Friday, September 12, 2014

FUN-MAZA-MASTI मेरी कंवारी भाभी

FUN-MAZA-MASTI

 मेरी कंवारी भाभी

यारों मेरा नाम बंटी है और आज मैं अपनी भाभी की चूत मारने की अपनी एक दम सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूं। मैंने बीए करने के बाद एमबीए करने के लिये अपने बड़े भाई के पास जाने का फ़ैसला किया। बड़े भैया अहमदाबाद रहते हैं और उनकी पिछले ही साल शादी हुई है। उनके पास जाकर रहने के नाम पर ही मुझे अपनी कमसिन भाभी की मासूम सेक्सी सूरत याद आने लगी। ट्रेन पकड़ कर भाभी को याद करते हुए मैं अहमदाबाद पहुंचा। भाई साहब मार्केटिंग के जोनल मैनेजर हैं और इसलिये वो अक्सर लंबे बिजनेस टूर पर रहते हैं। मैं भैया के फ़्लैट पर पहुंचा। दो कमरों का फ़्लैट है उनके पास और बच्चे हैं नहीं तो एक खाली कमरा स्टडी कम गेस्ट रुम के तौर पर इस्तेमाल होता था। उस रुम में मैने अपना कब्जा जमा लिया। भाभी मुझे देखते ही खुश हो गयीं। वो मुझसे तीन ही साल बड़ी होंगी और इस लिये हम काफ़ी हिले मिले थे पहले से ही। रात को डिनर करने के बाद मैंने अपने लैप्टाप पर हालीवुड की फ़िल्म – ‘माय ट्वेंटी फ़र्स्ट डेट्स’ लगा दी। फ़िल्म में काफ़ी किसिंग सीन्स और इमोशनल ड्रामा है। रोमांटिक फ़िल्म और खूबसूरत नजारों को देखते हुए मैं ठंडी का मजा लेते हुए अपने लंड को पकड़ कर ज्वाय स्टिक की तरह हिलाते हुए रगड़ रहा था और अंदर ही अंदर मजा ले रहा था।

इस तरह वासना जग चुकी थी और भाभी की गुदेली गांड मेरे दिमाग में नाचना शुरु कर चुकी थी। मैने ध्यान से भाभी के रुम में झांका तो पाया कि वो जगी हुई थीं और झीनी नाईटी में अप्ने पारदर्शी बदन का मुजायरा करा रही थीं। मैंने आवाज दी, आईये भाभी फ़िल्म देखते हैं। वो तुरत चली आयीं और बोलीं कि मुझे भी नींद नहीं आ रही है इसलिये मैं भी आपके साथ बैठती हूं। हम दोनों ब्लैंकेट ओढे फ़िल्म देखने लगे। हीरो हिरोइन के मस्त चूंचों को खोलता हुआ दीवाल से सटा कर गर्मा गरम सेक्स सीन दे रहा था और हीरोइन चूत मरवाते हुए सीत्कारियां मार रही थी। मेरा लंड पहले से खड़ा था अचानक मैंने पाया कि भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया है। मैंने हल्के से उनका हाथ लिये लिये अपने लंड के उपर कर दिया। पक्के तौर पर उनकी चूत पनियाली हो रही होगी।

मेरा छह इंच लंबा लंड पूरी तरह से बेतहाशा खड़ा था और इसलिये मैने ये जानते हुए कि भैया हैं नहीं और भाभी का इस रोमांटिक माहोल में मूड पाजिटीव दिख रहा है, अपना लंड छुआ दिया। वो गनगना उठीं उनके चेहरे पर लालिमा आ गयी, उनकी नजरें झुक चुकीं थीं वो फ़िल्म नहीं देख रही थीं बल्कि सर नीचे झुकाये अपने स्तनों को झांक रहीं थीं मैं समझ गया कि इनका मन तो कर रहा है लेकिन यह शरमा रही हैं। मैंने हिम्मत दिखाई, जरा सा उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड को जबरदस्ती पकड़ा दिया। वो मुठ्ठी में ले ही नहीं रही थीं मैने उनके टांगों को सहलाना शुरु कर दिया। वो अपनी टांगे चिपका के एक दूसरे के उपर चढा लीं जिससे कि मैं उनकी चूत तक आसानी से न पहुंच जाउं। मैंने उन्हें चोदने का फ़ैसला कर लिया था इसलिये छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता था। 

भाभी शरमा रहीं थीं पर उनका मन चुदाई वाला खेल खेलने को कर रहा था, ये बात पक्की थी। मैंने हिम्मत करते हुए अपने हाथ से उनके पैरों को सहलाना शुरु कर दिया था और इसलिये वो अपने पैरों को सिकोड़ चुकी थीं। खैर अब खेल को आगे बढाना था और जब कदम रख दिया था तो पैर पीछे नहीं खींच सकता था। इसलिये मैंने अब थोड़ा जबरी करने की कोशिश की। इस बार मैंने उन्हें उठा कर अप्ने गोद में बिठा लिया। वो अपने पैरों को मोड़ कर और सकुचा गयीं। लेकिन भागने की कोशिश नहीं की एक बार भी। उनकी नाईटी के अंदर उनकी दूधिया जवानी चूंचों को झलकाती हुई मेरे उपर कयामत ढा रही थी। वो सीधा मेरे लंड पर बैठने के बाद और विचित्र तरीके से बिहैव करने लगीं।

बेड पर लेट कर उन्होंने अपने हाथों से मुह और आंखें बंद कर लीं और अपना पिछवाड़ समेत चूत मेरे सामने कर दिया। मैं समझ गया वो भाभी थोड़ी गांव के माहोल से थीं इसलिये शरमाती थीं। मेरे सामने उनका पिछवाड़ा था, चमता हुआ चूतड़ों का संगम उनके सफ़ेद मैक्सी के उपर से ही झलक रहा था और काली काली पैँटी में से उभरे हुए फ़ुद्दी के फ़ांक मेरे होश उडा रहे थे। ये जाल मुझे फ़ांसने के लिये फ़ेंका गया था। मैंने अपना लंड सीधा किया, अपना लोवर उतारा और फ़िर भाभी को वैसे ही उकड़ूं रहने दिया। पीछे से मेक्सी उठा दी। अब नंगी इंडियन गांड मेरे सामने चमक रही थी। मैंने पीठ पर हाथ फ़ेरते हुए अपनीं उंगलियां गांड की दरार वाली घाटी पर फ़िसलायीं, और चूम लीं। टेस्टी गांड थी भाभी की बिल्कुल कवारी टीनेजर्स की तरह कोई बदबू नहीं और निर्दोष फ़ुद्दी भी थी उनके पास इस बात का अंदाजा आ गया था मुझे। मैंने चड्ढी को किनारे कर दिया और चूत व गांड मेरे सामने हो गये। वो हिल डूल नहीं रही थी। यह चुदवाने के लिये मौन प्रस्ताव था। इसका मजा भी अलग है। बिन बोले चोद डालो, मैने उनकी चूत को सहलाया और एक उंगली की। वह वाकैई टाईट थी और फ़िर थूक लगा के चूत के होटों को गीला किया, मेरा लन्ड पहले से खड़ा था और इसलिये मैंने अब चोदने का प्लान बनाया।

अपना सुपाड़ा चूत के उपर रगड़ते हुए, पीछे से ही धक्का दिया और भाभी चिल्लाने लगीं। पहले मुझे आश्चर्य हुआ और लगा कि वह नौटंकी कर रही हैं, लेकिन जल्दी ही अहसास हो गया कि वह सच में चिल्ला रही थीं, मैने महसूस किया कि उनकी चूत की झिल्ली अभी फ़टी नहीं थी और इसलिये प्यार से मैने अपना हाथ बढाते हुए उनके मुह को बंद किया और एक जबरदस्त झटका अंदर मारा। फ़च से खून की धार बाहर निकली और उनके फ़ुद्दी की झिल्ली फ़ट चुकी थी। अंदर लंड को पेलते हुए मैं मारे खुशी के पागल हुआ जा रहा था। भाभी की आंखों में खुशी के आंसू आ गये थे अब वो वास्तव में महिला बन चुकी थीं और उन्हें मजा आ रहा था। जिसकी चूत में अंदर तक लंड न गया वो क्या खुश रहेगा। शायद भाई साहव का लंड इतना सख्त नही था। इसलिये ऐसा रह गया था। आधे घंटे पेलने के बाद मैं झड़ गया। इसके बाद भाई साहब को भी पेलने में ज्यादा मजा आने लगा था, भैया भाभी की जिंदगी खुशहाल हो गयी और बाद में मेरी कृपा से उनको एक लड़का भी पैदा हुआ।








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