Wednesday, September 17, 2014

FUN-MAZA-MASTI पिकनिक का प्रोग्राम-4

FUN-MAZA-MASTI

  पिकनिक का प्रोग्राम-4
 फूफा मस्ती में आ चुके थे। मुम्मी अंजान बनी हुई थी। वो बैठी और फूफा की जांघों में इस तरह क्रीम लगाने लगी, की चूचियां को फूफा के घुटनों में सटा दिया था। और खुद दबा रही थी। दूसरी जाँघ में क्रीम लगाया, तौलिया हटाया तो मुम्मी को फूफा का लण्ड दिख गया। जो अब खड़ा हो ही रहा था।
फूफा ने झट तौलिया ठीक किया।
तो मुम्मी अदा के साथ शर्माते हुए बोली- “भाई साहब, हमसे शरम कैसा हम तो शादीशुदा हैं। यह सब देख चुके हैं। हमें भी तो देखने दीजिए की हमारी ननद का शौहर कैसा है…”
अब फूफा भी बेशरम हो गये और कहा- “सिर्फ़ देखने से काम नहीं चलेगा। इस पर भी क्रीम लगाइए…”
मुम्मी ने कहा- “भाई साहब, मुझे चैलेंज मत दीजिए। मैंने छः महीने से अपने शौहर को नहीं देखा है…”।
फूफा बोले- अच्छा तो यह बात है। ठीक है क्रीम लगाइए।
मुम्मी अब जान गयीं की अब फूफा उन्हें चोदे बिना नहीं छोड़ेंगे। मुम्मी ने क्रीम लिया और फूफा के लण्ड पर लगाने लगीं। फूफा आँखें बंद करके अयाया… अया… करने लगे।
मुम्मी बोली- भाई सब आपका तो बहुत बड़ा है जी।
फूफा बोले- क्यों डर गयीं।
मुम्मी ने कहा- नहीं मैं सोच रही थी की बेबी तो बड़ी नाजुक है, इतना बड़ा कैसे झेलती होगी।
फूफा बोले- छोड़िए ना उसे। अब तक आधा भी नहीं लिया है।
मुम्मी बोली- “क्या आपने अभी तक उसे छोड़ रखा है। वाकई आप बहुत नेक इंसान हैं। कोई और होता तो कब का फाड़ डालता…”
“आप लोगी…” फूफा मुम्मी के चेहरे को अपने हाथों में लेकर बोले।
मुम्मी आँखें बंद करके बोली- बहुत बड़ा अहसान होगा।
फूफा को ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी। वो बोले- “इसमें अहसान की क्या बात है। हम रिश्तेदार हैं एक दूसरे के काम आ तो सकते ही हैं…” और उन्होंने तौलिया फेंका और मुम्मी को कंधों से पकड़कर गले लगा लिया। और उनकी गालों को चूमने लगे। पीछे हाथ लेजाकर मुम्मी के कुर्ते की जीप खोली, कुर्ता उतार दिया और मुम्मी की चूचियों को देखने लगे और दोनों हाथों में भर लिया, दबाते हुए चूसने लगे। इतनी जल्दी-जल्दी एक को छोड़ते दूसरे को चूसते की लगता था वो पागल हो गये थे। मुम्मी की चूचियां को देखकर फिर फूफा ने मुम्मी की सलवार का नाड़ा खोलकर मुम्मी को गोद में उठा लिया, और पलंग पर लिटा दिया और चढ़ गये। और मुम्मी की चूचियों को मसलते हुए चूसने लगे।
उनका 9” इंच का लण्ड मुम्मी की बुर से टकरा रहा था। मुम्मी को चुभ भी रहा था। फूफा उठे और मुम्मी की बुर में लण्ड घुसाने लगे।
मुम्मी ने कहा- “अरे अरे क्या कर रहे हैं…”
फूफा घबरा गये- “क्यों… नहीं करना…”
मुम्मी- “जी, करना तो है लेकिन आप तो बिल्कुल अनाड़ी हैं। पहले मुझे अपना लण्ड चुसवाइए तो सही। सूखा लण्ड कैसे जाएगा…”
वो सामने आए और लण्ड का सुपाड़ा मुम्मी के मुँह में डाल दिया और मुम्मी के मुँह को चोदने लगे। मुम्मी की साँस उखड़ने लगी लण्ड हलाक तक जा रहा था।
फूफा अनाड़ी थे उन्हें पता नहीं था की लण्ड कितना मुँह में डाला जाए। मुम्मी ने उन्हें रोका और इशारा किया। फूफा लण्ड निकालकर बुर के पास गये।
तो मुम्मी ने कहा- “बुर को उंगली से फाड़कर थूकिए…”
फूफा ने वैसा ही किया। बुर को फाड़कर थूका जैसे किसी थूकदान में थूक रहे हों। फिर अपने लण्ड को मुम्मी की बुर पे रखकर पेलने लगे। लण्ड घुसता चला गया। मुम्मी एक हाथ फूफा के पेट पर रखकर रोक रही थी। फूफा रुके और पूछा- “और पेलूँ…”
मुम्मी पूछी- “और भी है क्या…”
फूफा बोले- और थोड़ा सा है।
मुम्मी बोली- पेलिए आहिस्ता से।
फूफा ने पूरा लण्ड पेल दिया। मैं पहली बार मुम्मी को डरते हुए देख रही थी। फूफा बिल्कुल अनाड़ी थे मुम्मी ने ही कहा- “मेरी टाँगों को अपने कंधे पर रखिए। और चोदिए मुझे…”
फूफा ने मुम्मी के टाँगों को अपने कंधे पर रखा, और एक बार लण्ड को बाहर निकलकर धक्का दिया। मुम्मी चीख पड़ी अया… फूफा घबरा गये बोले- “क्या हुआ…”
मुम्मी बोली- “बाप रे बाप… आपका लण्ड तो छाती तक आ गया है। आप परवाह मत करिए मारिए धक्का…”
फिर फूफा धक्के मारने लगे। मुम्मी हर धक्के में अयाया… अया… कर रही थी। हर धक्के के साथ उनका पूरा बदन दहल उठता था। पलंग हिल रहा था, लेकिन फूफा जब जोश में आ गये तो फिर नहीं रुके। मुम्मी की आँखों से आँसू के धारा बह रही थी। फूफा चोदते रहे। फिर वो मुम्मी पर गिर गये। और दोनों ने एक दूसरे को चूमना शुरू किया।
मुम्मी बोली- “भाई सब आप तो मस्त चुदाई करते हैं…”
फूफा बोले- “भाभीजान आपकी बुर भी जबरदस्त है। आपकी ननद तो रोना शुरू कर देती है…”
जीनत ताली बजाती हुई बोली- “जेबा यह सच्ची घटना है क्या…”
जेबा बोली- “छीः नहीं…”
और हम सब एक ही बेड पर सटकर सो गये।


 एक दिन पिरी ने मुझे ट्यूशन में एक खत सबकी नजरों से बचाकर दिया। मैंने सबकी नजरें बचाकर पढ़ लिया। लिखा था की कल घर के सब लोग मेरे लिए लड़का देखने कोलकाता जा रहे हैं। तुम कल रात मेरे घर रहोगे, अपने घर में कोई बहाना करके आना। मैं परेशान हो गया। इतनी जल्दी पिरी की शादी हो जायेगी। मैंने अपने जज़्बात पे काबू रखा और कल का इंतेजार करने लगा। दूसरे दिन पिरी ट्यूशन नहीं आई। मैं रात के 9:00 बजे पिरी के घर पहुँचा। दरवाजा खटखटाया तो अंदर से एक बहुत ही सेक्सी औरत ने दरवाजा खोला। मैं उन्हें पहचानता था वो पिरी की छोटी भाभी थी। साड़ी में गजब की सुंदर दिखती थी। उन्होंने मुझे अंदर बुलाया
मैंने पूछा- “पिरी है…” मैं दिल ही दिल सोच रहा था की पिरी तो बोली थी घर में कोई नहीं है पर…
उन्होंने एक कमरे की तरफ इशारा करके बताया- “उस कमरे में जाइए जनाब…”
मैं अंदर गया तो देखा एक खातून बुर्क़े में सोफे पर बैठी थी। काले बुर्क़े में उनके गोरे-गोरे हाथ ही दिख रहे थे। मुझे देखकर आदब कहा।
कहने का अंदाज अलग था मैंने जवाब दिया। और फौरन आवाज पहचान लिया यह तो पिरी है। मैंने कहा- “पिरी तुम हो…”
वो उठकर आई और मेरे गले से लिपट गयी।
मैंने कहा- तुम्हारी भाभी।
पिरी ने कहा- डरो मत सेट्टिंग है।
मैंने अब खुलकर उसे अपने सीने से चिपका लिया। उसकी बड़े-बड़े चूचियां मेरी छाती से पिसी जा रही थीं। अनोखा अहसास था बुर्क़े में। किसी को गले लगाना क्या होता है, मैं पहली बार महसूस कर रहा था। मैंने उसके नकाब को उलट दिए, उसकी होंठ चूमने, फिर चूसने लगा और हाथ उसकी पीठ पर फेरने लगा। मुझे महसूस हुआ बुर्क़े के अंदर पिरी ने कुछ नहीं पहना।
मैंने पुख़्ता करने के लिए पीछे से बुर्क़ा उठाना शुरू किया और उसकी गाण्ड के ऊपर करके नंगी गाण्ड को सहलाते हुए कहा- “पिरी तुम अंदर कुछ नहीं पहना…”
उसने शरारत भारी मुश्कुराहट के साथ कहा- “जरूरत है क्या…”
मैंने कहा- “नहीं, बिल्कुल नहीं। जब मैं आने वाला हूँ तो बिल्कुल नहीं…” और हम किस्सिंग करने लगे।
उसने कहा- तुम सोफे पे बैठो। मैं चाहती हूँ की तुम मुझे देखकर मुट्ठी मारो। देखना है मैं अपनी अदाओं से तुम्हारा पानी निकाल पाती हूँ की नहीं।
मैं सोफे पे बैठ गया। उसने म्यूजिक लगा दिया। हल्की आवाज में वो बुर्क़ा पहने हुए लहराने लगी। कभी कूल्हे मटकाती तो कभी छातियां हिलाती।
मैंने कहा- जरा कबूतरों को आजाद तो करो।
पिरी ने बुर्क़े के चार बटन खोल दिये, अपनी छातियों को बाहर निकाल दिया और हिलाने लगी, बड़ी महारत के साथ हिला रही थी। मेरा पूरा बदन थरथरा रहा था। मैं पैंट के ऊपर से लण्ड को सहलाने लगा। मैंने कहा- “जरा पीछे घूमो, और गाण्ड दिखाओ…”
पिरी घूम गयी, गाण्ड के ऊपर तक बुर्क़े के दामन को उठा दिया और हिलाने लगी। अब मेरा लौड़ा बिल्कुल खड़ा हो गया। वो सामने घूमी और बुर्क़े का आखिरी बटन भी खोल दिया। अब उसकी बुर दिखने लगी। मैं अब लौड़े को पैंट के अंदर नहीं रख सकता था। मैंने जैसे ही पैंट की जीप खोलना चाहा।
पिरी बोली- अभी नहीं… भाभी को आने दो, उनसे खुलवाएंगे। भाभी कहती हैं की सबका एक जैसा होता है। मुझे शादी के लिए मना रही थीं। मैंने कहा इमरान का स्पेशल है। तो उन्होंने कहा दिखना फिर…”
इतने में भाभी ट्रे में तीन ग्लास शरबत लेकर आ गईं और कहा- “सारी… जरा देर हो गयी। चीनी बड़े दाने की थी घुल ही नहीं रही थी…”
पिरी बोली- भाभी अब जरा आप जो देखना चाहती थीं देख लीजिए।
उन्होंने मेरे हाथ में एक ग्लास शरबत का दिया और दोनों ने एक-एक ग्लास ले लिया और पीने लगीं। पिरी खड़ी-खड़ी लहराते हुए पी रही थी। भाभी मेरे करीब सोफे पे बैठी पी रही थीं।
मैंने ही कहा- “भाभी मेरे चीज को आजाद कराईए ना अंदर उसे जगह नहीं हो रही।
भाभी- “अच्छा देखूं तो…” कहकर उन्होंने मेरे पैंट का जिप खोल दिया। और चड्डी को साइड करके लण्ड को बाहर निकाला। और मुँह पे हाथ रखकर हैरत से बोली- “पिरी यह क्या है यार… घोड़े के लण्ड से भी मोटा। इसे तू कैसे लेती है…”
पिरी- अभी लेके दिखाऊगी जरा सब्र तो करो।
भाभी बोली- सच में पिरी तेरी पसंद की दाद देती हूँ। क्या माल फाँसा है। मजा आ गया देख के।
पिरी- भाभी देख के मजा आता है तो सोचो चुदवा के कितना मजा आएगा।
भाभी बोली- मुझे भी मौका मिलेगा क्या…”
पिरी बोली- क्यों नहीं आपके लिए ही तो बुलाया है।
“सच…” कहकर भाभी लण्ड को सहलाने लगीं।
मैं सोफे पर सर के पीछे हाथ करके पिरी के नंगे डान्स का मजा ले रहा था। मुझे भाभी की हरकतों की कोई परवाह नहीं थी। मैं तो पिरी की खूबसूरती को पी जाना चाहता था। जितने दिन वो यहाँ है। मैं उसे हर तरह से एंजाय कर लेना चाहता था। और पिरी भी यही चाहती थी। भाभी अब मेरे पैंट के हुक खोल चुकी थीं। पैंट को मुझसे अलग कर रही थीं। मैं उनकी मदद कर रहा था। पैंट अलग हुआ फिर टी-शर्ट। मैं अब बिल्कुल नंगा था। पिरी भी बुर्क़ा बदन से अलग कर चुकी थी। और अब भी म्यूजिक की धुन में लहरा रही थी। वो अपने बदन की हर एक खूबसूरती को मुझ पर उजागर करने पे तुली थी।
अब पिरी ने मुझसे कहा- इमरान अब जरा मेरी भाभी को अपना हुनर दिख दो। ऐसा की वो ज़िंदगी भर भूल ना पाएं।
तब मैंने भाभी पर तवज्जो दिया, उन्हें अपनी बाहों में जकड़ लिया और उनकी होंठ चूमने लगा फिर चूसने लगा। मेरी बाहों की पकड़ बहुत मजबूत थी। भाभी कसमसने लगी। मैंने और कसकर पकड़ लिया। फिर उनकी छातियों को ब्लाउज़ के उपर से मसलने लगा। भाभी सोफे पर लेट गयीं। मैंने बटन खोले और ब्लाउज़ उतार दिया। फिर ब्रा बिना हुक खोले उठा दिया। छातियां बाहर आ गईं। भाभी की छातियां भी कुछ कम नहीं थीं। पिरी से बड़ी थी लेकिन पिरी की तरह गोल नहीं थी। थोड़ा ढीली और लटकी हुई थीं। मैंने सीधे चूचुक पकड़ लिए और मसल दिया। भाभी तड़प गयी। मैंने फौरन मुँह लगा दिया और दोनों छातियों को मसलता रहा, चूसता रहा।




पिरी चाहे जितनी खूबसूरत हो मुझे मानने में कोई शरम नहीं की अलग-अलग औरत का अलग ही मजा होता है। मैं अब उनकी साड़ी और पेटीकोट खोलने लगा, जो एक मिनट में बदन से अलग हो गयी। मैंने अपनी से दो उंगलियों में थूक लगाया और सीधे भाभी की बुर में घुसाकर आगे पीछे पूरी रफ़्तार में करने लगा। मुझे भाभी को चोदने में कोई इंटेरेस्ट नहीं था। सिर्फ़ जल्द से जल्द उन्हें निपटाना चाहता था।
भाभी तड़पने लगीं। मैं उनकी बुर पर आ गया।, और मुँह लगाकर चाटने लगा। दो मिनट बाद मैंने लण्ड को भाभी की बुर पर रखा और धक्का दिया। मुझे मालूम था शादीशुदा हैं। मैंने एक ही बार में पूरा लण्ड घुसा दिया। भाभी हड़बड़ा कर उठने लगी की भाग जाएंगी। लेकिन मैं उनपर चढ़ गया और चोदने लगा, जैसे किसी दुश्मन को सजा दे रहा हूँ। मैं बहुत ही जंगली अंदाज में चुदाई कर रहा था।
भाभी- “पिरी बचा मुझे… मेरी बुर फट चुकी है। लण्ड छाती तक घुस गया है। तेरी बुर को सलाम करती हूँ। कैसे सहती है तू…”
पिरी- भाभी एंजाय करो।
भाभी- एंजाय क्या करना ज़िंदा बचूँ तो बहुत है।
मैंने कुछ नर्मी बरती और आराम से चोदने लगा।
भाभी भी अब मजा लेने लगीं- “वाह पिरी, आज तूने मुझे औरत होने का शुख दिया।
पिरी- शुख तो कोई और दे रहा है। आप मेरा शुक्रिया क्यों कह रही हो।
भाभी ने मेरी तरफ मुश्कुराते हुए कहा- तेरी वजह से ही तो जनाब मिले हैं। अच्छा बता पिरी, इनका लण्ड खाने के बाद तेरे भैया की पेंसिल को मैं ज़िंदगी भर कैसे लूँगी।
पिरी- वो आप समझें। मुझे यह साबित करना था की सबका एक जैसा नहीं होता।
भाभी- पिरी कह देना कभी-कभी घर आते रहें।
मैं चोदते हुए उनकी बड़ी-बड़ी छातियों को नाचते हुए देख रहा था। सच कहता हूँ ऐसा नजारा अब तक किसी कुँवारी लड़की से नहीं मिला था। मैंने अपने दोनों हाथों में दोनों छातियों को पकड़ लिया और चूचुकों को चुटकी में लेकर मसलने लगा।
भाभी तड़पने लगीं और कहा- मत करो ना, बहुत सरसराहट होती है।
मैंने कहा- आप चुपचाप पड़ी हैं गाण्ड उछालकर चुदिए।
भाभी गाण्ड उछलने लगी। मैंने धक्के बंद कर दिए और भाभी गाण्ड उछालकर खुद ही लण्ड लेने लगीं। मैं उनके चूचुकों को चूसने लगा। फिर मैं भी धक्के मारने लगा। भाभी का बदन अकड़ने लगा, वो मुझसे लिपट गयी और उनकी बुर से पानी बहने लगा।
आअहह… आअहह… उम्म्म्मह… और वो सर्द पड़ गयी।
लेकिन मेरा लण्ड उनकी बुर को बदस्तूर चोद रहा था। पिरी जान चुकी थी भाभी पानी छोड़ चुकी हैं।
पिरी ने कहा- “क्या यार पोजिशन चेंज करो ना।
मैंने लण्ड बुर से बाहर निकाला, भाभी को घोड़ी बनने को कहा।
भाभी बोली- नहीं और नहीं फिर कभी।
पिरी बोली- ऐसा कैसे, आपने उसके लण्ड का साइज देखा, जरा टाइमिंग भी देख लो।
भाभी का भी दिल था वो फिर तैयार हो गयीं, और सोफे पे सर रखकर पैर जमीन पर रखकर गाण्ड ऊपर उठा दिया। मैं खड़ा होकर झट से उनकी बुर में लण्ड धकेल दिया। भाभी की गाण्ड बहुत खूबसूरत थी। मैंने फौरन स्पीड पकड़ लिया। मुझे पिरी पर गुस्सा आ रहा था, और मैं गुस्सा भाभी की गाण्ड पर उतार रहा था। भाभी आ आ करती रही। लेकिन मैं बेदर्दी से धक्के मार रहा था।
पिरी फिर बोली- इमरान जरा भाभी की गाण्ड भी मार ले ना।
भाभी रोने वाली आवाज में बोली- नहीं पिरी मैं मर जाऊँगी, गाण्ड में नहीं। मैंने कभी गाण्ड नहीं मरवाई।
पिरी- तो अब मरवा लो।
भाभी मना तो कर रही थीं लेकिन गाण्ड उठाई हुई थीं। मैंने बुर से लण्ड निकाला और गाण्ड के सुराख में धकेलने लगा। लण्ड बुर के रस में गीला था। फिर भी बड़ी मुश्किल से अंदर जाने लगा।
भाभी- “आह्ह… मर गयी… मर गयी…” कहती रहीं मैं गाण्ड मारने लगा।
फिर पिरी बोली- “इमरान, अपना पानी भाभी की बुर में छोड़ना। मैं चाहती हूँ की भाभी तेरे बच्चे की माँ बनें…”
भाभी चौंकते हुये- क्या… तू अपने घर में दूसरे का बच्चा पैदा करवाना चाहती है।
पिरी बोली- मैं अपने घर में इमरान की कोई निशानी चाहती हूँ।
भाभी बोली- तो तू खुद पैदा कर।
पिरी बोली- मैं भी कोशिश करूँगी। लेकिन दो जने कोशिश करें तो ज्यादा बेहतर होगा।
इतने में मुझे लगा मेरा पानी आने वाला है। मैंने गाण्ड से लण्ड निकाला और भाभी की बुर में डाला और बुर के अंदर पानी छोड़ने लगा। पानी छोड़ने का मजा ही कुछ और होता है। जैसे सारा बदन का रस निचोड़ा जा रहा हो। और उसे लण्ड के सुराख से बुर में डाला जा रहा हो। मैं सोफे पर बैठ गया।
पिरी फौरन मेरे पास आई और मेरे लण्ड को चूसने लगी। लण्ड पर लगे रस को चाट-चाट कर साफ कर दिया। उसे चोदने की खाहिश या उसके हुश्न की जादू से मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा। पिरी सोफे पर मेरे अगल बगल पैर रखकर खड़ी हो गयी, जिससे उसकी बुर मेरे मुँह के सामने थी। मैं समझ गया वो क्या चाहती है। मैं फौरन उसकी बुर जबान से चाटने लगा। वो बुर को मेरे मुँह में दबाने लगी। मैं उसकी बुर में जबान घुसा-घुसाकर चाटने लगा। वो पहले से गरम थी। अब मस्त हो गयी, और मेरे लण्ड पर बैठ गयी। लण्ड पूरा बुर के अंदर चला गया। मेरे कंधे पर बाहें डालकर कमर ऊपर-नीचे करते हुए लण्ड लेने लगी।
मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे गालों को किसी बच्चे की तरह चूमते हुए बोली- “तुम थक गये होगे ना… मैंने रेस्ट भी नहीं दिया और चढ़ गयी। क्या करूँ तुम्हें देखकर सब्र करना मुमकिन ही नहीं होता। तुम आराम से बैठो। मैं तुम्हें जैसा कहोगे, वैसा मजा देने की कोशिश करूँगी…”
वो अपनी कमर को इतने आराम से ऊपर-नीचे कर रही थी, जैसे कोई मेरे लण्ड को मलमल के रुमाल से पकड़कर सहला रहा हो।


कहानी ज़ारी है… …







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