Wednesday, September 24, 2014

FUN-MAZA-MASTI पत्नी की सहेली

FUN-MAZA-MASTI

 पत्नी की सहेली

मै एक शादी शुदा इंसान हूँ और मेरी पत्नी का नाम सरला है | हमारी शादी को लगभग पांच साल हो चुके है | और मै अपनी शादी शुदा जिंदगी मे काफी खुश हु | मेरी पत्नी मेरी हर जरुरत का काफी ध्यान रखती है; वो मेरी पत्नी नहीं सबसे अच्छी दोस्त है | लेकिन, जब सेक्स का सवाल आता है तो मेरे पास केवल पछतावा है, क्योकि मेरी पत्नी की सेक्स और संभोग की इच्छा बहुत ही कम है और वो मुझे बिस्तर पर पूरी तरह से संतुस्थ नहीं कर पाती है |
एक दिन उसे पता चला उसकी एक स्कूल फ्रेंड ऋतू की पति एक साल पहले गुजर गये है और उसे उसके ससराल वालो की वजह से उनका घर चोदना पड़ा | उसके ससुराल वाले अच्छे लोग नहीं थे और वो उसपर काफी जुल्म करते थे और उन्होंने उसके साथ नाजायज संभंद भी बनाने की कोशिश भी की | जब पानी सर के ऊपर से चला गया, तो उसने मेरी पत्नी सरला के साथ फ़ोन पर बात की | फ़ोन बात करते हुए, ऋतू फ़ोन पर ही रोने लगी और अपने बुरे हालातो के बारे मे बताने लगी |  सरला ने मुझे ऋतू के बारे बताया और उसको अपने घर पर रुकवाने के लिए पूछा | मुझे ऋतू को बुलाने मे कोई आपत्ति नहीं थी | कुछ दिनों बाद, ऋतू हमारे घर पर आने वाली थी और मुझे उसे स्टेशन पर लेने जाना था | लेकिन, मेरे ससुर जी की अचानक तबियत ख़राब होने की वजह हे मेरी पत्नी को अपने मायके जाना पड़ा | मैने उसे बोला, कि तुम आराम से जायो, ऋतू को मै लेने चला जाता हु, और मै उसका पूरा ख्याल रखूँगा |

जब, मैने ऋतू को स्टेशन पर देखा, तो मेरा दिल जोरो से धड़क उठा, इस बार ऋतू बहुत ही कातिल लग रही थी और अब तो वो बिलकुल अकेले थी | उसके बारे मै ख्याल आते ही, पता नहीं क्यों, मेरे लंड ने झटके मारने शुरू कर दिया | स्टेशन पर होने की वजह से मुझे अजीब लगने लगा और मैने अपने आप को कण्ट्रोल किया और ऋतू को लेने चला गया | ऋतू मुझे शुरू से ही खुशमिजाज़ लगती थी और उसने मेरे साथ गाड़ी मे बैठते ही गप्पे मारने शुरू कर दिये और बातो ही बातो मे घर आ गया | ऋतू के साथ पता नहीं कैसे १ हफ्ता निकल गया | मुझे उन दिनों कुछ ज्यादा काम था, तो मै ऋतू पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाया और वो अकेले रहने लगी | १ हफ्ते बाद, मेरी पत्नी का फ़ोन आया, कि उसके पिता की तबियत ज्यादा ख़राब है, उसे कुछ और दिन के लिए वहा रहना पड़ेगा | मैने सरला को आश्वस्त किया, कि यहाँ सब ठीक है और वो हमारी चिंता ना करे |

शनिवार को मै घर जल्दी आज्ञा और मैने ऋतू से बात करनी शुरू कर दी | मुझे लगा, कि ऋतू घर मे बोर होती होगी, तो मैने उसे तैयार होने को बोला और माल घुमाने ले गया | हम दोनों ने माल मे काफी मस्ती की और ऋतू का मूड काफी हद तक अच्छा होने लगा था | हम दोनों पैदल ही घर आने लगे, हम दोनों सड़क के किनारे चल रहे थे और वो मुझे अपने ससुराल के जुल्मो के बारे मे बात रही थी | बात करते-करते उसके आँखों मे आंसू आ गये, तो मैने उसका हाथ अपने हाथो मे ले लिया | ऋतू ने एक दम अपना हाथ छुड़ा लिया और हम दोनों एक दुसरे से बिना बात करे चलने लगे और घर वापस आ गये | घर लौटने पर हम दोनों ही थक चुके थे | ऋतू हम दोनों के खाना बनाने के लिए रसोई मे चली गयी और हम दोनों खाना खाकर टीवी देखने लगे | हम दोनों को ही कुछ समझ नहीं आ रहा था और कमरे मे चुप्पी का सन्नाटा था | अचानक से ऋतू उठी और बोली, मै काफी थक चुकी हु और अपने कमरे मै सोने जा रही हु और वो मेरे पास आयी और उसने अपने होठो को मेरे होठो पर रख दिया और हम दोनों ने एक दुसरे के होठो को चुसना शुरू कर दिया | ये बहुत ही गरम किस था | फिर, उसने मेरे होठो को छोड़ा और मुस्कुराती हुई अपने कमरे मै चली गयी | मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था | मै सोफे पर जड़ की तरह चिपक गया था | फिर, मै बिना कुछ सोचे-समझे, ऋतू के जादू मे बंधा हुआ उसके पीछे रूम मे चला गया | ऋतू एक नाइटी पहनी खड़ी थी | मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि क्या करना चाहिए क्या नहि, मै चुपचाप खड़ा था | फिर उसने सामने से कहा, अब क्या बाहर ही खड़े रहगे, अब अंदर भी आ जाओ  |  वो अंदर आकर कमरे के बीच मे खड़ी हो गयी | मै भी उसके पास गया और अपने शरीर को उसके शरीर से चिपका लिया | हम दोनों के होठ आपस मे जुड़ चुके थे और हम दोनों की गरम साँसे आपस मे मिलकर माहौल को गरम बना रही थी |

मै उसे किस करते-करते उसके मुह के अन्दर अपना जुबान डाल चूका था और हम दोनों एक दुसरे के जीभ के साथ खेलना शुरू कर चुके थे | हम एक इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुके थे की मैने उसकी नाइटी उतार दी और उसने मेरा पजामा उतार डाला| अब हम दोनों बिलकुल नंगे खड़े थे और एक दुसरे की तरफ देख रहे थे | उसी की नज़रे मुझे पुकार रही थी उसे चोदने के लिये | मैने उसे अपने दोनों हाथो मे उठा लिया और बिस्तर पर फेक दिया और उसकी पुरे जिस्म से खेलने लगा | मैने उसका एक चुचा अपने मुह मे ले लिया और मस्ती मे चूसने लगा | उसने अपने हाथ मेरे बालो मे गुसा दिये और जोर से खीचने लगी और जोर से चोदने के लिए बोलने लगी |  मै उसकी एक चूची को अपने मुह मे ले रखा था और दुसरे चुचे को अपने हाथो से दबा रहा था | ऋतू बहुत ही ज्यादा उत्तेजित थी और उसका शरीर मस्त मे काँप रहा था |  वो मेरे सर के बाल पकड़ के ऊपर की तरफ ला रही थी, किस करने के लिये | कुछ देर किस करने के बाद, वो मेरे जिस्म को चाटते हुए नीचे आने लगी और मेरे लंड तक चली गयी और मेरे लंड को चूसने लगी |

अब मैने उसको खीचकर ऊपर कर लिया और उसको मस्ती मे चूमने लगा आआअ…..ऊऊओ…..उसके बाद मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मैने अपना मुह उसकी चूत मे घुसा दिया और मस्ती मे उसकी चूत को चाटने लगा आआआआ……ईईईईइ……ऊऊऊऊऊऊऊओ .. मै अपनी जीभ उसकी चुत के अन्दर डाल चुका  था और ऋतू कमुत्तेजना से छटपटा रही थी आआआआअ…….ऊऊऊ…..ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह….
| वो अपने पैर और भी फैला चुकी थी और मैने अपनी ऊँगली से उसकी चूत रगड़ना शुरू कर दिया था | उसकी कामुक आवाज़ मुझे मस्ती मे भर रही थी | हम दोनों अब और नहीं सह सकते थे और मैने ऋतू को बिस्तर पर लिटा दिया था और उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा, ऋतू की सिसकिया निकालनी शुरू हो गयी और वो मस्ती मे कसमसा रही थी आआआआ…ऊऊऊओ…अह्ह्ह्हह्ह….फिर, मैने अपना लंड ऋतू की चूत पर घुसा दिया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा | ऋतू की चीख निकल गयी और उसने अपने पैरो को पकड़ लिया और मेरा लंड उसके पैरो के बीच मे अटक गया | मेरे मुह से चीखे निकल रही थी और …..आआ……आआ….ऊऊओ….ऋतू हंस रही थी और मेरे लंड के साथ अपने पैरो से खेल रही थी |

कुछ देर बाद, उसने अपने दोनों पैर को ढीला किया, और मैने एक बार से लंड को जोर से चलाना श्रुर कर दिया | ऋतू की गांड मस्ती मे हिल रही थी और सारा कमरा हमारी कामुक आवाजो से गूंज रहा था | तभी, मेरा फ़ोन बज उठा | देखा तो सरला का फ़ोन आ रहा था | मुझे ऋतू को बिस्तर पर तड़पता हुआ छोड़ना पड़ा | उस समय हमारी प्यास अधूरी रह गयी…











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