Sunday, September 7, 2014

FUN-MAZA-MASTI बदलाव के बीज--31

FUN-MAZA-MASTI

 बदलाव के बीज--31

 अब आगे...
 मैं चुप-चाप कुऐं की मुंडेर पे मुँह झुका के बैठ गया| इधर भौजी गुस्से में लाल-पीली हो गईं और अपना गुस्सा नेहा पर निकलना चाहती थीं| उन्होंने बड़े गुस्से से नेहा को आवाज लगाईं... वो सहमी हुई सी आई| भौजी ने उसे मारने के लिए हाथ उठाया;

मैं: आप फिर इस बच्ची पे गुस्सा निकाल रहे हो?

भौजी: इतनी मुश्किल से मैंने तुम्हें हंसाया था और इस लड़की ने एक पल में सब बर्बाद कर दिया| गुस्सा नहीं आएगा?

मैं: इसे क्या पता की पर्ची में क्या लिखा है? अगर आपने फिर इस पे गुस्सा निकलने की गलती की तो मैं आपसे बात नहीं करूँगा|

मैंने नेहा को गोद में उठाया और चल दिया.... पलट के देखा तो भौजी मेरी और देख के मुस्कुरा रही थीं| मैंने भी मुड़ के उन्हें देखते हुए मुस्कुरा दिया| मैं नेहा को गोद में लिए यहाँ-वहाँ घूमता रहा... दोपहर भोजन के बाद नेहा मेरी गोद में ही सो गई| मैं उसे भौजी के कमरे में लिटाने गया, भौजी चारपाई पे बैठी कुछ सोच रहीं थी| मैंने नेहा को दूसरी चारपाई पे लिटाया और भौजी के सामने बैठ गया| भौजी ने मुझसे मेरे और माधुरी के बीच हुई बात के बारे में पूछा, तो मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया| मेरी बात सुन भौजी उदास हो गईं;

भौजी: तो....तुमने उसकी बात का क्या जवाब दिया?

मैं: "ना".... मैंने उसे कहा की मैं किसी से प्यार करता हूँ और उस लड़की के साथ धोखा नहीं कर सकता|

भौजी: उसने तुमसे उस लड़की का नाम नहीं पूछा?

मैं: हाँ... उस समय दिमाग में "रीतिका" नाम आया और मैंने उसे यही नाम बता दिया|

भौजी: पता नहीं उस लड़की के दिमाग में क्या चल रहा है? वो क्यों तुम्हें बदनाम करने पे तुली है| तुम उससे दूर रहो....

मैं: जानता हूँ.. वैसे वो कह रही थी की वो रोज छः बजे मेरा स्कूल के पास इन्तेजार करेगी|

भौजी: तो तुम उसे दुबारा मिलने जाओगे?

मैं: कभी नहीं.... आप अपना मूड ख़राब मत करो| मैं कहीं नहीं जा रहा|

मैं उठ के बहार आ गया... भौजी भी मेरे पीछे आ गईं| हम छप्पर के नीचे बैठे बात करने लगे|

भौजी: आज के "सरप्राइज" के लिए तैयार हो ना?

मैं: हां... देखते हैं क्या सरप्राइज है मेरे लिए!

तभी अचानक रसिका भाभी अपना बैग लिए आ गईं| उन्होंने अपना बैग रखा और भौजी के घर की ओर भागीं .... दरअसल उन्हें मूतने जाना था!!!

मैं: लो... गया आपका "सरप्राइज" पानी में!!! ही ही ही ही !!!

भौजी: हँस लो... पर सरप्राइज तो आज रात तुम्हें मिल के रहेगा|


 मैं नहीं चाहता था की उनका मूड ओर ख़राब हो इसलिए मैं चुप रहा.. रसिका भाभी मूत के आ गईं ओर बातों का सिलसिला शुरू हो गया| माधुरी ओर रसिका भाभी की अच्छी जमती थी और जब उन्हें इस बात का पता चला तो वो भी मायूस हो गईं| पर उन्होंने उस समय कुछ कहा नहीं... उनकी शकल से साफ़ लग रहा था की मेरी वजह से माधुरी ओर उनकी दोस्ती में दर्रार आ गई| एक माधुरी ही तो थी जिससे उनकी गहरी दोस्ती थी| कुछ समय बाद भौजी उठ के चाय बनाने के लिए गईं तब रसिका भाभी ने अपना मुँह खोला;

रसिका भाभी: मानु.. तुम्हें नहीं लगता तुमने उसके साथ ज्यादती की है?

मैं: कैसी ज्यादती? वो मुझसे प्यार करती थी पर मैं नहीं!

रसिका भाभी: अगर तुम्हें अपनी "भौजी" से समय मिले तब तो किसी से बात करो? वो तुम्हें सच्चा प्यार करती थी! उसने ये बात सिर्फ मुझे बताई थी... वो चाहती थी की मैं तुमसे इस बारे में बात करूँ| पर मुझे जाना पड़ा और ये सब...
(भाभी इतना कहते हुए रुक गई...)

मैं: शायद आप सही कह रहे हो... हाँ मैं अपनी "भौजी" के साथ समय ज्यादा बिताता हूँ! क्योंकि घर में एक वही हैं जो मुझे बचपन से अच्छी तरह जानती हैं|
(मेरी आवाज ऊँची हो गई थी... भौजी चाय बनाना छोड़ मेरे पास आइन और मुझे चुप कराने लगी|)
नहीं आप छोडो मुझे ... इनका कहना है की माधुरी के साथ जो भी हुआ उसका जिम्मेदार मैं हूँ! कैसे? मैंने उसे कभी नहीं कहा की मैं उससे प्यार करता हूँ, और ये कह रहीं है की मुझे आपसे फुर्सत मिले तो मैं किसी से बात करूँ!!!
(मैंने रसिका भाभी की ओर ऊँगली से इशारा किया ओर कहा:
आप तो यहाँ थी भी नहीं... इन्होने (भौजी) ने उसे ज़रा सा डाँट क्या दिया , उसने अपने बाप से शिकायत कर दी| मैंने... मैंने भौजी से कहा था की उसे समझा दो!! उसका बाप हमारे घर आके मेरे पिताजी से भौजी की शिकायत करता है की "आपकी बहु की हिम्मत कैसे हुई मेरी बच्ची को डांटने की", अरे मैं पूछता हूँ उस ठाकुर की हिम्मत कैसे हुई इनको (भौजी) सुनाने की!!! जब उसकी बेटी को बुलाया तो वो ओर भी बड़ी तुरम खान निकली ओर सब घर वालों के सामने कहती है की "मैं आपसे प्यार करती हूँ!!!" उसको शर्म नहीं आई ऐसा कहते हुए... तब भी बड़के दादा ओर पिताजी उस लड़की की बात मैंने को तैयार थे… मेरी शादी उससे करने के लिए पर आप उसका जिद्द करना तो देखो! वो सही था??? जो लड़की शादी से पहले इतनी जिद्दी हो वो तो शादी के बाद मेरा घर बर्बाद कर देगी!!! मुझे अपने माँ-बाप से अलग कर देगी!!!
और तो और जब पिताजी उसके बाप को समझाने गए तो उसका बाप हमें धमकी दे रहा है की हमें पंचायत तक घसीटेंगे| और पंचायत बिठा दी... ये सब सही था??? उसका बाप हमें भीख मंगा समझता है और कहता है मैं जितना चाहे उतना दहेज़ देने को तैयार हूँ... ये सही था?
बिना गलती के एक दिन तक मेरा परिवार परेशान और बुखा रहा... इसमें गलती मेरी है? मुझे माफ़ करना मैं इतनी ऊँची आवाज में किसी से भी बात नहीं करता पर आपका उस लड़की के साथ जो भी हुआ उसके लिए मुझे जिम्मेदार ठहरना ठीक नहीं लगा|

भौजी मुझे खींचते हुए बहार ले गईं... "आप प्लीज शांत हो जाओ!" मैं कुछ नहीं बोला और खेत की ओर चला गया| पता नहीं कैसे पर माँ ने मेरी बातें सुन लीं थी|जब मैं खेत से टहल के लौटा तो पोर्रे घर भर में बात फ़ैल चुकी थी| वापस आते ही सबसे पहले मेरा सामना पिताजी से ही हुआ;

पिताजी: तो बड़े पर निकल आएं हैं तेरे? अपनी भाभी से जुबान लड़ाता है? यही संस्कार दिए हैं मैंने?

मैं कुछ नहीं बोला क्योंकि अगर मैं कुछ भी बोलता तो वो मेरे खिलाफ ही इस्तेमाल किया जाता| सरल शब्दों में बोलेन तो LAPD (LOS ANGELES POLICE DEPARTMENT) के अनुसार "I HAVE THE RIGHT TO REMAIN SILENT AND ANYTHING I SAY WOULD BE SUED AGAINST ME !!!"

मैंने आज तक कभी किसी से जुबान नहीं लड़ाई थी, पर बीते कुछ दिनों में जो हुआ उससे ये साबित हो चूका था की मैं उम्र में बड़ा होने लगा हूँ| हमेशा खामोश रहने वाला लड़के के मुँह मं जुबान उग आई है!

अजय भैया: चाचा .. मानु भैया की कोई गलती नहीं है| मैं जानता हूँ वो बिना किसी के उक्साय ऐसी हरकत नहीं करेंगे| ये मेरी ही पत्नी की गलती होगी...

रसिका भाभी: हाँ चाचा मेरी गलती है| आप मानु भैया को मत डाँटो! मैंने बिना पूरी बात सुने ही उन्हें कहा की माधुरी के साथ उन्होंने अन्याय किया और सारी गलती मानु भैया की है| मुझे नहीं पता था की माधुरी ने यहाँ क्या बवाल खड़ा किया था| वो मृ दोस्त थी इसलिए मैं ज्यादा ही भावुक हो गई!!!

पिताजी: बहु... भले ही तुमने ऐसा कहा, पर इसे तो समझ होनी चाहिए की अपने से बड़ों के साथ जुबान नहीं लड़ाते| आज तुम से लड़ा है कल हम से भी बहंस करेगा| चल माफ़ी मांग अपनी भाभी से!!!

मैं: I'M SORRY BHABHI !!! मुझे आपसे बहंस नहीं करनी चाहिए थी| और आपको भी SORRY पिता जी.. आगे से मैं ऐसी गलती नहीं दोहराऊँगा|

पिताजी कुछ नहीं बोले पर बड़के दादा ने बीच में पद कर सारा मामला सुलटा दिया| सच कहूँ तो मुझे अपनी गलती मानने में कोई दिक्कत नहीं थी| मुझे रसिका भाभी से इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी| इस पूरे समय भौजी मुझे रसोई से देख रहीं थी और जब सब शांत हो गए तब वो मेरे पास आईं;

"तो अब जनाब का मूड कैसा है?"

मैं: (चारपाई पे बैठते हुए) ठीक है...

भौजी: आपको माफ़ी मांगने पे गुस्सा तो नहीं आया?

मैं: गुस्सा कैसा? मेरी गलती थी.. मुझे उनसे इस लहजे में बात नहीं करनी चाहिए थी| NO BIG DEAL !!!

भौजी और मैं अभी बात ही कर रहे थे की तभी चन्दर भैया आ गए| भौजी का मुँह देखने लायक था... कुछ देर पहले जो इंसान खुश था वो अचानक से मुरझा गया|


 मैं: लो... एक और मुसीबत.... मेरी बात मानो तो ये सरप्राइज वाला प्लान भूल जाओ| एक-एक कर घर में लोग आते जा रहे हैं.. इनके सामने तो मुझे सरप्राइज मिलने से रहा!!!

भौजी: नहीं!!! आज चाहे आसमान नीचे क्यों ना आ जाये पर सरप्राइज तो तुम्हें मिल के रहेगा ... पर तुम्हें मेरी मदद करनी होगी?

मैं: ना... सरप्राइज आपका ... सारी सरदर्दी आपकी! जब मैंने आपको सरप्राइज दिया था तो आपसे मदद तो नहीं ली थी ना? आप ही सुलझाओ इस समस्या को|









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