FUN-MAZA-MASTI
पापा प्लीज........15
कालिया अब सोच लिया था कि आगे से कोई ऐसी वैसी काम नहीं करूँगा... जो भी करूँगा पूरी लगन और इमानदारी से करूँगा... पुष्पा जब उस पर पूरी विश्वास कर ली है तो उसे कभी ठेस नहीं पहुँचाऊंगा... मेहनत से दो रूपए कम भी कमाया तो कभी नाराज नहीं होगी... उससे शादी कर एक जिम्मेदार पति बनूंगा,फिर पापा....
काम पर पहुँचते ही कालिया ने वहीं एक साथी से सुना कि रत्ना का एनकाउंटर हो गया... उसके पैरों तले जमीं खिसक गई... वो एक पल तो सहमा सा रह गया कि ये क्या हो गया... फिर वो एनकाउंटर की दास्तां जाना तो उस पर तो पहाड़ गिर गया...
शाला ये ससुर तो तीस मार खां निकला... नहा धो के ही पीछे पड़ गया... अब सीधा मतलब था कि उसका अगला टारगेट मैं हूँ... वो लंच टाइम में ही तबीयत खराब का बहाना बना घर चल दिया... हालांकि कालिया की तस्वीरें भी न्यूज में थी पर कालिया की खुशकिस्मत थी कि तस्वीर काफी पहले की थी तो कोई पहचान नहीं पाया था...
अब वो बन ठन के साफ सुथरा रहता था... पहले तो वो नहाता भी था तो नलका भी आश्चर्य में पड़ के रूक रूक पानी देता था कि बेटा ,सच में नहाने आए हो कि बस मुँह हाथ धोने थे....
घर पहुँचते ही पहले तो पुष्पा को एक जबरदस्त किस दिया... फिर सारी बात एक ही साँस में कह डाला... पुष्पा तो अपने पापा को अच्छी तरह जानती ही थी तो उसे ज्यादा अचरज नहीं हुई... वो तो ये सोचने लग गई कि अब कालिया को कैसे बचाया जाए...
दोनों बस गुमशुम हो सोचते सोचते शाम कर दी, फिर रात... जब रूम मालकिन इनके रूम में ये देखने आई कि आज दोनों इतने चुप चुप क्यों हैं तब जाकर इन्हें आभास हुआ कि रात हो गई...पुष्पा उन्हें बहाने बना दी कि बस घर की याद आ रही है और इनकी तबीयत खराब है...
तभी रूम मालकिन ने पुष्पा की तरफ न्यूज पेपर दिखाते हुए बोली,"नाटक मत करो,तुम दोनों इसलिए परेशान हो ना..."पुष्पा जब न्यूज पेपर पर नजर डाली तो अनायास ही उसकी आँखें डबडबा गई... पुष्पा को रोती देख वो उसे गले से लगाती बोली...
"अरे, इसमें रोने वाली क्या बात है... हर समस्या का निदान होता है तो ये कौन सी बड़ी बात है... मैं भी इस दौर से गुजरी हूँ तो जानती हूँ कि क्या बीत रही होगी तुम पर..." उसने पुष्पा की आँखों से आँसू पोंछती जा रही थी...
कुछ देर बाद जब पुष्पा नॉर्मल हुई तो सारी बात सच सच कह डाली... रूम मालकिन तो सुन के आश्चर्य में पड़ गई थी कि यार ये रिअल है कि किसी मूवी की स्टोरी... वो बिना कोई आहट किए बस सुने जा रही थी...पुष्पा की बात खत्म हुई तो गेट की तरफ से आवाज आई...
"हाँ तो सिम्पल सी बात है अब... तुम दोनों कोर्ट में शादी कर लो... फिर आपके पापा क्या, दुनिया का कोई भी तुम्हें कुछ नहीं बिगाड़ सकता... और अगर आपके पापा अपनी बेटी से प्यार करते हैं तो वे थोड़े गुस्से के बाद जरूर मान जाएंगे..."रूम मालिक अंदर आते हुए बोले जो अब तक गेट पर ही खड़े सारी बात सुन रहे थे...
उनके जवाब में उनकी मोहतर्मा भी हाँ में हाँ मिला दी...
"वैसे मैडम दी, आपकी लव स्टोरी बड़ी जबरदस्त है... मन तो कर रहा कि पकड़ के..के..."वो मुस्कुराते हुए शरारत से बोलते हुए अपनी बात बीत में रोक दिए... पर पुष्पा आगे की बात समझ शर्मा के मुस्कुरा दी... उनकी बात से उनकी पत्नी गुस्से से उनकी तरफ देखी वो कोई फिल्मी धुन गाते पतली गली सरक लिए...
फिर वो हंसती हुई बोली,"ये काफी मजाकिया हैं तो बुरा मत मानना...चलो खाना खा लो और आराम करना... मुझे पता था ये सब तो मैं तुम दोनों का भी खाना बनाई हूँ...चलो.."
पुष्पा और कालिया कुछ बोल नहीं पा रहे थे... इनके इस अपनेपन ने दोनों को अंदर तक हिला कर रख दी थी... दोनों बिना कोई सवाल किए गए और खाना खा सोने आ गए... पुष्पा खाना खाते ही सोच ली थी कि अब यही एक उपाय है तो ज्यागा सोचना नबीं है...
कोर्ट मैरिज कर लेंगे... फिर पापा को किसी तरह मनाने की कोशिश करेंगे... थोड़े नखरे जरूर करेंगे पर पुलिसिये आदत के अनुसार कुछ शर्ते रख देंगे... वैसे पापा उतनी मुश्किल भी शर्ते नहीं रखते कि ना मान सकूँ... पर कालिया की समझ में अब भी कुछ नहीं आ रहा था... उसके दिमाग में अभी भी रत्ना की विभिन्न शक्ल लहूलुहान नजर आ रही थी...
पुष्पा कालिया के चेहरे पर डर साफ देख रही थी... खाना खाते वक्त तो कुछ नहीं बोली... बस उसे देख रही थी... रूम मालकिन अब अपनी कहानी शुरू कर दी थी... खाना खत्म होते ही कालिया अपने रूम में चला गया और लेट गया... पीछे पुष्पा भी गुड नाइट बोल आई और कालिया को सोते देख मुस्कुरा पड़ी...
पुष्पा कालिया के बगल में लेट गई और कालिया के शरीर पर चढ़ती हुई कालिया के होंठो को चूसने लग गई... कुछ देर तक चूसने के बाद भी कालिया कोई हरकत नहीं किया तो पुष्पा किस तोड़ती हुई बोली,"इतना क्यों सोचते हो.."
कालिया पुष्पा की बात सुन उसकी आँखों में लाचार की तरह देखने लगा...पुष्पा हालात को समझ तुरंत ही बोल पड़ी,"हे, ज्यादा सोचना नहीं है... मैं वादा करती हूँ जब तक मेरी साँस रही, तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगी... मैं पापा को मनाने की कोशिश करूँगी...ओके.."
कालिया की आँखें नम हो गई थी... ये नमी डर से थी या पुष्पा के प्यार की, मालूम नहीं... वो आँखें मलते हुए पुष्पा को बाँहों में भींच लिया...पुष्पा भी लता की तरह कालिया से लिपट गई...
कुछ पल लिपटी रहने के बाद पुष्पा कालिया के कान में फुसफुसाहट से बोली,"हे...मन कर रहा है.." कालिया के कानों में पुष्पा की बात पड़ते ही वो अंदर ही अंदर मुस्कुरा दिया... वो फिर भी पता नहीं क्या सोचा वो बात को बहलाते हुए बोला,"क्या मन कर रहा है..."
पुष्पा उसकी बात सुनते ही तुरंत समझ गई कि ये अब शायद नॉर्मल हो जाएंगे तो वो बात को आगे बढ़ाती हुई बोली,"कुछ कुछ करने का..."
कालिया,"कुछ-कुछ...ये क्या होता है.."
पुष्पा,"कुछ कुछ... कुछ कुछ होता है..."
कालिया उसकी बात सुन मुस्कुराते हुए कुछ पल चुप रहा और फिर बोला,"मुझे नहीं मालूम कुछ-कुछ..."
पुष्पा भी मुस्कुराती हुई बोली,"बता दूँ.." कालिया भला क्यों मना करता...वो हामी भर दिया... इशारा मिलते ही पुष्पा अपने हाथ नीचे ले जाकर कालिया के अकड़े लंड को पकड़ती हुई बोली,"ये चाहिए..."
कालिया तो कपड़ो के ऊपर से छूने पर भी हवा में उड़ने लगा... वो अंदर ही अंदर तड़प सा गया... कुछ बोलने के लायक नहीं बचा... वो अगले ही पल पुष्पा को कस के पकड़ नीचे कर दिया और खुद पुष्पा के ऊपर आ उसे बेतहाशा चूमने लगा...
चंद मिनटों में उसने पुष्पा के तन पर हजारों किस की बौछार कर दी... पुष्पा मूड में तो थी ही, वो भी जल्द ही कामुक हो कालिया को भी प्यार देने लगी...
किस की बरसात जब थमी तो कालिया पटापट पुष्पा के कपड़े खोलने लगा और पलक झपकते ही वो नंगी शरमाई बेड पर आँख बंद की मुस्कुराती हुई लेटु पड़ी थी... कालिया भी नंगा हो गया...
फिर वापस लेट पुष्पा के होंठो को चूमते हुए उसकी चुचियाँ मिसने लगा...पुष्पा कठोर हाथ से कराह पड़ी... उसके मुख से कामुक स्वर कमरे में गुंज रही थी... कालिया उसके होंठों को छोड़ अब नीचे बढ़ने लगा... और उसने मंजिल तक पहुँचने में देर नहीं लगाई...
मुंह में निप्पल भर अंदर की तरफ चूसते ही पुष्पा होंठो को दांत तले दबा ईस्स्स्स्स्स कर गई...कालिया के कान में अब पुष्पा की आवाज ज्यों ज्यों पड़ती, वो और तेज तेज चुसाई करने लगता...साथ ही दूसरी चुची को मसल भी रहा था...
पुष्पा ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पाई और उसने कालिया के बालों को पकड़ हटाने की पुरजोर कोशिश करने लगी... पर कालिया तो किसी चुंबक की भांति चिपका था... तब पुष्पा कालिया के हाथ को हटाने लगी तो कालिया हाथ हटा लिया....
और हाथ हटाना पुष्पा के लिए महंगी साबित हो गई... कालिया चुची से हाथ हटा नीचे ले जा पुष्पा की पेंटी में घुसा बूर को जकड़ लिया... पुष्पा अपनी बूर पर स्पर्श पाते ही "नहींईईईईऊ...." कर चिल्ला पड़ी...
कालिया के हाथ बूर के पानी से भींग गई थी... उसने अपनी अंगुली को बूर के ऊपर से चलाने लगा... अब तो पुष्पा को मानो प्राण निकली जा रही थी... वो छटपट करती खुद को छुड़ाने का भरकस प्रयास कर रही थी... पर कालिया इतनी मजबूती से जकड़ रखा था कि वो विवश हो गई....
कालिया पुष्पा को अभी और तड़पाना चाहता था पर उसकी अंगुली पता नहीं कैसे अचानक से बूर में गप्प से घुस गई... अंगुली घुसते हि पुष्पा चिहुंक पड़ी... वो अपनी साँस ऐसी रोक ली मानो लंड घुस गया हो...
कालिया जल्द ही अंगुली को हरकत में लाया जिससे पुष्पा कुछ ही अंगुली पेलाई से मस्ती में आ गई और अपनी कमर ऊचकाने लगी...कालिया भी दोनों चुची को बारी बारी से काटते, चूसते हुए बूर में सटासट अंगुली पेले जा रहा था...
कुछेक देर में पुष्पा कामोत्तेजना से भर कालिया की पीठ पर पकड़ बना उसे नोंचने लगी थी... अब कालिया को लगा कि मौका सही है... अब असली चुदाई का पाठ पढ़ा दिया जाए... उसने चुची को छोड़ ऊपर खिसक उसके होंठों को जकड़ा जिसे पुष्पा किसी भूखी शेरनी की भांति लपक के पकड़ ली और चूसने लगी....
इसी क्षण कालिया अपने लंड को बूर के पाप अंगुली से सटा लिया और अंगुली एक तरफ कर लंड टिका दिया... पुष्पा तो इतनी गर्म हो चली थी कि उसे मालूम ही नहीं चली कि कालिया क्या करने वाला है...
कालिया धीरे से अंगुली खींच कर ऊपर तक ले आया और लंट के सुपाड़े को हल्के से दबा दिया... सुपाड़ा फंसा तो नहीं था पर सही पोजीशन जरूर ले लिया था... बूर से अंगुली निकलते ही पुष्पा तड़प कर अपनी कमर ऊचकाने लगी कि क्यों निकाले.?
कालिया पुष्पा को कमर ऊचकाते देख उसे कस के पकड़ा और एक करारा शॉट देता हुआ पूरा का पूरा लंड जड़ तक उतार दिया... पुष्पा जोरदार चीख लगाई पर किस के कारण वो घुट के रह गई... पुष्पा की आँखें खुली की खुली रह गई...
वो अचानक से एकदम शांत पड़ गई... वो इससे पहले आधे लंड से ही चुदी थी... आज पूरा लंड उसे अपने बच्चेदानी तक महसूस हो रही थी... कालिया मौके की नजाकत को देख अकेले ही किस करते हुए उसकी चुती को मसलने लगा और लंड को उसी अवस्था में रखे रहा....
नीचे बूर की झिल्ली टूट चुकी थी जिससे खून रिस कर बाहर निकल रही थी... दर्द से पुष्पा की आँखें भी आंसू बहाने शुरू कर दी थी...कालिया पुष्पा के दर्द को मिटाने का भरपूर प्रयास करने लगा... आखिरकार कालिया की मेहनत रंग लाई...
पुष्पा थोड़ी सहनीय दर्द महसूस की तो किस तोड़ कालीया की पीठ पर तीन चार मुक्के ठोकती हुई बोली,"शाले आराम से नहीं कर सकता था...मेरी तो जान ही निकल गई दर्द से... ऊफ्फ्फफ्फ्फ...." कालिया पुष्पा की बात सुन हंस पड़ा...
कालिया,"शाली आराम से करता तो आज भी आधे लंड से ही चोदना पड़ता..." कालिया की बात सुन पुष्पा बिदकती हुई बोली,"छि: कितना गंदा बोलते हो...शर्म नहीं आती क्या..ईस्स्स्स..." पुष्पा को अभी भी दर्द थी...
कालिया,"लो इसमें गंदा क्या है... चुदाई कर रहा हूँ तो थोड़े ही कहूँगा गाना गा रहा हूँ..." पुष्पा और कालिया गुफ्तगू कर रहे थे इससे पुष्पा का दर्द काफी हद तक चला गया और वो कमर ऊचकाने लगी...
कमर ऊचकाते देख कालिया मुस्काते हुए बोला,"साली अभी तो हमें मार रही थी अब क्यों बूर उठा रही है.." कालिया की बात सुनते ही पुष्पा आंख दिखाती बोली,"कुत्ते मुँह बंद करेगा..."
"ओये होए, गाली बरती हो तो बड़ी प्यारी लगती हो... माशल्लाहऽ" कालिया के बोलते ही पुष्पा शर्मा के मुंह घुमा मुस्कुराने लगी... तभी कालिया अपना लंड बाहर खींच वापस सट से घुसा दिया...पुष्पा चिहुंक के ऊपर हो आहहहहह कर गई...
कालिया देखा कि अब ये बरदाश्त कर रही है तो लग गया काम पर और धकाधक करते हुए अपनी गाड़ी बढ़ा दी... पुष्पा हर धक्के पर कराह उठती... दर्द होने के बावजूद पुष्पा हवा में उड़ने लग गई... कालिया उसे बीच बीच में चूमते हुए चोदे जा रहा था...
कालिया चरम सीमा की ओर बढ़ने लगा था... कसी बूर और कमसिन कली को उसका लंड ज्यादा संभाल नहीं सका... ठीक उसी क्षण पुष्पा किलकारी लगाती हुई कालिया को जकड़ सुबकती हुई झड़ने लगी... बूर की रस कालिया का लंड बर्दाश्त नहीं कर सका और वो भी फव्वारे छोड़ने लगा गया....
दोनों पसीने से लथपथ थक के चूर हो गए थे... झड़ने के पश्चात दोनों काफी देर तक उसी अवस्था में पड़े रहे... फिर जब कालिया के शरीर में जान आई तो वो उठा तो पुष्पा की बूर, खुद का लंड और बेडशीट खून से भरी पड़ी थी... तत्क्षण पुष्पा भी उठी और बेडशीट चेंज कर दुबारा बांहों में बांहें डाल कर सो गए....
अगले दिन चारों कोर्ट जा पहुँचे... वहाँ सबने कोर्ट मैरिज की सारी फॉर्मिलटी पूरी कर शादी कर लिए... शादी के बाद बाहर निकलते ही पुलिस आ धमकी ... अपहरण केस में नाम होने से पुलिस थाने ले गई...
पुलिस तत्क्षण एस.पी. से सम्पर्क कर सारी बात बताई... एस.पी भी वहाँ से उसी पल रवाना हो गया... साथ ही ये हियादत दे दी कि पुष्पा का खास ख्याल रखे और जब तक मैं ना आऊँ किसी मीडिया के सामने बात नहीं लीक होनी चाहिए...
जब एस.पी आए तो पहले तो कालिया के गाल पर तड़ातड़ दो चार थप्पड़ जड़ दिए... पर बीच में ही पुष्पा अपने पापा के पैर पकड़ कर रोने लग गई... पुष्पा को रोते देख एस.पी. रूक गया, पर गुस्सा शांत नहीं हुआ...
पुष्पा लगातार पापा से रिक्वेस्ट करती रही... प्लीज पापा... मैं इनके साथ रहना चाहती हूँ... आप केस को बंद कर दीजिए... वगैरह वगैरह... एस.पी. पर तो रहम नहीं आती पर एक बाप क्या कर सकता था... वो हार गया...
फिर पुष्पा के अनुमान के मुताबिक एस.पी. फरमान जारी कर दिया कि आज से कोई भी गलत काम ना करने कि सोचेगा... कालिया तो ये बात कब का सोच लिया था तो वो तुरंत कसम खा लिया कि नहीं करूँगा....
फिर एस.पी. के आने की खबर सुनते ही सब मीडिया वाले इकट्ठे हो गए थे... सब के लिए चर्चा का विषय था कि अब एस.पी. साहब क्या करेंगे... अपहरणकर्ता को क्या बिना कोई सजा दिए छोड़ देंगे... अगर छोड़ दिए तो क्या कानून के साथ ये मजाक नहीं होगा?
अंदर एस.पी. अपना दिमाग लगा रहा था कि दुनिया को क्या बताऊँ कि कानून भी सही जगह रहे और मेरे दामाद भी सही सलामत बच जाए... अंततः उसने कुछ सोचा और इन दोनों को कुछ ना बोलने की सलाह दे मीडिया के सामने रूबरू हुआ...
एस.पी. मीडिया को जब ये बात बताई तो सब दांत तले उंगली दबा ली... एस.पी. पूरी कहानी को बयां कर दिया...
एस.पी.," मैं आज काफी खुश हूँ कि मैं अपने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया... ये काली चरण कोई अपहरणकर्ता नहीं हैं... बल्कि ये मेरे मिशन के ही मुखबिर हैं... हाँ इसने जब मेरी बेटी का सुटकेस चोरी किया था पर ये उसी दिन पकड़ा गया था और अपने गुनाह पर काफी शर्मिंदगी महसूस कर रहा था..."
"मुझे इसमें मजबूरी उस दिन साफ झलक रही थी... तो मैंने इससे और साथी के बारे में पूछा तो इसने सब का नाम बोला जिसमें रत्ना का नाम भी था जिसे ये जानता है... आप सब तो जानते ही हैं कि रत्ना पिछले कई सालों से परेशान किए हुए है... तो मैंने ही इसे प्लान में साथ देने कहा..."
"रही बात मेरी बेटी ही क्यों? तो रत्ना इतना चालाक था कि अगर इस मिशन को सक्सेस करना था तो इस घटना को कड़ी से कड़ी मिलाकर चलना पड़ता ताकि रत्ना जैसे आदमी को शक ना हो... भले ही ये उसका दोस्त क्यों ना हो... तो मैंने पुष्पा और कालिया को ये बात बताई जिस पर दोनों राजी भी हो गए..."
"लाखों लोगों के लिए मेरी बेटी क्या, आप लोगों में से किसी की भी बेटी साथ देने तैयार हो जाएगी... अपहरण के बाद मेरा संपर्क बेटी से नहीं हो पाया था क्योंकि वहाँ ये फोन नहीं यूज कर पाती थी और जब रत्ना के अड्डे से बाहर निकली तो तब तक इन दोनों को अच्छी तरह मालूम पड़ गया था कि रत्ना के आदमी कहाँ तक फैले हुए है..."
"तो मजबूरन इन्हें इतनी दूर आना पड़ा...यहाँ आने के बाद इसने मुझसे संपर्क करने की कोशिश नहीं की...इसकी वजह थी ये इतने दिनों में प्यार करने लगे थे और अलग होना नहीं चाहते थे... मुझे मालूम पड़ने पर इन्हें अलग होने का डर हो गया तो ये पहले शादी ही कर लिए..."
"अरे मैं ऐसा इंसान नहीं हूँ कि अपनी बेटी की खुशी का गला घोंट दूँ... हाँ मेरी बेटी कोयले को जरूर चुनी है पर कोयले में ही हीरे मिलते हैं... जब जागो तभी सवेरा वाली कहावत पर गौर कीजिएगा तो मैं भी यही सोच लिया कि काली चरण की नई जिंदगी में पूरी तरह मदद करूँगा..."
"इसने अब कोई भी गैर कानूनी काम करने की कसम खाई है... मैं अपनी बेटी को समाजिक रीति रिवाज से शादी कर विदा करूँगा... ये मेरा वादा है...." एस.पी. की बात खत्म होते ही वहाँ ताली की गड़गड़ाहट गूँज उठी...
पुष्पा, कालिया दोनों वापस अपने शहर आए और बड़ी धूमधाम से शादी हुई दोनों की... उसके बाद एस.पी. कालिया को नई जिंदगी के लिए पुख्ता इंतजाम भी कर दिया जिसे कालिया ने स्वीकार कर दिन रात पूरी इमानदारी से काम करने लगा...
नतीजन कालिया आज इस शहर का सबसे अमीर और प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गया है... अब उसे कालिया कोई नहीं कहता, सब कालीचरण के नाम से जानते हैं... एस.पी. भी फक्र से अपने दामाद को देख सीना चौड़ा कर लेता...
आज एस.पी रिटायर्ड हो चुका है... उसके जिंदगी में ना जाने कितने अवार्ड मिले पर रत्ना डाकू के मारे जाने में जो अवार्ड मिले थे उसे वो उन सब अवार्डों से सबसे ऊपर रख सजा कर रखा था... वो इस अवार्ड को याद कर हँसे बिना नहीं रह पाता था....
कहते हैं भगवान भी हिम्मती लोग का ही साथ देते हैं... तो ये अवार्ड भी उसी का नतीजा था जो एस.पी. के हिम्मत और पूरी जीवन ईमानदारी से काम करने के साथ साथ अच्छे पापा होने की मिशाल था...
(फ्लैशबैक समाप्त...)
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पापा प्लीज........15
कालिया अब सोच लिया था कि आगे से कोई ऐसी वैसी काम नहीं करूँगा... जो भी करूँगा पूरी लगन और इमानदारी से करूँगा... पुष्पा जब उस पर पूरी विश्वास कर ली है तो उसे कभी ठेस नहीं पहुँचाऊंगा... मेहनत से दो रूपए कम भी कमाया तो कभी नाराज नहीं होगी... उससे शादी कर एक जिम्मेदार पति बनूंगा,फिर पापा....
काम पर पहुँचते ही कालिया ने वहीं एक साथी से सुना कि रत्ना का एनकाउंटर हो गया... उसके पैरों तले जमीं खिसक गई... वो एक पल तो सहमा सा रह गया कि ये क्या हो गया... फिर वो एनकाउंटर की दास्तां जाना तो उस पर तो पहाड़ गिर गया...
शाला ये ससुर तो तीस मार खां निकला... नहा धो के ही पीछे पड़ गया... अब सीधा मतलब था कि उसका अगला टारगेट मैं हूँ... वो लंच टाइम में ही तबीयत खराब का बहाना बना घर चल दिया... हालांकि कालिया की तस्वीरें भी न्यूज में थी पर कालिया की खुशकिस्मत थी कि तस्वीर काफी पहले की थी तो कोई पहचान नहीं पाया था...
अब वो बन ठन के साफ सुथरा रहता था... पहले तो वो नहाता भी था तो नलका भी आश्चर्य में पड़ के रूक रूक पानी देता था कि बेटा ,सच में नहाने आए हो कि बस मुँह हाथ धोने थे....
घर पहुँचते ही पहले तो पुष्पा को एक जबरदस्त किस दिया... फिर सारी बात एक ही साँस में कह डाला... पुष्पा तो अपने पापा को अच्छी तरह जानती ही थी तो उसे ज्यादा अचरज नहीं हुई... वो तो ये सोचने लग गई कि अब कालिया को कैसे बचाया जाए...
दोनों बस गुमशुम हो सोचते सोचते शाम कर दी, फिर रात... जब रूम मालकिन इनके रूम में ये देखने आई कि आज दोनों इतने चुप चुप क्यों हैं तब जाकर इन्हें आभास हुआ कि रात हो गई...पुष्पा उन्हें बहाने बना दी कि बस घर की याद आ रही है और इनकी तबीयत खराब है...
तभी रूम मालकिन ने पुष्पा की तरफ न्यूज पेपर दिखाते हुए बोली,"नाटक मत करो,तुम दोनों इसलिए परेशान हो ना..."पुष्पा जब न्यूज पेपर पर नजर डाली तो अनायास ही उसकी आँखें डबडबा गई... पुष्पा को रोती देख वो उसे गले से लगाती बोली...
"अरे, इसमें रोने वाली क्या बात है... हर समस्या का निदान होता है तो ये कौन सी बड़ी बात है... मैं भी इस दौर से गुजरी हूँ तो जानती हूँ कि क्या बीत रही होगी तुम पर..." उसने पुष्पा की आँखों से आँसू पोंछती जा रही थी...
कुछ देर बाद जब पुष्पा नॉर्मल हुई तो सारी बात सच सच कह डाली... रूम मालकिन तो सुन के आश्चर्य में पड़ गई थी कि यार ये रिअल है कि किसी मूवी की स्टोरी... वो बिना कोई आहट किए बस सुने जा रही थी...पुष्पा की बात खत्म हुई तो गेट की तरफ से आवाज आई...
"हाँ तो सिम्पल सी बात है अब... तुम दोनों कोर्ट में शादी कर लो... फिर आपके पापा क्या, दुनिया का कोई भी तुम्हें कुछ नहीं बिगाड़ सकता... और अगर आपके पापा अपनी बेटी से प्यार करते हैं तो वे थोड़े गुस्से के बाद जरूर मान जाएंगे..."रूम मालिक अंदर आते हुए बोले जो अब तक गेट पर ही खड़े सारी बात सुन रहे थे...
उनके जवाब में उनकी मोहतर्मा भी हाँ में हाँ मिला दी...
"वैसे मैडम दी, आपकी लव स्टोरी बड़ी जबरदस्त है... मन तो कर रहा कि पकड़ के..के..."वो मुस्कुराते हुए शरारत से बोलते हुए अपनी बात बीत में रोक दिए... पर पुष्पा आगे की बात समझ शर्मा के मुस्कुरा दी... उनकी बात से उनकी पत्नी गुस्से से उनकी तरफ देखी वो कोई फिल्मी धुन गाते पतली गली सरक लिए...
फिर वो हंसती हुई बोली,"ये काफी मजाकिया हैं तो बुरा मत मानना...चलो खाना खा लो और आराम करना... मुझे पता था ये सब तो मैं तुम दोनों का भी खाना बनाई हूँ...चलो.."
पुष्पा और कालिया कुछ बोल नहीं पा रहे थे... इनके इस अपनेपन ने दोनों को अंदर तक हिला कर रख दी थी... दोनों बिना कोई सवाल किए गए और खाना खा सोने आ गए... पुष्पा खाना खाते ही सोच ली थी कि अब यही एक उपाय है तो ज्यागा सोचना नबीं है...
कोर्ट मैरिज कर लेंगे... फिर पापा को किसी तरह मनाने की कोशिश करेंगे... थोड़े नखरे जरूर करेंगे पर पुलिसिये आदत के अनुसार कुछ शर्ते रख देंगे... वैसे पापा उतनी मुश्किल भी शर्ते नहीं रखते कि ना मान सकूँ... पर कालिया की समझ में अब भी कुछ नहीं आ रहा था... उसके दिमाग में अभी भी रत्ना की विभिन्न शक्ल लहूलुहान नजर आ रही थी...
पुष्पा कालिया के चेहरे पर डर साफ देख रही थी... खाना खाते वक्त तो कुछ नहीं बोली... बस उसे देख रही थी... रूम मालकिन अब अपनी कहानी शुरू कर दी थी... खाना खत्म होते ही कालिया अपने रूम में चला गया और लेट गया... पीछे पुष्पा भी गुड नाइट बोल आई और कालिया को सोते देख मुस्कुरा पड़ी...
पुष्पा कालिया के बगल में लेट गई और कालिया के शरीर पर चढ़ती हुई कालिया के होंठो को चूसने लग गई... कुछ देर तक चूसने के बाद भी कालिया कोई हरकत नहीं किया तो पुष्पा किस तोड़ती हुई बोली,"इतना क्यों सोचते हो.."
कालिया पुष्पा की बात सुन उसकी आँखों में लाचार की तरह देखने लगा...पुष्पा हालात को समझ तुरंत ही बोल पड़ी,"हे, ज्यादा सोचना नहीं है... मैं वादा करती हूँ जब तक मेरी साँस रही, तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगी... मैं पापा को मनाने की कोशिश करूँगी...ओके.."
कालिया की आँखें नम हो गई थी... ये नमी डर से थी या पुष्पा के प्यार की, मालूम नहीं... वो आँखें मलते हुए पुष्पा को बाँहों में भींच लिया...पुष्पा भी लता की तरह कालिया से लिपट गई...
कुछ पल लिपटी रहने के बाद पुष्पा कालिया के कान में फुसफुसाहट से बोली,"हे...मन कर रहा है.." कालिया के कानों में पुष्पा की बात पड़ते ही वो अंदर ही अंदर मुस्कुरा दिया... वो फिर भी पता नहीं क्या सोचा वो बात को बहलाते हुए बोला,"क्या मन कर रहा है..."
पुष्पा उसकी बात सुनते ही तुरंत समझ गई कि ये अब शायद नॉर्मल हो जाएंगे तो वो बात को आगे बढ़ाती हुई बोली,"कुछ कुछ करने का..."
कालिया,"कुछ-कुछ...ये क्या होता है.."
पुष्पा,"कुछ कुछ... कुछ कुछ होता है..."
कालिया उसकी बात सुन मुस्कुराते हुए कुछ पल चुप रहा और फिर बोला,"मुझे नहीं मालूम कुछ-कुछ..."
पुष्पा भी मुस्कुराती हुई बोली,"बता दूँ.." कालिया भला क्यों मना करता...वो हामी भर दिया... इशारा मिलते ही पुष्पा अपने हाथ नीचे ले जाकर कालिया के अकड़े लंड को पकड़ती हुई बोली,"ये चाहिए..."
कालिया तो कपड़ो के ऊपर से छूने पर भी हवा में उड़ने लगा... वो अंदर ही अंदर तड़प सा गया... कुछ बोलने के लायक नहीं बचा... वो अगले ही पल पुष्पा को कस के पकड़ नीचे कर दिया और खुद पुष्पा के ऊपर आ उसे बेतहाशा चूमने लगा...
चंद मिनटों में उसने पुष्पा के तन पर हजारों किस की बौछार कर दी... पुष्पा मूड में तो थी ही, वो भी जल्द ही कामुक हो कालिया को भी प्यार देने लगी...
किस की बरसात जब थमी तो कालिया पटापट पुष्पा के कपड़े खोलने लगा और पलक झपकते ही वो नंगी शरमाई बेड पर आँख बंद की मुस्कुराती हुई लेटु पड़ी थी... कालिया भी नंगा हो गया...
फिर वापस लेट पुष्पा के होंठो को चूमते हुए उसकी चुचियाँ मिसने लगा...पुष्पा कठोर हाथ से कराह पड़ी... उसके मुख से कामुक स्वर कमरे में गुंज रही थी... कालिया उसके होंठों को छोड़ अब नीचे बढ़ने लगा... और उसने मंजिल तक पहुँचने में देर नहीं लगाई...
मुंह में निप्पल भर अंदर की तरफ चूसते ही पुष्पा होंठो को दांत तले दबा ईस्स्स्स्स्स कर गई...कालिया के कान में अब पुष्पा की आवाज ज्यों ज्यों पड़ती, वो और तेज तेज चुसाई करने लगता...साथ ही दूसरी चुची को मसल भी रहा था...
पुष्पा ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पाई और उसने कालिया के बालों को पकड़ हटाने की पुरजोर कोशिश करने लगी... पर कालिया तो किसी चुंबक की भांति चिपका था... तब पुष्पा कालिया के हाथ को हटाने लगी तो कालिया हाथ हटा लिया....
और हाथ हटाना पुष्पा के लिए महंगी साबित हो गई... कालिया चुची से हाथ हटा नीचे ले जा पुष्पा की पेंटी में घुसा बूर को जकड़ लिया... पुष्पा अपनी बूर पर स्पर्श पाते ही "नहींईईईईऊ...." कर चिल्ला पड़ी...
कालिया के हाथ बूर के पानी से भींग गई थी... उसने अपनी अंगुली को बूर के ऊपर से चलाने लगा... अब तो पुष्पा को मानो प्राण निकली जा रही थी... वो छटपट करती खुद को छुड़ाने का भरकस प्रयास कर रही थी... पर कालिया इतनी मजबूती से जकड़ रखा था कि वो विवश हो गई....
कालिया पुष्पा को अभी और तड़पाना चाहता था पर उसकी अंगुली पता नहीं कैसे अचानक से बूर में गप्प से घुस गई... अंगुली घुसते हि पुष्पा चिहुंक पड़ी... वो अपनी साँस ऐसी रोक ली मानो लंड घुस गया हो...
कालिया जल्द ही अंगुली को हरकत में लाया जिससे पुष्पा कुछ ही अंगुली पेलाई से मस्ती में आ गई और अपनी कमर ऊचकाने लगी...कालिया भी दोनों चुची को बारी बारी से काटते, चूसते हुए बूर में सटासट अंगुली पेले जा रहा था...
कुछेक देर में पुष्पा कामोत्तेजना से भर कालिया की पीठ पर पकड़ बना उसे नोंचने लगी थी... अब कालिया को लगा कि मौका सही है... अब असली चुदाई का पाठ पढ़ा दिया जाए... उसने चुची को छोड़ ऊपर खिसक उसके होंठों को जकड़ा जिसे पुष्पा किसी भूखी शेरनी की भांति लपक के पकड़ ली और चूसने लगी....
इसी क्षण कालिया अपने लंड को बूर के पाप अंगुली से सटा लिया और अंगुली एक तरफ कर लंड टिका दिया... पुष्पा तो इतनी गर्म हो चली थी कि उसे मालूम ही नहीं चली कि कालिया क्या करने वाला है...
कालिया धीरे से अंगुली खींच कर ऊपर तक ले आया और लंट के सुपाड़े को हल्के से दबा दिया... सुपाड़ा फंसा तो नहीं था पर सही पोजीशन जरूर ले लिया था... बूर से अंगुली निकलते ही पुष्पा तड़प कर अपनी कमर ऊचकाने लगी कि क्यों निकाले.?
कालिया पुष्पा को कमर ऊचकाते देख उसे कस के पकड़ा और एक करारा शॉट देता हुआ पूरा का पूरा लंड जड़ तक उतार दिया... पुष्पा जोरदार चीख लगाई पर किस के कारण वो घुट के रह गई... पुष्पा की आँखें खुली की खुली रह गई...
वो अचानक से एकदम शांत पड़ गई... वो इससे पहले आधे लंड से ही चुदी थी... आज पूरा लंड उसे अपने बच्चेदानी तक महसूस हो रही थी... कालिया मौके की नजाकत को देख अकेले ही किस करते हुए उसकी चुती को मसलने लगा और लंड को उसी अवस्था में रखे रहा....
नीचे बूर की झिल्ली टूट चुकी थी जिससे खून रिस कर बाहर निकल रही थी... दर्द से पुष्पा की आँखें भी आंसू बहाने शुरू कर दी थी...कालिया पुष्पा के दर्द को मिटाने का भरपूर प्रयास करने लगा... आखिरकार कालिया की मेहनत रंग लाई...
पुष्पा थोड़ी सहनीय दर्द महसूस की तो किस तोड़ कालीया की पीठ पर तीन चार मुक्के ठोकती हुई बोली,"शाले आराम से नहीं कर सकता था...मेरी तो जान ही निकल गई दर्द से... ऊफ्फ्फफ्फ्फ...." कालिया पुष्पा की बात सुन हंस पड़ा...
कालिया,"शाली आराम से करता तो आज भी आधे लंड से ही चोदना पड़ता..." कालिया की बात सुन पुष्पा बिदकती हुई बोली,"छि: कितना गंदा बोलते हो...शर्म नहीं आती क्या..ईस्स्स्स..." पुष्पा को अभी भी दर्द थी...
कालिया,"लो इसमें गंदा क्या है... चुदाई कर रहा हूँ तो थोड़े ही कहूँगा गाना गा रहा हूँ..." पुष्पा और कालिया गुफ्तगू कर रहे थे इससे पुष्पा का दर्द काफी हद तक चला गया और वो कमर ऊचकाने लगी...
कमर ऊचकाते देख कालिया मुस्काते हुए बोला,"साली अभी तो हमें मार रही थी अब क्यों बूर उठा रही है.." कालिया की बात सुनते ही पुष्पा आंख दिखाती बोली,"कुत्ते मुँह बंद करेगा..."
"ओये होए, गाली बरती हो तो बड़ी प्यारी लगती हो... माशल्लाहऽ" कालिया के बोलते ही पुष्पा शर्मा के मुंह घुमा मुस्कुराने लगी... तभी कालिया अपना लंड बाहर खींच वापस सट से घुसा दिया...पुष्पा चिहुंक के ऊपर हो आहहहहह कर गई...
कालिया देखा कि अब ये बरदाश्त कर रही है तो लग गया काम पर और धकाधक करते हुए अपनी गाड़ी बढ़ा दी... पुष्पा हर धक्के पर कराह उठती... दर्द होने के बावजूद पुष्पा हवा में उड़ने लग गई... कालिया उसे बीच बीच में चूमते हुए चोदे जा रहा था...
कालिया चरम सीमा की ओर बढ़ने लगा था... कसी बूर और कमसिन कली को उसका लंड ज्यादा संभाल नहीं सका... ठीक उसी क्षण पुष्पा किलकारी लगाती हुई कालिया को जकड़ सुबकती हुई झड़ने लगी... बूर की रस कालिया का लंड बर्दाश्त नहीं कर सका और वो भी फव्वारे छोड़ने लगा गया....
दोनों पसीने से लथपथ थक के चूर हो गए थे... झड़ने के पश्चात दोनों काफी देर तक उसी अवस्था में पड़े रहे... फिर जब कालिया के शरीर में जान आई तो वो उठा तो पुष्पा की बूर, खुद का लंड और बेडशीट खून से भरी पड़ी थी... तत्क्षण पुष्पा भी उठी और बेडशीट चेंज कर दुबारा बांहों में बांहें डाल कर सो गए....
अगले दिन चारों कोर्ट जा पहुँचे... वहाँ सबने कोर्ट मैरिज की सारी फॉर्मिलटी पूरी कर शादी कर लिए... शादी के बाद बाहर निकलते ही पुलिस आ धमकी ... अपहरण केस में नाम होने से पुलिस थाने ले गई...
पुलिस तत्क्षण एस.पी. से सम्पर्क कर सारी बात बताई... एस.पी भी वहाँ से उसी पल रवाना हो गया... साथ ही ये हियादत दे दी कि पुष्पा का खास ख्याल रखे और जब तक मैं ना आऊँ किसी मीडिया के सामने बात नहीं लीक होनी चाहिए...
जब एस.पी आए तो पहले तो कालिया के गाल पर तड़ातड़ दो चार थप्पड़ जड़ दिए... पर बीच में ही पुष्पा अपने पापा के पैर पकड़ कर रोने लग गई... पुष्पा को रोते देख एस.पी. रूक गया, पर गुस्सा शांत नहीं हुआ...
पुष्पा लगातार पापा से रिक्वेस्ट करती रही... प्लीज पापा... मैं इनके साथ रहना चाहती हूँ... आप केस को बंद कर दीजिए... वगैरह वगैरह... एस.पी. पर तो रहम नहीं आती पर एक बाप क्या कर सकता था... वो हार गया...
फिर पुष्पा के अनुमान के मुताबिक एस.पी. फरमान जारी कर दिया कि आज से कोई भी गलत काम ना करने कि सोचेगा... कालिया तो ये बात कब का सोच लिया था तो वो तुरंत कसम खा लिया कि नहीं करूँगा....
फिर एस.पी. के आने की खबर सुनते ही सब मीडिया वाले इकट्ठे हो गए थे... सब के लिए चर्चा का विषय था कि अब एस.पी. साहब क्या करेंगे... अपहरणकर्ता को क्या बिना कोई सजा दिए छोड़ देंगे... अगर छोड़ दिए तो क्या कानून के साथ ये मजाक नहीं होगा?
अंदर एस.पी. अपना दिमाग लगा रहा था कि दुनिया को क्या बताऊँ कि कानून भी सही जगह रहे और मेरे दामाद भी सही सलामत बच जाए... अंततः उसने कुछ सोचा और इन दोनों को कुछ ना बोलने की सलाह दे मीडिया के सामने रूबरू हुआ...
एस.पी. मीडिया को जब ये बात बताई तो सब दांत तले उंगली दबा ली... एस.पी. पूरी कहानी को बयां कर दिया...
एस.पी.," मैं आज काफी खुश हूँ कि मैं अपने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया... ये काली चरण कोई अपहरणकर्ता नहीं हैं... बल्कि ये मेरे मिशन के ही मुखबिर हैं... हाँ इसने जब मेरी बेटी का सुटकेस चोरी किया था पर ये उसी दिन पकड़ा गया था और अपने गुनाह पर काफी शर्मिंदगी महसूस कर रहा था..."
"मुझे इसमें मजबूरी उस दिन साफ झलक रही थी... तो मैंने इससे और साथी के बारे में पूछा तो इसने सब का नाम बोला जिसमें रत्ना का नाम भी था जिसे ये जानता है... आप सब तो जानते ही हैं कि रत्ना पिछले कई सालों से परेशान किए हुए है... तो मैंने ही इसे प्लान में साथ देने कहा..."
"रही बात मेरी बेटी ही क्यों? तो रत्ना इतना चालाक था कि अगर इस मिशन को सक्सेस करना था तो इस घटना को कड़ी से कड़ी मिलाकर चलना पड़ता ताकि रत्ना जैसे आदमी को शक ना हो... भले ही ये उसका दोस्त क्यों ना हो... तो मैंने पुष्पा और कालिया को ये बात बताई जिस पर दोनों राजी भी हो गए..."
"लाखों लोगों के लिए मेरी बेटी क्या, आप लोगों में से किसी की भी बेटी साथ देने तैयार हो जाएगी... अपहरण के बाद मेरा संपर्क बेटी से नहीं हो पाया था क्योंकि वहाँ ये फोन नहीं यूज कर पाती थी और जब रत्ना के अड्डे से बाहर निकली तो तब तक इन दोनों को अच्छी तरह मालूम पड़ गया था कि रत्ना के आदमी कहाँ तक फैले हुए है..."
"तो मजबूरन इन्हें इतनी दूर आना पड़ा...यहाँ आने के बाद इसने मुझसे संपर्क करने की कोशिश नहीं की...इसकी वजह थी ये इतने दिनों में प्यार करने लगे थे और अलग होना नहीं चाहते थे... मुझे मालूम पड़ने पर इन्हें अलग होने का डर हो गया तो ये पहले शादी ही कर लिए..."
"अरे मैं ऐसा इंसान नहीं हूँ कि अपनी बेटी की खुशी का गला घोंट दूँ... हाँ मेरी बेटी कोयले को जरूर चुनी है पर कोयले में ही हीरे मिलते हैं... जब जागो तभी सवेरा वाली कहावत पर गौर कीजिएगा तो मैं भी यही सोच लिया कि काली चरण की नई जिंदगी में पूरी तरह मदद करूँगा..."
"इसने अब कोई भी गैर कानूनी काम करने की कसम खाई है... मैं अपनी बेटी को समाजिक रीति रिवाज से शादी कर विदा करूँगा... ये मेरा वादा है...." एस.पी. की बात खत्म होते ही वहाँ ताली की गड़गड़ाहट गूँज उठी...
पुष्पा, कालिया दोनों वापस अपने शहर आए और बड़ी धूमधाम से शादी हुई दोनों की... उसके बाद एस.पी. कालिया को नई जिंदगी के लिए पुख्ता इंतजाम भी कर दिया जिसे कालिया ने स्वीकार कर दिन रात पूरी इमानदारी से काम करने लगा...
नतीजन कालिया आज इस शहर का सबसे अमीर और प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गया है... अब उसे कालिया कोई नहीं कहता, सब कालीचरण के नाम से जानते हैं... एस.पी. भी फक्र से अपने दामाद को देख सीना चौड़ा कर लेता...
आज एस.पी रिटायर्ड हो चुका है... उसके जिंदगी में ना जाने कितने अवार्ड मिले पर रत्ना डाकू के मारे जाने में जो अवार्ड मिले थे उसे वो उन सब अवार्डों से सबसे ऊपर रख सजा कर रखा था... वो इस अवार्ड को याद कर हँसे बिना नहीं रह पाता था....
कहते हैं भगवान भी हिम्मती लोग का ही साथ देते हैं... तो ये अवार्ड भी उसी का नतीजा था जो एस.पी. के हिम्मत और पूरी जीवन ईमानदारी से काम करने के साथ साथ अच्छे पापा होने की मिशाल था...
(फ्लैशबैक समाप्त...)
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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