Sunday, September 7, 2014

FUN-MAZA-MASTI मेरी कहानी--2

FUN-MAZA-MASTI

मेरी कहानी--2
 दिनकर - ओके बेटी तुम क्लास जाओ मैं तुम्हारा लिस्ट में नाम डाल दूंगा

दिनकर जी अपनी हालत छुपाते हुवे कुर्सी पे बैठ गए

मैं जब कमरे से बहार आई तो मैंने अपनि सलवार की ऊपर से उँगलियों से सफ़ॆद पानी पोछा। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की एक अधेड़ आदमी मुझसे लिपट के अपना वीर्य निकाल देगा। क्या मैं इतनी हॉट थि. मैं ख़ुशी ख़ुशी अपने घर के तरफ बढ़ गई.
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बाहर मैंने ऑटो वाले को रोका , कॉलेज के सभी स्टूडेंट मेरे बिना ब्रा की सूट में उछलते चूची को देख रहे थे.

रूपा - भैया हरिनगर चलोगे?

ऑटो वाला - जी बीबी जी, चलूँगा

रूपा - कितना लोगे?

ऑटो वाला - (मेरी चूची को घूरते हुवे, मुस्कुरा कर ) आप जितना दे दें बीबी जी

रूपा - (मैं मन में सोच रही थी आज सारी दुनिया मेरे पीछे कितनी पागल है रिक्शा वाला भी . केवल इसलिए की मैंने उन्देर्ग्रमेंट्स नहीं पहना। मैंने भी सिचुएशन को हॉट बनाते हुवे उस गंदे ऑटो वाले के सामने अपनी बड़ी बड़ी चूची निकल कर बोली) भैया मेरे पास केवल बीस रूपए हे है.

ऑटो वाला - कोई बात नहीं बीबी जी वैसे तो सत्तर रूपए होते हैं वहां तक के लेकिन आप बीस हे दे दीजियेगा।

रूपा - (वाह क्या बात है )

मैं ऑटो में अन्दर बैठ गई और वो ऑटो ड्राईवर सामने के शीशे में मुझे घूरते हुवे ऑटो चलाने लगा. ऑटो में मेरी चूचियां बहुत उछल रही थी. जितनी बार कोई गड्ढा आता मेरी बड़ी बड़ी चूची उछल कर सूट से बाहर निकल जाति. ऑटो वाले ने सीशा थोडा नीचे किया ताकि वो मेरी उछलती चुचियों को अछे से देख सके. बेशक उसका लुंड उफान मार रहा था वो एक हाथ से ऑटो चलता और दुसरे हाथ से अपने लंड को पैंट के ऊपर से हे दबा देता।

शाम का वक़्त हो चला था, घने बादल घिर आये थे जिससे काफी अँधेरा हो गया था

रूपा - भैया जल्दी चलो बारिश होने वाली है.

ऑटो वाला - जी बीबी जी

ऑटो वाला जितनी हे तेज़ गाडी चलता मेरी चूची उतने हे जोर से उछलती, मैं कई बार एक हाथ से अपनी चूची पकड़ लेती ताकि वो कम हिले। लेकिन ऑटो वाले ने मुझे ऐसा करता देख लिया था. वो मुस्कुराते हुवे अपने लंड को मसल देता। एक सुन्स्सान जगह पे मैंने देखा की वो अपना बायाँ हाथ जोर से हिला रहा था. मैं ऑटो में थोड़ा आगे की तरफ झुकी तो देखा की वो अपने पेंट का जिप खोले हुवे अपना पूरा हाथ अन्दर डाल लंड को हिला रहा है. मैं ये देख के सन्न रह गई, वो गन्दा सा आदमी इतना बेशर्म हो जायेगा। उफ्फ्।।।।

एक सुरंग के पास से जब हमारी ऑटो गुजर रही थी तभी. वो जोर से मुट्ठ मारने लगा, मुझे पक्का यकीन था की उसने इस बार लंड को पेंट से बाहर निकाल लिया है. मैं उसका लैंड देखना चाहती थि. लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुइ। हिलते हुवे उसने शायद अपना मुट्ट निकाल लिया था, और वो अब मुझे शीशे में स्माइल दे रहा था.
सुरंग के बाद ही मेरा घर था. मैं ऑटो से उतरी तो मैने सबसे पहले उस ऑटो वाले के पैंट की तरफ देखा। उसने लंड तो अन्दर डाल लिया था लेकिन जिप खुली होने के कारण मैं उसका मोटा काला लंड देख पा रही थी. इतना बड़ा काला लंड देख मेरी साँसे तेज़ हो गई. मैं उसे पैसे देने लगी तो उसने अपने मुटठ से सने हाथ से हे पैसा लिया और मेरे हाथ पे उसका गाढ़ा सफ़ेद मुटठ लगा गया था. वो मुझे गन्दी नज़र से देख रहा था
मैं झट से वहां से भाग आयी. कमरे में आते हे बिस्तर पे लेट गई और अपने हाथ को सूंघी तो उसमे उसके लंड की गँध थी. मैं सोच में पड़ गई की आज क्या क्या हुवा। एक अधेड़ ने अपना मुटठ निकाला और अभी अभी एक ऑटो वाले ने. ये मैं क्या कर रही थी डेल्ही आ कर. क्या मैं ये करने आई थी. लेकिन फिर भी ये सब मुझे बहुत रोमांचित कर रही थी. मैं अभी भी, उस ऑटो वाले का वीर्य सूंघ रही थी. ना जाने कब मेरा दूसरा हाथ मेरी सलवार के ऊपर चल गया, मैं अपनी चूत सहला रही थी. मुझे तो पहले यकीन नहीं हुवा लेकिन जब मैंने गौर से देखा तो मेरी सलवार पूरी तरह से मेरी चूत की पानी से गीली हो गई थी. आज से पहले कभी भी मेरी चूत से इतना पानी नहीं निकला था. मैं अपना एक हाथ सलवार के अन्दर डाल अपनी गीली बूर मसल रही थी. ओह.…… ये मुझे क्या हो रहा है.

 मैं अपने होश में नहीं थी. ना जाने मुझे क्या हो रहा था, मैं जोर जोर से अपनी गीली चूत को मसल रही थी. मेरे आनंद की सीमा नहीं थी मैं आह आह की आवाज़ निकालते हुवे अपनी बुर में ऊँगली का मज़ा लेने लगी. मेरी साँसें तेज़ हो रही थी और मैं अपनी जांघे फैलाये बुर का रास्ता खोल रही थी. मेरी गरम चूत से चिपचिपा पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था. बिस्तर पे लेटे मैं घुटने तक अपना सलवार सरकाए हुवे ऊँगली का मजा ले रही थी की तभी बिस्तर पे पड़े मेरे सेलफोन पे घंटी बजी.…

मैं दुसरे हाथ से फोन पकड़ी तो देखा पापा कॉल कर रहे हैं.

रूपा - हेल्लो पापा

पापा - रूपा बेटी कैसी हो? कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना डेल्ही में?

रूपा - नहीं पापा कोई प्रॉब्लम नहीं हुई मेरी एक सहेली ने मुझे यहाँ पे अच्छा सा घर दिल दिया। मैं अच्छी हूँ पापा, मेरी चिंता मत करिए। माँ कैसी हैं ?

पापा - अच्छी हैं बेटी, लेकिन तुम्हारे बगैर दिल नहीं लगता

रूपा - पापा, मैं भी आपको बहुत मिस कर रही हूँ

(मैं अभी भी पापा से बात करते हुवे सलवार के अन्दर अपनी ऊँगली से बुर चोद रही थी, मेरी सिस्कारिया तेज़ हो रही थी )

पापा - क्या हुवा बेटी तुम इतना क्यों हांफ रही हो, क्या काम कर रही हो?

रूपा - (एक पल को मैं अपनी हरकत पे मुस्कुरा बैठी, पापा को क्या बोलूं की मैं क्या कर रही हूँ) कुछ नहीं पापा बस युहीं बिस्तर पे लेती आराम कर रही हूँ

पापा - ओह अच्छा बेटी, आज कॉलेज नहीं था क्या ? ठीक से मन लगा के पढ़ाई करना बेटी

रूपा - कॉलेज से आ गई पापा, मैं एस्कोलेर्शिप के लिए कोशिश कर रही हूँ आज रूम पे जल्दी आ गई.
(दूसरी तरफ मैं तेज़ी से अपनी बुर में ऊँगली कर रही थी, मैं अपनी चरम सीमा पे पहुचने वाली थी बुर से पानी निकलने वाला हे था. मेरा ओर्गास्म होने वाला था लेकिन मैं अपनी किस्मत को कोस रही थी की किस टाइम पे पापा ने फ़ोन कर दिया मैं खुल के masturbate भी नहीं कर पा रही. मुझे पापा के सामने स्खलित होने में बहुत शर्म आ रही थी इसलिए मैंने पापा से बहना किया

रूपा - ओके पापा मैं चाय बनाने जा रही हूँ

पापा - ठीक है बेटी अपना ख़याल रखना

फ़ोन रखते हुवे हे मैं तेज़ी से आआह आआह की आवाज़ निकालते हुवे बिस्तर पे हे स्खलित हो गई

मैं काफी रिलैक्स होकर थोड़ी देर सो गई. करीब एक घंटे बाद मैंने अपने लिए चाय बनाया, रिफ्रेश हुई, कपडे बदले और खिड़की से बहार देखने लगी. खड़ी खड़ी मैं सोचती रही की मै ये सब क्या कर रही हूं। आज से पहले मैं कभी भी masturbate नहीं किया था वो भी पापा के साथ बात करते हुवे??? छी.. मैं कितनी गन्दी हूँ. बहार तेज़ बारिश हो रही थी, इसी बीच मुझे फिर से फ़ोन आया इस बार कॉलेज से दिनकर जी का फ़ोन था मुझे लगा मेरा एस्कोलेर्शिप हो गया मैं ख़ुशी से फ़ोन उठाई।

दिनकर - हेलो रूपा बेटी? मैं दिनकर कॉलेज से तुम्हारा हेड. तुमने वो एस्कोलेर्शिप के लिए बात की थी

रूपा - हाँ दिनकर अंकल बोलिए

दिनकर - बेटी मैंने काफी कोशिश की लेकिन तुम्हारे मार्क्स इतने कम हैं की मैं तुम्हारा नाम लिस्ट में नहीं निकाल सकता

रूपा - (मेरी तो जैसे जान सूख गई, अब मैं कैसे पढ़ाई करुँगी। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था) प्लीज अंकल मेरी मदद करिए

दिनकर - सॉरी बेटी बहुत मुश्किल है

(काम बिगड़ता देख, मैंने दिनकर अंकल को पटाने की सोची)

रूपा - ओह्ह्ह अंकल प्लीज, मैं कुछ भी करुँगी आपके लिए. मैं आपसे पर्सनली आकर मिलती हूँ (मैंने सेक्सी आवाज़ में दिनकर अंकल को रिझाने की कोशिश की)

दिनकर - बेटी इस वक़्त ?? अभी तो बारिश भी हो रही है तुम कैसे आओगी ?

रूपा - मैं आ जाउंगी अंकल, क्या आपको मेरा आपके घर आना पसंद नहीं?

दिनकर - नहीं ऐसी बात नहीं है. मैं तो घर पे अकेला ही हूं। मेरी पत्नी मायक़े गई है.

रूपा - (wow दिनकर अंकल घर पे अकेले?? अब तो मेरा काम और भी आसान हो जाएगा )
तो फिर मैं आ रही हूँ आपके घर अंकल, अगर बारिश ज्यादा हुई तो आपके घर हे रुक जाउंगी आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं है न अंकल ?

दिनकर - (थोडा सोचते हुवे) नहीं बेटी मुझे कोई ऐतराज़ नहीं, तुम आज रात रुक जाना मेरे घर मैं डिनर आर्डर कर देता हूँ

उफ़ मैंने तो सिर्फ पूछा था, ऐसा लगता है जैसे दिनकर अंकल मेरी जवानी का लुफ्त उठाने में कोई कोशिश छोड़ना नहीं चाहते

रूपा - ठीक है अंकल मैं आती हूँ

मैं इस बार कोई भी मौका गवाना नहीं चाहती थी इसलिए मैं सुबह वाली सूट और सलवार पहेन ली मैंने अन्दर ना तो ब्रा पहना था ना हे पैंटी। ब्रा और चड्ढी मैंने पर्स में रख लिया था. बहार निकल कर मैंने आटो किया, बारिश बहुत तेज़ हो रही थी जबतक मैं दिनकर अंकल के घर पहुचती मैं काफी भीग गई थी. दिनकर अंकल के घर पहुच कर सबसे पहले दरवाजे पे मैंने अपना दुपट्टा गले से नीचा किया और सूट के ऊपर के दो बटन खोल दिए. सलवार मैं ढीला बाँध रखी थी, मैंने सलवार को अपनी नाभि के नीचे कर दिया। मेरी नाभि की गहराई भीगे हुवे सूट में साफ़ नज़र आ रहे थे. कपडे मेरे बदन से चिपक कर मेरे सारे उभारों को पर्दर्शित कर रहे थे

दरवाजे का बेल बजाने के बाद

दिनकर - ओह रूपा बेटी आ गई तुम?

(दिनकर अंकल ने मुझे उपर से नीचे तक घुरा. वो एक बनियान और लुंगी पहने हुवे थे. हाथ में शराब की गिलास थी )

मेरी अधखुली चूची और गहरे नाभि की इम्प्रैशन देख कर उनका लंड लुंगी में हे खड़ा होने लगा

दिनकर - अन्दर आओ बेटी तुम तो काफी भीग गई हो

दिनकर - बेटी कुछ पियोगी?

मैं वहीँ भीगी कड़ी थी, ब्रा और पैंटी न पहनने के कारण मेरी चूची और बुर साफ़ नज़र आ रही थी. सलवार इतना पतला था की वो चिपक कर मेरी बुर की फांको में फंस गया था मैं अपना एक हाथ नीचे बुर के करीब ले जाते हुवे फंसे सलवार को निकालने लगी

तभी दिनकर अंकल का ध्यान मेरी कसी बुर पे पड़ी वो पागल हुवे जा रहे थे. अपने होठो पे जीभ फिराते हुवे वो बड़ी बेशर्मी से मेरी बुर देख रहे थे. मैंने भी शर्म छोड़ उनको अपने बुर का दीदार कराने दिया।

रूपा - दिनकर अंकल आप प्लीज मेरा नाम लिस्ट में दाल दीजिये मैं आपको अपना सबकुछ दे दूँगी ( कहते हुवे मैं उनसे लिपट गई और अपनी बड़ी चूची उनके सीने पे दबा दी )

दिनकर अंकल की हालत ख़राब हो रही थी नीचे उनका खड़ा लंड मेरी बुर पे रगड़ खा रहा था

दिनकर - रूपा मेरी बच्ची तुम मेरी बेटी मैं खुद तुम्हे ऐसे उदास नहीं देख सकता

वो मुझे गले लगा धीरे धीरे मुझे करीब खीचने लगे. मेरी तरफ से कोई ऐतराज़ न करता देख उनका एक हाथ मेरी नंगी पीठ से होते हुवे सीधा मेरी गांड में आकर रुका वो मेरी गांड पे हाथ फेर रहे थे. मैं मुस्कुराते हुवे उनसे लिपटी रही

रूपा - अंकल अगर आपने मेरी मदद नहीं की तो कौन करेगा?

मैं वही सोफे पे बैठ गई, मेरा चेहरा उनके लंड के बिलकुल पास था

दिनकर - ठीक है बेटी मैं फिर से कोशिश करूँगा तुम्हारा नाम लिस्ट में डालूँगा, अच्छा बताओ क्या पियोगी ?

मैं सोफे पे अंगडाई लेती हुई अपने गोरे underarms को दिखाती हुई बेहद सेक्सी अंदाज़ में उनके लंड के काफी करीब आते हुवे बोली

रूपा - आप जो भी पिला दीजिये अंकल मैं पि लूंगी

दिनकर - तेज़ साँसे लेते हुवे, बेटी अभी तो ये लो वाइन पी लो. तुम भीग गई हो ठण्ड लग जायेगी चलो बेडरूम में मेरी बेटी के कुछ कपडे होंगे तुम उन्हें पहेन सकती हो

मैं और दिनकर अंकल बेडरूम में आ गए.

दिनकर - बेटी आलमारी में मेरी बेटी के कुछ कपडे हैं तुम देखो जो तुम्हे फिट आये पहेन लो

रूपा - अंकल यहाँ तो केवल कपडे हैं लेकिन कपडे के साथ साथ मुझे ब्रा पैंटी भी चहिये. क्या आप मुझे ब्रा पैंटी भी दे सकते हैं

मैं बेशर्मी से ब्रा पैंटी जैसे वर्ड इस्तेमाल कर रही थी

दिनकर - क्यों नहीं, यहाँ नीचे मेरी बेटी की पैंटी और ब्रा है
उन्होंने नीचे झुक कर एक ब्लैक पैंटी हाथ में उठा ली. ये लो रूपा, मेरी बेटी की चड्ढी

रूपा - थैंक यू अंकल लेकिन क्या ये पैन्टी धूलि है?

दिनकर - बेटी ये तो मुझे तो नहीं मालूम

रूपा - अंकल सूंघ के देखिये न अगर उस पैंटी में कुछ अजीब सी महक है तो इसका मतलब वो धूलि नहीं है

दिनकर अंकल मेरे सामने अपनी बेटी की पैंटी सूंघने लगे, ओह ये काफी exciting था एक बाप अपनी जवान बेटी की पैंटी सूंघ रहा है.

दिनकर - बेटी इसमे कुछ अजीब सी महेक़ तो आ रही है.

रूपा - इसका मतलब ये आपकी बेटी की used पैंटी है
( मैं दिनकर जी के लंड के तरफ देख रही थी, अपनी बेटी की पैंटी की महक सूंघ दिनकर अंकल का लंड फनफना उठा था )
मैं बिस्तर पे बैठे सोचने लगि. क्या मेरे पापा कभी मेरी पैंटी को सूंघे होङ्गे. क्या उनका लंड खड़ा होगा मेरी बुर की महक लेकर।।।।।। छि मैं ये सब क्या सोच रही हॊन… उफ़्फ़…

दिनकर - बेटी कहाँ खो गई ?

रूपा - कहीं नहीं अंकल लगता है मुझे आज बिना पैंटी के हे सोना पड़ेगा

दिनकर - तो क्या हो गया बेटी, ऐसे हे सो जाओ. भला तुम्हे मुझसे शर्माने के क्या जरुरत। मेरी बेटी भी तो कई बार मेरे साथ बिना पैंटी के सोई है

रूपा - क्या सच में अंकल? आपकी बेटी को शर्म नहीं आती ?

दिनकर - बेटी मैं तो काफी खुले विचारों का हूँ, एक बार जब मैं शहर से बहार था और अचानक से घर आया तो देखा की वो घर में पड़ोस के एक लड़के के साथ सेक्स कर रही है )

मैं दरवाजे के पास छुप कर उससे चुदते हुवे देख रहा था. जब वो लड़का चला गया तो मैं अपनी बेटी के पास गया और उससे लड़के के बारे में पूछा। उसने बताया की वो उसका बॉयफ्रेंड है और वो कई बार सेक्स कर चुके हें. मैंने अपनी बेटी से पूछा की क्या वो दोनों कंडोम use करते हैं. तब मुझे पता चल मैंने उसे समझाया की सेक्स बिना कंडोम के नहीं करे.




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