Wednesday, December 17, 2014

FUN-MAZA-MASTI मैं एक रंडी बुन चुकी हूँ--4

FUN-MAZA-MASTI
 मैं एक रंडी बुन चुकी हूँ--4

 मुझे दोहरा मजा मिल रहा था… एक तरफ चूत चटाई और दूसरी तरफ चूची चुसाई। मैंने कमर को उचकाना शुरू कर दिया और दो मिनट में ही मैं बुरी तरह झड़ गई। कामीचाचा ने मजे से मेरा सारा पानी पी लिया।
मैं मदहोश सी बिस्तर पे लेटी हुई थी कि तभी…
तभी जमाल चाचा कुर्सी पे जाकर बैठ गए। और मुझे मेरे बालों से पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया। मेरे बालों में दर्द तो बहुत हुआ लेकिन मैं मुँह से कुछ ना बोली। जमाल चाचा ने मुझे होंठों पे एक किस की और मुझे अपने लण्ड की तरफ झुकाना शुरू कर दिया।
मैं उनका इशारा ना समझ सकी। फिर उन्होंने मुझे लण्ड चूसने को कहा। उनके लण्ड के आस-पास हल्के-हल्के बाल थे, और लण्ड बिल्कुल खड़ा हुआ था।
जमाल चाचा- चल इसको मुँह में लेकर चूस।
मैं- चाचा मैंने कभी नहीं चूसा। प्लीज़्ज़ मुझसे नहीं होगा।
जमाल चाचा- सब काम ही तो तू पहली-पहली बार कर रही है। कोई बात नहीं आज तुझे मैं ट्रेंड कर दूंगा। तू किसी एक्सपर्ट की तरह आइन्दा लण्ड चूसेगी। चल अब इसको किस कर सबसे पहले।
मैं अपना चेहरा आहिस्ता-आहिस्ता उनके लण्ड के पास ले गई। मुझे उसमें से अजीब सी महक आ रही थी। मेरा जी मतला रहा था कि जैसे मुझे अभी उल्टी आ जाएगी। लेकिन मैंने हिम्मत करते हुये उनके लण्ड को चूम लिया। उनके लण्ड ने फौरन एक झटका खाया और चाचा के मुँह से एक आआह्ह की आवाज निकली। और उन्होंने मेरे सिर को दबाकर आगे बढ़ने का इशारा दिया। मैंने आहिस्ता-आहिस्ता उनके लण्ड के चारों तरफ किस करना शुरू कर दिया।
और वो आअह्ह… उऊह्ह… की आवाजें निकालने लगे।
तभी चाचा ने मुझे अपने लण्ड को मुँह में डालने का कहा।
मैंने बिनती भरी नजरों से उनकी तरफ देखा लेकिन उन्होंने मेरे सिर को पकड़ लिया और अपने लण्ड को मेरे होंठों से रगड़ने लगे, और मुझे मुँह खोलने का कहा। मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपना मुँह खोला तो चाचा ने अपने लण्ड की टोपी मेरे मुँह में डाल दी। अजीब सी हालत थी मेरी। उनका लण्ड मुँह में लिया तो अजीब सा तीखा सा जायका मेरे मुँह में फैलने लगा। मैंने टोफ़्फी की तरह उनके लण्ड की टोपी को चूसना शुरू कर दिया। मुझे अब उनके लण्ड की बू की आदत पड़ती जा रही थी।
उन्होंने मेरे चेहरे को पकड़कर अपने लण्ड पर घुमाना शुरू कर दिया। आहिस्ता-आहिस्ता उनका पूरा लण्ड मेरे मुँह में जाने लगा। और मैं उनके लण्ड को चूसे जा रही थी।
तभी कामीचाचा ने पीछे से आकर मेरी चूत पर कुछ चिकना सा लगा दिया। मुझे नहीं पता कि वो क्या था और कामीचाचा क्या करने वाले हैं। मैं बस डागी स्टाइल में खड़ी जमाल चाचा के लण्ड को चूसे जा रही थी। तभी उन्होंने कुछ गरम-गरम मेरी चूत के मुँह पर लगा दिया, और उसको अंदर धकेलने लगे। जी हाँ… वो मेरी चूत के अंदर अपना लण्ड डालने लगे, आहिस्ता-आहिस्ता।
लेकिन उन्होंने अपने लण्ड और मेरी चूत पर तेल लगाया हुआ था (जो मैंने बाद में देखा), उसकी वजह से उनका लण्ड काफी आराम से बिल्कुल हल्का सा दर्द देते हुये अंदर जा रहा था। लेकिन ये दर्द बहुत हल्का था। चाचा हल्के-हल्के धक्कों के साथ अपना लण्ड मेरी चूत में डाल रहे थे। 2-3 मिनट बाद उनका पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस गया।
अपना पूरा लण्ड अंदर डालकर उन्होंने मेरी कमर को पकड़कर धक्के लगाने शुरू कर दिये। मेरे मुँह में जमाल चाचा का लण्ड होने की वजह से उउम्म्म्मम… उउम्म्म्मम… की आवाज आ रही थी। कामीचाचा के धक्कों की वजह से जमाल चाचा का लण्ड हर झटके पर और ज्यादा मेरे मुँह में जाने लगा। जमाल चाचा ने मेरे दोनों बाजू पकड़ रखे थे, और मेरा मुँह खुला हुआ था।
मेरी आँखों में आँसू आ रहे थे, और गले में जलन हो रही थी। मेरे मुँह के जबड़े भी दर्द करने लगे थे। मैं कोशिश कर रही थी कि उनका लण्ड अपने मुँह से निकाल दूँ लेकिन मैं बिल्कुल भी हिल नहीं पा रही थी। दो ताकतवर मर्दों के आगे मेरी कहाँ चलती?
कामीचाचा की स्पीड तेज़ होती जा रही थी। अब कमरे में ठप-ठप… छाप-छाप-छाप… और उउम्म्म्मम… उउम्म्म्मम… की आवाजें गूँज रही थीं जबकि कामीचाचा और जमाल चाचा के मुँह से आआआह्ह… उऊह्ह… की आवाजें निकल रही थीं और साथ ही साथ वो लोग मुझे रंडी, गश्ती, कुतिया और पता नहीं क्या-क्या गालियां दे रहे थे।
तभी जमाल चाचा ने आगे झुक कर अपनी उंगली गीली की और मेरी गाण्ड के छेद पर रखकर अंदर दबाया। उसी वक्त कई काम एक साथ हुये। सबसे पहले मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया जबकि दूसरी ओर जमाल चाचा के लण्ड ने मेरे मुँह में पिचकारियां छोड़ना शुरू कर दिया।
मैं उनका लण्ड मुँह से निकालना चाहती थी लेकिन उन्होंने ऐसा होने नहीं दिया। मेरी आँखों में आँसू आ रहे थे, और मैं बुरी तरह छटपटा रही थी। तभी कामीचाचा ने एक जोर का धक्का मारा और रुक गए। जिसके नतीजे में जमाल चाचा का लण्ड पूरा का पूरा मेरे गले में घुस गया और उनकी गाढ़ी-गाढ़ी मनी सीधा मेरे गले में उतरने लगी। जबकि कामीचाचा के लण्ड ने मेरी चूत को भरना शुरू कर दिया।
मुझे ऐसे लग रहा था कि जैसे मेरी साँस बंद हो जाएगी। तभी जमाल चाचा ने मेरा सिर अपने लण्ड से हटा दिया। मैं जोर-जोर से हाँफ रही थी और अपनी सांसों को संभालने की कोशिश में थी। मेरे मुँह से लार और जमाल चाचा का पानी बह रहा था। थोड़ी देर बाद कामीचाचा ने मुझे छोड़ दिया। मैं किसी मरगेली छिपकली की तरह ढेर हो गई। मेरी हालत बहुत खराब थी। जमाल चाचा ने अपना लण्ड दोबारा मेरे मुँह से लगा दिया और साफ करने को बोला। उनके लण्ड पे मेरा थूक, उनकी मनी लगी हुई थी। मैंने चाट-चाट के उनका लण्ड साफ कर दिया और अजीब कसैला सा जायका मेरे मुँह में घुल गया।
थोड़ी देर में हमारी साँस बहाल हुई। मुझे अब प्यास महसूस हो रही थी। कामीचाचा ने मुझे पानी पिलाया तो मेरे होश बहाल हुये, और मैं आराम से एक तरफ होकर बैठ गई।
चाचा जमाल- यार तू कह रहा था कि ये नई लड़की है। लण्ड तो ऐसे चूसा है कि जैसे रंडियां चूसती हैं।
जमाल चाचा की बात सुनकर कामीचाचा हँसने लगे जबकि मैं शरम से सिर झुका कर रह गई।
तभी कामीचाचा ने मुझे कपड़े पहनने का कहा कि मुझे घर छोड़ आयेंगे। जब मैं कपड़े पहनकर तैयार हो गई तो जमाल चाचा ने मुझे अपने गले लगाया और मुझे एक लिप-किस की, और अपनी जेब से ₹50 निकालकर मेरी ब्रा के अंदर हाथ घुसाकर मेरी बायीं चूची पे रख दिए।
मैंने सवालिया नजरों से उनको देखा तो कहने लगे कि तेरी पहली कमाई रंडी बनने की। उनकी बात सुनकर मेरे जिश्म से एक लहर निकलकर चूत तक गई और मेरी चूत से एक बूँद पानी की बाहर निकलकर सलवार में जज़्ब हो गई।
तब जमाल चाचा ने कहा- अब मैं अगले हफ्ते आकर तुझे चोदूंगा और पूरे ₹100 दूंगा। बोल चुदवाएगी ना मुझसे?


मेरी शरम के मारे हालत खराब हो गई थी। मैंने अपना सिर हाँ में हिला दिया।

वो एक कहकहा मार के हँसे और कहने लगे- “तू तो पक्की रंडी बन गई है। हाह्हहाह्हहा…”

और फिर कामीचाचा मुझे लेकर निकल पड़े और मेरी ट्यूशन के टाइम पे मुझे घर छोड़ दिया।

मेरे दिल में अजीब सी उत्तेजना हो रही थी कि इतना मजा भी होता है इस काम में? और कभी-कभी शर्म महसूस करने लगती कि ये मैं क्या कर रही हूँ? ये सब मुझे कहाँ ले जाएगा? मेरा अंजाम क्या होगा? कि एक रिक्सेवाले ने मुझे इस कदर गंदी बना दिया है। कोई भी लड़का किस तरह मुझे कबूल करेगा?

जबकि दूसरी तरफ चुदाई का नशा महसूस हो रहा था। जिश्म में अजब सी मस्ती भरी थी। दिल कर रहा था कि वो सब मेरे साथ दोबारा से हो। अब मुझे चाचा की काल का बेसब्री से इंतजार था।

मैं रोज अकडमी जाती और वापस आती लेकिन चाचा ने कुछ भी नहीं किया। मुझे इस बात पे बहुत हैरत थी क्योंकि मुझे बहुत जरूरत महसूस हो रही थी चुदाई की। दिल कर रहा था कि उनसे चिपक जाऊँ और उनसे चोदने को कहूँ, लेकिन मुझे बहुत शरम आ रही थी। आखिर एक इज़्ज़तदार लड़की थी ना। रोज मैं रात को उंगली करके अपनी आग को ठंडा करने की कोशिश करती लेकिन आग थी की बढ़ती जा रही थी। इस दौरान मुझे जो खबर मिली उसने मुझे चौंका दिया।

वो ये कि मेरी दोस्त भावना का किडनैप हो गया था। दो दिन लापता रहने के बाद वो घर पहुँची, और उसकी हालत बहुत खराब थी। उसके साथ गैंग-रेप हुआ था। उसकी चूत और गाण्ड को खूब बजाया गया था। उसको एक सप्ताह तक हास्पिटल में रखा गया था।

भावना के बयान के मुताबिक वो मुझसे मिलने के लिए घर से निकली कि कुछ नकाबपोश लोगों ने उसको बेहोश कर दिया। जब उसको होश आया तो उसने खुद को बँधा हुआ पाया। उसकी आँखों पे पट्टी बँधी हुई थी और हाथ पाँव भी बँधे हुये थे। जबकि उसने महसूस किया कि वो नंगी है। फिर दो दिन तक उसके साथ ना रुकने वाला सिलसिला-ए-चुदाई चलता रहा।

जो भी आता खामोशी से उसको इश्तेमाल करके बिना कोई लफ्ज़ बोले चला जाता। पता नहीं कि कितने लोगों ने उसको कितनी बार चोदा लेकिन उसको जरा भी आराम नहीं दिया गया। वो चीखती, चिल्लाती लेकिन उसपर कोई रहम नहीं किया गया। जब उनका दिल भर गया तो वो उसको बेहोश करके कहीं फेंक गए। भावना ठीक हो गई तो उसके पापा ने अपना ट्रान्स्फर लाहोर करवा लिया।

मुझे नहीं पता कि आगे उसकी लाइफ कैसी गुजरेगी?

साथ ही ये भी नहीं जानती थी कि मेरे साथ क्या होगा?


 भावना को गए दो हफ्ते हो गए। वो मुझसे फोन पर बात करती। अभी तक वो डरी हुई थी। इस दौरान मेरा कालेज भी खुल गया। अब रुटीन ये थी कि मुझे सुबह 7:00 बजे घर से निकलना होता था और दोपहर में सीधा अकडमी और शाम को 5:00 बजे घर वापसी।
अकडमी की टाइमिंग भी चेंज हो गई थी। कालेज का पहले दिन था। मैं नाश्ता करके घर से कामीचाचा के साथ निकल पड़ी। उनका रुख मेरा कालेज नहीं बलकि अपने घर की तरफ था। मुझे पता चल गया कि आज मेरी चुदाई होने वाली है। चूत में सनसनाहट होने लगी और उसने मुझसे बेवफाई करते हुये पानी बहाना शुरू कर दिया। अजीब सी मस्ती दोबारा शुरू हो गई।
जैसे ही कामीचाचा के घर में दाखिल हुये। कामीचाचा मुझे अपने कमरे में ले आए जहाँ 5 मर्द बैठे हुये थे। और दो औरतें बैठी हुई थीं। मुझे उन सबको देखकर एक झटका लगा, और मैं परेशान हो गई। मैं दरवाजे के बीच में खड़ी हैरत से उन सबको देख रही थी कि ये कौन लोग हैं? और यहाँ क्या करने आए हैं? और उन सबको देखकर अजीब सी रोमांच भी हो रही थी।
कामीचाचा- ये है नया माल। इसका नाम ऋतु है। पटाखा माल है।
औरत1- देखने में तो अच्छी लग रही है। नथ कब खुली?
चाचा-कामी- बस एक महीना हुआ है और चुदी भी सिर्फ़ दो बार है मुझसे। बड़ी मजेदार चीज है सन्नो-बाई।
औरत1 (सन्नो-बाई)- हमम्म्म… तूने इसको बता दिया है कि इसको तू धंधे पे लगा रहा है?
कामीचाचा- हेहेहेहेहेहे… नहीं नहीं… इसको अब पता चल रहा है। वैसे आप बेफिकर रहो। इसकी ऐसी जुर्रत नहीं कि मेरे सामने बोल सके।
कमरे में बैठे सब लोग मुझे घूर रहे थे और मैं शरमाई और सहमी एक तरफ खड़ी हुई थी। कमरे में सिगरेट का धुंवां फैला हुआ था क्योंकि वो सब सिगरेट पी रहे थे। यहाँ तक कि वो दोनों औरतें भी।
तभी दूसरी औरत बोली- दीदी वैसे माल तो सालिड है। क्यों ना इसको एक बार टेस्ट करके देखें?
सन्नो-बाई- हाँ हाँ क्यों नहीं? इसीलिए तो हम आए हैं ना रानी। (औरत नो॰ दो को बोली)
फिर मुझसे- सुन री… तूने कितने बजे जाना है घर?
मैं- एम्म्म… म्*म्मीई न्न्नीईए… 5:00 बजे (आहिस्ता आवाज में)
रानी- “अरी तू घबरा क्यों रही है? चल शाबाश इधर आकर मेरे पास बैठ। चल शाबाश…” उसने प्यार से मुझे अपने पास बुलाया। लेकिन मुझसे कदम नहीं उठाए जा रहे थे।
कामीचाचा ने मुझे बाजू से पकड़कर उसके साथ लेजाकर बिठा दिया। मैं सहमी हुई उस औरत के साथ बैठी हुई थी और अपनी गोद में रखे अपने हाथों को देखे जा रही थी।
रानी- अरे कमीने कामी… ये तो बड़ी घबराई हुई है। चल इसके लिए पानी ला।
कामीचाचा पानी ले आए तो उसने मुझे पानी पिलाया। मुझे इतनी प्यास लगी थी कि एक ही झटके में ग्लास खाली कर दिया।
कामीचाचा- बस इसके कपड़े उतरने की देर है फिर देखना कैसे ये रंडी बन जाती है। और आज तो वैसे भी इसको शाम तक घर जाना है तो कोई टेंशन नहीं। इसके साथ खूब मजे करेंगे।
सन्नो-बाई गुस्से से कामीचाचा को- चुप बे… हरामखोर, इतनी प्यारी बच्ची है। जो कुछ हम कहेंगे, जैसे हम कहेंगे वैसे ही होगा, अब से ये हमारी है। तू इसको चोदने के लिए भी हमसे पर्मिशन लेगा और पैसे भी देगा। और रेट हम फिक्स करेंगे। समझ गया?
कामीचाचा- अरे क्या सन्नो-बाई… इतनी अच्छी लड़की आपको दी है धंधे के लिए फिर भी आप ऐसे कर रही हो। आज का दिन तो कम से कम मजे करने दो?
सन्नो-बाई के बोलने से पहले रानी बाई बोली- जैसे हमने कहा वैसा ही होगा। और तुझे पता है कि हम जो एक बार कह देते हैं वैसे ही होता है। चलो अब सब बाहर निकलो। हमने इसको देखना है। तुझे तेरा कमिशन देना है। उसके बाद इसका चुदाई टेस्ट करके देखेंगे कि ये कितना चुदवा सकती है। तब इसका रेट फाइनल करना है। चलो निकलो अब सब बाहर।
मेरी शरम से हालत खराब हो रही थी कि आगे मेरे साथ अब क्या होने वाला है? वो सारे मर्द उठकर कमरे से बाहर निकल गए। अब कमरे में हम तीन थे, मैं, सन्नो-बाई और रानी।
अब मैं दोनों के बारे में आपको बता दूँ।
सन्नो-बाई- उमर 30 साल, फिगर 36डीडी-30-38, रंग सांवला है, काफी आकर्षक है, रंडीखाना चलाती है। इसके सम्पर्क कई जगह हैं और ये खुद भी धंधा करती है। लेकिन स्पेशल लोगों के लिए।
रानी- सन्नो की छोटी बहन, सिर्फ़ शौक से ये काम करती है, उमर 28साल, फिगर 34डी-30-38, लेज़्बीयन भी है और अपनी गाण्ड भी मरवाती है। मतलब गैगबैंग इत्यादि का बहुत शौक है। इसलिए इसकी गाण्ड बड़ी है और तीखे नैन-नक़्श रखती है। रंग अपनी बहन से साफ है, लेकिन सफेद नहीं कह सकते।
उन दोनों ने कमरे की कुण्डी लगाई और मेरे पास आ गईं।
रानी- दीदी ये तो बहुत शरमाती है। नई है ना… इसलिए। देखना आज मैं इसकी सारी शरम उतार दूँगी। ये बड़ी टाप क्लास आइटम होगी हमारे चकले (रंडी खाने) की।
सन्नो कुछ ना बोली, बस हँसती रही। मेरा दिल कर रहा था कि किसी तरह मैं वहाँ से गायब हो जाऊँ, या किसी तरह इनसे मेरा पीछा छूट जाए।
सन्नो ने आगे बढ़कर मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैंने उसका हाथ पकड़ना चाहा तो रानी बोली- देख अगर तू चाहती है कि तेरे साथ जबरदस्ती ना करें, जैसे तेरी सहेली के साथ किया तो तेरी भलाई इसी में है कि हमारी बात मान।
मैं हैरत से मुँह खोले उनको देखे जा रही थी की इसने अभी क्या कहा है? मेरी सहेली? कौन सी सहेली। भावना?
रानी- हाहाहाहा… रंडी अपना मुँह बंद कर। जब लण्ड सामने आये तो फिर मुँह खोलना और उनको मुँह में लेना। मैं तेरी बड़ी अच्छी सहेली भावना की बात कर रही हूँ। उसको हमने ही अपने पास रखा था। और बेफिकर रह अब वो जहाँ है वो भी हमें पता है। टेंशन ना ले। उससे बहुत सारा पैसा कमायेंगे हम बाद में भी।
मैं- क… कैसे… आप्पने क्या किया उस्सके सस्साथ?
रानी- उसको उठाकर लाए थे। उसको बहुत समझाया लेकिन उसने बात नहीं मानी हमारी। आखिर हमें वो सब करना पड़ा। अब उसका मुँह बंद है। और फिकर ना कर, उसको जैसे हम कहेंगे वो वैसे ही करेगी। हाहाहा… और मजे की बात ये है कि उसकी वीडियो भी हमारे पास है। जो मैं तुझे भी दिखाऊँगी बाद में। अब तू ये बता कि तू क्या चाहती है? खुद हमारा साथ देगी या तेरा भी वोई हाल करें हम?
मैं- प्लीज़्ज़ म्मुझको छोड़ दोऊ…
सन्नो आगे आई और मेरे मुँह पे करारा थप्पड़ लगा दिया।
मेरे कानों में सीटियां बजने लगीं। दिमाग एकदम सुन्न हो गया…
सन्नो- आखिरी बार तुझसे कह रही हूँ। जैसे हम कह रहे हैं वैसे कर। वरना तू किसी को मुँह नहीं दिखा सकेगी आज के बाद। तेरी सहेली के साथ जो किया उससे भी ज्यादा बुरा हाल तेरा करेंगे। बोल जल्दी।
मैं रोते हुये- “जैसे आप कहोगे वैसे ही करूँगी… प्लीज़्ज़ मारो नहीं मुझे…”
सन्नो और रानी हँसने लगीं हाहाहाहा…
सन्नो- अब आई ना लाइन पर। तू बड़ी अच्छी लड़की है। चल जल्दी से कपड़े उतार। वरना मैं तेरे कपड़े फाड़ दूँगी। फिर नंगी घर जाना।






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