Wednesday, September 17, 2014

FUN-MAZA-MASTI मीना भाभी और संगीता की खुले खेत में

FUN-MAZA-MASTI


मीना भाभी और संगीता की खुले खेत में

दिवाली के दिन थे और गाँव में मेला लगा हुआ था. मेरे लिए यह बड़ा सही मौका था मेरी शादीसुदा गर्लफ्रेंड मीना भाभी को चोदने का. मीना को चोदना मुझे बहुत अच्छा लगता था और मीना थी ही ऐसी की उसे देख कर चोदन का मन हो जाता था. मीना हमारे पडोसी रामलाल की बहु थी और उसका पति सोनू एक नंबर का चरसी और जुआरी था. मीना जब से यहाँ शादी कर के आई थी उसने शायद दुःख ही देखा था, लेकिन उसका टाका मेरे से भीड़ गया था और हम दोनों के नसीब की चुदाई हम लोगो को मिल रही थी. मैंने सुबह ही जब मीना भाभी हगने के लिए खेत में गई थी तो उसे मंजू के हाथ लेटर भेज के शाम को खेतों पार आये मेले में मिलने के लिए राजी कर लिया था. मंजू जवाब ले के आई थी की मीना भाभी आएंगी लेकिन मुझे उसने वही पिली शर्ट डाल के आने को बोला था जिसे पहन के मैं पहली बार उसके सामने आया था.
वैसे मुझे चुदाई का सुख मीना भाभी दे देती थी लेकिन आज का मौका कुछ अलग ही था क्यूंकि सोनू को शक हो जाने के वजह से पिछले एक महीने से चुदाई का प्रबंध नहीं हो पा रहा था और मुझे लंड हिलाते हिलाते अब गुस्सा आने लगा था. मैंने अपने दोस्त हरेश को पहले ही बोल दिया था की मैं मीना को लेके उसके गेहूं के खेत में आउँगा. हरीशने मुझे हा कह दी थी. आज शाम भी साली शाम तक आई ही नहीं, मेरा लंड अभी से मीना की चूत की तलब लगाये बैठा था, अरे क्या रसीली चूत रखती थी…..! और सब से अच्छे तो उसके स्तन थे…यह बड़े बड़े और गोल गोल…मैंने कई बार इन स्तन के निपल के साथ लंड को रगड़ रगड़ के अपना वीर्य इन स्तन के उपर छिड़का था. शाम होते ही मैं अपनी पिली शर्ट और जेब में एक सरकारी दवाखाने से मिली कंडोम डाल के निकल पड़ा. मीना भाभी और सोनू के शारीरिक सबंध नहीं थे इसलिए वो माँ बन गई तो बाप की खोज होने का पुरेपुरा डर था, इसी कारण मेरे बच्चो को मैं हमेशा कंडोम में छुपा लेता था.
करीब 6 बजे होंगे और मैं मीना भाभी की आस देखता हुआ मेले के स्थल के प्रवेश के करीब ही खड़ा हुआ था. तभी मुझे दूर से मीना भाभी और उनकी सहेली संगीता आते हुए दिखे. शायद अकेला आना मुश्किल था इसलिए मीना संगीता को ले आई थी. संगीता भी गाँव की गिनीचुनी रंडियों में से एक थी, वह कितनी बार दोपहर को हगने के बहाने खेतों की गलियों में जाती थी और लंड ले कर तृप्त होती थी. संगीता और मीना भाभी को मैंने दूर से ही इशारा किया और मैं मेले से निकल के दाहिनी तरफ आये हरेश के खेत की तरफ चल दिया. हरेश का खेत वही पास में था और एक मिनिट में तो मैं वहाँ पहुँच गया. मैंने देखा की हरेश ने अपने नौकर भोलू को भी भगा दिया है, ताकि मैं आराम से मीना भाभी को चोद सकूँ. मैंने मुड के देखा और यह दोनो उधर ही आ रही थी. मीना की चूत को मारने के ख्याल से ही मेरा लंड तना हुआ था, मैंने घर से निकलते वक्त ही वायेग्रा की गोली ले ली थी उसका असर अब दिखने लगा था क्यूंकि धोती के किनारे से मेरा 8 इंच का लंड फडफड करता खड़ा हो चूका था.
दोनों जैसे ही आई मैंने मीना को इशारा किया और हम दोनों पशुओ के खाने के लिए रखे घास के ढेर की तरफ चल दिए. वहाँ जाते ही मैंने अपनी धोती और पिली कमीज उतार दी. मीना के ब्लाउज और उसकी साडी भी खुल चुकी थी, बेचारी गरीब थी इसलिए ब्रा-पेंटी तो इसके किस्मत में थी ही नहीं. मेरा खड़ा लंड देख के मीना भी उतावली हो चुकी थी और उसने मुझे वही घास के पुलों के ढेर पर फेंका. मेरा लंड मीना के हाथ में इधर उधर होने लगा और फिर लंड को मस्त सांत्वना मिली जब मीना ने उसे मुहं में भर लिया, मैंने मीना से कहा…”भाभी बहुत दिन के बाद आई हो आज हाथ में, जरा देर तक करेंगे….!”
तभी ढेर के दुसरे तरफ ससे हसने की आवाज आई, हम दोनों ने देखा की संगीता वहाँ छुप कर हमें देख रही थी…वह खड़ी हुई और जाने लगी, मैंने आवाज दी….”आ जाओ अब देख लो…कलाकार तो तुमने देख ही लिए है, ड्रामा भी देख के ही जाओ!”
मीना हंस पड़ी और उसने भी संगीता को इशारा किया आने के लिए, मीना अपने होंठ मेरे कान के पास लाइ और बोली, “केशव..तूम इसे भी साथ में क्यों चोद नहीं देते…वैसे भी तुम्हारा लंड मुझे बहुत पेलता है…चलो आज तीनो मिल के चुदाई कर लेते है.”
मैंने संगीता की तरफ एक नजर उठा के देखा, उसकी गांड और स्तन किसी भेंस के बावले जितने बड़े थे और उसने शायद अभी तक इतने लंड ले लिए थे की उसकी चूत अब भोसड़ी बन चुकी थी. मैंने सोचा चलो ऐसे भी वायेग्रा खाई हुई है…इसकी चूत को भी सुख दे देता हूँ. संगीता जैसे आई मीना भाभी ने उसे कुछ इशारा किया और वह सीध्र ही अपने कपडे उतारने लगी, शायद यह दोनों रंडियां मेरे लंड को भोगने का प्लानिंग कर के आई थी. मैंने भी इन दोनों चुतो को लंड से फाड़ देने का इरादा बना लिया. एक बार फिर से मेरा लंड मीना के मुहं में चला गया और संगीता अपने कपडे पुरे उतार के मेरे पास लेट गई. सुके घास की ढेर में हम तीनो एक देसी थ्रीसम की तरफ बढ़ने लगे थे. मैंने संगीताके चुंचे रगड़ने चालू कर दिए और उसकी छाती और कंधे पर किस करी. मीना इधर लंड को गले तक घुसा घुसा के चूस रही थी और उसके मुहं से ग्गग्ग्ग ग्गग्ग्ग ग्गग्ग्ग ऐसी आवजे निकल रही थी. तभी संगीता भी उठ खड़ी हुई और वह भी लंड के पास जा पहुंची, उसने मीना से लंड अपने हाथ में लिया और लंड ने भाभी बदल दी. मेरा लंड बारी बारी दोनों चूसने लगी और कभी कभी तो लंड को दोनों एक साथ दो तरफ से चूस रही थी.
मेरे लंड पर थूंक की जैसे के नदी बह रही थी लेकिन वाएग्रा असरदार साबित हुई थी वरना इतनी चूसन के अंदर तो गधे का लंड भी वीर्य छोड़ देता. मीना मेरी तरफ लालच भरी नजर से देखने लगी और मैं समझ गया उसे चूत की सर्विस करवानी है. मैंने अपनी शर्ट की जेब से कंडोम निकाला और उसे पहनने वाला था की संगीता वहाँ आ गई और उसने लंड के अग्रभाग को और जोर से एक मिनिट चूसा. लंड पूरा लाल लाल हो चूका था लेकिन वह अडग खड़ा हुआ था. मैंने कंडोम डाला और मीना भाभी को वही टाँगे खोल के लिटा दिया. मीना की देसी चूत के अन्दर मैंने एक ही झटके के अंदर लंड पेल दिया और उसकी आह आह आह उह ओह खुले खेत में गूंजने लगी. संगीता हमारे सामने बैठी थी और उसकी दो उंगलियाँ चूत के अंदर थी. वह उन्हें बहार निकाल कर मुहं में डालती थी और वापस चूत के अंदर करती थी.मेरा लंड झटके दे दे कर मीना को पेले जा रहा था. संगीता ने मुझे आँख मार दी और मैं समझ गया की वह भी लंड की प्रतीक्षा में है. मैंने मीना की चूत में अब एक्स्प्रेक्स की झड़प से लंड अन्दर बहार करना चालू कर दिया और उसके सिस्कारे अब हलकी हलकी चीखों में तबदील होने लगे थे वह चीख रही था….ओह ओह आ मम्मी…मर गई…केशव धीरे करो..आह आह आह…ओह मम्मी….!
मैंने उसकी दो मिनिट और चुदाई की थी और मीना भाभी की चूत का तेल निकल गया. संगीता अब वहाँ कुतिया बन के उलटी लेट गई और मैंने हल्के से लंड मीना की चूत से निकाल के संगीता की चूत में भर दिया. संगीता की चूत सही में पूरी ढीली थी और डौगी में चोदने की वजह से लंड पूरा अंदर तक जा रहा था. मैंने हाथ आगे कर के उसके दोनों स्तन पकड लिए और उसे जोर जोर से लंड परोने लगा. संगीता की चूत ढीली जरुर थी लेकिन शायद उसे भी इतने लम्बे लंड का सुख नहीं मिला था तभी तो वो भी…केशव केशव..अहह आह्ह ओह ऐसी आवाजे निकाल रही थी….मेरा लंड अभी भी लोहे के जैसा कडक था. अब तक वह दो भाभी की चूत का तेल निकाल चूका था. मीना की गांड में लंड दिए काफी वक्त हुआ था, यह सोच के मैंने लंड के उपर से कंडोम हटाया और मीना की तरफ गया..मीना समझ गयी क्यूंकि में उसकी गांड में हमेशा कंडोम के बिना लंड देता था, वह गांड को ऊँची कर के कुतिया जैसे लेटी. मैंने गांड के छेद के उपर थूंक दिया और लंड धीमे से अंदर किया, थोड़ी ही देर में कूदकूद के मीना भाभी की देसी गांड मारता रहा, मीना चीखती रही और उसकी गांड फटती रही. संगीता को मैंने इशारा कर के पास बुलाया और उसके चुन्चो से मस्ती चालू कर दी. दोनों भाभी को तृप्ति मिल चुकी थी मेरे जाड़े लंड से और लंड को शांति मिलनी बाकी थी. तभी मेरा लंड जैसे की पूरा हिला और उसके मुख से एक छोटी कटोरी भर जाए उतना वीय निकला. आधा वीर्य मीना भाभी की गांड में रहा और बाकी का बूंदों के रूप में बहार आ गया……हम तीनो खेत से कपडे पहन के मेले में गए और फिर मैं चुपके से अपने घर की और चला गया.
अब तो दोनों भाभी अपनी चूत मुझे दे देती है, मैं मीना भाभी का सुक्रगुजार हूँ की वह उस दिन संगीता को साथ ले आई और मुझे चुदाई का और एक विकल्प मिल गया…..!!! मित्रो आप को यह कहानी कैसी लगी यह हमें जरुर लिख भेजे…

मीना भाभी और संगीता की खुले खेत में चुदाई

दिवाली के दिन थे और गाँव में मेला लगा हुआ था. मेरे लिए यह बड़ा सही मौका था मेरी शादीसुदा गर्लफ्रेंड मीना भाभी को चोदने का. मीना को चोदना मुझे बहुत अच्छा लगता था और मीना थी ही ऐसी की उसे देख कर चोदन का मन हो जाता था. मीना हमारे पडोसी रामलाल की बहु थी और उसका पति सोनू एक नंबर का चरसी और जुआरी था. मीना जब से यहाँ शादी कर के आई थी उसने शायद दुःख ही देखा था, लेकिन उसका टाका मेरे से भीड़ गया था और हम दोनों के नसीब की चुदाई हम लोगो को मिल रही थी. मैंने सुबह ही जब मीना भाभी हगने के लिए खेत में गई थी तो उसे मंजू के हाथ लेटर भेज के शाम को खेतों पार आये मेले में मिलने के लिए राजी कर लिया था. मंजू जवाब ले के आई थी की मीना भाभी आएंगी लेकिन मुझे उसने वही पिली शर्ट डाल के आने को बोला था जिसे पहन के मैं पहली बार उसके सामने आया था.
वैसे मुझे चुदाई का सुख मीना भाभी दे देती थी लेकिन आज का मौका कुछ अलग ही था क्यूंकि सोनू को शक हो जाने के वजह से पिछले एक महीने से चुदाई का प्रबंध नहीं हो पा रहा था और मुझे लंड हिलाते हिलाते अब गुस्सा आने लगा था. मैंने अपने दोस्त हरेश को पहले ही बोल दिया था की मैं मीना को लेके उसके गेहूं के खेत में आउँगा. हरीशने मुझे हा कह दी थी. आज शाम भी साली शाम तक आई ही नहीं, मेरा लंड अभी से मीना की चूत की तलब लगाये बैठा था, अरे क्या रसीली चूत रखती थी…..! और सब से अच्छे तो उसके स्तन थे…यह बड़े बड़े और गोल गोल…मैंने कई बार इन स्तन के निपल के साथ लंड को रगड़ रगड़ के अपना वीर्य इन स्तन के उपर छिड़का था. शाम होते ही मैं अपनी पिली शर्ट और जेब में एक सरकारी दवाखाने से मिली कंडोम डाल के निकल पड़ा. मीना भाभी और सोनू के शारीरिक सबंध नहीं थे इसलिए वो माँ बन गई तो बाप की खोज होने का पुरेपुरा डर था, इसी कारण मेरे बच्चो को मैं हमेशा कंडोम में छुपा लेता था.
करीब 6 बजे होंगे और मैं मीना भाभी की आस देखता हुआ मेले के स्थल के प्रवेश के करीब ही खड़ा हुआ था. तभी मुझे दूर से मीना भाभी और उनकी सहेली संगीता आते हुए दिखे. शायद अकेला आना मुश्किल था इसलिए मीना संगीता को ले आई थी. संगीता भी गाँव की गिनीचुनी रंडियों में से एक थी, वह कितनी बार दोपहर को हगने के बहाने खेतों की गलियों में जाती थी और लंड ले कर तृप्त होती थी. संगीता और मीना भाभी को मैंने दूर से ही इशारा किया और मैं मेले से निकल के दाहिनी तरफ आये हरेश के खेत की तरफ चल दिया. हरेश का खेत वही पास में था और एक मिनिट में तो मैं वहाँ पहुँच गया. मैंने देखा की हरेश ने अपने नौकर भोलू को भी भगा दिया है, ताकि मैं आराम से मीना भाभी को चोद सकूँ. मैंने मुड के देखा और यह दोनो उधर ही आ रही थी. मीना की चूत को मारने के ख्याल से ही मेरा लंड तना हुआ था, मैंने घर से निकलते वक्त ही वायेग्रा की गोली ले ली थी उसका असर अब दिखने लगा था क्यूंकि धोती के किनारे से मेरा 8 इंच का लंड फडफड करता खड़ा हो चूका था.
दोनों जैसे ही आई मैंने मीना को इशारा किया और हम दोनों पशुओ के खाने के लिए रखे घास के ढेर की तरफ चल दिए. वहाँ जाते ही मैंने अपनी धोती और पिली कमीज उतार दी. मीना के ब्लाउज और उसकी साडी भी खुल चुकी थी, बेचारी गरीब थी इसलिए ब्रा-पेंटी तो इसके किस्मत में थी ही नहीं. मेरा खड़ा लंड देख के मीना भी उतावली हो चुकी थी और उसने मुझे वही घास के पुलों के ढेर पर फेंका. मेरा लंड मीना के हाथ में इधर उधर होने लगा और फिर लंड को मस्त सांत्वना मिली जब मीना ने उसे मुहं में भर लिया, मैंने मीना से कहा…”भाभी बहुत दिन के बाद आई हो आज हाथ में, जरा देर तक करेंगे….!”
तभी ढेर के दुसरे तरफ ससे हसने की आवाज आई, हम दोनों ने देखा की संगीता वहाँ छुप कर हमें देख रही थी…वह खड़ी हुई और जाने लगी, मैंने आवाज दी….”आ जाओ अब देख लो…कलाकार तो तुमने देख ही लिए है, ड्रामा भी देख के ही जाओ!”
मीना हंस पड़ी और उसने भी संगीता को इशारा किया आने के लिए, मीना अपने होंठ मेरे कान के पास लाइ और बोली, “केशव..तूम इसे भी साथ में क्यों चोद नहीं देते…वैसे भी तुम्हारा लंड मुझे बहुत पेलता है…चलो आज तीनो मिल के चुदाई कर लेते है.”
मैंने संगीता की तरफ एक नजर उठा के देखा, उसकी गांड और स्तन किसी भेंस के बावले जितने बड़े थे और उसने शायद अभी तक इतने लंड ले लिए थे की उसकी चूत अब भोसड़ी बन चुकी थी. मैंने सोचा चलो ऐसे भी वायेग्रा खाई हुई है…इसकी चूत को भी सुख दे देता हूँ. संगीता जैसे आई मीना भाभी ने उसे कुछ इशारा किया और वह सीध्र ही अपने कपडे उतारने लगी, शायद यह दोनों रंडियां मेरे लंड को भोगने का प्लानिंग कर के आई थी. मैंने भी इन दोनों चुतो को लंड से फाड़ देने का इरादा बना लिया. एक बार फिर से मेरा लंड मीना के मुहं में चला गया और संगीता अपने कपडे पुरे उतार के मेरे पास लेट गई. सुके घास की ढेर में हम तीनो एक देसी थ्रीसम की तरफ बढ़ने लगे थे. मैंने संगीताके चुंचे रगड़ने चालू कर दिए और उसकी छाती और कंधे पर किस करी. मीना इधर लंड को गले तक घुसा घुसा के चूस रही थी और उसके मुहं से ग्गग्ग्ग ग्गग्ग्ग ग्गग्ग्ग ऐसी आवजे निकल रही थी. तभी संगीता भी उठ खड़ी हुई और वह भी लंड के पास जा पहुंची, उसने मीना से लंड अपने हाथ में लिया और लंड ने भाभी बदल दी. मेरा लंड बारी बारी दोनों चूसने लगी और कभी कभी तो लंड को दोनों एक साथ दो तरफ से चूस रही थी.
मेरे लंड पर थूंक की जैसे के नदी बह रही थी लेकिन वाएग्रा असरदार साबित हुई थी वरना इतनी चूसन के अंदर तो गधे का लंड भी वीर्य छोड़ देता. मीना मेरी तरफ लालच भरी नजर से देखने लगी और मैं समझ गया उसे चूत की सर्विस करवानी है. मैंने अपनी शर्ट की जेब से कंडोम निकाला और उसे पहनने वाला था की संगीता वहाँ आ गई और उसने लंड के अग्रभाग को और जोर से एक मिनिट चूसा. लंड पूरा लाल लाल हो चूका था लेकिन वह अडग खड़ा हुआ था. मैंने कंडोम डाला और मीना भाभी को वही टाँगे खोल के लिटा दिया. मीना की देसी चूत के अन्दर मैंने एक ही झटके के अंदर लंड पेल दिया और उसकी आह आह आह उह ओह खुले खेत में गूंजने लगी. संगीता हमारे सामने बैठी थी और उसकी दो उंगलियाँ चूत के अंदर थी. वह उन्हें बहार निकाल कर मुहं में डालती थी और वापस चूत के अंदर करती थी.मेरा लंड झटके दे दे कर मीना को पेले जा रहा था. संगीता ने मुझे आँख मार दी और मैं समझ गया की वह भी लंड की प्रतीक्षा में है. मैंने मीना की चूत में अब एक्स्प्रेक्स की झड़प से लंड अन्दर बहार करना चालू कर दिया और उसके सिस्कारे अब हलकी हलकी चीखों में तबदील होने लगे थे वह चीख रही था….ओह ओह आ मम्मी…मर गई…केशव धीरे करो..आह आह आह…ओह मम्मी….!
मैंने उसकी दो मिनिट और चुदाई की थी और मीना भाभी की चूत का तेल निकल गया. संगीता अब वहाँ कुतिया बन के उलटी लेट गई और मैंने हल्के से लंड मीना की चूत से निकाल के संगीता की चूत में भर दिया. संगीता की चूत सही में पूरी ढीली थी और डौगी में चोदने की वजह से लंड पूरा अंदर तक जा रहा था. मैंने हाथ आगे कर के उसके दोनों स्तन पकड लिए और उसे जोर जोर से लंड परोने लगा. संगीता की चूत ढीली जरुर थी लेकिन शायद उसे भी इतने लम्बे लंड का सुख नहीं मिला था तभी तो वो भी…केशव केशव..अहह आह्ह ओह ऐसी आवाजे निकाल रही थी….मेरा लंड अभी भी लोहे के जैसा कडक था. अब तक वह दो भाभी की चूत का तेल निकाल चूका था. मीना की गांड में लंड दिए काफी वक्त हुआ था, यह सोच के मैंने लंड के उपर से कंडोम हटाया और मीना की तरफ गया..मीना समझ गयी क्यूंकि में उसकी गांड में हमेशा कंडोम के बिना लंड देता था, वह गांड को ऊँची कर के कुतिया जैसे लेटी. मैंने गांड के छेद के उपर थूंक दिया और लंड धीमे से अंदर किया, थोड़ी ही देर में कूदकूद के मीना भाभी की देसी गांड मारता रहा, मीना चीखती रही और उसकी गांड फटती रही. संगीता को मैंने इशारा कर के पास बुलाया और उसके चुन्चो से मस्ती चालू कर दी. दोनों भाभी को तृप्ति मिल चुकी थी मेरे जाड़े लंड से और लंड को शांति मिलनी बाकी थी. तभी मेरा लंड जैसे की पूरा हिला और उसके मुख से एक छोटी कटोरी भर जाए उतना वीय निकला. आधा वीर्य मीना भाभी की गांड में रहा और बाकी का बूंदों के रूप में बहार आ गया……हम तीनो खेत से कपडे पहन के मेले में गए और फिर मैं चुपके से अपने घर की और चला गया.
अब तो दोनों भाभी अपनी चूत मुझे दे देती है, मैं मीना भाभी का सुक्रगुजार हूँ की वह उस दिन संगीता को साथ ले आई और मुझे चुदाई का और एक विकल्प मिल गया…..!!! मित्रो आप को यह कहानी कैसी लगी यह हमें जरुर लिख भेजे…













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