Friday, October 3, 2014

FUN-MAZA-MASTI शालिनी ने जो चाहा वो पाया-2

FUN-MAZA-MASTI

 शालिनी ने जो चाहा वो पाया-2
 शालिनी के अभी तक के दोनों सेक्स अनुभव बाथरूम में ही हुए थे और वो भी अकेले ही हुए थे, और बहुत ही अच्छे हुए थे और उसने बहुत एन्जॉय भी किया था।

अब वो इसे बेडरूम तक लाना चाहती थी, और वो भी अकेले नहीं उस काले नौकर के साथ जिसने उसकी नींद उड़ा रखी थी।

आगे की पूरी योजना उसके दिमाग में तैयार थी और शालिनी की नग्न देह के दर्शन करने के बाद वो नौकर भी अब उसके काबू में था।

और मौका भी अगले ही दिन मिल गया।

शालिनी के डैडी के एक दोस्त कर्नल साब का बंगला थोड़ी ही दूर पर था और वहाँ एक शराब-कवाब की पार्टी थी, वहाँ यह सिस्टम था कि जब भी किसी के यहाँ कोई पार्टी होती थी, आस पास के बंगले के नौकर वहाँ काम करने जाते थे, उनके यहाँ से भी नौकर जाने थे, लेकिन शालिनी के घर पर रहने की वजह से उसके डैडी ने एक नौकर को उसकी हिफाज़त और चाकरी के लिए वहाँ छोड़ने का निर्णय किया, और सब नौकरों में राजेश ही जवान और हट्टा कट्टा था तो शालिनी ने उसका ही नाम सुझाया।

वो उस दिन की घटना के बाद सकपकाया हुआ था, उसे शक था कि शालिनी को सब पता चल गया है इस लिए वो डर भी रहा था।

लेकिन शालिनी के डैडी ने उसे उस दौरान घर में प्रवेश की इजाज़त नहीं दी, उसे बाहर रह कर ही देखभाल करनी थी और पूरी रात सोना भी नहीं था।

शालिनी को कहा गया कि वो घर के अंदर ही रहेगी और अंदर से पूरी तरह से लॉक करके रखेगी। शालिनी ने मुस्कुरा कर सहमति में सर हिला दिया और शाम होते होते उसके अलावा सब नौकर चले गये और रात आठ बजे शालिनी के डैडी भी चले गए।

अब पूरे बंगले में सिर्फ वो दो ही बचे थे, राजू जैसे ही बंगले का बड़ा फाटक बंद करके अंदर आया, वहाँ शालिनी खड़ी थी, वो एकदम से सकपका गया और हकलाते हुए बोला- मैडम जी, आपको घर के अंदर रहना चाहिए !

वो तेज़ आवाज में बोली- यह बात तू मुझे बताएगा कि मैं कहाँ रहूँ? तू नौकर है नौकर की औकात में रह ! समझा?

वो फिर हकलाते हुए बोला- मैडम, मालिक साब बोल के गये हैं।

वो फिर तेज़ आवाज में बोली- अभी मैं हूँ तेरी मालकिन ! चुपचाप अंदर चल, तेरे से कुछ हिसाब करना है !

वो डरते डरते उसके पीछे अंदर आ गया और चुपचाप एक कोने में खड़ा हो गया।

वो शान से एक सोफे पर बैठ गई और बोली- हाँ, अब बोल ! उस दिन बाथरूम की खिड़की से मुझे देखने की हिम्मत कैसे हुई तेरी?

"वो.. मैं... मैं.. वो....!"

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

वो चिल्लाई- यग क्या मैं मैं लगा रखी है? मैंने तुझे खुद उस खिड़की पर देख लिया था, इसलिए झूठ तो बोलना मत, मैं जो पूछ रही हूँ उसका जवाब दे सच सच ! वरना अगर डैडी को बता दिया ना, तो बहुत हंटर पड़ेंगे ! समझा?

"क्या तूने मुझे पूरी बिना कपड़ों के देखा?"

"नंगी देखा?"

वो चुप हो गया और नीचे देखते हुए फर्श पर नाख़ून से कुरेदने लगा।

वो फिर चिल्लाई- बोल जल्दी?

"हाँ !"

"साले हरामजादे, तो फिर वहाँ से हटा क्यों नहीं?"

"पूरे वक्त देखता ही रहा?"

वो फिर चुप हो गया।

"साले, शर्म नहीं आई तुझे अपनी मालकिन को ऐसे बिना कपड़ों के नंगी देखते हुए?"

अब वो एकदम से उसके पैरों में गिर गया और गिड़गिड़ाते हुए बोला- मैडम जी, माफ़ कर दो ! साब को और मेरे चाचा को मत बताना, मैं मर जाऊँगा !

शालिनी ने उसका गिरेबान पकड़ कर उठाया और कहा- ठीक है नहीं बताऊँगी साले पर तुझे भी मेरे सामने पूरा नंगा होना पड़ेगा अभी, इसी वक्त ! चल शुरू हो जा !

वो और घबरा गया- मैडम जी, माफ़ कर दो !

शालिनी बोली- बस माफ़ी इसी शर्त पर मिलेगी ! खोलता है कपड़े या करूँ फोन डैडी को?

और यह कहते हुए उसने झूठ मूठ में नम्बर मिलाने का नाटक किया।

और उधर राजू ने घबरा कर कमीज़ के बटन खोलने शुरू कर दिए।

शालिनी की साँसें तेज़ हो गई, वो एक छड़ी लेकर सोफे पर बैठ गई, उसे नज़दीक आने का इशारा किया।

तब तक वो कमीज़ उतार चुका था, उस गरीब आदमी की बनियान में कई जगह छेद थे, उसने उसे भी उतार दिया।

उसका सीना चौड़ा और मज़बूत था, जिस पर घने काले बाल थे, जो उस काले को और काला बना रहे थे।

अब शालिनी ने उसके पैंट पर छड़ी मारी और उसे उतारने का इशारा किया।

अब वो खुद बहुत उत्तेजित होती जा रही थी और यह बात उसके हाव-भाव से जाहिर हो रही थी, और अब वो नौकर भी इस बात को समझ रहा था कि आज उसे कुछ और मज़ा मिल सकता है इसलिए उसने भी पैंट की चेन नीचे की और पैंट उतार दी।

अब वो एक बहुत ही घिसी घिसाई सी अंडरवियर में उसके बिल्कुल सामने खड़ा था।

उसके इस भयानक काले रूप को देख के शालिनी उत्तेजना के मारे कांपने लगी, सोफे से खड़ी हो गई, उसकी बालों से भरी छाती पर हाथ रख दिया, उसमें उंगलियाँ फिराने लगी और एक हाथ उसकी पीठ पर कस लिया।

उसकी चाहत आज पूरी होने को थी, यह काला गुलाम आज उसके कब्जे में था, अपने दोनों हाथ उसके काले और बालों से भरे बदन पर फिराते हुए उसने उसके दोनों हाथ उसे ऊपर करने को कहा और जैसे ही उसने अपने दोनों हाथ ऊपर किये, उसकी बगलों से पसीने की तेज़ दुर्गन्ध आने लगी, उसके बगलों में बहुत बाल थे कुल मिला कर वो एक बदसूरत, काला और भद्दा मर्द था, पर वो अप्सरा जैसी खूबसूरत शालिनी को उत्तेजित कर रहा था।

अब शालिनी के हाथ उसके पेट पर फिसल रहे थे, साथ ही अब वो नौकर भी जबरदस्त उत्तेजित हो गया था, उसका लंड बहुत ज्यादा तन कर बड़ा हो गया था, पर दिक्कत यह हुई कि वो गलत दिशा में था और वहीं पर बड़ा हो गया था, इससे वो फंस गया था उसने उसे सीधा करने के लिए हाथ नीचे लाना चाहा पर शालिनी ने रोक दिया, बोली- क्या परेशानी है तुझे? चुपचाप खड़ा रह !

वो बोला- मैडम जी, मेरा वो...वो....!!

"क्या हुआ उसको?" वो बोली।

"वो चड्डी में फंस रहा है और बहुत दर्द हो रहा है।"

"ओहो !"

अब शालिनी का ध्यान उसकी चड्डी में बुरी तरह से फंस रहे लंड पर गया- बाप रे ! इतना बड़ा !

उसने सोचा अंडरवियर से बाहर निकलते हुए लंड को नज़दीक से देखना चाहिए इसलिए उसने उसे अपने एकदम पास खींच लिया, अब उसका अंडरवियर शालिनी के चेहरे के एकदम नज़दीक आ गया था और अंडरवियर में हाथ डाल कर एक झटके से उसका अंडरवियर नीचे खिसका दिया।

लेकिन यहाँ एक तमाशा हो गई, उसका काले नाग जैसा मोटा और कड़क लंड उछल कर बाहर निकला और सीधा उसके चेहरे और होंठों से टकराया, शालिनी बुरी तरह से हकबका गई, यह देख उस नौकर को हंसी आ गई।

शालिनी ने अपनी झेंप मिटाने के लिए उसके लंड पर ज़ोरदार तमाचा लगा दिया और चिल्लाई- साले चुपचाप खड़ा रह !

और अब ध्यान से उसके लंड को देखा जो उसके बदन से भी कहीं ज्यादा काला था और बेतहाशा झांटों से घिरा हुआ था।

और साथ ही साथ तेज़ बदबू का झोंका भी आया इतना ज्यादा कि उसका जी खराब हो गया- साले गंदे ! कितनी बदबू मार रहा है !

और उसे अपनी लातों और थप्पड़ों के साथ अपने बेडरूम में ले गई और बाथरूम के अंदर धकेल दिया वहाँ पाइप वाला शावर लेकर उसके ऊपर चला दिया, उस नौकर को अब इस खेल में मज़ा आ रहा था, और शालिनी को भी क्यूंकि वो अपनी सारी भड़ास इस पर निकाल सकती थी और कोई देखने वाला नहीं था और यह एक तरह से उसका गुलाम नौकर था।

उसने वहाँ पड़ी लिक्विड सोप की शीशी उस पर उड़ेल दी और लूफा से उसके बदन को रगड़ने लगी, अब वो खुद उत्तेजना की आग में जल रही थी।

उसका पूरा बदन झाग से भर गया था उसने उसकी बगलों, सीना, पीठ, गांड लंड के आस पास की जगह और फिर लंड को पकड़ के जी भर के रगड़ा, और उससे चिपटती भी गई, उसके खुद के कपड़े गीले होकर उसके बदन से चिपक गये थे।

फिर उसने पाइप के सिरे से शावर वाला नोजल हटा के पानी की तेज़ धार बना ली और उसके बदन पर मारने लगी, जैसे कि सर्विसिंग करने वाले लोग स्कूटर पर मारते हैं।

जैसे जैसे उसके झाग बह रहे थे, अंदर से उसका काला कलूटा बदन बाहर आ रहा था। और शालिनी का खुद का जिस्म और सारे कपड़े भी पानी से गीले हो के चिपक गए थे, उसकी चूत कामवासना के दौरान निकलने वाले पानी से गीली हो गई थी, उसकी आँखों में लाल लाल डोरे तैर आये थे।

यह बात वो नौकर भी समझ गया था, वो खुद भी उत्तेजित हो गया था।

और दोस्तो, मैंने अपनी पहले की कहानियों में भी बताया है कि जब भी कामवासना की आग भड़कती है तो सब रिश्ते, ओहदे और भेद भाव ख़त्म हो जाते हैं।

यहाँ भी यही हुआ !

मालकिन और नौकर का भेदभाव जाता रहा, उस नौकर राजू ने शालिनी के हाथ से पाइप छीन कर दूर फेंका और उसके कपड़े उतारने को लपका।

यहाँ भी शालिनी की एक और फ़ंतासी भी थी जो वो हमेशा से चाहती थी कि कोई उसके साथ कपड़े फाड़ कर सेक्स करे, इसलिए वो अपने टोपर और केप्री को पकड़ कर उसे उतारने नहीं दे रही थी, पर अब वो उसका गुलाम नौकर नहीं था।

और जो लडकियाँ इस कहानी को पढ़ रही होंगी वो जानती होंगी कि बहुत ज्यादा महंगे और कीमती कपड़े उतने ही नाज़ुक भी होते हैं। राजू उसके कपड़ों पर झपट पड़ा और उन्हें उतारने की कोशिश करने लगा, खींचने लगा, शालिनी के बदन के कपड़ों का जो हिस्सा उसके हाथ में आया, वो ही फट कर उसके जिस्म से अलग हो गया और शालिनी के जिस्म के खूबसूरत अंग नुमाया होने लगे, और थोड़ी ही देर में उसका टॉप चीथड़े चीथड़े होकर नीचे गिरा पड़ा था, उसके बदन के ऊपरी हिस्से पर सिर्फ ब्रा ही रह गई।

शालिनी को बहुत मज़ा आ रहा था, वो राजू को और तरसाने के लिए बाथरूम से बाहर की ओर भागी, लेकिन...

उस वहशी हो चुके नौकर ने जोर से उसके चूतड़ों पर हाथ मारा और उसकी केप्री में अंदर तक हाथ घुसा के उसे खींच लिया, पर वो फिर भी रुकी नही, नतीज़ा यह हुआ कि 'च्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र च्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र करते हुए उसकी केप्री भी पूरी तरह से फट गई, पर शालिनी भागने में कामयाब हो गई लेकिन भागते भागते उसकी केप्री के चीथड़े उसके नितम्बों-जांघों से अलग होकर राजू के हाथ में रह गये।

अब शालिनी की सलोनी काया पर मात्र पेंटी और ब्रा ही थी।

वो भी उसके पीछे पीछे भागा, वो कमरे से निकल के उसी अवस्था में बाहर की तरफ़ भाग गई, उसे पता था बंगले में उन दोनों के सिवा कोई नहीं था, उसे बहुत मज़ा आ रहा था, पर वो ज्यादा तेज़ी से उसके पीछे आ रहा था, वहाँ ऐसा दृश्य हो गया था जैसे कि कोई जंगली रीछ किसी सफ़ेद मेमने को पकड़ने को दौड़ रहा हो, क्यूँकि शालिनी अति की गोरी और खूबसूरत थी और राजू हद से ज्यादा काला तो था ही उसके पूरे बदन पर बाल भी थे।

अब शालिनी लॉन में आ गई और वह फव्वारे की इर्दगिर्द घूम घूम कर उसे छकाने लगी और अब हंसने भी लगी थी, क्यूंकि उस भागते हुए नंग धडंद नौकर का कडक, और तना हुआ लंड भी उसके भागने से झूल रहा था जो उसे बहुत ही मजेदार लग रहा था और शालिनी के हंसने और उसे छकाने से वो नौकर भी आश्वस्त हो गया कि वो अपनी मालकिन के साथ कोई जबर नहीं कर रहा है !

और फिर वासना की मारी शालिनी खुद उसकी पकड़ में चल कर ही आ गई। उस नौकर की हिम्मत अब बहुत बढ़ गई थी, उसने भी उसे पकड़ कर सबसे पहला काम यह किया कि उसकी पेंटी को फाड़ कर अलग किया, ब्रा के भी दो टुकड़े कर डाले।

और घर की मालकिन शालिनी घर से बाहर खुले आसमान के नीचे पूर्ण निर्वस्त्र हो गई थी, और यह अहसास उसे बहुत बहुत अच्छा लग रहा था, उसने ब्रा और पेंटी के चीथड़े पास ही पड़े डस्टबिन में डाल दिए और अपनी बाहें राजू की ओर फैला दीं, राजू ने भी अब उसे एक नाज़ुक फूल की तरह से अपनी गोद में उठा लिया और विक्रम और बेताल की तरह से उसे अपने एक कंधे पर पटक लिया, शालिनी की लम्बाई भी काफी अच्छी है, तो उसके दोनों हाथ उसके चूतड़ों तक जा रहे थे और पैर उसके कड़क लंड को छू रहे थे।

शालिनी इस सारे खेल का पूरा मज़ा ले रही थी, उसे फिर शरारत सूझी, उसने उस कालू के चूतड़ों पर दो चार चांटे लगा दिए और पैरों के पंजे से उसका लंड जकड़ लिया।

राजू बिलबिला उठा और उसे छोड़ने को कहने लगा पर वो नहीं मानी तो उसने भी कस कस के शालिनी के नंगे चूतड़ों पर चांटे लगा दिए पर इसमें तो शालिनी को और मज़ा आया।

फिर राजू ने उसकी गांड में अपनी उंगली घुसाने की कोशिश की तब उसने उसे छोड़ा।

राजू शालिनी को लेकर फिर से बेडरूम में आया और पलंग पर पटक दिया।

शालिनी पसर कर लेट गई, और वो एकटक उसे देखता रहा।

वो बोली- अब और क्या देख रहा है साले? उस दिन बाथरूम में मुझे नंगी देख कर तेरा मन नहीं भरा क्या?

वो बोला- ऊपर खिड़की से सब कुछ तो दिख गया पर तेरी चूत बिलकुल नहीं दिखी थी।

उसके जवाब पर उसे हंसी आ गई, वो खिलखिलाते हुए बोली- ले तो अब देख ले मेरे कालू !

उसने अपने दोनों पैर ऊपर हवा में उठा कर पूरे चौड़े करके फैला दिए और उसकी छोटी सी प्यारी, चिकनी चूत की पंखुड़ियाँ खुल गई।

वो ये सब देख के हक्का बक्का रह गया और उसके फैले हुए पैरों के बीच बैठ गया और उसकी चूत को निहारने लगा और उसके पैरों और जांघों को सहलाने लगा।

शालिनी की बाईं जांघ पर चूत के बिलकुल पास एक गहरा क़ाला तिल भी था जो उसकी खूबसूरती को बढ़ा रहा था।

शालिनी ने अब उसे एक लात जमाते हुए कहा- कब तक घूरता रहेगा साले ! आज तो तू मुझे पूरा चख भी सकता है, खा भी सकता है, चल शुरू हो जा, ज्यादा वक्त भी नहीं है, देर रात तक सब लोग आ भी सकते हैं उस पार्टी से !

उसे भी यह बात समझ आ गई।

"ले साले, तू भी क्या याद रखेगा, चूम चाट जो करना है कर, मैं पड़ी हूँ तेरे सामने !"

और वो पागलों की तरह से उस सुन्दरी के बदन पर पिल पड़ा, उसे बेतहाशा चूमने लगा, चाटने लगा, उसका एक हाथ उसकी चूत पर था और वो उसे मसल रहा था, और दूसरे से उसका एक स्तन को कुचल रहा था, दूसरा स्तन उसके मुँह में था।

फिर वो बारी बारी से दोनों को चूसता रहा, और जो हाथ चूत पर था उसकी उंगलियाँ अब अंदर तक जा रही थी। शालिनी को बहुत मज़ा आ रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

फिर उसका मुँह उसके वक्ष से फिसलता हुआ उसके पेट और नाभि पर जा पहुँचा और उसकी चूत की ओर बढ़ने लगा।

शालिनी समझ गई कि अब राजू उसकी चूत खाने वाला है, वो एकदम से उठ गई- तुम्हें चूत खानी है मेरे कालू जी?

वो बोला- हाँ मैडम जी !

"तो ऐसे नहीं ! मैं खुद खिलाऊँगी तुम्हें !"

"ओके? अब तुम लेट जाओ !"

वो आज्ञाकारी तुरंत लेट गया, शालिनी उठी और उसके लंड की तरफ मुँह करके उसके ठीक मुँह के ऊपर अपनी चूत रख दी और इत्मिनान से बैठ गई, उस कालू ने भी अपना पूरा मुँह खोल कर उसकी चूत को अच्छे से अपने मुँह में ले लिया और शालिनी अब उसके बदन पर लेट गई और उसके भयंकर काले लंड को सहलाने लगी उसकी लंड की गोलियों से खेलने लगी और उसे कहा कि उसके चेहरे पर जो चूतड़ हैं वो उन्हें सहलाता-दबाता रहे अपने हाथों से !

वो शुरू हो गया !

शालिनी की गोरी गोरी गाण्ड की गोलाईयाँ बहुत मस्त थी, और इधर शालिनी ने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया तो वो पागल हो गया।

और इधर शालिनी की चूत भी जवाब दे गई और अब कोई कारण नहीं था जो उन्हें चुदाई से रोक सकता था।

उसने शालिनी को उठा कर नीचे लिटाया और उसके पैर चौड़े करके उसकी निहायत गीली हो चुकी चूत पर अपना लंड रखा और अंदर तक घुसाता ही चला गया, शालिनी के मुँह से एक गाली के साथ भयानक चीख निकली- "साले हरामजादे, कुत्ते कमीने ! जोर से चोद, और जोर से आह आह ओह्ह आआआआह्ह्ह्ह मर गई ! मैं मर गई !"

और वो जोर जोर से अपने चूतड़ उछालने लगी और वो राक्षस की तरह उसे रौंदता रहा। फिर भी उसे बहुत मज़ा आ रहा था, वो पूरी आज़ादी से बेशर्मी से चुदाई का मज़ा ले रही थी। सब कुछ शालिनी की मर्ज़ी से हो रहा था। आज उसने "जो चाहा था वो सब पा लिया था !"















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