FUN-MAZA-MASTI
नजदीकियां
नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अर्जुन सिंह और मुंबई का रहने वाला हूँ और इस कहानी के माध्यम से मैं आपको सोनाक्षी के चुदाई के बारे में बताना चाहता हूँ | यूँ की अप और मैं एक दूसरे को जानते नहीं और यह हसीं आपको ज़रूर संतुष्ठी देंगे और मेरा बोझ हल्का करेंगे | इसकी शुरुवात हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में उपयोग में आने वाले यातायात के साधन यानी ऑटो-रिक्क्षा में हुई थी | मैंने जब पहली बार सोनाक्षी को देखा था उसके मोटे चुचों और गोरे बदन को देखकर मैं वहीँ उसे दिल दे बैठा था | अब च्यूंकि मुझे लड़कियों का दिल जितना अच्छे से आता था इसीलिए मैंने उससे अपनी मीठी – मीठी बातों में खूब अछे से फंसा लिया और आखिर में उसका फोन नंबर भी मांग लिया | हम अब एक दूसरे को रोज मेसेज लिखके भेजा करते और धीरे – धीरे एक – दूसरे से घन्टों भर बात करने लगे |
हम लोग एक दूसरे से अब मीठी – मीठी बातों के अगले पढाव यानी रोमांस पर पहुँच चुके थे और रोज रात को सोने से पहले सोनाक्षी मुझे फोन पर ही चुम्मा दिया करती थी और उसके लबों की आवाज़ सुनके मेरा लंड मेरी पतलून के अंदर ही कुद्कियाँ लगाने लगता था | मेरा कार्यालय का काम भी इतना बढ़ चूका था की मैं छुट्टियाँ निकलकर सोनाक्षी से अकेले में मिलने नहीं जा सकता था | हमारी बेचैनी ने अब दूसरा मौड लेना शुरू कर दिया था और अब जब भी सोनाक्षी मुझे फोन पर बात करती हुई मिलने के तरसती धिकायी देती तो मैं उसे अपनी मीठी – मीठी बातों के चरम – सीमा पर ले आता यानी उससे खुलकर कामुक बातें किया करता जिसपर कोई आपत्ति ना जताती और मेरे सवाल के धीमी मुस्कान के साथ जवाब भी दे दिया करती | शुरू – शुरू में तो वो काफी शर्माती थी पर जब उसे आदत सी लगी थी वो भी सुनती हुई मिसमिसा जाती थी और मुझे अपनी कामुक आवाजों से गरम कर दिया करती | मैंने भी सोच लिया की अब मैं इसकी चुत को रंगीन करने में ज्यादा वक्त नहीं बर्बाद करूँगा और मैंने अपने कार्यालय से माँ के बीमार होने के बहाने पर दो दिन छुट्टियाँ ली और उसे पूरी तैयार के साथ अगले दिन अपने घर पर बुलाया |
दोस्तों जब सोनाक्षी मेरे घर पर आई तो मैं उसे देख हैरान रह गया | अब उसके चुचे पहले से भी ज्यादा मोटे थे और वो बिलकुल एक गद्देदार रांड की तरह लग रही थी | मैंने भी उसे देख मुस्कुराते हुए अपनी तरफ खींच लिया और बाहों में भरके उसे अपनी बेताबी के जूठे – मूठे किस्से सुनाने लगा |सोनाक्षी भी मुझे गले मिलकर गर्म सांसें लेती हुई पूरे चैन में थी की मैंने उसकी कुर्ती की चैन पीछे से खोल डाली और उसके साथ – साथ उसके ब्रा को भी खोल दिया | जिन चुचों पर मैंने कभी अपना दिल लिटा दिया था आज वो मेरे मुंह में थे और दोस्तों इससे बढ़िया बात क्या हो सकती थी भला. . . ! ! अब मैंने उसके चुचों को चूसते हुए अपने अन्घुटे को उसके मुंह में डाल दिया जिससे वो गरम होती हुई सारी बढ़ास उसे चूसते हुए निकाल रही थी | मैंने उसे वहीँ बिस्तर पर लिटाया और उसकी नीचे की सलवार भी खोल दी और देखा की सोनाक्षी की सफ़ेद पैंटी बिलकुल गीली चुत कर चुकी थी | मैंने उसके चूतडों पर २ थप्पड़ मारते हुए उसके पैंटी को उतार फेंका और अपनी जीभ उसकी चुत की फांक के बीच रखकर चाटने लगा |
मेरी इस हरकत पर सोनाक्षी पागलों की तरह मचल रही थी तभी मैंने उसकी टांग को अपने हाथ चौड़ाते हुए अपने काले नागराज को निकाल दिया जिसे देख वो शर्म उठी और मैंने अपने सुपाडे को उसकी चुत की फांकों के बीच मसलने लगा | मैं अब थोडा आगे को होते हुए उसके होठों को चूसता रहा और अपनी जाँघों के दम से अपने लंड के प्रहार करने लगा | जिससे कुछ ही देर में छ्हप्प चाह्ह्हप्प करके आवाजों से मेरा लंड सोनाक्षी की चुत में अंदर – बहार होने लगा | मैंने उसकी होठों को पागलों की तरह चूस रहा था और कभी मेरे ज़ोरदार झटके से उसकी आःह्ह्ह भी निकल जाया करती | कुछ ही देर बाद मैं उसके चुत पर झड गया और फिर उसकी चुचों के साथ खेलने लगा | उस दिन हमने फिर खाना खाके तरोताजा होकर १ बार और चुदाई का खेल खेला और आज तक हम इस चुदाई के खेल को खेल रहे हैं |
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हम लोग एक दूसरे से अब मीठी – मीठी बातों के अगले पढाव यानी रोमांस पर पहुँच चुके थे और रोज रात को सोने से पहले सोनाक्षी मुझे फोन पर ही चुम्मा दिया करती थी और उसके लबों की आवाज़ सुनके मेरा लंड मेरी पतलून के अंदर ही कुद्कियाँ लगाने लगता था | मेरा कार्यालय का काम भी इतना बढ़ चूका था की मैं छुट्टियाँ निकलकर सोनाक्षी से अकेले में मिलने नहीं जा सकता था | हमारी बेचैनी ने अब दूसरा मौड लेना शुरू कर दिया था और अब जब भी सोनाक्षी मुझे फोन पर बात करती हुई मिलने के तरसती धिकायी देती तो मैं उसे अपनी मीठी – मीठी बातों के चरम – सीमा पर ले आता यानी उससे खुलकर कामुक बातें किया करता जिसपर कोई आपत्ति ना जताती और मेरे सवाल के धीमी मुस्कान के साथ जवाब भी दे दिया करती | शुरू – शुरू में तो वो काफी शर्माती थी पर जब उसे आदत सी लगी थी वो भी सुनती हुई मिसमिसा जाती थी और मुझे अपनी कामुक आवाजों से गरम कर दिया करती | मैंने भी सोच लिया की अब मैं इसकी चुत को रंगीन करने में ज्यादा वक्त नहीं बर्बाद करूँगा और मैंने अपने कार्यालय से माँ के बीमार होने के बहाने पर दो दिन छुट्टियाँ ली और उसे पूरी तैयार के साथ अगले दिन अपने घर पर बुलाया |
दोस्तों जब सोनाक्षी मेरे घर पर आई तो मैं उसे देख हैरान रह गया | अब उसके चुचे पहले से भी ज्यादा मोटे थे और वो बिलकुल एक गद्देदार रांड की तरह लग रही थी | मैंने भी उसे देख मुस्कुराते हुए अपनी तरफ खींच लिया और बाहों में भरके उसे अपनी बेताबी के जूठे – मूठे किस्से सुनाने लगा |सोनाक्षी भी मुझे गले मिलकर गर्म सांसें लेती हुई पूरे चैन में थी की मैंने उसकी कुर्ती की चैन पीछे से खोल डाली और उसके साथ – साथ उसके ब्रा को भी खोल दिया | जिन चुचों पर मैंने कभी अपना दिल लिटा दिया था आज वो मेरे मुंह में थे और दोस्तों इससे बढ़िया बात क्या हो सकती थी भला. . . ! ! अब मैंने उसके चुचों को चूसते हुए अपने अन्घुटे को उसके मुंह में डाल दिया जिससे वो गरम होती हुई सारी बढ़ास उसे चूसते हुए निकाल रही थी | मैंने उसे वहीँ बिस्तर पर लिटाया और उसकी नीचे की सलवार भी खोल दी और देखा की सोनाक्षी की सफ़ेद पैंटी बिलकुल गीली चुत कर चुकी थी | मैंने उसके चूतडों पर २ थप्पड़ मारते हुए उसके पैंटी को उतार फेंका और अपनी जीभ उसकी चुत की फांक के बीच रखकर चाटने लगा |
मेरी इस हरकत पर सोनाक्षी पागलों की तरह मचल रही थी तभी मैंने उसकी टांग को अपने हाथ चौड़ाते हुए अपने काले नागराज को निकाल दिया जिसे देख वो शर्म उठी और मैंने अपने सुपाडे को उसकी चुत की फांकों के बीच मसलने लगा | मैं अब थोडा आगे को होते हुए उसके होठों को चूसता रहा और अपनी जाँघों के दम से अपने लंड के प्रहार करने लगा | जिससे कुछ ही देर में छ्हप्प चाह्ह्हप्प करके आवाजों से मेरा लंड सोनाक्षी की चुत में अंदर – बहार होने लगा | मैंने उसकी होठों को पागलों की तरह चूस रहा था और कभी मेरे ज़ोरदार झटके से उसकी आःह्ह्ह भी निकल जाया करती | कुछ ही देर बाद मैं उसके चुत पर झड गया और फिर उसकी चुचों के साथ खेलने लगा | उस दिन हमने फिर खाना खाके तरोताजा होकर १ बार और चुदाई का खेल खेला और आज तक हम इस चुदाई के खेल को खेल रहे हैं |
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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