Wednesday, October 8, 2014

FUN-MAZA-MASTI मज़ा आ गया यार--2

FUN-MAZA-MASTI

 मज़ा आ गया यार--2

 फ़िर दोनो बिस्तर पर लेट गये. अब चाचा ने मा की पॅन्टीके अन्दर छुपी हुई चूत पर हाथ फ़ेरना शुरु किया और बडे नाटकीय अन्दाज मे बोले
"जानम, अब खोलो भी इस तिजौरी को, दिखा दे हमे वो खजाना, देख इसका लुटेरा तैय्यार हो गया है." वाकई चाचा का लन्ड फिरसे उठके खडा हुआ था और एक नाग की तरह डोल रहा था. मा हसते हुए बोली
"खुद ही देख लो, फिर लूट लो जितना लूट सकते हो"
चाचा ने उठ कर मा की पॅन्टी उतार दी, अब मा बिलकुल नन्गी बिस्तर पर लेटी थी, मा की चुत एकदम साफ थी, वहा के बाल साफ किये थे, चाचाभी उस सुन्दरसी चुत को देखतेही रह गये, फिर कुछ देर बाद बोले
"कसम से भाभी, तेरी गुलाबी चूत का जवाब नही, साली बिलकुल किसी कुवारी लडकी की चूत जैसे लगती है. ये बात मै सिर्फ सुन सकता था क्योंकी चाचा मा की चूत के ठीक सामने बैठे थे तो मुझे मा की चूत देखने का चान्स नही मिल रहा था. चाचा ने बेहद प्यार से मा की नाभी पर एक प्यार भरा चुम्मा लिया और धीरे धीरे निचे की तरफ आने लगे, कुछ पल के लिये वो उपर उठ गये और फिरसे उन्होने सर निचे झुका दिया और मा की चूत पर अपना मुह रख दिया और वहापरभी एक चुम्मी ले ली, मा इस चाल से पागल जैसी हो गयी, उसके मुह से मस्ती भरी आवाजे निकलने लगी
"आह्ह्ह्ह........स्स्स्स्स.....कितना अच्छा लग रहा है राज........चुसो और चुसो ना......"मा की सिस्कारियोसे कमरा गून्ज उठा और मै झडते झडते रह गया. चाचा इस कला मे माहिर लग रहे थे, मुह से मा की बुर चोदते हुए वो मा की चुचिया भी मसल रहे थे, कभी कभी मा की चुतडोंको रगडते थे, मा अपनी कमर उठाउठाकर उनका साथ दे रही थी.
कुछ देर चूसने के बाद चाचा उपर उठे और बिस्तर पर चित लेट गये, मा बिस्तर से उठकर चाचा के उपर खडी हो गयी. अब मुझे मा की नन्गी टान्गे दिखाई दे रही थी, उनकी चूत गजब की खूबसूरत दिख रही थी, चिकनी चिकनी, एकदम साफ, और चुत के उपर का गद्देदार पोर्शन भी दिख रहा था. मा चाचा के मुह की तरफ़ अपनी गान्ड करके उनके उपर खडी हो गयी और नीचे चाचा ने अपने लन्ड पर थूक लगा कर उसे चिकना कर दिया, फिर मा थोडा नीचे झुकते हुए चाचा के उपर बैठने लगी, मुझे उनकी चूत का छेद देखने को मिला. गुलाबी रन्ग का छेद और उसके साईड पर उनके चुत के लिप्स मानो किसी कमल जैसे थे और जैसे जैसे मा नीचे बैठकर चाचा का लन्ड अन्दर लेती गयी, वैसे ही उनकी चूत कमल की तरह धीरे धीरे खुलती गयी और अन्दर तक का गुलाबी रन्ग का छेद मुझे साफ देखने को मिला. मा ने जैसे ही लन्ड को टच किया उस वक्त उन्होने अपनी चूत को दोनो हाथो से फ़ैलाया उफ़्फ़......मै बता नही सकता की मा की चुत कितनी मजेदार लग रही थी, मन कर रहा था की अन्दर जाकर चाचा को दूर धकेल कर अभी मा की चुत को चोद दू, पर मै वासना की आग मे इतना जल चुका था की मेरे पैर मानो जमीनमे धसे हुए थे.
अब चाचा ने अपने लन्ड के सुपाडे को मा की खुली हुई चुत पर रगडा और फ़िर मा धीरे से निचे होने लगी. चाचा ने एक जोर क झटका मारा और मेरी मा की चूत मे उनके लन्ड का सुपाडा चला गया. मा जोर से चिल्ला उठी
"आअह्ह्ह्ह्ह" पर उसके बाद लन्ड जैसे अटक गया हो क्योन्कि मा के चेहरे पर दर्द दिख रहा था और वो आहे भर रही थी, लेकिन चाचा अब मस्त होकर उसको चोदने की फिराक मे थे, उन्हे मा के दर्दसे क्या लेना, उन्होने अपनी कमर उपर की और दोनो हाथो से मा को जान्घो से पकड कर नीचे खीन्चा तो उनका लन्ड एक झटके मे ही आधे से ज्यादा मा की चुत को चीरता हुआ अन्दर समा गया, अब मा दर्द के मारे छटपटा रही थी, वो फिरसे चीख उठी
"उउउउउईईईई...मा......क्या कर रहा है रे हरामी, मेरी चुत फ़ट जायेगी ना.....आआआह्ह्ह्ह्ह......छोड मुझे थोडा उपर होने दे......."
पर चाचा ने तो एक झटका और दिया और इस बार पुरा लन्ड मा की चुत को चीरता हुआ अन्दरतक समा गया और मा चीखने लगी, लेकिन अब चाचा पिछे हटनेवाले नही थे, उन्होने मा की जान्घे पकड पकड कर अपना लन्ड मा की चुत मे पेलना शुरु कर दिया और मा से गुर्राकर बोले
"चुप कर साली, हमेशा तो बोलती है की मेरे पती का लन्ड छोटा है बडा लन्ड चाहिये और अब बडा लन्ड चोद रहा है तो कुवारी लडकी की तरह चिल्ला रही, साली बुरमरानी, एक बच्चा भी तो जना है ना तेरी इस कमाल की चूत ने फिर क्या हुआ, ले चुपचाप, ले, ले और ले"
मा अब गिडगिडा रही थी " थोडा धीरे नही कर सकते हो क्या........आआआअह्ह्ह्ह......मेरी चूत तो तुम्हारे लन्ड की प्यासी है रे राजा, लेकिन प्यार से करो ना, आआह्ह्ह......आआआ.......आआआह्ह्ह्ह्ह्ह.......फट जायेगी बेचारी रहम करो मुझपे......" चाचा लेकिन नीचेसे लगातार धक्के दिये जा रहे थे
"फट गयी तो क्या हुआ, तेरी गान्ड है ना, उसको भी मारून्गा, वो भी फट जाये तो तेरा मुह है ना, उसमे ये लन्ड पेलून्गा, लेकिन बस तुझे चोदता रहून्गा, ऐसेही, ऐसेही, ले, और ले, ले........चाचा बडबडाये जा रहे थे. लेकिन शायद उनको मा पर थोडा तरस आया होगा, उन्होने बिस्तरपरही थोडासा उठकर मा की चुचिया पिछेसे हात आगे ला कर पकड ली और उनको मसलना शुरु किया, इससे उनके धक्के थोडे आस्ते आस्ते होने लगे और मा भी खुश होकर चुदाई का लुत्फ लेने लगी. चाचा प्यार से कभी मा की गर्दन को चूमते तो कभी उसकी पीठ पर चुम्मी लेते, नीचे उनका लन्ड चूतकी पूरे गहराई तक जा चुका था और उनके गुप्तान्गोके मिलन से ‘फच्च फच्च’ की आवाज सुनाई दे रही थी जो बहुतही सेक्सी लग रही थी. मा की चुचिया बडी सेकी अदा मे हिल रही थी, मा हल्की हल्की सिसकारिया ले रही थी. कुछ समय इसी पोजिशन मे मा को चोदने के बाद चाचा ने अपना लन्ड निकाल लिया.
"स्स्स्स्स.........हाय......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़........क्यू निकाला, रहने दो ना" मा अब उस लन्ड की प्यासी बन गयी थी, लन्ड निकाला जाना उसे पसन्द नही था, चाचा ने उसको अपनी गोद से उठाया और बोले
"चुप हो जा रन्डी, अब बहोत हो गया हसी मजाक, अब तो ढंगसे चोदून्गा तुझे" और उन्होने मा को चित लिटा दिया, उसकी जान्घोन्को फैला दिया, ऐसा करनेसे मा की बुर मेरे सामने आ गयी, उफ़्फ़्फ़्फ़.......उसकी चिकनी और भरपूर चुदी चूत का नजारा वाकई नशीला था, चाचाने अपना लन्ड उस चूतके दरार मे सेट किया और एक जोरका धक्का लगाया, मा की चीख उसके गलेमेही अटक गयी, लेकिन चाचाने उसकी तरफ ध्यान न देते हुए उसकी गोरी और भरपूर चुचियोन्को मुठ्टीमे कसके पकडा और अपनी कमर से धक्के लगाना शुरु कर दिया. मा की चूत मे उनका लन्ड अन्दर बाहर करता हुआ साफ दिख रहा था, पहली चुदाई से मा की चूत शायद थोडी गीली हुई थी, तो मा भी वो लन्ड आसानीसे ले रही थी, पूरा कमरा ‘पच्च....फच्च......’ की आवाज से गून्ज रहा था. चाचा के धक्के वो बडे प्यारसे झेल रही थी और अपनी कमर उपर उठाउठाकर उनका बखुबी साथ दे रही थी.
मा का जिस्म भरा हुआ था तो उनकी चुचिया भी उसी हिसाब से बहुत मोटी थी, जब चाचा उनकी जान्घे पकडने के लिये अपना हाथ मा की चुचीसे हटाते, तो उनकी धक्कोकी वजहसे मा की चुचिया बडी मादक तरीकेसे हिलती थी.
फिर चाचाने प्यार से मा के रसीले होट चूमकर पूछा
"बोल रानी, कैसा लग रहा है, बोल डार्लिन्ग, बता कैसे चुद रही हो......"
मा भी अब मस्तायी थी
"आआआह्ह्ह्ह.......बहुत अच्छा लग रहा है रे मेरे राजा, पूरी गहराईतक घुसा है तेरा ये हथियार.......कसमसे ऐसा मझा तेरे साथ ही आता है........हा....हा.....ऐसेही चोद मुझे.......और घुसा......आआआह्ह्ह्ह्ह......उईईईईईईई....मा....." मा किसी रन्डी की तरह बाते करके चाचा को बढावा दे रही थी.
मा की ये बाते सुनका मेरा अपने आप पर काबू नही रहा, मै मेरा लन्ड और जोरसे हिलाने लगा और कुछ ही समय मे मेरा पानी निकल गया और सामने वाली दिवार पर एक बडासा धब्बा लग गया.
जब मेरा लन्ड शान्त हुआ तो मैने अन्दर देखा, चाचा अभीभी लगे हुए थे, चाचाका स्टॅमिना देख कर मै दन्ग रह गया, बडी तेजीसे वो धक्के मार रहे थे और मा कमर उचकाउचकाकर उन्हे उतनाही जोरसे साथ दे रही थी, पूरा बिस्तर हिल रहा था जिसकी वजहसे ‘कर्र...कर्र’ की आवाज भी उनकी चुदाईकी आवाज मे शमिल हो रही थी.
और फिर मा चीखने लगी "हाय रे आआआआआआआ.....मै.....मै......झडी.......आह्ह्ह्ह्ह्हह.....मेरा होनेवाला है..अभी अभी ...ही....आह्हह्ह्ह्ह....मै मर गयी रे........" और मा ने चाचा को कसके जकड लिया. यह बात सुनकर चाचा बडे ताव मे आ गये और उन्होने अपने धक्कोकी रफ्तार और बढा दी और फिर कुछही समय मे वो भी चिल्लाने लगे.
"आह्ह्ह्ह......माला डार्लिन्ग....ले मेरा माल ले....मै भी झड रहा हू....आआआह्ह्ह्ह...." और एक जोरका झटका देकर वो मा के उपर ढेर हो गये.

फिर दोनो बिस्तर पर हाफते हाफते लेट गये. कुछ देर बादही उन्हे होष आया. चाचा उठकर बिस्तर के सिरहाने का सहारा लेकर बैठ गये, पासवाली मेजसे सिगरेट उठायी और उसे सुलगाकर मजेसे कश लेने लगे. मा और भी कुछ देर चुदाईसे लस्त होकर पडी थी. थोडी देर के बाद वो उठ गयी और चाचाकी बगल मे बैठ कर उनके सीनेपर सर रखकर लेट गयी. चाचा और मा का ये प्यार देखकर मै मन ही मन जल रहा था, इतने प्यारसे मैने मा को पिताजी के साथ भी पेश आते हुए नही देखा था, चाचाने बडे प्यार से मा के होटोपर एक लम्बीसी चुम्मी जड दी, मा भी उनसे लिपट कर उनका साथे दे रही थी, उनका हाथ धीरे धीरे खिसकते हुए चाचाकी टान्गोके बीच मे सुस्त पडे उनके लन्ड पर आया और उन्होने उसे फिरसे सहलाना शुरु किया. चाचा भी मा की चुम्मी लेते हुए उनकी चुचिया मसल रहे थे. फिर प्यार से बोले
"क्या हुआ रानी, और एक बार चाहिये क्या ?"
मा हसकर बोली
"हा हा चाहिये तो और भी, लेकिन अब नही जानू, विकी आता ही होगा"
यह कहकर मा बिस्तरसे उठकर खडी हो गयी, चाचाने बिस्तरसे अपनी टान्गे नीची कर दी और मा को पिछेसे पकडा और उसके भरे चुतडोपर हलकेसे काट लिया, मा बडी मादक अन्दाजसे चीखी और बाथरूम की ओर चल पडी, चाचा फिरसे सिगरेट पीने लगे.
थोडी देर बाद मा बाथरूम होकर आयी, अब उसने केवल एक काली ब्रा पहनी थी और निचे साया बान्धा था, इस अवस्था मे भी वो गजब की सेक्सी लग रही थी. चाचा भी मुस्कुराकर उसे देखने लगे, मा आयने के सामने बैठकर बाल बनाने लगी, चाचा वैसेही नन्गे उठे और मा के पिछे खडे होकर अपना लौडा मा की पीठ पर रगडने लगे, मा ने कहा
"अब बस भी करो ना जान, विकी आयेगा अभी कभीभी......." तो फिर चाचाने निचे झुककर मा की एक प्यारभरी चुम्मी ली, उसके चुचियोको मसला और खुद बाथरूम की ओर चल पडे.
मैने कुछ समय बाद अन्दर जाना ठीक समझा, मैने दरवाजा खटखटाया, कुछ देर बाद चाचा ने दरवाजा खोला, वो सिर्फ बनियान और लुन्गीपे थे.आतेही मैने पूछा
"मा कहा है?"
चाचा ने हकलाते हुए जवाब दिया
"वो...वो....अभी.....बस सो गई है, तुम भी जाके सो जाना" और वो चले गये.

THE END









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