Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI जेठ जी के अहसान --10

FUN-MAZA-MASTI

 जेठ जी के अहसान --10
        
 शाम को मैंने दीपक को बता दिया कि कल भैया दस दिनों के लिए आने वाले हैं , इसलिए वो और जेठ जी बिलकुल स्वाभाविक व्यवहार करें ताकि उनको जरा भी शक न हो कि हमारे आपस में क्या सम्बन्ध हैं ! हमने एक साथ ही डिनर किया और डिनर टेबल पर ही जेठ जी ने बात साफ़ कर दी कि जब हम तीनों जानते हैं कि हमारे आपस में शारीरिक सम्बन्ध हैं , तो तीनो एक साथ क्यों नहीं सोते ! जेठ जी ने मुझे पहले ही बता दिया था कि दीपक को ज्यादा से ज्यादा उत्तेजित रखने के लिए ये जरुरी है ! रात में हम तीनों ने खाना खाने से पहले शराब ले ली थी ! मैंने तो दो ही पैग लिए थे पर दीपक ने चार और जेठ जी ने तो छह पैग लगा लिए थे !हम तीनो एक ही बेडरूम में आ गए थे , दीपक ने हल्का म्यूजिक लगा दिया था ,और हम दोनों एक दूसरे कि बाँहों में हल्का हल्का डांस करने लगे ! भैया बेड पर आकर बैठ गए थे , और हमारा डांस देख रहे थे ! डांस करते करते मैं बहुत उत्तेजित हो रही थी , बीच बीच में जब दीपक जब आगोश में लेकर चुम्मी लेते थे तो जांघों में खड़े लौड़े का अहसास होता था !शराब के नशे में मैं भूल चुकी थी कि जेठ जी भी इसी कमरे में है ,और दीपक को मैंने जेठ जी के सामने कभी चूमा नहीं था ,और न ही कभी उसकी बाँहों में आई थी ! माहौल गरम होता गया और मेरी साड़ी , ब्लाउज और पेटीकोट भी उत्तर गयी ! सिर्फ ब्रा और पैंटी में ऐसे लग रहा था जैसे मैं कैबरे कर रही हूँ ! डांस करते करते दीपक ने मुझे जेठ जी के ऊपर धक्का दे दिया, मैं सीधा जेठ जी कि गोद में गिरी ! जेठ जी ने मुझे बाँहों में ले लिया और किस करने लगे , एक हाथ से उन्होंने मेरी चूची थम ली और एक हाथ से मुझे सहारा दे रखा था !दीपक भी अब बेड पर आ गए थे और मेरी ब्रा खोलकर अलग कर दी ! जेठ जी ने मुझे अपने गोद में बिठा रखा था , चुम भी रहे थे और एक चूची भी दबा रहे थे ! दूसरी चूची पे दीपक ने अपना मुंह लगा दिया और छोटे बच्चे कि तरह चूसने लगा !मैं पिघली जा रही थी , चूत से रस कि धार निकल रही थी , पैंटी का गीलापन भैया ने महसूस किया और एक हाथ मेरी पैंटी में घुसेड़ दी और मेरी चूत को ऊँगली से कुरेदने लगे ! अब मेरे लिए मुश्किल हो रहा था , मुझे हर हाल में लण्ड चाहिए था, मैं छटपटाने लगी ! जेठ जी समझ गए कि मैं तैयार हूँ , वो थोड़ा फ़ैल गए और मुझे अपने पूरे बदन पर फैला लिया ,मेरी गांड के नीचे उनका लण्ड था जो अब धीरे धीरे गरम हो रहा था ! उन्होंने दीपक को मेरे ऊपर आकर चोदने को कहा ! दीपक मेरे ऊपर लेट गए और लण्ड को मेरी चूत में डाल दिया ! बहुत हल्का सा अहसास हुआ कि मेरे चूत में कुछ गया है , वो धक्का मारने लगे , अब जेठ जी मेरी गांड और चूत के बीच की जगह को सहलाने लगे ! दीपक शायद इस तरह की चुदाई को झेल नहीं पाये और बीस तीस धक्कों के बाद ही निढाल हो गए ! दीपक अब मेरे ऊपर से उठकर अलग लेटकर आगे का तमाशा देखने लगे ! जेठ जी ने अपना अंडरवियर उतारा और उसी पोजीशन में लण्ड घुसा दिया और चोदने लगे ! मेरी चुदाई अब सही तरीके से हो रही थी और चूत में शांति आ गई थी !
भैया ने करीब दस मिनट तक चोदकर मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर मुझे चोदने लगे ! उनको ज्यादा नशा हो रहा था और वो चोदते चोदते मुझे गाली भी देने लगे थे , बहनचोद ....तेरी बहन की चूत में मेरा लण्ड , आज मैं तेरी माँ चोद दूंगा ! मुझे बहुत मज़ा आ रहा था , दीपक भी अब थोड़ा उत्तेजित होने लगे थे ! मैंने इशारे में दीपक को अपना लण्ड मेरे मुंह के पास लाने को कहा ! दीपक के पास आते ही मैंने उसका लण्ड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी , लण्ड खड़ा होने लगा ! उधर जेठ जी पूरे जोश में थे और अपनी पूरी ताक़त से मुझे चोदे जा रहे थे ! दीपक का लण्ड अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था , और जेठ जी पानी छोड़ने की तयारी में थे ! अचानक जेठ जी का गरम गरम लव मैंने अपनी चूत में महसूस किया ! लगभग सात आठ बार अपना लण्ड निचोड़ कर जेठ जी लुढक गए ! मैंने दीपक को अपने ऊपर बुला लिया ! एक घंटे के अंदर दीपक दूसरी बार मुझे चोद रहे थे , अब लण्ड भी मोटा और सख्त लग रहा था ! चूत के अंदर दीपक का लण्ड मैं अच्छे से महसूस कर रही थी ! अपने बड़े भाई के वीर्य के बीच ही दीपक का लण्ड मेरी चूत में फिसल फिसल के जा रहा था ! इस बार दीपक काफी लम्बी चुदाई कर रहे थे , शायद पहली बार ! दीपक का लण्ड झरने का नाम नहीं ले रहा था , जेठ जी देख देख कर खुश हो रहे थे , बीच बीच में बोल पड़ते थे , फाड़ दे बहनचोद की चूत ...आज बता दे साली को की हम भाइयों की लण्ड में कितना दम है ! दीपक जोश को बर्दाश्त नहीं कर पाये और मेरी चूत में पिचकारी छोड़ दी ! बीच में मैं और दोनों भाई मेरे दोनों तरफ मेरी एक एक चूची को सहलाते हुए सो गए , और मैं भी बिना कुछ पोछे , दोनों भाइयों का पानी अपने चूत में समेटे सो गई !



 सुबह जल्दी उठकर घर का काम निबटाया और घर को ठीक से साफ़ सुथरा कर लिया ताकि राहुल भैया को जरा भी शक न हो ! राहुल की शादी मेरी शादी के थोड़े दिनों बाद ही हो गई थी !शादी के बाद राहुल पहली बार मुझसे मिलने आ रहे थे ! राहुल के आते ही मैं उनसे लिपट गई , मेरी आँखों में आंसू आ गए थे !दुबला पतला राहुल अब हट्ठे कट्ठे नज़र आ रहे थे !काफी बॉडी बना ली थी राहुल ने ! मेरे पीछे मेरे जेठ जी भी आ गए थे और राहुल का स्वागत किया ! मैं दरवाज़ा बंद कर वापस मुड़ी, राहुल और जेठ जी आगे आगे चल रहे थे , एक मिनट के लिए मैं चौंक गयी ,क्यूंकि दोनों की डील डॉल , सेहत एक जैसी लग रही थी , अगर कपड़ों का फर्क नहीं होता तो बताना मुश्किल था की राहुल कौन है और जेठ जी कौन ? दीपक दफ्तर चले गए थे , हमने खाना खाने के बाद गप्प मरने में इतना मशगूल हो गए की शाम होने का पता ही न चला ! आज जेठ जी को गावँ वापस जाना था , पर राहुल भैया ने जिद कर के उनको आज के लिए रोक लिया ! दोनों बहुत घुल मिल गए थे और एकसाथ ताश भी खेल रहे थे ! रात को डिनर के बाद मैं और दीपक अपने बैडरूम में आ गए थे ! भैया और दीपक का बेड भी अगल बगल के दो कमरों में लगा दिया गया था ! जब मैंने दोनों को गुड नाईट बोलने आई तो उनके बीच जबर्दश्त ताश की बाज़ी लगी थी ! जेठ जी और मैंने ये निर्णय कर लिया था कि जब तक राहुल यहाँ है , हम दिन रात दूरी बना कर चलेंगे , और किसी भी तरह कि छेड़ छाड़ और इशराबाज़ी नहीं करेंगे !
अपने बेड रूम में आकर मैंने अपना गाउन उतारा और दीपक के पास आ गयी , दीपक मुझे बाँहों में लेकर चूमने लगे ! दीपक के हाथ मेरी चूचियों को हौले हौले दबा रहे थे ! दीपक और जेठ जी में ये फर्क था कि जहाँ दीपक हौले हौले चूचियाँ दबाते थे , जेठ जी चूचियों को बेदर्दी से मसल देते थे , और घुंडियों को भी मसल मसल कर लाल कर देते थे ! ब्रा उतारकर दीपक ने मेरी एक चूची चूसना शुरू कर दिया ,अपने हाथों से वो मेरी गांड भी सहला रहे थे ! मैंने भी दीपक की अंडरवियर उतार कर लण्ड को हाथ में ले लिया था , और मसलने लगी थी ! दीपक पूरे तनाव में आ गए थे ! दीपक ने कहा , डार्लिंग जल्दी से एक राउंड कर लो , फिर सो जायेंगे जल्दी , भैया की सुबह की ट्रैन है , जल्दी उठना पड़ेगा ! मैंने भी हाँ में सर हिलाया और दीपक को लिटा कर उसपर सवार हो गई ! मैं ज्यादा उत्तेजित अभी थी नहीं ,इसलिए दीपक का लौड़ा भी मुझे सख्त लग रहा था ! हलके हलके सरका कर पूरा लण्ड मैंने अपने चूत में लिया और धक्के मारने लगी !मुझे अभी एक जबर्दश्त चुदाई की जरुरत थी , पर मेरा मनपसंद लण्ड जो मेरी प्यास बुझा सकता था , राहुल भैया के साथ ताश में लगा था ! थोड़ी देर के लिए मैं राहुल को कोसने लगी की क्यों वो इन्ही दिनों में दिल्ली आया ! दीपक पूरा मस्त गए थे और मुझे पकड़ कर जोर जोर से चोदने की कोशिश कर रहे थे, साथ ही मेरी चूचियों से भी खेल रहे थे ! दीपक के साथ अब चुदाई लम्बी होती जा रही थी और मैं मस्त हो रही थी ! मेरी चूत से पानी की फुहारें भी निकली थी एक बार , बहुत अच्छा लगा था की अब दीपक भी मेरा पानी निकाल सकते हैं ! हमारा खेल अब स्पीड पकड़ चूका था , मै अब जोर जोर से धक्के लगाने लगी थी, दीपक भी आह... उह... कर रहे थे , दीपक को मस्ती में देख मैं पूरी मस्ती में आ गई थी , अब मैं जम कर चुदाई की उम्मीद में कस के छह सात शॉट लगाये की दीपक का नलका पानी छोड़ गया ! अभी मैं संभलती की लाइट चली गई , मैं प्यासी दीपक से लिपट गई ! दीपक का लण्ड सिकुड़ के चूत से बाहर आ गया था , और वो अलग हट कर निढाल लेट गए थे ! मैं भी बिज़ली के इंतज़ार में छत घूर रही थी , बदन में आग लगी थी लेकिन आग बुझाने का कोई इंतज़ाम नहीं था ! अगर राहुल नहीं होते तो मैं दौड़ कर जेठ जी के लण्ड से अपनी प्यास बुझा लेती लेकिन लोकलाज ने मुझे बाँध रखा था !
करीब एक घंटा बीतने के बाद भी लाइट नहीं आई थी ! मैं चूत में ऊँगली कर कर के थक गई थी , पर तन की ज्वाला और भड़क गई थी ! मैं अजीब उलझन में थी , दीपक खर्राटे ले रहे थे और मैं आँखें फाड़ के जगी हुई थी ! जेठ जी की बहुत जरुरत महसूस हो रही थी , अब तक तो वो सो भी गए होंगे , कल सुबह उन्हें निकलना था ! मैं खुद को रोक न सकी ,और नाईट गाउन डाल कर आहिस्ते से जेठ जी के कमरे में आ गई ! बिलकुल घना अँधेरा था , जेठ जी शायद सो गए थे ! मैं आहिस्ते से उनके पलंग पर उनके कंधे के पास बैठ गई ,और झुक कर उनके होंठों को अपने होंठों से बंद कर लिया ! जेठ जी हरबड़ा गए थे , उठने की कोशिश करने लगे , पर मैंने दवाब देकर उन्हें लिटा लिया ! उनके मुंह से अपने होंठ हटा कर अपना हाथ रख दिया और उनके कान में बोली ," भैया , जरा भी शोर मत करना , चुपके से मेरी प्यास बुझा दो ! जरा आहिस्ता , कहीं दूसरे कमरे में भैया न सुन लें !" अब मैं भैया का लण्ड पजामे के ऊपर से सहलाने लगी , लण्ड तुरंत अकड़ कर खड़ा हो गया !पजामे को सरका कर मैं नीचे किया और लण्ड पर बैठ गई , मस्ताई हुई चूत सटाक से लण्ड को लील गई , और मैं धक्के लगाने लगी ! भैया का एक हाथ मैंने चूची पर रख दिया और दूसरे में अपनी उँगलियाँ फंसा कर जोर लगा कर भैया को चोदने लगी ! भइया की नींद शायद अभी टूटी नहीं थी , चूची भी बस दीपक की तरह सहला रहे थे और नीचे से धक्का भी नहीं लगा रहे थे ! मैंने अपनी चुदाई जारी राखी और सटा सट लण्ड चूत में सरकने लगी ! आज भैया का लण्ड बहुत कड़क लग रहा था, मेरी चुदाई ने उन्हें पागल बना रखा था , पर दूसरे कमरे में राहुल के होने के डर से वो खुल के चोद नहीं पा रहे थे ! मैं अब पूरे मस्ती में थी , भैया को कलेजे से चिपका कर धक्के लगाते हुए उनके कान में फुसफुसाने लगी , भैया ..फाड़ दो मेरी चूत ...क्या मस्त लण्ड है भैया आपका .... और चोदो भैया ...अपने वीर्य से मेरी चूत भर दो भैया .... आह भैया ...बस भैया..., मैं झरी भैया ....! भैया का फौवारा छूट गया और मैं रस से सरोबार हो गई ! हम दोनों पसीने से लथपथ थे और चूत में भैया के लण्ड के पानी का सैलाब था ! मैंने जल्दी जल्दी अपनी नाईट ड्रेस से चूत और लण्ड को पोछा और भैया को गुड नाईट किस करके कमरे में लौट गई !
सुबह जल्दी उठकर चाय लेकर आई , भैया और दीपक ड्राइंग रूम में ही बैठे थे ! राहुल की चाय लेकर जब मैं उसके कमरे में जाने लगी तो भैया ने कहा , राहुल मेरे कमरे में सो रहा है ! रात लाइट चली गई थी , सो वो वहीँ सो गया और मैं छत पर खुले आसमान के नीचे सो गया था ! मेरे सर पे तो जैसे बिज़ली टूट पड़ी , तो क्या .. कल मै राहुल भैया से चुद गई.....मेरी हिम्मत चाय लेकर उनके कमरे में जाने की नहीं हुई !



 मैं बहुत ज्यादा परेशान थी रात की बात को लेकर ! जिस्म की भूख ने मुझे भैया और जेठ जी के फर्क को भी पहचानने का मौका नहीं दिया ! दोनों की चुदाई का तरीका और अहसास अलग था ,लेकिन अपनी प्यास बुझाने के चक्कर में मैं फर्क नहीं कर पायी !राहुल को हमेशा मैंने भाई की नज़र से ही देखा था , ज़िन्दगी में ये दिन भी देखने पड़ेंगे , कभी सोचा नहीं था ! मैं चुदाई के समय की बातें याद करके शर्म से मरी जा रही थी ,क्योंकि मैंने भैया को कुछ बोलने या बचने का मौका ही नहीं दिया था ! मुझे याद आ रहा था की कैसे जब मैंने पहली बार उनके होंठों को चूमा था तो उन्होंने हटने की कोशिश की थी , पर मैंने उन्हें अपनी बात बताने या बचने का मौका ही नहीं दिया था !
मेरे होश उड़े हुए थे , जेठ जी समझ रहे थे की मुझे उनके गावँ जाने का दुःख है , इसलिए वो भी थोड़े उदास थे ! जब राहुल बाथरूम में थे ,तब मौका देखकर मैंने जेठ जी से लिपटकर उनको विदाई किस दी ! जेठ जी ने वादा किया की वो जल्द वापस आएंगे,और मुझे ढेर सारा प्यार करेंगे !मेरे लिए ये असंभव था की मैं दीपक या जेठ जी को रात की घटना के बारे बताती ! नास्ते के टेबल पर भी मैं राहुल भैया से नज़रें चुराती रही , लेकिन राहुल भैया कल की तरह ही सबसे हँस बोल रहे थे जैसे कुछ हुआ ही न हो ! एक दो बार उन्होंने मुझसे बिलकुल नार्मल तरीके से बात भी की , मैंने सर हिलाकर जवाब दे दिया था !
जेठ जी और दीपक दोनों स्टेशन के लिए निकल लिए , वहीँ से दीपक को ऑफिस के लिए निकलना था ! दोनों के जाते ही राहुल भैया ने मुझे चाय लाने को कहा और ये भी कहा की अपने लिए भी बना लेना , साथ बैठकर बातें करेंगे ! चाय लेकर मैं सर झुका कर ड्राइंग रूम में आ गई , राहुल भैया सोफे पर बैठ कर टीवी देख रहे थे ! मैंने चाय टेबल पर रख दी , राहुल भैया ने मुझे अपने पास सोफे पर बैठने का इशारा किया ! राहुल भैया के चेहरे या बातों से ये पता ही नहीं चल रहा था की कल कुछ हुआ भी है , पर मेरी सूरत देखकर कोई भी बता सकता था कि किसी ने जबरदस्ती मेरी चूत मारी है ! मैं थर थर काँप रही थी, चाय कि प्याली भी हिल रही थी ! दो मिनट तक हम चुप चाप बैठे रहे ,फिर राहुल ने स्थिति को थोड़ा हल्का करते हुए बातचीत शुरू की ....
राहुल : और सोनिया , पूरे दिन क्या करती हो , दीपक के जाने के बाद !
मैं : कुछ नहीं , बस घर के काम रहते है , उसी में लगी रहती हूँ !
राहुल : सच पूछो सोनिया तो मैं तुमको खुश देखकर बहुत खुश हूँ ! कितने अच्छे लोग हैं तुम्हारी ज़िन्दगी में ! सबको इतनी ख़ुशी नसीब नहीं होती है !
मैं : जी ... सो तो है .....( मेरी फट रही थी,की राहुल क्या कहना चाह रहे है)
राहुल : मैंने कभी सोचा भी नहीं था की मेरी छोटी सी गुड़िआ जैसी बहन इतनी बड़ी हो जाएगी !
मैं : मतलब ?
राहुल : मतलब की घर का सारा काम कितनी अच्छी तरह कर लेती हो !
मैं : हाँ ...धीरे धीरे सब सीख लिया है , बस हो जाता है !
राहुल : सोनिया , एक बात पूछूं , बुरा न मानो तो ...!
मैं : पूछिये न , आपसे क्यों बुरा मानूंगी ( अब मेरी जान अटक गई थी, कि अब कल की बात होगी )
राहुल : जहाँ तक मुझे लगता है , तुम्हारे ससुराल में वारिस कि सख्त जरुरत है , अभी तक तुमने कोई खुशखबरी क्यों नहीं दी !
(मैं समझ गई थी कि राहुल अब धीरे धीरे उसी बात पर आ रहे हैं, मुझमें भी अब हिम्मत आ रही थी , राहुल ने बातों में उलझाकर मुझे काफी हद तक नार्मल कर दिया था ! मैंने सोच लिया था कि राहुल से कुछ भी नहीं छुपाऊँगी और ये भी बता दूंगी कि हमारे बीच जो भी हुआ , सब धोखे में हो गया ! )
मैं : देखिये भैया , मैंने आपसे ऐसी बातें कभी नहीं की, पर अभी बताये बिना नहीं रह सकती !
राहुल : अरे बताओ न , भाई हूँ तुम्हारा , हमें एक दूसरे की मदद ज़िन्दगी भर करनी है !
मैं : दरअसल दीपक का इलाज़ चल रहा है ,उनमें पापा बनने की क्षमता नहीं है ! गावँ में मेरी सास मुझे दोषी मान रही है , और दीपक की दूसरी शादी करना चाहती है ! मैं और दीपक एक दूसरे से अलग कभी नहीं हो सकते , इसलिए दीपक ने जेठ जी को मजबूर किया की वो उसकी जगह लें ! ये सब पिछले 15 दिनों में घटी है , दीपक अभी 10 दिनों बाद अमेरिका से लौटे हैं , यहाँ सिर्फ मैं और जेठ जी थे !(कहते कहते मैं फूट फूट कर रोने लगी )
राहुल : अरे रोते नहीं हैं , मेरी प्यारी बहन ! जितनी अच्छी तुम हो , तुम्हारे पति और जेठ उससे भी अच्छे है !मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि इतने समझदार लोगों के साथ तुम हो !( राहुल ने मुझे अपने सीने से लगा लिया !मैं अब भी सुबक रही थी !)
मैं : (रोते रोते राहुल कि आँखों में देखा) कल जो भी हुआ भैया , इसी धोखे में हो गया ! मैं मरना चाहती हूँ भैया , मुझसे इतना बड़ा पाप हो गया !
राहुल : पागल हो गई है तू , कोई पाप नहीं हुआ !अगर मरना ही है तो पहले मुझे मार दे , मैं भी तो शामिल था इसमें ! (भैया मुझे सहलाते रहे , चुप कराते रहे , पर मैं चुप नहीं हो पा रही थी )
मैं : नहीं भैया , आप नहीं सिर्फ मेरा दोष है !मैं कभी अपने आप को माफ़ नहीं कर सकती ! मैं कैसे इस पाप का प्रायश्चित करुँगी !( मैं लगातार रोये जा रही थी , भैया भी भावुक हो रहे थे )
राहुल : सच पूछो बहन , तो मुझे कल कि बात का जरा भी अफ़सोस नहीं है ! कल जो कुछ भी हुआ वैसा मेरी ज़िन्दगी में पहली बार हुआ ! आज मैं इतना संतुष्ट महसूस कर रहा हूँ कि बता नहीं सकता !
मैं : तो क्या भाभी के साथ आप खुश नहीं हैं !
राहुल : (भैया के आँखों में आंसू थे ) नहीं बहन ! वो हमेशा लड़ती झगड़ती रहती है , मुश्किल से हम अभी तक चार पांच बार ही एक साथ सोये हैं , वो भी बस मामूली सा ही हुआ है हमारे बीच ! अनजाने में तुमने मुझे ज़िन्दगी का वो सुख दे दिया जिसका मैं सिर्फ सपना ही देख सकता हूँ !
मैं : भैया , मुझे ख़ुशी है कि आप को कुछ तो मिला , लेकिन भैया है तो ये पाप ही !
राहुल : नहीं बहन , ऐसा नहीं है ! भाई बहन का रिश्ता बहुत पवित्र होता है और जवाबदेही भरा भी ! एक दूसरे के सुख दुःख में साथ देना फ़र्ज़ है दोनों का ! तुम जिस स्थिति से गुजर रही हो , अगर तुम्हारे जेठ जी कि जगह मुझे कहा गया होता तो मैं ख़ुशी से तैयार होता ! आखिर तुम्हारे जेठ जी भी तो भाई ही हैं तुम्हारे , पर तुम उनको कितना चाहती हो , ये तुम्हारी बातों से मुझे कल रात पता चली !( मैं अब शर्म से झुक गई थी , मैंने कितना कुछ बोल दिया था जोश में )
मैं : लेकिन भैया .............!
राहुल : लेकिन वेकिन छोड़ यार , किस्मत ने मिलाया है हमें इस रूप में तो मज़े लेते हैं ! वैसे तो कभी भी और किसी को भी मैंने ये बात न बताई , न ही बताता ; पर तुमको आज बता देता हूँ !
मैं : कौन सी बात भैया ? ( मैंने बहुत ध्यान से भैया को देखते हुए कहा )
राहुल : देखो सोनिया , तू बचपन से ही मुझे बहुत अच्छी लगती है ! मैं बहुत शर्मीला हूँ तू तो जानती है ! मैं छुप कर तुम्हें कपडे बदलते और नहाते देखता था ! तुम तो इतना ख्याल रखती थी अपना कि बंद बाथरूम में नहाते समय भी कपडे पहन के नहाती थी ! सिर्फ एक दो बार ही मैं तुम्हारे ब्रैस्ट देख पाया था ! तुम्हारे बाएं उभार के ऊपर जो तिल है , वो सोच सोच के मैंने जाने कितनी बार अपने आप को संतुष्ट किया है !
मैं : क्या .....( मेरे लिए ये दूसरा बड़ा झटका था ! भैया बचपन से ही मुझे देखकर उत्तेजित होते थे और मेरी चूची पर के तिल को याद कर मुठ मारते हैं, मेरी तो जुबान ही बंद हो गई ,भैया कि बातें सुनकर!)
भैया ने अब मेरा चेहरा अपने हाथों में ले लिया था , पहले गौर से देखा , किस किया और बोले , मुझे स्वीकार कर लो बहन , मैं अब बर्दाश्त नहीं कर सकता , कम से कम कुछ दिन का सुख दे दो , मैं तुमसे भीख मांगता हूँ ! जो मदद तुम्हारे जेठ जी कर रहें हैं,वो मुझसे भी ले लो , किसी न किसी का तो ठहर ही जायेगा तुमको ! मेरे पास जवाब नहीं था इन बातों का , मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और सब कुछ भाग्य भरोसे छोड़ दिया ! भैया ने मुझे चूमना शुरू कर दिया था , उनके हाथ मैं अपने ब्लाउज के अंदर ब्रा के हुक के ऊपर फिसलता महसूस कर रही थी !भैया का एक हाथ मेरी चूचियों से खेल रहा था , मानो किसी के बचपन कि मुराद जवानी में पूरी हुई हो ! ब्लाउज अलग करते हुए भैया की ऑंखें मेरी चूची के तिल को ढूंढ रही थी ! ब्रा के हटते ही भैया कि आँखें चमक उठी , पहला चुम्बन तिल का ही था ! भैया मानो पागल से हो गए थे , बेतहाशा चूमते जा रहे थे , कभी बायीं चूची , कभी दायी चूची , कभी गाल , कभी कान , कभी होंठ , रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे ! मैं उनकी जल्दबाजी समझ रही थी , इसलिए आहिस्ता आहिस्ता उनको सहला भी रही थी ! भैया के चुम्बनों के बौछार से मुझे भी उत्तेजना होने लगी थी ! जैसे ही भैया ने मेरी चूची को चूसना शुरू किया , मेरी आह निकल गई , कितना मासूम और सेक्सी स्पर्श था भैया का , जैसे नए नए बच्चे ने दूध पीना शुरू किया हो ! चूची के आसपास उठ रहे तरंगों ने मेरी चूत तक गीली कर दी और मैं ये भूल गई कि मेरा दूध पीने वाला मेरा सगा भाई है, मैंने राहुल का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और मसलने लगी ! भैया खुश हो गए और जल्दी से अपना पजामा उतार कर लंड पकड़ा दिया !मेरी साड़ी कब की अलग हो चुकी थी , पैंटी मैंने नहीं पहनी थी , भैया ने मेरी पेटीकोट कि डोरी खीचकर मुझे पूरी तरह नंगा कर दिया ! अब हम खड़े हो गए थे और खड़े खड़े ही एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे को रगड़ रहे थे ! फिर भैया ने मुझे गोद में उठा लिया और मेरे बेडरूम में आकर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया ! भैया ने कहा , बहन मैं अपने को रोक नहीं पा रहा हूँ , एक बार तुम्हारे अंदर पानी छोड़ देता हूँ , फिर दूसरी बार में तुम करना ! मैं समझ गई थी कि भैया शायद छूटने वाले हैं , अपने बहन कि गर्मी वो झेल नहीं पा रहे है और वो भी तब जब पहली बार सही से चोदने का मौका मिल रहा हो !
भैया ने मेरी चूत के मुंह पर लंड को रखा , और दबाया पर लंड फिसल गया ! तगड़ा लंड था भैया का भी , जेठ जी के बराबर ही था , लेकिन पूरा जवान होने कि वजह से दम ख़म वाला था ! जैसे तैसे भैया ने लंड को अंदर किया , मैं बहुत दर्द अनुभव कर रही थी ! भैया ने मेरे ऊपर पूरा लेटते हुए , मुझे आगोश में बांधते हुए , मुंह को पूरी तरह से मेरे मुंह के साथ बंद कर लिया , और मेरी चूत में धक्का मारने लगे ! थोड़े से धक्के के बाद लंड और चूत के रिसते हुए लसलसे पानी ने फिसलन बना दी और लंड सटा सट जाने लगा ! शायद भैया ने थोड़ा कंट्रोल कर लिया था , या जवान लंड का कमाल था, भैया ने पानी छोड़ने से पहले दस मिनट तक मेरी चूत खूब बजाई ! जो मजा जेठ जी एक घंटे की चुदाई में देते थे , भाई ने दस मिनट में मुझे हिला दिया था ! भैया ने जैसे ही पानी छोड़ा, मैं भी खूब झड़ी !हम आपस में एकदम से घुस गए जैसे कभी निकलेंगे ही नहीं ! करीब बीस मिनट तक हम यूँ ही लेटे रहे और सोते रहे, जब मेरे मोबाइल की आवाज़ ने हमें उठा दिया ! दूसरे तरफ दीपक थे , जो बता रहे थे कि आज रात वो एक हफ्ते के लिए ऑफिस के टूर पर जा रहे हैं, सामान पैक करने को कह रहे थे ! भैया की मुस्कराहट बता रही थी कि उनकी लाटरी खुल गई है , अब एक हफ्ते तक आराम से अपनी बहन कि चूत मारते रहें , कोई देखने या रोकने वाला नहीं होगा !




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