगा। तो मैंने बुर से लण्ड बाहर निकाल लिया और पानी उसके बदन पर निकालने लगा।

जेबा को घिन आ रही थी लेकिन पिरी और जीनत ने मेरे पानी को उसके बदन से चाट-चाट कर साफ कर दिया। जब जीनत जेबा के बदन को चाट रही थी, पिरी ने मुझे लिटा दिया और मेरे लण्ड को चाटना शुरू कर दिया और अपने दुपट्टे से मेरे चेहरे को साफ करने लगी।

यह देखकर जीनत जेबा से बोली- जरा उधर देख इमरान का उसकी बीवी कितना खयाल रखती है।

पिरी झट से बोली- “शुक्रिया… तुमने मुझे इमरान की बीवी कहा। काश मैं इमरान की बीवी बन सकती। लेकिन जब तक दूसरे किसी की बीवी नहीं बनी हूँ इमरान को ही अपना पति मानती रहूंगी। अब जरा यह भी बताओ की तुम इमरान की क्या लगती हो…”

इस सवाल ने जीनत जैसी हाजिर जवाब को भी सोचने पर मजबूर कर दिया।

तब जेबा ने कहा- “वो भी बीवी ही हुई…”

पिरी ने कहा- वो कैसे…

जेबा ने कहा- इमरान चार शादी कर सकता है।

जीनत ने कहा- वाह जेबा… तू ने मेरा दिल खुश कर दिया। क्या जवाब दिया है, और उसे चूम लिया।

पिरी अब जैसे मेरे ऊपर अपनी चूचियां से मसाज दे रही थी। पैर से अपनी चूचियां को रगड़ती हुई छाती तक लाती, फिर छाती से रगड़ते हुए पैर तक। बीच में रुक कर चूचियों को मेरे लण्ड पर रगड़ देती। मेरा लण्ड जागने लगा।

पिरी ने कहा- इमरान तुम चुपचाप लेटे रहो। आज मैं तुम्हें सारा मजा खुद दूँगी…” फिर चूचियां को मेरे मुँह में डालने लगी। मैं उसे चूसने लगा। वो बारी-बारी से अपने दोनों चूचुकों चूसवाने लगी। फिर सरकती हुई लण्ड चूसने लगी। अब लण्ड पूरी तरह खड़ा था।

मैंने महसूस किया की जब पिरी को चोदना होता है तो लण्ड कुछ ज्यादा ही मस्ती में आ जाता है। मैंने पिरी को इशारे से कहा की अपनी चूत को मेरे मुँह के पास लाए, और जीभ दिखाकर बताया की मैं चूत को चाटना चाहता हूँ। उसने खुशी से मेरे मुँह पर चूत रख दी। मैंने इससे पहले किसी की चूत नहीं चाटा था। इससे यह साबित होता है की कुछ बातें सीखने की जरूरत ही नहीं होती, अपने आप आ जाती हैं।


 पिरी- “आहहाहा… कितना मजा आ रहा है। मैं बता नहीं सकती। इमरान, तुमने मुझे अपना दीवाना बना दिया है। मैं ज़िंदगी भर तुम्हें नहीं भूलूंगी। दूसरे किसी से शादी कैसे करूँगी। आह्ह… तुम्हारी जीभ बुर में गुदगुदी कर रही है। आअहह… आअहह… सस्स्शह…”

यह सब वो सिर्फ़ जीनत को जलाने के लिए कह रही थी। बोली “ये जीनत, देख ना मेरा खसम क्या कर रहा है…”

जीनत जलकर बोली- मूत मत देना मुँह में।

पिरी बोली- “तुम जलती क्यों हो, तुम्हें भी मौका दूँगी। जरा शौहर बीवी का प्यार भी देखो…” फिर वो बोली- “इमरान और बर्दस्त नहीं होता मुझे लण्ड लेना है…”

मैंने पकड़ ढीली की तो वो उठकर मेरे लण्ड पे बैठ गयी। और फिर मुझ पर झुक गयी। और कमर हिलाने लगी। लण्ड बुर में अंदर-बाहर होने लगा। वो मुश्कुराते हुए जीभ बाहर निकालकर मेरे मुँह की तरफ दिखाने लगी। मैं समझ गया और मैंने भी जीभ बाहर निकाल दी और हम दोनों जीभ लड़ाई खेलने लगे। उधर मेरी कमर भी हिल रही थी, ताल-मेल बढ़िया थी। पिरी गाण्ड दबाती मैं कमर उठाता, जिससे एक ठप-ठप की आवाज निकलती। टक्कर जोर से जोरदार होने लगी।

पिरी बोली- “जीनत, जरा ठप-ठप की आवाज सुन, तू इतने में रो देती…” पिरी तू कुछ ज्यादा ही चहक रही है।
जीनत- “जरा गाण्ड में लेके दिखा। तेरे गाण्ड में कितना दम है मैं भी जरा देखूं…”

पिरी ताओ में आ गयी, बोली- “ठीक है। गाण्ड मिली है तो मरवाने से कैसा डर…” वो उठी और घोड़ी बन गयी।
मैं समझ गया। मैंने इस पोजिशन से अभी तक किसी को नहीं देखा था। मैं औरत की गाण्ड की खूबसूरती पहली बार देख रहा था। मुझे तो यह हिस्सा सामने वाले हिस्से से ज्यादा खूबसूरत दिख रहा था। मैं पिरी से बोलना भी चाहटा था की तुम्हारी गाण्ड तो बहुत खूबसूरत है। लेकिन दूसरी लड़कियों की वजह से चुप रह गया।

पिरी- “इमरान, मेरी गाण्ड हाजिर है, मारो मेरी जान…”

मैं सांड़ की तरह उसकी गाण्ड में अपना लण्ड घुसाने लगा। और ताज्जुब हुआ की लण्ड थोड़ा टाइट पर आराम से घुसता चला गया। यहाँ तक की पूरा लण्ड घुस गया

पिरी इससस्स… करने लगी।

जीनत ने कहा- क्यों पिरी नानी याद आई।

पिरी- “नहीं जीनत, यह तो मजे का एहसास है जो तुमने नहीं ली…”

फिर मैंने अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया जितना टाइट जा रहा था मुझे लग रहा था की पिरी को तकलीफ तो जरूर हो रही होगी। लेकिन वो जीनत को दिखाना नहीं चाहती थी।

जीनत ने कहा- “पिरी जल्दी छोड़ो, आज का दिन जेबा के लिए था। तुम सारी रात ले लोगी तो जेबा को क्या मिलेगा…”

पिरी ने पूछा- “तुम्हें नहीं लेना…”

जीनत ने कहा- “नहीं… मैंने अपना हिस्सा जेबा को दे दिया…”

पिरी को जैसे मुँह माँगी मुराद मिल गयी थी। उसने जल्दी-जल्दी गाण्ड पीछे धकेलना शुरू किया। मैं रुक गया और पिरी आगे पीछे होकर खुद ही गाण्ड मरवाने लगी।

जीनत ने कहा- “इमरान, तुम मारो ना रुक क्यों गये…” फिर मैं तेज-तेज धक्के मारने लगा। कुछ ही देर में मेरे लण्ड ने पिरी की गाण्ड में पानी छोड़ना शुरू कर दिया।

जीनत बोली- “अच्छा… इमरान थक गया होगा चलो एक खेल खेलते हैं…”

पिरी ने कहा- “इतनी रात को क्या खेल…”

जीनत बोली- “रात वाला ही खेल… इमरान हम तीनों को देखा भी है, छुआ और मसला, और चोदा भी है। हम उसकी आँखों में पट्टी बाँधेंगे। और वो हमारे अंगों को छूकर बताएगा की कौन है। मैं देखना चाहती हूँ की वो कितना पहचान पाता है…”

पिरी बोली- “वाह जीनत… तेरा जवाब नहीं, क्या-क्या आइडिया निकलता है तेरे दिमाग से यार…”

मेरेी आँखों में पट्टी, वो भी पिरी ने अपना दुपट्टा बांधा।

फिर जीनत बोली- “पहले हम इमरान के होंठ पर किस करेंगे। और इमरान बताएगा की किसने किस किया…”
मैंने कहा- ठीक है।

किसी ने आकर मुझे किस किया। मैंने उसके मुँह में जबान डालना चाहा तो उसने नहीं लिया। मैं समझ गया की यह जेबा है।

वो अलग हुई मैंने कहा- जेबा थी।

सबने कहा- बिल्कुल सही।

फिर किसी ने किस किया। किस का तरीका जंगली था।

वो अलग हुई तो मैंने कहा- जीनत।

बिल्कुल ठीक।














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