FUN-MAZA-MASTI
पापा प्लीज........13
रिंकी पुष्पा की कोरी जवानी का स्वाद ले उसकी दिवानी हो चुकी थी तो वहीं पुष्पा पहली बार ऐसी चीज का अनुभव पा उसकी भूख और बढ़ गई थी... पांच मिनट भी अकेली नहीं रह पा रही थी... रिंकी उसकी गोद में सर रख लेट गई और प्यारी प्यारी कुछ खट्टी-मीठी यादें सुनाने लगी...
जबकि कालिया दूसरे रूम में बार बार इधर उधर भाग रहा था... वो जल्द से जल्द पुष्पा से बाकी बचे खेल खेलने को उतावला था... वो चाहता तो रिंकी को यूँ हटा देता पर पहली बार की सोच वो कुछ नहीं कर पा रहा था... कहीं पुष्पा उसके ऐसे जल्दबाजी को बुरा मान गई तो फिर शायद ही दुबारा वो उससे बात भी करेगी...
शाम हुई, फिर रात हुई पर बात नहीं बनीं... कालिया अपने लंड पर बर्फ के टुकड़े डाल डाल कर शांत करने की कोशिश करता पर वो मानता तब तो... रत्ना उसकी हरकत देख हंसते हंसते पगला गया था... वो उसे चिढ़ाने के लिए डॉली की घुमा घुमा के बजा रहा था...
कालिया अंततः रह नहीं पाया और कड़ी वाली दो चार पैक लगा अपने लंड को दोनों हाथ से पकड़ सो गया... पुष्पा भी इधर कई बार झड़ गई थी... रिंकी की कहानी सुन वो गरम हो जाती फिर रिंका को ही बेशरमो की तरह जकड़ झड़ जाती... ऐसे करते हुए कब दोनों की आँख लगी मालूम नहीं...
सुबह जब पुष्पा की नींद खुली तो रिंकी नहीं थी... वो उठ कर बैठी तो बाथरूम से आवाज आ रही थी... शायद रिंकी फ्रेश हो रही थी... कुछेक देर में रिंकी बाहर निकल गई और कपड़े पहन कर रेडी होने लगी... पुष्पा बस उसे निहार कर सोच रही थी कि ये तो सच में जा रही है...
फिर पुष्पा भी फ्रेश हुई और उसने साथ ही नाश्ता की... फिर पुष्पा को अपना नं0 दे विदा ली और चल दी वापस... पुष्पा वापस रूम में आ सो गई... कालिया उसी वक्त पुष्पा से मिलना चाहता था पर रूम लॉक देख इंतजार करना ही ठीक समझा...
शाम तक पुष्पा सोती रही फिर जब उठी तो बाहर निकली जहाँ कालिया बैठा था... कालिया की नजर पुष्पा पर पड़ते ही उसकी बाँछें खिल गई... पुष्पा भी बदले में एक शर्मीली मुस्कान रिटर्न कर दी... कालिया उठा और उसके निकट आ पूछा,"तबीयत ठीक है ना...?"
पुष्पा,"हम्म्म्म..." पुष्पा बस हामी भर दी... जिसे सुन कालिया पूछ बैठा,"..तो इतनी देर क्यों सो रही थी..." कालिया की बात सुन पुष्पा उसकी तरफ देखते हुए बोली,"कोई काम था क्या..?"
कालिया सवाल सुनते ही हड़बड़ा गया और हकलाते हुए बोला,"हाँ...ना...हाँ...तुम इतनी देर सोई तो तबीयत खराब हो जाएगी तो मुफ्त में मुझे टेंशन हो जाएगी..." कालिया की बात सुन पुष्पा मुस्कुरा कर मुँह दूसरी तरफ करती हुई बोली,"क्यों..."
कालिया,"क्योंकि.... पता नहीं...छोड़ो वो सब...सीधा प्वाइंट पे आता हूँ...मुझे ये लैला मजनूं की तरह बातें करना नहीं आता... बहुत देर से तड़प रहा हूँ प्लीज एक चुम्मी दो ना..." कालिया की बात सुनते ही पुष्पा हंसे बिना ना रह सकी...
पुष्पा,"सॉरी, मुझे तो नहीं हो रही है... जब होगी तो कह दूँगी..."और कहने के साथ ही पुष्पा वापस रूम की तरफ पलट गई... जिसे देखते ही कालिया उससे रिक्वेस्ट करता हुआ पीछे हो लिया...
पुष्पा उसे अपने पीछे आते देख अपने कदम तेज की मगर कालिया भी उसी रफ्तार से पीछा करता रहा...और फिर पुष्पा रूम के अंदर दाखिल हो गेट लॉक करनी चाही पर कालिया रोकते हुए प्लीज...प्लीज... करने लगा जिससे पुष्पा हंसी रोक नहीं पाई और हंसती हुई गेट छोड़ कर भागी...
अंदर घुस बेड के चारों तरफ हो खुद को कालिया से दूर बचने की कोशिश की मगर कब तक.? कालिया बेड पर चढ़ अगले ही पल पुष्पा को अपने बाँहों में कैद कर लिया... पुष्पा खिलखिलाकर हंसने लगी... कालिया अब उसे चूमने की कोशिश कर रहा था पर बार -2 पुष्पा उसे ठेंगा दिखा देती...
अंततः कालिया उसे उठाया और बेड पर हंसता हुआ पटक दिया... और चढ़ गया ... अब पुष्पा कुछ कर भी नहीं सकती थी... वो बस हंसे जा रही थी... जोश से भरा कालिया अगले ही क्षण पुष्पा के होंठों पर वार कर उसकी हंसी को शांत कर दिया...
फिर दोनों किस में खो से गए... दोनों के होंठ एक दूसरी की होंठों से अठखेलियाँ करने लगी... कालिया जब पुष्पा की जीभ को पकड़ चूसता तो वो गनगना सा जाता... पुष्पा अपनी जीभ की रगड़ाई हो सह ना सकी और बूर से पानी बहाती अकड़ने लगी थी... उसने अपनी बाँहें कालिया के पीठ पर कस ती थी...
तभी पुष्पा किसी तरह पल भर के होंठ को छुड़ाती हुई बोली,"गेट..." गेट एक बार फिर खुली रह गई...कालिया उसे आजाद कर दिया पर हटा नहीं...
कालिया,"भागेगी भी..." पुष्पा मुस्कुराती हुई ना में सर हिला दी... जिसे देखते ही कालिया झट से उठा और "खटाक...ऽ"...वापस पुष्पा की बुर पर अपने लंड को स्थित कर लेट गया और किस करने लगा... पुष्पा अब तो और गनगनाती हुई स्वर्ग की सैर कर रही थी... ऊपर किस और नीचे लंड का एहसास...
कालिया कुछ ही देर में बूर की गरमी से बेकाबू सा होने लगा... वो बिना किस रोके अपने हाथ पुष्पा की एक चुची पर रख दिया... पर पुष्पा तो खुद अनियंत्रित थी तो भला वो क्या कुछ करती... उसकी कोई रिएक्शन ना देख कालिया चुची को हौले से मसलने लगा...
तिहरी वार से पुष्पा की बूर तो झरने की तरह झड़ झड़ बर रही थी जिससे उसकी पेंटी भींग कर सलवार को गीली कर रही थी... पुष्पा जब सहन ना कर सकी तो उसने कालिया के दूसरे हाथ को भी अपनी दुसरी चुची पर ला कर रख दी... कालिया तो खुशी में बावला सा हो गया और लगा मर्दानगी निकालने...
पुष्पा मर्द की इस रगड़ से विचलित हो गई और वो कराह उठी पर अलग नहीं की... उसकी खाज जो अब हल्की हल्की कम हो रही थी पर वो ये नहीं जानती थी कि ये तो और आग को बढ़ा रही थी... कालिया चुचि को मसल तो रहा था पर उसे संतुष्टी नहीं मिल रही थी...
उसने किस को रोक उठा और उसकी समीज निकालने के इरादे से पुष्पा को बिठा दिया ... कालिया कमर के पास पकड़ आहिस्ते से समीज ऊपर की तरफ करने लगा... पुष्पा अपनी साँसें पर बेकाबू सी हो अपने हाथ ऊपर कर दी और अगले ही पल वो सिर्फ ब्रॉ में थी... उसकी नजरें नीचे हो चली थी...
कालिया भी बड़ी अदा से उसे अपने बाँहों में भींच आहिस्ते से बेड पर लिटा दिया... और फिर वापस किस करते हुए उसकी चुची पर हाथ चलाने लगा... कुछ ही पलों की किस के बाद कालिया ब्रॉ के हुक को खोल दिया...ब्रॉ खुलते ही कालिया अपना हाथ ब्रॉ के अंदर कर चुची मिसने लगा...
पुष्पा की आग और भड़क गई... वो अब किस ना कर सीधी काटने लग गई थी... उसकी खुद पर नियंत्रित नहीं हो पा रही थी... पर कालिया बड़ी संजीदा से उसके हर वार से बच बस किस कर रहा था... कालिया को जब लगा कि ये काफी गरम हो चुकी है तो उसने उसके होंठों को छोड़ पूरे चेहरे को चूमना शुरू किया और अपना हाथ धीरे धीरे नीचे सरकाने लगा...
सलवार को खोलने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी और उसके हाथ पुष्पा की पेंटी पर घूमने लगी... पेंटी को छूते ही उसके हाथ गीले हो गए... दो चार बार हाथ फेरने के बाद हाथ को अंदर घुसा दिया... पुष्पा छुअन भर से ही बिदक पड़ी और सिसकती हुई कालिया को कस ली...
पुष्पा इतनी कस के जकड़ी थी कालिया कुछ कर ही नहीं पा रहा था... कुछ देर तक यूँ पड़े रहने के बाद कालिया पुष्पा के गालों के पास चूमते हुए बोला,"पुष्पा, मैं तुमसे अब एक पल भी अलग नहीं रहना चाहता हूँ... पूरी जिंदगी साथ रहना चाहता हूँ...साथ दोगी..."
पुष्पा उसकी बात सुन थोड़ी स्थिर हुई और मना कर दी...पुष्पा की ना से ही कालिया आहत सा हो गया... वो अचानक से टूट के बिखरने लग गया... कालिया की समझ में कुछ आ ही नहीं रहा था कि वो क्या बोले,क्या करे... जब कुछ नहीं सूझी तो वो पुनः पूछा पर जवाब वही मिला...
कालिया के तो जैसे हाथ पांव बंध गए... वो तो ना जाने कितने ख्याली पुलाव बना चुके थे... जिसे पुष्पा ने एक ही झटके में तहस नहस कर दी थी... जब पुष्पा को महसूस हुई कि कालिया में कोई हरकत नहीं है तो वो आश्चर्यपूर्ण रूप से आँख खोली तो सामने कालिया आँखों में आँसूं लिए बस उसे ही निहार रहा था...
पुष्पा को तो जैसे शॉक लगा... वो तो बस कालिया के दिल को टटोलना चाहती थी... वो बस सुनना चाहती थी कि कालिया क्या कहता है... वो तो ये चाहती थी कि थोड़े नखरे करूँ ताकि कालिया उसे मनाए...और इस मनौवल की यादें जो होती है ना वो सबसे हसीं और मनोरंजक होती है...
पुष्पा तुरंत ही अपने हाथों से कालिया के चेहरे को पकड़ पूछी,"क्या हुआ..." कालिया की आँखें डबडबा गई... जिसकी बूँदे सीधी पुष्पा के चेहरे पर पड़ी... पुष्पा ये देखते ही भावुक हो उसे अपने सीने से लिपटा खुद भी सुबकने लगी और "सॉरी.." बोलने लगी...
नंगी लड़की पड़ी हो और पानी लंड की बजाए आँखों से निकले, अजीब दृश्य थी... पुष्पा तुरंत ही अपनी बात बता दी कि वो तो बस तुम्हें परखने के लिए बोली थी कि तुम भी औरों की तरह मजे लूट के निकल जाओगे या फिर साथ रहोगे.... पर कालिया को अब भी विश्वास नहीं हो रहा था...
वो अपने आँखों को साफ किया और भरी आवाजों में कह दिया,"नहीं, तुम झूठ बोल रही हो... कसम से, अगर तुम नहीं मिली ना तो मैं मर जाऊंगा... तुम्हें मैं ये सुनने का मौका नहीं दूंगा कि इसका पति गुंडा,चोर है... अभी से सब खत्म...ये जिंदगी अब यहीं तक थी..."
कालिया अपनी सफाई में और कुछ कहना चाहता था पर पुष्पा उसे बीच में ही रोक दी... और कसम वादें करती हुई उसे गले से लगा ये तसल्ली दे कर चुप हुई कि वो उसे कभी नहीं छोड़ेगी... कुछ देर तक दोनों यूँ ही एक दूसरे को बाँहों में कैद किए पड़े रहे...
अचानक कालिया अपनी बंद आँखें झटके से खोल कुछ समझने की कोशिश करने लगा... उसके सोए लंड पर कुछ रेंगती हुई महसूस हो रही थी... जब लंड पर कुछ पकड़ होती हुई महसूस हुई तो वो सर उठा के पुष्पा की तरफ देखा तो पुष्पा हंस पड़ी... वो अपने हाथ बढ़ा नीचे कालिया के लंड को जगा रही थी...
पुष्पा को हंसते देख कालिया भी हंस पडया और दबोचते हुए वो पुष्पा की चुची पर अपना मुंह दे मारा...पुष्पा ईस्ल्स्स्ससस कर कराह पड़ी... कालिया अपने जीभ से तो कभी दांतों से निप्पल को छेड़ते हुए चूस रहा था और दूसरा हाथ दूसरी चुची को मसल रहा था...
पुष्पा एक बार फिर मचलने लगी थी...वो वासना से लंड को कस के मसल रही थी और दूसरे हाथ से कालिया के सर को दबा रही थी... कमरे में पुष्पा की सिसकारी गूंजने लग गई थी जिससे कालिया जोश से भर रहा था... कुछ ही देर में कालिया का लंड भी पूरे ताव में आ गया और पुष्पा के हाथ को ही ठोकरे मारने लगा...
कालिया अब चुची बदल बदल कर चूसने लगा... दो मिनट भी नहीं हुआ कि पुष्पा चीख पड़ी... लंड की गरमी अपने हाथ और बूर के पास सह नहीं सकी...कालिया पुष्पा के झड़ते ही चुची को चूसना छोड़ उसके होंठ चूसने लगा ताकि कुछ नॉर्मल हो...
जबकि कालिया का लंड अब नॉर्मल की स्थिति में रहना नहीं चाहता था...कालिया घुटने पर हो अपने लंड को आजाद कर दिया...पुष्पा को कालिया की हरकत से महसूस हो गई कि कालिया अब नंगा हो रहा है...
लंड को नंगा कर कालिया पुष्पा के गालों को होंठ से सहलाते हुए बोला,"पुष्पा, कमर को ऊपर करना थोड़ा.." कालिया पुष्पा के शरीर से हट पुष्पा की सलवार पेंटी सहित पकड़ नीचे खिसकाने लगा... पुष्पा अपनी कमर थोड़ी उचकाई ही थी कि कालिया की ताकत ने पल भर में उसे नंगा कर दिया...
कालिया चमकती बूर देख आपा खो दिया...वो किसी चुंबक की तरह बूर की ओर खींचता चला गया और उसने अपने होंठ उस पर जमा दिए...होंठों की गर्मी पाते ही पुष्पा फौरन कालिया के बाल पकड़ मचल गई... कालिया किस कर चूसने लगा... पुष्पा असहनीय तड़प से उसके बाल नोचने लगी...
कालिया के इतने से ही पुष्पा पुनः गरम हो गई... कालिया अब रूकना ठीक नहीं समझा क्योंकि अब उसका लंड खुद जवाब देने लगा था... उसने सर को ऊपर किया और एक तकिये को पुष्पा की कमर के नीचे घुसा दिया... फिर वो पुष्पा की सलवार पूरी बाहर कर खुद उसके बीच आ गया और अपने लंड को पोजीशन में ला लेटने लगा...
पुष्पा अपनी बूर पर नंगे लंड को महसूस कर सिहर गई और कालिया की पीठ पर पकड़ बनाते हुए बोली,"प्लीज, आराम से करना...." कालिया कुंवारी बूर की हालत देख हामी भर दिया और अपने लंड को पकड़ उसे बूर के मुहाने पर सेट करने लगा...
बूर इतनी कसी हुई थी कि कालिया को सही स्थिति मालूम ही नहीं पड़ रही थी... वो एक ओर हो गया और बूर को अपने अंगुली से खोल कर देखने लगा... बुर खुलते ही उसे काफी छोटी छिद्र नजर आई... वो होने वाली स्थिति को भांप एक बारगी सोच में पड़ गया...मन ही मन बुदबुदाने लगा शाली अंगुली भी तो करती ताकि छेद ठीक से नजर आती...
वो लंड को बढ़ा अपने अंगुली के पास ले गया और खुली जगह में डाल अंगुली खींच लिया... अंगुली हटते ही बूर की फांक लंड को जकड़ ली... बूर की कसावट देख कालिया तो दंग रह गया... वो सावधानी से खुद को पुष्पा के ऊपर लाया और सुपाड़े को फंसाने के लिए हल्का दबाव दिया...
दबाव पड़ते ही पुष्पा तड़पने लगी... शुक्र था कि कालिया का लंड थोड़ा भी इधर उधर नहीं हुआ... लंड का सुपाड़ा पूरा लॉक हो गया... पुष्पा इतनी में ही दर्द से बिलखने लगी... कालिया पूरी ताकत से लंड को यथावत किए रहा... रास्ता मिल जाए तो पीछे मुड़ना ठीक नहीं था... वो पुष्पा को स्मूच कर उसे शांत करने लगा...
पुष्पा कुछ ढ़ीली पड़ी तो कालिया स्मूच तोड़ धीरे से बोला,"दर्द ज्यादा है.." तो पुष्पा ने हां में सर हिला दी... कालिया जवाब सुन निकालने की ना सोच उसे दिलासा देते हुए प्यार से बोला,"पहली बार दर्द होता ही है...थोड़ा सा बचा है बस हल्का दर्द और सह लो फिर आराम से मस्ती करेंगे...ठीक है.."
कालिया की बात सुन पुष्पा हल्की मुस्कान बिखेड़ हां में सर हिला दी और बर्दाश्त करने के लिए दांत भींच कर खुद को तैयार कर ली... जबकि कालिया का 8 इंची हथियार पूरा का पूरा बाहर ही था जिसे पुष्पा देखी नहीं थी...
कालिया मुस्काते हुए पुष्पा को कस के पकड़ा और आँखें बंद कर जितनी ताकत से हो सकता, झटका देते हुए लंड को धांस दिया...पुष्पा झटके के साथ ही चीख पड़ी जिसे कालिया तुरंत अपने हाथों से उसके मुंह बंद कर दिया...
पुष्पा की आँखें बाहर निकल रही थी और आँसू की फव्वारे बह निकली थी... बेहोश होने से कैसे बच गई ये सोच वो खुद हैरान थी... ऐसी असहनीय दर्द वो आज पहली बार महसूस की थी...
कालिया लंड पर कोई हरकत ना होने दे रहा था और पुष्पा की चुची को तेजी से पर आरामदायक तरीके मसल रहा था...कुछ देर बाद उसने किसेज शुरू कर दी... कुछ देर बाद जब पुष्पा थोड़ी हरकत में आई तो कालिया उसे चूमते हुए बोला,"अब हो गया जो होना था वो... दर्द कुछ देर में कम हो जाएगा..."
पुष्पा की आँखें अभी भी आंसूं बहा रही थी...फिर भी पुष्पा किसी तरह बोली,"प्लीज निकाल लोऽ... बाद में कर लेना... मैं मर जाऊंगीईईईसससस...." कालिया नीचे महसूस किया तो पाया शाला अभी तो आधा ही गया है...
अगर पूरा डालूं तो ये सच में मर जाएगी... उसने मन मसोस कर सोच लिया कि बेटा जितना मिल रहा आज उतना ही खा ले... बाकी बाद में खा लेना... वो "ठीक है.." कह लंड अपना पीछे करने लगा...
लंड के बाहर खींचने से भी पुष्पा दर्द से कराहने लगी... जब सिर्फ सुपाड़ा बचा तो कालिया रूका और पुष्पा से पूछा,"दर्द कम है...?" तो पुष्पा के हाँ कहते ही कालिया पुनः धक्का दे दिया... कालिया कुछ बेरहम बनने की सोच लिया था...
पुष्पा सोच रही थी कि अब निकाल लेगा पर हुआ कुछ और... ताकत से धक्का देने के बावजूद आधा लंड ही जा पाया... पुष्पा दर्द से बिलबिलाने लगी और कालिया की पीठ पर मुक्के जमाती हुई "कुत्ता, कमीना, वगैरह-वगैरह..." गालिया बकने लगी...
कालिया देखा कि पहली शॉट की अपेक्षा इस बार पुष्पा की हालत ठीक है तो उसने मार खाते हुए भी लंड को खींच पुनः घुसेड़ देता पर गति मंद ही थी...कुछेक धक्के के बाद ही पुष्पा स्थिर हो गई और वो अब धक्के पर बस झटके खाने लगी...
कालिया का लंड पर ऐसा महसूस हो रहा था मानों किसी ने रस्सी से बाँध रखा है... वो अपने लंड को पूरी ताकत से अंदर करता और बाहर खींचता... अगर थोड़ी भी ताकत कम पड़ती तो लंड जस की तस रह जाती... उसके लंड में छिलन की जलन महसूस हो रही थी पर वो रूका नहीं...
लगातार धक्के लगाए जा रहा था... दर्द काफी कम हो गई थी जिससे पुष्पा कमर ऊचका कर जाहिर करने लगी थी... कालिया अगर चाहता तो अब पूरा लंड डाल सकता था परअब उसमें अब इतनी पावर नहीं थी कि जड़ तक पेल पाता...
उसने स्पीड बढ़ाने लगी थी और पुष्पा भी अब उसकी कमर को पांवों से लपेट और अंदर करने की कोशिश करने लगी... बीच बीच में वे किस भी कर रहे थे... पर कालिया अब बर्दाश्त करने लायक नहीं था...
अगली दो चार धक्के के बाद ही वो अकड़ने लगा और हुंकार भरते हुए चीख पड़ा... कालिया आज हार गया था पहली बार... बूर में डालने के बाद आज पहली बार बूर से पहले झड़ा था... वो झटके खाता हुआ अपना सारा पानी बूर के अंदर ही उड़ेलने लगा...
लंड के पानी पड़ते ही कुंवारी बूर भी सह नहीं पाई और पानी की गरमी से वो भी अपनी नदी को नियंत्रित नहीं कर पाई...चुदाई से तो नहीं झड़ी थी. ..पुष्पा कालिया के कंधों पर दांत गड़ाती हुई कमर उचकाती हुई झड़ने लगी...
कालिया के झड़ते ही पुष्पा की बूर ने लंड को धक्के दे बाहर कर दी... कालिया हांफता हुआ पुष्पा के बगल में लेट गया... दोनों पसीने से तरबतर हो गए थे...पुष्पा के चेहरे पर असीम खुशी झलक रही थी...
पुष्पा जब शांत हुई तो कालिया की ओर देखी जो अभी भी लम्बी सांसे खींच रहा था... वो मुस्काती हुई कालिया के सीने को चूमती हुई उस पर सर रख सो गई... कालिया भी आंख बंद में ही अपने हाथों से उसके गालों को सहलाने लगा...
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रिंकी पुष्पा की कोरी जवानी का स्वाद ले उसकी दिवानी हो चुकी थी तो वहीं पुष्पा पहली बार ऐसी चीज का अनुभव पा उसकी भूख और बढ़ गई थी... पांच मिनट भी अकेली नहीं रह पा रही थी... रिंकी उसकी गोद में सर रख लेट गई और प्यारी प्यारी कुछ खट्टी-मीठी यादें सुनाने लगी...
जबकि कालिया दूसरे रूम में बार बार इधर उधर भाग रहा था... वो जल्द से जल्द पुष्पा से बाकी बचे खेल खेलने को उतावला था... वो चाहता तो रिंकी को यूँ हटा देता पर पहली बार की सोच वो कुछ नहीं कर पा रहा था... कहीं पुष्पा उसके ऐसे जल्दबाजी को बुरा मान गई तो फिर शायद ही दुबारा वो उससे बात भी करेगी...
शाम हुई, फिर रात हुई पर बात नहीं बनीं... कालिया अपने लंड पर बर्फ के टुकड़े डाल डाल कर शांत करने की कोशिश करता पर वो मानता तब तो... रत्ना उसकी हरकत देख हंसते हंसते पगला गया था... वो उसे चिढ़ाने के लिए डॉली की घुमा घुमा के बजा रहा था...
कालिया अंततः रह नहीं पाया और कड़ी वाली दो चार पैक लगा अपने लंड को दोनों हाथ से पकड़ सो गया... पुष्पा भी इधर कई बार झड़ गई थी... रिंकी की कहानी सुन वो गरम हो जाती फिर रिंका को ही बेशरमो की तरह जकड़ झड़ जाती... ऐसे करते हुए कब दोनों की आँख लगी मालूम नहीं...
सुबह जब पुष्पा की नींद खुली तो रिंकी नहीं थी... वो उठ कर बैठी तो बाथरूम से आवाज आ रही थी... शायद रिंकी फ्रेश हो रही थी... कुछेक देर में रिंकी बाहर निकल गई और कपड़े पहन कर रेडी होने लगी... पुष्पा बस उसे निहार कर सोच रही थी कि ये तो सच में जा रही है...
फिर पुष्पा भी फ्रेश हुई और उसने साथ ही नाश्ता की... फिर पुष्पा को अपना नं0 दे विदा ली और चल दी वापस... पुष्पा वापस रूम में आ सो गई... कालिया उसी वक्त पुष्पा से मिलना चाहता था पर रूम लॉक देख इंतजार करना ही ठीक समझा...
शाम तक पुष्पा सोती रही फिर जब उठी तो बाहर निकली जहाँ कालिया बैठा था... कालिया की नजर पुष्पा पर पड़ते ही उसकी बाँछें खिल गई... पुष्पा भी बदले में एक शर्मीली मुस्कान रिटर्न कर दी... कालिया उठा और उसके निकट आ पूछा,"तबीयत ठीक है ना...?"
पुष्पा,"हम्म्म्म..." पुष्पा बस हामी भर दी... जिसे सुन कालिया पूछ बैठा,"..तो इतनी देर क्यों सो रही थी..." कालिया की बात सुन पुष्पा उसकी तरफ देखते हुए बोली,"कोई काम था क्या..?"
कालिया सवाल सुनते ही हड़बड़ा गया और हकलाते हुए बोला,"हाँ...ना...हाँ...तुम इतनी देर सोई तो तबीयत खराब हो जाएगी तो मुफ्त में मुझे टेंशन हो जाएगी..." कालिया की बात सुन पुष्पा मुस्कुरा कर मुँह दूसरी तरफ करती हुई बोली,"क्यों..."
कालिया,"क्योंकि.... पता नहीं...छोड़ो वो सब...सीधा प्वाइंट पे आता हूँ...मुझे ये लैला मजनूं की तरह बातें करना नहीं आता... बहुत देर से तड़प रहा हूँ प्लीज एक चुम्मी दो ना..." कालिया की बात सुनते ही पुष्पा हंसे बिना ना रह सकी...
पुष्पा,"सॉरी, मुझे तो नहीं हो रही है... जब होगी तो कह दूँगी..."और कहने के साथ ही पुष्पा वापस रूम की तरफ पलट गई... जिसे देखते ही कालिया उससे रिक्वेस्ट करता हुआ पीछे हो लिया...
पुष्पा उसे अपने पीछे आते देख अपने कदम तेज की मगर कालिया भी उसी रफ्तार से पीछा करता रहा...और फिर पुष्पा रूम के अंदर दाखिल हो गेट लॉक करनी चाही पर कालिया रोकते हुए प्लीज...प्लीज... करने लगा जिससे पुष्पा हंसी रोक नहीं पाई और हंसती हुई गेट छोड़ कर भागी...
अंदर घुस बेड के चारों तरफ हो खुद को कालिया से दूर बचने की कोशिश की मगर कब तक.? कालिया बेड पर चढ़ अगले ही पल पुष्पा को अपने बाँहों में कैद कर लिया... पुष्पा खिलखिलाकर हंसने लगी... कालिया अब उसे चूमने की कोशिश कर रहा था पर बार -2 पुष्पा उसे ठेंगा दिखा देती...
अंततः कालिया उसे उठाया और बेड पर हंसता हुआ पटक दिया... और चढ़ गया ... अब पुष्पा कुछ कर भी नहीं सकती थी... वो बस हंसे जा रही थी... जोश से भरा कालिया अगले ही क्षण पुष्पा के होंठों पर वार कर उसकी हंसी को शांत कर दिया...
फिर दोनों किस में खो से गए... दोनों के होंठ एक दूसरी की होंठों से अठखेलियाँ करने लगी... कालिया जब पुष्पा की जीभ को पकड़ चूसता तो वो गनगना सा जाता... पुष्पा अपनी जीभ की रगड़ाई हो सह ना सकी और बूर से पानी बहाती अकड़ने लगी थी... उसने अपनी बाँहें कालिया के पीठ पर कस ती थी...
तभी पुष्पा किसी तरह पल भर के होंठ को छुड़ाती हुई बोली,"गेट..." गेट एक बार फिर खुली रह गई...कालिया उसे आजाद कर दिया पर हटा नहीं...
कालिया,"भागेगी भी..." पुष्पा मुस्कुराती हुई ना में सर हिला दी... जिसे देखते ही कालिया झट से उठा और "खटाक...ऽ"...वापस पुष्पा की बुर पर अपने लंड को स्थित कर लेट गया और किस करने लगा... पुष्पा अब तो और गनगनाती हुई स्वर्ग की सैर कर रही थी... ऊपर किस और नीचे लंड का एहसास...
कालिया कुछ ही देर में बूर की गरमी से बेकाबू सा होने लगा... वो बिना किस रोके अपने हाथ पुष्पा की एक चुची पर रख दिया... पर पुष्पा तो खुद अनियंत्रित थी तो भला वो क्या कुछ करती... उसकी कोई रिएक्शन ना देख कालिया चुची को हौले से मसलने लगा...
तिहरी वार से पुष्पा की बूर तो झरने की तरह झड़ झड़ बर रही थी जिससे उसकी पेंटी भींग कर सलवार को गीली कर रही थी... पुष्पा जब सहन ना कर सकी तो उसने कालिया के दूसरे हाथ को भी अपनी दुसरी चुची पर ला कर रख दी... कालिया तो खुशी में बावला सा हो गया और लगा मर्दानगी निकालने...
पुष्पा मर्द की इस रगड़ से विचलित हो गई और वो कराह उठी पर अलग नहीं की... उसकी खाज जो अब हल्की हल्की कम हो रही थी पर वो ये नहीं जानती थी कि ये तो और आग को बढ़ा रही थी... कालिया चुचि को मसल तो रहा था पर उसे संतुष्टी नहीं मिल रही थी...
उसने किस को रोक उठा और उसकी समीज निकालने के इरादे से पुष्पा को बिठा दिया ... कालिया कमर के पास पकड़ आहिस्ते से समीज ऊपर की तरफ करने लगा... पुष्पा अपनी साँसें पर बेकाबू सी हो अपने हाथ ऊपर कर दी और अगले ही पल वो सिर्फ ब्रॉ में थी... उसकी नजरें नीचे हो चली थी...
कालिया भी बड़ी अदा से उसे अपने बाँहों में भींच आहिस्ते से बेड पर लिटा दिया... और फिर वापस किस करते हुए उसकी चुची पर हाथ चलाने लगा... कुछ ही पलों की किस के बाद कालिया ब्रॉ के हुक को खोल दिया...ब्रॉ खुलते ही कालिया अपना हाथ ब्रॉ के अंदर कर चुची मिसने लगा...
पुष्पा की आग और भड़क गई... वो अब किस ना कर सीधी काटने लग गई थी... उसकी खुद पर नियंत्रित नहीं हो पा रही थी... पर कालिया बड़ी संजीदा से उसके हर वार से बच बस किस कर रहा था... कालिया को जब लगा कि ये काफी गरम हो चुकी है तो उसने उसके होंठों को छोड़ पूरे चेहरे को चूमना शुरू किया और अपना हाथ धीरे धीरे नीचे सरकाने लगा...
सलवार को खोलने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी और उसके हाथ पुष्पा की पेंटी पर घूमने लगी... पेंटी को छूते ही उसके हाथ गीले हो गए... दो चार बार हाथ फेरने के बाद हाथ को अंदर घुसा दिया... पुष्पा छुअन भर से ही बिदक पड़ी और सिसकती हुई कालिया को कस ली...
पुष्पा इतनी कस के जकड़ी थी कालिया कुछ कर ही नहीं पा रहा था... कुछ देर तक यूँ पड़े रहने के बाद कालिया पुष्पा के गालों के पास चूमते हुए बोला,"पुष्पा, मैं तुमसे अब एक पल भी अलग नहीं रहना चाहता हूँ... पूरी जिंदगी साथ रहना चाहता हूँ...साथ दोगी..."
पुष्पा उसकी बात सुन थोड़ी स्थिर हुई और मना कर दी...पुष्पा की ना से ही कालिया आहत सा हो गया... वो अचानक से टूट के बिखरने लग गया... कालिया की समझ में कुछ आ ही नहीं रहा था कि वो क्या बोले,क्या करे... जब कुछ नहीं सूझी तो वो पुनः पूछा पर जवाब वही मिला...
कालिया के तो जैसे हाथ पांव बंध गए... वो तो ना जाने कितने ख्याली पुलाव बना चुके थे... जिसे पुष्पा ने एक ही झटके में तहस नहस कर दी थी... जब पुष्पा को महसूस हुई कि कालिया में कोई हरकत नहीं है तो वो आश्चर्यपूर्ण रूप से आँख खोली तो सामने कालिया आँखों में आँसूं लिए बस उसे ही निहार रहा था...
पुष्पा को तो जैसे शॉक लगा... वो तो बस कालिया के दिल को टटोलना चाहती थी... वो बस सुनना चाहती थी कि कालिया क्या कहता है... वो तो ये चाहती थी कि थोड़े नखरे करूँ ताकि कालिया उसे मनाए...और इस मनौवल की यादें जो होती है ना वो सबसे हसीं और मनोरंजक होती है...
पुष्पा तुरंत ही अपने हाथों से कालिया के चेहरे को पकड़ पूछी,"क्या हुआ..." कालिया की आँखें डबडबा गई... जिसकी बूँदे सीधी पुष्पा के चेहरे पर पड़ी... पुष्पा ये देखते ही भावुक हो उसे अपने सीने से लिपटा खुद भी सुबकने लगी और "सॉरी.." बोलने लगी...
नंगी लड़की पड़ी हो और पानी लंड की बजाए आँखों से निकले, अजीब दृश्य थी... पुष्पा तुरंत ही अपनी बात बता दी कि वो तो बस तुम्हें परखने के लिए बोली थी कि तुम भी औरों की तरह मजे लूट के निकल जाओगे या फिर साथ रहोगे.... पर कालिया को अब भी विश्वास नहीं हो रहा था...
वो अपने आँखों को साफ किया और भरी आवाजों में कह दिया,"नहीं, तुम झूठ बोल रही हो... कसम से, अगर तुम नहीं मिली ना तो मैं मर जाऊंगा... तुम्हें मैं ये सुनने का मौका नहीं दूंगा कि इसका पति गुंडा,चोर है... अभी से सब खत्म...ये जिंदगी अब यहीं तक थी..."
कालिया अपनी सफाई में और कुछ कहना चाहता था पर पुष्पा उसे बीच में ही रोक दी... और कसम वादें करती हुई उसे गले से लगा ये तसल्ली दे कर चुप हुई कि वो उसे कभी नहीं छोड़ेगी... कुछ देर तक दोनों यूँ ही एक दूसरे को बाँहों में कैद किए पड़े रहे...
अचानक कालिया अपनी बंद आँखें झटके से खोल कुछ समझने की कोशिश करने लगा... उसके सोए लंड पर कुछ रेंगती हुई महसूस हो रही थी... जब लंड पर कुछ पकड़ होती हुई महसूस हुई तो वो सर उठा के पुष्पा की तरफ देखा तो पुष्पा हंस पड़ी... वो अपने हाथ बढ़ा नीचे कालिया के लंड को जगा रही थी...
पुष्पा को हंसते देख कालिया भी हंस पडया और दबोचते हुए वो पुष्पा की चुची पर अपना मुंह दे मारा...पुष्पा ईस्ल्स्स्ससस कर कराह पड़ी... कालिया अपने जीभ से तो कभी दांतों से निप्पल को छेड़ते हुए चूस रहा था और दूसरा हाथ दूसरी चुची को मसल रहा था...
पुष्पा एक बार फिर मचलने लगी थी...वो वासना से लंड को कस के मसल रही थी और दूसरे हाथ से कालिया के सर को दबा रही थी... कमरे में पुष्पा की सिसकारी गूंजने लग गई थी जिससे कालिया जोश से भर रहा था... कुछ ही देर में कालिया का लंड भी पूरे ताव में आ गया और पुष्पा के हाथ को ही ठोकरे मारने लगा...
कालिया अब चुची बदल बदल कर चूसने लगा... दो मिनट भी नहीं हुआ कि पुष्पा चीख पड़ी... लंड की गरमी अपने हाथ और बूर के पास सह नहीं सकी...कालिया पुष्पा के झड़ते ही चुची को चूसना छोड़ उसके होंठ चूसने लगा ताकि कुछ नॉर्मल हो...
जबकि कालिया का लंड अब नॉर्मल की स्थिति में रहना नहीं चाहता था...कालिया घुटने पर हो अपने लंड को आजाद कर दिया...पुष्पा को कालिया की हरकत से महसूस हो गई कि कालिया अब नंगा हो रहा है...
लंड को नंगा कर कालिया पुष्पा के गालों को होंठ से सहलाते हुए बोला,"पुष्पा, कमर को ऊपर करना थोड़ा.." कालिया पुष्पा के शरीर से हट पुष्पा की सलवार पेंटी सहित पकड़ नीचे खिसकाने लगा... पुष्पा अपनी कमर थोड़ी उचकाई ही थी कि कालिया की ताकत ने पल भर में उसे नंगा कर दिया...
कालिया चमकती बूर देख आपा खो दिया...वो किसी चुंबक की तरह बूर की ओर खींचता चला गया और उसने अपने होंठ उस पर जमा दिए...होंठों की गर्मी पाते ही पुष्पा फौरन कालिया के बाल पकड़ मचल गई... कालिया किस कर चूसने लगा... पुष्पा असहनीय तड़प से उसके बाल नोचने लगी...
कालिया के इतने से ही पुष्पा पुनः गरम हो गई... कालिया अब रूकना ठीक नहीं समझा क्योंकि अब उसका लंड खुद जवाब देने लगा था... उसने सर को ऊपर किया और एक तकिये को पुष्पा की कमर के नीचे घुसा दिया... फिर वो पुष्पा की सलवार पूरी बाहर कर खुद उसके बीच आ गया और अपने लंड को पोजीशन में ला लेटने लगा...
पुष्पा अपनी बूर पर नंगे लंड को महसूस कर सिहर गई और कालिया की पीठ पर पकड़ बनाते हुए बोली,"प्लीज, आराम से करना...." कालिया कुंवारी बूर की हालत देख हामी भर दिया और अपने लंड को पकड़ उसे बूर के मुहाने पर सेट करने लगा...
बूर इतनी कसी हुई थी कि कालिया को सही स्थिति मालूम ही नहीं पड़ रही थी... वो एक ओर हो गया और बूर को अपने अंगुली से खोल कर देखने लगा... बुर खुलते ही उसे काफी छोटी छिद्र नजर आई... वो होने वाली स्थिति को भांप एक बारगी सोच में पड़ गया...मन ही मन बुदबुदाने लगा शाली अंगुली भी तो करती ताकि छेद ठीक से नजर आती...
वो लंड को बढ़ा अपने अंगुली के पास ले गया और खुली जगह में डाल अंगुली खींच लिया... अंगुली हटते ही बूर की फांक लंड को जकड़ ली... बूर की कसावट देख कालिया तो दंग रह गया... वो सावधानी से खुद को पुष्पा के ऊपर लाया और सुपाड़े को फंसाने के लिए हल्का दबाव दिया...
दबाव पड़ते ही पुष्पा तड़पने लगी... शुक्र था कि कालिया का लंड थोड़ा भी इधर उधर नहीं हुआ... लंड का सुपाड़ा पूरा लॉक हो गया... पुष्पा इतनी में ही दर्द से बिलखने लगी... कालिया पूरी ताकत से लंड को यथावत किए रहा... रास्ता मिल जाए तो पीछे मुड़ना ठीक नहीं था... वो पुष्पा को स्मूच कर उसे शांत करने लगा...
पुष्पा कुछ ढ़ीली पड़ी तो कालिया स्मूच तोड़ धीरे से बोला,"दर्द ज्यादा है.." तो पुष्पा ने हां में सर हिला दी... कालिया जवाब सुन निकालने की ना सोच उसे दिलासा देते हुए प्यार से बोला,"पहली बार दर्द होता ही है...थोड़ा सा बचा है बस हल्का दर्द और सह लो फिर आराम से मस्ती करेंगे...ठीक है.."
कालिया की बात सुन पुष्पा हल्की मुस्कान बिखेड़ हां में सर हिला दी और बर्दाश्त करने के लिए दांत भींच कर खुद को तैयार कर ली... जबकि कालिया का 8 इंची हथियार पूरा का पूरा बाहर ही था जिसे पुष्पा देखी नहीं थी...
कालिया मुस्काते हुए पुष्पा को कस के पकड़ा और आँखें बंद कर जितनी ताकत से हो सकता, झटका देते हुए लंड को धांस दिया...पुष्पा झटके के साथ ही चीख पड़ी जिसे कालिया तुरंत अपने हाथों से उसके मुंह बंद कर दिया...
पुष्पा की आँखें बाहर निकल रही थी और आँसू की फव्वारे बह निकली थी... बेहोश होने से कैसे बच गई ये सोच वो खुद हैरान थी... ऐसी असहनीय दर्द वो आज पहली बार महसूस की थी...
कालिया लंड पर कोई हरकत ना होने दे रहा था और पुष्पा की चुची को तेजी से पर आरामदायक तरीके मसल रहा था...कुछ देर बाद उसने किसेज शुरू कर दी... कुछ देर बाद जब पुष्पा थोड़ी हरकत में आई तो कालिया उसे चूमते हुए बोला,"अब हो गया जो होना था वो... दर्द कुछ देर में कम हो जाएगा..."
पुष्पा की आँखें अभी भी आंसूं बहा रही थी...फिर भी पुष्पा किसी तरह बोली,"प्लीज निकाल लोऽ... बाद में कर लेना... मैं मर जाऊंगीईईईसससस...." कालिया नीचे महसूस किया तो पाया शाला अभी तो आधा ही गया है...
अगर पूरा डालूं तो ये सच में मर जाएगी... उसने मन मसोस कर सोच लिया कि बेटा जितना मिल रहा आज उतना ही खा ले... बाकी बाद में खा लेना... वो "ठीक है.." कह लंड अपना पीछे करने लगा...
लंड के बाहर खींचने से भी पुष्पा दर्द से कराहने लगी... जब सिर्फ सुपाड़ा बचा तो कालिया रूका और पुष्पा से पूछा,"दर्द कम है...?" तो पुष्पा के हाँ कहते ही कालिया पुनः धक्का दे दिया... कालिया कुछ बेरहम बनने की सोच लिया था...
पुष्पा सोच रही थी कि अब निकाल लेगा पर हुआ कुछ और... ताकत से धक्का देने के बावजूद आधा लंड ही जा पाया... पुष्पा दर्द से बिलबिलाने लगी और कालिया की पीठ पर मुक्के जमाती हुई "कुत्ता, कमीना, वगैरह-वगैरह..." गालिया बकने लगी...
कालिया देखा कि पहली शॉट की अपेक्षा इस बार पुष्पा की हालत ठीक है तो उसने मार खाते हुए भी लंड को खींच पुनः घुसेड़ देता पर गति मंद ही थी...कुछेक धक्के के बाद ही पुष्पा स्थिर हो गई और वो अब धक्के पर बस झटके खाने लगी...
कालिया का लंड पर ऐसा महसूस हो रहा था मानों किसी ने रस्सी से बाँध रखा है... वो अपने लंड को पूरी ताकत से अंदर करता और बाहर खींचता... अगर थोड़ी भी ताकत कम पड़ती तो लंड जस की तस रह जाती... उसके लंड में छिलन की जलन महसूस हो रही थी पर वो रूका नहीं...
लगातार धक्के लगाए जा रहा था... दर्द काफी कम हो गई थी जिससे पुष्पा कमर ऊचका कर जाहिर करने लगी थी... कालिया अगर चाहता तो अब पूरा लंड डाल सकता था परअब उसमें अब इतनी पावर नहीं थी कि जड़ तक पेल पाता...
उसने स्पीड बढ़ाने लगी थी और पुष्पा भी अब उसकी कमर को पांवों से लपेट और अंदर करने की कोशिश करने लगी... बीच बीच में वे किस भी कर रहे थे... पर कालिया अब बर्दाश्त करने लायक नहीं था...
अगली दो चार धक्के के बाद ही वो अकड़ने लगा और हुंकार भरते हुए चीख पड़ा... कालिया आज हार गया था पहली बार... बूर में डालने के बाद आज पहली बार बूर से पहले झड़ा था... वो झटके खाता हुआ अपना सारा पानी बूर के अंदर ही उड़ेलने लगा...
लंड के पानी पड़ते ही कुंवारी बूर भी सह नहीं पाई और पानी की गरमी से वो भी अपनी नदी को नियंत्रित नहीं कर पाई...चुदाई से तो नहीं झड़ी थी. ..पुष्पा कालिया के कंधों पर दांत गड़ाती हुई कमर उचकाती हुई झड़ने लगी...
कालिया के झड़ते ही पुष्पा की बूर ने लंड को धक्के दे बाहर कर दी... कालिया हांफता हुआ पुष्पा के बगल में लेट गया... दोनों पसीने से तरबतर हो गए थे...पुष्पा के चेहरे पर असीम खुशी झलक रही थी...
पुष्पा जब शांत हुई तो कालिया की ओर देखी जो अभी भी लम्बी सांसे खींच रहा था... वो मुस्काती हुई कालिया के सीने को चूमती हुई उस पर सर रख सो गई... कालिया भी आंख बंद में ही अपने हाथों से उसके गालों को सहलाने लगा...
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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