Wednesday, October 8, 2014

FUN-MAZA-MASTI मज़ा आ गया यार--1

FUN-MAZA-MASTI

 मज़ा आ गया यार--1

 हम एक छोटेसे गाव मे रहते थे, घर मे मात्र ३ लोग थे, मेरे पापा, मेरी मा माला और मै विकी, एक १९ साल का युवक. मेरी मा की शादी 18 साल कि उमर मे हो गयी थी उस समय पापा कि उम्र २० साल थी और एक साल के अन्दर मै पैदा हो गया था. मेरे चाचा यानि मेरे पिताजी के छोटे भाई- राज- और मुझमे १० साल का ही फ़र्क है .
सब कुछ ठीक चल रहा था. मै उस समय सेकन्ड इअर ग्रॅजुएशन मे था. चाचा को टिचर कि जॉब लग गयी थी और उनका ट्रान्स्फ़र हमारे सिटी के पास के एक गाव मे हो गया था. तभि पापा ने सिटी के बाहर एक प्लॉट ले लिया और उसपर छोटा सा घर बना दिया, अभी वो एरिया खाली था इसलिये आजूबाजूमे ज्यादा लोग रहने के लिये नही आये थे. पापा के ऑफिससे उन्हे ४ साल के लिये दुबई के ऑफिस जाने का ऑफर आया तो पापा ने मान लिया क्योन्कि अच्छी तनख्वा मिल रही थी. अब घर पर मै और मा ही रह गये थे.

चाचा हर हफ़्ते शनिवार को आते और सोमवार को सुबह चले जाते. उनके आने से मै और मा दोनो खुश हो जाते थे और फ़िर बाहर घुमने जाते और मजे करते थे. जब से कॉलेज जाना शुरु किया तो चुत और लन्ड के खेल के बारे मे पूरी जानकारी मिली और देखा की लडके कैसे लडकियो कि चुदई के प्लॅन बना रहे होते थे. कोई बताता की उसने अपने पडोस की आन्टी को चोद तो कोई गर्लफ़्रेन्ड की चुदई की बात बताता . दोस्तो के साथ ब्लु फ़िल्म देखते थे और फ़िर मुठ मारते थे. मेरे लन्ड का साईज़ लगभग ७ इन्च हो चुका था और मोटा भी हो गया था. अब मै रोज लन्ड की तेल से मालिश करता और मुठ मारता था. मुझे अब असली लडकी या औरत की तलाश थी, लेकिन मेरी कोई गर्ल्फ्रेंड तो नही थी. औअर इसी बीच मेरी नजर पडी एक ऐसी औरत पर जो हमेशा मेरे सामने होती थी, जी हां, मेरी मा.

मा को मैने कभी गलत नजर से नही देखा था लेकिन अभी दोस्तो से बात करके, उनकी बाते सुनकर और उनकी कहानिया सुनकर घर पर मेरे दिमाग मे यही सब कुछ चलता रहता था. इसी उधेडबुन मे मैने एक बार रात को मुठ मारी और फिर सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन नीन्द नही आ रही रही थी, फिर उठके पानी पिनेके लिये किचन मे चल पडा. जाते जाते मा की रूम मे झांका तो दंग रह गया. मा केवल नायटी पहनकर सोयी थी, खिडकीसे आ रही चांद की रोशनीमे मा का दुधिया बदन साफ दिखाई दे रहा था. गरमी की वजह से मा बिना चादर ओढे सोयी थी. नीन्दमे उसने एक पैर मोडकर लिया था जिससे उसकी जांघ खुली दिख रही थी. सीनेसे पल्लु गिर जाने की वजह से उसकी बडी चुचिया ब्लाउझके गलेसे आधी बाहर आयी थी. मेरा दिल जोरसे धडकने लगा, आगे जाकर उन गोरी चुचीको छूने का मन कर रहा था, लेकिन उसी वक्*त मा ने करवट बदली. मै डर गया की कही मा को पता न चले और मै झटसे कमरे के बाहर आया. लेकिन उस दिन से मेरा मा की तरफ देखने का नजरिया बिल्कुलही बदल गया. मै घर पर रहता तभी मा को अलग रूप मे देखने की कोशिश करता था, कभी उसके पिछे चलकर उसके हिलते चुतडोंको देखता तो कभी किचनमे बैठकर उसको काम करते हुए उसके बदन को निहारता. मा घर मे नायटी मे रहती थी और कई बार मुझे उसकी बडी बडी चुचिया नायटी से बाहर झाकती हुई दिखाई देती थी और मा कि मटकती हुई गान्ड को भी मैने बहुत बार देखा था. मा बेखबर होकर मेरे सामने अपनी चुतडोंको लचकाती काम करती रहती थी. पर मा को चोदने या नंगा देखने का विचार जब भी मन मे आता, मै अपने आपस से ही शर्म महसूस करता था.

 जबसे पिताजी दुबई गये थे मैने एक चीज देख रहा था कि चाचा अब घर पे बहुत समय बिताते थे. माभी उनके साथे बहुत खुलकर बाते किया करती थी और उनकी हर चीज का हसके जबाब देती थी. चाचा अनजाने मे मा की चुचिया और उसकी भरी हुई गान्ड को घूरते हुए मैने कई बार देखा.
एक बार मै बाहर अपने दोस्तोके साथ खेल रहा था, चाचा घरपरही थे, बीच मे मै पानी पिने के लिये घर आया और बगैर आवाज दिये सीधा किचन मे घुस गया, वहा पे मैने देखा कि मा और चाचा एकदम एक दुसरे से सट के खडे थे, मा हमेशा की तरह नायटी मे थी लेकिन एक फर्क था, आमतौर पे मा नायटी के निचे स्लिप पहनती थी, आज उसने वह स्लिप नही पहनी थी जिसकी वजह से उसकी ब्रा और पॅंटी साफ दिखाई दे रही थी, और चाचा का एक हाथ उसके बडे बडे चुतडोंपर घूम रहा था. उस पतलीसी नायटी से मा का नंगा शरीर बडा खूबसुरत और सेक्सी दिखाई दे रहा. था मेरे आने की आहट सुनके वो दोनो थोडा दूर हो गये, लेकिन मा का चेहरा लाल हो चुका था, चाचा भी थोडे सकपकाये थे, वो मेरे साथ किचन से बाहर आ गये. जैसे दिन बितते गये, ये बाते अक्सर होती थी, चाचा मा के शरीरको छूना चाहते थे, आतेजाते उनकी बडी चुचियोंको कोहनीसे जानबूझकर मसलते थे, कभी मा के बिलकुल पास खडे होकर अपना पॅंटका अगला हिस्सा मा की गान्डपर भिडाके खडे रहते थे. कई बार मैने चाचा को मा के सामने ऐसी स्थिती मे अपना पँट का अगला हिस्सा अ*ॅड्जस्ट करते हुए देखा था. मा भी अब चाचा के सामने और खुल गयी थी, वो उनके सामने कुछ ज्यादा ही झुक कर कुछ सामान रखती या उठाती थी और अगर मा का मुह चाचा की तरफ़ होता तो उन्हे मा कि अध-नन्गी चुचिया साफ दिखाई देती थी, मा भी उनकी यह हरकत देखकर मुस्कुराकर उन्हे सहमती जताती थी. एक बार मै और चाचा टिव्ही देख रहे थे. घरपे मै और चाचा लुंगी पहना करते थे. उसी समय मा कमरे मे आयी और खिडकी खोल के खिडकीके सामने खडी हो गयी. हमने उसकी तरफ देखा............और देखते रह गये. खिडकीसे आनेवाली रोशनीसे उसकी झिनी नायटीसे मा का खूबसुरत जिस्म साफ दिखाई दे रहा था. मैने अनजानेमे चाचाकी तरफ देखा, वो बिना नजर हटाए वो नजारा देखे जा रहे थे, और देखते ही देखते उनके लुंगीमे एक तंबूजैसा हो गया, शायद उनका लन्ड टाईट हुआ होगा, मै जानबूझकर थोडासा खासा, तो चाचा एकदम होषमे आ गये और उठकर अंदर के कमरे मे चले गये.
इन सारी बातोसे मुझे पता चला था की दाल मे जरूर कुछ काला है. मैने एक प्लान बनाया. अगली बार जैसे ही चाचा आये मैने मा को बोला कि आज रात मै अपने दोस्तो के साथ रात को ९ से १२ वाल मूवी देखने जा रह हु. मा और चाचा इस बात से बहुत खुष होते दिखाई दिये, वैसे मा ने थोडी चिन्ता जताई लेकिन चाचा ने उन्हे समझाया कि लडका अब बडा हो गया है. उपरसे चाचा ने मुझे पैसे भी दिये और कहा कि खाना भी वही दोस्तोके साथ खा लेना. लगभग साडेआठ बजे मै घर से निकला, थोडी दूर जाकर चुपकेसे लौट आया, घर के पिछे की दिवार पर चढकर बरामदे के पिछे जाके चुपसे खडा हो गया. वहा पर मा के बेडरूम की खिडकी थी जिसमे लोहे कि ग्रिल लगी हुइ थी पर गरमी के वजह से अंदर की काच का हिस्सा खुला रखा था. उसपर केवल एक पर्दा टंगा हुआ था. मैने धीरे से पर्दा हटाया और अन्दर देखा. कमरे के अन्दर चाचा नन्गे खडे थे उन्होने सिर्फ़ अंडरवेअर पहना थ, मा दरवाजे से अंदर आयी और उन्हे इस हालत मे देखतेही हसने लगी, मा ने सिर्फ नायटी पहनी थी.
"अरे, तुम तो तय्यार हो एकदम" मा की मुहसे यह बात सुनकर मै हैरान हो गया, मा हमेशा चाचा से ’आप’ कहके बात करती थी, लेकिन यहा पे तो वह उनके सामने एकदम खुलके और बडी बेशरमीसे पेश आ रही थी.
"और नही तो क्या माला जान, इतने दिनसे मुझे इस पल का इंतजार था, अब सब्र किस बात का" ऐसा कहके चाचाने मा को अपनी बाहोमे दबोच लिया और उनके होटोपे अपने होट रख दिये, पहले मा ने थोडी ना-नुकुर करने की कोशिश की, लेकिन कुछही समय मे वोभी उनका साथ बखुबी देने लगी, बडा अजीब सा नजारा था, मेरी अधेड उम्र मा, अपनेसे कुछ साल छोटे देवरसे लिपटचिपट कर चुम्मी दे रही थी और उनका साथ भी दे रही थी, उसके हाथ चाचाकी पीठ पर घूम रहे थे, चाचा ने भी मा को कसके जकड रखा था, और वो मा के चुतडोंको सहला रहे थे, कुछ देर ऐसेही चूमने के बाद चाचाने मा को अलग किया और बोले
"डार्लिंग, अब और रहा नही जाता, जल्दीसे तुम्हारा ये खूबसुरत बदन मुझे देखने दो, जिसके लिये मै तरस रहा हू" चाचा भी मा से खुलके बाते कर रहे थे, आमतौरपे वो मा को ’भाभी’ और ’आप’ कहकर पुकारते थे, लेकिन यहा पे मामला कुछ औरही था.
मा मुस्कुराकर अपनी नायटी उतारने लगी, जैसे ही नायटी उपर उठाई, मा की सुन्दर चुचिया चाचा के सामने आ गयी, फिर उन्हे सब्र कहा, उन्होने तुरन्त मा कि चुचियोको हाथो मे पकड लिया और उनकी ब्रा के उपरसे ही चूमने लगे. मा हसते हुए बोली "थोडा रुको तो, पुरी नायटी तो उतारने दो"
चाचा बोले" नही जान, इतना सब्र नही है, कितनी खूबसूरत दिख रही हो तुम, जी करता है, इन्हे ऐसे चबाके खा जाऊ, कई बार तुम्हे घर मे देखता था और मन मे सोचता था की ये कब मेरे सामने नन्गी होगी, और आज ये चान्स मिला है, तो छोडने मन नही कर रहा है" ऐसा कहकर चाचा मा की चुचिया मसलने लगे. और यह सच भी था, मा काफी सुन्दर थी, गोरा रंग, बडी काली आखे, और गदराया बदन, भरे हुए कंधे, मदमस्त चुचिया, पेट जरासा फुला हुआ, उसपर एक प्यारीसी नाभी, खंबे जैसी सुडौल जांघे और उन जांघोके बीच की उनकी छुपी हुई बुर........अभी मा के बदन पे एक काली ब्रा और एक काली पॅंटी बची थी, उनके गोरे बदनपर ये काले कपडे गजब के सुन्दर लग रहे थे. चाचाका भी यही हाल था, उन्होने ब्रा के कप्ससे उपर आये हुए चुचीके हिस्से के बेतहाशा चूमना, चाटना शुरु किया, बीच मे वो चुचियोंपर काट लेते थे और मा ’स्स्स्स........हाय..........’ ऐसा कहती थी, उन सिसकारियोंकी आवाज सुनकर मेरा लन्ड फनफना रहा था.
चाचाने मा की चुचियो को मसलते हुए उनकी ब्रा का हुक निकालने की कोशिश मे लगे. मा ने हसते हसते उनको दूर ढकेला.
"हटो भी, निकाल तो रही हू, जरा रुको, नही तो ब्रा फट जायेगी".
चाचा मुस्कुराकर बोले" जानू, तुम्हारी ब्रा पर गुस्सा तो आताही है ना मुझे, कैसे तुम्हारे चुचीको लिपट के बैठती है दिनभर, आज तो गुस्सा इसपर उतारूंगा". यह सुनकर मा भी हसने लगी, और एकही झटकेमे उन्होने अपनी ब्रा का हुक निकाल दिया. मैने पहली बार अपनी मा की नन्गी चुचिया देखी. मुझे लगता था की बहुत बडी होगी पर इतनी बडी होगी यह नही सोचा था. मा के दोनो स्तन बडे बडे खरबुजो जैसे लग रहे थे, उनपर भुरे रंग का एक बडा सा गोल सर्कल था जिसके उपर मा के कम से कम १ इन्च के निपल तन कर खडे थे.
यह नजारा देखकर चाचा भी अति उत्तेजित हो गये, कुछ पल के लिये तो वो बस मा की नन्गी चुचियोंको बस घूरते रह गये, फिर जैसे होश आया, वो मा पर एक भेडियेकी तरह झपट पडे और मा को बाहो मे फिरसे दबोचा, मा की उन गुदाज चुचियोंको अपने हाथ मे पकडने की कोशिश की, लेकिन मा की चुचिया इतनी मोटी थी कि चाचाके हाथ मे एक चुची पुरी तरह से नही समा पा रही थी. चाचाने खडे खडे ही एक चुची को मुह मे ले लिया और किसी बच्चे की तरह उसे चूसने लगे, उनका दुसरा हाथ मा की दुसरी चुची को मसल रहा था, चाचाकी इस हरकत से मा भी उत्तेजित हो रही थी, वो बडे प्यारसे चाचाके बालोको सहला रही थी और मादक सिसकारिया ले रही थी. जैसे उसकी वासना बढती गयी वैसे मा और बेशरम हो गयी और उन्होने भी हाथ अगे बढाकर चाचा के नन्गे बदन पर फ़िराना शुरु कर दिया, उसकी बेशरमी इस हद तक बढ गयी थी कि उसने धीरे धीरे नीचे हाथ फेरते हुए चाचा के लन्डको अंडरवेअर के उपर से फ़िराया, चाचा उनकी तरफ ध्यान ना देते हुए मा की चुचियोंको सहलाने और चूसने मे व्यस्त थे, मा ने फिर बेझिझक चाचाके अंडरवेअर के अन्दर हाथ डाल दिया और उनके मोटे लन्ड को मसलना शुरु कर दिया. दोनो आमने सामने खडे थे और उनका ये एक दुसरे के बदन के साथ का खेल देखकर मै वासना की आग मे जल रहा था. चाचा इस खेल मे काफी माहिर लगते थे, उन्होने मा की बायी चुची पर जीभ फ़िराई और पूरे स्तन को चारो तरफ से खूब चाटा, जैसे ही वो निपल के पास आते मा जोरजोरसे सिसकती, फिर चाचाने मा की पूरी चुची मुह मे ले ली और चपर चपर की आवाज करके प्यारसे चूसने लगे, मा ने चाचा के सिर को अपनी चुची पर पकड रखा था. इसी बीच चाचा ने अपना मुह हटा लिया, मा नाराज हो गयी और चाचा से बिनती करने लगी, वासना की आग ने उसे इस तरह भडका दिया था की वो अपनेसे छोटे भाईसमान देवर के सामने मानो गिडगिडा रही थी,
"आआआआह्ह्ह्ह............राज...........मत तडपाओ..........प्लीज......और चुसो ना......." और ये कहके वो चाचाके सीने से लिपट गयी, चाचाने भी प्यारसे उसका एक गरमागरम चुम्मा लिया और बोले,
"फिकर ना करो जान, तुम्हे छोड के कही नही जाऊंगा, लेकिन पहले बिस्तर पर तो चलते है और फिर देखना, कैसे कायदेसे तुम्हे चोदूंगा.....चल माला डार्लिंग, चल आज तेरे पती के बिस्तरपरही मै तुझे मेरी रानी बना दून्गा" यू कहकर उन्होने मा को पासवाले बिस्तर पर ढकेल दिया. मा भी तो तैय्यार थी, वो बिस्तर पर चढ कर पीठ के बल लेट गयी और अपने दोनो हाथो से अपनी चुचियो को अपनेही हाथोसे पकड कर मानो चाचा को भेट दे रही हो.
"अब जल्दी भी कर मेरे राजा, देख कैसी फडफडा रही है मेरी चुचिया, ले चूस इन्हे, चबा जा, आजा मेरे राजा, मेरे शेर, जल्दी आ मेरे पास"

चाचा बिस्तर पर चढ गये और हसते हुए बोले "भाभी जान, तू ऐसी सेक्सी बाते करती हो तो बहुत अच्छा लगता है, ऐसा लगता है कि तू मुझे और उकसा रही हो" अब उन्होने अपना मुह मा की चुचियो पर टिका दिया और फिर दोनो हाथो से दबाते हुए जोर जोर से उन्हे चूसने लगे, जैसे की उससे दूध निकाल रहे हो. मा अभी उत्तेजना की परम सीमा पर जा चुकी थी, वो भी बडबडाने लगी,
"आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह, ऐसेही .........उम्म्म्म्म्म........चूस ले , शाबाश मेरे राजा, मेरे राज, मेरी जान, अच्छा........हां बिलकुल ऐसाही........उम्म्म्म्म्म....सक इट माय बेबी....मसल लो मेरी चुचियोंको, इतना धीरे धीरे क्यो, और जोरसे, और, और, दबा सालोंको, मसला डालो, कुचल डालो मेरे मम्मोंको, हमेशा तो देखते हो, आज मै तुम्हारी हू, जैसा चाहे वैसा करो मेरे साथ, मेरे राज............आआआआअह्ह्ह्ह्ह्हा, ऐसेही, चबा जाओ मेरे निप्पल को, चुसो, और उम्म्म्म्म्म्म, बहुत तंग करते है मुझे ये जालिम, चबा जा, खा जा उनको.........." मेरी मा की मुह से ऐसी गन्दी गन्दी बाते सुनके मुझे अजीबसी फिलींग हो रही थी, मैने वही खडे खडे अपना हथियार पॅंटसे निकाला और उसे मुठियाने लगा. मा की ये बाते सुनकर तो किसी पत्थर के आदमी क लन्ड भी खडा हो जाये और यहा तो चाचा पागल होने ही थे. उन्होने मा कि चुचिया कस कर दबा दी और मसलते हुए उन्को हलके हलके काटने लगे. फ़िर दोनो चुचियो को पास मे लेकर उनके दोनो बडे बडे निप्पल एक साथ मुह मे पकड लिये और जोरजोरसे चूसने लगे, उनके चूसने की ’चप-चप’ आवाज कमरे मे गून्ज रही थी.
मा दर्द से चिल्ला उठी " हाय रे जालिम, धीरे से प्यार से कर ना, बस अब, नही तो खून निकल आयेगा" पर चाचा ने कुछ देर ऐसे ही खीन्च कर चुचियो को भीन्चा, मा दर्द के मारे कराह उठी,
"स्स्स्स्स्स्स............हाय....धीरे करो ना डार्लिंग, प्यार से, मै तो तेरी दासी हू मेरे राजा, हां, हां, हां बस ऐसेही प्यार करो मेरे निपल को, तुम्हारी यादसे ही सख्त हो जाते है वो, आज, मौका मिला है तो खूब प्यार कर लो इन्हे"
मा की चुची असल मे तो गोरी गोरी थी लेकिन चाचा ने दबा दबा कर और मसल मसल कर उन्हे लाल कर दिया था.

अब चाचा ने खडे हो कर अपना अंडरवेअर उतारा और इतनी देर से कैद मे बैठा उनक लन्ड आजाद हो गया. उनके लन्ड का साईज लगभग ७ इन्च का था और पुरा तन कर खडा था. चाचा बिस्तर के साईड पर खडे हो गये और अपने लन्ड को सहलाने लगे, फिर उन्होने मा से कहा "अब आजा मेरी जान, ले चूस अपनी प्यारी लॉलीपॉप को". मै हैरान हो गया की अब मा क्या करेगी, लेकिन हुआ कुछ उलटा ही.
मा बिस्तर से नीचे उतरी और चाचा के सामने घुटने मोडकर बैठ गयी और उनके लन्ड को हाथ मे लेकर सहलाया और बोली "राज तेरे से चुदकर तो लन्ड का स्वाद मिलता है वरना तेरे भै का तो सिर्फ़ ३ इन्च क है, मानो जैसे किसी बच्चे का हो" मा की मुह से ऐसी गन्दी गन्दी बाते सुननेसे मेरे बदन मे एक अजीबसी सिहरन भर गयी.
चाचा हस जे बोले " कोई बात नही भाभी देर से ही सही अब तो तुझे असली लन्ड मिल गया ना, अब देर मत करो जान, लो कर लो प्यार जी भर के"
मा मुस्कुरा उठी और फ़िर दोनो हाथो मे लन्ड को आस्ते से पकड लिया जैसे कोई नाजुक चीज हो, और धीरे से चाचाके लन्ड को सुपाडे को किस किया, चाचा के मुह से ‘आह्ह्ह्ह’ निकल गया. मा ने फिर लन्डके आगे की चमडी पिछे हटाई तो चाचा का लन्ड मानो नन्गा हो गया, मा ने बडे प्यार से उसे अपने मुह मे भर लिया और फ़िरसे निकालकर उसपर जीभ फ़िराने लगी, चाचा आखे बन्द करके पुरा मजा ले रहे थे. इधर मेरा भी ये सीन देखकर बुरा हाल था, मैने अपने लन्ड को जोर जोर से हिलाना शुरु कर दिया.
मा ने पुरे लन्ड पर जीभ फ़िराकर उसे थूक से गीला किया और उसे पीछे से पकड कर धीरे धीरे उसे चूसना शुरु किय. उस गीले और चिकने लन्ड पर मा के हाथ फिसल रहे थे, लेकिन मा उसे पकड पकड कर सहला रही थी.
चूसते हुए मा बीच बीच मे लन्ड को मुह से बाहर निकल कर पुर लन्ड चाट कर मजे ले रही थी, कभी कभी तो वोह निचे का गोटियोका थैलाभी मुह मे भर कर चूसती. चाचा को बहुतही आनन्द मिल रहा था, और वो बडबडा रहे थे,
"आआआह्ह्ह.......बहुत अच्छे.....ऐसेही.........येस्स्स्स्स्स्स...........गुड........सक इट माय लव्ह..........उफ़्फ़्फ़ क्या गरम मुह है तेरा रानी......साली तेरा मुह तेरी चूतसे ज्यादा मजेदार है......चूस इसे और चूस.........सक इट मोर.....और जोर से"

मा ने अब चाचा की कमर का सहारा लिया और पूरा लन्ड निगल लिया और आगे पिछे मुह को हिलाने लगी जैसे वो मुह ना होकर चुत हो, चाचा भी मस्तीसे भर गये और मा के मुह मे लन्ड को घचाघच पेलने लगे
आआअह्ह क्या चूस रही है तू मेरी रन्डी...........और ले पूरा ले........ले इसे.........और अन्दर तक ले.......चुदवा अपने मुह को.......येस्स्स्स्स्स........तू तो एक नम्बर है चूसने मे हरामजादी........आआआआआ बहुत अच्छा लग रहा है, और ले मुह मे............" चाचा मा को गन्दी गालिया बक रहे थे लेकिन मा अनसुनी करके लन्डको मुह मे पकड कर चप्पचप्पचप्प........की आवाज करके अन्दर बाहर ले रही थी, मुझे इस सारे दृश्य से बहुत हैरानी हो रही थी, मैने कभी सोचा भी नही था की मेरी मा, जो एकदम सुशील और शान्त स्वभाव की औरत है वो अपनेही देवर के साथ एक रन्डीकी तरह पेश आएगी, चाचाभी अपनी बडी बहन समान भाभी को किसी बाजारू औरत जैस बर्ताव कर रहे थे और उसके बदन का लुत्फ ले रहे थे, दोनो चुदाई तो कर ही रहे थे और एक दुसरे के साथ गन्दी गन्दी बाते करके एक दूसरे का जोश बढा रहे थे. मै मेरे लन्ड को मेरे हाथो के बीच मसल कर उनकी चुदाई को सलामी दे रहा था.
फ़िर कुछ देर बाद चाचा ने आखे खोली" बस कर भाभी नही तो मुह मे ही झड जाउन्गा और तेरी ये प्यारी चुत प्यासी की प्यासी रह जायेगी"
मा ने ‘प्लप’ की आवाजसे मुहसे लन्ड निकाला और बडे मादक स्वर मे बोली" ठहरो तो जरा राजा, इतनी भी क्या जल्दी है, पहले मुह की प्यास तो शान्त होने दे, इतने दिनो बाद आये हो, थोडी देर इस प्यारे खिलौनेसे मुझे खेलने दो, अगर सीधे चुत चोदेगा तो और जल्द झडेगा, मेरा भी मजा किरकिरा कर देगा, रुक जरा मेरे राजा, मेरे मालिक" और मा ने एक बार फिर लन्ड मुह मे डालकर चूसने लगी. लेकिन चाचा अभी पूरे ताव मे आ गये थे, उन्होने मा के बाल खीन्चकर उसे अलग किया.
"ठहर जा रन्डी, कही भागा नही जा रहू मै......." लेकिन मा भी कम नही थी.
फिकर न कर मेरे शेर, मेरे मुह की प्यास बुझ गयी तो चुत के लिये मै इसे दुबारा खडा कर दून्गी, और फिर चुतमे तुम जल्दी झडोगे भी नही" ये कहकर मा ने फ़िर से लन्ड को मुह मे भर लिय और दुबारा चूसते हुए अपने मुह को चुदवाने लगी. चाचा ने मा के सर को पकडा और अपने लन्ड को धकाधक मा के मुह मे पेलने लगे. जब लन्ड मा के मुह मे पेलते तो लगभग पूरा ७ इन्च मा के मुह मे चला जाता था, लेकिन मा बडे प्यार से वोह सह ले रही थी.
मुझे हैरानी हो रही थी की इतना बडा लन्ड भी मुह मे समा सकता है ? मा जब लन्ड को बाहर निकालती तो पूरा थूक से चमक रहा होता और अन्दर जाकर चाचा धक्का लगाते थे तो मा की मुह से ‘ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग’ ऐसी अजीब आवाजे आती थी. अब चाचा का पानी छूटने वला था" साली रन्डी क्या चूसती है रे तूऽऽऽऽले और ले मेरी कुतिया.........मज़ा आ गया यार ले अब मेरा पानी पी ले........" यह कहकर चाचाने मा का सर कसके पकड लिया और तेजी से धक्के लगाने शुरु कर दिये. अब मेरी बेचारी मा छटपटा उठी शायद लन्ड उनके गले तक जा रहा था वो अब छूटना चाह रही थी पर चाचा पर अब वासना का पागलपन सवार था वो आन्ख बन्द कर के लगातार धक्के दिये जा रहे थे और फ़िर अचानक उनकी धक्के की स्पीड खतम हो गयी और जोर जोर से आहे भरते हुए मा के मुह मे अपना गरम पानी निकाल दिये. मा भी बडे प्यार से ‘मुम्मुम’ की आवाजे कर कर के उसको पी रही, कुछ पल के लिये मा ने थोडा लन्ड मुह से बाहर निकाल और जोर से एक सास ली और फिर उसी उत्साह से लन्ड चूसने लगी. चाचा के रज की एक भी बून्द वो खोना नही चाहती थी. कुछ देर बाद चाचा ने अपनी आखे खोली, और मा को प्यार से बाहो मे भर लिया, उसके रसीले होटोन्को चूम कर बोले
"मझा आ गया ना डार्लिन्ग" मा ने भी हस के अपने हाथ उनके गले मे डाल दिये
"हा मेरे राजा, बहुत मझा आया, तेरा पानी है ही बडा टेस्टी, तेरा भाई तो इतना देर टिकताही नही, और उपर से बोलता है की ये पानी नही पीना, गन्दा है........"
चाचा मा की पॅन्टी पर हाथ फ़िराते हुए बोले" छोड ना उस बेवकूफ की बाते, कोई गम नही, भैया नही तो मै हू ना, तू जितना चाहे मेरा पानी पी लिया कर और मुझे अपनी इस चूत का पानी पीने दिया कर."











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