FUN-MAZA-MASTI
वीरेन्द्र सहवाग वाली बेटिंग
यह हिंदी सेक्स कहानी उन दिनों की हैं जब मैं 19 साल की जवान लड़की हुआ करती थी और मेरे भाई अनिल के 3 दोस्तों ने मुझे मेरे ही घर में छोड़ा था. चौंके नहीं यह कोई रेप नहीं था लेकिन मेरी तिन लंड लेने की सहमती भी नहीं थी. अनिल के एक दोस्त विलास से मेरी सेटिंग थी और वो मुझे अक्सर मेरे घर में चोदता था.
फिर एक दिन विलास ने मुझे अपने एनआरआई दोस्त करण के बारें में बताया. उसके कहने के मुताबिक़ करण भी अनिल का दोस्त था. विलास ने दूसरी बात यह बताई की करण मुझे चोदना चाहता हैं. पहले तो मैं चौंक गई की यह सब क्या हैं. लेकिन जब विलास ने भार दे के मुझे उस से चुदने के लिए कहा तो मैं मना नहीं कर सकी. आखिरकार मैं मना कर सकूँ ऐसी स्थिति में भी नहीं थी. क्यूंकि विलास के साथ पहले भी मैं थ्रीसम और ग्रुपसेक्स के गुलछर्रे उड़ा चुकी थी. (मैं एक मोडर्न ख्यालों वाली लड़की थी जिसे सब चलता था)
विलास ने मुझे दुसरे दिन मिलने के लिए कहा और उसने यह भी कहा की वो अनिल को देख लेंगा. दुसरे दिन सुबह अनिल भैया बन ठन रहे थे; मैं समझ गई की विलास ने उनका कही जानेका सेटिंग कर दिया हैं. मैंने पूछा तो उन्होंने बताया की वो किसी काम से बहार जा रहे हैं. अब घर में केवल मैं और मेरे मम डेड ही थे. वो दोनों भी 11:30 बजे तक अपनी अपनी ऑफिस के लिए निकल गए. मैंने मम को पेन होने का बहाना बताया और मैं कोलेज नहीं गई. करीब 12:15 बजे विलास का फोन आया और उसने मुझे घर के पीछे की विंडो खोलने के लिए कहा. मैंने विंडो खोली और देखा की विलास के साथ एक 24 साल का लड़का हैं जो हम दोनों से बड़ा था. शायद वही करण था जो इंग्लॅण्ड में रहता था. दोनों अंदर आये और विलास ने मेरा हाथ पकड के मुझे कमरे की और खिंचा. और मैं भूल ही गई की विंडो अभी भी खुली हुई हैं….!
कमरे में आते ही विलास ने मुझे पीछे से पकड लिया और वो बोला, “करण यही हैं तेरी भाभी कविता…!”
करण मेरी तरफ देख रहा था, उसकी आँखे जैसे नशे में भरी हुई थी. विलास का हाथ अब सीधा मेरे चुंचो के ऊपर आ गया और मैं अपनी गांड के ऊपर उसका लम्बा लंड महसूस करने लगी थी. उसने दोनों तरफ से मेरे चुंचे पकडे और जोर जोर से मसलने लगा. मैंने आप को बताया ही नहीं की मेरा शरीर जरा मोटा था और मेरे चुंचे तो उस समय से ही 36 के थे. करण सोफे के ऊपर बैठा और विलास ने मुझे अपनी और मोड़ दिया. वो मेरे होंठो पे अपने होंठ लगाने लगा और मैं समझ गई की उसने पी रखी थी. उसने मेरी टी-शर्ट को पकड़ा और ऊपर उठा लिया. मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था क्यूंकि मुझे पता था की वो ऐसे भी उतरने वाला हैं. विलास ने मुझे फिर से जकड़ा. उसका एक हाथ मेरे दाहिने चुंचे पर था और दुसरे हाथ को उसने चूत के ख़जाने की और बढ़ा दिया. वो अपने हाथ से मेरी ढीली ट्रेक पेंट में घुसने की ट्राय कर रहा था.
ट्रेक पेंट ढीली होने की वजह से उसे इसमें सफलता भी मिल गई. उसका हाथ अब मेरी झांटो के ऊपर था; जिसे वो मरोड़ रहा था. उसका कसा हुआ लंड अभी भी मेरी गांड पे जैसे की दस्तक दे रहा था. बड़ा मजा था; और करण भी सोफे पे बैठा हुआ यह मजे देख रहा था. विलास ने अब ट्रेक पेंट को खोल दी और मुझे नंगा कर दिया. करण मेरी चूत को ऐसे देखने लगा जैसे की भिखारी को मिठाई का डब्बा दिख गया हो. विलास ने अपने कपडे उतारने चालू किये और वो बोला, “आजा करण तू भी लंड तो उठा ले अपना.!”
इतना सुनते ही करण मेरे पास आया और उसने अपने होंठ मेरे होंठो से लगा दिए. उसके मुहं से तो शराब की बहुत तेज गंध आ रही थी. वो मुझे होंठो के ऊपर और गालों के ऊपर चूमने लगा और साथ साथ उसके हाथ भी मेरे शरीर के ऊपर इधर उधर घुमने लगे. करण शायद पंजाबी था, उसके छूने के अंदाज और बोलने का ढांचा तो वैसा ही था. विलास सोफे के ऊपर बैठे हुए अपने लंड को हिला रहा था जैसे की मूठ मार रहा हो और फिर उसके मुहं से आवाज निकली, “कुलदीप तू भी आजा अंदर….!”
इतना सुनते ही मेरी गांड फट गई. क्या यह लोग तिन थे जो पीछे की खिड़की से अंदर आये थे. लेकिन मैंने तो दो की ही अंदर आते देखा था. ओह अब मैं समझी; विंडो खुली थी इसलिए तीसरा लड़का भी अंदर आ गया था. मैंने करण की बाहों में अपने चुंचे मसलवाते हुए उसे देखा. वो भी कुछ 23 साल जितना था लेकिन उसके चहरे पे दाढ़ी थी. वो जाके विलास के पास बैठ गया और अपनी पतलून उतारने लगा. इधर करण का खड़ा हुआ लंड मेरी गांड को नोक कर कर के उकसा रहा था. मैंने इस से पहले बहुत मस्ती की हैं अपनी सेक्स लाइफ में लेकिन तिन लोगों से एकसाथ चुदवाना मेरे लिस्ट में नहीं था अब तक. उधर मेरे सो कॉल्ड बॉयफ्रेंड विलास ने अपना लौड़ा बहार निकाल के उसकी धार तेज करना चालू कर दिया था. वो अपने सुपाड़े को मल रहा था और मेरी और करण की और देख रहा था.
कुलदीप तो बड़ा तेज निकला उसने करण के साथ ही मेरे बदन से खेलना चालू कर दिया. कुलदीप के हाथ दोनों के मुकाबले काफी गरम थे और शायद उसने नशा भी तीनो में सब से अधिक किया था. कुलदीप अब आगे आके मेरी चूत का मुआयना करने लगा जैसे. वो ऊँगली को मुहं में गिला कर के चूत के अंदर जैसे की ब्रशिंग करने लगा. उसका गरम हाथ चूत के ऊपर लगते ही मैं मचल सी गई. अब विलास भ उठ खड़ा हुआ और वो मेरे पास आ गया. कुलदीप ने अपना मुहं चूत के दरवाजे पे रखा और वो जैसे कुत्ता हड्डी चबाता हैं वैसे मेरी चूत को लपलपाने लगा. मेरे तोते ही उड़ गए थे ऐसा होने से. विलास ने मुझे कंधे से पकड के जमीन पे लिटा दिया. कुलदीप का चूत चाटना जारी ही था और विलास ने अपना लौड़ा मेरे मुहं में पेल दिया. करण अपने लंड को पकड के खड़ा था उस वक्त.
मैंने मुहं खोल के विलास के देसी लौड़े को चूसना चालू कर दिया. उह्ह्ह्ह कुलदीप का चूत चाटना मुझे पागल भी तो कर रहा था. ऐसे लग रहा था जैसे की गर्मी की सीजन में मुझे बर्फ की शील पे लिटा दिया गया हो; आप ना उसे छोड़ सकते हैं ना ही उसे सह सकते हैं. विलास के लौड़े ने अब अपना रास्ता देख जो लय था इसलिए वो मेरे मुहं के अंदर धांय धांय चलने लगा. करण जो अब तक मूक बना हुआ था उसने अपने मुहं को मेर चुंची के ऊपर रख दिया और दुसरे हाथ से वो चुंची को मसलने लगा. आप मेरी केफियत समझ सकते हो; एक चुंची मुहं में एक चुंची पे हाथ. मुहं में लंड लिया हुआ और चूत में कुलदीप की लाळ. वाऊ यह ग्रुपसेक्स तो मेरे लिए बड़ा उत्तेजक सामान बना हुआ था.
विलास ने अपने लंड को अब और भी जोर से मुहं में डालना चालू कर दिया. करण ने भी अब चुंचो की मस्ती को अधुरा छोड़ा और वो भी विलास की बगल में आ खड़ा हुआ. मैं समझ गई की उसे भी चुस्वाना हैं अपना लंड. मैंने विलास का लौड़ा चूसते हुए उसके लौड़े को अपने हाथ में लिया और सहलाने लगी. उसका लौड़ा भी मस्त था; चौड़ा और लंबा. मैंने उसे अपनी मुठ्ठी में बंध किया और उसे मुठ का मजा देने लगी. कुलदीप अब उठ खड़ा हुआ और उसने अपने होंठो पे लगा हुआ मेरा चूत का पानी साफ़ किया. उसने अपने लौड़े को बहार निकाला और मुझे लगा की वो भी चुस्वाने के लिए आयेंगा. लेकिन उसने सीधे अपने लंड को रखा मेरी चूत के ऊपर और मारा एक धक्का….!
आह्ह्ह ओह ओह ओह ओह कर के मैंने उसके धक्के को सह लिया कुछ कर के. इधर करण ने विलास को इशारा किया और विलास ने अपना लौड़ा मेरे मुहं से बहार निकाला. उसके लौड़े के ऊपर से मेरा थूंक टपक रहा था. करण ने अपना लौड़ा मेरे मुहं में डाला और वो उसके मजे देने लगा. कुलदीप के झटको की वजह से मेरी बॉडी पहले से हिल रही थी और ऊपर से करण अपना लौड़ा अंदर बहार कर रहा था. मैं तो जैसे स्प्रिंग बन गई थी उन दो बड़े लंड के बिच में. कुलदीप के झटके बड़े सही थे वो मुझे जोर जोर से पेल रहा था और मेरे शरीर पे हाथ घुमा के गरम भी कर रहा था. कुलदीप ने 5 मिनट तक ऐसे ही मुझे अपने लौड़े का मजा दिया और फीर उसने अपना लौड़ा बहार निकाला. उधर विलास और करण पोजीशन में ही खड़े थे. कुलदीप के हटते ही विलास निचे लेट गया और उसने मुझे अपने उपर ले लिया. मैंने उसके लंड को पकड के अपनी चूत में रखा और उसे अंदर धक्का विलास ने लगा दीया. कुलदीप अपना चूत के पानी से भीगा हुआ लंड ले के मेरे सामने आया और मैं कुछ समझू उसके पहले मुहं में दे दिया. अपन ही चूत का रस मुहं में लेना कुछ ख़ास होता हाँ…!
विलास मेरा पेट पकड के मुझे अपने लौड़े के ऊपर उछालने लगा और तभी करण पीछे आके खड़ा हुआ. मुझे लगा की वो चूत खाली होने की राह देखेंगा. लेकिन वो तो बड़ा धोखेबाज निकला. उसने विलास को रुकने का इशारा किया और मेरी गांड के छेद के पास अपना लंड टिका दिया. वाऊ उसका गरम लंड और मेरी गांड का गरम छेद आपस में लड़ गए और उसने थूंक के धीरे से झटका लगा दिया. एक ही झटके में उसका आधा लौड़ा मेरी गांड में घुस गया. विलास अब अपने लौड़े को अंदर बहार करने लगा और साथ ही करण का पंजाबी (शायद पंजाबी ही था वो, तभी तो वो पीछे से आया था) लौड़ा मेरी गांड के आरपार होने लगा. विलास मुझे जब जब उछालता था करण भी निचे से वही जोर का झटका देता था. मेरे तोते उड़े हुए थे; आखिर तीनों छेद में एक एक लौड़ा लेना आसान काम थोड़ी हैं.
मैं उछलती रही और वो दोनों मुझे उछालते रहे. मेरे शरीर के एक एक अंग में पसीना और उत्तेजना आ गई थी. विलास ने अपने मुहं से मेरे चुंचे भी चबा लिए थे और करण ने अपने नाख़ून मेरी कमर के ऊपर गड़ाएं थे. कुलदीप बेचारा चुपचाप अपने लौड़े की पाइप मेरे मुहं में लगा के खड़ा था. तभी करण की ठुकाई की स्पीड बढ़ी और वो जोर जोर से मुझे गांड के अंदर धक्के मारने लगा. मैं समझ गई की वो चरमसीमा के करीब था. और मेरी बात सच ही निकली; क्यूंकि उसके लौड़े से निकला चिकना रस मेरी गांड को भिगो चूका था. करण ने अपना लंड निकाला और वो सोफे के ऊपर जा बैठा. कुलदीप अब पीछे आया और उसने अपना लंड मेरी गांड पे डाला. विलास समझ गया था की उसका भ समय करीब हैं इसलिए उसने अपनी चुदाई की स्पीड एकदम कर दी. वो सिर्फ जैसे लौड़ा अंदर डाल के लेटा पड़ा था.
कुलदीप ने तो पहले से ही वीरेन्द्र सहवाग वाली बेटिंग चालू कर दी. फचफच की आवाज से उसका लौड़ा मेरी गांड के अंदर बहार होने लगा और वो मेरी गांड के ऊपर चमाट भी लगाने लगा. विलास ने अब चुदाई की स्पीड बढाई और वो अपने झटके तब तक मारता रहा जब तक उसका लावा चूत में भर नहीं गया. उसने भी अपना लौड़ा निकाला और वो सोफे के पास जाके बैठ गया. विलास और करण ने सिगरेट जलाई और वो मेरा और कुलदीप का गांड सम्भोग देखने लगे. कुलदीप मंझा हुआ प्लेयर था. वो जोर से चोदता और फिर अपनी स्पीड धीरी कर देता था जिस से उसका स्खलन लम्बा हो सकें. लेकिन यह वो चीज हैं जिसे टाली नहीं जा सकती.
लेकिन उसने करण और विलास से जरा हट के स्खलन करना था शायद. उसने अपना लंड मेरी गांड से निकाला और वो मेरे मुहं के पास आ गया. उसने मेरे मुहं के सामने अपना लंड हिलाना चालू कर दिया. मैं अपना मुहं खोल के उसके लंड की बरसात की राह देखने लगी. कुलदीप अब जोर जोर से अपना लौड़ा हिलाने लगा था. और मैं जिस की आस में थी वो बरसात हुई. उसके लंड से वीर्य का फव्वारा निकला और मेरे मुहं के अंदर और ऊपर आ गया. कुलदीप जैसे अपने लौड़े को निचोड़ निचोड़ के एक एक बूंद बहार निकाल रहा था. वो थक के वही सोफे के ऊपर जा बैठा.
मैंने उसके वीर्य का स्वाद चखा और बाकी बचा वीर्य अपने हाथो से पौंछ दिया. विलास ने मुझे सब के लिए चाय बनाने के लिए कहा. सच बताऊँ जब मैं चाय बनाने के लिए खड़ी हुई तो मेरे से चला भी नहीं जा रहा था. लेकिन उस वक्त का यह किस्सा याद कर के मेरी चूत में आज भी पानी आ जाता हैं. मेरी शादी वीलास से नहीं हुई लेकिन वो मुझे शादी के बाद तक चोदता रहा. कुलदीप और करण को तो मैंने अपनी जिन्दगी में उस दिन के बाद कभी नहीं देखां. लेकिन आज भी उनके लंड के द्वारा लगाये गए एक एक झटके का जसे अहसास हैं मुझे……!
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वीरेन्द्र सहवाग वाली बेटिंग
यह हिंदी सेक्स कहानी उन दिनों की हैं जब मैं 19 साल की जवान लड़की हुआ करती थी और मेरे भाई अनिल के 3 दोस्तों ने मुझे मेरे ही घर में छोड़ा था. चौंके नहीं यह कोई रेप नहीं था लेकिन मेरी तिन लंड लेने की सहमती भी नहीं थी. अनिल के एक दोस्त विलास से मेरी सेटिंग थी और वो मुझे अक्सर मेरे घर में चोदता था.
फिर एक दिन विलास ने मुझे अपने एनआरआई दोस्त करण के बारें में बताया. उसके कहने के मुताबिक़ करण भी अनिल का दोस्त था. विलास ने दूसरी बात यह बताई की करण मुझे चोदना चाहता हैं. पहले तो मैं चौंक गई की यह सब क्या हैं. लेकिन जब विलास ने भार दे के मुझे उस से चुदने के लिए कहा तो मैं मना नहीं कर सकी. आखिरकार मैं मना कर सकूँ ऐसी स्थिति में भी नहीं थी. क्यूंकि विलास के साथ पहले भी मैं थ्रीसम और ग्रुपसेक्स के गुलछर्रे उड़ा चुकी थी. (मैं एक मोडर्न ख्यालों वाली लड़की थी जिसे सब चलता था)
विलास ने मुझे दुसरे दिन मिलने के लिए कहा और उसने यह भी कहा की वो अनिल को देख लेंगा. दुसरे दिन सुबह अनिल भैया बन ठन रहे थे; मैं समझ गई की विलास ने उनका कही जानेका सेटिंग कर दिया हैं. मैंने पूछा तो उन्होंने बताया की वो किसी काम से बहार जा रहे हैं. अब घर में केवल मैं और मेरे मम डेड ही थे. वो दोनों भी 11:30 बजे तक अपनी अपनी ऑफिस के लिए निकल गए. मैंने मम को पेन होने का बहाना बताया और मैं कोलेज नहीं गई. करीब 12:15 बजे विलास का फोन आया और उसने मुझे घर के पीछे की विंडो खोलने के लिए कहा. मैंने विंडो खोली और देखा की विलास के साथ एक 24 साल का लड़का हैं जो हम दोनों से बड़ा था. शायद वही करण था जो इंग्लॅण्ड में रहता था. दोनों अंदर आये और विलास ने मेरा हाथ पकड के मुझे कमरे की और खिंचा. और मैं भूल ही गई की विंडो अभी भी खुली हुई हैं….!
कमरे में आते ही विलास ने मुझे पीछे से पकड लिया और वो बोला, “करण यही हैं तेरी भाभी कविता…!”
करण मेरी तरफ देख रहा था, उसकी आँखे जैसे नशे में भरी हुई थी. विलास का हाथ अब सीधा मेरे चुंचो के ऊपर आ गया और मैं अपनी गांड के ऊपर उसका लम्बा लंड महसूस करने लगी थी. उसने दोनों तरफ से मेरे चुंचे पकडे और जोर जोर से मसलने लगा. मैंने आप को बताया ही नहीं की मेरा शरीर जरा मोटा था और मेरे चुंचे तो उस समय से ही 36 के थे. करण सोफे के ऊपर बैठा और विलास ने मुझे अपनी और मोड़ दिया. वो मेरे होंठो पे अपने होंठ लगाने लगा और मैं समझ गई की उसने पी रखी थी. उसने मेरी टी-शर्ट को पकड़ा और ऊपर उठा लिया. मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था क्यूंकि मुझे पता था की वो ऐसे भी उतरने वाला हैं. विलास ने मुझे फिर से जकड़ा. उसका एक हाथ मेरे दाहिने चुंचे पर था और दुसरे हाथ को उसने चूत के ख़जाने की और बढ़ा दिया. वो अपने हाथ से मेरी ढीली ट्रेक पेंट में घुसने की ट्राय कर रहा था.
ट्रेक पेंट ढीली होने की वजह से उसे इसमें सफलता भी मिल गई. उसका हाथ अब मेरी झांटो के ऊपर था; जिसे वो मरोड़ रहा था. उसका कसा हुआ लंड अभी भी मेरी गांड पे जैसे की दस्तक दे रहा था. बड़ा मजा था; और करण भी सोफे पे बैठा हुआ यह मजे देख रहा था. विलास ने अब ट्रेक पेंट को खोल दी और मुझे नंगा कर दिया. करण मेरी चूत को ऐसे देखने लगा जैसे की भिखारी को मिठाई का डब्बा दिख गया हो. विलास ने अपने कपडे उतारने चालू किये और वो बोला, “आजा करण तू भी लंड तो उठा ले अपना.!”
इतना सुनते ही करण मेरे पास आया और उसने अपने होंठ मेरे होंठो से लगा दिए. उसके मुहं से तो शराब की बहुत तेज गंध आ रही थी. वो मुझे होंठो के ऊपर और गालों के ऊपर चूमने लगा और साथ साथ उसके हाथ भी मेरे शरीर के ऊपर इधर उधर घुमने लगे. करण शायद पंजाबी था, उसके छूने के अंदाज और बोलने का ढांचा तो वैसा ही था. विलास सोफे के ऊपर बैठे हुए अपने लंड को हिला रहा था जैसे की मूठ मार रहा हो और फिर उसके मुहं से आवाज निकली, “कुलदीप तू भी आजा अंदर….!”
इतना सुनते ही मेरी गांड फट गई. क्या यह लोग तिन थे जो पीछे की खिड़की से अंदर आये थे. लेकिन मैंने तो दो की ही अंदर आते देखा था. ओह अब मैं समझी; विंडो खुली थी इसलिए तीसरा लड़का भी अंदर आ गया था. मैंने करण की बाहों में अपने चुंचे मसलवाते हुए उसे देखा. वो भी कुछ 23 साल जितना था लेकिन उसके चहरे पे दाढ़ी थी. वो जाके विलास के पास बैठ गया और अपनी पतलून उतारने लगा. इधर करण का खड़ा हुआ लंड मेरी गांड को नोक कर कर के उकसा रहा था. मैंने इस से पहले बहुत मस्ती की हैं अपनी सेक्स लाइफ में लेकिन तिन लोगों से एकसाथ चुदवाना मेरे लिस्ट में नहीं था अब तक. उधर मेरे सो कॉल्ड बॉयफ्रेंड विलास ने अपना लौड़ा बहार निकाल के उसकी धार तेज करना चालू कर दिया था. वो अपने सुपाड़े को मल रहा था और मेरी और करण की और देख रहा था.
कुलदीप तो बड़ा तेज निकला उसने करण के साथ ही मेरे बदन से खेलना चालू कर दिया. कुलदीप के हाथ दोनों के मुकाबले काफी गरम थे और शायद उसने नशा भी तीनो में सब से अधिक किया था. कुलदीप अब आगे आके मेरी चूत का मुआयना करने लगा जैसे. वो ऊँगली को मुहं में गिला कर के चूत के अंदर जैसे की ब्रशिंग करने लगा. उसका गरम हाथ चूत के ऊपर लगते ही मैं मचल सी गई. अब विलास भ उठ खड़ा हुआ और वो मेरे पास आ गया. कुलदीप ने अपना मुहं चूत के दरवाजे पे रखा और वो जैसे कुत्ता हड्डी चबाता हैं वैसे मेरी चूत को लपलपाने लगा. मेरे तोते ही उड़ गए थे ऐसा होने से. विलास ने मुझे कंधे से पकड के जमीन पे लिटा दिया. कुलदीप का चूत चाटना जारी ही था और विलास ने अपना लौड़ा मेरे मुहं में पेल दिया. करण अपने लंड को पकड के खड़ा था उस वक्त.
मैंने मुहं खोल के विलास के देसी लौड़े को चूसना चालू कर दिया. उह्ह्ह्ह कुलदीप का चूत चाटना मुझे पागल भी तो कर रहा था. ऐसे लग रहा था जैसे की गर्मी की सीजन में मुझे बर्फ की शील पे लिटा दिया गया हो; आप ना उसे छोड़ सकते हैं ना ही उसे सह सकते हैं. विलास के लौड़े ने अब अपना रास्ता देख जो लय था इसलिए वो मेरे मुहं के अंदर धांय धांय चलने लगा. करण जो अब तक मूक बना हुआ था उसने अपने मुहं को मेर चुंची के ऊपर रख दिया और दुसरे हाथ से वो चुंची को मसलने लगा. आप मेरी केफियत समझ सकते हो; एक चुंची मुहं में एक चुंची पे हाथ. मुहं में लंड लिया हुआ और चूत में कुलदीप की लाळ. वाऊ यह ग्रुपसेक्स तो मेरे लिए बड़ा उत्तेजक सामान बना हुआ था.
विलास ने अपने लंड को अब और भी जोर से मुहं में डालना चालू कर दिया. करण ने भी अब चुंचो की मस्ती को अधुरा छोड़ा और वो भी विलास की बगल में आ खड़ा हुआ. मैं समझ गई की उसे भी चुस्वाना हैं अपना लंड. मैंने विलास का लौड़ा चूसते हुए उसके लौड़े को अपने हाथ में लिया और सहलाने लगी. उसका लौड़ा भी मस्त था; चौड़ा और लंबा. मैंने उसे अपनी मुठ्ठी में बंध किया और उसे मुठ का मजा देने लगी. कुलदीप अब उठ खड़ा हुआ और उसने अपने होंठो पे लगा हुआ मेरा चूत का पानी साफ़ किया. उसने अपने लौड़े को बहार निकाला और मुझे लगा की वो भी चुस्वाने के लिए आयेंगा. लेकिन उसने सीधे अपने लंड को रखा मेरी चूत के ऊपर और मारा एक धक्का….!
आह्ह्ह ओह ओह ओह ओह कर के मैंने उसके धक्के को सह लिया कुछ कर के. इधर करण ने विलास को इशारा किया और विलास ने अपना लौड़ा मेरे मुहं से बहार निकाला. उसके लौड़े के ऊपर से मेरा थूंक टपक रहा था. करण ने अपना लौड़ा मेरे मुहं में डाला और वो उसके मजे देने लगा. कुलदीप के झटको की वजह से मेरी बॉडी पहले से हिल रही थी और ऊपर से करण अपना लौड़ा अंदर बहार कर रहा था. मैं तो जैसे स्प्रिंग बन गई थी उन दो बड़े लंड के बिच में. कुलदीप के झटके बड़े सही थे वो मुझे जोर जोर से पेल रहा था और मेरे शरीर पे हाथ घुमा के गरम भी कर रहा था. कुलदीप ने 5 मिनट तक ऐसे ही मुझे अपने लौड़े का मजा दिया और फीर उसने अपना लौड़ा बहार निकाला. उधर विलास और करण पोजीशन में ही खड़े थे. कुलदीप के हटते ही विलास निचे लेट गया और उसने मुझे अपने उपर ले लिया. मैंने उसके लंड को पकड के अपनी चूत में रखा और उसे अंदर धक्का विलास ने लगा दीया. कुलदीप अपना चूत के पानी से भीगा हुआ लंड ले के मेरे सामने आया और मैं कुछ समझू उसके पहले मुहं में दे दिया. अपन ही चूत का रस मुहं में लेना कुछ ख़ास होता हाँ…!
विलास मेरा पेट पकड के मुझे अपने लौड़े के ऊपर उछालने लगा और तभी करण पीछे आके खड़ा हुआ. मुझे लगा की वो चूत खाली होने की राह देखेंगा. लेकिन वो तो बड़ा धोखेबाज निकला. उसने विलास को रुकने का इशारा किया और मेरी गांड के छेद के पास अपना लंड टिका दिया. वाऊ उसका गरम लंड और मेरी गांड का गरम छेद आपस में लड़ गए और उसने थूंक के धीरे से झटका लगा दिया. एक ही झटके में उसका आधा लौड़ा मेरी गांड में घुस गया. विलास अब अपने लौड़े को अंदर बहार करने लगा और साथ ही करण का पंजाबी (शायद पंजाबी ही था वो, तभी तो वो पीछे से आया था) लौड़ा मेरी गांड के आरपार होने लगा. विलास मुझे जब जब उछालता था करण भी निचे से वही जोर का झटका देता था. मेरे तोते उड़े हुए थे; आखिर तीनों छेद में एक एक लौड़ा लेना आसान काम थोड़ी हैं.
मैं उछलती रही और वो दोनों मुझे उछालते रहे. मेरे शरीर के एक एक अंग में पसीना और उत्तेजना आ गई थी. विलास ने अपने मुहं से मेरे चुंचे भी चबा लिए थे और करण ने अपने नाख़ून मेरी कमर के ऊपर गड़ाएं थे. कुलदीप बेचारा चुपचाप अपने लौड़े की पाइप मेरे मुहं में लगा के खड़ा था. तभी करण की ठुकाई की स्पीड बढ़ी और वो जोर जोर से मुझे गांड के अंदर धक्के मारने लगा. मैं समझ गई की वो चरमसीमा के करीब था. और मेरी बात सच ही निकली; क्यूंकि उसके लौड़े से निकला चिकना रस मेरी गांड को भिगो चूका था. करण ने अपना लंड निकाला और वो सोफे के ऊपर जा बैठा. कुलदीप अब पीछे आया और उसने अपना लंड मेरी गांड पे डाला. विलास समझ गया था की उसका भ समय करीब हैं इसलिए उसने अपनी चुदाई की स्पीड एकदम कर दी. वो सिर्फ जैसे लौड़ा अंदर डाल के लेटा पड़ा था.
कुलदीप ने तो पहले से ही वीरेन्द्र सहवाग वाली बेटिंग चालू कर दी. फचफच की आवाज से उसका लौड़ा मेरी गांड के अंदर बहार होने लगा और वो मेरी गांड के ऊपर चमाट भी लगाने लगा. विलास ने अब चुदाई की स्पीड बढाई और वो अपने झटके तब तक मारता रहा जब तक उसका लावा चूत में भर नहीं गया. उसने भी अपना लौड़ा निकाला और वो सोफे के पास जाके बैठ गया. विलास और करण ने सिगरेट जलाई और वो मेरा और कुलदीप का गांड सम्भोग देखने लगे. कुलदीप मंझा हुआ प्लेयर था. वो जोर से चोदता और फिर अपनी स्पीड धीरी कर देता था जिस से उसका स्खलन लम्बा हो सकें. लेकिन यह वो चीज हैं जिसे टाली नहीं जा सकती.
लेकिन उसने करण और विलास से जरा हट के स्खलन करना था शायद. उसने अपना लंड मेरी गांड से निकाला और वो मेरे मुहं के पास आ गया. उसने मेरे मुहं के सामने अपना लंड हिलाना चालू कर दिया. मैं अपना मुहं खोल के उसके लंड की बरसात की राह देखने लगी. कुलदीप अब जोर जोर से अपना लौड़ा हिलाने लगा था. और मैं जिस की आस में थी वो बरसात हुई. उसके लंड से वीर्य का फव्वारा निकला और मेरे मुहं के अंदर और ऊपर आ गया. कुलदीप जैसे अपने लौड़े को निचोड़ निचोड़ के एक एक बूंद बहार निकाल रहा था. वो थक के वही सोफे के ऊपर जा बैठा.
मैंने उसके वीर्य का स्वाद चखा और बाकी बचा वीर्य अपने हाथो से पौंछ दिया. विलास ने मुझे सब के लिए चाय बनाने के लिए कहा. सच बताऊँ जब मैं चाय बनाने के लिए खड़ी हुई तो मेरे से चला भी नहीं जा रहा था. लेकिन उस वक्त का यह किस्सा याद कर के मेरी चूत में आज भी पानी आ जाता हैं. मेरी शादी वीलास से नहीं हुई लेकिन वो मुझे शादी के बाद तक चोदता रहा. कुलदीप और करण को तो मैंने अपनी जिन्दगी में उस दिन के बाद कभी नहीं देखां. लेकिन आज भी उनके लंड के द्वारा लगाये गए एक एक झटके का जसे अहसास हैं मुझे……!
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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