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मेरी नई नई मीना भाभी
प्रेषक : लकी
मेरा नाम लक्की है, मैं आपके सामने अपनी
पहली कहानी पेश करने जा रहा हूँ। सबसे पहले मैं गुरूजी का धन्यवाद करता हूँ
जिन्होंने मेरी कहानी को समझा और आप लोगों तक पहुँचाया और उन फड़कती हुई
चूतों को भी मेरा सलाम जो हमेशा किसी लण्ड की तलाश में रहती हैं। चूतें
हमेशा चुदने के लिए होती हैं !
दोस्तो, बात उस वक्त की है जब मेरे बड़े भाई
की नई-नई शादी हुई थी। जब मैंने पहली बार भाभी को देखा तो मैं उन्हें देखता
ही रह गया। मेरी भाभी का फीगर 36-28-36 है। वो बहुत ज्यादा सैक्सी लगती
हैं। लेकिन कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई। सभी मेहमान शादी के एक-दो दिन तक
सभी जा चुके थे। लेकिन मेरी चचेरी बहन नहीं गई थी।
भाभी और मैं आपस में बातें करने लगे। ऐसे ही
एक महीना निकल गया। मैं नहीं जानता था कि भाभी भी मुझे पहले दिन से ही
पसन्द करने लगी थी। यह भाभी ने मुझे बाद में बताया था।
सर्दी का मौसम था, काफी ठंड थी ! एक दिन वो
बीमार पड़ गई। करीब दो हफ़्ते तक मैं उन्हें दवा दिलाने ले जाता रहा। एक दिन
अचानक घर पर मेहमान आ गए।
तो जगह कम होने के कारण मैं, भाभी और मेरा छोटा भाई एक साथ सो गए। रात एक बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि भाभी को ठंड लग रही थी।
मैंने भाभी से पूछा- क्या हुआ भाभी? आप इतना कांप क्यों रही हैं?
भाभी ने कहा- मुझे ठंड लग रही है।
तो मैंने अपनी रजाई भी उन्हें औढ़ा दी और मैं
भी उनके साथ ही सो गया। अचानक उन्होंने अपना सर मेरी बाजू पर रख दिया।
मेरी तो मानो मन की मुराद ही पूरी हो गई। लेकिन आगे कुछ नहीं कर पाया। इसी
तरह दो हफ़्ते निकल गए।
मेरी चचेरी बहन अब जा चुकी थी। एक दिन घर पर कोई नहीं था। मैं और मेरी भाभी बातें कर रहे थे।
मैंने भाभी से पूछा- भाभी, शादी से पहले आपकी फ्रेंडशिप थी?
भाभी ने कहा- नहीं !
तभी भाभी ने कहा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
तो मैंने कहा- है !
तो उन्होंने कहा- तुम उससे मिले भी हो या फ़ोन पर ही बात करते हो?
मैंने कहा- मिल ही नहीं चुका हूँ, मैं कई बार उसके साथ कर भी चुका हूँ !
तभी भाभी बोली- क्या कर चुके हो?
मैं थोड़ा शरमाया।
भाभी बोली- बोलिए ना !
मैंने कहा- मैं सेक्स की बात कर रहा हूँ।
भाभी ने कहा- तुम तो बहुत शैतान हो ! मैं तो तुम्हें बहुत शरीफ समझती थी।
भाभी के ऐसा कहने पर मुझे बहुत शरम महसूस
हुई। तभी भाभी नहाने के लिए चली गई । कुछ देर बाद मुझे भाभी के चिल्लाने की
आवाज सुनाई दी तो मैंने दरवाजे के पास जाकर भाभी से कहा- क्या हुआ भाभी?
भाभी ने कहा- मैं गिर गई हूँ।
उन्होंने कहा- मुझसे तो हिला भी नहीं जा रहा !
तब मैंने कहा- मैं अंदर आता हूँ !
जैसे ही मैं अंदर गया, मैंने देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। भाभी उस वक्त सिएफ़ पैंटी और ब्रा में ही थी और फर्श पर पड़ी थी।
मैं भाभी के पास गया और उन्हें सहारा दे कर
उठाने लगा, लेकिन उनसे तो हिला ही नहीं जा रहा था। मैंने उन्हें गोद में
उठाया और बैडरूम में ले गया।
मेरे सीने से चिपकने के कारण उन्हें मेरे
शरीर की गंध आने लगी, जिस कारण वासना उनकी आँखों में चमकने लगी। मैंने मौके
का फायदा उठाते हुए कहा- मैं तेल से आपकी मालिश कर देता हूँ।
भाभी ने कहा- मैं खुद कर लूंगी !
तो मैंने कहा- एक बार मैं कर देता हूँ, दोबारा आप खुद कर लेना !
तो भाभी ने कहा- ठीक है।
मैं तुरंत तेल ले आया और उनकी टांग पर तेल
लगा कर मालिश करने लगा। उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली थी। मैं उनकी जांघों
तक उन्हें मसलने लगा। कुछ देर में मैं उत्तेजित होने लगा, मेरा लंड पाजामे
में ही खड़ा हुआ साफ नजर आने लगा।
मैं अपने काम में लगा था कि मुझे अपने लंड
पर कुछ महसूस हुआ। मैंने देखा कि भाभी मेरे लंड को पाजामे के ऊपर से ही
सहला रही थी। मुझे कुछ समझ में नहीं आया। शायद वो मेरे हाथों के अपनी
जांघों पर घर्षण के कारण गरम हो चुकी थी। मैं भी मौका न गंवाते हुए मैं
उनके ऊपर चढ़ गया और अपने होंठ उनके होंठों पर रख कर फ्रेंच किस करने लगा।
वो भी मेरा साथ दे रही थी।
इस बीच उन्होंने मेरे कपड़े उतार दिए और
मैंने उनकी पैंटी और ब्रा निकाल दी और मैं उनके चूचों को बड़ी बेरहमी से दबा
रहा था और चूम रहा था। भाभी बिना कुछ बोले सिसकारियाँ लेती रही। फिर मैंने
बिना कुछ कहे अपना लंड उनके मुँह के पास कर दिया और उन्होंने झट से मेरे
लंड को मुँह में ले लिया। वो अपने मुँह से मुझे चोदने लगी।
कुछ देर बाद मैंने लंड उनके मुँह से बाहर
खींचा और फिर से उनके ऊपर चढ़ कर लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के मुँह पर रखा।
ऐसे लग रहा था जैसे आग की भट्ठी हो। मैंने पहला झटका मारा, मेरा लंड चार
इन्च अंदर चला गया। दोस्तो, मैं आपको अपने लंड के बारे में तो बताना भूल ही
गया, तो दोस्तो, मेरे लंड का साइज नौ इन्च का है।
मीना भाभी को बहुत दर्द हो रहा था। मैं कुछ
देर ऐसे ही रहा। उनके होंटों को फिर से मैंने अपने होंटों से चिपका लिया और
उन्हें चूमता रहा। अब उनका दर्द खत्म हो चुका था। मौका पाते ही मैंने एक
जोरदार झटका मारा, मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत में समा चुका था।
उनकी चीख मेरे मुँह में ही दब कर रह गई।
उनकी आँखों में आंसू थे। कुछ देर तक मैं ऐसे ही रुका रहा और उन्हें चूमता
रहा और एक हाथ से उनके स्तन और दूसरे हाथ से उनके बड़े-बड़े चूतड़ों को सहलाता
रहा। कुछ देर बाद भाभी सामान्य हो गई और चुदाई का मजा लेने लगी तो मैंने
एक ही बार में पूरा लंड बाहर खींचा और फ़िर से पेल दिया। आधे घंटे की जोरदार
चुदाई में भाभी चार बार झड़ चुकी थी और मैं झड़ने वाला था।
मैंने भाभी से कहा- भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ ! बाहर निकालूं ?
भाभी ने कहा- नहीं अंदर ही झाड़ दो !
और दो-चार जोरदार झटकों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ने लगे और भाभी मेरे होंठों को चूमने लगी।
इसके बाद मैं रोज मौका देख कर भाभी को चादता था। अब जब भाभी मां बनने वाली है, भाभी वो बच्चा मेरा ही बताती हैं।
दोस्तो, आपको मेरी आप बीती कहानी के रूप में कैसी लगी, मुझे जरूर लिखें !
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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