Friday, September 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--33

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--33

अब आगे
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 ''ओह नितिन ................... मेरे भाई ..................... उम्म्म्ममममममममम ...कितना अंदर तक जा रहा है तेरा पेनिस इस एंगल मे.....अहह ...ऐसे ही करते रहो ...... ज़ोर से चोदो मुझे .....मारो अपनी श्वेता की चूत ....अहह ...चोदो अपनी बहन को .....''

वो अभी भी ऐसे चिल्ला रही थी मानो पूरे मोहल्ले को दावत पर बुलाकर वो सीन दिखाना चाहती हो ....श्वेता को ऐसे चिल्लाते देखकर नितिन ने फिर से एंगल बदला और उसने श्वेता को अपने लंड की बाल्कनी से नीचे उतारा और अपनी बहन की चूत से निकले रसीले लंड को सीधा उसने श्वेता के ही मुँह मे ठूस कर उसके रस का स्वाद चखाने लगा..

''उम्म्म्ममममममममम ....... कितना टेस्टी लग रहा है ये इस वक़्त......''

वो लंबा और काला लंड जूस लगने की वजह से किसी साउथ अफ़्रीकन राजा की तरह चमक रहा था...जिसकी चमक दूसरे कमरे मे छुपी काव्या साफ देख पा रही थी...उसके हाथ सीधा अपनी ब्रेस्ट पर चले गये और बड़े ही जंगली तरीके से उसने अपने टॉप को उपर उठाकर, अपनी ब्रा को नीचे खिसका कर अपनी लेफ्ट ब्रेस्ट निकाली और उसके निप्पल को बाहर की तरफ खींचकर उसे उभारने लगी...उसके निप्पल काफ़ी लंबे थे, और ऐसा सीन देखकर तो वो भी लड़कों के लंड की तरह खड़े हो चुके थे...दूसरे हाथ को अपनी पेंट मे खिसका कर अपनी चूत के मुहाने पर ले आई और अपनी बीच की उंगली सीधा गर्म कड़ाई मे डालकर उबल रही कड़ी को उंगली की कड़छी से पकाने लगी..

थोड़ी देर तक और चूसने के बाद श्वेता उछलकर अपने गद्देदार चूतड़ो के बल नितिन की छाती पर आ गयी , अब उसकी गुलाबी चूत ठीक नितिन की आँखों के सामने थी, उसने अपनी 2 उँगलियाँ सीधा उसकी गीली चूत के अंदर पेल दी , श्वेता ने भी सिसक कर अपने भाई के लंड को कार के गियर की तरह पकड़कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया और दोनो की गाड़ी फूल स्पीड से भागने लगी..

श्वेता की रेशमी गांड की थिरकन को नितिन अपने दिल के इतने करीब महसूस करते हुए उसके रंग बदलते चेहरे को देखे जा रहा था...और अपनी पूरी ताक़त से अपने हाथ की उंगलियो को अंदर बाहर पेल रहा था.

दो उंगलियाँ वहाँ चल रही थी और टीन उंगलियाँ अब तक काव्या ले चुकी थी अपनी ही चूत मे...अपने ही पंजो पर खड़े होकर वो अपने लरज रहे होंठों से निकल रही हल्की-2 सिसकारीयाँ सुनकर और सामने चल रहे वासना के नंगे नाच को देखकर पागल हुई जा रही थी...उसकी आँखे उपर चड चुकी थी..उसकी चूत का सेलाब कभी भी आ सकता था.


 नितिन को श्वेता की चूत की महक अपने इतने करीब महसूस हुई और एकदम से उसके अंदर उसे चूसने की त्रिव इच्छा जागृत हो गयी, और अगले ही पल उसने वो आसान भी तोड़ दिया और श्वेता को उठाकर खड़ा किया और नीचे बैठे-2 ही उसकी चूत के उपर मुँह लगाकर उसका अमृत चूसने लगा...नितिन की गर्म जीभ अपनी चूत पर और उसके ताकतवर हाथ अपनी गांड पर महसूस करते हुए श्वेता भी मचल-2 कर उसके मुँह पर घिस्से लगाने लगी और ज़ोर से तड़प कर फिर से चीख पड़ी..

''अहह नितिन ...... यू आर अमेजिंग ........ वाआआआआव .......उम्म्म्ममममममम ... खा जाओ ........अंदर तक चाटो मुझे ................... उम्म्म्ममममममममममम .....''

उन दोनो भाई बहन के प्यार को देखकर ना जाने क्यो एकदम से काव्या के मन मे भी वही सेक्शी सीन आ गया, जिसमे वो भी नंगी होकर खड़ी है...पर नीचे बैठकर उसकी चूत चाटने वाला उसका सोतेला बाप समीर या श्वेता का भाई नितिन नही, बल्कि वो आवारा कुत्ता विक्की था...

विक्की का ख़याल आते ही उसका मन घृणा से भर गया, पर वो सीन उसकी आँखो के सामने से जा ही नही रहा था जिसमे वो उसकी चूत को ठीक वैसे ही चूस रहा था, जैसा इस वक़्त नितिन श्वेता की चूसने मे लगा हुआ था..

मन मे घृणा के भाव आने के बावजूद उसकी उत्तेजना और भी बढ़ती जा रही थी...और वो अपनी आँखो के सामने दिख रहे अक्स,यानी विक्की के मुँह पर अपनी चिकनी चूत को बुरी तरह से रग़ड़ कर अपनी खुंदक निकाल रही थी...जैसे उसकी सांसो को अपनी चूत के ज़रिए बंद करके मार ही देना चाहती हो..

वो अपने ही ख़यालो मे खोई हुई थी की श्वेता की जोरदार गुहार उसके कानो मे पड़ी, वो अब पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी और उसे अब फिर से नितिन का लंड अपनी चूत मे चाहिए था..

''अहह ...... भाई ....... अब बस करो .....और मत तड़पाओ ............... डाल दो अपना ........ लंड ............. मेरे अंदर ....''

अपनी प्यारी बहन की रीक़ुएस्ट भला नितिन कैसे ठुकरा सकता था, उसने अगले ही पल अपनी शक्तिशाली बाजुओ का उपयोग करते हुए श्वेता को उपर उठाया और सीधा बिस्तर पर लेजाकर लिटा दिया, और उसकी नशीली आँखों मे देखते हुए अपना लौड़ा उसकी बुण्ड मे पेल दिया...

''अहह ...... ओफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ..भाई ............... ये तो पहले से भी ज़्यादा बड़ा लग रहा है अब..... ''

नितिन और काव्या उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिए....

अगले पाँच मिनट मे दोनो के मुँह से सिर्फ़ सिसकारियों के सिवा कुछ और नही निकला, दोनो अपनी साँस रोके एक दूसरे का मज़ा लेने मे लगे रहे...हर धक्के के साथ काव्या भी झड़ने के करीब पहुँच रही थी....और अंत मे जैसे ही नितिन झड़ने लगा, उसने अपना लंड बाहर खींच लिया और सामने की तरफ करते हुए श्वेता के चेहरे को पूरा रंग दिया...


बाकी का काम श्वेता ने कर दिया, उसके लंड को चूस्कर, वो अंदर से आ रही एक-2 बूँद को चूस गयी, अपने भाई के माल को वो ऐसे नष्ट करना नही चाहती थी, वो सारा का सारा रस पी गयी..

उसके बाद नितिन गहरी साँसे लेता हुआ वहीं बेड पर गिर गया..

काव्या ने भी दबी हुई सिसकारियों के बीच अपनी चूत का सारा रस वहीं ज़मीन पर टपका दिया...

श्वेता ने नितिन के कान के पास आकर कहा : "आज तो सच मे मज़ा आ गया...''

और फिर दोनो ने एक दूसरे को फ्रेंच किस किया..

श्वेता : "तुम यही रूको, मैं अभी आई ...''

और इतना कहकर वो कमरे से बाहर निकल गयी...और जाते-2 उसने कमरे का दरवाजा भी बंद कर दिया..


 फिर वो हुआ,जिसकी काव्या ने कल्पना भी नही की थी..

श्वेता ऐसे ही नंगी चलती हुई एकदम से सामने वाला दरवाजा खोलकर काव्या के सामने पहुँच गयी..और अपनी कमर पर हाथ रखकर उसके सामने खड़ी हो गयी, और बोली : "कैसा लगा हमारा शो ....''

उसकी बात सुनकर काव्या पल भर मे समझ गयी की उसकी सहेली ने जान बूझकर बाहर का दरवाजा खुला छोड़ा था और उसी वक़्त चुदाई करनी भी शुरू की थी जब काव्या को वहाँ पहुँचना था, क्योंकि काव्या ने ही चलने से पहले उसको फोन करके बोल दिया था की वो वहाँ आ रही है..

काव्या : "साली ....तो ये सब तूने जान बूझकर किया...ताकि मैं तुझे और नितिन को सेक्स करते हुए देख सकू .....यू आर सच अ बिच ....''

वो अपने कपड़े ठीक करती हुई अपनी सहेली के कमीनेपन पर हंस रही थी..

श्वेता : "यस ....और मुझे पता भी चल गया था की कब तू बाहर आई,क्योंकि मैने तुझे छुपकर इस कमरे मे आते हुए देख लिया था...''

उसके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी, आख़िर वो अपनी योजना मे कामयाब जो हो चुकी थी..

पर काव्या के उतरे हुए चेहरे को देखकर वो बोली : "पर तूने ये क्या हाल बना रखा है...मैने तो सोचा था की मुझे ये सब करते हुए देखकर तू भी मेरे भाई के लंड को लेने की ज़िद करेगी...ऐसे मुँह लटका कर क्यो खड़ी है अब....अगर तू चाहती है तो एक बार बोल दे, अभी के अभी तेरी चूत का उद्घाटन करवा देती हू अपने भाई के लंड से ....''

उसकी बात सुनकर एक पल के लिए तो काव्या के मुँह मे भी पानी आ गया, वो तो कब से चुदने के लिए बेताब थी...पर अभी वो चुदाई के लिए बिल्कुल भी तैयार नही थी...

काव्या : "नही यार...अभी नही, फिर कभी, अभी तो मुझपर एक मुसीबत आ गयी है ...''

श्वेता भी समझ गयी की एक बार अगर उसने किसी काम के लिए मना कर दिया तो वो कभी भी अपना विचार नही बदलेगी...पर फिर भी उसने हिम्मत नही हारी, वो बोली : "तेरी प्राब्लम से भी निपट लेंगे...और तू बाद मे ही करवा लेना अपना उद्घाटन, पर अभी के लिए कुछ तो कर ले ...चल मेरे साथ..''

काव्या : "पर कहाँ ....''

श्वेता : "चल तो सही ....पूरे ना सही, आधे मज़े तो दिलवा ही सकती हू अभी तुझे, ताकि तेरा मूड ठीक हो जाए... एक बार जब मूड फ्रेश हो जाता है तो परेशानियों से निपटने में आसानी रहती है ..''

और इतना कहकर उसने काव्या का हाथ पकड़ा और ज़बरदस्ती खींचकर उसको सामने वाले कमरे मे ले गयी, जहाँ नितिन पूरा नंगा होकर आराम फ़र्मा रहा था.


 "भाई... देखो तो ज़रा यहाँ.....'' श्वेता ने अपनी हँसी और उतावलापन दबाते हुए नितिन से कहा...

नितिन अपने सिर के पीछे हाथ रखकर अपने दोनो पैर पसारे नंगा लेटा हुआ था..और उसकी दोनो आँखे बंद थी..

इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद जो आलस आता है,वो उसी मे डूबा हुआ था.

उसने आँखे बंद करे -2 ही कहा : "क्या है श्वेता....बोल ना...''

उधर काव्या की हालत खराब हो रही थी...अपनी आँखो के सामने एक और नंगे शरीर को लेते देखकर...ये शायद उसकी जिंदगी का तीसरा मर्द था, जिसे वो आज नंगा देख रही थी..इससे पहले सिर्फ़ उसने सिर्फ दत्त अंकल और समीर को ही नंगा देखा था..

पर उनकी और नितिन की उम्र मे काफ़ी अंतर था...ऐसे गबरू जवान को देखने का ये पहला अवसर था..रोमांच और शर्म एक साथ उसके चेहरे से झलक रही थी..उसकी चूत की फेक्टरी मे ताज़ा रस बनना शुरू हो गया था..जो कभी भी प्रोडक्शन हाउस यानी चूत के अंदर से निकल कर बाहर रिस सकता था...

श्वेता को भी एक और शरारत सूझी..उसने काव्या का हाथ पकड़ कर उसे नितिन की बगल मे बिठा दिया..और फिर अपनी ब्रा उठाकर उसने नितिन की आँखो पर बाँध दी..और बोली : "अभी कुछ देर तक इसको मत खोलना..''

नितिन तो पहले से ही नशे जैसी हालत मे था..उसने मुस्कुराते हुए अपना सिर हाँ में हिला दिया.ब्रा का नर्म मुलायम कपड़ा उसकी आँखो को काफ़ी ठंडक भी पहुँचा रहा था..

श्वेता ने काव्या को आँख मारकर चुप रहने को कहा और फिर उसने काव्या का हाथ पकड़कर नितिन के लंड के उपर रख दिया..

लंड मरियल सा हो चुका था...अभी कुछ देर पहले की चुदाई के कारण, पर काव्या की हालत खराब होने लगी..उसकी साँसों मे तेज़ी आ गयी..भले ही ये सांप अभी मरा हुआ लग रहा था, पर उसमें कभी भी जान आ सकती थी..उसकी कांपती हुई उंगलियों ने नितिन के लंड को सहलाना शुरू कर दिया..

नितिन : "ये क्या श्वेता...अभी भी मन नही भरा....ये दिखाना चाहती थी तुम की फिर से मन कर रहा है तुम्हारा...पर मैं इंसान हू बहन, कोई जादूगर नही, जो सिर्फ़ 10 मिनट मे ही दोबारा तैयार हो जाऊंगा .ऐसे करने से नही जागने वाला मेरा दोस्त..''

श्वेता ने काव्या के कंधे पर सिर रखा और नितिन से कहा : "यही तो मैं देखना चाहती हूँ की ये मेरी बात मानता है या तुम्हारी...''

और उसने इशारा करते हुए काव्या को ज़ोर से लंड हिलाने को कहा..

काव्या को लग रहा था की उसने किसी रबड़ के लंबे टुकड़े को पकड़ा हुआ है...वो लचीला सा होकर इधर उधर लहरा रहा था..पर गर्म था अभी तक..शायद इतनी लंबी रेस लगाने के बाद वो घोड़ा अंदर से तप चुका था..और आराम करके अपनी गर्मी निकाल रहा था.

काव्या बड़े ही गौर से नितिन के सुडोल शरीर को देख रही थी..कपड़े मे तो पतला सा लगता था, पर इस वक़्त वो देख पा रही थी उसके 6 पैक्स एब्स ..जो काफ़ी आकर्षक लग रहे थे..उसका मन कर रहा था की अपनी जीभ निकाल कर उसके एब्स को चाट ले..पर बड़ी मुश्किल से उसने खुद को रोका हुआ था..वो इस वक़्त सिर्फ़ श्वेता के निर्देशो के अनुसार ही चलना चाहती थी.

और श्वेता ने ही उसके मन की इच्छा पूरी कर दी, क्योंकि वो चाहती थी की वो थोड़ा आगे बड़े...उसने जीभ का इशारा करते हुए उसके बदन को चाटने को कहा..

पर उसने टी शर्ट पहनी हुई थी और श्वेता तो अभी तक नंगी होकर चुद रही थी, अगर वो नितिन पर झुकती तो उसके कपड़े नितिन को महसूस हो जाते और वो झट से अपनी आँखो पर पड़ी ब्रा को खोल देता..और श्वेता अभी के लिए ये नही चाहती थी की नितिन अपनी आँखे खोले, इसलिए वो भागकर काव्या के पीछे आई और उसकी टी शर्ट को पकड़कर उपर से उतारने लगी...काव्या ने भी कोई विरोध नही किया, फिर श्वेता ने उसकी ब्रा भी खोल दी और अब काव्या नितिन और श्वेता के सामने टॉपलेस होकर बैठी थी..पर ये बात अभी तक नितिन नही जानता था..उसके अनुसार तो अभी तक सिर्फ़ श्वेता ही थी उस कमरे मे जो दोबारा से उसके लंड को खड़ा करने की कोशिश कर रही थी..और वो खुद भी आँखे बंद करके इसका आनंद उठा रहा था.

अब काव्या आज़ाद थी, अपने कपड़ो से, वो नीचे झुकी और उसने नितिन के निप्पल को अपनी जीभ से कुरेदा ...उसको चाटा और फिर बड़े ही रफ़ से तरीके से उसको अपने होंठों के बीच लेकर चूसने लगी...

नितिन : "अहहsssssssssssssss ........ धीरे ........श्वेता ........ धीरे ....मर्द को भी दर्द होता है...''








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