FUN-MAZA-MASTI
होली का असली मजा--20
मैं खाने पीने के इंतजाम में लग गयी।
मम्मी ने ढेर सारी खाने पीने की चीजें बगीचें में रख दी थी। गुझिया , दहीबड़े , समोसे , ठंडाई ( कहने की बात नहीं सबमें भांग की गोलियां नहीं गोले थे ) और इक आइस बॉक्स में चिल्ड बियर के ढेर सारे कैन।
होली शुरू होने के पहले ही रीतू भाभी ने अपनी सारी ननदों को बियर का एक एक कैन पिला दिया था ( और साथ में भांग वाली गुझिया ). मैंने भी बियर के कैन निकाल के फिर से सबको दिए और एक प्लेट में गुझिया , और खुद दो कैन ला के रीमा के पास बैठ गयी।
रीमा ने कुछ देर तक तो नानुकुर किया , फिर कैन पकड़ लिया।
' क्यों कैसा लगा , " मैंने मुस्कराकर उससे पुछा
" दी दर्द बहुत हुआ , " फिर कुछ रुक के मुस्करा के बोली , " लेकिन मजा भी बहुत आया '.
उसकी पीठ सहलाते मैं बोली ,
" अरी यार , पहली बार था न , … लेकिन आगे से सिर्फ मजा आएगा। "
और थोड़ी देर में उधर रीतू भाभी चालू हो गयीं , उन्होंने अपनी दोनों छोटी ननदों को उकसाया और थोड़ी देर में सपड़ सपड़ , छुटकी और लीला , उनका लंड चाट चूस रही थीं।
और रीतू भाभी तो और , उन्होंने एक बियर का कैन खोला और सीधे उनके आधे , तन्नाये लंड पे बूँद बूँद टपकाना शुरू किया और , नीचे से उनकी दोनों सालियों , छुटकी और लीला ने , घोंटना शुरू किया।
पल भर में उनका लंड पागल हो गया। लेकिन रितू भाभी इतनी आसानी से अपने नंदोई को नहीं छोड़ने वाली थी। उन्होंने इशारे से लीला और छुटकी को बुलाया और उनकी चूंचियों पर से शराब बूँद बूँद टपकाने लगीं।
अबकी पीने का काम 'इनका ' था।
कुछ देर तक दूर से मैं और रीमा देख रहे थे , फिर हम दोनों पास आ गए।
उनका लंड इस छेड़खानी से सख्त हो गया था और इसी बीच ननद भाभी की भी छेड़खानी चालु हो गयी। हम लोगों ने रीतू भाभी को निसुता कर दिया और उन्होंने मुझे, छुटकी और लीला को।
रीमा और वो तो पहले ही ,
रीमा ने उस लंड को जिसने थोड़ी देर पहले ही उसकी झिल्ली फाड़ के हम लोगों के दर्जे में ला के खड़ा कर दिया , प्यार से देख रही थी और फिर जब नहीं रहा गया तो जोर जोर से मुठियाने लगी।
रीतू भाभी ने अपनी ननदों को ललकारा , हे अब किस साल्ली का नंबर है। आ जा चढ़ जा मीठी शूली पे , मस्त खड़ा है गन्ना। घोंट ले गन्ने को नीचे वाले मुंह में पी जा सारा रस ,… "
लीला ने बहुत नखड़े किये बहाने बनाये , लेकिन अब रीमा और छुटकी ने भी भाभी का साथ दिया और जबरन उसे पकड़ के खड़ा कर दिया सीधे तने लंड के ऊपर।
रीतू भाभी ने अपनी ननदों को ललकारा , हे अब किस साल्ली का नंबर है। आ जा चढ़ जा मीठी शूली पे , मस्त खड़ा है गन्ना। घोंट ले गन्ने को नीचे वाले मुंह में पी जा सारा रस ,… "
लीला ने बहुत नखड़े किये बहाने बनाये , लेकिन अब रीमा और छुटकी ने भी भाभी का साथ दिया और जबरन उसे पकड़ के खड़ा कर दिया सीधे तने लंड के ऊपर।
नीचे से रीमा लंड को पकड़ के सेण्टर कर रही थी , छेद को सीधे , सुपाड़े के ऊपर और ऊपर से उसके कंधे को पकड़ के रीतू भाभी और छुटकी दबा रही थीं।
ये भी अपनी कुँवारी साली की पतली कमर पकड़ के , नीचे की और खींच रहे थे।
तभी रीतू भाभी ने रीमा को जबरदस्त आँख मारी और रीमा ने भी मुस्करा के जवाब दिया और फिर सेंटर ,
लीला बहुत जोर से चिल्लाई।
और रीतू भाभी ने दबाव दूना कर दिया .
वो लाख चूतड़ पटकती रही , गांड उचकाती रही , चीखती चिल्लाती रही ,
लंड सूत सूत कर के अंदर घुसता रहा।
जितना वो गांड पटक रही थी , उतना ही लंड अंदर सरक रहा था।
थोड़ी देर में लीला सुपाड़ा गटक चुकी थी।
मैंने ध्यान से देखा तो बदमाशी पता चली। लंड बजाय आगे के छेद के गांड में घुसा था।
जब रीतू भाभी ने अपनी प्यारी ननद रीमा को आँख मारी तो , रीमा ने बजाय आगे के छेद के लंड सीधे गांड पे सेंटर कर दिया , लीला की गांड जोर से फैला के।
बाकी का काम रीतू भाभी ने ऊपर से पूरी ताकत से जोर लगा के कर दिया।
लंड लेने में वो जो नखड़ा चोद रही थी , उसी पे रीमा और रीतू भाभी का ये जवाब था।
तभी लीला ने उगल दिया
" मैं कौन पहली बार चुदा रही हूँ , रीमा की तरह। आज तक कभी इतना दर्द नहीं हुआ था "
और हम सब खिलखिला के हंसने लगे।
' पहले चूत में गया होगा , आज गांड में घोंट रही हो चूत मरानो " रीतू भाभी बोलीं।
" अरे जानी , ये मेरे जीजू का गदहा मारका लंड है कोई मजाक नहीं। " रीमा , लीला के चूतड़ पे जोर से थप्पड़ मारते बोली।
लीला ने कबूला की वो अपने सगे भाई से ८ -१० बार चुदवा चुकी है।
तब तक आधा लंड उसकी गांड घोंट चुकी थी। उसने बहुत हाथ पैर जोड़े , कि फिर कभी छिनारपना नहीं करेगी , तो रीमा और रीतू भाभी ने लंड गांड से निकाल कर बुर पे सेट किया।
कुछ देर हम सब लीला की चुदाई देखते रहे। अब लीला नीचे थी और ये ऊपर। तभी मुझे आइडिया आ गया औरवो भी जबरदस्त।
तभी मुझे आइडिया आ गया औरवो भी जबरदस्त।
ऐसा बहुत कम होता है की भाभी एक हो और ननदे तीन , . मैंने रीमा और छुटकी की अोर देखा और दोनों ने इशारा समझ लिया और एक ने रीतू भाभी की एक हाथ पकड़ी और दूसरे ने , दूसरी।
और रीतू भाभी की दोनों चूंचियां हाथ में थी।
जिस तरह से वो अपनी साली की चूंचियों का मजा ले रहे थे , उसी तरह मैं उनकी सहलज के जोबन का। कौन सा रंग , पेंट कीचड़ नहीं बचा होगा जो मैंने न लगाया हो भाभी के चूतड़ों और चूंचियों पे।
मैं ससुराल में अपनी होली से पूरी तरह ट्रेंड हो के आयी थी , इसलिए चम्पा भाभी के यहाँ की होली की तरह , मैंने यहाँ भी , गुलाल भर के कंडोम के दर्जन भर डिल्डो बना रखे थे। और कोई ८ इंच से कम नहीं था।
बस वही एक डिल्डो , मैंने थोड़ी देर रीतू भाभी के बुर पे पहले बहुत देर तक रगड़ा और फिर घचाक से अंदर।
वो लीला को चोद रहे थे , मैं रीतू भाभी को।
और छुटकी और रीमा , भाभी की चून्चियों पे रंग पोत रही थीं।
भाभी खूब मस्त गालियां हम को दे रही थी. लेकिन रीतू भाभी भी कम नहीं थी , अपने नइहर की पक्की छिनार , उन्होंने रीमा की चुन्ची जोर से पकड़ ली और जब मैं उसे छुड़ाने के उठी , तो बस ,उन्हें मौका मिल गया।
वो ऊपर , रीमा उनकी ननद नीचे। और अपनी दो उंगलिया , उन्होंने रीमा की चूत में पेल दी।
" अरे छिनार , हमार भतार चोदी , तुझे जिल्ला टॉप रंडी न बनाया तो कहना , तोहरे लिए तो हमार ऊँगली ही बहुत है। निक है की तोहरे जीजा की मलायी ऊपर तक भरी है , लो घोंट। "
और क्या चुदाई रीतू भाभी ने ऊँगली से की , क्या कोई मर्द लंड से करेगा।
और मैं ये देखने में मगन थी की , उन्होंने रीमा को छोड़ के मुझे पकड़ लिया और अब की तीन उँगलियाँ , मेरी बुर में।
हचक हचक , सटासट सटासट , गपागप गपागप।
मैं भी हाथ पैर नहीं पटक रही थी चुपचाप रीतू भाभी के नीचे दबी होली का मजा ले रही थी।
और मायके में आने के बाद मैं पहली बार झड़ी। रीतू भाभी भी मेरे साथ झड़ गयीं।
लेकिन मैंने मान लिया , रीमा छुटकी की सहेली , एकदम मेरी बहन की तरह ही है।
रीमा ने एक सबसे लम्बा डिल्डो उठाया और कचाक से भाभी की गांड में। और उनकी बुर मेंजो डिल्डो मैने डाल रखा था वोअभी तक था। मिल के हम दोनों ने भाभी की सैंडविच बनायीं।
और भाभी कि उँगलियाँ चालु हो गयी थीं।
थोड़ी देर में हम तीनो फिर झड़ गए।
उधर उन्होंने उसी के साथ कटोरी भर मलायी लीला की चूत में छोड़ दी थी।
बाग़ में सिंचाई के लिए जो होज रखा था था बस उसी के पानी से हम लोग नहाये भी।
,
मम्मी ने आँगन में खाना लगा रखा था , खाना सब ने साथ खाया और उनकी सलहज और सालियों ने जम के गालियाँ सुनायी।
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होली का असली मजा--20
मैं खाने पीने के इंतजाम में लग गयी।
मम्मी ने ढेर सारी खाने पीने की चीजें बगीचें में रख दी थी। गुझिया , दहीबड़े , समोसे , ठंडाई ( कहने की बात नहीं सबमें भांग की गोलियां नहीं गोले थे ) और इक आइस बॉक्स में चिल्ड बियर के ढेर सारे कैन।
होली शुरू होने के पहले ही रीतू भाभी ने अपनी सारी ननदों को बियर का एक एक कैन पिला दिया था ( और साथ में भांग वाली गुझिया ). मैंने भी बियर के कैन निकाल के फिर से सबको दिए और एक प्लेट में गुझिया , और खुद दो कैन ला के रीमा के पास बैठ गयी।
रीमा ने कुछ देर तक तो नानुकुर किया , फिर कैन पकड़ लिया।
' क्यों कैसा लगा , " मैंने मुस्कराकर उससे पुछा
" दी दर्द बहुत हुआ , " फिर कुछ रुक के मुस्करा के बोली , " लेकिन मजा भी बहुत आया '.
उसकी पीठ सहलाते मैं बोली ,
" अरी यार , पहली बार था न , … लेकिन आगे से सिर्फ मजा आएगा। "
और थोड़ी देर में उधर रीतू भाभी चालू हो गयीं , उन्होंने अपनी दोनों छोटी ननदों को उकसाया और थोड़ी देर में सपड़ सपड़ , छुटकी और लीला , उनका लंड चाट चूस रही थीं।
और रीतू भाभी तो और , उन्होंने एक बियर का कैन खोला और सीधे उनके आधे , तन्नाये लंड पे बूँद बूँद टपकाना शुरू किया और , नीचे से उनकी दोनों सालियों , छुटकी और लीला ने , घोंटना शुरू किया।
पल भर में उनका लंड पागल हो गया। लेकिन रितू भाभी इतनी आसानी से अपने नंदोई को नहीं छोड़ने वाली थी। उन्होंने इशारे से लीला और छुटकी को बुलाया और उनकी चूंचियों पर से शराब बूँद बूँद टपकाने लगीं।
अबकी पीने का काम 'इनका ' था।
कुछ देर तक दूर से मैं और रीमा देख रहे थे , फिर हम दोनों पास आ गए।
उनका लंड इस छेड़खानी से सख्त हो गया था और इसी बीच ननद भाभी की भी छेड़खानी चालु हो गयी। हम लोगों ने रीतू भाभी को निसुता कर दिया और उन्होंने मुझे, छुटकी और लीला को।
रीमा और वो तो पहले ही ,
रीमा ने उस लंड को जिसने थोड़ी देर पहले ही उसकी झिल्ली फाड़ के हम लोगों के दर्जे में ला के खड़ा कर दिया , प्यार से देख रही थी और फिर जब नहीं रहा गया तो जोर जोर से मुठियाने लगी।
रीतू भाभी ने अपनी ननदों को ललकारा , हे अब किस साल्ली का नंबर है। आ जा चढ़ जा मीठी शूली पे , मस्त खड़ा है गन्ना। घोंट ले गन्ने को नीचे वाले मुंह में पी जा सारा रस ,… "
लीला ने बहुत नखड़े किये बहाने बनाये , लेकिन अब रीमा और छुटकी ने भी भाभी का साथ दिया और जबरन उसे पकड़ के खड़ा कर दिया सीधे तने लंड के ऊपर।
रीतू भाभी ने अपनी ननदों को ललकारा , हे अब किस साल्ली का नंबर है। आ जा चढ़ जा मीठी शूली पे , मस्त खड़ा है गन्ना। घोंट ले गन्ने को नीचे वाले मुंह में पी जा सारा रस ,… "
लीला ने बहुत नखड़े किये बहाने बनाये , लेकिन अब रीमा और छुटकी ने भी भाभी का साथ दिया और जबरन उसे पकड़ के खड़ा कर दिया सीधे तने लंड के ऊपर।
नीचे से रीमा लंड को पकड़ के सेण्टर कर रही थी , छेद को सीधे , सुपाड़े के ऊपर और ऊपर से उसके कंधे को पकड़ के रीतू भाभी और छुटकी दबा रही थीं।
ये भी अपनी कुँवारी साली की पतली कमर पकड़ के , नीचे की और खींच रहे थे।
तभी रीतू भाभी ने रीमा को जबरदस्त आँख मारी और रीमा ने भी मुस्करा के जवाब दिया और फिर सेंटर ,
लीला बहुत जोर से चिल्लाई।
और रीतू भाभी ने दबाव दूना कर दिया .
वो लाख चूतड़ पटकती रही , गांड उचकाती रही , चीखती चिल्लाती रही ,
लंड सूत सूत कर के अंदर घुसता रहा।
जितना वो गांड पटक रही थी , उतना ही लंड अंदर सरक रहा था।
थोड़ी देर में लीला सुपाड़ा गटक चुकी थी।
मैंने ध्यान से देखा तो बदमाशी पता चली। लंड बजाय आगे के छेद के गांड में घुसा था।
जब रीतू भाभी ने अपनी प्यारी ननद रीमा को आँख मारी तो , रीमा ने बजाय आगे के छेद के लंड सीधे गांड पे सेंटर कर दिया , लीला की गांड जोर से फैला के।
बाकी का काम रीतू भाभी ने ऊपर से पूरी ताकत से जोर लगा के कर दिया।
लंड लेने में वो जो नखड़ा चोद रही थी , उसी पे रीमा और रीतू भाभी का ये जवाब था।
तभी लीला ने उगल दिया
" मैं कौन पहली बार चुदा रही हूँ , रीमा की तरह। आज तक कभी इतना दर्द नहीं हुआ था "
और हम सब खिलखिला के हंसने लगे।
' पहले चूत में गया होगा , आज गांड में घोंट रही हो चूत मरानो " रीतू भाभी बोलीं।
" अरे जानी , ये मेरे जीजू का गदहा मारका लंड है कोई मजाक नहीं। " रीमा , लीला के चूतड़ पे जोर से थप्पड़ मारते बोली।
लीला ने कबूला की वो अपने सगे भाई से ८ -१० बार चुदवा चुकी है।
तब तक आधा लंड उसकी गांड घोंट चुकी थी। उसने बहुत हाथ पैर जोड़े , कि फिर कभी छिनारपना नहीं करेगी , तो रीमा और रीतू भाभी ने लंड गांड से निकाल कर बुर पे सेट किया।
कुछ देर हम सब लीला की चुदाई देखते रहे। अब लीला नीचे थी और ये ऊपर। तभी मुझे आइडिया आ गया औरवो भी जबरदस्त।
तभी मुझे आइडिया आ गया औरवो भी जबरदस्त।
ऐसा बहुत कम होता है की भाभी एक हो और ननदे तीन , . मैंने रीमा और छुटकी की अोर देखा और दोनों ने इशारा समझ लिया और एक ने रीतू भाभी की एक हाथ पकड़ी और दूसरे ने , दूसरी।
और रीतू भाभी की दोनों चूंचियां हाथ में थी।
जिस तरह से वो अपनी साली की चूंचियों का मजा ले रहे थे , उसी तरह मैं उनकी सहलज के जोबन का। कौन सा रंग , पेंट कीचड़ नहीं बचा होगा जो मैंने न लगाया हो भाभी के चूतड़ों और चूंचियों पे।
मैं ससुराल में अपनी होली से पूरी तरह ट्रेंड हो के आयी थी , इसलिए चम्पा भाभी के यहाँ की होली की तरह , मैंने यहाँ भी , गुलाल भर के कंडोम के दर्जन भर डिल्डो बना रखे थे। और कोई ८ इंच से कम नहीं था।
बस वही एक डिल्डो , मैंने थोड़ी देर रीतू भाभी के बुर पे पहले बहुत देर तक रगड़ा और फिर घचाक से अंदर।
वो लीला को चोद रहे थे , मैं रीतू भाभी को।
और छुटकी और रीमा , भाभी की चून्चियों पे रंग पोत रही थीं।
भाभी खूब मस्त गालियां हम को दे रही थी. लेकिन रीतू भाभी भी कम नहीं थी , अपने नइहर की पक्की छिनार , उन्होंने रीमा की चुन्ची जोर से पकड़ ली और जब मैं उसे छुड़ाने के उठी , तो बस ,उन्हें मौका मिल गया।
वो ऊपर , रीमा उनकी ननद नीचे। और अपनी दो उंगलिया , उन्होंने रीमा की चूत में पेल दी।
" अरे छिनार , हमार भतार चोदी , तुझे जिल्ला टॉप रंडी न बनाया तो कहना , तोहरे लिए तो हमार ऊँगली ही बहुत है। निक है की तोहरे जीजा की मलायी ऊपर तक भरी है , लो घोंट। "
और क्या चुदाई रीतू भाभी ने ऊँगली से की , क्या कोई मर्द लंड से करेगा।
और मैं ये देखने में मगन थी की , उन्होंने रीमा को छोड़ के मुझे पकड़ लिया और अब की तीन उँगलियाँ , मेरी बुर में।
हचक हचक , सटासट सटासट , गपागप गपागप।
मैं भी हाथ पैर नहीं पटक रही थी चुपचाप रीतू भाभी के नीचे दबी होली का मजा ले रही थी।
और मायके में आने के बाद मैं पहली बार झड़ी। रीतू भाभी भी मेरे साथ झड़ गयीं।
लेकिन मैंने मान लिया , रीमा छुटकी की सहेली , एकदम मेरी बहन की तरह ही है।
रीमा ने एक सबसे लम्बा डिल्डो उठाया और कचाक से भाभी की गांड में। और उनकी बुर मेंजो डिल्डो मैने डाल रखा था वोअभी तक था। मिल के हम दोनों ने भाभी की सैंडविच बनायीं।
और भाभी कि उँगलियाँ चालु हो गयी थीं।
थोड़ी देर में हम तीनो फिर झड़ गए।
उधर उन्होंने उसी के साथ कटोरी भर मलायी लीला की चूत में छोड़ दी थी।
बाग़ में सिंचाई के लिए जो होज रखा था था बस उसी के पानी से हम लोग नहाये भी।
,
मम्मी ने आँगन में खाना लगा रखा था , खाना सब ने साथ खाया और उनकी सलहज और सालियों ने जम के गालियाँ सुनायी।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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